तुम्हारा ख्याल
चांद भी नहीं
सूरज भी नहीं
न धूप
न छांव
बस सितारो के ख्वाब
एक एहसास
तुम्हारा ख्याल
यादो के आसमान
मैं टहलता
बादल का टुकड़ा
जो अपनी आँखो के पानी से
सूरज का दामन भिंगो दे
तुम्हारा ख्याल
मन के गलियारे मे
बसे सन्नाटे सा
तुम से ही लिपट कर
समेटना चाहे तुम को
---- सुनिल शांडिल्य