Thursday, March 30, 2017

सांसों मैं बसा कर रखना
दिल के पिंजरे मैं पाल कर रखना
टूटे दिल को सकूं देंगी ये यादें
इन यादों को सदा सम्हाल कर रखना

खुदा ने कहा दोस्ती न कर
दोस्ती में तू कही खो जाएगा,
मेने कहा हे खुदा तू आकेेे दोस्त से मिल


तू भी उस पर फ़िदा हो जाएगा

Wednesday, March 29, 2017

वो हमारा इमतिहान क्या लेगी
मिलेगी नजरों से नजर तो नजर झुका लेगी
उसे मेरी कब्र पर दिया जलाने को मत कहना
वो नादान है दोस्तो अपना हाथ जला लेगी।

लाख दलदल हो पाँव जमाए रखिए हाँथ खाली ही सही ऊपर उठाये रखिए कौन कहता है छलनी मे पानी नही रुकता बर्फ ज़माने तक हौसला बनाए रखिए

खुद अपने पावों की हिम्मत को तू बल दे
उठा अपने कदम और आगे को चल दे
कहाँ पूछता फिर रहा तू अपना ज्योतिष
ग्रहों का जो डर है तो ग्रहो को बदल दे!

मिला न कोई हमसफ़र ऐसा, बेलगाम ज़िन्दगी को मेरी थाम ले.. सफर पर निकल पडूं बेफिक्र ,और वो मेरी बांह थाम ले...

Thursday, March 23, 2017

तुम इतने समाए हो मुझमें
कि ना जाने, कहाँ तक मैं
और कहाँ तक तुम...!
मेरी हर सोच पर, पहरा
तुम्हारी आत्मीय बाँहों का..
तुम जो, लग जाते हो गले...
तो मन हो जाता है मगन..
और लग जाती है अगन
तुम छाए हो, मुझ पर
इस कदर कि मैं....
ढूंढता हूँ खुद को तुम मैं...

रात अभी तन्हाई की पहली दहलीज़ पे है
और मेरी जानिब अपने हाथ बढ़ाती है
सोच रहा हूँ इनको थामूँ
ज़ीना-ज़ीना सन्नाटों के तहखानों में उतरूँ
या अपने कमरों में ठहरूँ
चाँद मिरी खिड़की पे दस्तक देता है

अब जब नहीं हो तुम मेरे पास..
यूँ ही बीत जातें हैं ये दिन,
बरसों हो गए, रूकती नहीं है,
कभी ये काली स्याह रात ...


Saturday, March 18, 2017

अब उसने भी रास्ता पा लिया है
और अब मंजिल उसे मिल ही जायेगी
क्योंकि जो सड़क मंजिल तक ले जायेगी;

वही तो 'रास्ता' कहलायेगी.

तुम्हारी तस्वीर देखता रहता हूँ,
जब भी याद तुम्हारी आती हैं,
देखता हूँ तुम्हे मुस्कुराते हुए,
मेरे चेहरे पर भी मुस्कराहट छाती हैं।!


नए मौसम की खुशबु से चुरा कर आँख पल दो पल..
गए मौसम की बातें सोचता रहता हूँ बारिश में..

Friday, March 10, 2017

सबने कहा चाँद पर दाग हैं मैं नही माना
इक तन्हा रात को मैं उससे पूछ बैठा की
"ऐ चाँद क्या तुझ पर दाग हैं"

वो बोला ये दाग नही माँ का टिका हैं
जो मुझेदुनिया की नज़र से बचाता हैं ,,,
इंसान ईस बात को समझना नही चाहता
उसे तो कमी निकालने की लत पड़ गयी हैं

मैं चुपचाप बैठा उसकी बाते सुन रहा था ,,
वो बोला क्या हुआ तुम इतने चुप क्यूँ हो गए
नज़रे झुकाकर मैं बोला "मैं भी इक इंसान हूँ"

खाली है जिनका दामन वो हिसाब क्या देंगे
सब सवाल ही गलत हैं फिर जवाब क्या देंगे
हर तरफ़ हर जगह हर इक शरीक-ए-जुर्म है
जो ख़ुद हैं बेपरदा तुम्हे नक़ाब क्या देंगे
ख़ुद झूमते गिरते हुए जाते हैं महफ़िल से
साक़ी ही हों नशे में तो शराब क्या देंगे
जो आँख ही मिला नहीं पाते ज़माने से
पढ़ने को तुम्हे दिल की किताब क्या देंगे
दिल में रहते हैं मगर आँख से परदा करें
ऐसे शख़्स किसी को हंसीं ख़्वाब क्या देंगे

