Monday, November 29, 2021

 मरते मरते रोज, अब इतना मर गए

तेरी यादों के सिवा, बाकी स्वाहा हो गए


बेरुखी तेरी और तन्हा हम हो गए

धस गई आँखे भीतर यू तुम्हे सोचते रह गए


तुम न समझे हाल-ए-दिल पत्थर हो गए

जबर्दस्ती नही प्यार में खामोश हम हो गए


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 25, 2021

 बालों से बदरा लाती प्रेयसी

हर लम्हा दिल चुराती प्रेयसी


होंठों से गीत गुनगुनाती प्रेयसी

बच्चों सी खिलखिलाती प्रेयसी


चूड़ी पहन सावन लाती प्रेयसी

कमरबंद पहन इठलाती प्रेयसी


यौवन पर इतराती,मेरी प्रेयसी

बाहों में अक्सर सो जाती प्रेयसी


है लाखों में एक..वो मेरी प्रेयसी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 24, 2021

 भूल कर तुम्हे खुद को कहा रखेगे

तू जगह दे, न दे तुझे दिल मे रखेगे


बनाया जो रिश्ता हक, हक रखेगे

तुम रखो न रखो हम ताउम्र रखेगे


बेवक़्त गुजरा, ताउम्र साथ रखेगे

बनाया रिश्ता उसकी लाज रखेगे


शामिल तेरे ज़मीर में जमीर रखेगे

वक़्त पर तुझे हर रिश्ते शामिल रखेगे


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, November 20, 2021

 तेरे माथे पे लगी

वो छोटी काली बिंदी,


चाँद पर लगी किसी 

जरूरी दाग की तरह है ।


तेरी आंखों में लगा

काला गाढ़ा काजल,


तेरी आंखों  को 'हाय'

और गहरा कर रहा है ।


तेरी कानों के झुमके संग

स्याह जुल्फों की जुगलबंदी


तुझे मुझ शायर की इक

खुबसूरत नज्म बना रहा है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 19, 2021

 तुम पास नही हो तो

आँखों में आँसू बन आती हो .. तुम ,


कभी लबों पर ..

मुस्कान बनकर आती हो .. तुम,..


कभी तिनका तिनका रुहानी 

मोहब्बत का एहसास कराती हो .. तुम .


जब भी मेरे पास आती हो तो 

अपना बना जाती हो ... तुम ..❤️


तुम.. हां तुम .. सिर्फ तुम ..❤️


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 16, 2021

 तोड़ कर जंजीरें भी फिर वो चला जायेगा

जिसे अहसास नही वो रिश्ता क्या निभाएगा


जो मतलब से जुड़ा, मतलब से ही आयेगा

गर दिल से जो जुड़ा होगा कही नही जायेगा


बेपीर दिल की पीर कोई क्या समझ पायेगा

जो समझ गया वो रिश्ता दूर रह भी निभाएगा


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 12, 2021

 मन की डोर, आकाश का छोर

उनसे गहरी है, समाधि की डोर


जिन्दगी पल, दो साँसों की डोर

अमृत बरसेगा संग प्यार की डोर


अहम जड़, का नही कोई छोर

सरस, विरल मन अमृत सी डोर


मिलन-मिलाप मधुर प्रेम की डोर

अहम क्या जाने स्नेह-प्रेम की डोर


विरह देकर मिले न स्नेह की डोर

भरोसा खरा, आनन्दमय की डोर 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 10, 2021

 चाँद पूर्णिमा का आज उतरा गगन में

न जाने खोया कहा चाँद मेरा भीड़ में


रहता है वो ही मेरे रूह के जर्रे-जर्रे में

घनघोर अंधेरा छाया शरद पूर्णिमा में


रोज पूर्णिमा होती थी...उसके संग में

शीतल पूर्णिमा भी गर्म उसके बगैर में


न जाने कब आएगी संग वो पूर्णिमा में

कब छंटेगी तन्हाई मेरी... 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 8, 2021

 सांस रुक जाए

मगर आंखें कभी बंद न हो


मौत आए भी तो

तुझे देखने की जिद खत्म न हो


तेरे लिए है ये दुआ मेरी

मेरे खातिर कोई भी जख्म न हो


जिन चिरागों को जलाने को आग नही

उन लाशों पर कभी जुगनुओं का जश्न न हो


जिंदगी तुमसे मेरा खून का रिश्ता

मगर ऐसे रिश्तो में कभी जन्म न हो ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 1, 2021

 लाल लाल शरारा पहन कर चली है

देखो आज प्रेयसी मेरी रानी सी सजी है


काला कजरा उसकी शोभा नयन की

सर से है पांव तक गहनों से लदी है


हाथों में मेहंदी मेरे प्यार की कहानी है

नयना झुकाये ना कुछ कहती जुबानी है


शर्म से नैन झुका करती वो इशारे है

देखो आज प्रेयसी मेरी रानी सी सजी है


---- सुनिल #शांडिल्य