Saturday, December 31, 2022

तुमसे प्यारा होगा कौन ज़माने में
आँखों के हैं जाम तेरे मयखाने में

मिली एक तस्वीर डायरी में रक्खी
सौ सौ यतन किए थे तुम्हें भुलाने में

आग लगाई दिल में कुछ ऐसी तुमने 
सदियाँ बीती दिल की लगी बुझाने में

उम्मीदों पे जीता है ये दिल अब भी
शायद वो आ जाएँ मेरे ठिकाने में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
अभी ख़ुद रौशनी को
रौशनी की चाह नहीं मिलती
कभी ग़ुमनामियों के रास्तों से
राह नहीं मिलती

ये मंज़र है अनूठा सा
समुन्दर ही है प्यासा सा
ये बेनूरी, ये बेज़ारी
है दिल में दर्द जागा सा
कभी ख़ुद ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी की चाह नहीं मिलती

सुबह आती है-जाती है,
ये शाम आ कर रुलाती है
सुहानी याद भी आ कर,
हमें हर दिन बुझाती है
कभी ख़ुद बेबसी को,
बेबसी की चाह नहीं मिलती
कभी ग़ुमनामियों के रास्तों से,
राह नहीं मिलती

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
अनन्त व्योम में रहीं मयंक रश्मियां बिखर।
धवल धवल सी यामिनी धरा उठी निखर निखर।

हिमाँशु रूप देख-देख मन चकोर का विभोर ।
ज्वार में मगन जलधि हिलोर पर उठे हिलोर ।

डाल-डाल पल्लवित हरीतिमा की शाल ओढ।
पादपों से लद कदी अवनि का न कोई जोङ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

बाहर का अंधियारा.
जरूर मिटा सके तुम, रोशनियों के सहारे,
चमकती रही तुम्हारी सडकें .गलियाँ,तुम्हारा तन
और शाएद तुम्हारी हर छोटी बड़ी इमारतें भी, 
पर तुम्हारे कलुषित मन में,
कब होगा उजिआरा,
कब होगी रोशन तुम्हारी सोच भी,
प्रज्वलित दिया कब तक देगा तुम्हें
संकीर्ण तमस से मुक्ति
कब होगी तुम्हारे अंतर्मन की ,
सूर्य रश्मियों से भरी वो सुबह 
जिसका बड़ी बेसब्री से मुझे ,
भी है इंतजार ,
क्योंकि मुझे भी है बहुत प्यार,
तुमसे ,तुम्हारे मन से..................

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
इच्छाओं का विस्तृत संसार 
इच्छाएं ही है मन का द्वार 
मां की गोद से मृत्यु के आगोश तक 
जितनी सांसे चलती हैं,
उतनी ही इच्छाएं  पलती हैं

एक इच्छा पूर्ण हुई तो ,
दस इच्छाएं पनपती हैं 
इच्छाओं को पूरा होते होते,
समय पूरा हो जाता है,
सबकुछ समाप्त हो जाता है
फिर भी इच्छाए रहती है।

चक्रवृद्धि ब्याज की तरह
दिन और रात की तरह 
चढ़ती उतरती सांस की तरह 
इच्छाओ का विस्तृत विस्तार 
हर पल यह बेचैन करती है

चैन से जीने नहीं देती है 
जरा सी आंख लगी ही थी 
अभी तो प्यास बुझी ही थी 
फिर से कोई नई इच्छा ने
मन पर दस्तक दे दी हैं।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 30, 2022

तू ही तो मेरा मनमीत है,,,!
तुझ से ही मुझ को प्रीत है,,,!!

तू ही मेरे दिल की सरगम है.,!
तू ही मेरे मन का गीत है,,,!!

तू मेरे दिल की धड़कन है,,,!
तुझ से ही जीवन संगीत है,,,!!

प्यार किया तो निभाना साथी,,!
सच्चे प्यार की यही रीत है,,,!!