मुझसे भी रकीबों की तरह बात ना करो
मेरी ही बाज़ी में मुझे तुम मात ना करो
इक बार तो कह दो मुझे तुम अपना हालेदिल
मुझे क़त्ल इन्तेज़ार में दिन रात ना करो
ये खुल के शरमाना भी भला कैसी अदा है
ज़ुल्मोसितम पर ही गुज़र-औकात ना करो
आँखों में तेरा अक्स है ख़वाबों में तेरा रू
दिन को भी सितम और सितम रात ना करो
हमको जो मिला है वो तुम्ही से तो मिला है
अब तुम ही हमें भूलने की बात ना करो
हम कुछ नहीं कहते तो फिर ऐसा तो नहीं है
तुम भी कभी हम से कोई भी बात ना करो
मजबूर हैं हम और मोहब्बत भी बहुत है
अब और बुरे तुम मेरे हालात ना करो

Wednesday, March 8, 2017

कोशिश की बहुत की काम मैं डूब जाऊ,
किसी तरह से इस दिल को बहलाऊँ,
ये भी मेरा साथ नही देता हैं,
हर पर तुम्हे ही याद करता हैं,
बहलाने के लिए इसको ,
मेरी हर तरकीब बेकार हो जाती हैं
देखता हूँ तुम्हे मुस्कुराते हुए,
मेरे चेहरे पर भी मुस्कराहट छाती हैं।!
तुम्हारी तस्वीर देखता रहता हूँ,
जब भी याद तुम्हारी आती हैं,

जब याद तुम्हारी आती हैं,
सोच रहा था कैसे काटेंगे,
जब तुम दूर मुझेसे जाओगी,
आवाज तलक सुनने को तरस जाऊंगा,
नजर दूर तलक नही आओगी,
तुम्हारी बातें सोचता रहता हूँ,
जब नीद नही आती हैं,
देखता हूँ तुम्हे मुस्कुराते हुए,
मेरे चेहरे पर भी मुस्कराहट छाती हैं।!

Tuesday, March 7, 2017

मै उसकी हर बात को किस तरह न मानूं,
वह कुछ भी बोले वो सच लगता है ।

Saturday, March 4, 2017

मेरी ज़िन्दगी में भीड़ बहुत थी लोग बहुत थे

भीड़ बहुत थी दूर तलक चादर थी धूप की
न शज़र न दरख़्त दूर तक कोई साया न था
जिसकी ख़्वाहिश थी मुझे एक वही न था
साँस जैसे हलक़ से नीचे उतरती न थी
दिल जैसे धड़कता न था
सूखी हुई आँखों में रेत का दरया था
तस्वीरें बनाता था मैं आँधियाँ जिनको मिटाती थी
था जिनसे मैं वाबस्ता मगर वो मुझसे न थीं
मेरी ज़िन्दगी में भीड़ बहुत थी लोग बहुत थे

दिल ये सोचता है किसी पल होगा
वो बेवफ़ा भी मेरे लिये बेकल होगा
ग़र मेरी आँखों में बरसातें हैं
उसके दिल में भी कोई बादल होगा
हमने सोचा था इश्क़ एक बार है
किसे खबर थी ये ग़म मुसलसल होगा
आज तो हमने रोक ली है क़ज़ा
अब जो भी होगा वो कल होगा
हवा छू गई जो मेरे चेहरे को
सोचता हूँ उसका आँचल होगा
इश्क़ में जलनेवाले से कह दो
अब वो फ़ना पल पल होगा
इश्क़ कर लो फ़िर मज़े देखो
लब्ज़ हर इक अब ग़ज़ल होगा

Friday, March 3, 2017

मैं बिखर गया हूँ समेट लो, मैं बिगड़ गया हूँ संवार दो,
तुम को कैसी लगी शाम मेरी ख्वाहिशों के दीदार की।
जो भली लगे तो इनको चाहत से अपने निखार दो,
वहां घर में कोन है मुन्तजिर के फिकर हो देर सवेर की।
बड़ी मुह्तासिर सी ये रात है इसे चांदनी में गुजार दो।
मैं बहोत दिनों से उदास हूँ मुझे एक शाम उधार दो।