"थोड़ी मस्ती थोड़ा सा ईमान बचा पाया हूँ।ये क्या कम है मैं अपनी पहचान बचा पाया हूँ। मैंने सिर्फ़ उसूलों के बारे में सोचा भर था, कितनी मुश्किल से मैं अपनी जान बचा पाया हूँ। कुछ उम्मीदें, कुछ सपने, कुछ महकी-महकी यादें, जीने का मैं इतना ही सामान बचा पाया हूँ।मुझमें शायद थोड़ा-सा आकाश कहीं पर होगा, मैं जो घर के खिड़की रोशनदान बचा पाया हूँ। इसकी कीमत क्या समझेंगे ये सब दुनिया वाले, अपने भीतर मैं जो इक इंसान बचा पाया हूँ।"
नज़रे ना होती तो नज़ारा भी ना होता ,हसीनो की महफिल में गुज़ारा भी ना होता , न होता हुस्न का चर्चा कभी जहान में , नज़रों से नजरो का इशारा भी ना होता ..!
इंतज़ार रहता है हर शाम तेरा,रातें कटती है ले लेकर नाम तेरा,मुद्दत से बैठे हैं ये आस लिए,के आज आयेगा कोई पैगाम तेरा..!
ज़ालिम था वो और ज़ुल्म की आदत भी बहुत थी मजबूर थे हम उस से मोहब्बत भी बहुत थी... उस बुत के सितम सह के दिखा ही दिया हम ने जो अपनी तबियत में बगावत भी बहुत थी वाकिफ ही न था रम्ज़-ऐ-मोहब्बत से वो वरना दिल के लिए थोरी सी इनायत भी बहुत थी...
ये दिन ये रात ये लम्हे मुझे अच्छे लगते हैं.. तुम्हे सोचूं तो ये सारे सिलसिले मुझे अच्छे लगते हैं.. बहुत दूर तक चलना मगर वही रहना.. मुझे तुम से तुम तक के दायरे अच्छे लगते हैं..
कुछ सितारों की चमक नहीं जाती !कुछ यादों की कसक नहीं जाती....!!कुछ लोगों से होता हैं ऐसा रिश्ता !दूर रहकर भी उनकी महक नहीं जाती !!
कुछ लिख नहीं पाते, कुछ सुना नहीं पाते!हाल-ऐ-दिल जुबान पर ला नहीं पाते!वो उतर गए हैं दिल की गहराइयों में!वो समझ नहीं पाते और हम समझा नहीं पाते!
हवा के दोश पे रक्खे हुए चिराग़ हैं हमजो बुझ गये तो हवा से शिकायतें कैसीजो बेख़बर कोई गुज़रा तो ये सदा दी हैमैं संग-ए-राह हू मुझ पर इनायतें कैसी
वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया हैबहुत अज़ीज़ हमें है मगर पराया है उतर भी आओ कभी आसमाँ के ज़ीने सेतुम्हें ख़ुदा ने हमारे लिये बनाया है
तेरी चाहत में हम ज़माना भूल गये !किसी और को हम अपनाना भूल गये !!तुम से मोहब्बत हैं बताया सारे जहाँ को !बस एक तुझे ही बताना भूल गये.....!!
अपने हाथों की लकीरों में बसा ले मुझको मैं हूँ तेरा नसीब अपना बना ले मुझको मुझ से तू पूछने आया है वफ़ा के मायने ये तेरी सादा-दिली मार ना डाले मुझको
जिस्म के ज़जीरे में, ये जो दिल की वादी हैइस पे राज है जिसका , तू वो शहजादी है अपने दर पे सजदों की राह क्या दिखा दीतूने मेरे माथे पे ज़िन्दगी सजा दी है
हम को राह मैं देख कर रास्ता बदल दिया .!!
जाने ये दुश्मनों ने उसे क्या सिखा दिया ..!!
घर क्या बनाया उस ने मस्जिद के सामने.....!!
चाहत ने उस की हम को नमाज़ी बना दिया.....!!
जाते - जाते वो ऐसी निशानी दे गये, सारी उम्र याद् करने को एक कहानी दे गये,अब सारी जिंदगी प्यास ही नही लगेगी,क्योकी वो आँखों में इतना पानी दे गये ...
कही छुपी होगी मेरी चाहत की रौशनी तेरे दिल मेंबेवजह कोई दिल बेक़रार नहीं करतासब समझते है यहाँ दीवाना मुझकोपर तुझसे कोई सवाल क्यों नहीं करता…
कोई ना मिला ऐसा जिस पे हम अपनी दुनिया लुटा देते, सब ने धोखा दिया किस किस को भुला देते,दिल का दर्द दिल में दबाए रखा है, बयां किया होता तो महफ़िल को रुला देते !!