किसी को बनाना औ मिटाना,,,!
यह तो दुनिया की रीत है,,,!!

प्यार में हार क्या औ जीत क्या,,,!
प्यार में सब कुछ हारना ही जीत है!!

सच पर झूठ का बोलबाला है,,,!
सच पूछो यह तो कुरीत है,,!!

भूखे को खाना प्यासे को पानी दो,,!
इंसानियत की यही तो नीत है,!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
अपनी प्यारी आँखों मे छुपालो मुझको!!
मोहब्बत तुम से हैं चुरालो मुझको!!

धूप हो या सेहरा तेरे साथ चलेंगे हम
यक़ीन ना हो तो आज़मा लो मुझ को

तेरे हर दुख को सह लेंगे हंस के हम
अपने वजूद की चादर बना लो मुझको

ज़िंदगी भी तेरे नाम कर दी है हमने
बस चंद लम्हे सीने से लगा लो मुझको

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 29, 2022

सुनो ना,

पुरानी सभ्यताओं सी तुम 
मेरे मृत हृदय की ख़ुदाई में यहाँ वहाँ मिल जाती हो
तुम तनु और सान्द्र रसायन के मध्य 
विफ़ल हुआ कोई प्रयोग हो

भौतिकी के सूत्र सी ख़ुद को 
सत्यापित करने की ज़द्दोज़हद में 
तुम हर दफ़ा असत्यापित 
रह जाती हो मेरे जीवन में

मनोवैज्ञानिक सी मेरी हर बात को 
परत दर परत टटोलती रहती तुम
अनन्त और शून्य के मध्य सारी गणनाओं में 
सर्वोच्च अंक ही लाती हो

जब मैं हिंदी में लिखता हूँ तो 
तुम्हें उर्दू की किताबें रास आती हैं
तुम्हारी पसंद जान मैं उर्दू में लिखूँ तो 
तुम अंग्रेजी की किताबों में आँखे गड़ा लेती हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 27, 2022

मिले सभी को प्याले मधु के,
मधुप सा सब रसपान करें
आज जो आये हैं महफ़िल में,
स्वागत उनका कल भी है
महका गजरा खनका कंगना 
बहका अचरा बिखरा कजरा
स्वर  वीणा के सिहर उठे,
हर इक सरगम  घायल भी है
जीवन रस की बरसातों से 
हर डाली पर खिले सुमन
हर पपिहा कुछ व्याकुल भी है,
सुर में  हर कोयल भी है 
नग़मा भी है पायल भी है,
इक बहका_सा_चांद भी है 
नयनों में इक सपना भी है,
मन में कुछ हलचल  भी है 
सातों रंग लिये वे आये, 
बन कर इंद्र धनुष  दमके 
मुख पर स्वेद की बुंदियाँ भी हैं ,
झीना सा आँचल भी है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 26, 2022

सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था
देखकर उसको
मेरा दिल मचल रहा था
आसमान में लालिमा छाई थी
प्रकृति तेरे रूप में आई थी
वो शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही मनमानी थी
झील के किनारे बैठे थे हम
तेरे प्रेम में डूबकर इतरा रहे थे हम
लहरें गुनगुना रही थीं 
दिल में हलचल मचा रही थीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 24, 2022

बड़ा विचित्र है ना
मैं इबारतों के माफिक
अदब से रखना चाहता हूं तुम्हें

डायरी_में रखकर वहीं पर
लगा देना चाहता हूं एक मोरपंख

तुम्हारे नाम के शब्दों को
अदब से ढककर
सच में ! मैं लिखना चाहता हूं

सिर्फ तुम्हें ही
ख्वाबों की व्याकरण के साथ
मैं चाहता हूं

बिखरकर सिमट जाना
तुम्हारे आगोश के आवरण में 
चिट्ठियां बनाकर छुपाना चाहता हुं 
तुम्हारे अस्तित्व को हर छंद की व्याख्या में,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 23, 2022

मन पर हावी हुआ विचार 
कहाँ है जीवन का आर-पार? 
सोचा फिर! 
जहाँ कहीं पर है जीवन 
होगा फिर उसका मरण 
जीवन है मृत्यु की छाया 
और मृत्यु का है जीवन! 

