Friday, December 31, 2021

 तोड़ दो तुम हर लक्ष्मण रेखा

चुन लो अपना जो सपना देखा


तोड़ दो जाति-धर्म की रेखाएं

गर किसी मे अहसास रूहे देखा


तोड़नी पड़ती है बेड़ियों की रेखा

यू नही मिलता प्यार रूह का देखा


प्यार ने कब उम्र रेखाओ को देखा

हो गया किसी से फिर क्यूँ मन रोका


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 29, 2021

 पायल की छन छन

जैसे बारिश की बुंद


तेरे नैन चंचल चपल

बिंदिया सूरज की लाली सी


घनघोर घटा बादल की

तेरे स्याह केश लहराए


श्वेत देह जैसे नीला अम्बर

लचके कमर जैसे ऋतु मतवाली


तेरा पावन आँचल लहराए

जैसे उड़ते देखा हो सागर को


क्या वर्णन करूं मैं तेरी

लिखूं तो कलम मेरी बलखाए


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 26, 2021

 इकतरफ़ा जो महोब्बत किया करते हैं

बेरुखी भला वो फिर कहा रखा करते हैं


जमाने से दूर अहसासों में रहा करते हैं

बदले बेवफाई के भी वफ़ा किया करते है


फितरत है जमाने की नादानियां समझना

अहसास-ए-रूह महसूस कोई ही करते हैं


अहसास-ए-महोब्बत कोई ही किया करते हैं

उतर कर रूह में खुद की डूबे रहा करते है


सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 24, 2021

 दिल के तमाम एहसास लिख दूं

तेरे इश्क़ में कुछ खास लिख दूं


अबतक जो बुझ ना सकी

जन्मों की वो प्यास लिख दूं


मेरी नज़्म के साथ बज रहे

इश्क के सुरीले साज़ लिख दूं


पाने को तुझे करते हैं रात दिन

रब के दर की वो फरियाद लिख दूं


इश्क़ सोच कर किया नहीं तुझसे

तेरे नाम सारी कायनात लिख दूं 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 22, 2021

 उपहास का पात्र बन कर रह जाता है

शख्स जो एक_तरफा साथ निभाता है


पागल, आशिक, आवारा कहलाता है

खुशिया काफूर कर जो साथ निभाता है


दरमियां लफ्ज़ो में ही अच्छा लगता है

गुजरता जो इस पथ, उसे पता चलता है


बेबसी और तनहाइयाँ यू कचोटती है

खातिर इक रिश्ते के अपनो से दूर ताउम्र हो जाता है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 20, 2021

 उफ्फ़ ये पल, उफ्फ़ वो पल

सोचने में गुजर गए,  हर पल


न खत्म हुआ इंतजार-ए-पल

बेताबिया बढ़ती गई,  हर पल


न आया लौट के गुजरा जो पल

उम्र ढल गई, इंतजार में हर पल


इक आस सी बंधी रहती हर पल

बेबसी सी छाई आँखों मे हर पल


नश्तर से चुबते है रूह में हर पल

अजीब दर्द से निकले दम हर पल 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 14, 2021

 गुजरा जो इक जमाना तेरे साथ मे

दुनिया से पर्दा रहे रूहानी साथ मे


हमदम,हमराज,खुदा जैसे साथ मे

कभी खुशी,कभी गम रोये साथ मे


बिछुड़े फिर न मिले कभी साथ मे

रहते हो फिर भी हमारी हर सांस में


कभी यादों के गहराये हुए बवंडर में

संजोया है तुमको इश्क-ए-लफ्ज़ो में


--- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 11, 2021

 रिवाज-ए-रस्मों में घुट रही जिन्दगी

दिल कही, कही और रुकी जिन्दगी


बेजुबाँ सी होकर रह गई है जिन्दगी

ख्वाहिशों को चूर-चूर करती जिन्दगी


खुले आसमान तले हवा बन्द जिन्दगी

दास्तान-ए-दिल लिख रही है जिन्दगी


खामोशियों के शोर में बोर है जिन्दगी

कोई समझ नही पाया क्या है जिन्दगी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 9, 2021

 सुरक्षा रणनीति में वो ऐसा निर्माण कर गया

नाम के मुताबित रचनात्मक हौसला दे गया


ललकार कर दुश्मनों को वो यू संदेश दे गया

चली गोली तुम्हारी, कम नही गोलियां हमारी


पहल नही होगी कभी भी आगे से यह हमारी

गुस्ताख़ी की तुमने फिर खेर नही होगी तुम्हारी


#श्री_बिपिन_रावत_जी

🙏💐

---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 8, 2021

 हर बात भी उससे

हर डांट भी उससे


पर जाने क्या ऐसी बात हो गई

सुने उसे अब,रात हो गई


काली रातें काली आंखें

काजल से भीगे आंसू


पोछ ना पाया इन हाथों से

रात हो रही,वो सो रही


हर कविता थी नाम पे उसके

हर ग़ज़ल भी उसपे

हर गीत भी उसपे


पर जाने भूल कहां हो गई

मेरी परछाई कही खो गई


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 5, 2021

 तुम वो इश्क हो


जिसे किसी कविता

ग़ज़ल,और नज्म मे

पिरोया नहीं जा सकता


तुम मुक्कमल इश्क हो

अधूरी नहीं,संपूर्ण हो


कोई कविता नही

तुम वो गीत हो


जिसे हरपल गूनगूनाऊं

वो मधूरिम संगीत हो


तुम आशा हो

तुम उम्मीद हो


सूर्य की पहली किरन

सी प्रभाती हो


हाँ तुम इश्क हो

मेरा..इश्क..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 29, 2021

 मरते मरते रोज, अब इतना मर गए

तेरी यादों के सिवा, बाकी स्वाहा हो गए


बेरुखी तेरी और तन्हा हम हो गए

धस गई आँखे भीतर यू तुम्हे सोचते रह गए


तुम न समझे हाल-ए-दिल पत्थर हो गए

जबर्दस्ती नही प्यार में खामोश हम हो गए


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 25, 2021

 बालों से बदरा लाती प्रेयसी

हर लम्हा दिल चुराती प्रेयसी


होंठों से गीत गुनगुनाती प्रेयसी

बच्चों सी खिलखिलाती प्रेयसी


चूड़ी पहन सावन लाती प्रेयसी

कमरबंद पहन इठलाती प्रेयसी


यौवन पर इतराती,मेरी प्रेयसी

बाहों में अक्सर सो जाती प्रेयसी


है लाखों में एक..वो मेरी प्रेयसी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 24, 2021

 भूल कर तुम्हे खुद को कहा रखेगे

तू जगह दे, न दे तुझे दिल मे रखेगे


बनाया जो रिश्ता हक, हक रखेगे

तुम रखो न रखो हम ताउम्र रखेगे


बेवक़्त गुजरा, ताउम्र साथ रखेगे

बनाया रिश्ता उसकी लाज रखेगे


शामिल तेरे ज़मीर में जमीर रखेगे

वक़्त पर तुझे हर रिश्ते शामिल रखेगे


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, November 20, 2021

 तेरे माथे पे लगी

वो छोटी काली बिंदी,


चाँद पर लगी किसी 

जरूरी दाग की तरह है ।


तेरी आंखों में लगा

काला गाढ़ा काजल,


तेरी आंखों  को 'हाय'

और गहरा कर रहा है ।


तेरी कानों के झुमके संग

स्याह जुल्फों की जुगलबंदी


तुझे मुझ शायर की इक

खुबसूरत नज्म बना रहा है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 19, 2021

 तुम पास नही हो तो

आँखों में आँसू बन आती हो .. तुम ,


कभी लबों पर ..

मुस्कान बनकर आती हो .. तुम,..


कभी तिनका तिनका रुहानी 

मोहब्बत का एहसास कराती हो .. तुम .


जब भी मेरे पास आती हो तो 

अपना बना जाती हो ... तुम ..❤️


तुम.. हां तुम .. सिर्फ तुम ..❤️


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 16, 2021

 तोड़ कर जंजीरें भी फिर वो चला जायेगा

जिसे अहसास नही वो रिश्ता क्या निभाएगा


जो मतलब से जुड़ा, मतलब से ही आयेगा

गर दिल से जो जुड़ा होगा कही नही जायेगा


बेपीर दिल की पीर कोई क्या समझ पायेगा

जो समझ गया वो रिश्ता दूर रह भी निभाएगा


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 12, 2021

 मन की डोर, आकाश का छोर

उनसे गहरी है, समाधि की डोर


जिन्दगी पल, दो साँसों की डोर

अमृत बरसेगा संग प्यार की डोर


अहम जड़, का नही कोई छोर

सरस, विरल मन अमृत सी डोर


मिलन-मिलाप मधुर प्रेम की डोर

अहम क्या जाने स्नेह-प्रेम की डोर


विरह देकर मिले न स्नेह की डोर

भरोसा खरा, आनन्दमय की डोर 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 10, 2021

 चाँद पूर्णिमा का आज उतरा गगन में

न जाने खोया कहा चाँद मेरा भीड़ में


रहता है वो ही मेरे रूह के जर्रे-जर्रे में

घनघोर अंधेरा छाया शरद पूर्णिमा में


रोज पूर्णिमा होती थी...उसके संग में

शीतल पूर्णिमा भी गर्म उसके बगैर में


न जाने कब आएगी संग वो पूर्णिमा में

कब छंटेगी तन्हाई मेरी... 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 8, 2021

 सांस रुक जाए

मगर आंखें कभी बंद न हो


मौत आए भी तो

तुझे देखने की जिद खत्म न हो


तेरे लिए है ये दुआ मेरी

मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो


जिन चिरागों को जलाने को आग नही

उन लाशों पर कभी जुगनुओं का जश्न न हो


जिंदगी तुमसे मेरा खून का रिश्ता

मगर ऐसे रिश्तो में कभी जन्म न हो ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 1, 2021

 लाल लाल शरारा पहन कर चली है

देखो आज प्रेयसी मेरी रानी सी सजी है


काला कजरा उसकी शोभा नयन की

सर से है पांव तक गहनों से लदी है


हाथों में मेहंदी मेरे प्यार की कहानी है

नयना झुकाये ना कुछ कहती जुबानी है


शर्म से नैन झुका करती वो इशारे है

देखो आज प्रेयसी मेरी रानी सी सजी है


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 31, 2021

 कुछ तो तेरा चेहरा गजब था,

कुछ बारिश में तेरी

भीगी लटो ने

मुझको उलझा दिया,


कुछ मौसम का नशा हो रहा था मुझे 

कुछ तेरी नशीली निगाहों ने पिला दिया


मोहब्बत जब से की है तुमसे

इस मोहब्बत ने बहला दिया


कभी तेरी बातों ने किया मदहोश मुझे

कुछ तेरी खुशबू ने बहका दिया....!!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 30, 2021

 ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें,

दिलों में उल्फ़त नई-नई है ...


अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,

अभी मोहब्बत नई-नई है ...


अभी न आएँगी नींद न तुमको,

अभी न हमको सुकूँ मिलेगा ...


अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,

अभी मुहब्बत नई नई है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 29, 2021

 तेरे होंठों की

कंपकंपाहट पर

मैं आ जाऊँगा


गले लगाने का तू

वादा तो कर

मैं आ जाऊँगा


तेरे काजल लगाने से

शिकायत है मुझे 


आंखों मे अपनी बसाने का

वादा तो कर

मैं आ जाऊँगा


यूँ तो ज़माने के लिए

 तनिक व्यस्त रहता हूं


 हाँ तू पायल बजा

के इशारा तो कर

मैं आ जाऊँगा.!~


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 28, 2021

 एक लौ मद्धम ही सही

पर जल रही है


हर शाम तेरी कमी

बहुत खल रही है


तेरे सपनो में खोने से

अब डर लगता है


लेकिन,

कोई कह गया

ये रात ढल रही है


पर दिल में वो इक एहसास

आज भी पल रही है


सब जज्बातों का खेल है

धीरे धीरे मेरी उम्मीदें भी ढल रही है


और मैं भी

राफ्ता राफ्ता ढल !!!!!!!!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 27, 2021

 बेरंग से अब सब नूर है

उजालों में अंधेरे खूब है

तुझ बिन कहा वो रंग है

तेरे संग से ही मुझमें नूर है


बोझल, ओझल ख़्वाब है

ख़्वाब में तेरा ही अक्स है

दूर मुझसे इतना तू क्यूँ है

करीब रूह के मेरे तू ही है


तुझ बिन उजड़ा आशिया है

गया छोड़ के जाने तू कहा है

तुझसे जुदा कहा मेरा जहा है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 26, 2021

 एकांत में नदी किनारे

नश्वर देह के साथ बैठा


हवाओं में झूमते पेड़ पौधे

ठंडी ठंडी पुरवाई

पत्तों की मधुर आवाज

शाम पहर


डायरी में यादों के

पन्ने पलट रहा

सहसा

सुखी गुलाब की पंखुड़ी

उन पन्नों से बिखरी


महकी मेरी यादें तत्क्षण

आंखों में एक अक्स उभरा


कुछ बूंदें

आंखों से ढलक गई


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 25, 2021

 जा पहुंचा मयखाने

दर्दे दिल का पता

ढूंढते ढूंढते.,मैं


तुझे भुलाने की दवा

मयकशी बतायी साकी ने


खुद को तबाह करने की

नायाब तरकीब बताई थी


ज्यूँ ज्यूँ जाम पीता गया

तेरा ही अक्स नजर आता गया


ये मेरी बेसुधी थी या

तेरी मोहब्बत का असर


जाम में भी तेरा ही

अक्स नजर उभरता गया ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 24, 2021

 बदल रहा मौसम भी रंग

बदल गए है साथी वो संग


रंगे जो साथ मेरे हर रंग

खामोशिया दे गए हमे संग


बोझल हुए जिन्दगी के रंग

अहसासों में नही जो तुम संग


हमदम थे तुम मेरे हर रंग

खोया जाने कहा अब वो संग


तन्हा हुए जिन्दगी के रंग

दर्द ही दर्द नही रहा हमदर्द संग


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 22, 2021

 उसकी गली में हम थे

फिर भी उससे कोसो दूर थे


वो भी मौजूद वही थे

पर फांसले समुंदर जैसे थे


कैसे कह दे दुश्मन थे

अजीज दिल के मेरे वही थे


अंधेरों में जो मेरे साथ थे

आज उजालों में भी पास न थे


जिसके हर कदम साथ थे

आज वो हमारे इक कदम साथ न थे


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 21, 2021

 रात रानी की फूल सी तुम हो महकती ,

होंठो पर आई मेरे मद्धम मद्धम मुस्कान ।


फ़िज़ाओं में है कशिश की ताज़ी उमंग ,

बारिश की बूंदों में है प्यार की मधुर तरंग ।


तुझे देख ज़ुबा पर ठहरा बस इक तेरा नाम ,

धड़कनों की ज़ुबा कहे चलूं संग मेरी सजनी ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 16, 2021

 दिल की ग़लती से निगाहों में नमी रहती है

बस इसी बात पे दोनों में ठनी रहती है


तुमको देखा तो ये जाकर के भरम दूर हुआ

मैं समझता था फ़लक़ पे ही परी रहती है


तुमने पलकों का मेरी जबसे लिया है बोसा

आँख सोती है मगर नींद उड़ी रहती है


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 15, 2021

 मै जब भी तुम्हे सोचता हूं.....

मेरी आत्मा त्याग कर मुझे ....

चली जाती है तुम्हारे संग.....

आँखें बन्द,चेतना शून्य, 

मैं प्रतीक्षारत 

कि कब चूम लो मेरी आत्मा 

और

मैं फिर चैतन्य हो जाऊं...

तुम्हे सोचने के लिए......................


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 14, 2021

 बिना झिझके उन्होंने

मुझसे निगाह मिलाया था


तो उनके गाल पर

रंग सुर्ख लाल आया था


मेरे चेहरे पर उनके

ज़ुल्फों का जाल आया था


इश्क के नशे की लत में

हमने खुद को तब डुबोया था


गुलाबी कुर्ता पीला दुपट्टा

लबों पे लाली,माथे को बिंदी से सजाया था


तब हुस्न उनपर क्या

कमाल आया था ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 12, 2021

 भला, दिन कहाँ ढलता है..

ये तो 

एक सफेद पन्ना है जीवन का.. 


जो पलट कर 

काला पड़ जाता है..


पर,

इस गहन अँधेरे में भी ..

मन के आकाश में..

मैं हजारों अंजुलि

टिमटिमाते उजाले फैला देता हूं..


और..उन्हें 

निहारता हुआ जीवन, 

हजारों बार मुस्कुरा देता है..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 11, 2021

 गोरा बदन,तेरा चेहरा हिजाबी

निगाह शराबी,रुखसार गुलाबी


बनाकर जुल्फें,करती इशारे

दिखाए कितने ख़्वाब ख़याली


मुमकिन कहाँ की हो नज़्म बयाँ

ग़ज़ल सी तू,या मुकम्मल शायरी


मौसम बेवफ़ा,और क़ातिल अदा

क्यो बहाती है मेरा ख़ून शहाबी


लिख दिया तुझे इन अ'सआर मे

हुआ शेर फिर अल्फ़ाज़ इंतिख़ाबी


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 10, 2021

 बेपनाह, बेहिसाब इश्क की

अधूरी मेरी सारी हसरतें रही


कीमत मेरे रूहे-अहसासों की

फिर नज़रो में तेरे कुछ न रही


कशिश वो मेरे रूहे-दिल की

दरमियां दफन हो रूह में रही


तुझसे गुफ्तगू-ए-इश्क की

मेरी हर खव्हिश अधूरी रही


तुम मेरे सबसे करीब होकर

भी मुझसे उतनी ही दूर रही


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 9, 2021

 शे'र सुनना तो फकत बहाना है

मुझे तो तुमसे बात करना है


शाम ढले मुंतजिर हूं मुलाक़ात हो

मुझे तो सूरज को चांद करना है


शांत हो दरिया तो सफ़र ही क्या

मुझे तो तूफ़ान का पार करना है..


जानता हूं सज़ा सरकलम है इश्क़

मुझे तो ये गुनाह बार बार करना है


बाद गजल इंतखाबी शेर सुन लो 

मुझे तो इश्क का इजहार करना है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 7, 2021

 जो नशा तेरी आंखों में है

वो बात कहां मयखाने में है


उड़ती पतंग,समुन्दर के

पानी सी मदहोश तु है 


मैं मदमस्त हूं,मदहोश हूं 

तेरी आशिकी में मस्त हूं


कैसे तूझे अपना बनाऊं मैं

ये सोचने में दिल मेरा व्यस्त है 


तुझे देखकर रोज जीता हूं मैं

आज तुझपे मरने का इरादा है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 2, 2021

 वो इश्क मेरा मुझमें ही रहता है

इर्द-गिर्द वो मेरे हरपल रहता है


अहसास बन रोम-रोम बसता है

ओझल नजरो से रूह में रहता है


मुस्कान बन मेरे होठो में रहता है

धड़कने बम मेरे  दिल मे रहता है


सांसो की मेरी, आहट में रहता है

अहसासों में महताब बन रहता है


जब में चलता हू..


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 1, 2021

 मिली थी कल मुझे वो ..

थी मुकम्मल गजल सी वो


कह बैठी ,

सुनो ...


मैं भी तुमसा 

लिखना चाहती हूं ,


दर्द को पीकर

कैसे लिखते हो ?


तुम प्रेम से भरी 

ये कविताएं ..


जरा मुझे सिखाओ ना ,

मैं भी लिखना चाहती हूं ..


