Wednesday, June 30, 2021

 तुम्हारा ख्याल

चांद भी नहीं

सूरज भी नहीं

न धूप

न छांव

बस सितारो के ख्वाब

एक  एहसास


तुम्हारा  ख्याल

यादो के आसमान

मैं टहलता

बादल का टुकड़ा

जो अपनी आँखो के पानी से

सूरज का दामन भिंगो दे


तुम्हारा ख्याल

मन के गलियारे मे

बसे सन्नाटे सा

तुम से ही लिपट कर

समेटना चाहे तुम को


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, June 29, 2021

 तुम उस किताब सी खूबसूरत हो

जिसके हर पन्ने पर मेरी नज़्म हो


जैसे कि 


बेखुद होकर मस्त हवाएं लहराए

आंचल तेरा मेरे चेहरे पे सज जाए


जादू हल्का हल्का सा छाए 

उफ्फ..ये तन मन मेरा मदहोश होता जाए


तेरे तन की खुशबू से मैं महक जाऊं

मेरे मन मंदिर में सिर्फ तुम बस जाओ ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 27, 2021

 बला की खूबसूरत थी

अधर के

दाहिन

से

थोड़ा नीचे

एक तिल को

घर

मिला था ।


जिसे देख चाँद

रातभर

जलता

और,

मैं चाँद से ।


सिहर उठती

आगोश

में

सिमट जाती,

अधर को जब भी छूता,

बालों को सहलाते

कानो 

में

मैं कहता "प्रेयसी"

चांद उस क्षण

बादलों

में छुप जाता,

जल भुन जाता हो जैसे ।


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 26, 2021

 पिघलो और पिघलाती रहो

मेरी सांसो मे यू ही आती जाती रहो


ठंड की क्या है

बिसात जो मुझे छु भी ले

मैं अभी प्रेयसी की पनाहो में हूं


नशा छाया तेरे हुस्न का

सारी रात ना उतर पाया


बीती रात करवटों मे

ना उसे नींद आई

ना मुझे ख्वाब आया

भीग गया बदन दोनो का

ये देख सर्द रात भी खुद पे शर्माया


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 25, 2021

 सारी कायनात से है गुलामी करवाई

तबाही तेरे हुस्न ने कुछ ऐसी है मचाई।


तेरे हुस्न के दीदार को हो रहा बेताब

मेरे दिल मे तूने कैसी ये आग लगाई ।


आंखों पर मेरी सिर्फ़ तेरा अक्स छाया

आंखो से तूने ये कैसी है शराब पिलाई ।


बेवजह मौत से डरता रहा अब तलक

तूने होठों पर जीती जागती मौत दबाई ।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 24, 2021

 रहते हो हमदम करीब मेरे दिल के

आँखों मे भी अक्स तुम्हारा है


मुलाकात जब तक न हो तुम से

सुकून_ओ_चैन न तब तक हमारा है


फासले बहुत है फिर भी करीब है

मसाला कोई और मुझे भी नही


दायरा अपनी प्रीत का नही

ये बंधन से परे का रिश्ता है 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 23, 2021

 देख रही हो ये सांझ


थोड़ा स्याह रंग लिए, जैसे तुम्हारा काजल

थोड़ा सा सुर्ख लाल, तुम्हारे होठों का रंग जैसे 


दरख़्त के इन झूलते पत्तों को देखो

जैसे तुम्हारे चेहरे पर बिखरी लटें..


जानती हो ये सांझ इतनी खूबसूरत क्यों है ?

क्योंकि

इस सांझ ने सारा रूप, सारा रंग, तुम्ही से चुराया है❣️ 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, June 21, 2021

 मैं इंतेज़ार में हूँ कब अपनी

पहली मुलाकात होगी


तुम बैठना मेरे सामने 

हम तुम और चाय साथ होगी


ज़ुबाँ शायद दोनों की खामोश ही रहेगी

पर आंखों से आंखों की खूब बात होगी


समां वो भी आयेगा गम ना कर

जब तू मेरे साथ होगी


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 20, 2021

 स्त्री को,

पढ़ सको तो पढ़ना,


शायद जान पाओ कि,

इस ब्रह्मांड से परे भी एक जटिलता है,


जिसे ईश्वर ने ममत्व के धागे से बुना है,

प्रेम के सबसे पवित्र रंग में रंगा हुआ धागा,


उसे छूने की कोशिश करना,

उसे धारण करने की कोशिश करना 


अगर संपूर्णता से धारण कर सके,

तुम ईश्वर के समकक्ष हो जाओगे..


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 19, 2021

 क्या हुआ जो खोए से हैं रास्ते 

क्या हुआ जो अनजान ड़गर है 


क्या हुआ जो मंज़िल है लापता 

क्या हुआ जो वीरान सफर है 


डर मत हौसला रख 

बडा काम आएगा तेरे 


खुद का खुद में साथ 

रुक मत, आगे बढ़ 


अपने दिल के साथ 

खुदा की आजमाइश लिए 


ये तनहा सफर तेरे अकेले का नहीं 

उस खुदा का भी तो है 


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 18, 2021

 यूं तन्हा खुद को महसूस करता हूं,

की लफ्जों को भी तरस आता मुझपे।


जाने क्या क्या सोचता रहता है,

ये मन मेरा,विचरता रहता यादों में।


उन यादों में जिसमें सिर्फ मैं हूं,

तुमने तो छोड़ दिया कबका तन्हा मुझे।


लिखता रहता हूं श्रृंगार से भरी कविताएं,

पर मन की पीर कभी कभी छलक ही जाती है।। 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 17, 2021