जीवन_मरण है जहाँ पर 
उसको जानो तुम संसार 
इसका न कोई आर-पार 
भटके जीव यहाँ बार-बार 
जहाँ से चला वहीं फिर पहुँचा 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
जरा सोच लो दिल ,लगाने से पहले,
खोना पड़ेगा ,दिल आने से पहले।

वादे वो चाहत के ,अपनी निभाएंगे,
सोच लो जरा ,दिल गंवाने से पहले।

इंतजार इश्क में ,खड़े हो तुम तो ,
सोच लो जरा हक ,जताने से पहले।

माना इश्क की राह ,आसान नहीं,
ठहर जा जरा ,निभाने से पहले।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 22, 2022

मोल प्यार का तोहफो से क्यों
लोग तौलते हैं अक्सर
तोहफें सजते जिस्मों तक बस
इश्क है रौशन रूहों पर
समझ के अपनी माली हालत
करें सही समझौते पर
कितनी गुरबत आ भी जाए
रहेंगे खुश हर लम्हे पर
चान्दी-सोना-हीरे-गहने
दिला न पाया भले मगर
प्यार की गर्माई को छू लें
चाय की हर इक सिप पर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
ना मैं कोई शाहजहां
ना ही तू मुमताज मगर
उतना ही वार करारा करती
जालिम तेरी शोख़ नज़र
ना मैं दिला सकूं ताजमहल
ना कोहिनूर कर सकूं नजर,
प्यार से माथा चूमके तेरा
सजा दू बिंदिया माथे पर
ना ला सकता चांद तोड़कर
ना तारों तक पहुंच मगर
मेरे प्यार का वज़न तौलना
लाज से गिरती पलकों पर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 21, 2022

मन_से_मन का बन्धन
दिल से दिल का रूहानी रिश्ता

देखते सुनते जाने कब और कैसे.
खुद की आत्मा से बँध जाता मन और मौन

मिल जाती हैं अंजानी राहों के सफ़र में दो रुहें
और बंध जाती साँसों से साँसों का रूहानी एहसास

और फिर प्रेम हो ज़ाता है बस हो ज़ाता है
एक दूसरे के मन_से_मन को

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 19, 2022

नज़र से नज़र मिल रही हर पहर
धड़कने लगा दिल मेरा बेख़बर

न जाओ कहीं छोड़ कर जानेजा
कि सुनी पड़ी ज़िंदगी की डगर

अदाओं से जब पास आये कभी
जुल्फ़े लहरायेंगे शाम-ओ-सहर

बिना बादलों के भी बरसात है
घटाओं का होगा कुछ ऐसा असर

नदियों का रुख मोड़ देंगे सुनो
अगर साथ मेरा तू दें हमसफ़र

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 18, 2022

सारे बादल कम पड़ जाए,गहरी प्यास जगाए
खुशबू भरे ख्यालों जैसी,कई-कई राज छुपाए 

उसे देखकर चटके कलियाँ, टहनी करवट लेती 
तितली की आँखों में झाँके, उर की आहट लेती

जाड़े की गुनगुनी धूप सी, सबके मन को भाये
दर्पण से संवाद करे वो, उल्टा सीधा गाए
दीवारों पर कुछ खरोंचकर, निज गुस्सा दिखलाए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 16, 2022

अक्षर_अक्षर साथ सजाना सबके बस की बात नहीं,
ह्रदय तार झंकृत कर पाना सबके बस की बात नहीं।

भाव सभी को मिल जाते पर शब्द नहीं जुड़ते हैं,
वाणी से अमृत टपकाना सबके बस की बात नहीं

यूँ तो व्यस्त है सब अपनी अपनी जिंदगी मे
दो पल सुकून के निकलना सबके बस की बात नहीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 15, 2022

