Saturday, July 31, 2021

 तेरी खातिर इस

दुनिया

का विष सारा पी लेंगे हम


तेरे सुख के लिये

स्वय

से निष्कासन भी लेंगे हम


तू चाहे अपना ले

मुझ को

चाहे तू तो ठुकरा दे.... 


तुझ से कोई एक

रिश्ता

तो है यही सोच जी लेंगे हम 


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 30, 2021

 बांध रखा तूने मुझे अहसासों की डोरी से

तुझ बिन ये दिन-रात लगते है बुझे-बुझे से


तुम हुए मेरी रूह के अहसास-ए-खुदा से

भुला मंदिर-मस्जिद तुम हुए मेरे रूहे-रब से


तुम बिन इक-इक पल लगते है बरसो से

कब बरसाओगे अहसास तुम सावन बादल से


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 29, 2021

 शायद‌ आईना ही है..

जो दिखाता है कि तुम हो कैसे.!

धोखेबाज..


 अच्छा होता,आईना ही ना होता.

हम खुद को,सुंदर महसूस ना करते.


निर्भर होते औरो पे..

और कहते,कि तुम बदसूरत हो..

हम मान‌ लेते..


कोशिश करते,सुंदर बनने की..

अपनी आदत और कामों से..!!


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 28, 2021

 प्रेम की पुस्तक मे

मेरी चाहत, 

का तुम अक्षर देखो ...


कैसे झुका हुआ है

इस धरती, 

पर तुम अम्बर देखो ... 


तुम को देखा लगा

जैसे सुबह, 

की धूप खिली प्रिये ...


मन है कि कभी

तुम मुझे, 

चुपके से छू कर देखो ...


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 27, 2021

 रंग गोरा तेरा जब बरसाओगे मुझ पर

सांवला रंग मेरा भी छा जाएगा तुझ पर


मिलकर लिखेगे फिर नई कहानी हमपर

अहसासों की स्याही चढ़ाएंगे कोरे पन्नो पर


लिखेगे किताब हम दोनों ही फिर मिलकर

अहसास-ए-रूह रखे नाम किताब का मिलकर


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, July 25, 2021

 जो रूके कदम तुम्हारी पनाह मे

तो सुकून_ओ_चैन पाया


गम के साये हुए दूर मनको

आराम आया


नही रहा कोई असर बेदर्द जमाने का

जिन्दगी मे इक ऐसा मोङ आया


रहा हमेशा याद वो वादा_ए_वफा

ज़फा का ना कही जिक्र आया 


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 24, 2021

 जिसमें एक

दूजे को..... 

देखें ऐसा दर्पण चाहिए  ;


चाहने वालों

को यहां..... 

साँसों का अर्पण चाहिए  ;


प्रेम की होती

है भाषा..... 

बड़ी सीधी और बडी सरल  ;


प्रेम मे तन

का नहीं..... 

प्रिये मन का समर्पण चाहिए  ;


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 22, 2021

 तुम्हारे साथ

होना जिंदगी.... 

की जीत होता है ¦¦


तुम्हारे नाम

का मतलब.... 

सदा मनमीत होता है ¦¦


मिले जो

आंख तुमसे.... 

देह मे सरगम उमंगती है ¦¦


तुम्हारे होंठ

का हिलना ~प्रिये 

मधुर संगीत होता है ¦¦


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 21, 2021

 तुम को देखा

हुआ आचमन गीत का ... ! 


तन से मन

तक हुआ आवरण प्रीत का ... ! 


दूर रहना हमारा

है अब मुमकिन नहीं ~~प्रिये


लाया संदेश ये आगमन तेरे हृदय से 

मेरी धड़कनों की प्रीत का ... !!


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 20, 2021

 पसीने से भींगी तुम

नख से शिख तक..


यूं लगती हो जैसे..

भींगा कोई कमल दल


जैसे..

चांदनी में नहाई रातरानी का पुष्प


जैसे..

ओस की बूंदों से तर हरी दूब


खुशबू तेरी मादक

जैसे..महुए का पुष्प 


जो पास आऊं मैं तेरे

नशे में झूमे मन मेरा बावरा


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 19, 2021

 तेरे इश्क का कसीदा लिखूं

या तुझपे कोई गजल लिखूं


लिखूं तेरी ज़ुल्फों का जिक्र

या लिखूं कातिल निगाहे तेरी


बहारे लिखूं चमन लिखूं

लिखूं दिलकश जवानी तेरी


जिक्र करूँ जज्बात लिखूं

लिखूं कोई कहानी तेरी


दिलबर लिखूं जान लिखूं

लिखूं इश्क लिखूं रवानी तेरी


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 17, 2021

 इश्क़ में मशरूफ था जमाना ,

हम तो सफ़र पे निकले थे..!!


क्या नज़्में,क्या ग़ज़लें

हम तो सिर्फ दर्द ही अब लिखेंगे..!!


याद करके सारी रात उनको ,

नींद चैन की हमें ना आयी..!!


लिखते लिखते कहीं कलम टूट ना जाए ,

दर्द इतने सारे है कहीं पन्ने कागज के कम ना पड़ जाए..!!


