Wednesday, August 31, 2022

 मैंने देखा बारिश की वो बूँद

शीशे पर ठहर कर

मुझे एक टक देखे जा रहीं थी

मैंने पूछा ऐसे क्या देख रही हो

वो धीरे से बोली बाहर तो आओ


मैंने जैसे टेरेस का दरबाजा खोला

मिली ठड़ी ताज़ी हवा की ताजगी

हल्की बारिश मे भीग मैं मुसकुराया

बारिश की वो बूँद भी मुस्कुरा रही थी


अब मैं उसका संदेश समझ पाया

प्रकृति के साथ ही जीवन सार्थक है

मुझे जीवन का यह संदेश दे 

बारिश की वो बूँद 

अपने गन्तव्य को चली गई 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 29, 2022

 सरस ह्रदय में व्याप्त उपवन

सुदर सघन विचारो सा  मन


भाव पावस पवित्र सा तन

नित्य दीप जले नूतन नूतन


ह्रदय में प्रेम सर्वत्र समाया

ह्रदय मे प्रवेश प्रेम से पाया


उदगार सुगंधित पुष्प से महके

उर बना स्वमेव एक देव मंदिर


स्वयं ह्रदय से निकले रसधारा

प्रेम ये कैसा अनुपम रूप तुम्हारा


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 28, 2022

 प्राण भी प्रतिकूल जाते हैं ।

एक पल कब भूल पाते हैं ।।


छवि तुम्हारी आँख में उतरी।

कल्पना पर झूल जाते हैं ।।


स्वप्न में बेसुध लिपट जाते ।

नींद में हम ऊल जाते हैं ।।


विदाई क्षण मन डराने को ।

पीर के त्रिशूल लाते हैं ।।


काग जब बोले मुंडेरों पर ।

आगमन के फूल आते हैं।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 26, 2022

 पर्वत से फूटता 

जल प्रपात 

मानो कोई साक़ी 


उड़ेल कर सुराही से मदिरा 

छलका रही हो 

झील का प्याला 


ये पहाड़ी रास्ता 

एक सफ़र मैख़ाने का

ये वादियाँ 

धरती की सबसे बड़ी 

मधुशाला 


इसे देखते हुए जीना 

मानो 

आँखों से घूँट घूँट 

सोमरस पीना 


 ---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 25, 2022

 पर्वत से रूठी नदिया

तुनक मिज़ाजी निकल पड़ी

पत्थर को ठोकर मारा

माटी को गले लगाया

अनगिनत बाधा को पार किया

पर कहा किसी का ना माना

 

कभी ठिठकी कभी सकुचाई

कुछ लजाई कुछ मुस्काई

मिल गया उसका गंतव्य

सागर को सौंपा सर्वस्व

वक्षस्थल से लग गई सरिता

बहने लगी अश्रु धारा


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 23, 2022

 कितना हसीन वो_पल 

होता है जब

तुम्हारी मुठ्ठी_भर_यादें, 

मेरी शायरी में

और 

तुम्हारे एहसास, 

मेरे अल्फ़ाजों में

सदा जीवित होते है

तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ में 

इतना कुछ लिखता हूँ,,

फिर भी जब जब तुम्हे देखता हूँ

 हर बार 

नये खूबसूरत शब्दों की तलाश होती है....


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 22, 2022

 आसान_कहां होता

बिखरते पलों को, समेटना 

और

नये लम्हों को सजाना

अनकही बातों को यूँ संभालना


ज़िंदगी के शोर में

‌ख्वाहिशों की चुप्पी को सुनना 


हर बार अपने आप से मिलना 

मिलकर भी अनदेखा करना


रिश्तों को निभाना और

अपनी खुशी को बयां करना 

हर बार जीना,और जीने के लिये मरना !!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 21, 2022

 सदा शीतल_हृदय में ही 

खुशी का साज बजता है,


नयन के नीर से ही मेघ 

निज संसार रचता है,


कि मोती बूँद बन झरता सलिल 

जब व्योम के घट से,


उमंगित हो धरा के तन 

हरित परिधान सजता है।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 18, 2022

 सुकून का पर्यायवाची शब्द हो तुम ..

आंखे बंद करूं तो महसूस होती मुझे तुम


बिल्लौरी सी आंखों से मुझे निहारती हो तुम

पास आकर सीने से लगा लेती हो तुम


हौले से मेरे सर को  चूमकर कहती हो तुम

सुनिल उठो मैं आ गई


मेरे सर को अपनी गोद में रखती हो तुम

और गालों पे गाल रखकर कहती हो तुम


सो जाओ ..मैं तुम्हारे साथ हूं हमेशा ..

