Friday, January 27, 2017

अपनी वफ़ा को सीने में लगाकर हम यह ठिकाना छोड़ चले है
न मंजिल की ख़बर और न राहो की ख़बर फ़िर भी मुसाफिर है.


महफ़िल सितारों की देखकर 
प्यार के महफ़िल की याद आती है
फलक में उस चाँद को देखकर 
महबूबा की दिल से याद आती है.


इस दिल पर तेरा ही नाम लिखा लेंगे।
तेरे ही ख्वाब आए यादों में ऐसे बसा लेंगे।।
अगर मिल न सको तो तस्वीर भेज देना।
हम तेरी तस्वीर से ही काम चला लेंगे।

Wednesday, January 25, 2017

तू साथ थी तो ज़माने में चर्चे थे मेरे ........ऐ_दोस्त
तेरे जाने के बाद आइना भी अब मुझसे मेरी पहचान पूछता है.......

चमन से एक बिछरा हुवा गुलाब हूँ !
मैं खुद अपनी तवाही का जवाब हूँ...!!
यूँ निगाहें न फेरना मुझसे !
दर्द के बाज़ार में बिकता हुवा एक लाचार हूँ !!

मेरा सनम मुझसे जुदा हुआ है
लगता है मुझसे ख़फा खुदा हुआ है
घिर घिर काले बदल आते है
लगे बरखा का राज शुरू हुआ है
अब भाता नही चिडिया का संगीत
मन मेरा यू बेचैन हुआ है

आजा पिया लगाले गले
तेरे बीन सुना संसार हुआ है

Monday, January 23, 2017

दीदार की प्यासी आखें अब भी ढूंढती है,
उन्हे जो भूल चुके हैं हमारा ठिकाना

इस बेरहमी की वजा न बताओ
बस मेरे दिल के करीब आजओ
यह दूरी दर्द है एक बेवजा
आज तुम मेरी साँसों मैं बस जाओ

तुमसे जब बात नही होती किसी दिन
ऐसे चुपचाप गुज़रता है सुनसान सा दिन
एक सीधी सी बड़ी लंबी सड़क पे हो जैसे

Saturday, January 21, 2017

टूटे हुवे ज़ंजीर की फरियाद हैं हम !
लोग कहते हैं की आज़ाद हैं हम....!!
प्यार ने क्या दिया हमको आए दोस्तों !
कल भी बर्बाद थे आज भी बर्बाद हैं हम !!

ऐ हुस्न-ए-लाला फ़ाम ज़रा आँख तो मिला।
ख़ाली पड़े हैं जाम ज़रा आँख तो मिला।

कहते हैं आँखें आँख से मिलने है बंदगी
दुनिया के छोड़ काम ज़रा आँख तो मिला।

साफ़ बच निकलेगा वो, बला का जहीन है ....
मुहब्बत छोड़ देगा किस्मत का बहाना कर के

Wednesday, January 18, 2017

वो परिंदा जिसे अपनी परवाज़ से फुर्सत न थी फ़राज़
आज तनहा हुआ तो मेरी ही दीवार पे आ बैठा....
क़ासिद है तू ख़ुदा का अगर चिट्ठियाँ ही बाँट,
उन चिट्ठियों पे तू लिखा अपना पता न देख.
-
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
तू देख रहा है ,जो मेरा हाल है क़ासिद,
मुझ को यही कहना है मैं कुछ नहीं कहता.
-
कैफ देहलवी

Tuesday, January 17, 2017

“आप से खफा हो कर जायेगे कहा
आप जैसे दोस्त को मनाएंगे कहा
दिल को तो कैसे भी समझा लेगें
पर आखों में आसूं छुपायेगें कहा ”

दिल ने फिर तेरे दिल पर दस्तक दी है
तन्हाई ने फिर एक कसक दी है
चाहूँ तेरी बाहों में सिमट जाना
ख़्वाबों ने तेरी फिर कसक दी है ।

मुझे सता कर मेरी दुआए लेती है....
उसे खबर है मुझे बददुआ नहीं आती...

