Friday, March 27, 2015

बे-असर इस जहाँ मे कोई,तुझसे मुतासीर कैसे न हो
लाख थामे रहे दिल कोई,वो तेरा आख़िर कैसे न हो
हसरतों की धुप से परेशां,खो चुके है जो अज्म-ए-सफर
है तू अगर मंजिल दिल की,तो कोई मुसाफिर कैसे न हो

क्यो भाता है कोई एक,हजारो में
क्यो नजर आता है वोही,नजरो में
ख्वाहिशे आसमाँ छूने लगती है ऐसे में
क्यो बन के खुदा वोही,बैठ जाता है सितारों में

दिखलायीं मोहब्बत ने हमे आख़िर तड़प की इन्तहाँ
लिखवाई आरजू-ए-यार ने हमसे एक दर्द की दास्ताँ
मालिक,क्या ये नही काफी,उनके वाकिफ हो जाने को
के,हर कतरा मेरे खून-ए-जिगर का दे रहा है उनको सदा

Thursday, March 26, 2015

कैसे न कहे तुमको खुदा,सजदे में तेरे सर झुका जाता है
कैसे न करे तुमसे वफ़ा,कदमो में तेरे दिल रुका जाता है
कुछ तो बात है तुझमे यहाँ,जो किसी और में नही
कैसे न छाए दिल पे नशा,ये बस तुम्हारा हुवा जाता है

दामन ख्वाबो का हर लम्हा छूता है कोई
पलको में छुप के दिल में आता है कोई
हर पल है जिक्र उनका मेरी दुनिया में
बनके चुभन मीठी सी मुझको सताता है कोई

सारी दुनिया भी हो जाए हासिल,फ़िर भी क्या पाएंगे हम
इतनी बरकत से न होगी तस्कीन,बस उनको ही चाहेंगे हम
एक जिंदगी नही है गर काफी,उनकी आरजू में मिट जाने को
खुशी से होंगे रुखसत जहाँ से,फ़िर एक बार लौट आयेंगे हम

Tuesday, March 24, 2015

हर सांस आती है सीने में हवा बनके
हर सांस जाती है सीने से नशा बनके
टकराए दिल से जो,कैसे रहे भला बेअसर
छुप के बैठे वो दिल में जो वफ़ा बनके

नजर में पहली ही दिल को मजबूर कर गया कोई
होश से वाकिफ जिंदगी को तसव्वुर कर गया कोई
अब न मिलता वो लम्हा मुझे चैन-ओ-सुकून भरा
अन-छुए दिल को छू के मंजूर कर गया कोई .

मस्ती भरी अदाए उनकी,छलकते जाम से कम नही 
शोखी उनके नजरो की,खुबसूरत पैगाम से कम नही 
जो भी देखे उनको खो जाए बस राह-ऐ-बेखुदी में 
मदहोशी की यह रहगुजर किसी मकाम से कम नही

वो पास नही होती तो तड़पता है दिल
हो जाए उनसे रूबरू तो झिझकता है दिल
नही फर्क दिल को,उनके पास-ओ-दूर होने से
दोनो ही सूरत में कमबख्त बस धड़कता है दिल

हर धड़कन किताब-ऐ-आरजू में उनका ही नाम लिखने लगी है
हर पल हर लम्हा यह जिंदगी सबक-ऐ-इश्क सिखने लगी है
किस कदर छायी है दीवानगी कोई जाके जरा आईने से तो पूछे
के मेरे चेहरे में भी अब मुझको उनकी ही सूरत दिखने लगी है

Monday, March 23, 2015

सिमट के रह गयी ये जिंदगी बस उनकी चाहत में
और कोई दास्ता नही मेरी किताब-ऐ-हसरत में
तस्वीर उनकी निगाहों में,और कोई नजारा नही
जरा हमसे पूछो तो जानो,क्या नशा है मोहब्बत में

