Friday, July 31, 2015

कभी-कभी खुद अपनी तरक्की से भी हो जाता नाराज हूँ मैं
इसी भाग दौड़ में खुद अपनों से दूर हो गया आज हूँ मैं
जिस आंचल के साये में रह के किसी लायक बन पाया
उस माँ से ही मिलने को चन्द छुट्टी का मोहताज हूँ मैं

ऐसा नहीं की अब सब कुछ बदल गया
पर हाँ हमने खुद को जरुर बदल डाला है

कुछ हासिल नहीं होता छटपटाने से
सो खुद से ही खुद को संभाला है

ऐसा नहीं की अब आग बुझ चुकी है
वो तो आज भी सुलगती है किसी कोने में

हाथ से खोजते थे उसमे जाने क्या खोया हुआ
और ये हाथ अक्सर तब जल जाता था

बुझाने को फूंकते थे जब भी हम उसको
चेहरा एक बार फिर से झुलस जाता था

अब बस यही आदत बदल डाली है तबसे
जाते ही नहीं अब कभी उस कोने में

पर सुबह अपनी आँखे नम मिलने पे समझ आता है
आज क्या ख्वाब देखा है हमने सोने में ?

तुम एक स्वप्न हो
एक ऐसा स्वप्न जो आ जाता है अचानक
सर्दियों में धूप की तरह
जीवन की कठोरता का हरण करने
नर्म कोमल स्पर्श की तरह...


Thursday, July 30, 2015

दुआ है अब रब से कि रहे हमारे रिश्ते में मिठास
लगता है पा लिया सबकुछ और पूरी हुई अपनी तलाश।
खत्म हुआ अब हर लम्हे का इन्तज़ार
पा लिया है जो मैंने तुम्हारा प्यार।

जब आंसू आए तो रो लेते हैं,
जब ख्वाब आए तो खो जाते हैं,
नींद आंखो में आती नहीं,
बस आप ख्वाबो में आओगें,
यही सोच कर सो जाते हैं.

ज़िन्दगी हो गई हंसी तुम तो मिल गए मुझे,
हर एक पल को सजाने की रात आई है,
बरसो तडपाया था मुज को जिसने यारो,
आज उसी शोख को तडपाने की रात आई है,

Monday, July 27, 2015

बेसबब जूझना थकना और फिर से खुद से लड़ जाना
टूट जाने की हद तक चुप-चाप हर गम को सह जाना
तब होती है उसकी बाँहों में बिखर जाने की वो ज़िन्दगी सी तलब
पर आखिरी ख्वाहिश की तरह उस ख्वाहिश का भी आखिर तक रह जाना

राहे वफा मेँ हम ने ये इनआम पाये हैँ !
आँसु बहाये हैँ तो कभी मुस्कुराये हैँ !
उस की दुआऐँ हैँ फूलोँ की रात दिन !
जिस ने हमारी राह मेँ काँटे बिछाये हैँ !
कोई भी उस के दर्द को पहचानता नहीँ !
वो जिस ने हर किसी के लिए गम उठाये हैँ !
बिजली वहीँ वहीँ गिरायी हैँ वक्त ने !
हमने जहाँ भी नशेमन बनाये हैँ !
मौसम की बेरुखी से जो डरतेँ नहीँ कभी !
दौरे खिजाँ मेँ फूल वही मुस्कुराये हैँ !
दिल से भुलाए बैठी हैँ वो जिन की दुश्मनी !
वो रौशनी से आज भी दामन बचाये हैँ !

