Tuesday, January 30, 2024

जब अपनी पलकें भीग गईं
मन उदधि की बूंदें रीत गईं।

क्या सोचा था क्या भोगा है
जग नश्वर है एक धोखा‌ है।

कल ही तो मन के फूल खिले
ना शिकवे थे ना कोई गिले।

मन मंदिर सा सजने को था
जो फूल खिला फलने को था।

अगले पल दिल मिलने को थे
बगिया में गुल खिलने को थे।

दिल दावानल ने तप्त किया
और दहल उठा बेचैन जिया

सुख ने जो घर संसार रचा
उसमें दुख ही बस यार बचा

अंधियारे ने डस लिया प्रकाश
हर पल रहता मौसम उदास

अब जीवन में है ग़म ही ग़म
जो तेल खतम सो खेल खतम

सुख की घड़ियां अब बीत गईं
हम हार गए नियति जीत गई
हम हार गए.....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 29, 2024

अच्छा सुनो
आज साडी पहनने का मन नहीं तुम्हारा
तो मत पहनो जो मन हो वो पहन लो
ये भारी भरकम जेवर भी नहीं पहनने
तो किसने कहा उतार दो
तुम्हारी सादगी ही श्रंगार है

आज बालों को खुला छोडना है
हां तो, लहराने दो न इन्हें हवा में
चूडी भी नही पहननी तो मत पहनो
तुम्हारी हंसी की खनक ही बहुत है
बिन्दी नही लगानी तो मत लगाओ न यार
इतना क्यों सोचना दुनिया को क्या देखना

हर रीति रिवाज से दूर तुम सिर्फ 
मेरी खुशी के लिये सोचो
कि तुम्हारी आंखों की चमक और 
होंठो की खिलखिलाहट देखने 
के लिये कबसे तरस रहा हूं!

अरे ! ये मैं नहीं ये वो कह रहा है
तुम्हारा मन जो आइने में बैठा
हर पल तुम्हें प्यार से निहारे जा रहा है 
और एक तुम हो
कि हर बार उसे अनदेखा, 
अनसुना किये जा रही हो !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 26, 2024

जीवन में अनेक हैं तृष्णाएँ।
तुम्हें मगर..
पाना नहीं चाहता तृष्णाओं सा।
क्या महसूस किया है तुमने भी..
मिलते ही.. खो जाती हैं सब तृष्णाएँ।
स्मृति पटल पर भी
धूमिल पड़ जाती है स्मृतियाँ उनकी।
तुम मिलना.. तो मिलना
मेरे बालों की सफेदी सी..
मेरे चेहरे की झुर्रियों सी..
मेरी बढ़ती उम्र के अनुभवों सी..
मेरे भीतर की संवेदनाओं सी..
क्योंकि पाकर तुम्हें 
होना चाहता हूँ मैं..
मनुष्य और अधिक।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 23, 2024

जिसे देखो उसी को 
कुछ न कुछ शिकवा शिकायत है,
जमाना डूबा है इसमें 
नहीं कोई रियायत है।

वो कहते भी नहीं है पहले
अपने दिल में रखते हैं,
मग़र कब कैसे करना है
ये अनबोली हिदायत है।

खुद ब खुद
कितनी उम्मीदें 
लगा रखीं हैं लोगों ने,
हमे लगता है अक्सर
ज़िन्दगी उनकी रिवायत है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 22, 2024

जो लिया था एकदिन तुमने वो प्रण निभाया है,
जन्मे थे जहाँ रामलल्ला वहीं मंदिर बनवाया है 

खत्म हुआ बनवास अब राजतिलक होगा,
गुंजेंगे ढ़ोल नंगाड़े दर्शन भव्य होगा

22_जनवरी_दिन स्वयं भोले का होगा,
लहराएगा भगवा, भारत फिर राममय होगा

होगी प्राण प्रतिष्ठा अमृत सिद्धि योग होगा,
तिथि होगी द्वादशी अभिजीत महूर्त होगा 🚩