दर्द को दफन कर

प्रेम से भरी कविताएं ।। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 29, 2021

 स्कूल बैग वाले कंधों ने बोझा उठा लिया

कैसी मजबूरी जिसने बचपन छीन लिया


हंसने-खेलने की उम्र,जिम्मेदारीया लिया

देखो मजबूत कंधा कितना बालक लिया


सपने वो सारे जिम्मेदारियों में दबा दिया

कितना कठोर होगा, मन सब सह लिया


आँखे झुका दिल मे...दर्द को दबा लिया

बचपन को ही इसने जवानी बना लिया 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 28, 2021

 बड़े फ़रेब है जनाब उनकी झील सी आँखों मे

डूब कर देखा है हमने भी दरिया-ए-महोब्बत में


बेशक ! गजब का नशा है झील सी आँखों मे

महज कोरी बाते उनकी अहसास-ए-महोब्बत में


में सोया न फिर, डूबा रहा उनके ही ख्यालों में

और वो बोले समझाना क्या चाहते हो बातो में


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 27, 2021

 ख्वाबों ख्यालों में तुम आ रही हो

राफ्ता राफ्ता दिल में समा रही हो,


देख कर तुझे,मुझे सुकून आता है

इस कदर तुम,मुझसे मुझे चुरा रही हो,


चांद भी आज मद्धम पड़ गया है

तुम  घुंघट  से  जो  झांक रही हो,


तेरी सांसों से महकने लगा हूं मैं अब

तुम मेरे आगोश में जो बिखर रही हो ।।


 ---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 26, 2021

 दबा कर रखो चिंगारी दिल की

सरेआम न कर यू आग दिल की


सुलगने दे आग छलनी दिल की

दबा कर रख तू हर बात दिल की


समझता कौन बाते जज्बातों की

आहट होने दे तू पहले तूफानों की


उठेगा तूफान होगी बात जुबां की

पूरी होगी फिर हर बात वो दिल की


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 25, 2021

 अहले दिल ने सुनाई रात एक ग़ज़ल हमको

चलो बैठो मेरे पास , मैं गुनगुनाऊं उसको


यादें तेरी ख़्वाब तेरे और तेरी ही बातें थीं

आंख जो झपकी मेरी तो मिल लिया तुमको


वो सुनहरी आंखें होठ भी नरम से थे

रात ने मदहोशी में क्या पिला दिया मुझको


बस इश्क़ हुआ मुझको .... ❣


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 23, 2021

 एक नज्म लिखता हूं मैं तेरे नाम की

जाती नही खुमारी तेरे अहसास की


दरिया में जैसे है सैलाब उमड़ता

वैसे ही सैलाब उमड़ती तेरी यादों की


सोलह श्रृंगार में तू जो आई पास मेरे

अंखियों से देख तुझे मैने इश्क बयां की


गूंजते हैं इक इक लफ्ज मेरे कानों में

जो कल रात मेरे आगोश में तूने बयां की


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 22, 2021

 दीवाने बस दीदार-ए-इश्क करते है

आशिक भी सिर्फ आवारगी करते है


तेरी तन्हाइयो में हल तन्हाई ढूंढते है

हम तो रूह में रूहानीयत को ढूंढते है


प्यार,इश्क, महोब्बत जिससे करते है

महबूब वो मेरे मेरी रूह में ही रहते है


हर लफ्ज़ में हम सिर्फ उनको ढूंढते है

मोहतरमा हर लफ्ज़ उन्ही को लिखते है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 21, 2021

 अच्छा लगता है मुझे

तुम्हें महसूस करना


तुम्हारे मधुर स्पर्श को

हृदय के पास रखना


अच्छा लगता है मुझे

तेरा बोलना हँसना मुस्कुराना


बस एकटक तुम्हें देखते रहना

जैसे चकोर चांद को निहारता है


निष्ठा से हृदय में भाव

रखता हूं मैं तुम्हारे लिए


जैसे भक्त ईश्वर की

आरती उतारता हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 20, 2021

 तलब रूह की रूह से मिट जाए

गर तलबगार बन कर तू आ जाये


रूहे-बंधनो में यू हम जकड़ जाये

खबर खुद की भी हमे न हो पाए


न लब हिले न लफ्ज़ बोला जाए

खामोश हो जाते रूहे मिलन पाये


मिलना है रूहो को कौन रोक पाए

रूहे मिलन है मिलकर ही चेन पाये


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 19, 2021

 ये दुनिया एक फूल

और तुम हो एक क्यारी


बेनूर रंग हैं जमाने के

सिर्फ तुम हो प्यारी


हरपल तुम्हारा ही ध्यान चाहिए

हमें तो बस तुम्हारी मुस्कान चाहिए


तुम्हारे आगे यह चांद सितारे

लगते हैं फीके से हमको


ये दिल गाता है हर पल गीत तुम्हारे

जो तुमसे हमें जोड़े वो अरमान चाहिए ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 18, 2021

 तुम मंद हवा

का इक झोंका ,

जो मेरी रूह को छू जाती है


तुम वृक्ष की शाखा पर

बैठी एक कोयल ,

जिसकी कुंक मेरे अंग-अंग को

मिठास से भर देती


तुम आसमान से

गिरने वाली बूंद ,

जिसका मैं और यह धरा

दोनों ही चीर काल से मुंतजिर


इस उम्मीद पर कि तुम एक दिन आओगी

और हमारी प्यास बुझा दोगी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 17, 2021

 साँसो में उलझन

बातों में हिचकिचाहट


शब्द फंस रहे

दिल बेचैन सा


मन को फुरसत नही

ख्यालों से उनके


कानो में हवाएं

मधुर सरगम गा रही


बेवक़्त की बारिश

मुझे भिगों रही


लिखता नही मैं

अपने गीतों में उम्मीद


हर पंक्ति में अब

प्यास नज़र आ रही


अग़र है मुझे प्रेम तो

रब उन्हें भी अहसास कराए। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 14, 2021

 श्रृंगार रस मय तेरा बदन

सादगी का पहन ले दामन


गूथ गेसुओं में गजरा गहन

तरसे देखने को तुझे नयन


ह्रदय घर बसा तुलसी मन

शिवालय रूह के अंतरण


महके मोगरा यू तेरे बदन

खुशबू भाये रूहे अंतर्मन


छेड़ रागिनी कोयल कंठन

बिखरा काजल तेरा नयन


कपोलो पर आये थिरकन

मन हो जिसमे मस्त मगन 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 13, 2021

 सुनो....

अब न करेगे तुमसे सवाल कोई

तुम भी न देना अब जवाब कोई


वरना समझेगा यू इश्क हर कोई

उंगली न उठे तुमपे बेवजह कोई


शक का नही है यहा इलाज कोई

न लिखे तेरे लफ्ज़ से लफ्ज़ कोई


किन गुनाहों की सजा दे रहा कोई

वो मेरा था, फिर मेरा हुआ न कोई


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 12, 2021

 यू आसान नही निकलना जमाने से सजनी

तमन्नाएँ दिल की अब दिल मे ही रख सजनी


अधूरी ख्वाहिशें पूरी किसकी हुई यहा सजनी

दब गए ख़्वाब जिम्मेदारीयो में कहा है सजनी


जिन्दगी की उलझनों में उलझ गया हूँ सजनी

न खुद की खबर रहती,न तेरी खबर है सजनी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 10, 2021

 है चित्रित तू

मैं हूं रेखाक्रम


..मधुर राग तू 

मैं स्वर संगम


..तू असीम मैं

सीमा का भ्रम


..काया छाया

में रहस्यमय


प्रेयसी प्रियतम का

अब अभिनय क्या ?


तेरे उर पे है जब

..नाम मेरा तो


चलो डूबे आकंठ

प्रेम की सरिता में


इक दूजे संग हम बंध जाए

जन्म - जन्म  के  बंधन  में ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 8, 2021

 फूल गुलाब का हाथों में

और होंठो पे मुस्कान


चलो हमसफर चले संग

जिंदगी के बाद जिए हम


फ़िज़ाओं में हो कशिश

जुबां प्रेमगीत गुनगुनाए


बारिश की बूंदों में हो

प्यार की मधुर तरंग


वादा करो लेकर मेरा हाथ

मुड़कर नही देखेंगे गुज़री राह


चाहे हो कोई मौसम

चाहे हो दिन या रात ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 7, 2021

 तुझे देख कर

अपनी कविता लिखूं

किस लिये?


स्वय को समंदर

तुझ को मैं सरिता लिखूं

किस लिये?


झुके नयन

और अधरों मे स्मित

किस लिये?


परिचित को

मैं अपरिचिता लिखूं

किस लिये??~


सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 6, 2021

 तेरी याद बसी हैं मुझमें ऐसे

.. जैसे कोई पुराना खत


किताब की तह में रखी

.. जैसे सूखे गुलाब की खुशबू


भींगी सावन की बारिश से उठती

.. सोंधी मिट्टी की खुशबू


उन पुराने प्रेम पत्रों की

.. हर तह में हो तुम


तुमसे ये जो जुड़ा है मेरा रिश्ता

.. उसके हर अहसास में हो तुम ।।


#शांडिल्य

Sunday, September 5, 2021

 ये सांझ भी तेरी

ये लाली भी तेरी


चलती हवाओं में

ये महक भी तेरी


दूर रहकर भी, मेरे

दिल में धड़कने तेरी


शब्दों का यूं काफिला

तेरी धड़कनों से गुजरे


लिखे जो मेरी कलम 

तो तेरे संग शब्द भी मेरे झूमे ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 4, 2021

 तुम वो हो

जो मेरे अंतर्मन

को छू पाई हो


तुमने मुझे

उंगलियों के पोर

से नही


मुझे छुआ है

अपने शब्दों से


अपनी आंखों

के मौन से


अनकहे

एहसासों से


बसने लगी हो

तुम मुझमें

और मैं

तुझमें


चल रहे दोनो

कदम दर कदम

एक दूजे की

ओर


शायद मंजिल

हमारी एक दूजे की

पनाहोँ में है..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 2, 2021

 काश.,

तेरे इश्क़ के समंदर में गोते लगाता

तेरी बाहों में सो पाता


तेरी शबनमी आँखो में खो जाता

शब्द रूपी माला में तुम्हें गूंथता रहता


काश_तुम होती है मैं होता और वक़्त होता

इन ज़ुल्फ़ों की घनेरी रातों में सोता


तेरे गोद में सर रख के

ख़यालों में खोता काश....,


---- #शांडिल्य

Wednesday, September 1, 2021

 मैं रूकने को कहूँ और तू रुक जाए ,

रब ने इतना खुशनसीब नही बनाया मुझे ।।


तुझे हाथ पकड़ कर रोक भी लूं ,

पर ये भी तो  मेरी  तदबीर  नही ।।


गुज़रेंगे दिन कैसे तुमबिन 

मेरे पास तेरी कोई तस्वीर भी तो नहीं ।।


---- #शांडिल्य

Tuesday, August 31, 2021

 इक अधूरा सा जो

गजल मैं लिख रहा हूं ,


तुम्हें  जो  देखूं  मैं  तो 

हो जाए मुकम्मल यूं ही ।।


कभी  संग  छत पे

चलना चांदनी रात में ,


कभी गालों पे मेरे 

रख देना बोसा यूं ही ।।


लो एक ख्याल को

नज्म में बदल दिया ,


तुम आगोश में बिखरो

गजल लिख दूं  यूं  ही ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 28, 2021

 ..

आती हो तुम 

..पास मेरे

बनकर इक पल का

..अहसास


उड़ जाती हो दूजे पल

..ख्वाब बनकर तुम


..डर लगता है मुझे

ये जानती हो तुम

..तन्हाइयों से


..फिर भी..

येन केन प्रकारेण

तन्हा छोड़ जाती हो

..मुझे तुम..


