Saturday, December 30, 2023

प्यार की हमराही हो तुम मेरी,ऐसा ही मैंने जाना है
तुम जैसा कोई और नहीं, दिल ने ये पहचाना है

दिल मेरा तू मेरी धड़कन है, मैं पानी तू चंदन है
आँखों मेंं रहने वाली तू,निंदिया रूपी अंजन है

रूपका तेरे जादू मुझ में,ऐसा ही मैंने जाना है
तुम जैसा कोई और नहीं, दिल ने ये पहचाना है

सपनों की मेरे प्रेम-परी तुम, सपनों में ही रहना चाहूँ।
कुछ भी मैं न माँगूं रब से, दिल में तेरे रहना चाहूँ।।

धड़कन तेरी मेरी गज़ल है, ऐसा ही मैंने जाना है।
तुम जैसा कोई और नहीं है, दिल ने ये पहचाना है।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 29, 2023

मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम!
सात सुरों की साज हो तुम !
कैसे तुम बिन जीवन संगीत बने !
मेरे जीवन की सुरमई संगीत हो तुम !
मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम !
कोई लफ्ज़ नहीं लिखने को तेरे वास्ते,
मेरी हर एहसास की धार हो तुम!
बस यही जताना था कि मेरी,
हर धड़कन की आवाज हो तुम!

तेरे बिन सब अधूरा , 
तुझ संग सब परिपूर्ण है!
खुद को मैंने खो दिया, 
मगर तुम मुझमें संपूर्ण है!
नहीं कोई सफ़र तेरे बिन, 
ना कोई मंज़िल की दरकार है
तेरे बिन सब खुशियाँ अधूरी , 
हर खुशियों की धार हो तुम,
मेरी हर धड़कन की आवाज हो तुम!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 27, 2023

जिंदगी है
तो जीनी तो पड़ेगी
दुख और सुख
आयेगे और गुजर जायेंगे..
सफर जिंदगी का
हंसते रोते गुजर जायेंगे
सुबह बचपन
दोपहर जवानी
शाम बुढ़ापा
और रात आएगी
हम चांद के बगल का
तारा हो जायेंगे ..
रह जायेगी स्मृतियां
वो भी कुछ दिन बाद विलुप्त हो जाएगी ..
जिंदगी यूं ही जी जाएगी !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 24, 2023

तेरी मोहब्बत में डूबना ही मेरी किस्मत है
ये वो दरिया है जो तैरकर हमसे पार ना होगा।

सांसें काबू दिल इख्तियार नहीं होगा
अब तेरे सिवा किसी और से हमें प्यार नहीं होगा।

इस जन्म में तुम मिलो ये उम्मीद भी नहीं 
और अगले जन्म तक हमसे इंतजार नहीं होगा।

ले आऊं जमाने भर के फूल भी अगर
तुम बिन जिंदगी में बाहर नहीं होगा।

तुम छोड़ जाओ या ले लो जान भी 
गुमनाम तुमसे कम कभी प्यार नहीं होगा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 20, 2023

धड़कनें देख-भाल कर रख दूँ
ला तेरा दिल सम्हालकर रख दूँ

तुझको मुझ पर यकीं न आये तो
मैं कलेजा निकाल कर रख दूँ

तेरे होंठो की प्यास की ख़ातिर
सारे दरिया उछाल कर रख दूँ

आँच है इस क़दर इरादों में
मैं समुन्दर उबालकर रख दूँ

आने वाली है रौनके-महफ़िल
मय पियाले में डालकर रख दूँ

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 18, 2023

मैं ढूंढता हूँ तुम्हें..अर्थ भरे शब्द विचारों में 
ढूंढता हो बच्चा जैसे सीपियाँ, समंदर के किनारों में

तुम पथ हो मेरा..मैं राही उस पथ का 
सारथी हो ''तुम'' मेरे जीवन रथ का,

बिछे हुए हैं तुम्हारे स्नेह पुष्प..मेरी पथरीली राहों में
अगर कहीं गिर जाऊं तो,थाम लेना मुझे अपनी स्नेहिल बाँहों में
तुम अक्सर संग रहते हो,गंभीर होते विचारों में 
रोशन करते हो दीपक बन जीवन के अंधियारों में 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 16, 2023

मैं शब्द भर तुम मेरी शब्दशक्ति !
मैं मूक कलम तुम मेरी अभिव्यक्ति !

मैं करुण-हास्य रस तुम मेरी सरस श्रृंगार !
मैं खंडित वाक्यांश तुम मेरी अलंकार !

मैं बूँद एक पत्थर पर तुम जल भरी सरिता !
मैं चंद छन्द ठहरा तुम मेरी पूरी कविता !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 15, 2023

ये शाम ढल चुकी है, अब तक तूं न आयी।
पता क्या है जिन्दगी का, खलती तेरी जुदायी।।

थक गया हूं चलते-चलते, आके मुझे सम्हालो।
दर्द देख दिल का, रजनी भी मुस्करायी।।

चंदा भी झांकता है, मद्धिम चाँदनी सहारे।
यह दशा देख मेरी, कुमुदिनी खिलखिलायी।। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 14, 2023

दुनिया में हर किसी को एक साथी की जरूरत है
चाहे वह एक पुरुष हो या वह एक स्त्री सबको

आज की इस दौड़ में सब की एक ही चाहत रहती है
एक ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है जो समझे उसे

फर्क इतना है कि सभी का व्यक्तित्व एक सा नहीं
क्योंकि यहां हर कोई मुखौटे में लिपटा मिलता है

दुनिया जितनी दूर से खूबसूरत दिखती है
काश !उतना ही खूबसूरत होती तो क्या बात है?

एक पुरुष को ऐसी साथी की तलाश होती है
जो उसे समझे और स्नेह से सराबोर कर दे।

उसे जीवन में एक मित्र चाहिए फिर मित्र से ज्यादा
फिर यह चाहत उसे आकर्षण की ओर ले जाता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 11, 2023

कभी नैन देखता हूँ कभी नक्श देखता हूँ ,
तेरी शोख अदाएं तसल्ली बख़्श देखता हूँ..!

चाँद सी कशिश है ताजमहल सा जिस्म ,
झील सी गहरी आँखों में इश्क़ देखता हूँ...!

अंगारों से होंठ तेरे ज़ुल्फ़ घटा सावन की ,
हर तरफ वादियों मैं तेरी खुशबु देखता हूँ..!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 8, 2023

आंख में कुछ नमी नमी सी है 
तेरी चाहत जगी जगी सी है
तेरे आने की राह तक तक कर 
अब नज़र भी जमी जमी सी है

चोट तेरी ज़फ़ा की जानेमन 
मेरे दिल पर लगी लगी सी है
तेरे बिन महफिलों में मेरे सनम 
मुझको लगती कमी कमी सी है

तेरे दीदार के बिना हमदम 
सांस मेरी थमी थमी सी है
लोग लाखों हैं पर तबीयत यह 
सिर्फ तुममें रमी रमी सी  है

खुशियाँ फैली हैं जान चारों तरफ 
किन्तु दिल में गमी गमी सी है
राज इस बेरुखी से तेरी सुन 
मेरी हसरत ठगी ठगी सी  है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
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Wednesday, December 6, 2023

मैं पुरुष हूँ

मैं भी घुटता हूँ, पिसता हूँ टूटता हूँ, बिखरता हूँ
भीतर ही भीतर रो नही पाता कह नही पाता
पत्थर हो चुका तरस जाता हूँ पिघलने को

क्योंकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी सताया जाता हूँ जला दिया जाता हूँ
उस दहेज की आग में जो कभी मांगा ही नही था
स्वाह कर दिया जाता हूं मेरे उस मान-सम्मान का
तिनका-तिनका कमाया था जिसे मैंने 
मगर आह नही भरसकता

क्योकि मैं पुरुष हूँ

मैं भी देता हूँ आहुति विवाह की अग्नि में अपने रिश्तों की 
हमेशा धकेल दिया जाता हूं 
रिश्तों का वजन बांध कर जिम्मेदारियों के उस कुँए में
जिसे भरा नही जा सकता मेरे अंत तक कभी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 5, 2023

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है,
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है। 

सीने में लिए दर्द घुट-घुट कर मरता है,
होंटो पर रख मुस्कान मंद-मंद मुस्कुराता है।

मर्द होने की कीमत चुकाना पड़ता है,
भविष्य में परिवार को चलाना होता है।

इसकी चिंता होश सम्भालते रखना होता है,
हर की पूर्ति को पूर्ति करना होता है।

गर हुई पत्नि-माँ में अन बन,
दो पार्ट के बीच पिस जाना है।

कोई कानून समाज हक में नहीं होता है,
कदम कदम पर मर्द को ही गलत ठहराया जाता है।

पुरुष संतान पैदा करने का दर्द नहीं सहता है,
लेकिन अच्छी परवरिश देने का दर्द जानता है।

अपने परिवार से दूर रहना क्या होता है,
दूर रह कर कमाने का दर्द मर्द ही जानता है।

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

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Saturday, December 2, 2023

चांद सा सुहाना है तेरा चेहरा
उसपे देती है काला तिल पहरा

कजरारे नयन करते जादू
खुद पे नही रहता मेरा काबू

ख्वाब भी तू ख्याल भी तू
सम्मोहित करती तिलिस्म जाल तू

तेरा यौवन हल्दी चन्दन
करता हूं तुझसे प्रणय निवेदन

देखकर तेरा सुंदर चेहरा
बोल दे तू गर तो बांध लूं सर पे सेहरा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 1, 2023

पहली बार इसी छुक-छुक ट्रेन की सवारी की थी.. 
वो भी सीधे चालक के रूप में.. 
मुँह से ही 'पी-पी' का हाॅर्न बजाते 
इससे न जाने कितनी बार घर, दालान, दुआर सब घूमा.. 
कई बार लड़ी-भिंड़ी भी.. 
पर संभल कर दौड़ती रही हमेशा...

