मैंने देखा बारिश की वो बूँद
शीशे पर ठहर कर
मुझे एक टक देखे जा रहीं थी
मैंने पूछा ऐसे क्या देख रही हो
वो धीरे से बोली बाहर तो आओ
मैंने जैसे टेरेस का दरबाजा खोला
मिली ठड़ी ताज़ी हवा की ताजगी
हल्की बारिश मे भीग मैं मुसकुराया
बारिश की वो बूँद भी मुस्कुरा रही थी
अब मैं उसका संदेश समझ पाया
प्रकृति के साथ ही जीवन सार्थक है
मुझे जीवन का यह संदेश दे
बारिश की वो बूँद
अपने गन्तव्य को चली गई
---- सुनिल #शांडिल्य