दस्तक दी है जिसने दिल पे,वो मेहमाँ ढुन्ढ्ता हूँ मैं
दिखलायें जो मंजिल-ऐ-इश्क,वो कारवाँ ढुन्ढ्ता हूँ मैं
मेरी हर धड़कन को है तलाश उनके नजर-ऐ-करम की
हो कबूल जहा दुवाँ दिल की,वो आसमाँ ढुन्ढ्ता हूँ मैं

रास्ता मेरी ख्वाहिशो का तेरी कशिश में पलट के रह गया
तेरी जुल्फों में उलझा दिल और तुझसे लिपट के रह गया
क्या जादू था उस पल में,जिसने सिखाई धडकनों की जुबाँ
वक्त तमाम जिंदगी का,बस एक पल में सिमट के रह गया

बड़े नाज़ से सजाई है हमने,महफिल में तुम आओगे क्या
मिलने की खातिर दिल से मेरे,अपना दिल लाओगे क्या
कबसे तरस रही मेरी हसरते,हकीकत में बदल जाने को
ख्वाब से सजी इस जिंदगी को,हकीकत बनाओगे क्या

Saturday, March 21, 2015

कहने को तो फूल था मगर,ता-उम्र ताजगी ढुन्ढ्ता रहा
जलने को तो चिराग था मगर,हर पल रौशनी ढुन्ढ्ता रहा
दास्ता मेरे भी जीने की है लिपटी हुवी जुस्तजू की बाहों में
जीने को तो यु ही मैं जीता रहा,मगर जिंदगी ढुन्ढ्ता रहा

चैन से ये भी न गुजरेगा जो वक्त बचा है जरासा जिंदगी का
जी ते जी कितनी बार उठेगा और अब जनाजा जिंदगी का
एक लम्हा भी हासिल न हुवा कभी, नाज कर लेते जिस पे
ऐ खुदा रहने दे,बहोत हो चुका अब ये तमाशा जिंदगी का

बीच भवर में हम है फसे और लहरें भी हुवी बेवफा
फासले ऐसे में साहिल से हर पल हो रहे है जियादा
कही इतनी दुरी न हो जाए,के देख सके न हमे कोई
तन्हाई में मिट के रहेगी वरना इस जिंदगी की दास्ताँ

Friday, March 20, 2015

नही चैन इस दिल को,दिल-ऐ-बेकरार की कसम
अब और नही आरजू कोई,तेरे इंतजार की कसम
है यकीं इतना,रहूँगा मैं भी तेरे दिल के आशियाने में
न करना अब इन्कार,तुझे मेरे ऐतबार की कसम

Thursday, March 19, 2015

दर्द इश्क का जब से दिल को गवारा हो गया
मेरे तसव्वुर में हर तरफ़ तेरा नजारा हो गया
अक्सर लहराती बर्क़ सीने में,ये समझाती है
कोई जन्नत से जमी पे उतरा,हमारा हो गया

दिल पे रख दिया कोई,
या दिल को पत्थर बनाया हमने
न देख सके अब और कोई,
ऐसा एक मंजर बनाया हमने
गम उठाये जो हमने इश्क में,
हम ही तक रखेंगे उन को
अब न रोयेगा कभी ये दिल,
इतना बे-असर बनाया हमने

किसके ख़याल में यु चुपके से मुस्कुरा देते हो
क्या जानो तुम इस तरह दिल धड़का देते हो
अब तो कह दो,न छुपाओ अब ये राज हमसे
अपनी खामोशी से हमे तुम और तरसा देते हो

दिल में अब वो आरजू कहा,
किसीको पाने की ख्वाहिशे कहा
किसीकी अब वो जुस्तजू कहा,
किसी के लिए वो आतिशे कहा
वीरा है इस दिल की दुनिया,
न कोई आहट न कदमो के निशा
सीने में अब वो दिल कहा,
दिल में धड़कने की वो कोशीशे कहा

Wednesday, March 18, 2015

कुछ पल के लिए ही सही,मेरे साथ तुम चल के तो देखो
किसी की खातिर तुम कभी,अपनी राह बदल के तो देखो
हा!है मजा अपना तन्हाई में भी,मगर हर पल तो नही
मिटाके कभी अपनी हस्ती,किसी और में ढल के तो देखो