#शांडिल्य

Friday, August 27, 2021

 जब ख्वाबों में तुम

..मुझसे मिलोगी

मैं मुलाकात समझूंगा


मेरे कांधे पे जब

..होगा तेरा सर

मै हमारे इश्क की

..शुरूआत समझूंगा


तेरी जुल्फें मेरे चेहरे

..पर जब लहराएगी

मैं रात समझूंगा


है ख्वाहिश तेरा बनने की

बनकर प्रीत मैं तेरा


ख़ुद को तुझे सम्पूर्ण

..अर्पित कर दूंगा


#शांडिल्य

Thursday, August 26, 2021

 अधूरी हर रात

अधूरी हर बात


अधूरा हूं मैं

अधूरी है तू


अधूरा है प्रेम

अधूरा है मिलन


इस अधूरेपन

में कितनी शिद्दत है


प्रेम को

पाने की इच्छा..

और खोने का दर्द..

दोनों है..


यही प्रेम है

समर्पण और अहसास


प्रेम है

बस और कुछ नहीं..!!


---- #शांडिल्य

Wednesday, August 25, 2021

 रुख से तेरे नकाब जो हटाऊँ मैं

देख कर मुझे मेरी चांद शर्मा जाए


जरा जी भर के करने दे दीदार मुझे

हो इजाजत गर,भर लूं तुम्हें बांहों में


सीने में लगी मेरी जाने कैसी अगन

बुझे जब तेरी सांसें टकराए सांसों से


दिल की बढ़ जाती है मेरी धड़कन

जो रख दे तू मेरे लबों पे लब अपने ।।


----#शांडिल्य

Monday, August 23, 2021

 अधरन मधुर माधुरी मुस्कान

बोली सरस जैसे वीणा की तान


झुमके बरेली के सजे दोनो कान

ग्रीवा है जैसे जल भरी गागरिया


छरहरा वदन और कृष कमरिया

ठुमक ठुमक पग धरे जो धरा पे


मधुर मधुर बजे छुमछुम पैजनिया

अदाएं ऐसी जैसे हर लेगी प्राण ।।


#शांडिल्य

Friday, August 20, 2021

 हुआ एहसास कि कितने खास है

किसी के लिये हम कितने पास है


जहाँ दूरी होकर भी दूरी नही

रूह को बस रूह की तलाश है


ढूँढती थी नजर जिस नजारे को

वो हमेशा अब आसपास है


सुकून की चाहत खींच लाई पनाह मे

क्या खूबसूरत एहसास है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 19, 2021

 नज़्में उलझी है सीने में ,

मिसरे अटके हुए लबों पे ।।


उड़ते फिरते तितलियों के तरह ,

लफ़्ज कागज़ पे बैठते ही नहीं ।।


कब से बैठा हुआ हूँ मैं ,ए हसीं ,

सादे कागज़ पे लिख के तेरा नाम ।।


बस तेरा नाम ही मुकम्मल है ,

इससे बेहतर कोई नज़्म क्या होगी ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 15, 2021

 कुछ गीत मेरे

यूँ तो ;

जमाने के लिए हैं.! 


ये छंद ये सुर

ताल ;

बस लुभाने के लिए हैं.! 


जो लोग मेरे

वतन ;

के लिए जान लुटा गए.. 


मेरे शब्द-सुमन उन

फरिश्तों ;

पर चढ़ाने के लिए हैं.!


भारत माँ के

वीर सपूतों को

शत शत नमन :🙏🙏


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 14, 2021

 नज़र बहुत लगती

खुबसुरत चीजो पर


ज़रा सा काजल

आंखो पे लगाया करो


एक जमाना हो गया

बारिश में तर हुए


अपनी जुल्फें ज़रा झटक

हमे भी भीगाया करो


मदमस्त ये मौसम है

तलब उठी है मदीरा की


मयखाने हैं बंद पड़े

ज़रा आंखो से पिलाया करो


हमे देख बुदबुदाती क्या हो

कभी हमे भी सुनाया करो


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 13, 2021

 सुनो ~


तुम बिन जीवन..

जैसे श्रृंगार बिन होगी दुल्हन.!


जैसे धरती होगी बिना पवन.!

जैसे सूर्य बिन ये नील गगन.!


जैसे बिन बरखा, के सावन.!

पुष्प रहित हो कोई चमन.!


घर हो कोई बिन आंगन.!

निष्प्राण- सा कोई तन.!


मृत कोई मन.!

जैसे हृदय हो कोई बिन स्पन्दन.!! 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 12, 2021

 कल्पनाओं से

तुम को लिखता हूँ

शब्द शब्द अक्स

तेरा नजर आए


शब्द-पुष्पों को भावों

का नैवेद्य बना

अर्पित तुम को मैं करूँ.! 


उस शब्द-माला

के हर शब्द मे तेरी

मुस्कुराती

तस्वीर मुझे दिखाई दे


सुन ~

मेरी कविता की

धक धक

आत्मा है तू 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 11, 2021

 तू पूनम का चाँद

जिसे सागर भी प्यार करते हैं.!


निसार खुद को

तुझ पे बार बार करते हैं.!


भला तू क्यूँ

इंतजार करे सितारों का ??


सितारे खुद ही

तेरा इन्तज़ार करते हैं.! 


 ----सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 9, 2021

 मन मे ये भाव जागे संग अनुभाव जागे,

रग रग मे तो प्रेम का प्रसार हो गया,


"कमसिन-कामिनी" का "नेह-दृष्टि" पान हुआ

"मधु-रस" से भी बढ कर खुमार हो गया,


सृष्टि गई डोल डोल बदल गया भूगोल,

जित देख उत प्रेमका खुमार हो गया ...


मुझ से दो_बातें कर उधर से उसने जो एक बार देख लिया,

हाय इधर ये मेरा दिल तार तार हो गया .... 💕


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, August 8, 2021

 नेह का छोटा सा बसा एक गांव हो ।

भावना की घनेरी वहां छांव हो ।

हो हृदय का भवन प्यार की पवित्र-देहरी ।

जिस पे सुन्दर सुकोमल मेरी प्रिया  तुम्हारा पांव हो 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, August 4, 2021

 सुनो...

मुझे तेरे चेहरे पर ये उदासी खलती है

खिलखिलाती, इठलाती अच्छी लगती है


लफ्ज़-दर-लफ्ज़ मिलो या रूबरू तुम

अहसास-ए-रूह मिलकर अच्छी लगती है


रिश्ते हजारों जमाने मे मतलबी है

रूहे-अहसासों में मुस्कराती अच्छी लगती है


न रखा करो यू उदासी चेहरे पर तुम

इक तू ही मेरी रूह से रूहानी लगती है


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, August 3, 2021

 ना मैं "जोगी"

ना मैं "बंजारा"

ना मैं "बादल"

कोई "आवारा" हूं   ¦¦


"भटकता" हूं

तेरी ही "धुन" मे

मैं "दीवाना"

मेरी जान तुम्हारा हूं  ¦¦


रहे तू "दूर"

कितनी भी, 

तुझे मुझ से ही "मिलना" है  ¦¦


"लहर" तू "प्रेम"

के "दरिया" की,

मैं तेरा ही तो "किनारा" हूं  ¦¦


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 31, 2021

 तेरी खातिर इस

दुनिया

का विष सारा पी लेंगे हम


तेरे सुख के लिये

स्वय

से निष्कासन भी लेंगे हम


तू चाहे अपना ले

मुझ को

चाहे तू तो ठुकरा दे.... 


तुझ से कोई एक

रिश्ता

तो है यही सोच जी लेंगे हम 


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 30, 2021

 बांध रखा तूने मुझे अहसासों की डोरी से

तुझ बिन ये दिन-रात लगते है बुझे-बुझे से


तुम हुए मेरी रूह के अहसास-ए-खुदा से

भुला मंदिर-मस्जिद तुम हुए मेरे रूहे-रब से


तुम बिन इक-इक पल लगते है बरसो से

कब बरसाओगे अहसास तुम सावन बादल से


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 29, 2021

 शायद‌ आईना ही है..

जो दिखाता है कि तुम हो कैसे.!

धोखेबाज..


 अच्छा होता,आईना ही ना होता.

हम खुद को,सुंदर महसूस ना करते.


निर्भर होते औरो पे..

और कहते,कि तुम बदसूरत हो..

हम मान‌ लेते..


कोशिश करते,सुंदर बनने की..

अपनी आदत और कामों से..!!


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 28, 2021

 प्रेम की पुस्तक मे

मेरी चाहत, 

का तुम अक्षर देखो ...


कैसे झुका हुआ है

इस धरती, 

पर तुम अम्बर देखो ... 


तुम को देखा लगा

जैसे सुबह, 

की धूप खिली प्रिये ...


मन है कि कभी

तुम मुझे, 

चुपके से छू कर देखो ...


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 27, 2021

 रंग गोरा तेरा जब बरसाओगे मुझ पर

सांवला रंग मेरा भी छा जाएगा तुझ पर


मिलकर लिखेगे फिर नई कहानी हमपर

अहसासों की स्याही चढ़ाएंगे कोरे पन्नो पर


लिखेगे किताब हम दोनों ही फिर मिलकर

अहसास-ए-रूह रखे नाम किताब का मिलकर


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, July 25, 2021

 जो रूके कदम तुम्हारी पनाह मे

तो सुकून_ओ_चैन पाया


गम के साये हुए दूर मनको

आराम आया


नही रहा कोई असर बेदर्द जमाने का

जिन्दगी मे इक ऐसा मोङ आया


रहा हमेशा याद वो वादा_ए_वफा

ज़फा का ना कही जिक्र आया 


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 24, 2021

 जिसमें एक

दूजे को..... 

देखें ऐसा दर्पण चाहिए  ;


चाहने वालों

को यहां..... 

साँसों का अर्पण चाहिए  ;


प्रेम की होती

है भाषा..... 

बड़ी सीधी और बडी सरल  ;


प्रेम मे तन

का नहीं..... 

प्रिये मन का समर्पण चाहिए  ;


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 22, 2021

 तुम्हारे साथ

होना जिंदगी.... 

की जीत होता है ¦¦


तुम्हारे नाम

का मतलब.... 

सदा मनमीत होता है ¦¦


मिले जो

आंख तुमसे.... 

देह मे सरगम उमंगती है ¦¦


तुम्हारे होंठ

का हिलना ~प्रिये 

मधुर संगीत होता है ¦¦


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 21, 2021

 तुम को देखा

हुआ आचमन गीत का ... ! 


तन से मन

तक हुआ आवरण प्रीत का ... ! 


दूर रहना हमारा

है अब मुमकिन नहीं ~~प्रिये


लाया संदेश ये आगमन तेरे हृदय से 

मेरी धड़कनों की प्रीत का ... !!


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 20, 2021

 पसीने से भींगी तुम

नख से शिख तक..


