Friday, January 29, 2016

हर शाम को हम तेरे नाम का जाम उठा लेते हैं
तेरी यादों से खुद अपने दिल को बहला लेते हैं
जब कभी हसरत हुयी तुझे छू लेने की
तेरी तस्वीर को सीने से लगा लेते हैं

तेरी यादों के बिखरे टुकड़े चुनकर
गुज़रे लम्हों की तस्वीर बना लूँ
अपनी हर खुशी तेरे नाम लिख कर
तेरे दुखों को अपनी तकदीर बना लूं

तेरे लौट आने का इंतज़ार करता हूँ
देखो मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ
मैं बनाता हूँ कागज़ पर तस्वीर तेरी
फिर उस से मैं बातें हज़ार करता हूँ

Thursday, January 28, 2016

एक तस्वीर जो ख़्वाबों को सजा जाती है
कितने सोये हुए जज़्बात जगा जाती है
आज भी उनकी यादें अकेले में
मुस्कान बन कर लबों को खिला जाती है

जुदा है तो क्या हुआ दूरी तो नहीं
बात भी ना हो ऐसी मजबूरी तो नहीं
नज़र नहीं आते हो आप तो क्या हुआ
इन आँखों में तस्वीर आपकी अधूरी तो नहीं

चेहरे पे अश्कों की लकीर बन गयी
जो न चाहा था वो तकदीर बन गयी
हमने तो चलाई थी रेत पर उँगली
गौर से देखा तो उनकी तस्वीर बन गयी

Sunday, January 24, 2016

उसके साथ रहते रहते, हमें चाहत सी हो गयी
उससे बात करते करते हमें, आदत सी हो गयी
एक पल भी ना मिले तो, ना जाने बेचैनी सी रहती है
दोस्ती निभाते निभाते हमें मोहब्बत सी हो गयी

माना कि भूलना हमारी आदत ही सही
मगर आपको भूल जाना हमारे बस में नहीं
दिल चाहे तो आजमा कर देख लो
हम भूलना भूल जायेंगे पर आपको नहीं

वादा तो कर के निभाना भूल जाते हैं
लगा कर आग सीने में बुझाना भूल जाते हैं
भुलाना तो आदत हो गयी है लोगों की
रुलाते हैं लेकिन मनाना भूल जाते हैं

Friday, January 22, 2016

थके हरे परिंदों को जो देखा तो ख्याल आया
अगर कोई मुन्तजिर होता तो हम भी घर जाते |

दिल में मेरे ख्याल आए तो, बात उनकी जुबान पर आती है,
सब मेरे हाल पर परेशान है,एक वह हैं कि मुस्कुराता है!!..:

इजाज़त अगर हो तो बहक जाउ तेरे होंठो को चूम कर . . .
सुना है शराब और लब-ए-यार में कोई फर्क नहीं होता . . .

Thursday, January 21, 2016

आंसू ही नहीं हासिल-ए-इज़हार-ए-गम-ए-दिल
होंठों से लरजती है तब्बस्सुम की किरण भी
एहसास के अंदाज़ बदल जाते हैं वरना
आँचल भी उसी तार से बनता है कफन भी

अल्लाह कसम मैंने तो सोचा भी नहीं था
वो इतना मेरे दिल को दुखायेंगे किसी रोज़
हर रोज आईने से ये ही पूछता हूँ मैं
क्या रुख पे तब्बस्सुम भी सजायेंगे किसी रोज़

आज फिर दिल में उदासी समायी है
जाने क्यों एक मायूसी सी छायी है
आज फिर पलकों पे पानी ठहरा है
भीड़ में हूँ फिर क्यूं ये तन्हाई है

Wednesday, January 20, 2016

अब इन्तिज़ार एक आदत सी हो गयी है
खामोशी से एक चाहत सी हो गयी है
ना शिकवा ना शिकायत करने की ज़रूरत है
क्योंकि इस तन्हाई से अब मोहब्बत सी हो गयी है

तन्हाई की यह कुछ ऐसी अजब रात है
तुझसे जुडी हुयी हर याद मेरे साथ है
तड़प रहा है तनहा चाँद बिना चांदनी के
इन अंधेरी रात में आज कुछ और बात है

गीले कागज़ की तरह है ज़िन्दगी अपनी
कोई लिखता भी नहीं और कोई जलाता भी नहीं
तन्हाई में इस कदर रहता हूँ आजकल
कोई सताता भी नहीं और कोई मनाता भी नहीं

Saturday, January 16, 2016

कुछ काम नहीं आती दुनिया से शनासाई
अपने ही भुगतते हैं अपनी सभी तन्हाई.

