तेरी खातिर इस
दुनिया
का विष सारा पी लेंगे हम
तेरे सुख के लिये
स्वय
से निष्कासन भी लेंगे हम
तू चाहे अपना ले
मुझ को
चाहे तू तो ठुकरा दे....
तुझ से कोई एक
रिश्ता
तो है यही सोच जी लेंगे हम
---- सुनिल शांडिल्य
बांध रखा तूने मुझे अहसासों की डोरी से
तुझ बिन ये दिन-रात लगते है बुझे-बुझे से
तुम हुए मेरी रूह के अहसास-ए-खुदा से
भुला मंदिर-मस्जिद तुम हुए मेरे रूहे-रब से
तुम बिन इक-इक पल लगते है बरसो से
कब बरसाओगे अहसास तुम सावन बादल से
शायद आईना ही है..
जो दिखाता है कि तुम हो कैसे.!
धोखेबाज..
अच्छा होता,आईना ही ना होता.
हम खुद को,सुंदर महसूस ना करते.
निर्भर होते औरो पे..
और कहते,कि तुम बदसूरत हो..
हम मान लेते..
कोशिश करते,सुंदर बनने की..
अपनी आदत और कामों से..!!
प्रेम की पुस्तक मे
मेरी चाहत,
का तुम अक्षर देखो ...
कैसे झुका हुआ है
इस धरती,
पर तुम अम्बर देखो ...
तुम को देखा लगा
जैसे सुबह,
की धूप खिली प्रिये ...
मन है कि कभी
तुम मुझे,
चुपके से छू कर देखो ...
रंग गोरा तेरा जब बरसाओगे मुझ पर
सांवला रंग मेरा भी छा जाएगा तुझ पर
मिलकर लिखेगे फिर नई कहानी हमपर
अहसासों की स्याही चढ़ाएंगे कोरे पन्नो पर
लिखेगे किताब हम दोनों ही फिर मिलकर
अहसास-ए-रूह रखे नाम किताब का मिलकर
जो रूके कदम तुम्हारी पनाह मे
तो सुकून_ओ_चैन पाया
गम के साये हुए दूर मनको
आराम आया
नही रहा कोई असर बेदर्द जमाने का
जिन्दगी मे इक ऐसा मोङ आया
रहा हमेशा याद वो वादा_ए_वफा
ज़फा का ना कही जिक्र आया
जिसमें एक
दूजे को.....
देखें ऐसा दर्पण चाहिए ;
चाहने वालों
को यहां.....
साँसों का अर्पण चाहिए ;
प्रेम की होती
है भाषा.....
बड़ी सीधी और बडी सरल ;
प्रेम मे तन
का नहीं.....
प्रिये मन का समर्पण चाहिए ;
तुम्हारे साथ
होना जिंदगी....
की जीत होता है ¦¦
तुम्हारे नाम
का मतलब....
सदा मनमीत होता है ¦¦
मिले जो
आंख तुमसे....
देह मे सरगम उमंगती है ¦¦
तुम्हारे होंठ
का हिलना ~प्रिये
मधुर संगीत होता है ¦¦
तुम को देखा
हुआ आचमन गीत का ... !
तन से मन
तक हुआ आवरण प्रीत का ... !
दूर रहना हमारा
है अब मुमकिन नहीं ~~प्रिये
लाया संदेश ये आगमन तेरे हृदय से
मेरी धड़कनों की प्रीत का ... !!
पसीने से भींगी तुम
नख से शिख तक..
यूं लगती हो जैसे..
भींगा कोई कमल दल
जैसे..
चांदनी में नहाई रातरानी का पुष्प
ओस की बूंदों से तर हरी दूब
खुशबू तेरी मादक
जैसे..महुए का पुष्प
जो पास आऊं मैं तेरे
नशे में झूमे मन मेरा बावरा
तेरे इश्क का कसीदा लिखूं
या तुझपे कोई गजल लिखूं
लिखूं तेरी ज़ुल्फों का जिक्र
या लिखूं कातिल निगाहे तेरी
बहारे लिखूं चमन लिखूं
लिखूं दिलकश जवानी तेरी
जिक्र करूँ जज्बात लिखूं
लिखूं कोई कहानी तेरी
दिलबर लिखूं जान लिखूं
लिखूं इश्क लिखूं रवानी तेरी
इश्क़ में मशरूफ था जमाना ,
हम तो सफ़र पे निकले थे..!!
क्या नज़्में,क्या ग़ज़लें
हम तो सिर्फ दर्द ही अब लिखेंगे..!!
याद करके सारी रात उनको ,
नींद चैन की हमें ना आयी..!!
लिखते लिखते कहीं कलम टूट ना जाए ,
दर्द इतने सारे है कहीं पन्ने कागज के कम ना पड़ जाए..!!