ये जब से छूटी.. जिंदगी बेपटरी ही रही हमेशा.. 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 30, 2023

वो नदी जो मोक्षदायिनी है, 
दिव्यस्वरूपा है। 

वो नदी जिसके सतह पर 
चाँदी की चमक बिखरी है। 

वो नदी जिसके घाट 
नीले मणियों से सजे हैं। 

वो नदी जो कविताओं को जन्म देती है, 
सींचती है.. बिखरा देती है। 

तुम उस नदी सी सुंदर हो.. 
हा तुम ही वो मेरा प्रेम हो। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 28, 2023

जिस फूल में कोमलता की कोई झलक नही
उस सरोवर के फूल को हम "कमल" कैसे कहें।

जिनकी आँखोमें अपनों के लिए कभी दर्द न हो
उन बेरुखी आँखोको यूं भला "सजल" कैसे कहें।

जिस महल में मुमताज़ के प्यार की महक नही
उस महल को हम भला "ताजमहल" कैसे कहें।

जिस बादल में गर्जन करने का सामर्थ्य ही नही
आसमान फैला धुंधलका को "बादल" कैसे कहें।

जिस अंजन में आंखोंको निखारने का तर्ज नहीं 
उस सुरमा को हम आँखोंकी काजल  कैसे कहें।

जब मन में सवाल नही तो हल कैसे लिख पाएंगे।
जब तलक तेरा दीदार न हो हम "गजल"कैसे कहें।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Wednesday, November 15, 2023

तुमसे मेरा प्रेम इसलिए नहीं कि तुम अद्वितीय हो।
तुमसे मेरा प्रेम इसलिए नहीं कि तुम अद्भुत हो।

तुमसे मेरा प्रेम इसलिए है कि तुम तुम हो।
तुम्हारा तुम होना ही तुम्हें बनाता है सबसे अलग !

तुम्हारे व्यक्तित्व की सादगी ने हर पल मुझे आकर्षित किया!!
तुम्हारे आचरण की सौम्यता ने हर क्षण मुझे प्रभावित किया।

तुम्हारी निश्छलता ने प्रतिक्षण अंतर्मन को मुग्ध किया।
तुम्हारी पावनता ने प्रतिपल आत्मा का स्पर्श किया.....!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

