Saturday, April 27, 2024

पलक झपकते हुआ करिश्मा ख़ुशबू जागी आंखों में 
साथ हमारे महक उठी है आज बहुत पुरवाई भी 

ये रिश्ता है नाज़ुक रिश्ता इसके हैं आदाब अलग 
ख़्वाब उसी के देख रहा हूँ जिसने नींद उड़ाई भी 

छलनी दिल को जैसे तैसे हमने आख़िर रफ़ू किया 
मगर अभी तक कुछ ज़ख़्मों की बाक़ी है तुरपाई भी 

प्यार-मुहब्बत की राहों पर चलकर ये महसूस हुआ 
परछाईं बनकर चलती है साथ-साथ रुसवाई भी 

उसकी यादों की ख़ुशबू से दिल कुछ यूं आबाद रहा 
मैं भी ख़ुश हूं मेरे घर में और मेरी तनहाई भी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 22, 2024

जाने क्यूँ पागल यहाँ बदनाम है 
इश्क का शायद यही इक’आम है ।
          
सैकड़ों दर्द इक ख़ुशी को भूल कर 
रोते रहना बस यही अन्जाम है ।

खो गयी है आदमी से इन्सानियत
बेवजह तो लगता नहीं इल्जाम है ।

एक घर में एक हम रहते नही
और कहते हैं के देश में एकता है ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 18, 2024

मिलो जब भी,मुस्कुरा दिया करो
हम तुम्हारे हैं,ये जता दिया करो

ग़म से लड़ना ही तो जिंदगी है
हाथ पकड़ हमें, जिता दिया करो

आईना सा लगता है,चेहरा तेरा
सहर के आते ही,दिखा दिया करो

ख्वाब मेरे जग जाते हैं,नींद आते ही
आंचल में अपने,सुला दिया करो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 16, 2024

आकाश से ज़्यादा खाली केवल मन हो सकता है
सागर से ज़्यादा भरा हुआ भी केवल मन ही हो सकता है।
प्रकाश से तेज़ केवल मन ही चल सकता है
और पर्वतों से ज़्यादा स्थिर भी केवल मन हो सकता है।
आज मन की गति को पीछे छोड़ चांद पर हम आ गए 
चलो चांद पर मिल एक आसियां बनाते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 14, 2024

इक चेहरा मुस्काता सा ।
खिली-खिली सी आभा मुख पर,
बहारोँ का रूप चुराता सा ।

चंचल चंचल नैन कँटीले,
गहरे-गहरे नीले-नीले,
समन्दर सा लहराता सा ।

होटोँ पे खिला गुलाब ज्योँ,
छोड़ गया हो अपना आँचल,
गुलाबी रंग बिखराता सा ।

जुल्फेँ हैं ज्योँ श्याम घटायेँ,
उड़-उड़ कर ढँक लेते मुख को,
बदली मेँ चाँद छुपाता सा ।

कोयल के से बोल सुरीले,
बाँध लेती है ऐसे मन को,
झरनोँ के गीत सुनाता सा ।

मन सुन्दर यूँ जैसे पानी,
बादल के चेहरे पर जैसे,
चाँद के भाव जगाता सा ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 10, 2024

प्रेम के रंग में तुम गुलाल 
और हम अबीर हो गये,

कहाँ कुछ पता ही चला 
कब राँझा-हीर हो गये! 

प्रेम का ढाई अक्षर ही 
शाश्वत सत्य है, शांडिल्य 

यही पढ़-पढ़कर तो आज 
हम भी कबीर हो गये!! 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 2, 2024

प्रेम अमृत है पिलाने कौन आयेगा।
रास मोहन बिन रचाने कौन आयेगा।

प्रेम की ये बात उद्धव तू क्या जानो,
बात दिल की ये बताने कौन आयेगा

प्रेम में ही डूब कोई ज्ञान पाता है,
बुद्ध बिन यह ज्ञान पाने कौन आयेगा।

प्रेम राधा कृष्ण का संसार क्या जाने,
दीप भीतर का जलाने कौन आयेगा।

ढाई अक्षर प्रेम का पढ़ प्रेम को जानो,
छोड़ मोहन यह पढ़ाने कौन आयेगा।

फूल खिलकर टूटकर जग को हँसाता है,
टूट खुद जग को हँसाने कौन आयेगा।

प्रेम अमृत खान है बस खोदकर देखो,
मत कहे ऐसा कराने कौन आयेगा।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, March 16, 2024

