Thursday, February 29, 2024

यूँ ना जाओ हमें छोड़ कर,
मर जाएंगे अकेले दम तोड़ कर।

क्यों हो यूँ तुम खफा मै ना जानता,
दूरी  पर हो खड़े यूँ मुख मोड़ कर।

थोड़ी नाराजगी तुम दो ना सजा,
बातें मन की बता तू दिल खोलकर।

जीना दुश्वार हुआ बिन तेरे सनम,
जल्दी जल्दी चले आओ दौड़ कर।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

#highlights

Saturday, February 24, 2024

उलझे हैं केश जैसे नागिनों का जाल कोई
तिरछी नज़र ये कटार लगने लगी।।

अधरों की लालिमा लजाये सूर्य का प्रताप
झुमके की आभा अनवार लगने लगी।।

दूधिया सा चाँद ढोये जैसे सुरमई साँझ
ओढ़नी भी तन को कहार लगने लगी।।

प्रीत की पड़ी फुहार चढ़ने लगा ख़ुमार
प्रियतमा भी रति-अवतार लगने लगी।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 18, 2024

दिल में समन्दर सा तुफान लिए
कुछ स्मृतियों के धुन गुनगुना रही

किरणों ने बिखेरा है साज अनहद
सुर लहरी बन तरंगें झिलमिला रही

वक़्त से पहले वक्त का तकाजा था,कि
आसाध्य सांझ की बेला तुझे बुला रही

उठ रहीं लहरें कुछ इस तरह कि मानो
वादियों को भी मचलना सिखा रहीं

उड़ चला मन का पंछी भी अब तो
दिल के टहनियों पर, कुछ ठौर पा रही,

बिठा कर यादों की कश्ती में हमें
"शांडिल्य" पूरी दुनिया की सैर करा रही

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 16, 2024

एक चाहत हजार जज़्बातऔर एक तुम..
एक रूह हजार एहसास और एक तुम..

एक मैं हजार किस्से और एक तुम..
दो आँखें हजार सपने और एक तुम..

एक चाँद हजार तारे और एक तुम..
एक रात हजार करवटें और एक तुम..
एक  'हमसफ़र' हज़ार 'ख़ुशी ' बस सिर्फ तुम.....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 13, 2024

तू नहीं तेरी तस्वीर ही सही, मुलाकातें तो होती है
तू कोई जवाब नहीं देती न सही, तुम से मेरी बाते तो होती है

संतुष्ट हो जाता है मेरा दिल ये सोच कर 
तुम मेरी जिंदगी में न सही मगर कहीं तो हो

तभी तो कुछ हवाएँ आकर मुझे ऐसे स्पर्श कर जाती
जैसे लगता तुमने मुझे गले लगाया।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 11, 2024

निपट अकेला इस दुनिया में डोल रहा मैं सारस,
तुझ बिन मेरा अरी संगिनी जीवन सूना नीरस।

पार गगन के कहाँ गई तू छोड़ मुझे धरती पर,
कण्ठ मेरा अवरुद्ध हो गया आवाजें दे देकर।

भरे हुए हैं निर्मल जल के नदियाँ और सरोवर,
पर मुझको तो प्यास बुझानी अपने आँसू पीकर।

नींद नहीं आती सपनों की गलियाँ भी अब सूनी,
मुझ विरही की विरह-वेदना बढ़ती हर दिन दूनी।

तड़प-तड़प कर ही कटते अब पल जीवन के सारे,
लगता मन को घेर रहे हैं आ-आकर अँधियारे।

अस्त हुई जाती है अब तो इस जीवन की संध्या,
समय पूर्व ही तोड़ रही दम हो आशाएँ वन्ध्या।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, February 7, 2024

हमारा दिल नहीं लगता तुम्हारे_बिन कहां जायें
कहां खोजे वो नादाँ दिन पता कुछ हो तो बतलायें

चलो किसी गाँव मेँ ठहरें, झटक लें धूप जीवन की
या फिर पुलिया पे जा बैठे हवाएं नम नहर की हों

हाँ बैठे नीम के नीचे जहां कोयल कुहकती हो
भरें मुठ्ठी मेँ कुछ कंकड़ उछालें कम कभी ज्यादा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Monday, February 5, 2024

वो बारिश की बूंदे और तेरा बहकना
भीगे आँचल का तेरे सर से सरकना
मुझे बहुत याद आती है।

बागों के कलियों में भौरों का मंडराना
तुझे देख लेने तेरी गलियों से गुजरना
मुझे बहुत याद आती है।

वो छत पर खड़ी होकर गेसुये सुखाना
गलियों से गुजरते तुझसे नज़रे मिलाना
मुझे बहुत याद आती है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, February 3, 2024

तेरा प्यार तो खुदा की नियामत है
और तेरा गुस्सा भी सौगात है मेरे लिए

माना बेकद्र हैं हम कुछ नहीं तेरे लिए
मगर क्या करे तू ही सबो शाम है मेरे लिए

तेरा प्यार सपनों से जागने नही देता है
और तेरा गुस्सा चैन से सोने नहीं देता है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 1, 2024

भाषाओं की दुर्बलता थी कि
शब्दों के अर्थ सीमित रह गए
इसलिए मैंने हमारे मध्य
मौन को संवाद का माध्यम चुना

जहाँ भाषा नहीं,भावनाओं का संवाद होना था 
पर भूल गया मैं कि भावनाओं के 
संप्रेषण के लिए सिर्फ़ मौन नहीं
संवेदना से भरा एक हृदय भी अनिवार्य है
जो मौन को उसी के अर्थ में महसूस करे 

हमारे संवाद की विफलता प्रमाण है कि 
तुम्हारा प्रस्तर हृदय इस संवाद के सर्वथा अयोग्य है
तुम्हें भाषा नहीं, भावनाओं को पढ़ना होगा
तुम्हें शब्द नहीं, अनुभूतियों को गढ़ना होगा।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य