@followers

Friday, November 10, 2023

गजल न कोई लिखता हूँ
न कोई गीत मैं  गाता हूं

नहीं आता है छंद मुझको 
न कोई कविता मुझे आती है

मुझको तो बस तू भाती है
मैं तुझको ही लिख जाता हूं

जोड़ कर मैं चार शब्दों को
उन शब्दों में तुझे पिरो देता हूं !

~~~~ $h@πd!£y@

@followers

Wednesday, November 8, 2023

सादगी से भरा चितवन
ना फरेब ना धोखा है 

करामाते खुदा हो जान लो
तुम्हारा प्यार एक तोहफा है

हया,मादकता और सौम्यता
का प्यारा एक झरोखा है 

रजनी गंधा सी खुशबू बिखेरे
तुम्हारा इश्क एक तोहफा है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

@everyone

Sunday, November 5, 2023

साँस के धागे से यूँ उलझे रहे
ख़ुश्क से ज्यूँ शाख पे पत्ते रहे।।

जब दिये की रोशनी कुछ भी न थी
ख़्वाब फिर भी आँख में पलते रहे।।

रोकना कदमों को चाहा था बहुत
आपकी राहों में पर चलते रहे।।

कुछ तो था जो दरमियाँ था हमनवा
रफ्ता रफ्ता हम जिसे खोते रहे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 2, 2023

मै दीप अगर, तू बाती है
बिन तेरे, जीवन में ज्योति क्या? 
मै सीप अगर, तू मोती है
बिन तेरे, मै बन सकता क्या?

मै नदी अगर, तू लहर मेरी
तुम बिन, बेड़ा पार कहा
मै गांव अगर, तू गालियां है
तुझ बिन, मंजिल मेरी पार कहा

मै सूरज अगर, तू किरणे है
बिन तेरे, दिन की शुरुआत कहा
मै चांद अगर, तू चांदनी है
तुझ बिन मुझमें शीतलता कहा

मै फूल अगर, तू मधुमक्खी
तुम बिन जीवन में मधु कहा
तू नदी अगर, मैं सागर हूं 
बिन मिले तुझे, मेरा मकसद क्या

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 31, 2023

बेबसी को दर्द की स्याही में रखकर देखना
बन के निखरोगे कभी यूँ तुम भी शायर देखना।।

रफ्ता_रफ्ता क्यूँ पिघलती है शमा हर रोज़ यूँ
हो सके इक शब को तुम शम्मा सा जलकर देखना।।

देखना मत देखना तुम चोर नज़रों से कभी
हो सके तो इक दफ़ा तुम दिल लगाकर देखना।।

इस जहाँ से उस जहाँ तक हम दीवाने हैं तेरे
हमसा कोई दूसरा मिल जाए जा कर देखना ।।

रोकना मत चाहतों को दिल पे किसका ज़ोर है
हो सके तो इश्क़ के दरिया में बहकर देखना ।।

" सुनिल " छाँव में कितना है सुकूँ भी देख लो
मेरे शानो पर कभी तुम सर झुका कर देखना।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 27, 2023

न छेड़ो ख्यालों की कलियाँ प्रिये,
वीथियाँ स्मृति की पुलक जाएंगी।

गीत मेरे सुमन की भरी डालियां,
जो छेड़ोगी खुश्बू महक जाएगी।।

उम्र अनुभूति की मात्र पल छिन सही,
जिंदगी जिंदगी बन सँवरती रही।

उम्र जो भी लिखे अब कथा प्यार की,
भूल कर हर व्यथा वो गुजर जाएगी।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 25, 2023

जीवन का माधुर्य रचा है 
सुगंध भरा है उपवन में
ये किसकी आहट ये किसका कलरव 
जो आन बसा है निजमन में

अनुभव हो रहा हर साँस में 
हृदय के हर स्पंदन में
नीरत-विरक्त मेरे भावों में 
कौन हंसा चिर क्रन्दन में

क्या प्रतिफल है ये असंख्य आहों का 
जो चमका है,मेघ प्रभंजन में
सूनी राहों पर साथ मिला है 
कुछ जुड़ा है दीर्घ विखंडन में

सोचा था वर्षों मैं जिसको 
जो रहे थे मेरे हर प्रण में
प्रकट हुआ है आज मुखरित हो 
समर्पित होके समर्पण में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 23, 2023

मैं गीत तेरा,तू मेरी गजल
आ,सुर सरगम में खो जाये।

अधरों से अधरों पर लिख कर
एक काव्य समर्पण हो जाये।।

यह रात विरह की रात नहीं
यह प्रिय-मिलन मधुयामिनी है।

संयम परिभाषा रहने दो
भुजपाश में मेरे दामिनी है।।

एक सूर्य-अनल,एक शीतल जल
अंगार में छन-छन हो जाये।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 21, 2023

बड़ा उदास बैठा था गुम सुम....
तभी याद आये चाय और तुम....

चेहरे पर अनायास मुस्कराहट आ गयी
धीरे से जब तुम्हारी आहट आ गयी....

वो ठंड का मौसम और चाय का प्याला
जैसे कर गया अंधेरे में उजाला....

चाय से उठती वो लहराती भाप
जैसे बादलो में लगा दी आग.....

सोचता हूँ दुनिया बस इतनी रहे....
मैं,चाय और तुम जितनी रहे.......

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 20, 2023

हमारे गमों की कहानी ना पूछो
मुकम्मल कहां किसी की जिंदगानी है।

कैसे रोकू अपने बहते अश्कों को,
समय की बहती यह जिंदगानी है।

मन के कोरे कागज पर लिखूं जो
वो गीत याद अभी तक याद मुंह जुबानी है।

हर धड़कन पे लिखा तेरा नाम जो
तुझसे मिलने की आस जगानी है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 19, 2023

आसमां से टूटे जैसे,हम सितारे हो गए।
जबसे तेरा साथ छूटा,बेसहारे हो गए।

जब तलक नदिया में था उफान थी रौनक यहां
नदिया क्या सूखी की ये सूने किनारे हो गए।

वो भी दिन थे प्यार के, ऐसे झकोरे थे चले
इक नजर में हम तुम्हारे,तुम हमारे  हो गए।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 18, 2023

कैसे कहू मेरे कौन हो तुम,
दिल के साज पे मेरे लबो का मौन गीत हो तुम,

जीवन की निराशा मे आशा हो तुम,
अन्धेरे मे उजाले का दिलाशा हो तुम,

मेरे प्यार का विश्वास हो तुम,
हर पल दिल के आस पास हो तुम,

मेरे ख्यालो का वरदान हो तुम,
झिलमिल सितारो का आसमान हो तुम,

मेरी सासो मे महकी खुशबु हो तुम,
मेरी रगो मे बहता लहु हो तुम,

मेरी वंदना, प्रार्थना, पूजा, आरती, अरदास हो तुम ,
मेरे मन के भारत की भारती हो तुम ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 16, 2023

मैं तन्हा
चांद भी तन्हा
रात है
तन्हाई है
बिखरे पन्ने है
सिमटे से जज्बात है
अधूरी ख्वाहिशें साथ है

तारों से सजी अंधेरी रात
काला आसमां
चीखता मौन

देखना,
आज कुछ लिखूंगा
पन्नो पर तुझे उकेरूंगा
अश्कों संग तुझे लिखूंगा
मिलन के पल लिखूंगा
विरह के क्षण लिखूंगा
हां..
बस तुझे लिखूंगा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 14, 2023

चाँदनी के शुभ्र 
श्वेत पुष्पों से सजी  
कोहरे की सुरमई चादर ओढ़
कोई नवोढ़ा आज मेरे घर के
बगीचे में आई है ,

सुदूर प्राची के क्षितिज से
सहमती, सकुचाती,
ठिठकती, झिझकती,
धीमे-धीमे दबे पाँव चलती
सुहानी भोर आज मेरे घर के
द्वार पर आई है !

ओस के नूपुरों की
रुनझुन पाजेब पहन 
उषा सुन्दरी ने
बड़े सवेरे घर के प्रवेश द्वार पर
धीरे से दस्तक दी है ,

उसके उनींदे कमल नयनों ने
जैसे सुबह के सूर्य की
मुलायम ऊष्मा से कुसुमित
सारे सुरभित सुमनों की
मादक मदिरा पी ली है !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 11, 2023

पहले देखी मैंने वो तेरे जुल्फ काले बादल सी
फिर देखा तेरी आँखै झील सी सागर सी...

फिर देखा तेरे ओँठों को जो गुलाब से लग रहे थे
कम्बख्त मेरे दिल को किसी खुशबू से नहा रहे थे...

ये मत पुछो की मैंने तुझे कितना देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

फिर देखा मैंने तेरा वो लहराता हुआ आंचल
तेरे हाथों के कंगना तेरे पैरो के पायल... 

शर्माना भी देखा तेरा मुस्कुराना भी देखा
दिल भरा नहीं फिर भी दिल भरने तक देखा...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 10, 2023

है घटा छाई गगन पर बादलों का जिस्म ले
दूर तक गहरी अंधेरी रात है तिलिस्म ले

मेघवन में मैं अकेला और कंटित रास्ते
ढूंढता हूं एक नशेमन चल मैं तेरे वास्ते

हैं लताएं वृक्ष हर्षित वृष्टि के अवदान से
कौंधती है बिजलियां बादलों के मान से

ऋतु का आगाज़ ये बारिश की है पहेलियां
बूंद गिर कर इस जमी से खेलती अठखेलियां

आओ मिलकर हम सहज इस दृश्य का आनंद लें
बादलों को उड़ते देखे मिट्टी की सोंधी गंध लें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 8, 2023

धुंधली सी याद भी तो नहीं अब ज़हन में है। 
जो प्यार बच गया है बचा सिर्फ मन में है। 

साड़ी में लिपटी आई अभी तुम हो जानेमन 
या चाँदनी गुलों के खड़ी पैरहन में है।

सौ बार चाह के भी हटी ही न उससे आँख,
कुछ ऐसी दिलफरेब अदा दिलशिकन में है.। 

ऐसा भरे जहाँ में न बुत को किसी नसीब,
जालिम जो बांकपन ये तेरे बांकपन में है.। 
 
दिन रात तेरे प्यार की खुशबू भरी रहे 
