Thursday, July 31, 2014

मुझमे खुशबू बसी उसकी है
जैसे ये ज़िन्दगी उसकी है
वो कही आसपास है मेरे
हो ना हो ये हंसी उसी की है
अब तो ये ख्वाब भी नही मेरे
अब तो ये नींद भी उसी की है
या तो कोई कमी नही मुझमे
या फिर मुझमे कमी उसकी है


ना शिकवा किसी का ,ना फरियाद किसी की 
होनी थी यूँ ही जिंदगी, बर्बाद किसी की ...
अहसास मिटा,तलाश मिटी, मिट गई उम्मीदें .....
सब मिट गया पर न मिट सकी याद किसी की ...!

चिराग बुझते रहे और ख्वाब जलते रहे
सिसक सिसक के जिंदगी के साँस चलते रहे|
मुझे तडफता हुआ छोड कर चले जाने वाले 
मेरे गम ना कम हुए, बस दिन ढलते रहे || 

मैं क़तरा होकर भी तूफां से जंग लेता हूं ! 
मेरा बचना समंदर की जिम्मेदारी है !!
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत ! 
यह एक चिराग कई आंधियों पर भारी है !!

साहिल पे पहुंचने से इनकार किसे है लेकिन;
तूफ़ान से लड़ने का मज़ा ही कुछ और है;
कहते है, कि किस्मत खुदा लिखता है लेकिन;
उसे मिटा के खुद गढ़ने का मजा ही कुछ और है।


Wednesday, July 30, 2014

कोई समझता नहीं उसे इसका गम नहीं करता;
पर तेरे नजरंदाज करने पर हल्का सा मुस्कुरा देता है;
उसकी हंसी में छुपे दर्द को महसूस तो कर;
वो तो हंस के यूँ ही खुद को सजा देता है।


प्यासे को इक कतरा पानी ही काफी है;
इश्क में चार पल की जिंदगानी ही काफी है;
हम डूबने को समँदर में भला जाए क्यो;
उनकी पलको से टपका वो आंसू ही काफी है।


दिल टूटा तो एक आवाज आई!
चीर के देखा तो कुछ चीज निकल आई!
सोचा क्या होगा इस खाली दिल में!
लहू से धो कर देखा, तो तेरी तस्वीर निकल आई!


हर मोड़ पर मुकाम नहीं होता.
दिल के रिश्तों का कोई नाम नहीं होता.
चिरगों की रोशनी से ढूँढा है आपको.
आप जैसा दोस्त मिलना आसान नहीं होता.



मेरे होठों को दे देना ज़माने भर की तिश्नगी,
मगर उसके लबों को इक नदी की कैफियत देना

मैं उसकी आँख के हर खवाब में कुछ रंग भर पाऊँ,
मेरे अल्लाह मुझको सिर्फ इतनी हैसियत देना॥


Tuesday, July 29, 2014

सूरज , सितारे , चाँद मेरे साथ में रहे 
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहे 
और शाखों जो टूट जाये वो पत्ते नही है हम 
आंधी से कोई कहे दी की औकात में रहे


जो रिश्ते हैं हक़ीक़त में वो अब रिश्ते नहीं होते
हमें जो लगते हैं अपने वही अपने नहीं होते
कशिश होती है कुछ फूलों में ,पर ख़ुशबू नहीं होती
ये अच्छी सूरतों वाले सभी अच्छे नहीं होते


हमसे पूछो के ग़ज़ल मांगती है कितना लहू
सब समझते हैं ये धंधा बड़े आराम का है
प्यास अगर मेरी बुझा दे तो मैं मानू वरना ,
तू समन्दर है तो होगा मेरे किस काम का है


कैसे मुमकिन है ख़ामोशी से फ़ना हो जाऊँ
कोई पत्थर तो नहीं हूँ कि ख़ुदा हो जाऊँ
गर इजाज़त दे ज़माना तो मैं जी लूँ इक ख़्वाब
बेड़ियाँ तोड़ के आवारा हवा हो जाऊँ


किसी को घर से निकलते ही मिल गयी मंज़िल,
कोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा ।
कुछ इस तरह से गुज़ारी है ज़िन्दगी जैसे,
तमाम उम्र किसी दूसरे के घर में रहा ।


Monday, July 28, 2014

दूर इशारो से कभी बात नही होती
चंद आँसू बहाने से बरसात नही होती
यह ज़िंदगी कोई ख़्वाब नही हकीकत हे
आँखें बंद कर लेने से रात नही होती.

"खुश हूँ और सबको खुश रखता हूँ,
लापरवाह हूँ फिर भी सबकी परवाह करता हूँ.
मालूम हे कोई मोल नहीं मेरा.....
फिर भी,
कुछ अनमोल लोगो से रिश्ता रखता हूँ......!