पलक पर हमारी भी सपने सजा दो
हो पूरे सभी ख्वाब यह तुम दुआ दो

अधूरे से ज़ख्मों की इक दास्तां हूं
मुझे सिसकियों की ज़मीं से उठा दो

फ़लक पे हंसी चांद तारे बहुत हैं
हमें ज़िंदगी एक तारा बना दो

हवन हो रहीं चाहते बन नीर
नये इस जहां को भी मंदिर बना दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 13, 2022

पलकें भारी हो रही हैं, तुम जगे तो हो? 
जो छेड़े थे धुन राग के उसमें लगे  तो हो?

जन्मते हैं कुल के रिश्ते धरा पर आते ही ,
रक्त सम्बन्ध से विलग अपने सगे तो हो ।

अरमान कहूं दिल की या ईमान कहूं , 
सांसों में खुश्बू लिये मेंहदी में रंगे तो हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 12, 2022

बढ़ता ही जा रहा है, छोड़ गया बोझ कर्ज का
इलाज नज़र नही आया,मर्ज कम हो दिल का

जैसे चक्रवर्ती बढ़ता ही जाता ब्याज कर्ज का
ठीक उसी तरह गहराता जा रहा मर्ज दिल का

कर्ज की चिंता गहरी नींद उड़ा देती है रातो की
मर्ज-ए-दिल मे काम न करे दवा वेध,हकीम की

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 11, 2022

मैंने सावन लिखा, तुम पुष्प से खिल गए l
मैंने दामन लिखा, शरमा के तुम छिप गए l

मैंन काजल लिखा, तुम काली घटा हो गए l 
मैंने चाँद जो लिखा, खिल चांदनी हो गए l

मैंने सपना लिखा, पलक बंद कर सो गए l
भोर जो लिखा मैंने, तुम अरुणिमा हो गए l
मिलन जो लिखा, तो तुम क्षितिज हो गए l

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 10, 2022

संगमरमर सा बदन लेकर 
वो जब निकल जाते हैं शहरमें

लाखों आशिकों के अरमान 
तब मचल जाते हैं शहरमें

लहराती जुल्फों कि घटा 
जब वो झटकते हैं अदासे

पलक झपकते ही 
मौसम बदल जाते हैं शहरमें

मधुर मुस्कान से दिलों पर 
यूं गिराते हैं वो बिजलियां

अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी 
पिघल जाते हैं शहरमें

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 9, 2022

तेरी इन प्यारी आंखोमें
है प्यार भरा इतना राधे
मेरी तस्वीर दिखाई दे
तेरी इन आंखोमें राधे
ये आंखे हैं मृगनयनी सी
तू प्यार का एक सागर राधे
आंखे सपनों में खोयी सी
तू प्रीतका एक गागर राधे
जो मुझसे ना कह पाती हो
आंखो से कह देती राधे
तुमबिन कान्हा ना रह पाए
कैसे तुम रह लेती राधे