चम्पे की बेल सी तू ज़हन के सहन में है.। 
 
जल के तो देखिये भी मुहब्बत की आग में,
मिलता बड़ा सुकून मियां इस जलन में है.। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 7, 2023

हे निवेदिता,करूं निवेदन 
स्वीकृत कर दे यह आवेदन
प्यार भरा मैं मधुर भाव हूँ,
फूलों ने जो दिया घाव हूँ

तीखी नोक तेग नैनों की,
करती रही ह्रदय का छेदन
क्रिया हीन जीवन हो जाता,
जाने क्या मुझको हो जाता

तुम बिन सृष्टि लग रही नीरस,
प्रणय प्यार कर, कर दो चेतन
आशाओं से दूर अभी हूँ, 
ईश्वर कसम मजबूर अभी हूँ
जीता हूँ मै प्रेम बिना यों 
मृत जैसे भावुक सम्वेदन

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 6, 2023

बारिश की बूंदों में बसी हो तुम 
मिट्टी की सोंधी खुशबू में हो तुम

पलकों को जब झपकाता हूं मैं
उन पलकों पर बसी हुई हो तुम

ठंडी पुरवा ब्यार जो छूती है मुझे
उसकी खुशबू में बसी हुई हो तुम

मेरे हर अहसास में ,मेरी रूह में
मेरे कण कण में बसी हुई हो तुम !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 4, 2023

तू आ मिल मुझसे...!

भोर सुनहरी सिंदूरी सांझे,
तुझे विस्मृत बिम्ब मैं समर्पण कर दूं...!

गीत लिखूँ थोड़ी प्रीत लिखूँ,
छंद सलोने मैं अर्पण कर दूं...!

जीवन की गोधूल डगर से
तुम चुनो खिले अधखिले सुमन,,

तुझको दूं आशीष तनिक सा,
जीवन को मैं दर्पण कर दूं...!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 2, 2023

डर लगता है

टूट कर चाहना तुम्हारा 
मेरे जीवन को एक मकसद देता है ।
पर जब टूटने लगते हो तुम चाह में मेरी ......
तो इस बेपनाह मुहब्बत से डर लगता है ।

तुम्हारा मुझे एक नजर प्यार से देखना
मेरी मुस्कुराहट में रंग भर देता है 
पर जब देखता हूं तुम्हारी नजरों में एक लाचारी...
मेरी आंखों में भी समुद्र से मचलने लगता है।

तुम्हारा प्यार से पुकारना मुझे
स्पंदन कर ह्रदय में खींच लेता है मुझे तुम्हारी ओर 
पर फासलों के दरमियां जब घुटने लगती है यह आवाज...
अधखुले ओठों की चुप्पी देख दिल चीखने को करता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 30, 2023

मैंने यूं ही तुम्हारा नाम
सुकून नहीं रख रखा है

राहत मिल जाती है मुझे
जो तुमसे बात हो जाती है

निगाह उठाकर देख लो
मेरी तरफ एक नजर तुम

पूरी कायनात मुझे अपने
कदमों तले नजर आती है

जाने जां इतनी दिलकश हो
की तुझसे नजर नहीं हटती

जी करता सामने बिठाकर
अपलक तुझे देखता मैं रहूं!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 28, 2023

तुम दिल की गहराई में हो जैसे कोई खुशबू शामिल
फागुन की पुरवाई में हो तुम दिल की गहराई में हो

याद तुम्हारी आये जैसे सावन का लहरा आ जाए
तेरे अधरों की सुषमा तो जैसे घन में बिजली मुसकाये

तेरी अरुणिम पलकें जैसे प्रेम पत्र पुरइन पातों का
तुमसे ही कोमलता लेकर जनम हुआ इन जलजातों का

काली रातों के तारों से लगते हैं ये नयन तुम्हारे
तेरी अलकों में ही पलती हैं शायद ये मधुर बहारें

जिन आँखों का स्वप्न बने तूं उन आँखों का स्वप्न हो पूरा
तुमसे मिलकर लगता जैसे खत्म हुआ हर सफर अधूरा

अनुबंधों के आईने में हमने देखा रूप तुम्हारा
सामवेद की ऋचा लगे तू या निर्मल गंगा की धारा

तुम निसर्ग के हाथ पली हो किस लय से हैं गात तुम्हारे
सुनने आता चाँद गगन से तेरे नूपुर की झनकारें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 27, 2023

काश में रह गया कुछ आस में रह गया
वो दिल भी न ले गयी पास में रह गया

मिलेंगे कभी किसी मोड़ पर कहा था
और मैं था कि इसी विश्वास में रह गया

वो शाम थी तुम जिसमें वज़ूद था मेरा
फ़िर जुगनू निशा की तलाश में रह गया

अब देखता हूँ रंगीन जब दुनिया को मैं
सोंचता हूँ क्यूँ इक लिबास में रह गया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 26, 2023

दौड़ते भागते लोग, खुद से घबराते लोग। 
अपने ही आहट से, यहाँ डर जाते लोग। 

अपनी ही सूरत से, यहाँ भरमाते लोग।
खौफ़ के साए  में, इश्क फरमाते लोग। 

कागज़ी गुलाबों से, जी बहलाते लोग। 
भीड़ में चिल्लाते, यहाँ हकलाते लोग।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 23, 2023

वह सिलती रही जिंदगी और सिलवटें साझीदार हो गयी,
औरत की जिंदगी बस अनकही फरियाद होकर रह गयी 

दायरे से निकलने की हिमाकत जब-जब उसने करी,
दुनिया उसकी और मजबूत पहरेदार हो गयी 

घर की जिम्मेदारियाँ तो बस अकेले उसके नाम हो गयी,
घर से बाहर निकलने की जरूरत भी मुश्किल होकर रह गयी

किताब के फ़टे पन्नो के मानिंद वह बिन कहानी कहे रह गयी,
घूरती आँखों को पढ़कर भी वह हमेशा खामोश रह गयी 

हर कदम पर हौसला उसका इम्तेहान लेता रहा,
पहुँच कर बुलन्दियों पर भी वह अनकही अधूरी सी रह गयी 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 21, 2023

वक़्त बदलता है तो वक़्त के साथ बदलना
खुमार चढ़ता है तो उसे आता भी है उतरना.

हँसना हँसाना गर्ज़ नहीं मर्ज़ ही बना लो
दुआ करना, इस मर्ज़ से कभी ना उबरना.

अंजुम भर के दामन में न चाहिए उछलना
रो पड़ोगे जो मिल के पड़ेगा कभी बिछड़ना.

हाथ मेरे हाथ में दे रहे हो तो न भूलना
कि आता नहीं है मुझको वादे से मुकरना.

फ़िर मिलोगे कभी, ये आस जिंदा रहे मगर
इंतजार के दरिया में भूले से न उतरना..

#$h@πd!£y@

Monday, September 18, 2023

तुम कोयलिया सी कूक उठो पंचम सुर में,
मैं अपने गीतों की बरसात तुम्हें दे दूंगा.

ज्येष्ठ की धूप देखो ढल गई संताप देकर.
दृगों से अश्रु ढुलके नेह का प्रस्ताव लेकर.

तुम सामवेद ऋचा सी बस जाओ उर में,
मैं अर्चन के पुष्प-पारिजात तुम्हें दे दूंगा.

दिल की हर धड़कन पर लिख नाम तुम्हारा.
नेह की मथनी से मथ मथ कर तुम्हें पुकारा.

तुम चँद्र किरण सी उतरो तो मानस पुर में,
मैं अपने जीवन के दिन रात तुम्हें दे दूंगा.

बिखरा दो वो संगीत समाया है जो नूपुर में,
मैं अपने इन प्राणों की सौगात तुम्हें दे दूंगा.

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 16, 2023

समय तुम कोन हो और कहा हो
समय तुम कब थे और कहा थे

समय तुम्हारे अस्तित्व से 
कोई छुटकारा पा सका है क्या

पता नहीं कब आते हो 
और कब छूमंतर हो जाते हो ।

समय तुम किधर गए 
और कहा रहते हो

समय तुम कब व्यर्थ होते हो 
और कब खत्म हो जाते हो

समय बितता जा रहा है 
किस चीज का?

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 14, 2023

ए जिंदगी क्या चाहती हो तुम मुझसे
छोड़ जाती हो अक्सर मुझे चौराहे पर

तोड़ देती हो बारबार कई टुकड़ों में
बता कब तक भटकूं मैं इधरउधर

हरबार संभल कर चलने का करता हूं प्रयास
हरबार तोड़ देते हो,तुम क्यों मेरी आस

खंडित करके मुझे हरबार क्या पाते हो
जिंदगी तू इतना क्यों मुझे सताती हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 11, 2023

क्या बहुत कठिन है, तुम्हारा मन समझना
तुम अक्सर उलझ जाती हो,मुझे सुलझाने में

बुन लेती हो खुद को,मेरे इर्द गिर्द
भुला देती हो,अपने सारे दुख दर्द

रिस्ते जख्मों के, अक्सर सी कर
अपमान का विष भी,चुपचाप पी कर

बहा कर आंसू ,रैन बिताना
उज्जवला बन, मेरा संसार जगमगाना

महकाती हो आंगन, खुद मुरझाकर
सींचते हो रिश्ते, खुद को मिटा कर

इच्छाओं का,गला घोंट कर
आत्म सम्मान को, चिता सौंप कर

घुटती हर पल,फिर भी जीती हो 
चाहती हो प्रेम के,सच्चे मोती

तुम्हें पढ़ना,नहीं जटिल पहेली
मान सम्मान से,समझ जाती हो जज़्बात
अपनत्व से बन जाती,हर बिगड़ी बात

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 8, 2023

हमारी आँखोंके दरिया में देखो क्या समाया है
हमारे मनमें क्या है हमने दिलमें क्या छुपाया है

जो पढ़ पाओ तो पढ़ लो तुम लबों की सिसकियां मेरी
दिलाएंगी मेरीही याद हरपल हिचकियाँ तेरी

तुम्हें ही ढालके गीतोंमें हमने गुनगुनाया है
हमारी आँखोंके दरियामें देखो क्या समाया है

खयालों में तुम्हीं तुम हो तुम्हीं हो गीत गजलों में
तुम्हीं हो शायरी मेरी तुम्हीं हो मेरी  नज़्मों में

ये किसने प्यार का जादू मेरे ऊपर चलाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है..