यूं आओ के पाओं की भी आवाज़ ना हो..
शोर हुआ तो मर जायेगी तन्हाई..

बेख़्याली का बड़ा हाथ है रुसवाई में
आप से बात करेंगे कभी तन्हाई में
नक़्श दीवार पे उभरेंगे तो डर जाओगे
ख़्वाब नज़्मी न तराशा करो तन्हाई में

अब नहीं बर्दाश्त कोई खलल मुझे ,
की अब तनहाइयों की आदत हो गई है;
गुलों की नरमी से भी परहेज है मुझको ,

काँटों की चुभन की आदत हो गई है.

Friday, January 15, 2016

ख़ुली जो आँख तो वो था न वो ज़माना था
दहकती आग थी तन्हाई थी फ़साना था

बैठा हूँ मैं तनहाई को सीने से लगा के
इस हाल में जीना तो मुझे रास नहीं था

ना मिली हमें मंजिल और ना ही साथी
हम यूंही राहों पर भटकते रह गए
ना जीत हुई, ना हारी बाज़ी हमने
कभी खुद से, कभी किस्मत से लड़ गए

शम्मा ए तमन्ना जवाँ आज भी है
हर हसरत है लेकिन बेज़ुबां आज भी है
मंजिलों को नहीं नसीब मेरे काफिले, तो क्या
राहों पे मेरे क़दमों के निशाँ आज भी हैं

Wednesday, January 13, 2016

लोग हर मंजिल को मुश्किल समझते है,
हम हर मुश्किल को मंजिल समझते है.
बड़ा फर्क है लोगों और हमारे नज़रिए में,
लोग दिल को दर्द और हम दर्द को दिल समझते है ..

हर सफ़र में ये दुनियादारी शामिल नहीं होती,
हर राह पर खड़ी कोई मंज़िल नहीं होती ॥
लहरों पर कूदो उतर कर समंदरों में,
कोई कश्ती ख़ुद कभी किसी का साहिल नहीं होती ॥

हर दिल तुम्हे मनाने वाला हो
हर दोस्त दोस्ती निभाने वाला हो
तुम्हारी आँखो से आँसू जब भी गिरे
उन्हे उठाए सिर्फ वही जो तेरा सच्चा चाहने वाला हो ।

Tuesday, January 12, 2016

गम के सागर में कभी डूब ना जाना
कभी मंजिल ना मिले तो टूट ना जाना
ज़िन्दगी में अगर महसूस हो कमी दोस्त की
अभी मैं ज़िंदा हूँ, यह भूल ना जाना

आँखों में बसने वाला प्यारा सा इशारा हो….
अँधेरी रात में चमकता सितारा हो ….
छू भी नहीं सकती उदासी कभी उसको ….
जिसका कोई दोस्त इतना प्यारा हो ....

दोस्त वोही है जो आपको अपना मान सके
आपके हर गम को बिन कहे जान सके
आप चल रहे हो तेज़ बारिश में
फिर भी पानी में आपके आंसू पहचान सके

Monday, January 11, 2016

क्या क्या रोग लगे हैं दिल को क्या क्या उनके भेद
हम सबको समझाने वाले, कौन हमें समझाए
एक इसी उम्मीद पे हैं सब दुश्मन दोस्त क़ुबूल
क्या जाने इस सादा-रवीं में कौन कहाँ मिल जाएँ
(सादा-रवीं ............धीमी चाल )

वक्त की हथेली पर कुछ नाम लिखे थे
कुछ बापर्दा, कुछ सरे-आम लिखे थे
वक्त के चंगुल से मुझे वो दिन निकालने हैं
जिनमे मेरे दोस्त के पैगाम लिखे थे

हम तो अज़ीज़ों के लिए जीते रहे हैं ज़िन्दगी
उसको भी बहुत अच्छी लगी मेरी दोस्ती
फिर जाने क्या हुआ कि दोस्त गैर हो गया
हमने बालायेताख पर तब रख दी दोस्ती

Sunday, January 10, 2016

कभी तो दिया करों दोस्ती का अहसास,
जो कहते फिरते मुझको अपना हमदम,
संजीदगी से भरे लफ्ज़, काँधें पे रखे हाथ,
वर्ना क्यों भरते हो बेफिजूल दोस्ती का दम

पत्थर की लकीरों में तकदीर नहीं होती .
प्यार में मरने वाली जोड़ी "राँझा-हीर" नहीं होती.
लोग क्यों मरते है प्यार पाने के लिए.....
जबकि
मरने के बाद तो मिलने की भी उम्मीद नहीं होती....