अविरल स्रोतस्विनि-सी तुम
मृदुल-मृदुल,उज्जवल निर्झर
तुम्हारे उर के पावन तट पर
वर नये मिल जाते सत्वर ।।

फैला रही तुम तेज कितना
आज मेरे उर अंतर में
अनुभूत तुमको करने लगा हूं
अब अंतर्मन के गह्वर में ।।

खोल दो तुम मन के पट
मुझे और गहरा उतरने दो
अपने सौंदर्य की छाया में
मुझे भी कुछ निखरने दो।।

जीवन क्या है,मुझे इसका
और सौंदर्य बोध करा दो तुम
मुझे कोई शाश्वत चीज बनाकर
अपने हृदय से लगा लो तुम।।

बनकर अमर प्रेरणा मुझमें 
मेरी आकांक्षाओं को बलवान करो 
मेरी श्रद्धा,भक्ति,प्रीति बनकर
मुझे जग में शक्तिमान करो।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 14, 2024

निकली वन से कलिका मृदुला,
जग देख रही मन भाव भरे।

चकि जात रही सकुचात रही,
बहु रूप अनूप  लगाव करे।

कुछ लोग भले कुछ लोग बुरे,
किस भांति  दुराव प्रभाव करे।

दृग काम भरे मन श्याम धरे,
बन लोलुप दृष्टि रिसाव रहे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, March 12, 2024

अंतस का अंधेरा अमावस की रात से भी गहरा था
निकल न पाए चित्त, उस पर खूंखार यादों का पहरा था

खुले आसमान के नीचे कैद मैं अपनी ही उलझनों में
खुशियों का शोर था बाहर ,पर मैं खुद के अंदर ही ठहरा था।

न जाने ये रात कब शुरू हुई और कब खत्म होगी
बदलते पहर संग आदि मध्य ओर अंत होगी

अपने चांद का इंतज़ार भी नही है मुझको
जल जाऊंगा अगर चांदनी की बरसात होगी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 10, 2024