~~~~सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 5, 2023

आज अश्कों नें कहा कब तक यू हमें बहाओगे,
नफरत कर लो, मोहब्बत में ख़ुद को बहुत रुलाओगे ।

ये दुनिया बहुत बदल गयी पहले जैसी कहॉं है,
कब तक बोलो और कब तक ख़ुद को यू सताओगे।

जो राहें मंजिल तक ना पहँचायें उनका क्या मतलब,
ऐसी राहों पर चलकर बस पागल तुम कहलाओगे ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 3, 2023

हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है
हमारे मनमें क्या है हमने दिलमें क्या छुपाया है

जो पढ़ पाओ तो पढ़ लो तुम लबों की सिसकियां मेरी
दिलाएंगी मेरी ही याद हरपल हिचकियाँ तेरी

तुम्हें ही ढालके गीतोंमें हमने गुनगुनाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है

खयालों में तुम्हीं तुम हो तुम्हीं हो गीत गजलों में
तुम्हीं हो शायरी मेरी तुम्हीं हो मेरी नज़्मों में

ये किसने प्यार का जादू मेरे ऊपर चलाया है
हमारी आँखों के दरिया में देखो क्या समाया है..

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 27, 2023

नूरानी चेहरा है,आँखें मस्तानी
कातिल अदा है, दिलकश जवानी

कहां लेकर जाओगे है दुनियां फरेबी
कर लो हमीं से, मुहब्बत ओ जानी

रखूंगा तुम्हें मैं पलकों पे सजाकर
बन जाओ मेरी तुम सपनों की रानी

कब तक तन्हां चलोगे राहे ज़िंदगी में
मुश्किल सफर है करो ना नादानी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 25, 2023

साहित्य के सरस हिडोलों पर ..
रह रह मनुहार बरसते हैं 
नद निर्झर सागर के सपने ..
लहरों की पलक पर  तिरते हैं 

ये काव्य जगत की सुन्दरता ..
भरती है पुलक लताओं में 
कांपती सी तन की परछाईं .. 
भरती सिरहन सी हवाओं में 

छन छन जल बूँदों के नूपुर .. 
बँधते हैं सृष्टि के  पाँवों में,
सतरंगी इन्द्र धनुष आभा ..
रचती है मेंहदी भावों में।

मधु स्वर-लहरी झंकृत हो कर ..
गूंजे जब दसों दिशाओं में,
अनुपम तरँग ध्वनि छा जाये  ..
बंधन को तोड़ फ़िज़ाओं में।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 19, 2023

खुद को इतना मत बचाया कर
बारीशें हो तो भीग जाया कर
चाँद लाकर कोई नही देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
काम ले कुछ हसीन होथों से
बातों बातों में मुस्कुराया कर
धुप मायुस लौट जाती है
छत पे कीसी बहाने आया कर
कोन कहेता है दिल मिलाने को....
कम से कम हाथ तो मिलाया कर...!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

@everyone

Thursday, August 17, 2023

धो ले, साफ़ सफाई करले
दिलकश नई रंगाई करले
दिल के आंगन सजा रंगोली
फिर से सजी-सजाई कर ले

अपने अंदर के कमरों में
भरा रह गया अंधकार तो
करले दिल की दुनिया रोशन
खुद में ज्योत जलाई कर ले

दीप जले अपने अंदर जब
सब संशय मिट जाते हैं
उजियारी सोचों की खुद में
खुद ही उगा, उगाईं कर ले

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 14, 2023

तू है तो गुले गुलजार कुछ नहीं
तेरे बिना मौसमें बहार कुछ नहीं।

फजाएं रंग बदलती तुझे देख कर
जुल्फें जो महके बयार कुछ नहीं

तू सामने तो है मगर साथ में नहीं
बैचेनी दिल में है करार कुछ नहीं

ये अधुरा पन और सुना सा मन
है खाली दिले दयार कुछ नहीं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 12, 2023

सुना है,तुम करती थी नफरत हमसे
रास्ता बदल लेती थी कतराकर हमसे

ना मालूम क्या हुआ है तुम्हारे दिल को
तड़पती अब अपना नाम सुनने को हमसे

इश्क और नफरत की सरहद छोटी होती है
जाने कैसे ये हद टूटी,तुम्हें हुआ इश्क हमसे

आज तुम ठहरी हुई हो मुंतजिर होकर
तरसती निगाह लिए मिलने को हमसे !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 6, 2023

रिक्त धरा व शून्य क्षितिज है
तुम बिन सब खाली-खाली

सृष्टि सृजन कभी न कर पाती
तुम बिन जीवन खाली-खाली

ममता करूणा नेहों का बंधन
प्रेम बिन सब खाली-खाली

यश कीर्ती वैभव की रुतबा
नारी बिन सब खाली-खाली

शून्य जगत की श्रेष्ठ धरोहर
तुम बिन दुनिया खाली-खाली

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 3, 2023

जब भी जुबां पै मेरे कोई सवाल आएगा
तब-तब बस तेरा ही ख़्याल आएगा

मंजिलों का पाना इतना आसान तो नहीं
हर कदम तेरे बिना राहों में डग-मगाएगा

माना कि तुम खफा हो खूब हमसे
शिकायतों का तूफान तो एक बार आएगा

तेरे दिल तक जाने का रास्ता साफ है मगर
जमाना बड़ा ज़ालिम है उंगलियाँ उठाएगा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 2, 2023

एक दिन है जो गुजरता है तिरी ख्वाहिश में
एक है रात जो ख्वाबों में गुजर जाती है

एक चाहत है जो मुद्दत से बसी है दिल में
एक हसरत है जो होंठों पे बिखर जाती है

एक दिल है जो तेरे बिन उदास रहता है
एक दुनिया है तुझे मिल के संवर जाती है

एक अम्बर है जो ढकता है मेरे गम सारे
एक बदली है जो आँखों से बरस जाती है,,

एक सागर है जिसे कैद किये हैं दिल मे,,
एक नदिया है जो बातों में उफ़न जाती है,,

एक दौलत है जो कोठों पे मचलती रहती,,
इक फकीरी है जो भूखों पे रहम खाती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 1, 2023

तेरी तलब मुझे लगने लगी हैं 
जब से सावन की आग लगी है 
भरे नज़ारो के बीच हमको 
तेरी तस्वीर दिखने लगी है l
मेरी चाहत को मेरे लम्हों को 
मैंने तुझपे वार दिया 
तेरी नफरत जितनी भी हो 
जाना मैंने तो प्यार ही किया l
ओ मेरे यारा ओ दिलदारा 
तुझ बिन जिना नहीं है गंवारा 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 30, 2023

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

मुझे मंज़िल ए इश्क़ पे हो यकीं
तुझे धड़कनों में सुना करूं

कभी सजा लूं तुझको आंखो में
कभी तस्बीहों में पढ़ा करूं

कभी चूम लूं तेरे हाथों को
कभी तेरे दिल में बसा करूं

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 29, 2023

खामोश होंठो को खामोश रहने दो
चन्द लम्हो के अल्फाज़ो को रहने दो

तन्हा लम्हो को मेरे तन्हा रहने दो
इक मुलाकात बाद तलब न रहने दो

दर्द भरी अमावस को स्याही रहने दो
तुझसे पूनम इक रात की कसक रहने दो

न हो तू खुद से परेशा, परेशा अपनी हमे दे दो
आज नही हमे देना ही है तो हर सफर साथ दे दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 26, 2023

अच्छा सुनो ना 
एक रूह 
हजार एहसास 
और एक तुम.....!! 

एक मैं 
हजार किस्से 
और एक तुम...!!

दो आँखें 
हजार सपने 
और एक तुम....!! 

एक चाँद 
हजार तारे 
और एक तुम....!! 

एक रात 
हजार करवटें 
और एक तुम....!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 25, 2023

प्रेम के है कितनी भाषाएं क्या तुमने महसूस किया
तीजे पहरतक जागे हो क्या?क्या कभी तुमने प्रेम किया

कितनी रातें जागी तुमने,कितने तारे गिन डाले
उस मनोहरी शाममें तुमने,कितने स्वप्न सजा डालें

कितनी वादें किए है तुमने,कितने शर्त निभाएं है
कितनी उम्मीदें तोड़ी है,बची कितनी आशाएं हैं

चांद निहारा कितना तुमने,कितने पानी में झांका
प्रेममें सात सुरों को लिखकर,क्या कभी खुद को है आंका

कितनी नदियां झिलमिल करती,उठा लहर और शांत हुआ
कितनी बार है झांका उसको,तेरा मन नितांत हुआ

कल्पनाओं की स्याही तोड़ा,कितनी बार बता जाना
प्रेमके उस मधुरिम बेला में,न कभी फिर से घबराना

शुष्कधरा पर रोपें कितने,प्रेमपुष्प के पौंधे तुम
कितने ख्वाब संजोए तुमने,कितने ख्वाब हो रौंदे तुम

पुष्प वाटिका में जा-जाकर,कितने पुष्प चुराए हो
कितनी बाहें थामी तुमने औ कितनी बांह छुड़ाएं हो

प्रेममें कितनी गांठे खोली,कितनी गाठें मौन रखी
कितने मनके चित्र उकेरे,कितने अबतक गौण रखी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 19, 2023

ऎसा मिलना भी क्या तुम तो दूर बैठे रहे
तुम जरा पास आते तो बात कुछ और थी

वादा कर देना भी क्या बड़ी बात है
अपना वादा निभाते तो बात कुछ और थी

हमने दिल क्या तुम्हें जिंदगी सौंप दी
भूलकर अपनी सारी खुशी और अपने सारे गम

हमसफर मान कर साथ तो चलते रहे
पर ना तुम निकले तुम और हम रहे ना हम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 18, 2023

हम कहाँँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं?
वे यहाँ आ रहे हैं क्यों आ रहे हैं?
न वे समझ पा रहे हैं! न हम समझ पा रहे हैं!!

