वो नदी जो मोक्षदायिनी है,
दिव्यस्वरूपा है।
वो नदी जिसके सतह पर
चाँदी की चमक बिखरी है।
वो नदी जिसके घाट
नीले मणियों से सजे हैं।
वो नदी जो कविताओं को जन्म देती है,
सींचती है.. बिखरा देती है।
तुम उस नदी सी सुंदर हो..
हा तुम ही वो मेरा प्रेम हो।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य