Thursday, November 30, 2023

वो नदी जो मोक्षदायिनी है, 
दिव्यस्वरूपा है। 

वो नदी जिसके सतह पर 
चाँदी की चमक बिखरी है। 

वो नदी जिसके घाट 
नीले मणियों से सजे हैं। 

वो नदी जो कविताओं को जन्म देती है, 
सींचती है.. बिखरा देती है। 

तुम उस नदी सी सुंदर हो.. 
हा तुम ही वो मेरा प्रेम हो। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 28, 2023

जिस फूल में कोमलता की कोई झलक नही
उस सरोवर के फूल को हम "कमल" कैसे कहें।

जिनकी आँखोमें अपनों के लिए कभी दर्द न हो
उन बेरुखी आँखोको यूं भला "सजल" कैसे कहें।

जिस महल में मुमताज़ के प्यार की महक नही
उस महल को हम भला "ताजमहल" कैसे कहें।

जिस बादल में गर्जन करने का सामर्थ्य ही नही
आसमान फैला धुंधलका को "बादल" कैसे कहें।

जिस अंजन में आंखोंको निखारने का तर्ज नहीं 
उस सुरमा को हम आँखोंकी काजल  कैसे कहें।

जब मन में सवाल नही तो हल कैसे लिख पाएंगे।
जब तलक तेरा दीदार न हो हम "गजल"कैसे कहें।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Wednesday, November 15, 2023

तुमसे मेरा प्रेम इसलिए नहीं कि तुम अद्वितीय हो।
तुमसे मेरा प्रेम इसलिए नहीं कि तुम अद्भुत हो।

तुमसे मेरा प्रेम इसलिए है कि तुम तुम हो।
तुम्हारा तुम होना ही तुम्हें बनाता है सबसे अलग !

तुम्हारे व्यक्तित्व की सादगी ने हर पल मुझे आकर्षित किया!!
तुम्हारे आचरण की सौम्यता ने हर क्षण मुझे प्रभावित किया।

तुम्हारी निश्छलता ने प्रतिक्षण अंतर्मन को मुग्ध किया।
तुम्हारी पावनता ने प्रतिपल आत्मा का स्पर्श किया.....!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

@followers

Friday, November 10, 2023

गजल न कोई लिखता हूँ
न कोई गीत मैं  गाता हूं

नहीं आता है छंद मुझको 
न कोई कविता मुझे आती है

मुझको तो बस तू भाती है
मैं तुझको ही लिख जाता हूं

जोड़ कर मैं चार शब्दों को
उन शब्दों में तुझे पिरो देता हूं !

~~~~ $h@πd!£y@

@followers

Wednesday, November 8, 2023

सादगी से भरा चितवन
ना फरेब ना धोखा है 

करामाते खुदा हो जान लो
तुम्हारा प्यार एक तोहफा है

हया,मादकता और सौम्यता
का प्यारा एक झरोखा है 

रजनी गंधा सी खुशबू बिखेरे
तुम्हारा इश्क एक तोहफा है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

@everyone

Sunday, November 5, 2023

साँस के धागे से यूँ उलझे रहे
ख़ुश्क से ज्यूँ शाख पे पत्ते रहे।।

जब दिये की रोशनी कुछ भी न थी
ख़्वाब फिर भी आँख में पलते रहे।।

रोकना कदमों को चाहा था बहुत
आपकी राहों में पर चलते रहे।।

कुछ तो था जो दरमियाँ था हमनवा
रफ्ता रफ्ता हम जिसे खोते रहे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 2, 2023

मै दीप अगर, तू बाती है
बिन तेरे, जीवन में ज्योति क्या? 
मै सीप अगर, तू मोती है
बिन तेरे, मै बन सकता क्या?

मै नदी अगर, तू लहर मेरी
तुम बिन, बेड़ा पार कहा
मै गांव अगर, तू गालियां है
तुझ बिन, मंजिल मेरी पार कहा

मै सूरज अगर, तू किरणे है
बिन तेरे, दिन की शुरुआत कहा
मै चांद अगर, तू चांदनी है
तुझ बिन मुझमें शीतलता कहा

मै फूल अगर, तू मधुमक्खी
तुम बिन जीवन में मधु कहा
तू नदी अगर, मैं सागर हूं 
बिन मिले तुझे, मेरा मकसद क्या

~~~~ सुनिल #शांडिल्य