Friday, April 30, 2021

 ख्वाबो के नगर मे

सपनों के शहर मे


हा जाना है इक 

ख्वाब ये पुराना है


शायद ये पूरा न हो पाये

सांसों का भी कहा ठिकाना है


जीत जाऊँगा हर हालात से

हौसला ना अब डिगाना है


मजबूती से जो थामकर खङे

हर हालात से अब ऊबर जाना है


वक्त फिर लौट आएगा समां

फिर गुनगुनाएगा


बस यही इरादा बनाना है 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, April 29, 2021

 सुनो


आज बादल बहुत हैं मेरे यहां

सरसराती गुलाबी सी हवा चल रही है

हल्की बारिश भी हो रही


शायद कल तेरे यहां भी यही बादल थे यही हवा थी

ऐसा लगता है जैसे ये छूकर आए हो कल तुम्हें


और आज वही हवा मुझमें लिपट रही हो

मेरे कानों में कह रही हो

मैं आई हूं तेरे इश्क की खुशबू लेकर


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, April 28, 2021

 रूह का बन्धन है यह तेरा मेरा

किसी डोरी का नहीं मोहताज है


सातों सुर बजते हैं दो दिलों में 

पर किसी तीसरे को आती नहीं आवाज़ है


मेरी बांसुरी की धुन पर उड़ती सी हो तुम

जबकि बक्शे तुझे खुदा ने नहीं परवाज़ हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, April 27, 2021

 तेरी वफ़ा के रंग से मैंने 

रंग लिया है खुद को


अब जाने नहीं दूंगा कभी तुमको

अपने साथ बांध लिया है तुझको


हर सांझ करता हूँ मैं इंतज़ार तेरा 

सिवा तेरे कुच्छ सूझता नहीं मुझको


ना समा पायेगा कोई दिल में

अब दिल के दरवाजे बंद हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, April 26, 2021

दिल चिरागों सा मेरा जलता रहे

चाहे वक्त हर पल बदलता रहे


तुम कभी ना हाथ छोड़ना मेरा    

कारवां बस यूँ ही चलता रहे


तेरी निस्वार्थ प्रीत के बंधन में बंध

मेरा दिल यूँही मचलता रहे


थाम ले हाथ मेरा ज़ोर से

ये सफर सुहाना ढलता रहे


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, April 25, 2021

 मेरी हर ग़ज़ल हर नज़्म 

तेरे ही नाम होती है


वो दिन बड़ा अच्छा गुजरता है

जिस दिन तुमसे बात होती है


जिस्म जिस्म से गर ना भी मिल पायें

रूह से रूह की मुलाक़ात होती है


लोग सूरज को ढूंढते फिरते हैं

अपनी तो हसीं रात होती है


----- सुनिल शांडिल्य

Friday, April 23, 2021

 जब जब जिक्र तुम्हारा होगा

हम वहाँ जरूर होंगे


मेरी जिन्दगी की किताब के

तुम खास पन्नो पर होगें


हाशिये पर नही आ सकती प्रीत हमारी

जीने के लिये जब तुम जरूरी होंगे


हर अल्फाज हर हर्फ मे सिर्फ तुम्हारी छव है 

जबसे तुम हम_संग_है 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, April 22, 2021