मेरी मोहब्बत मेरे दिल की गफलत थी
मैं बेसबब ही उम्र भर तुझे कोसता रहा

आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है
तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा

मैं इसे किस्मत कहूँ या बदकिस्मती अपनी
तुझे पाने के बाद भी तुझे खोजता रहा

सुना था वो मेरे दर्द मे ही छुपा है कहीं
उसे ढूँढने को मैं अपने ज़ख्म नोचता रहा

Sunday, July 26, 2015

इतना भी किसी को न चाहो खुद जान पे अपनी बन आये !
ये कभी खुद तेरे लिए ना कोई मुसीबत बन जाए !!
चाहत को चाहत रहने दो और इतना ध्यान राहे हरदम !
बढ़ते बढ़ते इतनी ना बढे ना मिले तो आफत हो जाए !!
ये इश्क खुदा कि देन तो है लेकिन उस देन से क्या हासिल !
जिसके आंचल म आते ही आंचल ही सारा फट जाए !!
देने को तो दे दू नाम कोई तेरे चाहत के रिश्ते को !
पर डरता हूँ कि तेरी चाहत भी कहीं बदनाम ना हो जाए !!
यार से इतने शिकवे गिले क्या सोच के तुम करने बैठे !
क्या होगा अगर तेरा यार भी अपने गिले निकालने लग जाए !!

अश्क भी अब सहमें से पलकों मे छुपे रहते हैं,
मेरी तरह ये भी तनहाई और घुटन सहते हैं,
डरतें है कि कहीं देख ना ले इन्हे कोई,
निकलना चाहते हैं पर मजबूरीयों में बंधे रहते हैं|

जब नमाज़-ए-मुहब्बत अता कीजिये
इस गैर को भी शरीक-ए-दुआ कीजिये
आँख वाले ही नज़रें चुराते रहे
आइना क्यूँ ना हो, सामना कीजिये
दरिया-ए-अश्क आ भी जाएँ तो क्या
चंद कतरे ही तो हैं, पी लिया कीजिये
आप का घर सदा जगमगाता रहे
राह में भी दिया रख दिया कीजिये
ज़िन्दगी है आसान समंदर में सनम
साहिलों का भी कभी तजुर्बा कीजिए !!!!

Wednesday, July 22, 2015

अपने ही आप से लड़ता है दिल
एक सवाल बार बार करता है दिल

रोकते - रोकते रोक न सके
ऐसे मोड़ पर फिसलता है दिल

ख्वाहिशें अब और न रहीं
उसे ही पाने को तडपता है दिल

छोड़ दी परवाह ज़माने की
उसके लिए ही धड़कता है दिल

फूल ने हंसकर कहा
ऐसे क्यों मचलता है दिल

ज़िन्दगी बेतकलुफ़ हमें आज़माती रही,
हम भी खुले आम इसे आज़माते रहे,
अजीब सी इक कशमकश थी यह,
चोट खाते रहे मुस्कुराते रहे...!!!

रोने से जो करार मिलता तो हम भी रोते,
दुनिया के सितम य़ू हस के नहीं सहते,
हमारा ये हाल तो अपनों की मेहरबानी है,
वर्ना गेरो के दम पे इतना बर्बाद न होते...!!!

Monday, July 20, 2015

जी भर के रोये तो करार पाया,
इस ज़माने में किसने प्यार पाया,
ज़िन्दगी गुज़र रही है इम्तिहानो के दौर से,
इक ज़ख़्म भरा नहीं के दूसरा तैयार पाया...!!!

तेरी मोहब्बत का निशान अभी बाकी है,
नाम लाबो पर है और जान अभी बाकी है,
क्या हुआ अगर देख कर मुह फेर लेते हो,
तस्सली है कि, शक्ल की पहचान अभी बाकी है...

वो तो पानी है जो आँखोँ से बह जाये ।
आँसू तो वो है जो तड़प के आँख मेँ रह जाये ।
वो दर्द क्या जो लफ्जोँ मेँ बयाँ हो ।
दर्द वो है जो आँख मेँ नजर आये । 

Sunday, July 19, 2015

हमको यूं दिल से जुदा न करना॥ 
ये दिल मेरा टूट जाएगा॥
उड़ जायेगी खुशबू हमारी॥ 
गुलशन सूख जाएगा॥
जी ना पायेगे बिन तुम्हारे॥ 
बीता कल हमें रुलाएगा॥
बीती बातें सपने मेरे ॥ 
आके मुझे चिद्हायेगा ॥

तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।
आँखें बेरहम हो गयी मेरी, बस दिल तुझे याद करता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर.......................................... .....
तेरी जज्बातों को अपने पलकों पे रखना चाहता हूँ 
मगर दूर हूँ मैं।
तेरे संग बिताये लम्हों की कसम, तेरे संग रहना चाहता हें।
मगर मजबूर हूँ मैं।
मेरी पलकों पे तेरी याद बन के आंसू ना जाने कब टपकता है।
तुम्हारी नज़रों से दूर, ना जाने ये वक्त कैसे गुजरता है।



दिल कि हर धड़कन में बसती है तुम्हारी पिपाशा
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"
जिनके सुर कोयल के सुर थे चंचलता हिरनों कि ,
जिनके अठ्ठासो में भरी हो झुर्मुता परियो कि
जिनके बोल पड़े जब श्रवनो को वन्प्रिया कि बोल फीकी पड़े
है चंद्रमुखी ,है रूपवती ऐसी है मेरी "अभिलाषा"

Friday, July 17, 2015

एक अदा आपकी दिल चुराने की,
एक अदा आपकी दिल में बस जाने की,
एक चेहरा आपका चाँद सा
एक जिद हमारी चाँद को पाने की|

अब तेरी याद से आराम नहीं होता मुझ को
ज़ख्म खुलती हैं अज़ीयत नहीं होता मुझ को

अब कोई आये चला जाये मैं खुश रहता हूँ
अब किसी की आदत नहीं होती मुझ को

ऐसा बदला हूँ तेरे शेहेर का पानी पी कर
झूट बोलों तो शिकायत नहीं होती मुझ को



हमको हमराज बनाओ तो सही
अपना कुछ दर्द सुनाओ तो सही
दुश्मनी दोस्ती से बहुत बेहतर है
पर सलीके से निभाओ तो सही

Thursday, July 16, 2015

ख्वाब हकीकत हो जाए ,गर उनको मोहब्बत हो जाए
रात को निकले जब छत पे, चाँद को हैरत हो जाए
महफ़िल में रोशन हो चेहरा, तो दिल में क़यामत हो जाए
उठा ले वो चिलमन जो अपनी, देखो ना शरारत हो जाए
राहो में खड़े हैं उनकी कब, 'इश्क ' पे इनायत हो जाए

जिनको नज़र दी हमने दुनिया को देखने की,
वे ही न जाने नज़रें क्यों हमसे फेरते हैं !!
पोंछे थे हमने जिनकी आँखों के अश्क हरदम
वे देखकर हमें क्यों, अब आँखे तरेरते हैं !!

ज़िन्दगी तूने लहू लेके दिया कुछ भी नहीं ...
तेरे दामन मे मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं ...
आप इन हाथों की चाहें तो तलाशी ले लें ...
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं ...

Tuesday, July 14, 2015

दर्दे मरीज करहाता रहा करहाता रहा
देखने वाले कहते रहे कि धीरज कीजे

ये जो हमदर्दी है नाटक है दिखावा है सिर्फ
अपना बोझ अपने ही कंधो पे उठाया कीजे

प्यार का नाम है बस नाम है इस दुनिया में
प्यार व्यापार नही जो सोच समझ कर कीजे

वफ़ा के नाम पे अब कुछ नही होता हासिल
बेवफाई ना करे कोई तो फिर क्या कीजे

बाद मरने के भी क्या बोझ किसी पे बनना
अपनी लाश अपने ही कन्धो पे उठा भी लीजे

सिवा सलाह के यहाँ किसने किसी को क्या दिया
मदद के वास्ते झोली ना फैलाया कीजे

'मत सताओ हमें, हम सताए हुए हैं,
अकेले रहने का गम उठाये हुए हैं,
खिलौना समझ के ना खेलो हमसे,
हम भी उसी खुदा के बनाए हुए हैं'

वो पुछती है , मैं उससे इतना प्यार क्यों करता हूँ ? ?
मैंने कहा एक तमन्ना हैं तुम्हें पाने की. . . . .