यहाँ कोई बहस नहीं है कोई तर्क नहीं है
जिसको जो भी कहना है कह रहा है
जिसको जो भी सहना है सह रहा है
मगर कोई भी रुक नहीं रहा है
बस चल रहा है चल रहा है

कौन हैं वो लोग? जो चले जा रहे हैं
कौन हैं वो लोग? जो चले आ रहे हैं?
स्वेद रक्त सिक्त मधुरतम और तिक्त
यह जीवन विधिवत जिए जा रहे हैं
जीवन का स्वाद वो लिए जा रहे हैं।

न शिकवा है न शिकायत है
न विरोध है न हिमायत है।
चलना ही कर्म है बढ़ना ही धर्म है
सहज स्वीकार है सब अंगीकार है
किए जा रहे हैं जीवन का अनुभव लिए जा रहे हैं। 

जिनको तर्क करना है करें....
डरना है डरें...... मरना है मरें......
आखिर चलने वाले क्यों इस फेर में पड़ें....!
वे तो बस.. चले जा रहे हैं.......।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 13, 2023

नरगिसी आंखो मे शबनमी आंसू
जीने देंगे नहीं मुझे कभी आंसू

हरहाल मे रोककर रखना इनको
छलक न जाए आंखोसे कहीं आंसू

मै तेरी दुनियासे दूर चला जाऊगा
देख लिए जो आंखो मे कही आंसू

खुशियां दामनमे समेटो इसकदर
कि हो जाए तुमसे अजनबी आंसू

हां निकल आए खुशीमे जो सागर
मुझको तो चाहिए बस वही आंसू

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 10, 2023

इस ज़मीं से उस फ़लक़ तक 
है कोई तारा नहीं
मेरे हमदम सा ज़माने में 
कोई प्यारा नहीँ।।

एक मूरत को बसाकर 
कर दिया मन्दिर इसे
दिल हमारा घर है तेरा 
अब ये बेचारा नहीं।।

ज़िन्दगी में हूँ मैं शामिल 
दिल मे थोड़ी दे जगह
थोड़ी सी चाहत मुझे बस 
चाहिए सारा नही।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 6, 2023

शुरू करूं कहां से, मैं अपनी बतिया।
क्या नाम दूं इसे, जो तेरे मेरे दरम्या।

सिलसिले ये शुरू हुए, अनजाने सफर से,
नजरें मिली फिर, शुरू हुई बदमाशियां।

पास होती चाहतें तेरी, फिर ये कैसी दूरियां,
सपने बन कर तंग करती एहसासों की अठखेलियां।

सुन मीत मेरे प्रीत मेरे, खुशी तेरे गम सारे मेरे।
तू हीं मेरी धारती मैं हीं तेरा आसमां।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 5, 2023

लो आसमान सी फैल उठीं वो नीली आँखें
लो उमड़ पड़ीं सागर सी वो भीगी आँखें

मेघश्याम सी घनी-घनी वो कारी आँखें
मधुशाला सी भरी-भरी वो भारी आँखें

एक भरे पैमाने सी जब छलकी आँखें
दिल मानो थम सा गया लेकिन धड़कीं आँखें
ओस में डूबी झील सरीखी वो नम सी आँखें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 3, 2023

चुप मैं रहूँ कभी कभी तुम को बताऊँ 
झगड़ लूं तुम्हीं से तुम्हें फिर मनाऊं

ये बातें हमारी ये किस्से जो हिस्से 
मैं रख कर सिरहाने इन्हें तकते जाऊं 

वो आँखों की बातें वो भीनी सी खुशबू 
भीगी सी जुल्फों में रेशम सा जादू 

दुनिया मेरी तुम तुम्हें क्यूँ बताऊँ
झगड़ लूं तुम्हीं से तुम्हें फिर मनाऊं

अनकहा सा जाना पहचाना ये इश्क़
तुम ही से निभाऊं तुम ही संग निभाऊं

तुम्हारी ही राहों में खिलता रहूँ मैं
तुम्हें हर नज़र आकर मिलता रहूँ मैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 1, 2023

मन का कोमल भाव है प्रेम
सृष्टि का श्रृंगार है प्रेम
जीवन के इस कंटीले वन में
छायादार तरु का एहसास है प्रेम

प्रेम नहीं स्वार्थ की कल्पना,
बस देने का ही नाम है प्रेम,
मीरा की भक्ति, प्रतीक्षा राधा की,
कृष्ण का सबका हो जाना है प्रेम

प्रेम नहीं परिभाषा से बंधा,
उन्मुक्त उड़ान, उदार है प्रेम,
बहती हुई पीयूष की धारा,
तृष्णा की प्यास मिटाता है प्रेम।

प्रेम में मन जिसका भी डूबा,
भवसागर से पार कराता है प्रेम,
निश्छल, मधुर, पावन, उज्ज्वल,
हर भाव से निराला भाव है प्रेम।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 30, 2023

ओढ़ चूनर घटा की कलाधर चला 
मेघ बरसे धरा हो गई पावनी 
बदले परिधान अपने जो परिवेश ने
आई पावस सुहानी ये मन भावनी

करके श्रृंगार बसुधा हुई मदभरी 
सज संवरकर दुल्हन बन गई पांखुरी
पत्ते पत्ते नये हो गये शाख के 
सरिता यौवन भरी लग रही कामनी

मोर मतवाले नर्तक हुए शान से
मेघ बजने लगे हैं मधुर तान से
झूले पेड़ो की डालों पे हिलने लगे 
गीत बालायें गातीं मधुर श्रावनी

गीत दादुर ये गाते मधुर कंठ से
आओ प्रियतम हमारे कहाँ हो छिपे 
आज मिलकर प्रणय गीत गायेंगे हम
नभ में चमकेगी पावस की जब दामनी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 29, 2023

इक अश्क सवाल हज़ार लिए होता है
कभी खुशी तो कभी गम लिए होता है

देने वाले को पहले से सब पता होता है
फिर भी क्यो वो बना अनजान रहता है

छुपा गम हो तो मरहम वो खुद होता है
फिर भी दूरिया बना के नश्तर चुबोता है

छपी गर खुशी हो ढिंढोरा वही करता है
सुख में सब साथ दुख में कोई न होता है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 28, 2023

प्यार की भीनी भीनी खुशबू को चंदन में बांध लिया,
रास का मौसम अपने मन के वृंदावन में बांध लिया,
एक फूल पर बिखरी शबनम चख ली प्यासे अधरों ने
और चांद को हमने अपने आलिंगन में बांध लिया।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 26, 2023

तुम बारिश कि बूंदो सी, 
मै तपती दुपहरी सा लगता हूँ,

तुम नदियां छोटी सी, 
मै सागर समाने बाला लगता हूँ,

तुम मंदिर की मुरत सी, 
मैं चोखट मे बैठा दिखाता हूँ,

तुम रानी महलो सी, 
मैं राजा रंक सा लगता हूँ,

तुम फूलो कि महक सी, 
मैं मुरझाया सा लगता हूँ,

तुम सूरज की किरण हो पहली सी, 
मैं रात की कालिमा सा लगता हूँ,

तुम रंग-बिरंगी तितली सी, 
मैं भोरा आवारा सा लगता हूँ,

बस भूल ना जाना मुझे,
मैं तुझ मे समाया सा कहीं तुझ सा दिखता हूँ...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 24, 2023

तुम्हारी बात से निकलेगी  कोई बात लिख दूँगा
जरा नज़रें मिलाना तो मैं हर ज़ज्बात लिख दूँगा

तुम्हारी मुस्कराहट के यूँ ही बिखरे रहें जुगनू
मुझे फिर क्या डराएगी ये काली रात लिख दूँगा

मैं लिख दूँगा बहाने रोज जीने के निगाहों से
मैं हँसते-हँसते मिटने के नए अंदाज़ लिख दूँगा!

#$h@πd!£y@

Friday, June 23, 2023

हो अँधेरा दूर मेरा, बस वही प्रभु कीजिए
जप सकूँ शुभ नाम हरि का,ज्ञान ऐसा दीजिए
झूँठ के हर दंभसे प्रभु,दूर हमको कीजिए
जप सकूँ शुभ नाम हरि का,ज्ञान ऐसा दीजिए
छा रहा है जो तिमिर इस,मोह रूपी ज्ञान का
ले रहा है रूप देखो,बस वही अभिमान का
दूर हो अभिमान मेरा,तुम इसे हर लीजिए
जप सकूँ शुभ नाम हरि का,ज्ञान ऐसा दीजिए।
दंभ छल पाखण्ड फैला,देखिए चहुँओर है
हर गली में आज देखो,नाचता इक मोर है
हो रहा भ्रम जो यहाँ पर,दूर प्रभु जी कीजिए
गिर गया हूँ राह में कब,याद ये आता नहीं
झूँठ से है जो दिखावा,मोह भी जाता नहीं
हूँ अगर बेहोश तो प्रभु,होश का कुछ कीजिए

#$h@πd!£y@

Wednesday, June 21, 2023

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है,
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है। 

सीने में लिए दर्द घुट-घुट कर मरता है,
होंटो पर रख मुस्कान मंद-मंद मुस्कुराता है।

मर्द होने की कीमत चुकाना पड़ता है,
भविष्य में परिवार को चलाना होता है।

इसकी चिंता होश सम्भालते रखना होता है,
हर की पूर्ति को पूर्ति करना होता है।

गर हुई पत्नि-माँ में अन बन,
दोनो को लेकर बीच पिस जाना है।

कोई कानून समाज हक में नहीं होता है,
कदम कदम पर मर्द को ही गलत ठहराया जाता है।

पुरुष संतान पैदा करने का दर्द नहीं सहता है,
लेकिन अच्छी परवरिश देने का दर्द जानता है।

अपने परिवार से दूर रहना क्या होता है,
दूर रह कर कमाने का दर्द मर्द ही जानता है।

कौन कहता है मर्द को दर्द नहीं होता है
वो पंछी है जो पंख फैला सकता है उड़ नहीं सकता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 20, 2023