फूल की तरह हँसते रहो तो हम खुश है.
दिल खोलकर जीते रहो तो हम खुश है,
ये नहीं कहते की रोज मिलो,
बस किसी दिन याद कर लिया करो तो हम खुश है....

Saturday, January 9, 2016

एक पल मे खुशिओं का समा देखा
दुजे पल गम का गुलिस्तान देखा
फिर हमने हर पल बदलता ये जहाँ देखा
और हमने हर टूटे दिल पे एक जख्म का निशान देखा

जब भी उनकी गली से गुज़रता हूँ,
मेरी आंखें एक दस्तक दे देती है,
दुःख ये नहीं, वो दरवाजा बंद कर देते है,
खुशी ये है, वो मुझे अब भी पहचान लेते हैं।

वो दर्द ही क्या जो आँखों से बह जाए!
वो खुशी ही क्या जो होठों पर रह जाए!
कभी तो समझो मेरी खामोशी को!
वो बात ही क्या जो लफ्ज़ आसानी से कह जायें!

Friday, January 8, 2016

तुझे भूलकर भी न भूल पायेगें हम!
बस यही एक वादा निभा पायेगें हम!
मिटा देंगे खुद को भी जहाँ से लेकिन!
तेरा नाम दिल से न मिटा पायेगें हम!



Thursday, January 7, 2016

इस दो पल की ज़िन्दगी मे तन्हाई क्यो है?, 
लोगो को हमसे रसवाई क्यो है?
इस दुनियाँ मे इंसान कम तो नही,
फिर मेरे साथ सिर्फ मेरी परछाई क्यो है?


अपनी कसम देकर उसने हमे मजबूर कर दिया
मुझे खुश रखने के लिये खुद से दुर कर दिया,
हमारी चाहत को कभी उसने समझा ही नही
और हम थे की उनके लिये अपनो को ही छोड दिया|


न हम उनसे मिलते न प्यार होता! 
ज़िन्दगी जो अपनी थी वो परायी न होती!
तरसते थे जो मिलने को हमसे कभी! 
आज वो क्यों मेरे साए से कतराते हैं!

Wednesday, January 6, 2016

महक कम न हो कभी दोस्ती में! 
प्यार ऐसा हो जो मिलने को मजबूर करे!
काश यह जालिम जुदाई न होती! 
ऐ खुदा तूने यह चीज़ बनायीं न होती!

दिल के टूटने से नही होती है आवाज़,
आंसू के बहने का नही होता है अंदाज़
गम का कभी भी हो सकता है आगाज़,
और दर्द के होने का तो बस होता है एहसास|

जब तन्हाई मैं आप की याद आती हैं! 
होंठो पर एक दुआ आती हैं! 
खुदा आप को दे हर ख़ुशी! 
क्योंकि आज भी हमारी हर ख़ुशी आपके बाद आती हैं!

Tuesday, January 5, 2016

वक़्त नूर को बेनूर बना देता है! 
छोटे से जख्म को नासूर बना देता है! 
कौन चाहता है अपनों से दूर रहना 
पर वक़्त सबको मजबूर बना देता है!

वफ़ा के नाम से वोह अनजान थे! 
किसी की बेवफाई से शायद परेशान थे!
हमने वफ़ा देनी चाही तो पता चला! 
हम खुद बेवफा के नाम से बदनाम थे!

हर शाम कह जाती है एक कहानी ! 
हर सुबह ले आती है एक नई कहानी !
रास्ते तो बदलते है हर दिन लेकिन ! 
मंजिल रह जाती है वही पुरानी !

Monday, January 4, 2016

किसी दर्द को दिल से गुजरने नहीं देती ..
मुहब्बत अब मुझे बिखरने नहीं देती ..
यादों ने जिस की जीना मुश्किल कर दिया ..
फिकर उसी की मुझे मरने नहीं देती ..-

जिंदगी की किताब के कुछ पन्ने होते है!
कुछ अपने और कुछ बेगाने होते हैं!
प्यार से संवर जाती है जिंदगी!

बस प्यार से रिश्ते निभाने होते है !