ख्वाब में देखी जो बहारे,हकीकत में है वो मुरझाई सी
अपनी थी ये दुनिया,अब नजर आती है वो हरजाई सी
पास नही है गर कुछ तेरे,तो साथ न देंगे तेरे साये भी
ढूंढे कैसे वजूद जिंदगी का,जो ख़ुद लगती है परछाई सी

कोई तो कह दो उनसे के पल पल कोई तड़पता है
लाख करे कोशीशे मगर न अब दिल सम्हलता है
जाऊ तो जाऊ कहा अब मैं ये दिल-ऐ-बेताब लेके
हर रास्ता मेरी जिंदगी का उन तक आके ठहरता है

एक तेरा ही नाम लेके हम जीते है आजकल
बस तेरे खयालो के जाम हम पीते है आजकल
तस्सव्वुर में तेरे बिताये हुवे लम्हों की कसम
ख़ुद से भी जियादा तुम्हे करीब पाते है आजकल

Tuesday, March 17, 2015

बांधे थे हवाओ में महल,गिराए भी हमीने
आसमाँ की चाहत में छुटी,हमारी जमीने
आप ही दे ख़ुद को धोखा,फ़िर और क्या?
डूब ही जाने है ऐसे में जिन्दगी के सफीने

फूलो भरी हो डगर तेरी,या काटो भरा रास्ता
कितने तुफानो से पड़े यहाँ,चाहे तेरा वास्ता
है जो तेरी निगाहों में अक्स किसी मंजिल का
हर बढ़ता कदम लिखेगा ख़ुद अपनी दास्ताँ

क्या है जरुरत तस्वीर की,जो छुपालो किसीको निगाहों में
आँखे मूंद के देखो ख्वाब, और जो भरलो किसीको बाहों मे
बनाके मंजिल किसीको,चलोगे जब राह-ऐ-मोहब्बत पर
मिल ही जाएगा वो दिलबर,चलते चलते हसीन सी राहों मे

बे-घर होते चले गए,दिल के आशियाने को सम्हालते सम्हालते
हर आब-ओ-हवा रूठ गई हमसे,इस मौसम के बदलते बदलते
नही और कोई नजारा,अपनी उजड़ी हसरतो के मंजर के सिवा
साये भी अपने हो चुके है पराये,दो कदम मेरे साथ चलते चलते

वो भी देखते है तुम्हे और देखते है हम भी
ऐ चाँद ख़ुद बन जाना तुम आइना कभी
देख तो ले वो के पल पल तडपता है कोई
है आरजू के मेरे हाल से न रहे वो अजनबी

Sunday, March 15, 2015

जो न कही अब तक,वो बात उन्हें आज बताऊंगा मैं
कदमो में उनके रख के दिल,किस्मत आजमाऊंगा मैं
गर होंगे कुबूल उनको मेरी बेताब धडकनों के नजराने
तकदीर-ऐ-रोशन पे मेरी फ़िर जी भर के इतराउंगा मैं

उठाये जिस के लिए गम मैंने,यह वो ख़ुशी तो नही
छुपाके अश्क मुस्कुराये,मगर यह वो हसी तो नही
निकला था कहा जाने को और पोह्चा हू किस मंजिल पे
जिसके लिए इस दुनिया मे आया,यह वो जिन्दगी तो नही

तेरा हुस्न एक जवाब,मेरा इश्क एक सवाल ही सही
तेरे मिलने कि ख़ुशी नही,तुझसे दुरी का मलाल ही सही
तू न जान हाल इस दिल का,कोई बात नही
तू नही जिंदगी मे तो तेरा ख़याल ही सही

क्या बताये तुमसे बिछड़ के हम, हम ना रहे
एक तो गम-ए-हिज्र रहा और कोई गम ना रहे
दूर गुलजारो मे फूल रहे मुर्जाये हुवे
और दामन मे मेरे काटे भी कम ना रहे

तनहाई के सागर मे उठती है यादो कि लहरे
पल पल हुवे जाते है दिल के जख्म गहरे
ए खुदा अब कुछ ऐसा कर तू मेरे लिए
या तो मिट जाये सारे गम या फिर ये जिंदगी ठहरे