वो कहती है , हर वक्त उदास क्यों रहते हो ? ?
मैनें कहा कोशिश है तुम्हें हर खुशी दिलाने की. . . . .

वो कहती है , हर वक्त सोचते क्यों रहते हो ? ?
मैनें कहा आदत हो गई है तुम्हें ख्यालों में अपना बनाने की . . . . .

वो कहती है , मैं न मिली तो ? ?
मैनें कहा तो तम्मना है ये जिन्दगी मिटाने की. . . . .

वो कहती है , तुम्हें क्या मिलेगा मर कर ? ?
मैनें कहा एक उम्मीद , अगले जन्म में तुम्हें अपना बनाने की . . . . .

Monday, July 13, 2015

दिल किसी काम में नही लगता
याद जब से तुम्हारी आयी है।
घाव रिसने लगें हैं सीने के
पीर चेहरे पे उभर आयी है। साँस आती है, धडकनें गुम है
क्यों मेरी जान पे बन आयी है।
गीत-संगीत बेसुरा सा है
मन में बंशी की धुन समायी है।
मेरी सज-धज हैं, बेनतीजा सब
प्रीत पोशाक नयी लायी है।
होठ हैं बन्द, लब्ज गायब हैं
राज की बात है, छिपायी है।
चाहे कितनी बचाओ नजरों को,
इश्क की गन्ध छुप न पायी है।

याद वो नहीँ होती जो तन्हाई मेँ आए
याद वो भी नहीँ होती जो आकर रुलाए
याद वो होती हैँ जो इन्सान को 
भीड मेँ भी तन्हा कर जाए

कोशिश कीजिए हमें याद करने की
लम्हे तो अपने आप ही मिल जायेंगे
तमन्ना कीजिए हमें मिलने की
बहाने तो अपने आप ही मिल जायेंगे .

Sunday, July 12, 2015

किस अक्स को हर शय ढूँदती हैं नज़र ,
क्यों दिल में हैं इतनी ये उलझन भरी
क्यों सोचता हैं दिल उसको ,
नहीं जिनको आने की आदत पड़ी …..

हैं सब कुछ वही , नही कुछ कमी
फ़िर किस वास्ते हैं आँखों में नमी ..
वही रात हैं , फ़िर वही चाँद हैं ,
तो क्या चाहती है , ये मन की जमी ,

सिर्फ़ यादों का एक सिलसिला रह गया ।
अल्लाह जाने उनसे क्या रिश्ता रह गया .
एक चाँद छुप गया जाने कहा ?
एक सितारा उसे रात भर ढूँढता रह गया ।

Saturday, July 11, 2015

मेरी कब्र से मिटटी चुरा रहा है कोई !
मर के भी मुझको याद आ रहा है कोई !
ये खुदा, मुझको दो पल की ज़िंदगी दे दे,
मेरे कब्र से उदास होके जा रहा है कोई !!!

टूट चुके हैं यादों से, अब मुझे इस दुनियाँ से आजाद कर दे,
खत्म कर दूँगा खुद को, मुझे इस जिल्लत से दूर कर दे,

जमाने में तुमसे जादा, किसी और को न चाहा था हमने,
इस दर्द के साथ मुझे इस दुनियाँ से रुख़्सत कर दे,

बेवफ़ा नहीं हैं हम, आज भी तुम्हारे लिए तड़पता हूँ,
सिर्फ इतना सा करम कर दे, अपने हाथों से मेरा कफन सजा दे,

और भी मिलेगें तुम्हें चाहने वाले हंसी चेहरे,
दर्द से तड़पने से अच्छा है, इक रोज की मौत मेरे नाम कर दे,

भीगी हो तुम बारिश में आज कितना
दे दूँगा मै सांसों की गर्मी जो ले सकती हो
हवाओं से न तुम कोई शिकायत करो अब
कंधे पे मेरे सर रखकर नींद ले लो जितनी सो सकती हो

Friday, July 10, 2015

नज़र वो है की जो कौनों मकाँ के पार हो जाए
मगह जब रूह -ए -ताबाँ पर पड़े तो बेकार हो जाए
नज़र उस हुस्न पर ठहरे तो आखिर किस तरह ठहरे
कभी वो फूल बन जाए तो कभी रुखसार बन जाए
चला जाता हूँ हंसता खेलता मौजे हवा दिश से
अगर आसानियाँ हो जिंदगी तो दुश्वार हो जाए.....