हिम्मतसे बढ़ती है ताकत
एकजुटता से बढ़ती एकता

प्यार बढ़ता साझा करनेसे
परवाह से बढ़ती एकरूपता

छू ना पायेगा कोमल हृदय
किसीके भी कठोर शब्द

छू जाएंगे कठोर हृदयभी
हँसमुख तेरे कोमल शब्द

पढ़ सकते हो तो दर्द पढ़ना
किसीके भी दिलके भीतर

शान्त सा दिखने वाला लगे
कितने दर्द समेट रखे सागर

~~~~~ #$h@πd!£y@

Friday, March 8, 2024

पावस में जब पयस्विनी का रूप निखरता है 
नभ में वह आवारा चन्दा आहें! भरता है ।।

कभी बादलो में छुपता मायूस मलिन सा चेहरा 
कभी निकल कर श्याम घटा से सलिला पर आ ठहरा

कृष्ण-पक्ष में हो विलुप्त मन ऐसे भी तरसाये 
ज्यों भामिन का कंत अचानक परदेशी हो जाये 

शुक्ल पक्ष में नयी कलासंग दिनदिन बढ़ता है
पावस में जब पयस्विनी का रूप निखरता है 
नभमें वह आवारा चन्दा आहें! भरता है

नीरवता में मौन यामिनी युगयुग प्रणय लखी है 
नभ अटखेली देख इंदु की नदिया भी हरषी है 

एक धरापर एकगगन में साथ मचलते हैं 
कलकल करती सरित और शशि दोनों चलते हैं

शुभ्र चाँदनी सी बाहों में सिंधुगामिनी निखरे
जैसे रमणी की मुख आभा साथ पिया के बिखरे 

निर्जन वीरानों में हिमकर साथ गुजरता है। 
पावस में जब पयस्विनी का रूप निखरता है 
नभ में वह आवारा चन्दा आहें! भरता है।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 4, 2024

तुम्हारेे याद की आहट कोई किस्सा बताती है
ये घुलकर साँस में मेरी नई दुनिया सजाती है

तुम्हारी याद ही शायद है वो दीवार, सूनी सी
जहाँ कुछ अक्स दिखते हैं जहाँ परियाँ नहाती हैं

तुम्हारी याद की ख़ुशबू से मेरी आरज़ू महके
महकती है मेरी धड़कन, ये धड़कन भी सुनाती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, March 2, 2024

दीपक जले भवन में, रहे पतंगा बन में
प्रीत खिच कर लायी उसे जलाया क्षण मैं

जलन का उसे कहाँ था होश
प्यार का चढ़ा हुआ था जोश

गा रही दुनियाँ जिसके गीत
बाँवरे यही प्रीत की रीत

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 29, 2024

यूँ ना जाओ हमें छोड़ कर,
मर जाएंगे अकेले दम तोड़ कर।

क्यों हो यूँ तुम खफा मै ना जानता,
दूरी  पर हो खड़े यूँ मुख मोड़ कर।

थोड़ी नाराजगी तुम दो ना सजा,
बातें मन की बता तू दिल खोलकर।

जीना दुश्वार हुआ बिन तेरे सनम,
जल्दी जल्दी चले आओ दौड़ कर।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

#highlights

Saturday, February 24, 2024

उलझे हैं केश जैसे नागिनों का जाल कोई
तिरछी नज़र ये कटार लगने लगी।।

अधरों की लालिमा लजाये सूर्य का प्रताप
झुमके की आभा अनवार लगने लगी।।

दूधिया सा चाँद ढोये जैसे सुरमई साँझ
ओढ़नी भी तन को कहार लगने लगी।।

प्रीत की पड़ी फुहार चढ़ने लगा ख़ुमार
प्रियतमा भी रति-अवतार लगने लगी।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 18, 2024

दिल में समन्दर सा तुफान लिए
कुछ स्मृतियों के धुन गुनगुना रही

किरणों ने बिखेरा है साज अनहद
सुर लहरी बन तरंगें झिलमिला रही

वक़्त से पहले वक्त का तकाजा था,कि
आसाध्य सांझ की बेला तुझे बुला रही

उठ रहीं लहरें कुछ इस तरह कि मानो
वादियों को भी मचलना सिखा रहीं

उड़ चला मन का पंछी भी अब तो
दिल के टहनियों पर, कुछ ठौर पा रही,

बिठा कर यादों की कश्ती में हमें
"शांडिल्य" पूरी दुनिया की सैर करा रही

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 16, 2024

एक चाहत हजार जज़्बातऔर एक तुम..
एक रूह हजार एहसास और एक तुम..

एक मैं हजार किस्से और एक तुम..
दो आँखें हजार सपने और एक तुम..

एक चाँद हजार तारे और एक तुम..
एक रात हजार करवटें और एक तुम..