Saturday, March 14, 2015

रुखसारो पे है सुबह की लाली,ज़ुल्फो मे रात का अँधेरा है
आखो मे है वो गहराई जैसे किसी समुन्दर का नजारा है
खुशबु है तेरे आँचल की या है गुलाबो की महफिल
हर चीज़ मे तेरी यार कुदरत का कोई इशारा है

फिर किसीकी याद आयी,खामोशी मे एक तुफान आया
राह चलते करीब जब उसका मकान आया
बाद मुद्दत के हसरते हुवी जवाँ
हक़ीकत की जमी से मिलने ख्वाबो का आसमान आया

लोग आगे निकल जाते है,बदल जाते है
खुद ही गिरते है,संभल जाते है
जिनकी रहो मे बिछायी थी हमने बहारे
वोही आके हर एक फुल मसल जाते है

तनहाई की बाते हो चुकी,महफिल की बात करो
रस्तो के चर्चे हो चुके,मंजिल की बात करो
और कितना वक्त गुजरेगा यु झिझ्कने मे
नजरो के वादे तो हो चुके कुछ दिल की बात करो

खुदा जिंदगी मेरी कुछ तो रंगीन हो जाये
वो आये तो तुझपे यकीन हो जाये
कब तक चलेंगे सिलसिले यु हिजाब-ओ-पर्दो के
दीदार-ए-यार हो तो दिल की तस्कीन हो जाये

Wednesday, March 11, 2015

दिल मे जगी वो खलीश मुझे सोने नही देती,
यह इश्क की तपीश मुझे सोने नही देती
तड़पते दिल को मालुम नही के नींद क्या है
तेरी आरजू तेरी कशीश मुझे सोने नही देती

किसीकी याद मे तड़पता है ये दिल
एक आरजू लिए धड़कता है ये दिल 

लाख हो मैखाने इस शहर मे लेकिन 
एक तेरे ख़याल से बहकता है ये दिल 

तेरी जुल्फ से गिरा वो फुल,सीने से लगाया मैंने
फुल से जियादा अब महकता है ये दिल

दिखलाके एक झलक जाने वो कहा खो गए 
कहा कहा न जाने अब भटकता है ये दिल

बे-इन्तहा बे-वजह बेकाबू हो गया
ये दिल,दिल ना रहा खाना-ए-आरजू हो गया
एक पल भी अब चैन आये कहा से
मकसद-ए-जिंदगी यार की जुस्तजू हो गया

जिंदगी मिलती नही और कमबख्त मौत भी आती नही
टूटता भी नही जाम खाली और शराब भी मिलती नही
अँधेरा ही अँधेरा है जिस जानिब देखू मैं
सुबह भी होती नही और रात भी ढलती नही

इन गेसुओ की काली घटा बन गयी है रोशनी मेरी
मदहोश अदा तेरी बन गयी है बेखुदी मेरी
तहय्युर-ए-हुस्न मे न आते थे लब्ज जबाँ पे,तेरे मिलने से पहले
शौक़-ए-शायरी बन गयी है अब जिंदगी मेरी

वही मंजिले मुझको मिली, जो न मिलती तो बहोत अच्छा था
काटो के सीवा कालिया खिली,जो न खिलती तो बहोत अच्छा था
झूठी खुशियों का वादा लेकर सुबह आयी,रात ढलने के बाद
वो गम की शाम ही न ढलती तो बहोत अच्छा था

चाहे ख्वाबों मे उनसे जितनी भी मुलाक़ात किजीये
दर्द-ए-दिल बढ़ जाता है जितने भी उनके ख़यालात किजीये
हर सवाल का जवाब ग़र खामोशी है यहाँ पर
फिर चाहे जिन्दगी से कितने भी सवालात किजीये


गम न करेंगे तू जो साथ है ,गम न करेंगे तकदीर जो तेरे हाथ है
तू जो रूठे तो मना लेंगे ,तू जो हँसे तो क्या बात है