फूलो से सजे गुलशन की ख्वाइश थी हमें,
मगर जीवनरूपी बाग़ में खिल गए कांटे,
अपना कहने को कोई नहीं है यहाँ,
दिल के दर्द को हम किसके साथ बांटे.

आरजू ये है कि उसकी हर नजर देखा करें,
वो ही अपने सामने हो हम जिधर देखा करें, 
एक तरफ हो सारी दुनिया एक तरफ सूरत तेरी,
हम दुनिया से होकर बेखबर तुझे देखा करें.

इश्क है तो इश्क का इजहार होना चाहिये
आपको चेहरे से भी बीमार होना चाहिये

ऐरे गैरे लोग भी पढ़ने लगे हैं इन दिनों
आपको औरत नहीं अखबार होना चाहिये


Sunday, July 27, 2014

नज़र के सामने कुछ अक्स झिलमिलाये बहुत
हम उनसे बिछुड़े तो दिल में ख्याल आये बहुत

थीं उनको डूबते सूरज से निस्बतें कैसी !
ढली जो शाम तो कुछ लोग याद आये बहुत


हर एक चेहरे को ज़ख़्मों का आईना न कहो|
ये ज़िन्दगी तो है रहमत इसे सज़ा न कहो|
न जाने कौन सी मज़बूरीओं का क़ैदी हो,
वो साथ छोड़ गया है तो बेवफ़ा न कहो|


आज के दौर में ऐ दोस्त ये मंज़र क्यूँ है
ज़ख़्म हर सर पे हर इक हाथ में पत्थर क्यूँ है
अपना अंजाम तो मालूम है सब को फिर भी
अपनी नज़रों में हर इन्सान सिकंदर क्यूँ है


फ़ल्सफ़े इश्क़ में पेश आये सवालों की तरह
हम परेशाँ ही रहे अपने ख़यालों की तरह

ज़िक्र जब होगा मुहब्बत में तबाही का कहीं
याद हम आयेंगे दुनिया को हवालों की तरह


जब भी तन्हाई से घबरा के सिमट जाते हैं
हम तेरी याद के दामन से लिपट जाते हैं

हम तो आये थे रहें शाख़ में फूलों की तरह
तुम अगर ख़ार समझते हो तो हट जाते हैं


Saturday, July 26, 2014

ग़म बढे़ आते हैं क़ातिल की निगाहों की तरह
तुम छिपा लो मुझे, ऐ दोस्त, गुनाहों की तरह

जिनके ख़ातिर कभी इल्ज़ाम उठाये हमने
वो भी पेश आये हैं इंसाफ़ के शाहों की तरह


उसने दिन रात मुझको सताया इतना
कि नफरत भी हो गई और मोहब्बत भी हो गई.

उसने इस नजाकत से मेरे होठों को चूमा,
कि रोज़ा भी न टुटा और अफ्तारी भी हो गई.

उसने इस अहतराम से, मुझसे मोहब्बत की,
कि गुनाह भी न हुआ और इबादत भी हो गई.

मत पूछ उसके प्यार करने का अंदाज़ कैसा था...

उसने इस शिद्दत से मुझे, सीने से लगाया,
कि मौत भी न हुई और जन्नत भी मिल गई.


एक बार ही जी भर के सज़ा क्यूँ नहीं देते |
मै हर्फ़ -ए -गलत हूँ तो मिटा क्यूँ नहीं देते |
मोती हूँ तो दामने मुज्ना में पिरो लो ,
आंसूं हूँ तो पलकों से गिरा क्यूँ नहीं देते |
साया हूँ तो साथ न रखने की वजह क्या ,
पत्थर हूँ तो रास्ते से हटा क्यूँ नहीं देते |

मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा
अब इसके बाद मेरा इम्तेहान क्या लेगा
मैं बुझ गया तो हमेशा को बुझ ही जाऊँगा
कोई चिराग नहीं हूँ जो फिर जला लेगा


अशआर मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं
कुछ शे़र फ़क़त उनको सुनाने के लिए हैं।
अब ये भी नहीं ठीक कि हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिए हैं।


Friday, July 25, 2014

चेहरा मेरा था निगाहें उसकी ,
खामोशी में भी वो बातें उसकी।
मेरे चेहरे पे ग़ज़ल लिखती गयीं ,
शेर कहती हुई आँखे उसकी।


Thursday, July 24, 2014

अपने हर हर लफ्ज़ का खुद आईना हो जाऊँगा ,
उस को छोटा कह के मैं कैसे बड़ा हो जाऊँगा
तुम गिराने में लगे थे तुम ने सोचा ही नहीं,
मैं गिरा तो मसला बन कर खड़ा हो जाऊँगा


वक्त की गर्दिश में बह जाने दो !
जिंदगी जैसे गुजरती हैं गुजर जाने दो !!
मेरे दिल ने कभी फूलों की तमन्ना की थी !
आज कांटे ही को दामन से लिपट जाने दो !!