तुम मुझ मे हो ऐसे जैसे ,
हवा का होना बादलों के संग 

रजनी का हो भोर से मिलन 
हो रूठो मे अपनों सा मान 

नदी का लहरों से संगम 
सावन मे हरियाली का रंग 

जीवन का मृत्यु से बंधन 
ऐसे ही कुछ मुझ मे है प्रिये तू 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 19, 2023

हर आहट पर चौंक जाती है नज़र
देख सामने तुझे आश्वस्त होता है मन
फिर भी क्यों न मिला पाते नयन
हंसता रहता हूं हरदम तेरे सामने
क्या समझ पाओगी इसका मायने
मेरी अधीर आंखें हरपल यह देखती है
आपकी मासूम आंखें
कुछ खोजती सी रहती है
पर हर बात कही नहीं जाती
कुछ बातें अनकही ही रह जाती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 17, 2023

कभी बात तो करो न उससे
हो सकता है की बात बन जाए

कुछ उसकी बात भी तो सुन लो
हो सकता है की बात समझ आए

कभी समझो वो अनकही_बात  
हो सकता है वो खुश हो जाए

किसी बात पर उसकी "ना" हो
तो उस "ना" पर "हाँ" भी कह दो

बात तो बस कुछ इतनी सी है
उसे अपनों से अपनी बात कहने दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 16, 2023

चाहता हूँ सूरज की किरण बन 
आलोकित कर दूँ तुम्हारी सुबह को,

चाँद सितारे बनकर रौशन कर दूँ तुम्हारी रात को, 
इन्द्रधनुष के रंग बन बिखर जाऊँ तुम्हारे जीवन में 

ठंडी हवा का झोंका बन लिपट जाऊँ तुम्हारे दामन से,
बादल बन बरसूँ तुम्हारे आँगन में,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 15, 2023

सदा शीतल हृदय में ही खुशी का साज बजता है
नयन के नीर से ही मेघ निज संसार रचता है
कि मोती बूँद बन झरता सलिल जब व्योम के घट से
उमंगित हो धरा के तन हरित परिधान सजता है
मिटाकर द्वेष के क्षण को मधुर मुस्कान धरते है
बिछा कर फूल राहों में सदा सम्मान करते है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 14, 2023

ll गीता सार ll

हे पार्थ,

तुम पिछली प्रमोशन का पश्चाताप मत करो 
तुम अगली प्रमोशन की चिंता मत करो 
बस अपनी चालू पोस्टिंग से ही प्रसन्न रहो 

तुम जब नही थे तब भी ये कचहरी चल रहा था 
तुम जब नही होंगे तब भी ये चलता रहेगा 

जो काम आज तुम्हारा है 
कल किसी और का था 
परसो किसी और का होगा तुम इसे 
अपना समझ कर मगन हो रहे हो 
यही तुम्हारे समस्त दुखों का कारण है 

इंसेंटिव, प्रमोशन, इंक्रीमेंट 
ये शब्द अपने मन से निकाल दो 
फिर तुम इस कचहरी के हो 
और ये कचहरी तुम्हारी है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 13, 2023

सारे वादों को भुला सकता हु, लेकिन रहेने दो।
में तुम्हें छोड़ के जा सकता हूं, लेकिन रहेने दो।

तुम जो हर मोड़ पे कह देते हो खुदा हाफ़िज़ 
फैसला में भी सुना सकता हु लेकिन रहने दो।

तुमने जो बात की दिल को दूखाने वाली
उस पर मैं मुस्कुरा भी सकता हूं लेकिन रहने दो।

शर्म आएगी तुम्हे वरना हमारे वादे
मैं तुम्हे याद दिला सकता हूं लेकिन रहने दो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 12, 2023

माखन मिश्री अधर कपोल 
शब्द प्रेमी हृदय से बोल
वाकपटुता नयन इशारा 
सेज सजायी छत चौबारा

चाँद चाँदनी झाँक रहे हैं 
चकवा चकवी ताक रहे हैं।
शीतल समीर बहे सुहानी 
तन में सिहरन दौड़ाए,

लपट झपट कर प्रियतमा 
प्रिय उर से लग-लग जाए
प्रियतम के बाहुपाश में सिमटे, 
लजाए सकुचाए।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 11, 2023

मृगनयनी से नयन तुम्हारे, हिरनी सी इठलाती हो
मेघ से कोर भरे आंखों के पलकें यूं झपकाती हो
अधरों पर जैसे रस हो फूलों का,पंखुरी सा मुस्काती हो
मरे-मिटे हैं लाखों दिल, हुस्न-ए-मल्लिका कहलाती हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 10, 2023

चलते चलते कल प्रिये तुम्हारे नयनों में
देखा था जो नैराश्य उसी से चिंतित हूं

नत नयन भंगिमा संग प्रिये चंद्रानन का
देखा अवसादित हास उसी से चिंतित हूं

साहस रखना अपने उर पर प्रस्तर रखकर
चाहे प्रतिमा हो जाना तुम उसमें दबकर

मानिनीं बनोगी ध्रुव है, पर प्रिय याद रहे
जग करे न कल उपहास उसी से चिंतित हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 9, 2023

पुरुष का रोना व्याकुल कर जाता है 
उस आसमान को जिसने अपना दर्द 
हंसते हंसते सौंप दिया था एक दिन बारिश को !

पुरुष का रोना हरबार ढूंढता है 
मां का आँचल प्रेमिका का काजल 
पत्नी का प्यार बहन का कांधा 
अपने तकिए का कोना!

पुरुष के रोते ही पुरुष हो जाती है 
वह स्त्री जो पोंछती है उसके आँसूं
और मर जाता है वह दर्द जो जीत कर 
मुस्कुरा रहा था उस पुरुष से !

पुरुष के रोने से टूट जाते हैं 
पितृसत्ता के पाषाण हृदय ताले
और खुल जाते हैं द्वार उन अहसासों के 
जो उसे उसके भी इंसान होने का अहसास दिलाते हैं !

पुरुष के रोते ही पृथ्वी आकाश से 
अपनी गति, स्थिति और कक्षा की मंत्रणा कर 
हिसाब लगाती है उस आँसू का 
जो गृहों की चाल के सारे गणित  
बिगाड़ कर रख देता हैं...!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 7, 2023

सुनो, 
हृदय में तुम्हारे प्रदीप्त प्रेम के 
सारे रंग भरके 
लिखूंगा एक गीत और गाऊंगा 

पूरी तन्मयता से सात सुरों में 
समय के थपेडों को सहते हुए 
खुद को देखता रहूंगा 

तुम्हारे रेशमी दुपट्टे के दर्पण में 
तुम पढ़ना मन पांखी के डैने पर 
कील की तरह गडी हुई मेरी कविताएं

और तुम्हारे मन के समंदर में
हृदय के अतल अथाह में समाकर
शब्दों के मोती संजोए रखूंगा

जिसमें तुम्हारे स्नेह का अर्थ
गीत बनकर हर ज़ुबान पे तैरता रहेगा

तुम मेरे गीतों का प्रगति बिंदु हो
जिसकी धुरी पर परिक्रमा करते हुए
प्रेम और निष्ठा का मर्म मैं समझता रहूंगा।। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 6, 2023

मन के भीतर बहुत कुछ है 
उजाले है अँधेरे हैं
कभी उजाले ने अँधेरे को तो 
कभी अँधेरे उजालों को घेरे हैं।

कहीं कल्पनाओं के समतल मैदान हैं
कहीं यथार्थ के रेगिस्तान हैं
कहीं आवश्यकताओं के जंगल हैं
कहीं विचारों के जड़ जंगम हैं
तो कहीं असफलताओं के वीरान हैं।

आकांक्षाओं के ऊँचे ऊँचे पहाड़ हैं शिखर हैं
कहीं संतुष्टि के पठार तो कहीं असंतुष्टि के गाढ़े हैं
कहीं दुःखों का अगाध सिंधु कहीं पीड़ा की नदियाँ हैं
इस मन में यादें आती हैं गुदगुदाती हैं हँसाती हैं
खुशी भर जाती हैं मन को खुजलाती हैं
और कभी कभी पुरानी व्रीणा की पीणा उकसाती हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 5, 2023

जब से कहा है तुमने मत लिखो 
मुझे तुम्हारी कविताओं में

तब से जिक्र होता है
सिर्फ दिल में तेरे होने का

तुम तो बह जाती हो
आंसु बनकर मुझमें से

बताओं ना ?
तुम कैसे समझाती हो तुम्हारी हॅंसी को
जब-जब भी होठों पर आती होगी!

वहीं तो है मेरा प्रेम
जो अब भी तुझमें है !

