इक कदम भी न चल पाएंगे बिन तुम्हारे
साथ ये उम्र भर को चाहिए
बवंडर आये या आये कोई भी तुफां
हाथ ये ना अब छुटना चाहिए
हर राह हर सफर हंस के जी लेंगे
हमसफर बस तुम चाहिए
होगी हर चुनौती चूर चूर हर हाल मे
मंजिले भी मिल जाएगी जब हम संग है
---- सुनिल शांडिल्य
निभाया वादा हमने शिकवा न किया,
दर्द सहे मगर तुझे रुसवा न किया,
जल गया नशेमन मेरा, खाक अरमां हुये,
सब तुने किया मगर मैने चर्चा न किया!
हमने ऐक गुनाह कर डाला
ज़िंदगी को तबाह कर डाला
जो ज़ख्म भर चुके थे मेरे कब के
नोंच नोंच के उनको हरा कर डाला
बेच कर अपनी खुशीआं बाज़ार में
घर अपना खुद गमों से भर डाला
लुत्फ देने लगी तन्हाईयाँ ऐसे के
महफ़िल से खुद को जुदा कर डाला
कुच्छ हादसों ने तोड़ा है मुझे
नहीं तुझसे जुदा हूँ मैं
नाराज़गी है तक़दीर से अपनी
नहीं तुझसे खफ़ा हूँ मैं
पराया सा लगने लगा हर शख्स मुझे
पर तुमसे जुड़ा हूँ मैं
इतनी भीड़ में खुद को अकेला पाया
शुक्र है तेरे साथ खड़ा हूँ मैं
----- सुनिल शांडिल्य
ये इश्क,
ना देखा न सुना
खुद ब खुद
ये कमबख्त हो गया
ये दिल,
जाने क्या होता इसे
उसकी एक आहट से
इसकी धड़कन बेतहाशा बढ़ जाती है
रक्त का संचरण
धमनियों पे दबाव बढ़ा जाता है
जिनसे न मिले
ना देखा,न सुना
उससे ही लग जाता है
इतना नादान क्यों होता हैं ।।
जिन्दगी की हर बात तुम से
दिन मेरे और मेरी रात तुम से
हर मुश्किल मे गर है किसी से
तो बस वही आस तुम से
गुलशन की आब तुम से
तो गुलाब की महक भी तुम से
सोच ही नही सकते कि
जायेंगे दूर कभी तुम से
जीने का कोई बहाना नही
फिर भी जिये जा रहा हूँ मै
जिन्दा होकर जिन्दा नही
खुद का मातम मना रहा हूं में
अहसासों को समझा नही
तभी यू अश्क बहा रहा हूँ मै
वो मेरी किस्मत में ही नही
फिर भी इश्क कर रहा हूँ मै
जिस्म से हमे सरोकार नही
अहसासों में उसके जलता हूं में
जीवन को मेरे तूने महकाया है ऐसे,
खुशबू से गुलिस्तां महकता हो जैसे।
हर जन्म रहे साथ बस तेरा,
सागर में पानी रहता हो जैसे।
बांहों में भर कर आगोश में ले लो,
सीप में मोती रमता हो जैसे।
छुपा लो दिल के किसी कोने में,
आँखों में कोई ख्वाब बसता हो जैसे।
मंजिल तुम चुनो रास्ते
हम सजायेंगे
अल्फ़ाज़ तुम दे देना उनको
गीत हम बनायेंगे
खुश रहने का वादा तुम करना
खुशीआं हम लायेंगे
आप बस दोस्त बने रहना उम्र भर
दोस्ती हम निभायंगे
जहां राह में हों कांटे आपकी तो
हम अपना दिल बिछायेंगे
किरदार अपना हमको भी बतला दो
लिफाफे गम और खुशियों के खोल दो