आदत हैं तेरी याद आने की !
इन आँखों को तेरी एक झलक पाने की !!
हमारी तो तमन्ना हैं तुमको पाने की !
पर शायद तुम्हारी आदत हैं हमें तड़पाने की !!


जब भी करीब आता हूँ बताने के लिए !
जिंदगी दूर रखती हैं सताने के लिए !!
महफिलों की शान न समझना मुझे...!
मैं तो हँसता हूँ गम छुपाने के लिए !!


यादों में कभी आप भी खोए होंगे !
खुली आँखों से कभी आप भी सोए होंगे !!
माना हमें हैं आदत गम छुपाने की...!
पर हँसते हुए कभी आप भी रोए होंगे !!


रिश्ता उल्फत का यूँ निभाया जाता हैं !
अश्क पि कर भी मुस्कुराया जाता हैं !!
ऐसे भी मोड़ आते हैं जिंदगी में....!
किसी के खातिर खुद को मिटाया जाता हैं !!



आरजू में आपके दीवाना हो गए !
आपको दोस्त बनाते - बनाते बेगाना हो गए !!
करले एक बार याद इस नाचीज को....!
क्योकि हिचकियाँ आए ज़माना हो गए !!


मेरे वजूद से लिपटी खुशबू तेरे नाम की हैं !
मेरी हर धड़कन तेरे नाम की हैं !!
इतना यकीन करले एय मेरे हम नाशी....!
बिन तेरे मेरी जिंदगी बेनाम सी हैं !


किसी की उम्मीद मे वो ऐसे खोये थे
पलको से पता चला वो रात भर रोये थे !
धीमी सी आहट से उनके करीब जाना चाहा
जाने क्यो लगा वो हमेँ याद करते करते सोये थे !!

Tuesday, July 22, 2014

काश दिल मे इतनी गहराई ना होती
छुपाने को दिल मे कोई बात ना होती
गर समझ जाता सामने वाला आपकी वफा को
तो दुनिया मे किसी के साथ तन्हाई ना होती॥

पिघलती हैं मोम रौशनी के लिए !
होती हैं मोहब्बत दिलवालों के लिए !!
जिंदगी फना हैं आपकी खुशियों के लिए !
कुर्बान हैं हर साँस आपकी जिंदगी के लिए !!


प्यार करके उसका इंतज़ार पाया हैं !
तनहाई में भी उसे हर पल पाया हैं !!
मिल जाए खुदा तो पूछूँगा उनसे...!
क्या तुने हर बार मुझे ही आजमाया हैं !!


आँसुओं के सागर में दिल डुबोते हुए !
सारी रात गुजर गई हमे रोते हुए !!
मज़ाक कैसा किया तक़दीर ने हमसे...!
उन्हें पा न सके उनके होते हुए !!


Monday, July 21, 2014

अलविदा कह कर जब कोई आँखों से दूर होता हैं !
आँखें देखती हैं पर दिल मजबूर होता होता हैं !!
कोई कहे न कहे ज़ुबान से मगर....!
दिल में दर्द ज़रूर होता हैं !!


Sunday, July 20, 2014

पल - पल उनके साथ निभाते हम !
एक इशारे पर दुनियाँ छोर जाते हम !!
समंदर के बिच में फरेब किया उसने !
वो कहते तो किनारे पे ही डूब जाते हम !!


हँस कर जीना दस्तूर हैं जिंदगी का !
एक यही खिस्सा मशहूर हैं जिंदगी का !!
बीते हुए पल कभी लौट के नहीं आते...!
यही सब से बरा कसूर हैं जिंदगी का !!


प्यार करे उसे कोई माफ नहीं करता !
कोई उनके साथ इंसाफ नहीं करता...!!
लोग प्यार को तो पाप कहते हैं !
पर कौन ऐसा हैं जो ये पाप नहीं करता !!


दोस्ती शायद जिंदगी होती हैं !
जो हर दिल में बसी होती हैं !!
वैसे तो जी लेते हैं हर कोई अकेले !
मगर फिर भी जरुरत आपकी हमें हमेशा होती हैं !!


निकले कोई अगर दिल में बस जाने के बाद !
दर्द होता हैं उनसे बिछर जाने के बाद....!!
पास होता हैं जो उसकी कदर नहीं होती !
कमी महसूस होती हैं उसके दूर जाने के बाद !!