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 7, 2022

ચાલ દોસ્ત ઘર આપણા, 
સાંજ પડી ને થઈ રાત
દિવસ આખો રમ્યા રમત , 
પણ ના થયું મન શાંત 

રમત રમાડી સમયે, 
બની ને મન ના મીત 
બધી બાજી હારી ગયા, 
ના મળી એક પણ જીત 

ચાલ દોસ્ત ઘર આપણા, 
પૂરો થઈ ગયો ખેલ
જીવન દીપક બુઝાઈ જશે , 
રહ્યું નથી હવે તેલ 

~~~ सुनिल #शांडिल्य
हे प्रकृतिवधू, हे महाशक्ति,हे कमल नयन, हे रूपवती।
डिगजाते तुमको देखदेख,साधू संन्यासी और यती।।

हे विधुबदनी, हे मृगनयनी,हो ममता का बारिध बिशाल।
काली-काली अलकें ऐसी,जैसे फुंकारें ब्याल-ब्याल।।

हे प्रेमपुष्प, हे सुरभिकोष,आनंदकोष हो हे प्रियवर।
यह जीवन न्योछावर करता,मैं सौ बार प्रिये तुम पर।।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 6, 2022

जब भी जुल्फें समेट लेती हो..
साथ में दिल लपेट लेती हो..

माथे पे बिंदिया जब तुम लगती हो..
गोल चक्कर में हमें घुमाती हो..

जब भी काजल तुम लगाती हो..
काला जादू कोई चलाती हो..

ये जो गालों में डिंपल पड़े जाते हैं..
हम तो इन्हीं गड्ढों में गिरे जाते हैं...

तेरे झुमके हथियार हों जैसे..
हम भी मरने को तैयार हो जैसे..

ये जो आंचल संभाल रखा है..
हाय! ये दिल निकाल रखा है..

तेरी चूड़ी जब खनकती है..
मेरी धड़कन भी संग धड़कती है..

कमर में चाबी का गुच्छा जो लटका है..
मेरा दिल बस वहीं पे अटका है..

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 5, 2022

चंचल

चंचल चितवन नयन मतवारे।
लज्जा भार से झुके यह प्यारे।।

अरूनाई के प्रेम में डूबे।
स्वप्न भार में पूरे डूबे।।

नयन स्वप्न में खोये ऐसे।
दीप तेल में डूबा जैसे।।

मदिरा छलके अधर यह थिरके।
मदभरे नयना छलके-छलके।।

भौंह कमान बाण जब साधे।
हृदय पक्षी बिध जाए आके।।

बना पतंगा हृदय अधीरा।
ठगा गया ज्यों बुद्धि छीना।।

नाक स्वर्ग की मानों हेतू।
हारा वीर मलंग निकेतू।‌।

मांग सिंदूरी चमके ऐसे।
जग-जग जरे दीप हो जैसे।।

त्रिकुटी बीच बिन्दु की शोभा।
देख लालिमा मन यह लोभा।।

बेदी माथ पर ऐसी लटकी।
मानों बेल वृक्ष पर अटकी।।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 4, 2022

बसंत

अम्बर सजा
इंद्रधनुषी रंग
बौराई दिशा

चाँद सितारे
ले उजली सी यादें
आये आँगन

कौन छेडता
मन वीणा के तार
धीरे धीरे से

दूधिया नभ
निहारिका शोभित
मन_चंचल

हवा बासंती
बहती धीरे धीरे
गूँजे संगीत

दरख्त मौन
बसेरा पंछियों का
सुबह तक

सूरज जला
पहाड़ थे पिघले
नदी उथली

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 3, 2022

पूर्णमासी

पूरनमासी चाँद सा चेहरा, 
बहकी_बहकी_चाल

आँखों से मैखाना छलके,
हैं नागिन जैसे बाल

परी हो या अप्सरा 
सभी तेरे पैरों की धूल

नाक तुम्हारी तोते जैसी, 
होंठ पंखुड़ी-फूल

सोना-चाँदी, गहने जेवर, 
तेरे_बिन बेकार

ये सारे श्रृंगार के साधन, 
तू खुद ही है श्रृंगार

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 1, 2022

किन्नर

नारी को कहे लक्ष्मी यहां
नर को कहते हैं शंकर

मैं हूं अर्धनारीनटेश्वर
हां मुझे कहते हैं किन्नर

पुरुषोंका छबीलापन है
स्त्री की मनमोहक अदा

दुख भरे हैं दिल में मेरे
फिर भी चाहती रहु सदा

हां हुं थोड़ी मुंहफट मुजोर
पैसे मांगती हूं जबरदस्ती

दूर भागते मुझे देखके तो
टूट जाती है मेरी हस्ती

मैं भी चाहती हूं मान सम्मान
ना अब हाथ फैला के जीना

मेहनत कर धन कमाऊ तो
चौड़ा हो जाए गर्व से सीना

~~~ सुनिल #शांडिल्य