पुलकित हुआ हृदय तन -मन हर्षया है,
आ रहे हैं राम अयोध्या भगवा लहराया है 🚩

त्रेता में प्रभु श्री राम शिव को पूजे थे,
कलयुग में शिव-रूप अब राम को पूजेंगे 🚩

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 21, 2024

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी,

प्रीत में हित की सोच रखो 
तो मीत को न भरमाओ सखी।

प्यार तो इक धधकता अंगार है,
हरदम मचलता रहता उर ज्वार है।

इस ज्वार का वार सह न सको,
तो सागर सन्निकट न जाओ सखी।

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 19, 2024

गुजरता हूँ  मैं जब भी सुनसान राहों में
कहीं से आ जाती है कूँहू की आवाज,
हाँ रूक जाते हैं कदम मेरे

मैं निहारता हूँ उस आवाज की तरफ
यूँ लगता है तुमने पुकारा है कहीं से
पर कहीं दिखती तो नहीं तुम

हाँ पर मुझे तो उसमें भी सुनाई देती है 
तुम्हारी ही आवाज हाँ वही तुम्हारी सुरीली आवाज
उस वक्त खो जाता हूँ  उस आवाज में
दूर कहीं पुरानी बातों में

हाँ इन्हीं राहों पे साथ चलने की कसम खाई थी हमनें
एक दूसरे का हाथ थामें सफर पूरा करने की
फिर मैं अकेला क्यों अब इन राहों पर हूँ,

पता है इस आवाज से ही दिल को बहला लेता हूँ मैं
तुम ना सही तुम्हारी यादें तो है
सफर में मैं तन्हा तो नहीं