 तेरे अल्फाज़ो में खुद को पाया है

यूँही तो नहीं दिल तुमसे लगाया है


मैं भटकता रहा अंधेरी गलियों में बनके राही

मंज़िल मेरी तो तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है


तेरे मिलने से ही जाना हमने वो गीत कितना सुरीला है 

जो मिलकर हमने गाया है


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, April 21, 2021

 तरसता रहा मन कि 

कोई सहारा मिलता


मेरी भटकती जिन्दगी को 

कोई किनारा मिलता


कह लेता जिसे हाल-ए-दिल सारा

राजदार कोई हमारा मिलता


भिगों देता आँसूओं से जिसे

ऐसा कांधा तो कोई प्यारा मिलता


पर इस अजनबी दुनिया मे सब

गजर वाले है कोई बेगर्ज नही मिलता


---- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 20, 2021

 ज़िन्दगी भर तेरा साथ हो 

यही आरजू मेरी दिन रात हो 


मैं तो सदा तेरे संग संग ही चलूँ 

तू गर इस सफर में मेरे साथ हो 


मैं तो कांटो पर भी चल पडूंगा

तेरे प्यार की जब बारसत हो


तेरे_बिन कलम भी प्यासी है 

संग तेरे ही सारे अल्फ़ाज़ हों


---- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 19, 2021

 हे पार्थ.. .


उठो , इस कर्म क्षेत्र मे 

कोई मजबूरी नही


इक दूरी बन गई रिश्तों मे 

जिन्दगी की अब धूरी यही


बनकर मतलबी अब 

जीना है खुद के लिये


डर कर रहने से खत्म 

महामारी होती नही


उठ कर करो सामना 

बना हथियार स्वच्छता को


दूरी रखकर परस्पर 

पहन ले मास्क को


हो जाओ तैयार 

खत्म करने महामारी को


----- सुनिल श्रीगौड

Sunday, April 18, 2021

 बांध लीया है जब तुमसे रूह का बन्धन

तो इजहार ए मुहब्बत को अल्फाजो की 

जरुरत नहीं 


कोई तो बात है तेरे इकरार में ए दोस्त

अब हमें रात भर शम्मा की ज़रूरत नहीं


बस ये मान लो तुम की तेरे दीदार से

पहले तो हमें साँसों की भी ज़रूरत नहीं


----- सुनिल श्रीगौड

Saturday, April 17, 2021

 प्रेम ये निश्चल निस्वार्थ हमारा है

ये स्नेह अपना सबसे प्यारा है


तेरी दोस्ती से मिली है शोहरत हमको

वरना दुनिया में कौन हमारा है


हैं जो अनमोल दोस्ती का मोह अपना

यही मोह तो सबसे न्यारा है


चढ़े दोस्ती के हमपे पक्के रंग हैं

जब से हम तुम संग हैं


---- सुनिल श्रीगौड

Friday, April 16, 2021

 सब नक्षत्र जहाँ-जैसेहैं,आज-अभी रुक जाएं    ¦¦

नयनो से वो मुझे पुकारे -मेरे नयन झुक जाएं.    ¦¦

कभी मौन में गुँथे गीत सुन पाओ तो कहना.    ¦¦

मन मुखरित कैसे होता? शब्द यदि चूक जाएं     ¦¦

---- सुनिल श्रीगौड

Thursday, April 15, 2021

 उडते हैं हम ख्यालों के आसमां पर

मगर वजूद ठहर जाता है तुम तक


रूह से रूह का मिलन होता है जब

मन्ज़िल मेरी मिल जाती है तुम तक


उठा के हाथ जब दुआ मांगता हूं रब्ब से

मेरी हर दुआ पहुंच जाती है तुम तक


मानो न मानो ये दोस्ती के रंग हैं

जब से हम तुम संग हैं


---- सुनिल श्रीगौड

Wednesday, April 14, 2021

 मुमुक्षु हूं मैं, 

पर, मुझे नहीं आते 

ध्यान, ज्ञान, भक्ति, योग, तंत्र

बस, मैं आजीवन रचता रहूंगा

तुम्हारे लिए समर्पित, प्रेम गीत 

अपने अंतिम पग पर बुदबुदाउंगा 

तुम्हारा नाम अपने ईष्ट के मंत्र की तरह


सुनो दोस्त ! 