Wednesday, January 11, 2017

बुलाने दो उन्हें मंजिलो से ,
जो हमसे आगे निकल गए
मै वो मुसाफिर नहीं ,
जो भटका करे मंजिलो की तलाश में

मैं तमाम तारे उठा-उठा के ग़रीब लोगों में बाँट दूँ
कभी एक रात वो आस्माँ का निज़ाम दें मेरे हाथ में

Tuesday, January 10, 2017

ख्वाहिशों का काफिला भी अजीब होता है;
अक्सर वही से गुजरता है, जहाँ पर रास्ते नहीं होते!

Monday, January 9, 2017

एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी;
ऐसा तो कम ही होता है, वो भी हो तनहाई भी!
गुलज़ार
उम्र जलवों में बसर हो ये जरूरी तो नहीं
हर शब-ए-गम की सहर हो ये जरूरी तो नहीं
-
खामोश देहलवी
ये मासूमियत का कोन सा अंदाज़ है फ़राज़....
पैर काट के कहने लगे अब तुम आज़ाद हो...

- फ़राज़
ख़त लिखेंगे गरचे मतलब कुछ न हो,
हम तो आशिक़ हैं तुम्हारे नाम के.
-
मिर्ज़ा ग़ालिब
बेवफ़ा भी हो सितमगर भी जफा पेशा भी,
हम ख़ुदा तुम को बना लेंगे तुम आओ तो सही.
-
मुमताज़ मिर्ज़ा

फिरता है मेरे दिल में कोई हर्फ़-ए-मुद्दा,
क़ासिद से कह दो और न जाए ज़रा सी देर.
-
दाग देहलवी
आती है बात बात मुझे बार बार याद,
कहता हूँ दौड़ दौड़ के क़ासिद से राह में |
-
दाग देहलवी

Sunday, January 8, 2017

यादों में हम रहें ये एहसास रखना;
नज़रों से दूर सही दिल के पास रखना;
ये नहीं कहते कि साथ रहो
दूर सही पर याद रखना!

इतने करीब हो, फिर क्यो याद आते हो
पास होके भी दूरियों का अहसास जताते हो
तन इतने करीब है. फिर मंन क्यो इतना दूर
जान लो तुम की, मेरी सासों में बस्ते हो

दिल के कतरे करते में तुम ही तुम सनम
इस कदर मेरे मन को क्यो तरसाते हो


आज बहुत दिनों बाद मन में ये ख़याल आया !
क्या कोई इतना भी अपना हो सकता है,
कि ये दिल उसकी यादो को ही चुरा लाया!
कभी गमो में डुबोकर रुलाया,
कभी मीठी यादो ने आकर हँसाया!
इन यादो ने सबको पागल बनाया,
इसने हर इंसान के दिल को रुलाया!
आंसुओ कि ताबीर पर भी इसने शमा को जलाया,
ये यादो के परवाने तुने किस किस को न अपना बनाया!

Friday, January 6, 2017

मेरे मरने पर किसी को ज़यादा "फर्क ना "पड़ेगा
*
ऐ दोस्त*
बस एक "तन्हाई "रोएगी की मेरा "हम_सफ़र " "चला गया

ढूँढ कर तुमको हम थक चुके,
कौन सी गलियों मे जाने तुम खो गये.
अब और कहाँ ठिकाना है इस ग़रीब का,
जाकर कब्र मे खुद ही हम सो गये

जब पत्तों की पाजेब बजी तुम याद आए,
जब सावन रूत की पवन चली तुम याद आए,
जब पंछी बोले घर के सूने आंगन में तुम याद आए,
जब अमृत की एक बूंद पड़ी तुम याद आए,
रूत आई पीले फूलों की तुम याद आए,
दिनभर दुनिया के झमेलों में खोया रहा मैं,
जब शाम को दिवारों से धूप ढ़ली तब तुम याद आए.

Tuesday, January 3, 2017

जला देंगे अपने दिल को दिये की तरह !
तेरी जिंदगी में रौशनी लाने के लिए.....!!
सह लेंगे चुभन को पैरों तले....!
तेरी राहों में फूल बिछाने के लिए !!

तू कही भी रहे सर पे तेरा इलज़ाम तो हैं !
तेरे हाथों की लकीर में मेरा नाम तो हैं !!
मुझे अपना बना या न बना ये तेरी मर्जी !
पर तू मेरे नाम से बदनाम तो हैं....!!

संध्या पे उमीद की उजाले की
तकदीर ने कहा ब सिर्फ़ रात होगी

प्यासी है ये सुखी धरति
तमन्ना मेरे खून से इसकी शांत होगी