Saturday, April 29, 2023

बहुत खूबसूरत हो तुम,
मेरी रूह के रहनुमा रहगुजर
दिल की दौलत, सांसों के स्वर
भटके मुसाफिर की मुकम्मल डगर
मेरी धडकनो की जरूरत हो तुम

संगतराशो की फनकारी के फन से निकल कर
नक्काशी की जद-हद से बाहर निकलकर
करिश्मों के जलवे से आगे निकल कर
खुद से तराशी हुई अजंता की मूरत हो तुम। 

चाँदनी में नहाई बदन की रंगावट लिए
केसर की क्यारीयों सी सजावट लिए
किसी अप्सरा सी मचलती बनावट लिए
मेरे जिंदा सफर की मुहूर्त हो तुम

महकते गुलाबी बगीचों की खुशबू समेटे हुए
खिलखिलाती सुबह की लिखावट लपेटे हुए
सुरमई सांझ का मौसम सुहाना सहेजे हुए
कल्पनाओं के सागर की सूरत हो तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 26, 2023

मैं तो जनम जनम का जोगी
मेरा पंथ निहारो मत
जगती के इस बियाबान में
मुझको सखे पुकारो मत

टूट चुका हूं कितनी बारी
डूब चुका हूं होकर भारी
भागदौड़ के खेल खेलकर
ऊब चुका दुनियां से सारी
तुम इन नेह भरी बातों से
मुझको सखे दुलारो मत ।।

धड से जुड कर मूल हुआ हूं
ठूंठ में खिल कर फूल हुआ हूं
अपनी ही छाया को छूकर
खुद में ही मशगूल हुआ हूं
मेरी भूल,भूल रहने दो
उसको सखे सुधारो मत

सबके चेहरे जान चुका हूं
सबके कहने मान चुका हूं
सच्ची–झूठी,असली नकली
हर सूरत पहचान चुका हूं
मैं तो काला सही सखे
तुम मुझको उजियारो मानो मत।

सागर गहरे, दरिया बहरे 
उन पर हैं लहरों के पहरे
कैसे जूझें जलधारों से
सखे हमारे बदन इकहरे 
मैं तो मांझी नहीं सखे 
गहरे में मुझे उतारो मत ।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 25, 2023

झलकता प्यार है कितना,तुम्हारी इन अदाओं में
कभी चलते हैं हम दोनों, समंदर के किनारों पे 

चली आओ कहाँ हो तुम,हर इक धड़कन बुलाती है
तुम्हारी याद की ख़ुशबू घुली है,इन फ़ज़ाओं में

कहीं पे नाम लिक्खा हो,कहीं हो दास्ताँ लिक्खी
निशानी प्यार की ढूँढें,कहीं हम इन शिलाओं में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 23, 2023

पांव  धरे क्या घर में तुमने,
भाग्य हमारे.संवर रहे हैं
ऐसा लगता है धरती पर,
चाँद सितारे उतर रहे हैं 
युगो_युगों से दीप जलाकर,
हमने तेरे पंथ_निहारे
जनम_जनम के मास-बरस क्या,
दिवस-दिवस बीते बंजारे
श्वासों के हर गीत-छन्द में,
सुरभित थे अनुराग तुम्हारे
जमाने में कोई भी तुम सा नहीं है
तुम्हारे सिवा मेरा कुछ भी नहीं है
तू जो है दिल में तो दुनिया हँसी है
तुम्हारे सिवा मेरा कुछ भी नहीं है

घड़ी दो घड़ी का नहीं साथ मेरा
युगों_युगों का है तेरा-मेरा फेरा
जब तक हैं ये चाँद तारे ज़हाँ में
हमारा-तुम्हारा रहेगा ये डेरा

Saturday, April 22, 2023

जग छुट जाये,
प्रीत न टूटे,
कैसे कहूं मेरी प्यास तु ही।
सपना टूटे तो टुट जाये,
मेरे मन की मुराद तु ही ।।

इक पल देखूं,
जनम_जनम तक,
साजन तुझको ही देखूं।
बांहों में भरकर मैं देखूं,
सपने तेरे देख सकूं।।

छतरी बन जा,
मेरे सिर की,
कोई न मुझको तू पाये।
कोई पास न आये मेरे,
गर आये तू ही आये।।

बन्धन तुझसे बांध लिया है,
जग छोड़ूं या
रव छोड़ूं।
तू कह दे तो तुझको पाकर,
मैं अपना जीवन छोड़ू।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुम्हारी यादों में मेरा जीवन शेष
यादें ही रह गई धरोहर रूप में
तेरी मेरी कहानी आज भी विशेष पर
जब तक जीवन शेष यादें रहेंगी विशेष
यादों के ढेर में दबी कुछ स्मृतियां
अनवरत ही दिखती हैं चित्र में
बस यही तो अब बचा है मेरे समक्ष शेष
जब तक जीवन शेष यादें रहेंगी विशेष