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 16, 2021

 नदी का किनारा वो बहका नजारा

वो शाम-ए-गजल वो उजली किरण


फूलों से नाजुक महकता बदन

लब है तुम्हारा के खिलता कमल


झुकी सी नजरें लटें लबों तक

तुम्हारा आना दिलों की लब-डब


तेरा मचलना मेरा बहकना

एक ही ख्याल में हमेशा जगना


यूँ बातों बातों में जिक्र तुम्हारा

रह रह कर फिकर तुम्हारा ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 15, 2021

 एक पूनम दो चाँद,

नज़रे उठाओ तो चाँद

झुकाओ तो चाँद

कमाल थी वो शाम एक पूनम दो चाँद 


मखमली शाम ने,शायर बना दिया

मैंने कही ग़ज़ल आसमान ने लिखा चाँद


इंतज़ार में गली किनारे छिप

वो मुझे देखती मै देखता चाँद


दो रंगो से मुहब्बत के इक सफ़ेद इक स्याह

इन्ही को ओढ़ता-बिछाता रहा एक वो एक चांद 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, July 14, 2021

 गीत बनूं तेरे होंठों का

गुनगुना ले तू मुझे


अश्क बनूं तेरी आंखों का

बहा ले तू मुझे


मुस्कुराहट बनूं लब पे तेरे 

खिलखिला ले तू मुझे


ख्वाब बनूं तेरी आंखों में 

सजा ले तू मुझे


खुशबू बनूं तेरी रूह की 

महका दे तू मुझे


खो जांऊ मैं तुझमें 

अपना ले तू मुझे ..


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 13, 2021

 मेरी कविताओं में,

मेरे शब्दों में

जो उतार चढ़ाव होता है

वो उसकी आवाज की कशिश होती है ।


जो प्रेम छलकता है

वो उसके अहसास होते हैं ।


जो तड़प और जिज्ञासा दिखती है 

वो उसकी

बदन पे

पड़ने

वाली ,

हर वो सलवट होती है 


जिसे मैंने

उसके

सपनो 

में स्पर्श किया है ।।


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 12, 2021

 तेरी बूंद बूंद इश्क से 

मैं सागर  हुआ ..


इस सागर-सा गहरा इश्क लिए,

भाप बनकर तेरे पास उड़ चला ..


ताकि तू बादल बन 

बूंद बूंद इश्क बरसा सके ..


और मैं तुझ पर 

अपनी सागर सी 

गहरी इश्क लुटा सकूं......!!


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 10, 2021

 मैं लिखता हूँ,की तुम पढ़ोगी

शब्द रचूंगा गीत बनूँगा

हर राह सुनाया जाऊंगा


हर बार जब कोई पूछेगा मेरे होने का सबब

कुछ न कहूँगा लिखूंगा,जवाब बन जाऊंगा


मेरा इज़हार एक ग़ज़ल होगी

मेरा इनकार एक नज्म होगी


मैं जीता हूं,रोज मरने के लिए

मौत के बाद एक ख़त सा पढ़ा जाऊंगा ।


---- सुनिल शांडिल्य

Friday, July 9, 2021

 सर्दियों की ओस में

तेरी साँसों की चादर चुरानी हैं


आसमां अलग हैं सपनों का,

बादल पर दुनिया बसानी हैं


नया है ये नशा जो चढ़ा तेरा,

फ़ैली हर ओर रूत सुहानी है


कहाँ हो तुम ??

की,आ जाओ मेरी आगोश में ,


ओ मेरे हमसफ़र ,

मिश्री सी घुलती ये हमारे प्यार की निशानी है ।


---- सुनिल शांडिल्य

Thursday, July 8, 2021

 ना मैं कोई शायर ना कवि


लिखता हूं मन के भाव

अपनी प्रेयसी की जुदाई

उसका प्रेम♥️


उन अनमोल पलों से रचता हूं 

शब्दों का ताना बाना

पिरोता हूं उसे एक माला मे


लोग कहते फ़ालतू क्या क्या

उन्हे कैसे बताऊं


मै उनके लिए नही

सिर्फ तेरे लिए लिखता हूं

हमारी कहानी है ये


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, July 6, 2021

 शायरी नही जज्बात लिखता हूं

मै महफिलों मे भी

तेरा ही नाम लेता हूं


चाह न थी हमारी

शायर बनने की

इश्क ने बना दिया


तुम्हें चाहा था हमने

तुमने ही सीखा दिया 


कैसा हूं कौन हूं

ये शब्दो में लिखता हूं


मै आज भी

अधूरी कहानियां लिखता हूं


हर कहानी में किरदार

अपने साथ तुम्हारा लिखता हूं ।। 


---- सुनिल शांडिल्य

Monday, July 5, 2021

 ये जो तुम्हारी पांव की पाजेब है

छनकती कम बहकाती ज्यादा है


जब भी इसकी सुर लहरी

कानों में गूंजती है


सोचता हूं थाम लूं ताउम्र के लिए,

तुमसे बिछड़ने का डर चुभता बहुत है 


अब आ जाओ पहलू में गर भरोसा  है तो..

दाग नहीं लगाऊंगा ताउम्र साथ का वादा है ।


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, July 4, 2021

 गर छोड़ दूँ कलम तो 

अपनी यारी मर जायेगी


और छोड़ दूँ तेरी यारी को 

तो मैं मर जाऊँगा


तेरे सिवा कौन है दोस्त मेरा

बता मैं कहाँ जाऊंगा


तेरे से दिल खोल के बातें की हैं

किसी से क्या कह पाऊंगा


रँगा दिल मेरा तेरी दोस्ती के रंग है

जब से तू मेरे संग हैं


---- सुनिल शांडिल्य

Saturday, July 3, 2021

 तुम बन जाना ग़ज़ल मेरी

मैं तेरा इक अल्फ़ाज़ बनूं


तुम बन जाना क़रार मेरा

मैं तेरे दिल का सुकून बनूं


तुम बन जाना ख़्वाब मेरा 

और मैं तेरी निगाह बनूं


तुम बन जाना मन्ज़िल मेरी

मैं तेरा राही बनूं


---- सुनिल शांडिल्य