Saturday, September 30, 2023

मैंने यूं ही तुम्हारा नाम
सुकून नहीं रख रखा है

राहत मिल जाती है मुझे
जो तुमसे बात हो जाती है

निगाह उठाकर देख लो
मेरी तरफ एक नजर तुम

पूरी कायनात मुझे अपने
कदमों तले नजर आती है

जाने जां इतनी दिलकश हो
की तुझसे नजर नहीं हटती

जी करता सामने बिठाकर
अपलक तुझे देखता मैं रहूं!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 28, 2023

तुम दिल की गहराई में हो जैसे कोई खुशबू शामिल
फागुन की पुरवाई में हो तुम दिल की गहराई में हो

याद तुम्हारी आये जैसे सावन का लहरा आ जाए
तेरे अधरों की सुषमा तो जैसे घन में बिजली मुसकाये

तेरी अरुणिम पलकें जैसे प्रेम पत्र पुरइन पातों का
तुमसे ही कोमलता लेकर जनम हुआ इन जलजातों का

काली रातों के तारों से लगते हैं ये नयन तुम्हारे
तेरी अलकों में ही पलती हैं शायद ये मधुर बहारें

जिन आँखों का स्वप्न बने तूं उन आँखों का स्वप्न हो पूरा
तुमसे मिलकर लगता जैसे खत्म हुआ हर सफर अधूरा

अनुबंधों के आईने में हमने देखा रूप तुम्हारा
सामवेद की ऋचा लगे तू या निर्मल गंगा की धारा

तुम निसर्ग के हाथ पली हो किस लय से हैं गात तुम्हारे
सुनने आता चाँद गगन से तेरे नूपुर की झनकारें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 27, 2023

काश में रह गया कुछ आस में रह गया
वो दिल भी न ले गयी पास में रह गया

मिलेंगे कभी किसी मोड़ पर कहा था
और मैं था कि इसी विश्वास में रह गया

वो शाम थी तुम जिसमें वज़ूद था मेरा
फ़िर जुगनू निशा की तलाश में रह गया

अब देखता हूँ रंगीन जब दुनिया को मैं
सोंचता हूँ क्यूँ इक लिबास में रह गया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 26, 2023

दौड़ते भागते लोग, खुद से घबराते लोग। 
अपने ही आहट से, यहाँ डर जाते लोग। 

अपनी ही सूरत से, यहाँ भरमाते लोग।
खौफ़ के साए  में, इश्क फरमाते लोग। 

कागज़ी गुलाबों से, जी बहलाते लोग। 
भीड़ में चिल्लाते, यहाँ हकलाते लोग।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 23, 2023

वह सिलती रही जिंदगी और सिलवटें साझीदार हो गयी,
औरत की जिंदगी बस अनकही फरियाद होकर रह गयी 

दायरे से निकलने की हिमाकत जब-जब उसने करी,
दुनिया उसकी और मजबूत पहरेदार हो गयी 

घर की जिम्मेदारियाँ तो बस अकेले उसके नाम हो गयी,
घर से बाहर निकलने की जरूरत भी मुश्किल होकर रह गयी

किताब के फ़टे पन्नो के मानिंद वह बिन कहानी कहे रह गयी,
घूरती आँखों को पढ़कर भी वह हमेशा खामोश रह गयी 

हर कदम पर हौसला उसका इम्तेहान लेता रहा,
पहुँच कर बुलन्दियों पर भी वह अनकही अधूरी सी रह गयी 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 21, 2023

वक़्त बदलता है तो वक़्त के साथ बदलना
खुमार चढ़ता है तो उसे आता भी है उतरना.

हँसना हँसाना गर्ज़ नहीं मर्ज़ ही बना लो
दुआ करना, इस मर्ज़ से कभी ना उबरना.

अंजुम भर के दामन में न चाहिए उछलना
रो पड़ोगे जो मिल के पड़ेगा कभी बिछड़ना.

हाथ मेरे हाथ में दे रहे हो तो न भूलना
कि आता नहीं है मुझको वादे से मुकरना.

फ़िर मिलोगे कभी, ये आस जिंदा रहे मगर
इंतजार के दरिया में भूले से न उतरना..

#$h@πd!£y@

Monday, September 18, 2023

तुम कोयलिया सी कूक उठो पंचम सुर में,
मैं अपने गीतों की बरसात तुम्हें दे दूंगा.

ज्येष्ठ की धूप देखो ढल गई संताप देकर.
दृगों से अश्रु ढुलके नेह का प्रस्ताव लेकर.