गुजरता नही वक़्त अब यू गुजारने से
शहद थोड़ा रूहे-अहसासों का मिला दो
सितमगर बन कहर_ए_सितम ढा दो
कहर अहसासों का तुम कुछ यूं बरसा दो
भूल जाये दुनिया इस कदर अपना बना लो
या फ़ना कर सांसो को मेरी हस्ती ही मिटा दो
सुकून बन कर आना या
ख़्वाब बन कर आना
तुम मेरे सवालों का इक
जवाब बन कर आना
सो लूँगा काँटों की सेज
पर उम्र भर
बस तुम मेरे गुलशन में
गुलाब बन कर आना
अपनी मंज़िल ढूंढ लूंगा
तेरी कजरारी आंखों में
इतनी सी गुज़ारिश है तुमसे
ना दूर हमसे जाना
तेरी चाहत का वो मौसम
सुहाना याद आया
तेरा मुस्कुरा करके वो नजरें
झुकाना याद आया
तुझे देखने की खातिर जो
अक्सर गुनगुनाते थे
वो नगमा आशिकाना आज
फिर याद आया
तुम चली गयी कब की छोड़ कर
जाने क्यों गुज़रा ज़माना याद आया
तू जो नहीं है तो मुझमें कुच्छ कमी है
चेहरे पर झूठी हंसी पर आँखों में नमी है
ख्वाबो में ख्यालों में तेरा ही दीदार है
मुझे अब भी तेरा ही इंतज़ार है
तुम अब चल पड़ी हो तुम अब आ रही हो
इन्हीं उलझनों में यूँ दिल मेरा बेकरार है
अपनी यादों का हर पल मैं
दिल में रखता हूँ
कुच्छ इस तरह मैं तुमको अपने
पास रखता हूँ
समां वो फिर लौट के आने वाला है
तेरी तस्वीर आंखों में रखता हूँ
फिर वोही झूले वोही मस्त बहारें होंगी
ढेरों खुशीआं संग ला रहा हूँ
थाम के हाथ तेरा हम
कांटो पे भी चल लेंगे
उदासी ना छू सकेगी कभी
उदास पलों में हंस लेंगे
गम की अंधेरी रात गर आई
तो चाँद बाहों में भर लेंगे
तेरा साथ यूँही रहेगा उम्र भर तो
जिंदगी हंसी में गुज़र कर लेंगे
अब न छूटेंगे पकड़े जो हाथ हैं
जब तक हम साथ हैं
--- सुनिल शांडिल्य
गीत हम गुनगुनाने लगे
मन ही मन मुस्कुराने लगे
चाँद सा है तेरा चेहरा तेरा
सबको हम यह बताने लगे
भगवान ने दोस्त ही इतना प्यारा दिया
हम उम्र भर की दोस्ती निभाने लगे
सबने जब हाल पूछा मेरा, हम
दिल ही दिल खिलखिलाने लगे
शबनम से भीगे भीगे लब तेरे
और बदन महका हुआ सा है
पलकें झुकी हैं हया से पर क्यों
तेरा लहजा ख़फ़ा सा है
मासूमियत है तेरी आँखों में मानो
इक समंदर ठहरा हुआ सा है
बेमिसाल सा हुस्न है जैसे
मेराअक्स उभरा हुआ सा है
कौन देता है यहा साथ ताउम्र किसी का
बाद मतलब दिलासा, साथ जिन्दगी का
सितम करते है, दिखावा कर बातों का
झूठा कितना रिश्ता उनका अहसासों का
जुल्म करते है, दिखावा कर महताब का
उन्हें कहा इल्म है,अहसासों की तलब का
गणित पढ़ते पढ़ते तो बरसो गुजर गए.....!!
तेरी आंखों में जो देखा तो पता चला सब शून्य हैं...!!