मेरे जीवन के समस्त हेतुओं का 

आधार बस तुम हो


----- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 13, 2021

 कोई एक सपना मेरी देह

ऊर्जास्वित कर देता है


नींद तरंगित और मेरा हृदय 

अलौकिक कर देता है


याद तुम्हारी आती है तो 

खुद से बतिया लेता हूं


नाम तुम्हारा गंदोधक सा, 

मन प्रफुल्लित कर देता है


----- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 12, 2021

 मैं झरना ,तुम पानी मेरा  

मैं बहता हूँ  तुमसे, तुम तक। 


मैं आँख तुम रौशनी मेरी

मैं देखता हूँ  तुमसे, तुम तक। 


उत्तर में नहीं, न ही दक्षिण में,

तुम हो मेरे कदमों की नाप 

और बाहों के विस्तार तक।


मैं एक यात्री, तुम पथ मेरा 

मैं जाता हूँ  तुमसे, तुम तक!


----- सुनिल श्रीगौड़

Sunday, April 11, 2021

 मन की मंदाकिनी में एक नीला कंवल खिल उठता है। 

सतह पर सुंदर चाँद उभर आता है। 

कल-कल की ध्वनि मंत्रोच्चार सी लगती है..

और मेरा समूचा आकाश मलय की सुगंध से भर जाता है। 

हर रोज मेरे साथ यह सब सुंदर घटित होता है, 

जब मैं तुम्हें लिखता हूं।❤️❤️


---- सुनिल श्रीगौड

Saturday, April 10, 2021

 सुनो.......

ख्यालो मे हमको बुलाना ठीक नही

नाम लबो पे लाना ठीक नही 


अगर यादों मे आते हो तो कोई बात नही

यादों मे आकर चले जाना ठीक नही


अब के जो आओ तो फिर ना जाना

देखो वादा अपना जरूर निभाना...


----- सुनिल श्रीगौड

Friday, April 9, 2021

उड़ चला है संग तेरे बन के

परिंदा ये मन मेरा


पंख लगे हैं जब दोस्ती के तेरे

ज़मीं है मेरी गगन मेरा


तेरे नाम की लिखी वसीयत हमने

अपना तो अगला जन्म तेरा


सदाबहार का फूल बन के निखरना

और हो सारा चमन मेरा


फिर हक़ से कहें तू है सनम मेरा


---- सुनिल श्रीगौड

Thursday, April 8, 2021

जाने उसको कैसे मालूम

हुआ के याद उसकी ही आई है 


ख्वाबों मे आकर उस ने

एक बात जो बताई है  


लाख जुदा हो अनजाना सा

क्यूँ ना सफर हो अपना ..


नाम से उसके फिर भी क्यूँ

"सुनिल" तेरी आंखें भर आई है 


---- सुनिल श्रीगौड

सपनों से कोई फिरौती जब कभी अंधेरा मांगे 

तब सृष्टि के आँगनमें - हर दिशा सवेरा माँगे 

इक बार उनकी जादुई छुअन ने प्राण दिये थे मुझको 

ये धड़कन उसी छुअनका पावन पगफेरा माँगे 


---- सुनिल श्रीगौड

Wednesday, April 7, 2021

 पलकों की चिलमन उठा कर

यादों के झरोखों से

कुछ मोती चुरा लाया हूँ 


सजानी है नए ख्वाबों की महफिल

सुनो..मै तुम्हे बुलाने आया हूँ 


बिताए थे कल जो पल संग हमने

सुनो..मै उन्हे फिरसे जीने आया हूँ 


किया था जो वादा तुमने 

सुनो...उसे पूरा करवाने आया हूँ 


---- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 6, 2021

निस्वार्थ समर्पण को मेरी कमजोरी मत समझ 

मन के रिश्ते को कच्ची डोरी तू मत समझ 

तुम पढ़ ही ना सकी ये कमी तुम्हारी है 

मेरे मन की किताब को कोरी मत समझ  

---- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 5, 2021

 तेरी आँखों की दरगाह में 

मोहब्बत की चादर चढा़ने आ गये

जरूरतमंद है ख्वाब मेरे

ले फिर मन्नतों मे तुझे पाने आ गये


---- सुनिल श्रीगौड