Thursday, June 30, 2022

 पन्नों पर

लिखकर पूरा ना हो

इक अधूरा

किताब हूँ मैं


मुकम्मल नही

अधूरा ख्वाब हूं मैं


कभी चरागों की

जरूरत नहीं रखता

वो रात का स्याह

अंधेरा हूं मैं


ऊंचाइयों को डुबो दूँ

वो सैलाब हूँ मैं

तन्हा राहों का

तन्हा मुसाफिर हूं मैं


दिल से

बेनकाब हूँ

इसलिए शायद

बहुत बुरा हूं मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 29, 2022

 मुश्किल थी हिज़्र की वो रात

हम कह ना पाए दिल की बात


काश वो वक़्त ही ना आया होता

वो मुद्दा मसला सुलझाया होता


काश मैं यकीन करता तुम पर

या तुमने यकीन दिलाया होता


एक उम्र साथ गुजारने की चाह थी

काश रिश्ता बे वक़्त ना मुरझाया होता


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 28, 2022

 ये शराब भी है क्या शराब कोई

तेरी आँखों में बसता मयखाना कोई


तेरी निगाहे पैमाने में न रखती नशा 

तेरे चेहरे पर नूर जैसे महताब कोई 


समुंदर यूँ ही बदनाम अपने तेवरों से

तेरी निगाहों में उफ़नता सैलाब कोई


जो भी डूबा उसे होश न अरसे तक आया

तुझसे नजरे चुराकर करे मुलाकात कोई


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 27, 2022

 जीवन है तब तक

सांसें चलती है जब तक


क्या सांसों का चलना

ही जीवन है कहलाता


हां,तकता हूं मैं राह मौत की

ये जीवन अब मुझे डराता


तेरे इल्जामों का बोझ अब

मुझसे सहा नहीं जाता


तन्हाई में तकता हूं दीवारे

काली रातें मुझको निगलती


तू क्या जाने तेरे बिन मैं

घुट घुट मरता हूं रोज


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 25, 2022

 कभी मैं घुल जाता हूं

आंसुओं के जाम में


कभी मैं जी जाता हूं

अश्कों के दीदार में


कभी मैं डूब जाता हूं

तेरी यादो के अंबार में


कभी मैं खो जाता हूं

तेरे लबों की पुकार में


कभी मैं मर जाता हूं

तेरे इश्क की बौछार में


कभी मैं लिख लेता हूं

तेरी धड़कनों की आवाज़ में


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 24, 2022

 बीती यादें भूल जाएं ये मुमकिन नही

बीते लम्हें भूल जाएं ये मुमकिन नही


हमारी तमन्ना होती है सब भूल जाएं

पर कोई तमन्ना ही न हो मुमकिन नही


मौत आखरी मुकाम है इस जिंदगी का

जिंदगी हर किसी को मिले मुमकिन नही


इश्क किसी को किसी से हो सकता है

पर हर इश्क वफा करे ये मुमकिन नही !


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 23, 2022

 मुस्कुराता हुआ ही चेहरा मेरा रहता है

इस मुस्कान से दिल का कहां वास्ता है


इस दिल का हाल चेहरे से अलहदा है

गुफ्तगू ये सिर्फ अब मुझसे ही करता है


हाल ए दिल ये किसी से नही कहता है

कभी कभी आंखों से अश्कों में बहता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 21, 2022

 किसी भी अक्स के दो पहलू होते है

दान वही करता है जो जमके लुटता है


ईमान को लेकर कहां जाओगे #शांडिल्य 

ये बेकार है इसकी कोई कीमत नहीं है


वैसे तो ज़माने के बहुत ठोकर खाये हैं

पर कभी फूल ने भी हमें ठोकर मारी है


मेरे इस दिल की है फितरत बच्चो सी

जिसे खो दिया,चाहत उसकी ही करता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 20, 2022

 प्रेम संगम है, मिलन और बिरह का 

कभी मन फूल,कभी पतझड़ बन जाते है

खिलती है होंठों पे मृदु मुस्कान कभी 

आंखों में कभी सजल बिंदु भर जाते है।


----सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 19, 2022

 बातो बातो में जो ढली होगी

वो रात कितनी मनचली होगी


मेरे सिरहाने रखी याद तेरी

रात भर शमा भी जली होगी


सबने तारीफ तेरी की होगी

मै चुप रहा तो मेरी कमी होगी


तेरी आंखो मे झांकने के बाद

मेरी आंखों में ओस सी होगी


है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे

मेरे बारे में भी बात हुई होगी ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 17, 2022

 शाम इश्कियाना है ..