यूं लगती हो जैसे..

भींगा कोई कमल दल


जैसे..

चांदनी में नहाई रातरानी का पुष्प


जैसे..

ओस की बूंदों से तर हरी दूब


खुशबू तेरी मादक

जैसे..महुए का पुष्प 


जो पास आऊं मैं तेरे

नशे में झूमे मन मेरा बावरा


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 19, 2021

 तेरे इश्क का कसीदा लिखूं

या तुझपे कोई गजल लिखूं


लिखूं तेरी ज़ुल्फों का जिक्र

या लिखूं कातिल निगाहे तेरी


बहारे लिखूं चमन लिखूं

लिखूं दिलकश जवानी तेरी


जिक्र करूँ जज्बात लिखूं

लिखूं कोई कहानी तेरी


दिलबर लिखूं जान लिखूं

लिखूं इश्क लिखूं रवानी तेरी


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 17, 2021

 इश्क़ में मशरूफ था जमाना ,

हम तो सफ़र पे निकले थे..!!


क्या नज़्में,क्या ग़ज़लें

हम तो सिर्फ दर्द ही अब लिखेंगे..!!


याद करके सारी रात उनको ,

नींद चैन की हमें ना आयी..!!


लिखते लिखते कहीं कलम टूट ना जाए ,

दर्द इतने सारे है कहीं पन्ने कागज के कम ना पड़ जाए..!!


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 16, 2021

 नदी का किनारा वो बहका नजारा

वो शाम-ए-गजल वो उजली किरण


फूलों से नाजुक महकता बदन

लब है तुम्हारा के खिलता कमल


झुकी सी नजरें लटें लबों तक

तुम्हारा आना दिलों की लब-डब


तेरा मचलना मेरा बहकना

एक ही ख्याल में हमेशा जगना


यूँ बातों बातों में जिक्र तुम्हारा

रह रह कर फिकर तुम्हारा ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 15, 2021

 एक पूनम दो चाँद,

नज़रे उठाओ तो चाँद

झुकाओ तो चाँद

कमाल थी वो शाम एक पूनम दो चाँद 


मखमली शाम ने,शायर बना दिया

मैंने कही ग़ज़ल आसमान ने लिखा चाँद


इंतज़ार में गली किनारे छिप

वो मुझे देखती मै देखता चाँद


दो रंगो से मुहब्बत के इक सफ़ेद इक स्याह

इन्ही को ओढ़ता-बिछाता रहा एक वो एक चांद 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 14, 2021

 गीत बनूं तेरे होंठों का

गुनगुना ले तू मुझे


अश्क बनूं तेरी आंखों का

बहा ले तू मुझे


मुस्कुराहट बनूं लब पे तेरे 

खिलखिला ले तू मुझे


ख्वाब बनूं तेरी आंखों में 

सजा ले तू मुझे


खुशबू बनूं तेरी रूह की 

महका दे तू मुझे


खो जांऊ मैं तुझमें 

अपना ले तू मुझे ..


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 13, 2021

 मेरी कविताओं में,

मेरे शब्दों में

जो उतार चढ़ाव होता है

वो उसकी आवाज की कशिश होती है ।


जो प्रेम छलकता है

वो उसके अहसास होते हैं ।


जो तड़प और जिज्ञासा दिखती है 

वो उसकी

बदन पे

पड़ने

वाली ,

हर वो सलवट होती है 


जिसे मैंने

उसके

सपनो 

में स्पर्श किया है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 12, 2021

 तेरी बूंद बूंद इश्क से 

मैं सागर  हुआ ..


इस सागर-सा गहरा इश्क लिए,

भाप बनकर तेरे पास उड़ चला ..


ताकि तू बादल बन 

बूंद बूंद इश्क बरसा सके ..


और मैं तुझ पर 

अपनी सागर सी 

गहरी इश्क लुटा सकूं......!!


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 10, 2021

 मैं लिखता हूँ,की तुम पढ़ोगी

शब्द रचूंगा गीत बनूँगा

हर राह सुनाया जाऊंगा


हर बार जब कोई पूछेगा मेरे होने का सबब

कुछ न कहूँगा लिखूंगा,जवाब बन जाऊंगा


मेरा इज़हार एक ग़ज़ल होगी

मेरा इनकार एक नज्म होगी


मैं जीता हूं,रोज मरने के लिए

मौत के बाद एक ख़त सा पढ़ा जाऊंगा ।


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 9, 2021

 सर्दियों की ओस में

तेरी साँसों की चादर चुरानी हैं


आसमां अलग हैं सपनों का,

बादल पर दुनिया बसानी हैं


नया है ये नशा जो चढ़ा तेरा,

फ़ैली हर ओर रूत सुहानी है


कहाँ हो तुम ??

की,आ जाओ मेरी आगोश में ,


ओ मेरे हमसफ़र ,

मिश्री सी घुलती ये हमारे प्यार की निशानी है ।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 8, 2021

 ना मैं कोई शायर ना कवि


लिखता हूं मन के भाव

अपनी प्रेयसी की जुदाई

उसका प्रेम♥️


उन अनमोल पलों से रचता हूं 

शब्दों का ताना बाना

पिरोता हूं उसे एक माला मे


लोग कहते फ़ालतू क्या क्या

उन्हे कैसे बताऊं


मै उनके लिए नही

सिर्फ तेरे लिए लिखता हूं

हमारी कहानी है ये


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 6, 2021

 शायरी नही जज्बात लिखता हूं

मै महफिलों मे भी

तेरा ही नाम लेता हूं


चाह न थी हमारी

शायर बनने की

इश्क ने बना दिया


तुम्हें चाहा था हमने

तुमने ही सीखा दिया 


कैसा हूं कौन हूं

ये शब्दो में लिखता हूं


मै आज भी

अधूरी कहानियां लिखता हूं


हर कहानी में किरदार

अपने साथ तुम्हारा लिखता हूं ।। 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 5, 2021

 ये जो तुम्हारी पांव की पाजेब है

छनकती कम बहकाती ज्यादा है


जब भी इसकी सुर लहरी

कानों में गूंजती है


सोचता हूं थाम लूं ताउम्र के लिए,

तुमसे बिछड़ने का डर चुभता बहुत है 


अब आ जाओ पहलू में गर भरोसा  है तो..

दाग नहीं लगाऊंगा ताउम्र साथ का वादा है ।


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, July 4, 2021

 गर छोड़ दूँ कलम तो 

अपनी यारी मर जायेगी


और छोड़ दूँ तेरी यारी को 

तो मैं मर जाऊँगा


तेरे सिवा कौन है दोस्त मेरा

बता मैं कहाँ जाऊंगा


तेरे से दिल खोल के बातें की हैं

किसी से क्या कह पाऊंगा


रँगा दिल मेरा तेरी दोस्ती के रंग है

जब से तू मेरे संग हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 3, 2021

 तुम बन जाना ग़ज़ल मेरी

मैं तेरा इक अल्फ़ाज़ बनूं


तुम बन जाना क़रार मेरा

मैं तेरे दिल का सुकून बनूं


तुम बन जाना ख़्वाब मेरा 

और मैं तेरी निगाह बनूं


तुम बन जाना मन्ज़िल मेरी

मैं तेरा राही बनूं


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 30, 2021

 तुम्हारा ख्याल

चांद भी नहीं

सूरज भी नहीं

न धूप

न छांव

बस सितारो के ख्वाब

एक  एहसास


तुम्हारा  ख्याल

यादो के आसमान

मैं टहलता

बादल का टुकड़ा

जो अपनी आँखो के पानी से

सूरज का दामन भिंगो दे


तुम्हारा ख्याल

मन के गलियारे मे

बसे सन्नाटे सा

तुम से ही लिपट कर

समेटना चाहे तुम को


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, June 29, 2021

 तुम उस किताब सी खूबसूरत हो

जिसके हर पन्ने पर मेरी नज़्म हो


जैसे कि 


बेखुद होकर मस्त हवाएं लहराए

आंचल तेरा मेरे चेहरे पे सज जाए


जादू हल्का हल्का सा छाए 

उफ्फ..ये तन मन मेरा मदहोश होता जाए


तेरे तन की खुशबू से मैं महक जाऊं

मेरे मन मंदिर में सिर्फ तुम बस जाओ ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 27, 2021

 बला की खूबसूरत थी

अधर के

दाहिन

से

थोड़ा नीचे

एक तिल को

घर

मिला था ।


जिसे देख चाँद

रातभर

जलता

और,

मैं चाँद से ।


सिहर उठती

आगोश

में

सिमट जाती,

अधर को जब भी छूता,

बालों को सहलाते

कानो 

में

मैं कहता "प्रेयसी"

चांद उस क्षण

बादलों

में छुप जाता,

जल भुन जाता हो जैसे ।


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 26, 2021

 पिघलो और पिघलाती रहो

मेरी सांसो मे यू ही आती जाती रहो


ठंड की क्या है

बिसात जो मुझे छु भी ले

मैं अभी प्रेयसी की पनाहो में हूं


नशा छाया तेरे हुस्न का

सारी रात ना उतर पाया


बीती रात करवटों मे

ना उसे नींद आई

ना मुझे ख्वाब आया

भीग गया बदन दोनो का

ये देख सर्द रात भी खुद पे शर्माया


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 25, 2021

 सारी कायनात से है गुलामी करवाई

तबाही तेरे हुस्न ने कुछ ऐसी है मचाई।


तेरे हुस्न के दीदार को हो रहा बेताब

मेरे दिल मे तूने कैसी ये आग लगाई ।


आंखों पर मेरी सिर्फ़ तेरा अक्स छाया

आंखो से तूने ये कैसी है शराब पिलाई ।


बेवजह मौत से डरता रहा अब तलक

तूने होठों पर जीती जागती मौत दबाई ।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 24, 2021

 रहते हो हमदम करीब मेरे दिल के

आँखों मे भी अक्स तुम्हारा है


मुलाकात जब तक न हो तुम से

सुकून_ओ_चैन न तब तक हमारा है


फासले बहुत है फिर भी करीब है

मसाला कोई और मुझे भी नही


दायरा अपनी प्रीत का नही

ये बंधन से परे का रिश्ता है 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 23, 2021

 देख रही हो ये सांझ


थोड़ा स्याह रंग लिए, जैसे तुम्हारा काजल

थोड़ा सा सुर्ख लाल, तुम्हारे होठों का रंग जैसे 


दरख़्त के इन झूलते पत्तों को देखो

जैसे तुम्हारे चेहरे पर बिखरी लटें..


जानती हो ये सांझ इतनी खूबसूरत क्यों है ?