 ये भला कौन जानता है

किस हद्द तक जाना है 


ये भला कौन जानता है

किस मंज़िल को पाना है


ये भला कौन जानता है

कब दुनिया से चले जाना है


मेरे दोस्त याद करें मुझको

यही जिंदगी का फसाना है


चला चल राही सफर में अपने

अभी और मंज़िलों को पाना है


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 16, 2021

 नशीली है नज़र तेरी

और शराबी है नजरिया


है सूरत तेरी चांद सी

उफ्फ ये बदन गुलाबी


लगे अजंता की तू मूरत

तसव्वुर तू हर शायर की


है,नूर गजल सा तुझमें

चेहरा तेरा गजब किताबी


तितली सी दो पलकें तेरी

थिरकती हैं व मचलती हैं


लरज़ते सुर्ख़ दो लब हैं

नज़ारा  क्या शबाबी है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, June 15, 2021

 फूलों से लिखें या बहारों से

नाम तुम्हारा लिख दूं मै चाँद सितारो से


बादल बताऊं तुम्हे या सावन की फुहार

आफताब हो तुम मेरे आसमां के 


बात हरपल चलेगी दोस्ती की हमारी

रिश्ता ये मशहूर है जमाने मे


नाम जो हो गया शोहरत पा गया 

जबसे तुम हम संग है 


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 13, 2021

 तुम मेरा ख्वाब बन के रहो

बस तुम मेरी याद बन के रहो


मेरी जिंदगी के सवालों का

दोस्त तुम ही जबाब बन के रहो


कुछ ज्यादा नहीं मांगा तुमसे हमने

दोस्ती का उमड़ता सैलाब बन के रहो


जब तलक जिंदा हैं हम तब तलक

तुम मुझ में महज़ सांस बन के रहो


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 11, 2021

 जो मेरी जिन्दगी चल रही है

ये तेरा ही काम है


सुबह-ओ-शाम लब पर रहता

तेरा ही नाम है


भटकते राही को दिया मंज़िल का पता

तेरा मुझपे एहसान है


माना हम जिस्म दो हैं मेरे दोस्त

पर अपनी ऐक ही जान है


अब क्या जुदा करेगी दुनिया 

जबतक तुम हम संग हैं 


----- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 10, 2021

 दिल पर लिखे आपके अल्फ़ाज़ भी

मुझसे यहीं कहते हैं


आपकी नजदीकियों में न सही

मगर इन अल्फ़ाज़ों में हम ही रहते हैं


कहां रहता है सूनापन

इन उम्दा अल्फाजों में


आप और आपका ख़्याल

हर पल इनमें सफ़र किया करते हैं 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 9, 2021

 वो सादगी से भरी निगाह

वो हजारों सवाल करती निगाह


कभी न खत्म होने वाली खामोशी

मेरे लफ्जों का न मिलने वाले वो शब्द


एक टक ठहरती नजरे तुझ पर 

वो हताश होकर देखने वाली नज़र


फिर कुछ न कहने वाली हिम्मत

तोड़ कर रख देती है मुझे 

तेरी ये दूरियों की मोहब्बत

Tuesday, June 8, 2021

 कब के अलविदा हम कह

चुके होते इस ज़िन्दगी को


ये ज़िन्दगी हमको यूँ प्यारी ना होती

गर इतनी प्यारी सोच तुम्हारी न होती


भटक रहे होते हम भी खिजां में

मुलाकात यूँ तुमसे जो हमारी न होती


बिन दोस्त ज़िन्दगी की गलियां तंग हैं

अगर तुम  हमारे संग ना होती 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, June 7, 2021

 हमने तो अपनी जिंदगी को

तेरे नाम किया है


ना होंगे जुदा आखिरी सांस

तक, तुमसे ये वादा लिया है


ज़ख्म तो कई थे दिल पर मेरे

सबको तेरी यारी ने सीया है


जो भारी है ज़माने की आंधियों पर

हम वो जलता दीया है


ना छूटेगा साथ कभी 

जब तक तुम हम संग हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 6, 2021

 तेरी याद आने से 

मेरी दुनिया में बहार है


कैसे न कहूँ तेरी_याद से भी

मुझको प्यार है


और आ करीब अपनी साँसों में

बसा, दिल बेकरार है


ज़ी भर के देखने दे आज 

तेरे चेहरे पे जो निखार है


बिन तेरे इश्क़ ज़िंदगी बेरंग है

ना अगर तुम हम_संग_हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 5, 2021

 अब सफर कट जायेगा जब

तेरी दोस्ती का साथ है


मिल जायेगी मन्ज़िल भी हमें

हाथ में जो तेरा हाथ है


मैं भूल जाता हूँ गम-ऐ-ज़िंदगी को

होती जब तुमसे मुलाक़ात है


जब मिलते हैं हम दोनों आपस में

होती बेमौसम बरसात है


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 4, 2021

 वो जो नक़्श थे तेरी_याद के

मुझे ख़्वाब कैसे दिखा गये


कभी हम राह में रुक गये

कभी तुम लौट के आ गये


वो जो गीत तुम पर लिखा था

हम उसी को गुनगुना गये


नसीब अपना मेहरबां यूँ रहा

तेरी दोस्ती हम पा गये


----- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 3, 2021

अपनी शरारत भरी नज़रों से ,

मैं तुम्हारे नज़ाकत भरे चेहरे पर हया लिख दूंगा ..!

हो बंदगी से भी पाकीजा ..तुम.

हमारे पाक इश्क़ की ऐसी दास्ताँ लिख दूंगा ...!!


----- सुनिल शांडिल्य