Saturday, May 30, 2015

ज़िन्दगी उदास होने का नाम नहीं ,
दोस्ती सिर्फ पास होने का नाम नहीं ,
अगर तुम दूर रहकर भी हमहें याद करो ,
इस से बड़ा हमारे लिए कोई इनाम नहीं .



Friday, May 29, 2015

जान कर भी तुम मुझे जान न पाए,
आज तक तुम मुझे पहचान न पाए,
खुद ही की है बेवफाई हम ने,
ताकी तुझ पे कोई इलज़ाम न आये



हमें इज़हार करना न आया,
उन्हें प्यार करना न आया,
हम बस देखते ही रह गए,
और वक़्त को थामना न आया ,
वोह चलते चलते इतने दूर चले गए,
हमें रोकना भी न आया,
हमने उनका नाम लिया फिर भी,
शायद उन्हें सुनना न आया|



प्यार ने ये कैसा तोहफा दे दिया ,
मुझको गुमो ने पत्थर बना दिया,
तेरी यादों मैं ही कट गयी ये उम्र ,
कहता रहा तुझे कब का भुला दिया

Thursday, May 28, 2015

खो न जायें आप दुनिया की भीड़ में ,
इसलिए दिल में छुपाकर रखता हूँ ,
तुमको लगे न किसी की बुरी नज़र ,
इसलिए आँखों में बसाकर रखता हूँ |

अपने दिल से ये प्यार कम न करना,
हमने चाहा तुम्हे, हमने पूजा तुम्हे ,
और तुमने चाह से न कभी देखा हमे ,
तुम अपने थे फिर भी बेगाने रहे ,
हम बेगाने थे फिर भी तुम्हारे रहे|



चाहेंगें उम्र भर हम सुबह शाम तुमको ,
हमने बना लिया है दिल का अरमान तुमको ,
मेरे सिवा किसी पर नज़रें करम न करना ,
सितम कोई करना बस ये सितम न करना |

Wednesday, May 27, 2015

देखा है जबसे तुमको, मेरा दिल नहीं है बस में ,
जी चाहे आज तोड़ दूँ दुनिया की सारी रस्में,
तेरा हाथ चाहता हूँ, तेरा साथ चाहता हूँ ,
बाहों में तेरी रहना मैं दिन रात चाहता हूँ |



अजनबी दोस्ती……
दर्द में कुछ कमी-सी लगती है,
जिन्दगी अजनबी-सी लगती है,

एतबारे वफ़ा अरे तौबा
दुश्मनी दोस्ती-सी लगती है,

मेरी दीवानगी कोई देखे
धुप भी चांदनी-सी लगती है ,

सोंचता हूँ की मैं किधर जाऊँ
हर तरफ रौशनी-सी लगती है,

आज की जिन्दगी अरे तौबा
मीर की सायरी सी लगती है ,

शाम-ऐ-हस्ती की लौ बहुत कम है,
ये सहर आखरी-सी लगती है ,

जाने क्या बात हो गयी यारों
हर नजर अजनबी-सी लगती है,
दोस्ती अजनबी-सी लगती है…….…

दूर हमसे जा पाओगे कैसे,
हमको भूल पाओगे कैसे,
हम वो खुशबु हैं जो साँसों में उतर जाये,
खुद अपनी साँसों को रोक पाओगे कैसे|

ये खुदा आज ये फैसला करदे,
उसे मेरा या मुझे उसका करदे,
बहुत दुःख सहे हैं मैंने ,
कोई खुशी अब तो मुक़दर करदे,
बहुत मुश्किल लगता है उस से दूर रहना,
जुदाई के सफ़र को कम करदे,
जितना दूर चले गए वोह मुझसे,
उसे उतना करीब करदे,
नहीं लिखा अगर नसीब में उसका नाम,
तो खत्म कर ये ज़िन्दगी और मुझे फना करदे|

Tuesday, May 26, 2015

जान है मुझको ज़िन्दगी से प्यारी ,
जान के लिए कर दूं कुर्बान यारी ,
जान के लिए तोड़ दूं दोस्ती तुम्हारी ,
अब तुमसे क्या छुपाना ,
तुम ही तो हो जान हमारी !




दोस्त एक साहिल है तुफानो के लिए ,
दोस्त एक आइना है अरमानो के लिए ,
दोस्त एक महफ़िल है अंजानो के लिए ,
दोस्ती एक ख्वाहिश है आप जैसे दोस्त को पाने के लिए !!



