Saturday, October 31, 2015

जिनको हमने चाहा मोहब्बत की हदें तोड़ कर;
आज उसने देखा नहीं निगाह मोड़ कर;
ये जान कर बहुत दुःख हुआ मुझे;
कि वो खुद भी तन्हा हो गये मुझे छोड़ कर!

चाहत के ये कैसे अफसाने हुए 
खुद नजरोमे अपनी बेगाने हुए 
किसीभी रिस्ते का खयाल नहीं मुजे 
इश्क़ मे तेरे इस कदर दीवाने हुए

मेरे जज़्बात मेरी पहचान है वो;
मेरी जूसतजू मेरी शान है वो;
लोग कहते हैं भुला दूं मैं उसे;
पर कैसे भुला दूं यारो इस सीने मे धड़कती जान है वो!

Friday, October 30, 2015

ज़िंदगी सभी को मिली हो ये जरूरी तो नहीं;
हर किसी की चाहत पूरी हो ये जरुरी तो नहीं;


आग गुलशन में बहारें भी लगा सकती है;
सिर्फ बिजली ही गिरी हो ये ज़रूरी तो नहीं;


नींद तो दर्द के बिस्तर पर भी आ सकती है;
तेरी आगोश में ही सर हो ये ज़रूरी तो नहीं;

चाहे कोई भी मौसम हो, सबको मैं अपनाता हूँ
न कोई अपना, न ही पराया, सबको गले लगाता हूँ
एक कयामत जब है गुजरती, दूजी कयामत आती है
जीवन के इस सच को भी मैं आठों पहर दुहराता हूँ

हम कबूल करते हैं, हमें फुर्सत नहीं मिलती,
मगर ये भी ज़रा सोचो,

तुम्हें जब याद करते हैं,ज़माना भूल जाते हैं|

Thursday, October 29, 2015

ना इश्क़ का इज़हार किया, ना ठुकरा सके हमें वो;
हम तमाम ज़िंदगी मज़लूम रहे, उनके वादा मोहब्बत के।

यूँ तो सिखाने को ज़िन्दगी बहुत कुछ सिखाती है...!!
मगर---
झूठी हंसी हँसने का हुनर तो बस मोहब्बत ही सिखाती है...!!

दिल मेरा है नासमज कितना बेसब्र ये बेवकूफ बड़ा
चाहता हे कितना तुजे खुद मगर नहीं जान शका
इस दर्द ए दिल की सिफारिस अब कर दे कोई यहा

की मिल जाए इसे वो बारिस जो भीगा दे पूरी तरह 

Wednesday, October 28, 2015

दास्तान-ए-इश्क़ मैं सबको सुनाता चला गया;
वो धाते रहे सितम मैं मुस्कुराता चला गया;
ना थी मुझे परवाह कोई, ना था किसी का डर;
गमों के सैलाबों से मैं यूँ ही टकराता चला गया!

किताब-ए-इश्क़ में जीतने अल्फ़ाज़ लिखे हैं,
दिल में मेरे ईतने एहसास रखे हैं.
तुम कह-कर देखते सितमगर ज़ालिम
मेरे लबों पर कितने तेरे नाम रखे हैं.

तोड़ना होता तो रिश्ता हम ना बनाते;
उमीद नही होती तो सपने हम ना सजाते;
ऐतबार किया है हमने आपकी वफ़ाओं पे;
भरोसा ना होता तो अपने दिल का हिस्सा ना बनाते!

Tuesday, October 27, 2015

अपनी मर्ज़ी से कहाँ अपने सफ़र के हम है​;​
​रुख हवाओं का जिधर का है उधर के हम है​;​
​​
​​पहले हर चीज़ थी अपनी मगर अब लगता है​;​
​अपने ही घर में किसी दूसरे घर के हम है​;​​​वक़्त के साथ है मिट्टी का सफ़र सदियों से​;​
​किसको मालूम कहाँ के हैं, किधर के हम हैं​;​​​चलते रहते हैं कि चलना है मुसाफ़िर का नसीब​;​
​सोचते रहते हैं किस राहग़ुज़र के हम है​।

लफ़्ज़ोमे कैसे बयान करूँ हाल-ए-दिलको
तेरे बिन तो अब जिया भी ना जाए,
भुलावु   कैसे उन लम्होंको जो हर सांसमे बसे है,
तेरी याद बिना तो साँस भी ना आए

Monday, October 26, 2015

लोग समजते हैं की हमने तुम्हे भुला रखा हैं,ये नहीं जानते के कहीं दिल में छुपा रखा हैं
देख ना ले कोई मेरी आँखो में तस्वीर तुम्हारी,हमने अपनी पलके इस क़दर झुका रखा हैं..!!

ऐसा कोई ज़िंगीसे वादा तो नही था,
तेरे बिना जीने का कोई इरादा तो नही था,
जाने कब टूटी डोर मेरे ख्वाबोंकि,
ख्वाब से जागेंगे ये सोचा तो नही था

एक अजनबी से बात क्या हुई क़यामत हो गयी​;
सारे शहर को इस चाहत की खबर हो गयी​​;​
​क्यूँ ना दोष दू ​इस ​दिल-ऐ-नादाँ को​;​
दोस्ती का इरादा था और मोहब्बत हो गयी​।

आपकी मोहब्बत को सलाम किया हे,
ज़िंदगी का हर अंदाज़ आपके नाम किया हे,
माँग लो रब से आज कुछ भी हमसे,
हमने हर मन्नत आपके नाम किया हे.