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 20, 2023

एक उदास सा 
तूफान खड़ा था उस तट पर 
एक कोमल सी लहर 
बिछी थी
सागर के हृदय पर,
चलो शून्य से 
शुरू करते हैं हम 
जो भूला उसको जाने दो 
याद रहा उसको भी
रहने दो,
ये दौर झंझावातों का है
मैं थाम लूंगा तुम्हारा हाथ 
हवाओं के वेग में,
तुम भी मत छोड़ना 
अंगुली मेरी 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
शून्य था मैं अब अंक हो गया,तुमसे मिलकर साजन
तुम क्या आए जीवन में हर एक दिन हो गया पावन।

अंक-शून्य जब मिलते हो,जैसे क्षितिज लगे है
पूर्ण चंद्रमा,चमक चांदनी गगन में यूं फैले है।

मन तरंग अब ढूंढे तुमको, जब से थामा दामन
जो मन कुंठित हो बैठा था,खिला वो मन का आंगन।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 19, 2023

सर्द जनवरी की सुबह बेठा हूँ....
एक कप चाय के साथ तुम्हारी स्मृतियों की शाल ओढे...

सेंक रहाँ हूँ अपने सर्द
अहसास तुम्हारे ख्यालों की अलाव में..

जला देना चाहता हूँ सारे गिले शिकवों की गठरी,
तुम्हारे आलिंगन से धधकती गर्म सासों की भट्ठी में..

डाल देना चाहता हूँ एक स्नेह कम्बल
तुम्हारे और अपने ठिठुरते रिश्तों की जिस्म पर 

जी लेना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेम
फिर से एक बार तुम्हारे साथ तुम्हारा होकर 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
किसको खबर है देखता राह कब किस भेष में
चिर प्रतीक्षित कामनाएं द्वार बैठी तक रहीं।

दर्द की हैं गूंजती खामोशियां वीरानों में
ज़िंदा निशानी प्रेम की दीवार में हैं चिन रही।

थी विगत में खेलती अठखेलियां मकानों में
मृत कुमारी देह सी शमशान में है जल रही।

हौसलों की सीढ़ियां सपनों की कब्रगाह हैं
कतरा कतरा रूह भी बर्फ बन पिघल रही।

स्मृतियां गुमनाम सी लिपटी दरो दीवारों से
मुक्ति हो जिय त्राण से बैठी प्रतीक्षा कर रही।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 18, 2023

मेरे प्यार की
अधूरी कहानी में
अनकही सी बातों में
तनहा दिल की गहराईओं में
बस तुम ही तुम हो!
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें!

खुशनुमा मौसम की
रंगीन रवानियों में, ऊँचे ऊँचे पेड़ों से
टकराकर आती हवाओं में
 सुर्ख वादियों में
 बस तुम ही तुम हो!
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें!

मेरी ज़िन्दगी की 
बन्द किताब में 
उसके हर इक पन्ने में
उस पर लिखे हर इक शब्द के अर्थ में 
बस तुम ही तुम हो !
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें !

मीत मेरे 
सांसों की लय में
प्रीत_पले 
गीत में
मेरी नब्ज की आवाज में 
बस तुम ही तुम हो !
बोलो तुम 
तुम्हे कैसे बतायें!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 16, 2023

भर रही जो गीत में गुंजन मधुर मुस्कान तेरी
क्या पता कल किन अभागे आंसुओं में डूब जाये,
 
यह खिली चम्पाकली की गंध सी चितवन सजीली
यह भ्रमर के छंद सी उन्मुक्त स्वर-बन्सी सुरीली

यह पवन के साथ हिलमिल खेलती सी चपल चूनर
यह थिरकती चाल जिस पर हों निछावर नृत्य-झूमर

लाज के पट खोल हंसती ये निपट नटखट भ्रकुटियाँ
ये पुलकते शब्द जैसे झर रहे हों नेह-निर्झर,

प्रेरणाओं को निमंत्रण दे रहे ये नयन तेरे
क्या पता कल,स्वयं वह कितने सजल सावन बहाये,

कौन से ये मेघ जाने फ़िर गगन में छा रहे हैं
ये सुखद संयोग के क्षण बीतते ही जा रहे हैं,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 14, 2023