कहते है हम क्या कहते है हम क्या कहते है हम बस कहते है हम ..
कह दो तुम , ये कहते है हम
कहना है क्या , ये कहते है हम
कह दिया आज जो कहना था अब
कह न ही था सो कहते है हम
तुम बिना हम , युही सहते है सब
कैसे बताऊँ तुझे कैसे रहते है हम



Monday, May 25, 2015

आँखों की आवाज़ कुछ और होती है,
आंसू की आग कुछ और होती है
कौन चाहता है बिछड़ना अपनों से ,
पर किस्मत की बात कुछ और होती है |

वो बेवफा मेरा इम्तिहान क्या लेगी
मिलेगी नज़र तो नज़र झुका लेगी
मेरी कबर पर उसे दिया मत जलने देना यारों
वो नादान है अपना हाथ जला लेगी|

ज़िन्दगी के हर वोह हसीन पल बीत जातें है…..
मगर रह जाती है, तो सिर्फ यादें
ज़िन्दगी बीत जाती है उन यादों को याद करके
लेकिन दुःख भी घिर जाते है ये सोचकर की
वो ज़िन्दगी के पल फिर दुबारा वापस नहीं आएंगे ….. 



मेरी ज़िन्दगी मुझे यह बता,
मुझे भूल कर तुझे क्या मिला,
मेरी हसरतों का हिसाब दे,
दिल तोड़ कर तुझे क्या मिला,
तेरे चार दिन के प्यार से,
मुझे उम्र भर का ग़म मिला,
मैं टूट कर बिखर गया,
मेरी ज़िन्दगी मुझे यह बता,
मुझे भूल कर तुझे क्या मिला|

Thursday, May 21, 2015

ऐसा होता नहीं की आपकी हमे याद न आये,
बात सिर्फ इतनी है की हम कभी जता न पाए,
प्यार तुम्हारा हमारे लिए अनमोल है सनम,
मौका दिया नहीं तुमने और हम दिखा न पाए|

तेरी मुश्किल न बताऊंगा, चला जाऊंगा,
अश्क आँखों में छुपाऊंगा, चला जाऊंगा,
मुद्दतों बाद मैं आया हूँ पुराने घर में
खुद को जी भर के रुलाऊंगा, चला जाऊंगा|
उन मौहलत से कुछ भी नहीं लेना मुझ को,
बस तुम्हें देखूंगा, चला जाऊंगा,
चन्द बातें मुझे बच्चों की तरह प्यारी हैं,
उनको सीने से लगाऊंगा, चला जाऊंगा,
अपनी देहलीज़ पे कुछ देर पड़ा रहने दो
अश्क आँखों में चुपाऊंगा, चला जाऊंगा|

होते हैं दोस्त अपने से, देखा है हमने
दो जिस्म एक जान से, सुना है हमने
क्या कहें अगर वोह ही न चाहें,
हमें अपना बनाना, जो चाह था हमने|
करते है हम उनकी ख़ुशी की दुआ रब काबुल करे
हमारी ज़िन्दगी में कांटे और उनकी ज़िन्दगी में फूल भरे|

उसके चेहरे में कुछ न कुछ जरूर था,
बिन पिए मैं नशे में चूर था,
उसका चेहरा भी कमल का एक फूल था,
जिसकी खुशबु से महका मेरा नसीब था|

Monday, May 18, 2015

कसूर ना उनका हैं ना मेरा !
हम दोनों ही रिश्तों की रस्में निभाते रहे !!
वो दोस्ती का एहसास जताते रहे !
हम मोहब्बत को दिल में छुपाते रहे !!

कुदरत के करिश्मों में अगर रात न होती !
ख्वाबों में भी उन से मुलाकात न होती !!
ये दिल हर एक गम की वजह हैं !
ये दिल ही न होता तो कोई बात न होती !!

Sunday, May 17, 2015

तेरे बिना जिन्दगी हम जिया नहीं करते! 
धोखा किसी को हम दिया नहीं करते!
जाने कैसे तुमसे दोस्ती हो गई! 
वरना दोस्ती हम किसी से किया नहीं करते!


एक लम्हें में तुम ने जिन्दगी सवार दी
एक लम्हें में तुमने जिन्दगी उजार दी,
कसूर तुम्हारा नही मेरा था
जो इन दो लम्हों में हमने जिन्दगी गुजार दी!

