Thursday, January 22, 2015
बताओ दिल की बाजी में भला क्या बात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी
कहा यूं तो सभी कुछ ठीक था पर मात गहरी थी
सुनो बारिश , कभी ख़ुद से भी भर
कर कोई देखा है
जवाब आया उन अशकों की मगर बरसात गहरी थी
जवाब आया उन अशकों की मगर बरसात गहरी थी
सुनो “पी” तुमने होले से कहा था क्या, बताओ गे ?
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी
जवाब आया कहा तो था मगर वो बात गहरी थी
दिया दिल का सुमंदर उसने तुमने क्या किया उस का?
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी
वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी
तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी
नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी
हमे बस डूब जाना था के वो सौगात गहरी थी
वफ़ा का दस्त कैसा था बताओ तुम पे क्या बीती
भटक जाना ही था हम को वहाँ पर रात गहरी थी
तुम उस के जिक्र पर क्योँ डूबे जाते हो ख्यालों में
रफक़त और अदावत अपनी उस के साथ गहरी थी
नज़र आया तुम्हे उस अजनबी में क्या, बताओ गे ?
सुनो कातिल निगाहों की वो जालिम घात गहरी थी
उदास लोगों से प्यार करना कोई तो सीखे
सफ़ेद लम्हों में रंग भरना कोई तो सीखे
कोई तो आये खिजां में पत्ते उगाने वाला
गुलों की खुशबू को कैद करना कोई तो सीखे
कोई दिखाए मोहब्बतों के सराब मुझ को
मेरी निगाहों से बात करना कोई तो सीखे
कोई तो आये ने रूठों का पयाम ले कर
अँधेरी रातों में चाँद बनाना कोई तो सीखे
कोई पैगम्बर , कोई इमाम -ए -ज़मान ही आये
एशीर सोचों में सोच भरना कोई तो सीखे
सफ़ेद लम्हों में रंग भरना कोई तो सीखे
कोई तो आये खिजां में पत्ते उगाने वाला
गुलों की खुशबू को कैद करना कोई तो सीखे
कोई दिखाए मोहब्बतों के सराब मुझ को
मेरी निगाहों से बात करना कोई तो सीखे
कोई तो आये ने रूठों का पयाम ले कर
अँधेरी रातों में चाँद बनाना कोई तो सीखे
कोई पैगम्बर , कोई इमाम -ए -ज़मान ही आये
एशीर सोचों में सोच भरना कोई तो सीखे
Monday, January 19, 2015
दोस्त क्या खूब वफाओं का सिला देते है
हर नए मोड़ पे एक दर्द नया देते है
तुम से तो खैर घडी भर का ताल्लुक रहा
लोग सदियों की रफ़क़त भुला देते है
कैसे मुमकिन है धूअन भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सजा देते है
कौन होता है मुसीबत में किसी का ए दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है
जिन पे होता है दिल को भरोसा
वक़्त पड़ने पे वही लोग धोका भी देते है
हर नए मोड़ पे एक दर्द नया देते है
तुम से तो खैर घडी भर का ताल्लुक रहा
लोग सदियों की रफ़क़त भुला देते है
कैसे मुमकिन है धूअन भी न हो और दिल भी जले
चोट पड़ती है तो पत्थर भी सजा देते है
कौन होता है मुसीबत में किसी का ए दोस्त
आग लगती है तो पत्ते भी हवा ही देते है
जिन पे होता है दिल को भरोसा
वक़्त पड़ने पे वही लोग धोका भी देते है
ए दिल तू मुहब्बत करता क्यूँ है
जो करता है तो फिर तड़पता क्यूँ है ?
जो बैठ गया है दिल में प्यार का दर्द बनके
वोह आँखों के रस्ते निकलता क्यूँ है ?
मैं तेरे साथ हूँ हर राह में मुझसे कहती थी वो
तो फिर आज यह रास्ता मुझे सुनसान लगता क्यूँ है ?
मैं धड़कन हूँ उसके दिल की वह कहती थी मुझसे
फिर आज उसका दिल मेरे बिना धड़कता क्यूँ है ?
वह मेरी नहीं है यह जानता हूँ मैं फिर भी
किसी और के साथ देख के उसको दिल मचलता क्यूँ है ?
यह दिल भी अजीब होता है दोस्तों
कभी कहता है जा थाम ले उसके हाथों को
फिर रह रह के संभालता क्यूँ है ?
जो करता है तो फिर तड़पता क्यूँ है ?
जो बैठ गया है दिल में प्यार का दर्द बनके
वोह आँखों के रस्ते निकलता क्यूँ है ?
मैं तेरे साथ हूँ हर राह में मुझसे कहती थी वो
तो फिर आज यह रास्ता मुझे सुनसान लगता क्यूँ है ?
मैं धड़कन हूँ उसके दिल की वह कहती थी मुझसे
फिर आज उसका दिल मेरे बिना धड़कता क्यूँ है ?
वह मेरी नहीं है यह जानता हूँ मैं फिर भी
किसी और के साथ देख के उसको दिल मचलता क्यूँ है ?
यह दिल भी अजीब होता है दोस्तों
कभी कहता है जा थाम ले उसके हाथों को
फिर रह रह के संभालता क्यूँ है ?
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