Friday, December 31, 2021

 तोड़ दो तुम हर लक्ष्मण रेखा

चुन लो अपना जो सपना देखा


तोड़ दो जाति-धर्म की रेखाएं

गर किसी मे अहसास रूहे देखा


तोड़नी पड़ती है बेड़ियों की रेखा

यू नही मिलता प्यार रूह का देखा


प्यार ने कब उम्र रेखाओ को देखा

हो गया किसी से फिर क्यूँ मन रोका


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 29, 2021

 पायल की छन छन

जैसे बारिश की बुंद


तेरे नैन चंचल चपल

बिंदिया सूरज की लाली सी


घनघोर घटा बादल की

तेरे स्याह केश लहराए


श्वेत देह जैसे नीला अम्बर

लचके कमर जैसे ऋतु मतवाली


तेरा पावन आँचल लहराए

जैसे उड़ते देखा हो सागर को


क्या वर्णन करूं मैं तेरी

लिखूं तो कलम मेरी बलखाए


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 26, 2021

 इकतरफ़ा जो महोब्बत किया करते हैं

बेरुखी भला वो फिर कहा रखा करते हैं


जमाने से दूर अहसासों में रहा करते हैं

बदले बेवफाई के भी वफ़ा किया करते है


फितरत है जमाने की नादानियां समझना

अहसास-ए-रूह महसूस कोई ही करते हैं


अहसास-ए-महोब्बत कोई ही किया करते हैं

उतर कर रूह में खुद की डूबे रहा करते है


सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 24, 2021

 दिल के तमाम एहसास लिख दूं

तेरे इश्क़ में कुछ खास लिख दूं


अबतक जो बुझ ना सकी

जन्मों की वो प्यास लिख दूं


मेरी नज़्म के साथ बज रहे

इश्क के सुरीले साज़ लिख दूं


पाने को तुझे करते हैं रात दिन

रब के दर की वो फरियाद लिख दूं


इश्क़ सोच कर किया नहीं तुझसे

तेरे नाम सारी कायनात लिख दूं 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 22, 2021

 उपहास का पात्र बन कर रह जाता है

शख्स जो एक_तरफा साथ निभाता है


पागल, आशिक, आवारा कहलाता है

खुशिया काफूर कर जो साथ निभाता है


दरमियां लफ्ज़ो में ही अच्छा लगता है

गुजरता जो इस पथ, उसे पता चलता है


बेबसी और तनहाइयाँ यू कचोटती है

खातिर इक रिश्ते के अपनो से दूर ताउम्र हो जाता है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 20, 2021

 उफ्फ़ ये पल, उफ्फ़ वो पल

सोचने में गुजर गए,  हर पल


न खत्म हुआ इंतजार-ए-पल

बेताबिया बढ़ती गई,  हर पल


न आया लौट के गुजरा जो पल

उम्र ढल गई, इंतजार में हर पल


इक आस सी बंधी रहती हर पल

बेबसी सी छाई आँखों मे हर पल


नश्तर से चुबते है रूह में हर पल

अजीब दर्द से निकले दम हर पल 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 14, 2021

 गुजरा जो इक जमाना तेरे साथ मे

दुनिया से पर्दा रहे रूहानी साथ मे


हमदम,हमराज,खुदा जैसे साथ मे

कभी खुशी,कभी गम रोये साथ मे


बिछुड़े फिर न मिले कभी साथ मे

रहते हो फिर भी हमारी हर सांस में


कभी यादों के गहराये हुए बवंडर में

संजोया है तुमको इश्क-ए-लफ्ज़ो में


--- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 11, 2021

 रिवाज-ए-रस्मों में घुट रही जिन्दगी

दिल कही, कही और रुकी जिन्दगी


बेजुबाँ सी होकर रह गई है जिन्दगी

ख्वाहिशों को चूर-चूर करती जिन्दगी


खुले आसमान तले हवा बन्द जिन्दगी

दास्तान-ए-दिल लिख रही है जिन्दगी


खामोशियों के शोर में बोर है जिन्दगी

कोई समझ नही पाया क्या है जिन्दगी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 9, 2021

 सुरक्षा रणनीति में वो ऐसा निर्माण कर गया

नाम के मुताबित रचनात्मक हौसला दे गया


ललकार कर दुश्मनों को वो यू संदेश दे गया

चली गोली तुम्हारी, कम नही गोलियां हमारी


पहल नही होगी कभी भी आगे से यह हमारी

गुस्ताख़ी की तुमने फिर खेर नही होगी तुम्हारी


#श्री_बिपिन_रावत_जी

🙏💐

---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 8, 2021

 हर बात भी उससे

हर डांट भी उससे


पर जाने क्या ऐसी बात हो गई

सुने उसे अब,रात हो गई


काली रातें काली आंखें

काजल से भीगे आंसू


पोछ ना पाया इन हाथों से

रात हो रही,वो सो रही


हर कविता थी नाम पे उसके

हर ग़ज़ल भी उसपे

हर गीत भी उसपे


पर जाने भूल कहां हो गई

मेरी परछाई कही खो गई


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 5, 2021

 तुम वो इश्क हो


जिसे किसी कविता

ग़ज़ल,और नज्म मे

पिरोया नहीं जा सकता


तुम मुक्कमल इश्क हो

अधूरी नहीं,संपूर्ण हो


कोई कविता नही

तुम वो गीत हो


जिसे हरपल गूनगूनाऊं

वो मधूरिम संगीत हो


तुम आशा हो

तुम उम्मीद हो


सूर्य की पहली किरन

सी प्रभाती हो


हाँ तुम इश्क हो

मेरा..इश्क..


---- सुनिल #शांडिल्य