मेरे दिल की है यही आरजू मुझे तू ही बस मिला करे
यूही चाहे मुझको तामम उम्र, ना शिकायते गिला करे

मेरी चाहतें मेरी ख्वाहिशें मेरी ज़िंदगी है तेरे लिए
मेरी रब से येही दुआ है बस .तुझे कोई न मुझ से जुदा करे

मेरे ख्वाब मेरे ये रत जगे मेरी नींद भी है तेरे लिए
मेरी ज़िंदगी जो बची है अब तेरे नाम इस को खुदा करे

मुझे ज़िंदगी से गिला नही, मुजे तुझ से बस येही आस है
मैं भी चाहूँ तुझ को सदा यूही तू वफ़ा करे या जफा करे

ये वह फासले हैं मेरे सनम जिन्हे कोई भी ना मिटा सका
ये तो फैसले है नसीब के इन्हे कैसे कोई मिटा करे

मेरी ज़िंदगी मे खिजां है बस, ना बाहर कभी आ सकी
येही अश्क मेरा नसीब हैं कोई गुल खुशी का खिला करे|

चराग अपने थकान की कोई सफ़ाई न दे
वो तीरगी है के अब ख्वाब तक दिखाई ना दे

बहुत सताते हैं रिश्ते जो टूट जाते हैं
खुदा किसी को भी तौफीके -आशनाई ना दे

मैं सारी उम्र अंधेरों में काट सकता हूँ
मेरे दीयों को मगर रौशनी पराई ना दे

अगर यही तेरी दुनिया का हाल है मालिक
तो मेरी क़ैद भली है मुझे रिहाई ना दे

Thursday, May 14, 2015

किन राहों से दूर है मंजिल कौन सा रास्ता आसान है
हम जब थक कर रुक जायेंगे औरों को समझायेंगे

अच्छी सूरत वाले सारे पत्थर -दिल हो मुमकिन है
हम तो उस दिन रो देंगे जिस दिन धोखा खाएँगे

तनहा हम रो लेंगे महफ़िल महफ़िल गायेंगे
जब तक आंसू पास रहेंगे तब तक गीत सुनायेंगे

तुम जो सोचो वो तुम जानो हम तो अपनी कहते हैं
देर न करना घर जाने में वरना घर खो जायेंगे

मोहब्बत नहीं है कोई किताबों की बाते! 
समझोगे जब रो कर कुछ काटोगे रातें!
जो चोरी हो गया तो पता चला दिल था हमारा! 
करते थे हम भी कभी किताबों की बाते!

बेनाम सा ये दर्द , ठहर क्यों नही जाता
जो बीत गया है , वह गुज़र क्यों नही जाता

सब कुछ तो है , क्या ढूँढती रहती है निगाहें
क्या बात है , मैं वक्त पे घर क्यों नही जाता

वह इक ही चेहरा तो नही सारे जहाँ में
जो दूर है वह दिल से उतर क्यों नही जाता

मैं अपनी ही उलझी हुई राहों का तमाशा
जाते हैं जिधर सब में उधर क्यों नही जाता

वह नाम जो न जाने कब से , ना चेहरा ना बदन है
वह खवाब अगर है तो बिखर क्यो नही जाता

Wednesday, May 13, 2015

दूर है आपसे तो कुछ गम नहीं! 
दूर रह कर भूलने वाले हम नहीं!
रोज़ मुलाक़ात न हो तो क्या हुआ! 
आपकी याद आपकी मुलाक़ात से कम नहीं!

कहती है दुनिया जिसे प्यार, नशा है , खताह है! 
हमने भी किया है प्यार , इसलिए हमे भी पता है!
मिलती है थोड़ी खुशियाँ ज्यादा गम! 
पर इसमें ठोकर खाने का भी कुछ अलग ही मज़ा है!

ख़ुद को मेरा दोस्त बनाने की जरूरत क्या है ,
दोस्त बनके दगा देने की जरूरत क्या है ,
अगर कहा होता तो हम ख़ुद ही चले जाते ,
यू आपको चेहरा छुपाने की जरूरत क्या है ,
सोचा था रहेंगे एक घर बनाके बड़े सुकून से ,
न मिल सका सुकून तो महलों की जरूरत क्या है ,
है कौन मेरा जो बहाता मेरी मजार पर अश्क ,
मुश्कुराते रहना तुम मुझे तेरे अश्को की जरूरत क्या है ,
मैं तो जान भी दे सकता था तुझपे ऐ दोस्त ,
पर इस तरह मुझे आजमाने की जरुरत क्या है ,
दबा हूँ मिटटी में इस कदर की बड़ा दर्द है ,
मुझ पर फूल डाल कर और दबाने की जरुरत क्या है ,
मुझ से कर के दोस्ती अगर पूरा हो गया हो शौक ,
तो किसी और के जज्बातों से खेलने की जरुरत क्या है .