हाँ यह सफर अनंत का तुम्हारी यादों के साथ
तन्हा है पर सफ़र तन्हा नहीं...

~~~~सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 16, 2024

बदन के जेवर न देखे हमने, सदा विचारों को देखते है
लोहार भारी पडा है जिनपे, हम उन सुनारों को देखते है

लिखी न जिसने कोई वसीयत, बुजुर्ग का उठ गया जनाजा
लहू के रिश्तों मे आज दिल पर खडी दिवारों को देखते है

बुलंदियो का जुनून होगा तो, हौसलों पर करो  भरोसा
है झौंपडे खुद गिरा के, छप्पर खडी मिनारों को देखते है 

लूटा के जां चल पडे अकेले, बनी तमाशा हमारी चाहत 
है इश्क कातिल कहे जमाना, फना हजारों को देखते है 

जो मुफलिसी मे हुये है पैदा, चिराग बनकर भी चमके कैसे 
नजर उठाकर वो बुझते दिपक, कभी सितारों को देखते है 

क्यूं रौशनी पर लगा है पहरा, छिपा लिया किसने आज दिनकर 
हुआ अंधेरा है वक्त कैसा, अजब नजारों को  देखते है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 13, 2024

आवाज़ों के जंगल में
कान बहरे हो जाते हैं
दिल सुनता है...
बिछड़े प्रीतम के 
दिल की धड़कन का शोर;
जिसमें सुनाई_देती_है,
विरही मन की आस भरी पुकार।
हाँ ! 
आवाज़ों के जंगल में
मैं सुन लेता हूँ
सिर्फ़ तुम्हारी आवाज़।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 11, 2024

उदास मनको कही छिपाये रखते हैं
लबों पे झूठी मुस्कान बनाये रखते है

दिलकी हालत कोई क्या समझेगा
मोहब्बत को पलको पे सजाये रखते हैं

जाने वालेको कौन रोक पाया हैं कभी
इंतजार में पलके राहों में बिछाए रखते हैं

टूटे दिल की कहां आवाज सुनाई देती हैं
अहसासों को मन में यूंही दबाए रखते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 10, 2024

इंतज़ार तेरा रहता है,निंद अधुरी है तेरे ख़्वाब के बिना,
याद करके ख्वाबो में, हसीन पलों में तुम्हे खोजता हूं,
दूर से ही तेरी कदमों की ख्वाबों में आहट सुनाई देती है,
और निंद में भी दिल जोरो से धड़क जाता है,
तभी इक ठंडी हवा का झोंका हकीकत में लाता हैं,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 8, 2024

प्यार का ज़ज़्बा भी,क्या क्या ख्वाब दिखा देता है,
अजनबी चेहरों को भी,अपनी महबूबा बना देता है.
मेरे ख्वाबों में है एक तस्वीर,दिल पर लिखा जिसका नाम,
अनदेखी नज़रें,ख्वाबों में मिलने को हैं ये जिया बेकरार,
देखना मेरी इन अंखियों में होगा,बस तेरा प्यार ही प्यार.!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 6, 2024

यूँ आहट न करो ख़्वाब घबरा के छुप जाएंगे
छेड़ो न पलकों को आंखों में चुभ जाएंगे

ऐसी नज़रों से न देखिए हमारी ज़ानिब
वरना लफ्ज़ सीने में ही रुक जाएंगे

शायद वो पत्थर भी ख़ुदा हो जाये
अगर हाथ बन्दगी को उठ जाएंगे

ये जुगनू तो हैं रात के मुसाफिर
सहर होते ही लुक जाएंगे

ले जाओगे भी तो कहाँ इनको
निशान दर्दों के वहाँ छुट जाएंगे

न छोड़ो इन्हें खुले मौसममें
चन्द वरके हैं कागज़ के ये तो फ़ट जाएंगे

कोशिश तुमभी करो हमभी करेंगे
जरा से फांसले हैं जो ख़ुद ही घट जाएंगे

छुपा लो कसकर इन्हें मुठ्ठियों में ही
वक़्त के खूबसूरत जर्रे नहीं तो सरेराह लुट जाएंगे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 5, 2024

एक ग़ज़ल हूँ मैं, साज़ ए दिल पे गुनगुना लो मुझे..
तुम्हारी धड़कन हूँ मैं, सीने में अपने छुपा लो मुझे..

गुलाब का एक महकता फूल हूँ, ज़ुल्फों में सजा लो मुझे..
प्यार का मीठा दर्द हूँ, दिल में अपने बसा लो मुझे..

एक मुस्कुराहट हूँ, होठों पे अपने सजा लो मुझे..
ग़म का आँसू भी हूँ, हँसकर बहा दो मुझे..

दास्ताँ भी हूँ, चाहो तो भुला दो मुझे..
एक सुनहरा सपना हूँ, आँखों में बसा लो मुझे..

कुछ और नहीं, तुम्हारी ज़िन्दगी हूँ मैं,
हँसकर गले से लगा लो मुझे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 4, 2024

धुआं धुआं है फ़िज़ा रौशनी बहोत कम है
सभी से प्यार करो ज़िन्दगी बहोत कम है

हमारे गांव में पत्थर भी रोया करते थे
यहां तो फूल में भी ताज़गी बहोत कम है

तुम गगन पे जाओ तो चांद से कहना
जहां पे हम हैं वहां चांदनी बहोत कम है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 3, 2024

कहां हे तु जरा तेरा रूख तो बता ऐ जिंदगी
थाम लु तुझे मैं मेरी सांसो मे तो आ ऐ जिंदगी
ना शरमा युं नव दुल्हन सी तु ऐ जिंदगी,

बन भँवरा सा तुझे ढुँढू हर फूल हर कली
कस्तुरी सी सुंगध तेरी,मेरी ओर बहा ऐ जिंदगी

ना युं तड़पा मुझे,ऐ सुन्दरी तु मृगनयनी,
मौत से होगी एक दिन प्यारी सी मुलाकात

बस कुछ कदमों तक तेरा साथ चाहिऐ
बांहो मे तेरी कुछ पल की पनाह चाहिऐ
दुंगा साथ ता उम्र तेरा ऐ जिंदगी,

करूं मै निर्मल मन की बात सगुन से,
तु हे स्वर्ग सी राह,मुझे हमराही तो बना ऐ जिंदगी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 2, 2024

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
सुप्रभात सुखमय हो जीवन
नव विहंग पुलकित है तन-मन 
विसरादो बीते कलुषित पल

नव प्रभात है ! सादर वंदन। 
मंगल बेला शुभ घडी आई
नित नूतन खुशियां संग लाई 
नव विचार सृजित हों हर पल

नव प्रभात है ! सादर वंदन। 
शुभ सोचो शुभ को ही ध्याओ
शुभ संग अपनी प्रीति बढाओ 
शुभ भावों से करो आचमन

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
समय चक्र नित घूम रहा है
सजग रहो यह बोल रहा है 
स्वर्ण ताप में बनता कुंदन

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
अखिल भारती का है कहना
सजग आत्मा में तुम रहना 
बन जाओ प्रभु के प्रिय चंदन

~~~~ सुनिल #शांडिल्य