एक  'हमसफ़र' हज़ार 'ख़ुशी ' बस सिर्फ तुम.....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 13, 2024

तू नहीं तेरी तस्वीर ही सही, मुलाकातें तो होती है
तू कोई जवाब नहीं देती न सही, तुम से मेरी बाते तो होती है

संतुष्ट हो जाता है मेरा दिल ये सोच कर 
तुम मेरी जिंदगी में न सही मगर कहीं तो हो

तभी तो कुछ हवाएँ आकर मुझे ऐसे स्पर्श कर जाती
जैसे लगता तुमने मुझे गले लगाया।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 11, 2024

निपट अकेला इस दुनिया में डोल रहा मैं सारस,
तुझ बिन मेरा अरी संगिनी जीवन सूना नीरस।

पार गगन के कहाँ गई तू छोड़ मुझे धरती पर,
कण्ठ मेरा अवरुद्ध हो गया आवाजें दे देकर।

भरे हुए हैं निर्मल जल के नदियाँ और सरोवर,
पर मुझको तो प्यास बुझानी अपने आँसू पीकर।

नींद नहीं आती सपनों की गलियाँ भी अब सूनी,
मुझ विरही की विरह-वेदना बढ़ती हर दिन दूनी।

तड़प-तड़प कर ही कटते अब पल जीवन के सारे,
लगता मन को घेर रहे हैं आ-आकर अँधियारे।

अस्त हुई जाती है अब तो इस जीवन की संध्या,
समय पूर्व ही तोड़ रही दम हो आशाएँ वन्ध्या।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, February 7, 2024

हमारा दिल नहीं लगता तुम्हारे_बिन कहां जायें
कहां खोजे वो नादाँ दिन पता कुछ हो तो बतलायें

चलो किसी गाँव मेँ ठहरें, झटक लें धूप जीवन की
या फिर पुलिया पे जा बैठे हवाएं नम नहर की हों

हाँ बैठे नीम के नीचे जहां कोयल कुहकती हो
भरें मुठ्ठी मेँ कुछ कंकड़ उछालें कम कभी ज्यादा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Monday, February 5, 2024

वो बारिश की बूंदे और तेरा बहकना
भीगे आँचल का तेरे सर से सरकना
मुझे बहुत याद आती है।

बागों के कलियों में भौरों का मंडराना
तुझे देख लेने तेरी गलियों से गुजरना
मुझे बहुत याद आती है।

वो छत पर खड़ी होकर गेसुये सुखाना
गलियों से गुजरते तुझसे नज़रे मिलाना
मुझे बहुत याद आती है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, February 3, 2024

तेरा प्यार तो खुदा की नियामत है
और तेरा गुस्सा भी सौगात है मेरे लिए

माना बेकद्र हैं हम कुछ नहीं तेरे लिए
मगर क्या करे तू ही सबो शाम है मेरे लिए

तेरा प्यार सपनों से जागने नही देता है
और तेरा गुस्सा चैन से सोने नहीं देता है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 1, 2024

भाषाओं की दुर्बलता थी कि
शब्दों के अर्थ सीमित रह गए
इसलिए मैंने हमारे मध्य
मौन को संवाद का माध्यम चुना

जहाँ भाषा नहीं,भावनाओं का संवाद होना था 
पर भूल गया मैं कि भावनाओं के 
संप्रेषण के लिए सिर्फ़ मौन नहीं
संवेदना से भरा एक हृदय भी अनिवार्य है
जो मौन को उसी के अर्थ में महसूस करे 

हमारे संवाद की विफलता प्रमाण है कि 
तुम्हारा प्रस्तर हृदय इस संवाद के सर्वथा अयोग्य है
तुम्हें भाषा नहीं, भावनाओं को पढ़ना होगा
तुम्हें शब्द नहीं, अनुभूतियों को गढ़ना होगा।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 30, 2024

जब अपनी पलकें भीग गईं
मन उदधि की बूंदें रीत गईं।

क्या सोचा था क्या भोगा है
जग नश्वर है एक धोखा‌ है।

कल ही तो मन के फूल खिले
ना शिकवे थे ना कोई गिले।

मन मंदिर सा सजने को था
जो फूल खिला फलने को था।

अगले पल दिल मिलने को थे
बगिया में गुल खिलने को थे।

दिल दावानल ने तप्त किया
और दहल उठा बेचैन जिया

सुख ने जो घर संसार रचा
उसमें दुख ही बस यार बचा

अंधियारे ने डस लिया प्रकाश
हर पल रहता मौसम उदास

अब जीवन में है ग़म ही ग़म
जो तेल खतम सो खेल खतम

सुख की घड़ियां अब बीत गईं
हम हार गए नियति जीत गई
हम हार गए.....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 29, 2024