Tuesday, May 12, 2015

दर्द से हाथ ना मिलाते तो और क्या करते,
गम के आंसू ना बहाते तो और क्या करते,
उसने मांगी थी हमसे रोशनी की दुआ,
हम खुद को ना जलाते तो और क्या करते|

देखते है दुनिया की आँखों से आशिकों की येही आदत ख़राब है
दिल की आँखों से देखे गर कोई हर हसीं को समझना आसन है

आप गैरों की बात करते हैं ,
हमने अपनों को आजमाया है !
लोग काटों से बचकर चलते हैं ,
हमने फूलों से जख्म खाया है !!….

क्या बताये वो ज़िन्दगी के गम
किसी का दोश है कहाँ
जख्म हम खुद ही खाते है
खडे है आज उस मुकाम पे हम 
जहाँ जाने वाले कभी लौट के ना आते है,

Monday, May 11, 2015

कई बार रातों में उठकर दूध गरम कर लाती होगी
मुझे खिलाने की चिंता में खुद भूखी रह जाती होगी
मेरी तकलीफों में अम्मा, सारी रात जागती होगी !
बरसों मन्नत मांग गरीबों को, भोजन करवाती होंगी !

सुबह सबेरे बड़े जतन से वे मुझको नहलाती होंगी
नज़र न लग जाए, बेटे को काला तिलक, लगाती होंगी
चूड़ी ,कंगन और सहेली, उनको कहाँ लुभाती होंगी ?
बड़ी बड़ी आँखों की पलके,मुझको ही सहलाती होंगी !

सबसे सुंदर चेहरे वाली, घर में रौनक लाती होगी
अन्नपूर्णा अपने घर की ! सबको भोग लगाती होंगी
दूध मलीदा खिला के मुझको,स्वयं तृप्त हो जाती होंगी !
गोरे चेहरे वाली अम्मा ! रोज न्योछावर होती होंगी !

रात रात भर सो गीले में ,मुझको गले लगाती होगी
अपनी अंतिम बीमारी में ,मुझको लेकर चिंतित होंगीं
बच्चा कैसे जी पायेगा ,वे निश्चित ही रोई होंगी !
सबको प्यार बांटने वाली,अपना कष्ट छिपाती होंगी !

अपनी बीमारी में, चिंता सिर्फ लाडले ,की ही होगी !
गहन कष्ट में भी, वे ऑंखें मेरे कारण चिंतित होंगी !
अपने अंत समय में अम्मा ,मुझको गले लगाये होंगी !
मेरे नन्हें हाथ पकड़ कर ,फफक फफक कर रोई होंगी !

माँ!
तुम्हारे सज़ल आँचल ने
धूप से हमको बचाया है।
चाँदनी का घर बनाया है।

तुम अमृत की धार प्यासों को
ज्योति-रेखा सूरदासों को
संधि को आशीष की कविता
अस्मिता, मन के समासों को

माँ!
तुम्हारे तरल दृगजल ने
तीर्थ-जल का मान पाया है
सो गए मन को जगाया है।

तुम थके मन को अथक लोरी
प्यार से मनुहार की चोरी
नित्य ढुलकाती रहीं हम पर
दूध की दो गागरें कोरी

माँ!
तुम्हारे प्रीति के पल ने
आँसुओं को भी हँसाया है
बोलना मन को सिखाया है।

माँ नहीं होती है जब तब वैसे तो कुछ नहीं होता
पिताजी ऑफिस जाते है दादी माला फेरती है
मनु कॉलेज जाता है...सब कुछ होता है
पर जैसै फीका-फीका-सा लगता है
बिना शक्कर की चाय जैसा।

माँ नहीं होती है जब कोई डाँटता नहीं है,
मनु रात को जब देर से लौटता है
तब अधीर होकर बार-बार
खिडकी से कोई झाँकता नहीं है,
घड़ी की सुईयाँ बरछी-तलवार जैसी नहीं हो जातीं,
किसी की व्याकुल आँखो से अभी गिरा कि अभी गिरेगा
ऐसे अदृश्य आँसुओं की माला नहीं झूलती,

गले में अटके हुए रोने की आड़ में डाँट को पीकर
कोइ मनु से पूछता नहीं है "थक गया होगा, बेटा,
थाली परोस दूँ क्या ?"