ऐ हवा इतरा के उनके गालों को
छू कर चले आना
खिंचे चले आयेंगे वो यूँ ही उनको
पता मेरा बताना
बहूत हुया इंतज़ार अब इंतेहा हुई
तुम_चले_आना
मामला संगीन है जरा सोच समझ
के दिल था लगाना
पल पल भारी है मुझ पर
आ के शम्मा जलाना
ख्वाहिशों की इक नदी
बहती रही मनके अंदर मे
डूबते-उतरते रहे हम
सपनों के बवंडर मे
लगाता रहा मन गोते
भावनाओं के समंदर मे
ढुंढते रहे अंजानी मंजिल
भटकते किसी कलंदर से
जिन्दगी गुजरती रही ठिकाना न मिला
रहे मंझधार मे हरदम किनारा न मिला
मोहब्बत की हवा दिल
की दवा बन गई
दूरी आपकी मेरी चाहत
की सजा बन गई
कैसे भूलूँ ऐक पल के लिए तुम्हें
याद ही मेरे जीने की वजह बन गई
गर इंतज़ार ही लिखा है जिंदगी में
तो यही मेरी सज़ा बन गयी
सबसे नजदीक होता है
जिस पर भरोसा होता है
कायनात सी खुशबू सा
वो हर अहसास में होता है
खबर हर कदम की नही
सांसो की आहट का पता होता है
ह्र्दय की हर बात जज्बात
सिर्फ और सिर्फ उसे ही पता होती है
भरोसेमंद कह देने से नही
यकीनन यकीं करने से ही होता है
है यकीन तुम पर खुद से ज्यादा
करते है भरोसा तुम पर खुद से ज्यादा
नही छोङोगे ये साथ चाहे
दौर हो मुश्किल कितना
करते है विश्वास खुद से ज्यादा
राह मे आये चाहे तुफा कितने
हो चाहे कांटो भरे सब रास्ते
कर लेंगे हर दरिया पार
जब तक तुम हम_संग_है
सुकून है राहत है तेरे अल्फाज़ो मे
जिन्दगी की बात है तेरी बातों मे
ख्वाहिश है अरमान है तेरे हर शब्द मे
तमन्नाओं की मुस्कान है तेरे हर नगमे मे
मै हो जाता हूँ भाव-विभोर सुनकर
जब गीत नया तुम गाते हो
तुम न पढ़ो आज कोई गम नही
इतने काबिल लेखक हम भी नही
में भी लफ्ज़ो को देता विराम नही
निःशब्द हो लिखना गुनाह तो नही
माना लफ्ज़ो में मेरे दिखती जान नही
मगर अहसासों की बानगी भी कम नही
कभी में पढ़ता यहा कोई किताब नही
मगर लिखता हूँ वो अहसासों से बाहर नही
मिल कर तुमसे मुझे
नये तराने मिले हैं
तेरी_मेरी_कहानी में हमको देखो
दोस्ती के खजाने मिले हैं
हर दिन हुआ सुहाना रात हुई रोशन
जीवन को मायने मिले हैं
कट जायेगी उम्र सारी अपनी साथ साथ
दो दोस्त जब पुराने मिले हैं
यकीन रख तेरा यकीन
बरकरार रखूंगा
जीवन की आखिरी सांस तक
तुझे पास रखूंगा
तुझ पर भरोसा किया है आंख बंद कर
तेरे लिये दिल में ऐहसास रखूंगा
सूरज निकले पश्चिम से निकलता रहे
मैं तो तुझपे विश्वास रखूंगा
अब तो जीवन की राहें भी महकती हैं
जब से साथ तेरा पाया है
तुमसे मिल के मंज़िल की तमन्ना ना रही
रास्तों का लुत्फ हमने उठाया है
दिल जो भटका कड़ी धूप में तो एहसास हुआ
सबसे हसीं तेरी ज़ुल्फ़ों का साया है
अब चढ़े दिल पे तेरे रंग हैं
जब से तुम मेरे हम_संग_हैं
मंज़िल के बहुत करीब हैं
अब हाथ ना छूटेगा
सफर चन्द कदमों का है बाकी
तेरा साथ ना छूटेगा
रूह से रूह का हुया है मिलन
अब कोई वादा ना टूटेगा
ले ली पतवार तेरे जीवन की हाथों में
अब कोई लुटेरा क्या लूटेगा