Sunday, April 17, 2016
Wednesday, April 6, 2016
Tuesday, April 5, 2016
एक पुराना मौसम लौटा याद भरी पुरवाई भी
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब मांझी की रुसवाई भी
दो दो शक्लें दिखती हैं इस बहके से आइने में
मेरे साथ चला आया है आपका इक सौदाई भी
खामोशी का हासिल भी इक लंबी खामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
-गुलजार
ऐसा तो कम ही होता है वो भी हों तनहाई भी
यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं
कितनी सौंधी लगती है तब मांझी की रुसवाई भी
दो दो शक्लें दिखती हैं इस बहके से आइने में
मेरे साथ चला आया है आपका इक सौदाई भी
खामोशी का हासिल भी इक लंबी खामोशी है
उनकी बात सुनी भी हमने अपनी बात सुनाई भी
-गुलजार
अज़ -मेहर- ता -ब -ज़र्रा दिल -ओ -दिल है आइना
तूती को शश -जिहत से मुक़ाबिल है आइना
~मिर्ज़ा ग़ालिब
ये ग़ालिब का बहोत बेहतरीन शेर है। ग़ालिब कहते है ईश्वर सर्वव्यापी है । सूरज के किरणों से लेकर कण कण में हर जगह उसके ह्रदय की प्रतिमा है । छः दिशाओं में उसका प्रतिबिम्ब दिखता है जो मनुष्य को उसके होने की हमेशा याद दिलाता है ।
अज़ -मेहर- ता -ब -ज़र्रा= सूर्य से लेकर कण तक ;शश -जिहत = छः दिशाएँ
तूती को शश -जिहत से मुक़ाबिल है आइना
~मिर्ज़ा ग़ालिब
ये ग़ालिब का बहोत बेहतरीन शेर है। ग़ालिब कहते है ईश्वर सर्वव्यापी है । सूरज के किरणों से लेकर कण कण में हर जगह उसके ह्रदय की प्रतिमा है । छः दिशाओं में उसका प्रतिबिम्ब दिखता है जो मनुष्य को उसके होने की हमेशा याद दिलाता है ।
अज़ -मेहर- ता -ब -ज़र्रा= सूर्य से लेकर कण तक ;शश -जिहत = छः दिशाएँ
Saturday, April 2, 2016
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