अच्छा सुनो
आज साडी पहनने का मन नहीं तुम्हारा
तो मत पहनो जो मन हो वो पहन लो
ये भारी भरकम जेवर भी नहीं पहनने
तो किसने कहा उतार दो
तुम्हारी सादगी ही श्रंगार है

आज बालों को खुला छोडना है
हां तो, लहराने दो न इन्हें हवा में
चूडी भी नही पहननी तो मत पहनो
तुम्हारी हंसी की खनक ही बहुत है
बिन्दी नही लगानी तो मत लगाओ न यार
इतना क्यों सोचना दुनिया को क्या देखना

हर रीति रिवाज से दूर तुम सिर्फ 
मेरी खुशी के लिये सोचो
कि तुम्हारी आंखों की चमक और 
होंठो की खिलखिलाहट देखने 
के लिये कबसे तरस रहा हूं!

अरे ! ये मैं नहीं ये वो कह रहा है
तुम्हारा मन जो आइने में बैठा
हर पल तुम्हें प्यार से निहारे जा रहा है 
और एक तुम हो
कि हर बार उसे अनदेखा, 
अनसुना किये जा रही हो !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 26, 2024

जीवन में अनेक हैं तृष्णाएँ।
तुम्हें मगर..
पाना नहीं चाहता तृष्णाओं सा।
क्या महसूस किया है तुमने भी..
मिलते ही.. खो जाती हैं सब तृष्णाएँ।
स्मृति पटल पर भी
धूमिल पड़ जाती है स्मृतियाँ उनकी।
तुम मिलना.. तो मिलना
मेरे बालों की सफेदी सी..
मेरे चेहरे की झुर्रियों सी..
मेरी बढ़ती उम्र के अनुभवों सी..
मेरे भीतर की संवेदनाओं सी..
क्योंकि पाकर तुम्हें 
होना चाहता हूँ मैं..
मनुष्य और अधिक।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 23, 2024

जिसे देखो उसी को 
कुछ न कुछ शिकवा शिकायत है,
जमाना डूबा है इसमें 
नहीं कोई रियायत है।

वो कहते भी नहीं है पहले
अपने दिल में रखते हैं,
मग़र कब कैसे करना है
ये अनबोली हिदायत है।

खुद ब खुद
कितनी उम्मीदें 
लगा रखीं हैं लोगों ने,
हमे लगता है अक्सर
ज़िन्दगी उनकी रिवायत है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 22, 2024

जो लिया था एकदिन तुमने वो प्रण निभाया है,
जन्मे थे जहाँ रामलल्ला वहीं मंदिर बनवाया है 

खत्म हुआ बनवास अब राजतिलक होगा,
गुंजेंगे ढ़ोल नंगाड़े दर्शन भव्य होगा

22_जनवरी_दिन स्वयं भोले का होगा,
लहराएगा भगवा, भारत फिर राममय होगा

होगी प्राण प्रतिष्ठा अमृत सिद्धि योग होगा,
तिथि होगी द्वादशी अभिजीत महूर्त होगा 🚩

पुलकित हुआ हृदय तन -मन हर्षया है,
आ रहे हैं राम अयोध्या भगवा लहराया है 🚩

त्रेता में प्रभु श्री राम शिव को पूजे थे,
कलयुग में शिव-रूप अब राम को पूजेंगे 🚩

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 21, 2024

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी,

प्रीत में हित की सोच रखो 
तो मीत को न भरमाओ सखी।

प्यार तो इक धधकता अंगार है,
हरदम मचलता रहता उर ज्वार है।

इस ज्वार का वार सह न सको,
तो सागर सन्निकट न जाओ सखी।

प्रीत की रीत निभा न सको 
तो प्रीत के गीत न गाओ सखी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 19, 2024

गुजरता हूँ  मैं जब भी सुनसान राहों में
कहीं से आ जाती है कूँहू की आवाज,
हाँ रूक जाते हैं कदम मेरे

मैं निहारता हूँ उस आवाज की तरफ
यूँ लगता है तुमने पुकारा है कहीं से
पर कहीं दिखती तो नहीं तुम

हाँ पर मुझे तो उसमें भी सुनाई देती है 
तुम्हारी ही आवाज हाँ वही तुम्हारी सुरीली आवाज
उस वक्त खो जाता हूँ  उस आवाज में
दूर कहीं पुरानी बातों में

हाँ इन्हीं राहों पे साथ चलने की कसम खाई थी हमनें
एक दूसरे का हाथ थामें सफर पूरा करने की
फिर मैं अकेला क्यों अब इन राहों पर हूँ,

पता है इस आवाज से ही दिल को बहला लेता हूँ मैं
तुम ना सही तुम्हारी यादें तो है
सफर में मैं तन्हा तो नहीं

हाँ यह सफर अनंत का तुम्हारी यादों के साथ
तन्हा है पर सफ़र तन्हा नहीं...