Friday, October 23, 2015

मुझे कुछ अफ़सोस नहीं के मेरे पास सब कुछ होना चाहिए था |
मै उस वक़्त भी मुस्कुराता था जब मुझे रोना चाहिए था ||

हर बात केहकर समजाई नहीं जाती,
कुछ बाते दिल में छिपाई नहीं जाती,
आँखे भी बात करने का एक जरिया है,
पर हर किसीके आँखों की बाते समजी नहीं जाती

तुम्हारी पसंद हमारी चाहत बनजाए
तुम्हारी मुस्कराहट दिल की राहत बनजाए
खुदा खुशीओ से इतना खुश करदे आपको
की आपको खुश देखना हमारी आदत बनजाए

Wednesday, October 21, 2015

मोहब्बत की राहों में सिर्फ गम ही गम नहीं है,
हर प्यार करनेवाले की आँखे नम नहीं है,
प्यार तो सिर्फ नाम से बदनाम है,
वरना प्यार में मिलनेवाली खुशिया भी कुछ कम नहीं है

सिर्फ़ बंधन को विश्वास नही कहते
हर आँसू को जज़्बात नही कहते,
किस्मत से मिलते है रिश्ते ज़िंदगी मे,
इसलिए रिश्तो को कभी इतेफ़ाक़ नही कहते.

मोहब्बत भी अजीब चीज़ बनाई तूने,
तेरी ही मस्ज़िद मे, तेरे ही मंदिर मे,
तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हे,
पर तुजे नही, किसी ओर को पाने के लिए.

Tuesday, October 20, 2015

गम ना कर ज़िंदगी बहुत बड़ी है,
चाहत की महफ़िल तेरे लिए सजी है,
बस एक बार मुस्कुरा कर तो देख,
तक़दीर खुद तुझसे मिलने बाहर खड़ी है

जब मुश्केलिया बरसाती है कहर,
जिन्दजीमें फेल जाता है जहर,
उस पल दोस्तों का साथ हो अगर,
तो आसान हो जाती है जिन्दगी की हर डगर

जिन्दगी में सब किस्मतका खेला है,
जिसमे मुस्केलीयो का जमेला है,
खुशियोंमें दोस्तोका लगता मेला है,
पर गम में हर आदमी अकेला है

Sunday, October 18, 2015

ज़िंदगी मे किसी का साथ काफ़ी है..
हाथो मे किसी का हाथ काफ़ी है
दूर हो या पास फ़र्क नही पड़ता ..
प्यार का तो बस एहसास ही काफ़ी है.

भीड़ में भी महसूस होती है तन्हाई,
अँधेरे में दिखती है तुम्हारी पडछाई,
तुम क्या समजोगे हमारे प्यार की सच्चाई,
सागर से भी गहरी हो जिसकी गहराई

जिन्दगी बहुत छोटी है,
समय को हर वक्त खोती है,
कुछ वक्त दोस्तों के साथ भी बिताया करो,
क्यों की ये दोस्ती के याद में रोती है

Friday, October 16, 2015

जबरदस्ती का रिश्ता निभाया नहीं जाता,
किसको अपना बनाया नहीं जाता,
जो दिल के करीब होते है वही अपने होते है,
गेरो को सपनो में बसाया नहीं जाता………….

वो सागर ही क्या जिसका कोई साहिल ना हो,
वो चमन ही क्या जिसमे फूल ना हो,
वो आसमान ही क्या जिसमे तारे ना हो,
और वो जीवन ही क्या जिसमे दोस्त ना हो

जिंदगी में हर गम को छोड़ देना, ख़ुशी को नहीं,
हर मुश्किल को खो देना, कामयाबी को नहीं,
अगर ज़िन्दगी में कुछ खोना पड़े तो हमें खो देना,
पर अपनी हसी को नहीं……

Wednesday, October 14, 2015

दुश्मन नसिब अपना, साचा रकिब अपना.
सांसोमें सोना चांदी, दिल है गरिब अपना.

है कौन के जिसे मैं समजु करीब अपना,
तनहा हुं महेफीलोमें, ये है नसीब अपना

तेरे प्यार ने ज़िंदगी से पहचान कराई है
मुझे वो तूफ़ानो से फिर लौटा के लाई है
बस इतनी ही दुआ करते हैं खुदा से हम
बुझे ना यह शमा कभी जो हमने जलाई है

अपनोकी ईनायत कभी खतम नही होती
रीस्तोकी महेक भी कभी कम नही होती
जीवनमें साथ हो गर कीसी सच्चे रीस्तोका
तो ये जींदगी कीसी जन्नंतसे कम नही लगती

Tuesday, October 13, 2015

न जाने कौन सा जादू है तेरी बाहों में
शराब सा नशा है मेरी निगाहों में
तेरी तलाश में तेरे मिलना की आस लिये
दुआऐं मॉगता फिरता हॅू दरगाहों में