सद्य स्नाता नव युवती, चहके चारों ओर।
झर-झर झरता नीर जब, दिल में उठे हिलोर।।

चटक चंद्रिका चहकी, प्रियतम चाँद चकोर।
दिशाएँ चारों चमकतीं, चाहत का ना छोर।।

दिन में दमके दामिनी, दमक-दमक दमदार।
दहके-दहके जब जिया, दिल में जगे करार।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
ममता मोह माया मन मित मिलन
चंदन चितवन चकोर चाहत चाह
गुंजन गीत गुण गागर गेह गती गो
यावत यौवन याद योजन यकायक
दैनिक दैदिप्यमान दैवत दीदार देत
शब्द शहद शौकीन शीशुसम शेष शामल
रौनके रोजकी राज्ञीसम राह रेखांकित
बाबुल बलीदान बलीहारी बावलु बहु
तम तृष्णा तथागत तीलक तैतील तुरंत

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 13, 2023

तू अपने दिव्य वेग से, असँख्य पथ बना रही
ध्वनि है छंद युक्त तेरी, असँख्य रूप वाहिनी

तू शैलजा,पयस्विनी, तू जीव प्राणदायिनी
बना के तू प्रिये सखी, पवन को संग ला रही

तू सरयू है बनी कहीं, तू सूर्यजा सी बह रही
जहाँ हैं श्याम खेले गेंद, तू पूर्णता को प्राप्त कर
है सिन्धु में समा रही

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
हिम किरीट से निकल,
तू हिमतरंगिणी बनी।
सकल धरा को चूमकर,
तू है विहंगिणी बनी।

स्वतंत्र तंत्र से निकल,
अजंत पथ तू आ रही।
सुमन लिए कलम मेरी,
है प्रार्थ तेरी गा रही।

तुषार हार रूप में,
तू शुभ्रा है, तू निर्झरी।
दरस तेरा ही पाने को,
वह झुक गई है मंजरी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 12, 2023

तुम्हारी झील सी आँखों में डूब 
मैं गीत लिखता हूँ,

तुम्हारी नीली आँखों में तैर
मैं प्रीत लिखता हूँ।

तुम्हारे कमनीय कलामय हाथ
सदा देते हैं मेरा साथ

तुम्हारे निर्झर से लहराते केश
भुला देते मुझको मेरा भेष

इन्हीं में खोकर मैं तकदीर से मिलता हूँ
तुम्हारी झील सी आँखों में डूब....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 10, 2023

मोम हैं हम मगर यूँ पिघलते नहीं
इस जमाने के साँचे में ढलते नही

जीवन कश्ती की परवा करें क्यूँ भला
मौजों के हम इशारों पे चलते नहीं

चाहो तुम परख लो कभी भी हमें
वक़्त कैसा भी हो हम बदलते नहीं

चढ़े देव में,अर्थी में,या गुँथे सेहरे में
गुल कभी अपनी ख़ुशबू बदलते नही

आन के ही लिए है समर्पित यह तन
हम जयचंदों के सायें में पलते नहीं

प्रेम करना है तो सबसे निःस्वार्थ कर
स्वार्थ के दीप ज्यादा दिन जलते नहीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 9, 2023

मेरी जान तुझसे न शिकवा करेंगे
कभी इश्क को हम न रुसवा करेंगे

सजायेंगे ख्वाबों के सुनहरे हिंडोले
पकड़ हाथ हम उसमें झूला करेंगे

धड़कनें मिल जाएंगी धड़कनों से 
मधुर गीत सांसों के सुना करेंगे

कश्मकश रहे कोई ना जिंदगी में 
ऊपरवाले से हम यह दुआ करेंगे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 8, 2023

प्रेम ह्रदय की पुकार है व्यापार नहीं
दो दिलों का सरोकार है जीत हार नहीं

जीवन में मिल जाता है स्नेह कभी कभी
राह चलते मिल जाते हैं स्नेही जब कभी

प्रेम सागर सा गहरा है जिसका पारावार नहीं
लहरों पर यूँ ही बढ़ता बिन माँझी पतवार कहीं

बड़ी कोमल होती है डोर सँभाले रखना
टूट भी जाये जो लगे जोर गाँठ बचाये रखना।

होती  नहीं  मिठास  गन्ने  के जोड़ में
नरम हो जाते हैं धागे भी गठजोड़ मे।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 7, 2023

तुम पावन गंगा की निर्मल धार बनो
मै प्रेम रज कण से स्वप्न तेरे सजाऊं।।

तुम मेरे ह्रदग्नि शिखा की लौ बनो
मै तेरे जीवन की बाती बन जाऊं।।

ये लावण्य रूप तेरा भाता है मुझे
अंश तेरे मन का बन इतराऊँ।।

सुनना है मेरी ह्रयय व्याकुलता
तो अपना मै प्रेम काव्य दुहराऊं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 6, 2023