~~~~सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 16, 2024

बदन के जेवर न देखे हमने, सदा विचारों को देखते है
लोहार भारी पडा है जिनपे, हम उन सुनारों को देखते है

लिखी न जिसने कोई वसीयत, बुजुर्ग का उठ गया जनाजा
लहू के रिश्तों मे आज दिल पर खडी दिवारों को देखते है

बुलंदियो का जुनून होगा तो, हौसलों पर करो  भरोसा
है झौंपडे खुद गिरा के, छप्पर खडी मिनारों को देखते है 

लूटा के जां चल पडे अकेले, बनी तमाशा हमारी चाहत 
है इश्क कातिल कहे जमाना, फना हजारों को देखते है 

जो मुफलिसी मे हुये है पैदा, चिराग बनकर भी चमके कैसे 
नजर उठाकर वो बुझते दिपक, कभी सितारों को देखते है 

क्यूं रौशनी पर लगा है पहरा, छिपा लिया किसने आज दिनकर 
हुआ अंधेरा है वक्त कैसा, अजब नजारों को  देखते है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 13, 2024

आवाज़ों के जंगल में
कान बहरे हो जाते हैं
दिल सुनता है...
बिछड़े प्रीतम के 
दिल की धड़कन का शोर;
जिसमें सुनाई_देती_है,
विरही मन की आस भरी पुकार।
हाँ ! 
आवाज़ों के जंगल में
मैं सुन लेता हूँ
सिर्फ़ तुम्हारी आवाज़।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 11, 2024

उदास मनको कही छिपाये रखते हैं
लबों पे झूठी मुस्कान बनाये रखते है

दिलकी हालत कोई क्या समझेगा
मोहब्बत को पलको पे सजाये रखते हैं

जाने वालेको कौन रोक पाया हैं कभी
इंतजार में पलके राहों में बिछाए रखते हैं

टूटे दिल की कहां आवाज सुनाई देती हैं
अहसासों को मन में यूंही दबाए रखते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 10, 2024

इंतज़ार तेरा रहता है,निंद अधुरी है तेरे ख़्वाब के बिना,
याद करके ख्वाबो में, हसीन पलों में तुम्हे खोजता हूं,
दूर से ही तेरी कदमों की ख्वाबों में आहट सुनाई देती है,
और निंद में भी दिल जोरो से धड़क जाता है,
तभी इक ठंडी हवा का झोंका हकीकत में लाता हैं,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 8, 2024

प्यार का ज़ज़्बा भी,क्या क्या ख्वाब दिखा देता है,
अजनबी चेहरों को भी,अपनी महबूबा बना देता है.
मेरे ख्वाबों में है एक तस्वीर,दिल पर लिखा जिसका नाम,
अनदेखी नज़रें,ख्वाबों में मिलने को हैं ये जिया बेकरार,
देखना मेरी इन अंखियों में होगा,बस तेरा प्यार ही प्यार.!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 6, 2024