क्योंकि

इस सांझ ने सारा रूप, सारा रंग, तुम्ही से चुराया है❣️ 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, June 21, 2021

 मैं इंतेज़ार में हूँ कब अपनी

पहली मुलाकात होगी


तुम बैठना मेरे सामने 

हम तुम और चाय साथ होगी


ज़ुबाँ शायद दोनों की खामोश ही रहेगी

पर आंखों से आंखों की खूब बात होगी


समां वो भी आयेगा गम ना कर

जब तू मेरे साथ होगी


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 20, 2021

 स्त्री को,

पढ़ सको तो पढ़ना,


शायद जान पाओ कि,

इस ब्रह्मांड से परे भी एक जटिलता है,


जिसे ईश्वर ने ममत्व के धागे से बुना है,

प्रेम के सबसे पवित्र रंग में रंगा हुआ धागा,


उसे छूने की कोशिश करना,

उसे धारण करने की कोशिश करना 


अगर संपूर्णता से धारण कर सके,

तुम ईश्वर के समकक्ष हो जाओगे..


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 19, 2021

 क्या हुआ जो खोए से हैं रास्ते 

क्या हुआ जो अनजान ड़गर है 


क्या हुआ जो मंज़िल है लापता 

क्या हुआ जो वीरान सफर है 


डर मत हौसला रख 

बडा काम आएगा तेरे 


खुद का खुद में साथ 

रुक मत, आगे बढ़ 


अपने दिल के साथ 

खुदा की आजमाइश लिए 


ये तनहा सफर तेरे अकेले का नहीं 

उस खुदा का भी तो है 


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 18, 2021

 यूं तन्हा खुद को महसूस करता हूं,

की लफ्जों को भी तरस आता मुझपे।


जाने क्या क्या सोचता रहता है,

ये मन मेरा,विचरता रहता यादों में।


उन यादों में जिसमें सिर्फ मैं हूं,

तुमने तो छोड़ दिया कबका तन्हा मुझे।


लिखता रहता हूं श्रृंगार से भरी कविताएं,

पर मन की पीर कभी कभी छलक ही जाती है।। 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 17, 2021

 ये भला कौन जानता है

किस हद्द तक जाना है 


ये भला कौन जानता है

किस मंज़िल को पाना है


ये भला कौन जानता है

कब दुनिया से चले जाना है


मेरे दोस्त याद करें मुझको

यही जिंदगी का फसाना है


चला चल राही सफर में अपने

अभी और मंज़िलों को पाना है


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 16, 2021

 नशीली है नज़र तेरी

और शराबी है नजरिया


है सूरत तेरी चांद सी

उफ्फ ये बदन गुलाबी


लगे अजंता की तू मूरत

तसव्वुर तू हर शायर की


है,नूर गजल सा तुझमें

चेहरा तेरा गजब किताबी


तितली सी दो पलकें तेरी

थिरकती हैं व मचलती हैं


लरज़ते सुर्ख़ दो लब हैं

नज़ारा  क्या शबाबी है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, June 15, 2021

 फूलों से लिखें या बहारों से

नाम तुम्हारा लिख दूं मै चाँद सितारो से


बादल बताऊं तुम्हे या सावन की फुहार

आफताब हो तुम मेरे आसमां के 


बात हरपल चलेगी दोस्ती की हमारी

रिश्ता ये मशहूर है जमाने मे


नाम जो हो गया शोहरत पा गया 

जबसे तुम हम संग है 


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 13, 2021

 तुम मेरा ख्वाब बन के रहो

बस तुम मेरी याद बन के रहो


मेरी जिंदगी के सवालों का

दोस्त तुम ही जबाब बन के रहो


कुछ ज्यादा नहीं मांगा तुमसे हमने

दोस्ती का उमड़ता सैलाब बन के रहो


जब तलक जिंदा हैं हम तब तलक

तुम मुझ में महज़ सांस बन के रहो


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 11, 2021

 जो मेरी जिन्दगी चल रही है

ये तेरा ही काम है


सुबह-ओ-शाम लब पर रहता

तेरा ही नाम है


भटकते राही को दिया मंज़िल का पता

तेरा मुझपे एहसान है


माना हम जिस्म दो हैं मेरे दोस्त

पर अपनी ऐक ही जान है


अब क्या जुदा करेगी दुनिया 

जबतक तुम हम संग हैं 


----- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 10, 2021

 दिल पर लिखे आपके अल्फ़ाज़ भी

मुझसे यहीं कहते हैं


आपकी नजदीकियों में न सही

मगर इन अल्फ़ाज़ों में हम ही रहते हैं


कहां रहता है सूनापन

इन उम्दा अल्फाजों में


आप और आपका ख़्याल

हर पल इनमें सफ़र किया करते हैं 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, June 9, 2021

 वो सादगी से भरी निगाह

वो हजारों सवाल करती निगाह


कभी न खत्म होने वाली खामोशी

मेरे लफ्जों का न मिलने वाले वो शब्द


एक टक ठहरती नजरे तुझ पर 

वो हताश होकर देखने वाली नज़र


फिर कुछ न कहने वाली हिम्मत

तोड़ कर रख देती है मुझे 

तेरी ये दूरियों की मोहब्बत

Tuesday, June 8, 2021

 कब के अलविदा हम कह

चुके होते इस ज़िन्दगी को


ये ज़िन्दगी हमको यूँ प्यारी ना होती

गर इतनी प्यारी सोच तुम्हारी न होती


भटक रहे होते हम भी खिजां में

मुलाकात यूँ तुमसे जो हमारी न होती


बिन दोस्त ज़िन्दगी की गलियां तंग हैं

अगर तुम  हमारे संग ना होती 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, June 7, 2021

 हमने तो अपनी जिंदगी को

तेरे नाम किया है


ना होंगे जुदा आखिरी सांस

तक, तुमसे ये वादा लिया है


ज़ख्म तो कई थे दिल पर मेरे

सबको तेरी यारी ने सीया है


जो भारी है ज़माने की आंधियों पर

हम वो जलता दीया है


ना छूटेगा साथ कभी 

जब तक तुम हम संग हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, June 6, 2021

 तेरी याद आने से 

मेरी दुनिया में बहार है


कैसे न कहूँ तेरी_याद से भी

मुझको प्यार है


और आ करीब अपनी साँसों में

बसा, दिल बेकरार है


ज़ी भर के देखने दे आज 

तेरे चेहरे पे जो निखार है


बिन तेरे इश्क़ ज़िंदगी बेरंग है

ना अगर तुम हम_संग_हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, June 5, 2021

 अब सफर कट जायेगा जब

तेरी दोस्ती का साथ है


मिल जायेगी मन्ज़िल भी हमें

हाथ में जो तेरा हाथ है


मैं भूल जाता हूँ गम-ऐ-ज़िंदगी को

होती जब तुमसे मुलाक़ात है


जब मिलते हैं हम दोनों आपस में

होती बेमौसम बरसात है


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, June 4, 2021

 वो जो नक़्श थे तेरी_याद के

मुझे ख़्वाब कैसे दिखा गये


कभी हम राह में रुक गये

कभी तुम लौट के आ गये


वो जो गीत तुम पर लिखा था

हम उसी को गुनगुना गये


नसीब अपना मेहरबां यूँ रहा

तेरी दोस्ती हम पा गये


----- सुनिल शांडिल्य

Thursday, June 3, 2021

अपनी शरारत भरी नज़रों से ,

मैं तुम्हारे नज़ाकत भरे चेहरे पर हया लिख दूंगा ..!

हो बंदगी से भी पाकीजा ..तुम.

हमारे पाक इश्क़ की ऐसी दास्ताँ लिख दूंगा ...!!


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, May 30, 2021

 इक कदम भी न चल पाएंगे बिन तुम्हारे 

साथ ये उम्र भर को चाहिए 


बवंडर आये या आये कोई भी तुफां

हाथ ये ना अब छुटना चाहिए 


हर राह हर सफर हंस के जी लेंगे

हमसफर बस तुम चाहिए 


होगी हर चुनौती चूर चूर हर हाल मे

मंजिले भी मिल जाएगी जब हम संग है


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, May 29, 2021

 निभाया वादा हमने शिकवा न किया,

दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,

जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुये,

सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया! 


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, May 28, 2021

 हमने ऐक गुनाह कर डाला

ज़िंदगी को तबाह कर डाला


जो ज़ख्म भर चुके थे मेरे कब के

नोंच नोंच के उनको हरा कर डाला


बेच कर अपनी खुशीआं बाज़ार में

घर अपना खुद गमों से भर डाला


लुत्फ देने लगी तन्हाईयाँ ऐसे के

महफ़िल से खुद को जुदा कर डाला


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, May 27, 2021

 कुच्छ हादसों ने तोड़ा है मुझे

नहीं तुझसे जुदा हूँ मैं


नाराज़गी है तक़दीर से अपनी

नहीं तुझसे खफ़ा हूँ मैं


पराया सा लगने लगा हर शख्स मुझे

पर तुमसे जुड़ा हूँ मैं


इतनी भीड़ में खुद को अकेला पाया

शुक्र है तेरे साथ खड़ा हूँ मैं


----- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, May 26, 2021

 ये इश्क,

ना देखा न सुना

खुद ब खुद

ये कमबख्त हो गया


ये दिल,

जाने क्या होता इसे


उसकी एक आहट से

इसकी धड़कन बेतहाशा बढ़ जाती है

रक्त का संचरण

धमनियों पे दबाव बढ़ा जाता है


ये दिल,

जिनसे न मिले

ना देखा,न सुना

उससे ही लग जाता है


ये दिल,

इतना नादान क्यों होता हैं ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, May 25, 2021