हम है की अरसो से सोये ही नहीं .. पलकों के किनारे हमने भिगोये ही नहीं . वो समझते है के हम उन्हें याद कर के रोये ही नहीं ..
पूछते है की ख्वाबो में आता है कौन ?*

सब हमको यार कहते है
फिर पीठ पर बार करते है
लेकिन देगेँ साथ आपका हर पल हम
क्योकि हम दोस्ती को प्यार कहते है.

Wednesday, July 8, 2015

उन्हें ये शिकवा हमसे के
हम उन्हें याद करते ही नहीं
पर कम्बख्त उन्हे ये कौन समझाये की
हम उन्हें याद कैसे करें जिन्हे हम भूलते ही नहीं

दिल में बसता है दिल ए यार
जब चाहा सर झुकाया और कर लिया दिदार
आखों में है आपके प्यार का सरूर
आप ही ना जाने हमारा क्या कसूर 

प्यार गुनाह है तो होने ना देना
प्यार खुदा है तो खोने ना देना
करते हो प्यार जब किसी से तो
कभी उस प्यार को रोने ना देना

Tuesday, July 7, 2015

ख़ूबसूरत हैं वो लब जो प्यारी बातें करते हैं
ख़ूबसूरत है वो मुस्कराहट जो दूसरों के चेहरों पर भी मुस्कान सजा दे
ख़ूबसूरत है वो दिल जो किसी के दर्द को समझे जो किसी के दर्द में तड़पे
ख़ूबसूरत हैं वो जज्बात जो किसी का एहसास करें
ख़ूबसूरत है वो एहसास जो किसी के दर्द में दवा बने
ख़ूबसूरत हैं वो बातें जो किसी का दिल ना दुखाएं
ख़ूबसूरत हैं वो ऑंखें जिन में पाकीज़गी हो शर्म ओ हया हो
ख़ूबसूरत हैं वो आंसू जो किसी के दर्द को महसूस करके बह जाए
ख़ूबसूरत हैं वो हाथ जो किसी को मुश्किल वक़्त में थाम लें
ख़ूबसूरत हैं वो कदम जो किसी की मदद के लिए आगे बढ़ें !!!!!
ख़ूबसूरत है वो सोच जो किसी के लिए अच्छा सोचे
ख़ूबसूरत है वो इन्सान जिस को खुदा ने ये खूबसूरती अदा की
 


आईने को भी किसी चेहरे को देखने का मन होता होगा,
उसे भी किसी सूरत से प्यार होता होगा,
आईने के टूटने का कोई और कारण निकल लेते है लोग,
दरअसल वो कम्बक्त भी किसी का मारा होता है,
जो टूट कर कम से कम हमदर्दी तो पा लेता है |

हमे स्याही की ज़रूरत नहीं ,
हमे अश्कों से लिखना आता है ,
डरते हैं उनके सामने रोने से ,
उनको अश्कों को पढना आता है ........

Sunday, July 5, 2015

उनकी किस्मत का भी कैसा सितारा होगा
जिनको मेरी तरह तकदीर ने मारा होगा.
किनारे पे बैठे लोग ये क्या जाने
डूबने वाले ने किस-किस को पुकारा होगा

हर सजदा आप का मंजूर-ऐ-खुदा हो जाए
आप की दुवाओं में रब की रजा हो जाए
खुदा आप को इतनी खुशियाँ दे की
आप ज़िन्दगी से लफ्ज-ऐ-गम फ़ना हो जाए