तुम सामवेद ऋचा सी बस जाओ उर में,
मैं अर्चन के पुष्प-पारिजात तुम्हें दे दूंगा.

दिल की हर धड़कन पर लिख नाम तुम्हारा.
नेह की मथनी से मथ मथ कर तुम्हें पुकारा.

तुम चँद्र किरण सी उतरो तो मानस पुर में,
मैं अपने जीवन के दिन रात तुम्हें दे दूंगा.

बिखरा दो वो संगीत समाया है जो नूपुर में,
मैं अपने इन प्राणों की सौगात तुम्हें दे दूंगा.

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 16, 2023

समय तुम कोन हो और कहा हो
समय तुम कब थे और कहा थे

समय तुम्हारे अस्तित्व से 
कोई छुटकारा पा सका है क्या

पता नहीं कब आते हो 
और कब छूमंतर हो जाते हो ।

समय तुम किधर गए 
और कहा रहते हो

समय तुम कब व्यर्थ होते हो 
और कब खत्म हो जाते हो

समय बितता जा रहा है 
किस चीज का?

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 14, 2023

ए जिंदगी क्या चाहती हो तुम मुझसे
छोड़ जाती हो अक्सर मुझे चौराहे पर

तोड़ देती हो बारबार कई टुकड़ों में
बता कब तक भटकूं मैं इधरउधर

हरबार संभल कर चलने का करता हूं प्रयास
हरबार तोड़ देते हो,तुम क्यों मेरी आस

खंडित करके मुझे हरबार क्या पाते हो
जिंदगी तू इतना क्यों मुझे सताती हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 11, 2023

क्या बहुत कठिन है, तुम्हारा मन समझना
तुम अक्सर उलझ जाती हो,मुझे सुलझाने में

बुन लेती हो खुद को,मेरे इर्द गिर्द
भुला देती हो,अपने सारे दुख दर्द

रिस्ते जख्मों के, अक्सर सी कर
अपमान का विष भी,चुपचाप पी कर

बहा कर आंसू ,रैन बिताना
उज्जवला बन, मेरा संसार जगमगाना

महकाती हो आंगन, खुद मुरझाकर
सींचते हो रिश्ते, खुद को मिटा कर

इच्छाओं का,गला घोंट कर
आत्म सम्मान को, चिता सौंप कर

घुटती हर पल,फिर भी जीती हो 
चाहती हो प्रेम के,सच्चे मोती

तुम्हें पढ़ना,नहीं जटिल पहेली
मान सम्मान से,समझ जाती हो जज़्बात
अपनत्व से बन जाती,हर बिगड़ी बात

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 8, 2023

हमारी आँखोंके दरिया में देखो क्या समाया है
हमारे मनमें क्या है हमने दिलमें क्या छुपाया है

जो पढ़ पाओ तो पढ़ लो तुम लबों की सिसकियां मेरी
दिलाएंगी मेरीही याद हरपल हिचकियाँ तेरी

तुम्हें ही ढालके गीतोंमें हमने गुनगुनाया है
हमारी आँखोंके दरियामें देखो क्या समाया है

खयालों में तुम्हीं तुम हो तुम्हीं हो गीत गजलों में
तुम्हीं हो शायरी मेरी तुम्हीं हो मेरी  नज़्मों में

ये किसने प्यार का जादू मेरे ऊपर चलाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है..

~~~~सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 5, 2023

आज अश्कों नें कहा कब तक यू हमें बहाओगे,
नफरत कर लो, मोहब्बत में ख़ुद को बहुत रुलाओगे ।

ये दुनिया बहुत बदल गयी पहले जैसी कहॉं है,
कब तक बोलो और कब तक ख़ुद को यू सताओगे।

जो राहें मंजिल तक ना पहँचायें उनका क्या मतलब,
ऐसी राहों पर चलकर बस पागल तुम कहलाओगे ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 3, 2023

हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है
हमारे मनमें क्या है हमने दिलमें क्या छुपाया है

जो पढ़ पाओ तो पढ़ लो तुम लबों की सिसकियां मेरी
दिलाएंगी मेरी ही याद हरपल हिचकियाँ तेरी

तुम्हें ही ढालके गीतोंमें हमने गुनगुनाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है

खयालों में तुम्हीं तुम हो तुम्हीं हो गीत गजलों में
तुम्हीं हो शायरी मेरी तुम्हीं हो मेरी नज़्मों में

ये किसने प्यार का जादू मेरे ऊपर चलाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है..

~~~~ सुनिल #शांडिल्य