 जिन्दगी की हर बात तुम से

दिन मेरे और मेरी रात तुम से


हर मुश्किल मे गर है किसी से

तो बस वही आस तुम से


गुलशन की आब तुम से

तो गुलाब की महक भी तुम से


सोच ही नही सकते कि

जायेंगे दूर कभी तुम से


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, May 24, 2021

 जीने का कोई बहाना नही

फिर भी जिये जा रहा हूँ मै


जिन्दा होकर जिन्दा नही

खुद का मातम मना रहा हूं में


अहसासों को समझा नही

तभी यू अश्क बहा रहा हूँ मै


वो मेरी किस्मत में ही नही

फिर भी इश्क कर रहा हूँ मै


जिस्म से हमे सरोकार नही

अहसासों में उसके जलता हूं में


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, May 23, 2021

 जीवन को मेरे तूने महकाया है ऐसे,

खुशबू से गुलिस्तां महकता हो जैसे।


हर जन्म रहे साथ बस तेरा,

सागर में पानी रहता हो जैसे।


बांहों में भर कर आगोश में ले लो,

सीप में मोती रमता हो जैसे।


छुपा लो दिल के किसी कोने में,

आँखों में कोई ख्वाब बसता हो जैसे।


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, May 22, 2021

 मंजिल तुम चुनो रास्ते

हम सजायेंगे


अल्फ़ाज़ तुम दे देना उनको

गीत हम बनायेंगे


खुश रहने का वादा तुम करना

खुशीआं हम लायेंगे


आप बस दोस्त बने रहना उम्र भर

दोस्ती हम निभायंगे 


जहां राह में हों कांटे आपकी तो

हम अपना दिल बिछायेंगे


----- सुनिल शांडिल्य

Friday, May 21, 2021

 किरदार अपना हमको भी बतला दो

लिफाफे गम और खुशियों के खोल दो


गुजरता नही वक़्त अब यू  गुजारने से

शहद थोड़ा रूहे-अहसासों का मिला दो


सितमगर बन कहर_ए_सितम ढा दो

कहर अहसासों का तुम कुछ यूं बरसा दो


भूल जाये दुनिया इस कदर अपना बना लो

या फ़ना कर सांसो को मेरी हस्ती ही मिटा दो


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, May 20, 2021

 सुकून बन कर आना या

ख़्वाब बन कर आना


तुम मेरे सवालों का इक

जवाब बन कर आना


सो लूँगा काँटों की सेज 

पर उम्र भर


बस तुम मेरे गुलशन में

गुलाब बन कर आना


अपनी मंज़िल ढूंढ लूंगा 

तेरी कजरारी आंखों में


इतनी सी गुज़ारिश है तुमसे

ना दूर हमसे जाना


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, May 19, 2021

 तेरी चाहत का वो मौसम 

सुहाना याद आया


तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें 

झुकाना याद आया


तुझे देखने की खातिर जो 

अक्सर गुनगुनाते थे


वो नगमा आशिकाना आज 

फिर याद आया 


तुम चली गयी कब की छोड़ कर

जाने क्यों गुज़रा ज़माना याद आया


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, May 18, 2021

 तू जो नहीं है तो मुझमें कुच्छ कमी है 

 चेहरे पर झूठी हंसी पर आँखों में नमी है


ख्वाबो में ख्यालों में तेरा ही दीदार है 

मुझे अब भी तेरा ही इंतज़ार है 


तुम अब चल पड़ी हो तुम अब आ रही हो

इन्हीं उलझनों में यूँ दिल मेरा बेकरार है


----- सुनिल शांडिल्य

Monday, May 17, 2021

 अपनी यादों का हर पल मैं

दिल में रखता हूँ


कुच्छ इस तरह मैं तुमको अपने

पास रखता हूँ


समां वो फिर लौट के आने वाला है

तेरी तस्वीर आंखों में रखता हूँ


फिर वोही झूले वोही मस्त बहारें होंगी

ढेरों खुशीआं संग ला रहा हूँ


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, May 16, 2021

 थाम के हाथ तेरा हम

कांटो पे भी चल लेंगे


उदासी ना छू सकेगी कभी

उदास पलों में हंस लेंगे


गम की अंधेरी रात गर आई

तो चाँद बाहों में भर लेंगे


तेरा साथ यूँही रहेगा उम्र भर तो

जिंदगी हंसी में गुज़र कर लेंगे


अब न छूटेंगे पकड़े जो हाथ हैं

जब तक हम साथ हैं


--- सुनिल शांडिल्य

Saturday, May 15, 2021

 गीत हम गुनगुनाने लगे 

मन ही मन मुस्कुराने लगे 


चाँद सा है तेरा चेहरा तेरा

सबको हम यह बताने लगे 


भगवान ने दोस्त ही इतना प्यारा दिया

हम उम्र भर की दोस्ती निभाने लगे


सबने जब हाल पूछा मेरा, हम

दिल ही दिल खिलखिलाने लगे


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, May 14, 2021

शबनम से भीगे भीगे लब तेरे 

और बदन महका हुआ सा है


पलकें झुकी हैं हया से पर क्यों

तेरा लहजा ख़फ़ा सा है


मासूमियत है तेरी आँखों में मानो

इक समंदर ठहरा हुआ सा है


बेमिसाल सा हुस्न है जैसे 

मेराअक्स उभरा हुआ सा है


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, May 13, 2021

 कौन देता है यहा साथ ताउम्र किसी का

बाद मतलब दिलासा, साथ जिन्दगी का


सितम करते है, दिखावा कर बातों का

झूठा कितना रिश्ता उनका अहसासों का


जुल्म करते है, दिखावा कर महताब का

उन्हें कहा इल्म है,अहसासों की तलब का


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, May 12, 2021

 गणित पढ़ते पढ़ते तो बरसो गुजर गए.....!!

तेरी आंखों में जो देखा तो पता चला सब शून्य हैं...!! 


----- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, May 11, 2021

 ऐ हवा इतरा के उनके गालों को 

छू कर चले आना


खिंचे चले आयेंगे वो यूँ ही उनको 

पता मेरा बताना


बहूत हुया इंतज़ार अब इंतेहा हुई

तुम_चले_आना


मामला संगीन है जरा सोच समझ 

के दिल था लगाना 


पल पल भारी है मुझ पर 

आ के शम्मा जलाना


----- सुनिल शांडिल्य

Monday, May 10, 2021

 ख्वाहिशों की इक नदी

बहती रही मनके अंदर मे


डूबते-उतरते रहे हम 

सपनों के बवंडर मे


लगाता रहा मन गोते

भावनाओं के समंदर मे


ढुंढते रहे अंजानी मंजिल

भटकते किसी कलंदर से


जिन्दगी गुजरती रही ठिकाना न मिला

रहे मंझधार मे हरदम किनारा न मिला


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, May 9, 2021

 मोहब्बत की हवा दिल 

की दवा बन गई


दूरी आपकी मेरी चाहत 

की सजा बन गई


कैसे भूलूँ  ऐक पल के लिए तुम्हें

याद ही मेरे जीने की वजह बन गई


गर इंतज़ार ही लिखा है जिंदगी में

तो यही मेरी सज़ा बन गयी 


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, May 8, 2021

 सबसे नजदीक होता है

जिस पर भरोसा होता है


कायनात सी खुशबू सा

वो हर अहसास में होता है


खबर हर कदम की नही

सांसो की आहट का पता होता है


ह्र्दय की हर बात जज्बात

सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता होती है


भरोसेमंद कह देने से नही

यकीनन यकीं करने से ही होता है


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, May 7, 2021

 है यकीन तुम पर खुद से ज्यादा 

करते है भरोसा तुम पर खुद से ज्यादा 


नही छोङोगे ये साथ चाहे 

दौर हो मुश्किल कितना

करते है विश्वास खुद से ज्यादा 


राह मे आये चाहे तुफा कितने

हो चाहे कांटो भरे सब रास्ते

कर लेंगे हर दरिया पार 

जब तक तुम हम_संग_है 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, May 6, 2021

 सुकून है राहत है तेरे अल्फाज़ो मे

जिन्दगी की बात है तेरी बातों मे


ख्वाहिश है अरमान है तेरे हर शब्द मे

तमन्नाओं की मुस्कान है तेरे हर नगमे मे


मै हो जाता हूँ भाव-विभोर सुनकर

जब गीत नया तुम गाते हो


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, May 5, 2021

 तुम न पढ़ो आज कोई गम नही

इतने काबिल लेखक हम भी नही


में भी लफ्ज़ो को देता विराम नही

निःशब्द हो लिखना गुनाह तो नही


माना लफ्ज़ो में मेरे दिखती जान नही

मगर अहसासों की बानगी भी कम नही


कभी में पढ़ता यहा कोई किताब नही

मगर लिखता हूँ वो अहसासों से बाहर नही

Tuesday, May 4, 2021

 मिल कर तुमसे  मुझे

नये तराने मिले हैं


तेरी_मेरी_कहानी में हमको देखो

दोस्ती के खजाने मिले हैं


हर दिन हुआ सुहाना रात हुई रोशन

जीवन को मायने मिले हैं


कट जायेगी उम्र सारी अपनी साथ साथ

दो दोस्त जब पुराने मिले हैं 


----- सुनिल शांडिल्य

Monday, May 3, 2021

 यकीन रख तेरा यकीन 

बरकरार रखूंगा


जीवन की आखिरी सांस तक 

तुझे पास रखूंगा


तुझ पर भरोसा किया है आंख बंद कर

तेरे लिये दिल में ऐहसास रखूंगा


सूरज निकले पश्चिम से निकलता रहे

मैं तो तुझपे विश्वास रखूंगा


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, May 2, 2021

 अब तो जीवन की राहें भी महकती हैं

जब से साथ तेरा पाया है


तुमसे मिल के मंज़िल की तमन्ना ना रही

रास्तों का लुत्फ हमने उठाया है


दिल जो भटका कड़ी धूप में तो एहसास हुआ

सबसे हसीं तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है


अब चढ़े दिल पे तेरे रंग हैं

जब से तुम मेरे हम_संग_हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, May 1, 2021

 मंज़िल के बहुत करीब हैं

अब हाथ ना छूटेगा 


सफर चन्द कदमों का है बाकी

तेरा साथ ना छूटेगा


रूह से रूह का हुया है मिलन 

अब कोई वादा ना टूटेगा


ले ली पतवार तेरे जीवन की हाथों में

अब कोई लुटेरा क्या लूटेगा


----- सुनिल शांडिल्य

Friday, April 30, 2021

 ख्वाबो के नगर मे

सपनों के शहर मे


हा जाना है इक 

ख्वाब ये पुराना है


शायद ये पूरा न हो पाये

सांसों का भी कहा ठिकाना है


जीत जाऊँगा हर हालात से

हौसला ना अब डिगाना है


मजबूती से जो थामकर खङे

हर हालात से अब ऊबर जाना है


वक्त फिर लौट आएगा समां

फिर गुनगुनाएगा


बस यही इरादा बनाना है 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, April 29, 2021

 सुनो


आज बादल बहुत हैं मेरे यहां

सरसराती गुलाबी सी हवा चल रही है

हल्की बारिश भी हो रही


शायद कल तेरे यहां भी यही बादल थे यही हवा थी

ऐसा लगता है जैसे ये छूकर आए हो कल तुम्हें


और आज वही हवा मुझमें लिपट रही हो

मेरे कानों में कह रही हो

मैं आई हूं तेरे इश्क की खुशबू लेकर


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, April 28, 2021

 रूह का बन्धन है यह तेरा मेरा

किसी डोरी का नहीं मोहताज है


सातों सुर बजते हैं दो दिलों में 

पर किसी तीसरे को आती नहीं आवाज़ है


मेरी बांसुरी की धुन पर उड़ती सी हो तुम

जबकि बक्शे तुझे खुदा ने नहीं परवाज़ हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, April 27, 2021