यूँ आहट न करो ख़्वाब घबरा के छुप जाएंगे
छेड़ो न पलकों को आंखों में चुभ जाएंगे

ऐसी नज़रों से न देखिए हमारी ज़ानिब
वरना लफ्ज़ सीने में ही रुक जाएंगे

शायद वो पत्थर भी ख़ुदा हो जाये
अगर हाथ बन्दगी को उठ जाएंगे

ये जुगनू तो हैं रात के मुसाफिर
सहर होते ही लुक जाएंगे

ले जाओगे भी तो कहाँ इनको
निशान दर्दों के वहाँ छुट जाएंगे

न छोड़ो इन्हें खुले मौसममें
चन्द वरके हैं कागज़ के ये तो फ़ट जाएंगे

कोशिश तुमभी करो हमभी करेंगे
जरा से फांसले हैं जो ख़ुद ही घट जाएंगे

छुपा लो कसकर इन्हें मुठ्ठियों में ही
वक़्त के खूबसूरत जर्रे नहीं तो सरेराह लुट जाएंगे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 5, 2024

एक ग़ज़ल हूँ मैं, साज़ ए दिल पे गुनगुना लो मुझे..
तुम्हारी धड़कन हूँ मैं, सीने में अपने छुपा लो मुझे..

गुलाब का एक महकता फूल हूँ, ज़ुल्फों में सजा लो मुझे..
प्यार का मीठा दर्द हूँ, दिल में अपने बसा लो मुझे..

एक मुस्कुराहट हूँ, होठों पे अपने सजा लो मुझे..
ग़म का आँसू भी हूँ, हँसकर बहा दो मुझे..

दास्ताँ भी हूँ, चाहो तो भुला दो मुझे..
एक सुनहरा सपना हूँ, आँखों में बसा लो मुझे..

कुछ और नहीं, तुम्हारी ज़िन्दगी हूँ मैं,
हँसकर गले से लगा लो मुझे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 4, 2024

धुआं धुआं है फ़िज़ा रौशनी बहोत कम है
सभी से प्यार करो ज़िन्दगी बहोत कम है

हमारे गांव में पत्थर भी रोया करते थे
यहां तो फूल में भी ताज़गी बहोत कम है

तुम गगन पे जाओ तो चांद से कहना
जहां पे हम हैं वहां चांदनी बहोत कम है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 3, 2024

कहां हे तु जरा तेरा रूख तो बता ऐ जिंदगी
थाम लु तुझे मैं मेरी सांसो मे तो आ ऐ जिंदगी
ना शरमा युं नव दुल्हन सी तु ऐ जिंदगी,

बन भँवरा सा तुझे ढुँढू हर फूल हर कली
कस्तुरी सी सुंगध तेरी,मेरी ओर बहा ऐ जिंदगी

ना युं तड़पा मुझे,ऐ सुन्दरी तु मृगनयनी,
मौत से होगी एक दिन प्यारी सी मुलाकात

बस कुछ कदमों तक तेरा साथ चाहिऐ
बांहो मे तेरी कुछ पल की पनाह चाहिऐ
दुंगा साथ ता उम्र तेरा ऐ जिंदगी,

करूं मै निर्मल मन की बात सगुन से,
तु हे स्वर्ग सी राह,मुझे हमराही तो बना ऐ जिंदगी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 2, 2024

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
सुप्रभात सुखमय हो जीवन
नव विहंग पुलकित है तन-मन 
विसरादो बीते कलुषित पल

नव प्रभात है ! सादर वंदन। 
मंगल बेला शुभ घडी आई
नित नूतन खुशियां संग लाई 
नव विचार सृजित हों हर पल

नव प्रभात है ! सादर वंदन। 
शुभ सोचो शुभ को ही ध्याओ
शुभ संग अपनी प्रीति बढाओ 
शुभ भावों से करो आचमन

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
समय चक्र नित घूम रहा है
सजग रहो यह बोल रहा है 
स्वर्ण ताप में बनता कुंदन

नव प्रभात है ! सादर वंदन 
अखिल भारती का है कहना
सजग आत्मा में तुम रहना 
बन जाओ प्रभु के प्रिय चंदन

~~~~ सुनिल #शांडिल्य