काव्य निर्झरिणी तेरा ह्रदय है प्रिये
जिसमें संगीत धड़कन से आने लगी
गीत होंठों से जब तेरे निकला यहाँ
मेरे दिल की कली मुस्कराने लगी

होंठ मखमली गुलाबी कमल हैं प्रिये
जिनसे लफ्ज़ों में खुशबू सी आने लगी
तेरे सांसों से सरगम की धारा बही
धड़कनें मेरी कविता सुनाने लगी

आसमाँ में जो छायी है काली घटा
तेरी ज़ुल्फ़ों की है वो पुरानी अदा
ज़ुल्फ़ विखराने से शबनम मोती गिरे
आँखों में गिरके वो बन गयी मयकदा

तेरी पायल जो छम-छम बजी पांव में
वादियों में है सरगम बहार आ गयी
स्नेह अनुपम तुम्हारे ह्रदय का मिला
उसकी झंकार दिल के करीब आ गयी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 5, 2023

तुम गीत बनो मेरे सुर संग्रह की 
तो मै बांसुरी बन तेरे होठों पर आऊं ।।

तुम धड़कन बनो मेरे दिल की 
तो मैं बिठा पलक तुझे इतराऊं ।।

तुम राह बनो मेरे जीवन की 
तो मै मंजिल तेरी बन जाऊं ।।

तुम ह्रदय मिलन की सेज सजा लो
तो मै प्रेम यज्ञ की समिधा लाऊं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 3, 2023

कैसे बताऊँ तुमको मैं
मेरी क्या क्या हो तुम
हो पूस की सर्द_रातें
जाड़े की धूप हो तुम

मद्धिम चाँदनी रातों का
मनभावन श्रृंगार हो तुम
फागुन की बसंती बयार
धड़कन की पुकार हो तुम

पूर्णिमा हो शरद की
जेठ की तपन हो तुम
जिंदगी के जतन हो
हो इश्क का खुमार 
जिंदगी का उपहार हो तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
कभी यूं भी हो
कहीं किसी मोड़ पर
मिले हम तुम
तन्हा राहें तन्हा तन्हा हम तुम
बाहों में बाहें डाले
चलते रहे
कहीं किसी नदी के किनारे
तुम्हारी गोद में सर अपना
पानी की कलकल आवाज
गुमसुम हम तुम
#ना_कुछ_कहो_तुम #ना_कुछ_कहें_हम 
बस देखता रहूं मैं तुम्हें
जैसे कोई
चौदहवीं का चांद हो

दिल के कुछ एहसास लिखते है।
आसान शब्दों में कुछ खास लिखते है।।

तुम हो
पता है मुझे.....!!

पर ऐसा भी
इशारा हो कोई.....!!

कोई आहट हो
कि हवा कहे
तुम देखते हो मुझे.....!!

एहसास जीने का एक तू ही है।
मैं तो कुछ नहीं मेरे अंदर तू ही तू है।।

Sunday, April 2, 2023

 ओ यामिनी सुन!
संग_तुम मेरे आज जगना,
मैं निहारूँ चाँद को जब,
तुम प्रणय रस घोल रखना।

चाँद हो जाए न ओझल,
नैन से मेरे सुनो !तुम,
संग_तुम झूमना मेरे
रागिनी गाकर सुनाना।

चाँद में छवि है प्रिये !की
देख लूँ मैं आज जी भर
तुम न अलसाना निशा री!
आज आना अद्य अँगना।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुम_कहो तो सब कुछ लिख दूं क्या?
रक्तिम अधरों का मृदु मिलन
स्वप्निल बाहों का आलिंगन
लक्ष्मण रेखा का परिलंघन
वे सारी बातें लिख दूं क्या
मदमाता था यौवन तेरा
स्वप्निल आंखों का था फेरा
तुम बाहों में मेरी खो गई थी
मैं भी तो तुम में खो गया था
तुम_कहो तो सब कुछ लिख दूं क्या ?

Saturday, April 1, 2023

सुनो,,
तुम वही हो,
जिसे मैं चाहूं अपने आस पास
सांझ ढले,,,,जब पंछी लौट आएं
अपने आशियानों में,
और मैं तुम्हारे खूबसूरत
अल्फाजों में ,,,,
ढूंढूं अपना वजूद कहीं
तुम्हारी कल्पनाओं में,,
ये जानते हुए भी कि
वास्तव में ये मैं नहीं हूं,,,
हो भी नहीं सकता ,
क्योंकि कल्पना जितनी
सुकून देती है,,वास्तविकता
ठीक उसके विपरीत डराती है,,
इसलिए मैं रहना चाहता हूं,,
तुम्हारी लेखनी में हमेशा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य