Tuesday, October 31, 2023

बेबसी को दर्द की स्याही में रखकर देखना
बन के निखरोगे कभी यूँ तुम भी शायर देखना।।

रफ्ता_रफ्ता क्यूँ पिघलती है शमा हर रोज़ यूँ
हो सके इक शब को तुम शम्मा सा जलकर देखना।।

देखना मत देखना तुम चोर नज़रों से कभी
हो सके तो इक दफ़ा तुम दिल लगाकर देखना।।

इस जहाँ से उस जहाँ तक हम दीवाने हैं तेरे
हमसा कोई दूसरा मिल जाए जा कर देखना ।।

रोकना मत चाहतों को दिल पे किसका ज़ोर है
हो सके तो इश्क़ के दरिया में बहकर देखना ।।

" सुनिल " छाँव में कितना है सुकूँ भी देख लो
मेरे शानो पर कभी तुम सर झुका कर देखना।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 27, 2023

न छेड़ो ख्यालों की कलियाँ प्रिये,
वीथियाँ स्मृति की पुलक जाएंगी।

गीत मेरे सुमन की भरी डालियां,
जो छेड़ोगी खुश्बू महक जाएगी।।

उम्र अनुभूति की मात्र पल छिन सही,
जिंदगी जिंदगी बन सँवरती रही।

उम्र जो भी लिखे अब कथा प्यार की,
भूल कर हर व्यथा वो गुजर जाएगी।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 25, 2023

जीवन का माधुर्य रचा है 
सुगंध भरा है उपवन में
ये किसकी आहट ये किसका कलरव 
जो आन बसा है निजमन में

अनुभव हो रहा हर साँस में 
हृदय के हर स्पंदन में
नीरत-विरक्त मेरे भावों में 
कौन हंसा चिर क्रन्दन में

क्या प्रतिफल है ये असंख्य आहों का 
जो चमका है,मेघ प्रभंजन में
सूनी राहों पर साथ मिला है 
कुछ जुड़ा है दीर्घ विखंडन में

सोचा था वर्षों मैं जिसको 
जो रहे थे मेरे हर प्रण में
प्रकट हुआ है आज मुखरित हो 
समर्पित होके समर्पण में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 23, 2023

मैं गीत तेरा,तू मेरी गजल
आ,सुर सरगम में खो जाये।

अधरों से अधरों पर लिख कर
एक काव्य समर्पण हो जाये।।

यह रात विरह की रात नहीं
यह प्रिय-मिलन मधुयामिनी है।

संयम परिभाषा रहने दो
भुजपाश में मेरे दामिनी है।।

एक सूर्य-अनल,एक शीतल जल
अंगार में छन-छन हो जाये।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 21, 2023

बड़ा उदास बैठा था गुम सुम....
तभी याद आये चाय और तुम....

चेहरे पर अनायास मुस्कराहट आ गयी
धीरे से जब तुम्हारी आहट आ गयी....

वो ठंड का मौसम और चाय का प्याला
जैसे कर गया अंधेरे में उजाला....

चाय से उठती वो लहराती भाप
जैसे बादलो में लगा दी आग.....

सोचता हूँ दुनिया बस इतनी रहे....
मैं,चाय और तुम जितनी रहे.......

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 20, 2023

हमारे गमों की कहानी ना पूछो
मुकम्मल कहां किसी की जिंदगानी है।

कैसे रोकू अपने बहते अश्कों को,
समय की बहती यह जिंदगानी है।

मन के कोरे कागज पर लिखूं जो
वो गीत याद अभी तक याद मुंह जुबानी है।

हर धड़कन पे लिखा तेरा नाम जो
तुझसे मिलने की आस जगानी है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 19, 2023

आसमां से टूटे जैसे,हम सितारे हो गए।
जबसे तेरा साथ छूटा,बेसहारे हो गए।

जब तलक नदिया में था उफान थी रौनक यहां
नदिया क्या सूखी की ये सूने किनारे हो गए।

वो भी दिन थे प्यार के, ऐसे झकोरे थे चले
इक नजर में हम तुम्हारे,तुम हमारे  हो गए।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 18, 2023

कैसे कहू मेरे कौन हो तुम,
दिल के साज पे मेरे लबो का मौन गीत हो तुम,

जीवन की निराशा मे आशा हो तुम,
अन्धेरे मे उजाले का दिलाशा हो तुम,

मेरे प्यार का विश्वास हो तुम,
हर पल दिल के आस पास हो तुम,

मेरे ख्यालो का वरदान हो तुम,
झिलमिल सितारो का आसमान हो तुम,

मेरी सासो मे महकी खुशबु हो तुम,
मेरी रगो मे बहता लहु हो तुम,

मेरी वंदना, प्रार्थना, पूजा, आरती, अरदास हो तुम ,
मेरे मन के भारत की भारती हो तुम ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 16, 2023

मैं तन्हा
चांद भी तन्हा
रात है
तन्हाई है
बिखरे पन्ने है
सिमटे से जज्बात है
अधूरी ख्वाहिशें साथ है

तारों से सजी अंधेरी रात
काला आसमां
चीखता मौन

देखना,
आज कुछ लिखूंगा
पन्नो पर तुझे उकेरूंगा
अश्कों संग तुझे लिखूंगा
मिलन के पल लिखूंगा
विरह के क्षण लिखूंगा
हां..
बस तुझे लिखूंगा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 14, 2023

चाँदनी के शुभ्र 
श्वेत पुष्पों से सजी  
कोहरे की सुरमई चादर ओढ़
कोई नवोढ़ा आज मेरे घर के
बगीचे में आई है ,

सुदूर प्राची के क्षितिज से
सहमती, सकुचाती,
ठिठकती, झिझकती,
धीमे-धीमे दबे पाँव चलती
सुहानी भोर आज मेरे घर के
द्वार पर आई है !