 तेरी वफ़ा के रंग से मैंने 

रंग लिया है खुद को


अब जाने नहीं दूंगा कभी तुमको

अपने साथ बांध लिया है तुझको


हर सांझ करता हूँ मैं इंतज़ार तेरा 

सिवा तेरे कुच्छ सूझता नहीं मुझको


ना समा पायेगा कोई दिल में

अब दिल के दरवाजे बंद हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, April 26, 2021

दिल चिरागों सा मेरा जलता रहे

चाहे वक्त हर पल बदलता रहे


तुम कभी ना हाथ छोड़ना मेरा    

कारवां बस यूँ ही चलता रहे


तेरी निस्वार्थ प्रीत के बंधन में बंध

मेरा दिल यूँही मचलता रहे


थाम ले हाथ मेरा ज़ोर से

ये सफर सुहाना ढलता रहे


----- सुनिल शांडिल्य

Sunday, April 25, 2021

 मेरी हर ग़ज़ल हर नज़्म 

तेरे ही नाम होती है


वो दिन बड़ा अच्छा गुजरता है

जिस दिन तुमसे बात होती है


जिस्म जिस्म से गर ना भी मिल पायें

रूह से रूह की मुलाक़ात होती है


लोग सूरज को ढूंढते फिरते हैं

अपनी तो हसीं रात होती है


----- सुनिल शांडिल्य

Friday, April 23, 2021

 जब जब जिक्र तुम्हारा होगा

हम वहाँ जरूर होंगे


मेरी जिन्दगी की किताब के

तुम खास पन्नो पर होगें


हाशिये पर नही आ सकती प्रीत हमारी

जीने के लिये जब तुम जरूरी होंगे


हर अल्फाज हर हर्फ मे सिर्फ तुम्हारी छव है 

जबसे तुम हम_संग_है 


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, April 22, 2021

 तेरे अल्फाज़ो में खुद को पाया है

यूँही तो नहीं दिल तुमसे लगाया है


मैं भटकता रहा अंधेरी गलियों में बनके राही

मंज़िल मेरी तो तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है


तेरे मिलने से ही जाना हमने वो गीत कितना सुरीला है 

जो मिलकर हमने गाया है


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, April 21, 2021

 तरसता रहा मन कि 

कोई सहारा मिलता


मेरी भटकती जिन्दगी को 

कोई किनारा मिलता


कह लेता जिसे हाल-ए-दिल सारा

राजदार कोई हमारा मिलता


भिगों देता आँसूओं से जिसे

ऐसा कांधा तो कोई प्यारा मिलता


पर इस अजनबी दुनिया मे सब

गजर वाले है कोई बेगर्ज नही मिलता


---- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 20, 2021

 ज़िन्दगी भर तेरा साथ हो 

यही आरजू मेरी दिन रात हो 


मैं तो सदा तेरे संग संग ही चलूँ 

तू गर इस सफर में मेरे साथ हो 


मैं तो कांटो पर भी चल पडूंगा

तेरे प्यार की जब बारसत हो


तेरे_बिन कलम भी प्यासी है 

संग तेरे ही सारे अल्फ़ाज़ हों


---- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 19, 2021

 हे पार्थ.. .


उठो , इस कर्म क्षेत्र मे 

कोई मजबूरी नही


इक दूरी बन गई रिश्तों मे 

जिन्दगी की अब धूरी यही


बनकर मतलबी अब 

जीना है खुद के लिये


डर कर रहने से खत्म 

महामारी होती नही


उठ कर करो सामना 

बना हथियार स्वच्छता को


दूरी रखकर परस्पर 

पहन ले मास्क को


हो जाओ तैयार 

खत्म करने महामारी को


----- सुनिल श्रीगौड

Sunday, April 18, 2021

 बांध लीया है जब तुमसे रूह का बन्धन

तो इजहार ए मुहब्बत को अल्फाजो की 

जरुरत नहीं 


कोई तो बात है तेरे इकरार में ए दोस्त

अब हमें रात भर शम्मा की ज़रूरत नहीं


बस ये मान लो तुम की तेरे दीदार से

पहले तो हमें साँसों की भी ज़रूरत नहीं


----- सुनिल श्रीगौड

Saturday, April 17, 2021

 प्रेम ये निश्चल निस्वार्थ हमारा है

ये स्नेह अपना सबसे प्यारा है


तेरी दोस्ती से मिली है शोहरत हमको

वरना दुनिया में कौन हमारा है


हैं जो अनमोल दोस्ती का मोह अपना

यही मोह तो सबसे न्यारा है


चढ़े दोस्ती के हमपे पक्के रंग हैं

जब से हम तुम संग हैं


---- सुनिल श्रीगौड

Friday, April 16, 2021

 सब नक्षत्र जहाँ-जैसेहैं,आज-अभी रुक जाएं    ¦¦

नयनो से वो मुझे पुकारे -मेरे नयन झुक जाएं.    ¦¦

कभी मौन में गुँथे गीत सुन पाओ तो कहना.    ¦¦

मन मुखरित कैसे होता? शब्द यदि चूक जाएं     ¦¦

---- सुनिल श्रीगौड

Thursday, April 15, 2021

 उडते हैं हम ख्यालों के आसमां पर

मगर वजूद ठहर जाता है तुम तक


रूह से रूह का मिलन होता है जब

मन्ज़िल मेरी मिल जाती है तुम तक


उठा के हाथ जब दुआ मांगता हूं रब्ब से

मेरी हर दुआ पहुंच जाती है तुम तक


मानो न मानो ये दोस्ती के रंग हैं

जब से हम तुम संग हैं


---- सुनिल श्रीगौड

Wednesday, April 14, 2021

 मुमुक्षु हूं मैं, 

पर, मुझे नहीं आते 

ध्यान, ज्ञान, भक्ति, योग, तंत्र

बस, मैं आजीवन रचता रहूंगा

तुम्हारे लिए समर्पित, प्रेम गीत 

अपने अंतिम पग पर बुदबुदाउंगा 

तुम्हारा नाम अपने ईष्ट के मंत्र की तरह


सुनो दोस्त ! 

मेरे जीवन के समस्त हेतुओं का 

आधार बस तुम हो


----- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 13, 2021

 कोई एक सपना मेरी देह

ऊर्जास्वित कर देता है


नींद तरंगित और मेरा हृदय 

अलौकिक कर देता है


याद तुम्हारी आती है तो 

खुद से बतिया लेता हूं


नाम तुम्हारा गंदोधक सा, 

मन प्रफुल्लित कर देता है


----- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 12, 2021

 मैं झरना ,तुम पानी मेरा  

मैं बहता हूँ  तुमसे, तुम तक। 


मैं आँख तुम रौशनी मेरी

मैं देखता हूँ  तुमसे, तुम तक। 


उत्तर में नहीं, न ही दक्षिण में,

तुम हो मेरे कदमों की नाप 

और बाहों के विस्तार तक।


मैं एक यात्री, तुम पथ मेरा 

मैं जाता हूँ  तुमसे, तुम तक!


----- सुनिल श्रीगौड़

Sunday, April 11, 2021

 मन की मंदाकिनी में एक नीला कंवल खिल उठता है। 

सतह पर सुंदर चाँद उभर आता है। 

कल-कल की ध्वनि मंत्रोच्चार सी लगती है..

और मेरा समूचा आकाश मलय की सुगंध से भर जाता है। 

हर रोज मेरे साथ यह सब सुंदर घटित होता है, 

जब मैं तुम्हें लिखता हूं।❤️❤️


---- सुनिल श्रीगौड

Saturday, April 10, 2021

 सुनो.......

ख्यालो मे हमको बुलाना ठीक नही

नाम लबो पे लाना ठीक नही 


अगर यादों मे आते हो तो कोई बात नही

यादों मे आकर चले जाना ठीक नही


अब के जो आओ तो फिर ना जाना

देखो वादा अपना जरूर निभाना...


----- सुनिल श्रीगौड

Friday, April 9, 2021

उड़ चला है संग तेरे बन के

परिंदा ये मन मेरा


पंख लगे हैं जब दोस्ती के तेरे

ज़मीं है मेरी गगन मेरा


तेरे नाम की लिखी वसीयत हमने

अपना तो अगला जन्म तेरा


सदाबहार का फूल बन के निखरना

और हो सारा चमन मेरा


फिर हक़ से कहें तू है सनम मेरा


---- सुनिल श्रीगौड

Thursday, April 8, 2021

जाने उसको कैसे मालूम

हुआ के याद उसकी ही आई है 


ख्वाबों मे आकर उस ने

एक बात जो बताई है  


लाख जुदा हो अनजाना सा

क्यूँ ना सफर हो अपना ..


नाम से उसके फिर भी क्यूँ

"सुनिल" तेरी आंखें भर आई है 


---- सुनिल श्रीगौड

सपनों से कोई फिरौती जब कभी अंधेरा मांगे 

तब सृष्टि के आँगनमें - हर दिशा सवेरा माँगे 

इक बार उनकी जादुई छुअन ने प्राण दिये थे मुझको 

ये धड़कन उसी छुअनका पावन पगफेरा माँगे 


---- सुनिल श्रीगौड

Wednesday, April 7, 2021

 पलकों की चिलमन उठा कर

यादों के झरोखों से

कुछ मोती चुरा लाया हूँ 


सजानी है नए ख्वाबों की महफिल

सुनो..मै तुम्हे बुलाने आया हूँ 


बिताए थे कल जो पल संग हमने

सुनो..मै उन्हे फिरसे जीने आया हूँ 


किया था जो वादा तुमने 

सुनो...उसे पूरा करवाने आया हूँ 


---- सुनिल श्रीगौड

Tuesday, April 6, 2021

निस्वार्थ समर्पण को मेरी कमजोरी मत समझ 

मन के रिश्ते को कच्ची डोरी तू मत समझ 

तुम पढ़ ही ना सकी ये कमी तुम्हारी है 

मेरे मन की किताब को कोरी मत समझ  

---- सुनिल श्रीगौड

Monday, April 5, 2021

 तेरी आँखों की दरगाह में 

मोहब्बत की चादर चढा़ने आ गये

जरूरतमंद है ख्वाब मेरे

ले फिर मन्नतों मे तुझे पाने आ गये


---- सुनिल श्रीगौड