ढल रहा सूरज

तेरी यादों का पता ढूंढती है

ठंडी पुरवाई तेरा पता पूछती है

कानों में हवाएं गुनगुनाती है

ये फिजाएं बातें तेरी करती है

तन बदन महक उठा है

हंसता रहता हूं

इश्क का रंग चढ़ने लगा है

दीवाना कर दी हो मुझे

ऐसा पहली बार हुआ है


शाम इश्कियाना है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 16, 2022

 कलम आज मुझसे सवाल करती है

कमबख्त मेरे दिल का हाल लिखती है


कहता हूं इसे तू सिर्फ इश्क लिखा कर

पर ये हंसी के पीछे का दर्द लिखती है


कहता हूं छुपा लो एहसासों को तुम

पर रात जो अश्क बहे वो लिख देती है


जर्रा जर्रा आंखों का हाल लिखती है

मेरे रोते दिल का अफसाना लिखती है


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 14, 2022

 तुम्हारी मुस्कान,इतनी चंचल

जैसे रेत में पड़ा कहीं जल


विरले ही होंगे जगत में ऐसा हुस्न

समक्ष जिनके चंद्र ने डाला हो शस्त्र


तुम्हारी सुंदरता का क्या बखान करूं

मन करे की विस्तृत व्याख्यान करूं


पर मन दगा कर जाता उंगलियां हैं थम जाती

और आंखें मेरी रही एकटक निहारती तुझे


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 13, 2022

 सुनो मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं

किस हद तक बता नहीं सकता हूं


इक पल भी तुम'बीन न गुजरती मेरी

हर पल तुम्हारे ख्यालों में ही रहता हूं


मेरी धड़कन तेरे नाम से धड़कती है

हर पल मैं तुम्हारा मुंतजिर रहता हूं


कैसे कहूं तुम्हें कितना चाहता हूं मैं

इस अहसास को शब्द नही दे पाता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 12, 2022

 तुम सुंदर हो

मगरूर हो गई


तुम नशा हो

मदहोश मुझे कर गई


तुम सावन हो

बारिश बनकर बरस गई


तुम चांद हो

ठुमक कर चांदनी बिखेर गई


तुम लौंगकली

दांतों तले होठ दबाती हुई मचल गई


तुम गजगामिनी 

हिचकोले खिलाने कमर को लग गई


तुम जालिम हो

तरसाने मुझे लग गई


और मैं मासूम ........😌😑


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 9, 2022

 माहौल नशीला

मंच सजीला

बुन रहा कोई ख्वाब


चुपके-चुपके

दबे पांव आयी बलखाती

पास आकर

कानो में कुछ गुनगुनाई


चांद की किरणों सी

जगमगाती वो पल हर पल


आहिस्ते-आहिस्ते

नाजों से बुनती कोई ख्वाब 


राफ्ता राफ्ता सिहरता गया

उसके पहलू मे सिमटता गया


जैसे चांद जमी पे उतरा

और आगोश मे मुझे ले रहा 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 8, 2022

 मेरे सारे राज आज बेपर्दा करता हूं

तुम जो भी कहोगी वो मैं करता हूं


तुम्हारे सारे नखरे मेरे सर माथे पे

तेरे कदमों तले मैं हथेलियां बिछाता हूं


तुम्हारी  हर  जिद  मेरी  और इसे

पूरा करना अपना फर्ज समझता हूं


तुम्हारे हर ख्याल का मैं ख्याल रखूंगा

सीने से लगा कर तुझसे वादा करता हूं ।। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 7, 2022

 ढलता दिन

बेताब करती


मिलने की तमाम

कोशिशें नाकाम करती


मद्धम मद्धम हवाएं

शाम को तेरा हाल सुनाती


चाय की चुस्की संग

लिखने जो मैं बैठुं

चाय ठंडी पड़ जाती

कलम अल्फ़ाज़ भूल जाती


दिल आशिकाना

कहाँ धड़कनो का ठिकाना

उछलती-कूदती ख्वाइशें

रूह मे गूंजते तराने


बस तेरा ठिकाना

मेरी नजर खोजती 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 6, 2022

 तेरे हुस्न पर आज मैं

इक कविता लिखता हूँ


पर्वत से गिरती नदिया सी

तेरा यौवन मैं लिखता हूँ


तेरे दो नयनन को मैं

सूरज चँदा लिखता हूं


तेरे दो होंठो को मैं

कमल दल लिखता हूं


तेरी खनकती आवाज को मैं

जीवन का संगीत लिखता हूं


हृदय से निकले इस गीत में

तुझको मैं मृगनयनी लिखता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 4, 2022

 तेरी ये पलकें भार लिए 

लज्जा से,झुकती जाती हैं


नयनों की कोरों की झीलें 

चाहत की नाव डुबाती हैं


कुछकुछ खुद से रूठीरूठी

कुछ कुछ उससे मनुहार करें


सारी दुनिया पर जुल्म करें

अपनी दुनिया से प्यार करें


जब भी देखूँ तो यही लगे

तेरी आंखें कुछ कहती हैं !


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 2, 2022

 मैं बहता वरुणा का पानी 

तू काशी की गंगा ।

मिलन तुम्हारा कर देता है 

मेरे मन को चंगा ।।


तुझमें ही अस्तित्व ढूँढता

खुद अपने को खोकर ।

हाथ पकड़कर चलना चाहूँ 

मैल मैं सारे धोकर ।


तू तो भरी है धान कटोरा 

मैं हूँ भूखा  नंगा ।

मिलन तुम्हारा कर देता है 

मेरे मन को चंगा ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 1, 2022

 तुम भोर की पहली किरण

तुम ही सन्ध्या की गोधूली


तुम गगन में चमकता चांद

तुम ही सुबह की लाली


तुम हवा,तुम बादल,तुम ही खुश्बू

तुम से ही शिकायत,तुम से ही प्यार


तुम दिन तुम रात,तुम ही जज़्बात

तुम से ही जुड़ी मेरी हर एक बात


तुम ही सपना,तुम कल्पना,तुम यथार्थ

फिर क्या सवाल ?


---- सुनिल #शांडिल्य