ओस के नूपुरों की
रुनझुन पाजेब पहन 
उषा सुन्दरी ने
बड़े सवेरे घर के प्रवेश द्वार पर
धीरे से दस्तक दी है ,

उसके उनींदे कमल नयनों ने
जैसे सुबह के सूर्य की
मुलायम ऊष्मा से कुसुमित
सारे सुरभित सुमनों की
मादक मदिरा पी ली है !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 11, 2023

पहले देखी मैंने वो तेरे जुल्फ काले बादल सी
फिर देखा तेरी आँखै झील सी सागर सी...

फिर देखा तेरे ओँठों को जो गुलाब से लग रहे थे
कम्बख्त मेरे दिल को किसी खुशबू से नहा रहे थे...

ये मत पुछो की मैंने तुझे कितना देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

फिर देखा मैंने तेरा वो लहराता हुआ आंचल
तेरे हाथों के कंगना तेरे पैरो के पायल... 

शर्माना भी देखा तेरा मुस्कुराना भी देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 10, 2023

है घटा छाई गगन पर बादलों का जिस्म ले
दूर तक गहरी अंधेरी रात है तिलिस्म ले

मेघवन में मैं अकेला और कंटित रास्ते
ढूंढता हूं एक नशेमन चल मैं तेरे वास्ते

हैं लताएं वृक्ष हर्षित वृष्टि के अवदान से
कौंधती है बिजलियां बादलों के मान से

ऋतु का आगाज़ ये बारिश की है पहेलियां
बूंद गिर कर इस जमी से खेलती अठखेलियां

आओ मिलकर हम सहज इस दृश्य का आनंद लें
बादलों को उड़ते देखे मिट्टी की सोंधी गंध लें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 8, 2023

धुंधली सी याद भी तो नहीं अब ज़हन में है। 
जो प्यार बच गया है बचा सिर्फ मन में है। 

साड़ी में लिपटी आई अभी तुम हो जानेमन 
या चाँदनी गुलों के खड़ी पैरहन में है।

सौ बार चाह के भी हटी ही न उससे आँख,
कुछ ऐसी दिलफरेब अदा दिलशिकन में है.। 

ऐसा भरे जहाँ में न बुत को किसी नसीब,
जालिम जो बांकपन ये तेरे बांकपन में है.। 
 
दिन रात तेरे प्यार की खुशबू भरी रहे 
चम्पे की बेल सी तू ज़हन के सहन में है.। 
 
जल के तो देखिये भी मुहब्बत की आग में,
मिलता बड़ा सुकून मियां इस जलन में है.। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 7, 2023

हे निवेदिता,करूं निवेदन 
स्वीकृत कर दे यह आवेदन
प्यार भरा मैं मधुर भाव हूँ,
फूलों ने जो दिया घाव हूँ

तीखी नोक तेग नैनों की,
करती रही ह्रदय का छेदन
क्रिया हीन जीवन हो जाता,
जाने क्या मुझको हो जाता

तुम बिन सृष्टि लग रही नीरस,
प्रणय प्यार कर, कर दो चेतन
आशाओं से दूर अभी हूँ, 
ईश्वर कसम मजबूर अभी हूँ
जीता हूँ मै प्रेम बिना यों 
मृत जैसे भावुक सम्वेदन

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 6, 2023

बारिश की बूंदों में बसी हो तुम 
मिट्टी की सोंधी खुशबू में हो तुम

पलकों को जब झपकाता हूं मैं
उन पलकों पर बसी हुई हो तुम

ठंडी पुरवा ब्यार जो छूती है मुझे
उसकी खुशबू में बसी हुई हो तुम

मेरे हर अहसास में ,मेरी रूह में
मेरे कण कण में बसी हुई हो तुम !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 4, 2023

तू आ मिल मुझसे...!

भोर सुनहरी सिंदूरी सांझे,
तुझे विस्मृत बिम्ब मैं समर्पण कर दूं...!

गीत लिखूँ थोड़ी प्रीत लिखूँ,
छंद सलोने मैं अर्पण कर दूं...!

जीवन की गोधूल डगर से
तुम चुनो खिले अधखिले सुमन,,

तुझको दूं आशीष तनिक सा,
जीवन को मैं दर्पण कर दूं...!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 2, 2023

डर लगता है

टूट कर चाहना तुम्हारा 
मेरे जीवन को एक मकसद देता है ।
पर जब टूटने लगते हो तुम चाह में मेरी ......
तो इस बेपनाह मुहब्बत से डर लगता है ।

तुम्हारा मुझे एक नजर प्यार से देखना
मेरी मुस्कुराहट में रंग भर देता है 
पर जब देखता हूं तुम्हारी नजरों में एक लाचारी...
मेरी आंखों में भी समुद्र से मचलने लगता है।

तुम्हारा प्यार से पुकारना मुझे
स्पंदन कर ह्रदय में खींच लेता है मुझे तुम्हारी ओर 
पर फासलों के दरमियां जब घुटने लगती है यह आवाज...
अधखुले ओठों की चुप्पी देख दिल चीखने को करता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य