बेबसी को दर्द की स्याही में रखकर देखना
बन के निखरोगे कभी यूँ तुम भी शायर देखना।।
रफ्ता_रफ्ता क्यूँ पिघलती है शमा हर रोज़ यूँ
हो सके इक शब को तुम शम्मा सा जलकर देखना।।
देखना मत देखना तुम चोर नज़रों से कभी
हो सके तो इक दफ़ा तुम दिल लगाकर देखना।।
इस जहाँ से उस जहाँ तक हम दीवाने हैं तेरे
हमसा कोई दूसरा मिल जाए जा कर देखना ।।
रोकना मत चाहतों को दिल पे किसका ज़ोर है
हो सके तो इश्क़ के दरिया में बहकर देखना ।।
" सुनिल " छाँव में कितना है सुकूँ भी देख लो
मेरे शानो पर कभी तुम सर झुका कर देखना।।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य