नदी का किनारा वो बहका नजारा
वो शाम-ए-गजल वो उजली किरण
फूलों से नाजुक महकता बदन
लब है तुम्हारा के खिलता कमल
झुकी सी नजरें लटें लबों तक
तुम्हारा आना दिलों की लब-डब
तेरा मचलना मेरा बहकना
एक ही ख्याल में हमेशा जगना
यूँ बातों बातों में जिक्र तुम्हारा
रह रह कर फिकर तुम्हारा ।।
एक पूनम दो चाँद,
नज़रे उठाओ तो चाँद
झुकाओ तो चाँद
कमाल थी वो शाम एक पूनम दो चाँद
मखमली शाम ने,शायर बना दिया
मैंने कही ग़ज़ल आसमान ने लिखा चाँद
इंतज़ार में गली किनारे छिप
वो मुझे देखती मै देखता चाँद
दो रंगो से मुहब्बत के इक सफ़ेद इक स्याह
इन्ही को ओढ़ता-बिछाता रहा एक वो एक चांद
गीत बनूं तेरे होंठों का
गुनगुना ले तू मुझे
अश्क बनूं तेरी आंखों का
बहा ले तू मुझे
मुस्कुराहट बनूं लब पे तेरे
खिलखिला ले तू मुझे
ख्वाब बनूं तेरी आंखों में
सजा ले तू मुझे
खुशबू बनूं तेरी रूह की
महका दे तू मुझे
खो जांऊ मैं तुझमें
अपना ले तू मुझे ..
मेरी कविताओं में,
मेरे शब्दों में
जो उतार चढ़ाव होता है
वो उसकी आवाज की कशिश होती है ।
जो प्रेम छलकता है
वो उसके अहसास होते हैं ।
जो तड़प और जिज्ञासा दिखती है
वो उसकी
बदन पे
पड़ने
वाली ,
हर वो सलवट होती है
जिसे मैंने
उसके
सपनो
में स्पर्श किया है ।।
तेरी बूंद बूंद इश्क से
मैं सागर हुआ ..
इस सागर-सा गहरा इश्क लिए,
भाप बनकर तेरे पास उड़ चला ..
ताकि तू बादल बन
बूंद बूंद इश्क बरसा सके ..
और मैं तुझ पर
अपनी सागर सी
गहरी इश्क लुटा सकूं......!!
मैं लिखता हूँ,की तुम पढ़ोगी
शब्द रचूंगा गीत बनूँगा
हर राह सुनाया जाऊंगा
हर बार जब कोई पूछेगा मेरे होने का सबब
कुछ न कहूँगा लिखूंगा,जवाब बन जाऊंगा
मेरा इज़हार एक ग़ज़ल होगी
मेरा इनकार एक नज्म होगी
मैं जीता हूं,रोज मरने के लिए
मौत के बाद एक ख़त सा पढ़ा जाऊंगा ।
सर्दियों की ओस में
तेरी साँसों की चादर चुरानी हैं
आसमां अलग हैं सपनों का,
बादल पर दुनिया बसानी हैं
नया है ये नशा जो चढ़ा तेरा,
फ़ैली हर ओर रूत सुहानी है
कहाँ हो तुम ??
की,आ जाओ मेरी आगोश में ,
ओ मेरे हमसफ़र ,
मिश्री सी घुलती ये हमारे प्यार की निशानी है ।
ना मैं कोई शायर ना कवि
लिखता हूं मन के भाव
अपनी प्रेयसी की जुदाई
उसका प्रेम♥️
उन अनमोल पलों से रचता हूं
शब्दों का ताना बाना
पिरोता हूं उसे एक माला मे
लोग कहते फ़ालतू क्या क्या
उन्हे कैसे बताऊं
मै उनके लिए नही
सिर्फ तेरे लिए लिखता हूं
हमारी कहानी है ये
शायरी नही जज्बात लिखता हूं
मै महफिलों मे भी
तेरा ही नाम लेता हूं
चाह न थी हमारी
शायर बनने की
इश्क ने बना दिया
तुम्हें चाहा था हमने
तुमने ही सीखा दिया
कैसा हूं कौन हूं
ये शब्दो में लिखता हूं
मै आज भी
अधूरी कहानियां लिखता हूं
हर कहानी में किरदार
अपने साथ तुम्हारा लिखता हूं ।।
ये जो तुम्हारी पांव की पाजेब है
छनकती कम बहकाती ज्यादा है
जब भी इसकी सुर लहरी
कानों में गूंजती है
सोचता हूं थाम लूं ताउम्र के लिए,
तुमसे बिछड़ने का डर चुभता बहुत है
अब आ जाओ पहलू में गर भरोसा है तो..
दाग नहीं लगाऊंगा ताउम्र साथ का वादा है ।
गर छोड़ दूँ कलम तो
अपनी यारी मर जायेगी
और छोड़ दूँ तेरी यारी को
तो मैं मर जाऊँगा
तेरे सिवा कौन है दोस्त मेरा
बता मैं कहाँ जाऊंगा
तेरे से दिल खोल के बातें की हैं
किसी से क्या कह पाऊंगा
रँगा दिल मेरा तेरी दोस्ती के रंग है
जब से तू मेरे संग हैं
तुम बन जाना ग़ज़ल मेरी
मैं तेरा इक अल्फ़ाज़ बनूं
तुम बन जाना क़रार मेरा
मैं तेरे दिल का सुकून बनूं
तुम बन जाना ख़्वाब मेरा
और मैं तेरी निगाह बनूं
तुम बन जाना मन्ज़िल मेरी
मैं तेरा राही बनूं