जहां तक हो सकेगा कब तक ? वादा नही करती


क्यूंकि वादे तो टूटने के लिए होते हैं ना

सीने से लगाकर भरोसा देती हो तुम


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 16, 2022

 निभाना रिश्तों को भी

आसान_कहाँ होता है


क़भी दर्द को पीना पड़ता है

कभी ग़म में रोना पड़ता है


लाख़ हो नफ़रत दिल में

फ़िर भी लफ़्ज़ों को तो सीना पड़ता है


क़भी मुस्कान के पीछे का दर्द

तो कभी दर्द के पीछे मुस्कान


हर मर्ज़ को परखना पड़ता है

हर फ़र्ज़ को करना पड़ता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 14, 2022

 जीवन के सफर में

मैं_और_तुम

साथ चले

चलते गए

कई बार

उलझे और उलझते गए

कई बार गिरे और संभलते भी गए

अब एक

स्थिरता है

तेरे मेरे दरमियां

ना रूठना मनाना

ना झगड़ा सुलह

ना रीझाने का है कोई शौक

यंत्रवत

रोज सी जिंदगी

ना तुम शिकवे करते हो,ना कोई शिकायत

हम कब से

इंसान से मशीन बन चुके हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 13, 2022

 हो ख़ुशी मेरी ज़िन्दगी हो तुम!

इश्क़ जिससे मुझे वही हो तुम!


ख़ूबसूरत हो इक कली हो तुम!

सुब्ह की धूप सी खिली हो तुम!


हमने किस्सों में जो सुना था वही,

हूबहू ख़्वाब की परी हो तुम!


हिचकियां देर तक मुझे आईं,

क्या मुझे सोचती रही हो तुम!


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 12, 2022

 मेरी कविता गीत तुम्हारे

गली_गली भटके बंजारे


जन्म जन्म तुमको पाने को

सुनिल पूजे  साँझ सकारे


सुधियों के संदेशे भेजे

देहरी देहरी दीप जलाये


पनघट पनघट पीड़ा प्यासी

घन बैरी पर लौट ना आये


कैसी रैन विरह बिछुड़न की 

चकवा चकवी सोन्न विचारे 

मेरी कविता...


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 10, 2022

 दर्द की दर्द से मुलाकात होगी 

जब भी तेरी_मेरी_बात होगी 


कुछ ग़म तुम लबों से कहना 

कुछ तुम नैनों में रखना 


मैं अफ़साने सारे ख़त में लिखूंगा 

अधूरी बातें सारी नज़्म में सिलूँगा 


लंबी बहुत लंबी वो रात होगी 

जब दर्द की दर्द से मुलाकात होगी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 8, 2022

 वो ना आई अपने वादे के बाद

शाम_ढलने_लगी कुछ पल के बाद।


हम करते रहे उसका इंतजार

भरोसा अपना टूटने लगा कुछ पल के बाद।


चाँद दिख आई कुछ सपनो के साथ

हम करते रहे बीते लम्हों को याद।


आँख झपने लगी मीठे सपनो के साथ

उन सपनों में दिख गयी कुछ पल के बाद।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 6, 2022

 नदी की निरंतर यात्रा में 

किनारे का महत्व

बस इतना है


हर आने वाली नई लहरों को

चूम कर ये कहना

अभी तो दूर है मंज़िल


बढ़ जाओ बस आगे यूँ ही

सागर के आगोश में

समाने के लिए


जो प्रतीक्षारत है सदियों से

जो आतुर है बेकल है बेचैन है


प्यार की अथाह गहराई के साथ

अपनी नदी से मिलन के लिए


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 5, 2022

 क्या देखा उस गैर में हमने

क्यों उसको अपना बना लिया


नज़र पड़ी जो पहली उन पर

क्यों दिल में अपने बसा लिया


सारा खेल नज़र का था ये

क़सूर दिल का बता दिया


पता नही उस गैर ने मुझपे

कैसा जादू चला दिया


बातों_बातों_में उसने

मुझे कैसे अपना बना लिया


जीत ले गये दिल वो मेरा

कैसे अपने दिलको हरा लिया


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 2, 2022

 ज़मी से मिलन गगन का है देखो,

धरा आज खुश हँस रही चान्दनी भी ....


करम आपका मुस्कुराये सनम जो, 

मिटा दो ज़रा ये गजब तिश्नगी भी  .....


ख्यालो में आओ सताओ नहीं तुम,

खफ़ा आप से करते है आशिक़ी भी.... 


छुपा कर निगाहो में रक्खेगे तुम्हे, 

करेंगे हिफ़ाज़त सनम दिल्लगी भी ...


---- सुनिल #शांडिल्य