माँ नहीं होती है जब सुबह वैसे ही होती है
पर पूजाघर मैं बैठी दादी को दिये की बाती नहीं मिलती,
भगवान को बूँदी के लड्डू का प्रसाद नहीं मिलता,
पिताजी को गंजी, बटुआ, चाबी नहीं मिलते,
रसोईघर में से छोंक लगाने की ख़ुशबू तो आती है
पर उस में जली हुई सब्ज़ी की गंध घुल-मिल जाती है,

पंछियों के लिए रखा पानी सूख जाता है
पंछी बिना दाने के उड़ जाते हैं 
और तुलसी के पौधे सूख जाते है...

माँ नहीं होती है जब तब वैसे तो कुछ नहीं होता,
यानी कुछ भी नहीं होता है।

किसको चिन्ता किस हालत में कैसी है अब माँ
सूनी आँखों में पलती हैं धुंधली आशाएँ
हावी होती गईं फ़र्ज़ पर नित्य व्यस्तताएँ
जैसे खालीपन काग़ज़ का वैसी है अब माँ

नाप-नापकर अंगुल-अंगुल जिनको बड़ा किया
डूब गए वे सुविधाओं में सब कुछ छोड़ दिया
ओढ़े-पहने बस सन्नाटा ऐसी है अब माँ

फ़र्ज़ निभाती रही उम्र-भर बस पीड़ा भोगी
हाथ-पैर जब शिथिल हुए तो हुई अनुपयोगी
धूल चढ़ी सरकारी फाइल जैसी है अब माँ

Saturday, May 9, 2015

करोगे फरियाद गुजरे ज़माने को 
तरसोगे हम साथ एक पल बिठाने को,फिर आवाज़ दोगे हमें आने को 
हम कहेगे दरवाजा नहीं है कब्र से बाहर आने को,

तुम्हारे साथ जीने की तमन्ना रह गई बाकी 
क्या हुआ जो इस बार झोली रह गई खाली,
माँग लेंगे खुदा से हर जन्म के लिए 
फिर ना रहेगी कोई ख़्वाहिश बाकी

खो गयी है मेरे महबूब के चेहरे की चमक
चाँद निकले तो जरा उसकी तलाशी लेना । 
ऐ सितारोँ तुम्हेँ कलियोँ के तबस्सुम की कसम
ओस की बूँद पे सूरज की गवाही लेना ।

Friday, May 8, 2015

ये फूल मुझे कोई विरासत में मिले हैं
तुमने मेरा काँटों भरा बिस्तर नहीं देखा
पत्थर मुझे कहता है मेरा चाहने वाला
मैं मोम हूँ उसने मुझे छूकर नहीं देखा

मेरी प्रतीमान आंसू में भिगोकर गढ़ लिया होता
अकींचन पांव तब आगे तुम्हारा बढ़ लिया होता
मेरी आँखों में भी अंकीत समर्पण की ऋचाएं थी
उन्हें कुछ अर्थ मील जाता जो तुमने पढ़ लिया होता

मैं शाह राह नहीं, रास्ते का पत्थर हूँ
यहाँ सवार भी पैदल उतर कर चलते हैं
उन्हें कभी न बताना मैं उनकी आँखें हूँ
वो लोग फूल समझकर मुझे मसलते हैं


अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया
जिसको गले लगा लिया वो दूर हो गया

कागज में दब के मर गए कीड़े किताब के
दीवाना बे पढ़े-लिखे मशहूर हो गया

महलों में हमने कितने सितारे सजा दिये
लेकिन ज़मीं से चाँद बहुत दूर हो गया

तन्हाइयों ने तोड़ दी हम दोनों की अना
आईना बात करने पे मज़बूर हो गया

Saturday, May 2, 2015

मैंने दरिया से सीखी है, पानी की परदादारी
ऊपर-ऊपर हँसते रहना, गहराई में रो लेना

रोते क्यों हो, दिलवालों की तो क़िस्मत ऐसी होती है
सारी रात युँही जागोगे, दिन निकले तो सो लेना