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 4, 2023

देह शैली,अब विषैली, आलस बढ़ा,व्याधि फैली।
निरोग तभी,मानव जाति, योगा करे, कपालभाति।

स्मरण शक्ति, बढ़ती बुद्धि, योग करता मन की शुद्धि।
रहती सदा, शुद्ध आत्मा, व्याधियों का,जड़ी खात्मा।

जन जो करे, कर्म योगी, मनवा चंगा, तन निरोगी।
तनाव मुक्त, मिले ऊर्जा, लगे न दाम, न ही खर्चा।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 1, 2023

प्रतीक्षा से निरंतर थकित मन को
एक समय बीत जाने के बाद
कितना भी पुकारों शब्द अर्थहीन हो जाते है

कष्ट में सहारे के लिए
दिये गए हाथों को सहारा न दिया
तब एक समय बीत जाने के बाद
कितना भी  थामों अवलंबन अर्थहीन हो जाते है

फिर गालों तक बह गये अश्रु के लिए
डबडबायी आँखों को देख न पाये
तब एक समय बीत जाने के बाद
कितना भी अश्रु बहालो संवेदनाएं अर्थहीन हो जाते है

प्रेम में पुकारें स्वरों को अनसुना कर 
प्रति उत्तर न कर पाये
तब एक समय बीत जाने के बाद
कितना भी मनुहार करों भावनाएं अर्थहीन हो जाती हैं।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 30, 2023

तुम्हारे साथ चलना उम्र भर मुमकिन नहीं लेकिन
अगर मेरी जरुरत हो मुझे आवाज दे बुला लेना।

मैं चल कर आऊंगा तुम तक ये मेरा तुमसे वादा है
इशारों से बुला लेना सहारा फिर बना लेना।

अभी आबाद है तेरा जहाँ रुसवा न करूँगा
मुझे बर्बाद भी कर दो अगर शिकवा ना करूँगा।

अँधेरा जब कभी हो जाये राहे ज़िन्दगानी में
ये दिल कदमों में हाजिर है जहाँ चाहे जला लेना।

जो लहराता रहा अक्सर जिसे मैं प्यार करता था
मेरी इस आखिरी ख्वाहिश का मैं इज़हार करता था।

अगर कोई दाग लग जाये तेरे बेदाग आँचल पर
मेरे अश्कों से धो लेना दोबारा फिर सजा लेना।

सुना है दूर जाने पर किनारे छूट जाते हैं
सभी अपने पराये और सहारे टूट जाते हैं।

ये दुनियां डूबने पर कल तुम्हें मजबूर कर दे तो
मुझे कश्ती समझना या किनारा फिर बना लेना।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 29, 2023

भोर की सुन्दर सुनहरी
खिलखिलाती धूप फैली
शाम ढलते ही ये अलसाये नयन
हम क्या करें
दिवस के हलचल भरे
नित ख्वाब आंखों में लिये
न थके,न कभी हारे
बस अनवरत चलते रहे
अनगिनत सपने हमारे
पूर्ण करने की अथक,चाहत लिये
बन पथिक चलते रहे
साँझ ढलते ही थकन से
अंग ये बोझिल हुए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 27, 2023

पैर थक कर चूर हो गए कहने लगे 
अब विश्राम करना चाहिए
आँखों ने सुना तो तुरंत बोली हम तो नहीं थके 
बस पानी के कुछ छींटे डाल दो 
पर चलना बंद मत करो

जूतों ने सुना तो बोले 
अभी से थकने की बात ही क्यों करी ?
मैं तो बिना थके जितना अब तक चले 
उससे भी अधिक चल सकता हूँ!

कान बोले जैसा सब कहे 
वैसा ही कर लो मुझे सब मंज़ूर है
गला बीच में बोल उठा 
प्यास लग रही है थोड़ा सा पानी पिला दो 
थोड़ा विश्राम कर लो फिर चलना प्रारम्भ कर दो

ह्रदय बोला रुकेंगे नहीं 
मुझे प्रियतम से मिलने की ज़ल्दी है
सब की बात सुन कर मन बोला,
सब्र रखो हम सब एक परिवार के सदस्य हैं

ध्यान से सोचो थके मांदे ह्रदय को देख 
प्रियतम खुश नहीं होगी
आँखें गंतव्य पर पहुँच कर थकान से 
नींद की गोद में पहुँच जायेंगी

रही जूतों की बात उन्हें तो 
अधिक चलने की आदत है
तो किसी का भी भला नहीं होगा
गले की प्यास बुझा कर 
थोड़ा विश्राम कर लेते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 26, 2023

हम बहुत दूर निकल आये हैं चलते_चलते
आओ ठहर जायें कहीं शाम के ढलते_ढलते

दूर वादी है तो थोड़ा सुकूँ भी ले लें
चांद पूनो का चलो देखेंगे हंसते_हंसते

मखमली घास के बिस्तर पे झुका थोड़ा फ़लक
चांदनी हौले से सहला गयी डरते_डरते

गुजरते वख़्त के संग कहकशाँ ने दी ये दुआ
हवा के झोंके भी जो आयें तो झुकते_झुकते

शफ़क़ की लाली ने दस्तक की है कुछ सोच समझकर
लबों पे आयी जो शबनम वहभी रुकते_रुकते

इन उजालों में दिखी है हमें वादी की झलक
मीत नग़मों की तरह पहुंचें वहाँ गाते सुनते

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 25, 2023

मैं और मेरी कलम... हम दोनों हमजोली हैं
ये ही मेरी सच्ची दोस्त... ये ही मेरी सहेली है
 
मेरी हर खुशी में...ये मेरा साथ निभाती है
ज़ज्बातो में ढल कर.. नयी रचना कर जाती है

गर मन होता उदास तो.. ये भी गमगीन हो जाती है 
अश्कों में भीगी.... कोई कविता गढ़ जाती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
दरख्तो में बैठ कर हम तुम्हे निहारते रह गए
अपनी खव्वाबगाह में तुम्हे तलाशते रह गए

गुजर गई है कई राते हमारी तुम्हारे बिन
तुम्हारी याद में हम शमा जलाते रह गए

अपने ख्वाबो मे तुम्हे तलाशते रह गए
न जाने क्यों हम तुमसे दिल लगाते रह गए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 24, 2023

हर पल मेघ नयन के बरसे।
तुम्हें देखने को जी तरसे।।

तेरी तलब लिए नजरों में।
रोज निकलते हैं हम घर से।।

छूट गया हमसे जीना तक।
इक तुमको खोने के डर से।।

कभी तो हमको मना लिया कर।
हम रूठे रूठे हैं कब से।।

लिखते हैं तन्हाई में तुमको।
छोड़ गईं तुम हमको जब से।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 23, 2023

झिलमिलाते दो नयन ये खींच लाए हैं कहां,
क्या है सच और क्या भरम कुछ सोच ना पाएं जहां,

कौन है जो व्यथित मन की ऐसी पीड़ा को हरे,
इक तुम्हारी चाहना है सागर हम कैसे धरे,,,

अधखुले नयनों से बोलो अश्रु हम कब तक बहाएं,
इस ह्रदय में जल रही अग्नि को हम कैसे बुझाएं,

डोर जब से बांध ली हमने सहज अनुराग वाली
सोम को पाकर गरल में किस तरह जीवन बिताएं,

टूटकर पतझड़ में जैसे पात रह रह के झरे,
इक तुम्हारी चाहना है सागर हम कैसे धरे,,,

मंदिरों में सिर झुकाया तब तुम्हें हमने था पाया,
भाग्य था कितना प्रबल लेकर तुम्हारे द्वार आया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 22, 2023

हम दो अजनबी यूं ही अचानक
कहीं आमने सामने जब हो गए थे ।
नजरों से नजरें मिली तब हमारे
चारों तरफ सब नजारे बदल गए थे।।

आपके वह भोली सी मुस्कान मेरे
दिल तड़पा के धड़कने बढ़ा दीये थे।
पहली मुलाकात का वह जज्बात 
इजहार-ए-मोहब्बत बयां करदिए थे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, May 21, 2023

देखा तुम्हे,नज़र फिर कहाँ हटने वाली
वही नज़ाकत,वही अदा,इठलाने वाली
बिन तारों के छेड़ती है,ग़ज़ल मतवाली
अपलक सौंदर्य की मेनका,स्वर्ग वाली
मुखड़ा छुपाती,लट बलखाती घुंघराली
उमड़ती घुमड़ती बदली हो, काली काली
कहती तेरे गालो की ये,सुर्ख सी लाली
बस अब नई सुबह है,जैसे होने ही वाली
कपकपाते अधर, होले से कुछ कहने वाली ,
हे कली अब कमल की, कोई खिलने वाली l
ठुमकी चाल,बलखाती आँचल लहराने वाली ,
यूँ लगे, लदी फूलों की हो कोई नाज़ुक डाली l
नयन कटीले कमान, तीखे तीखे बाणों वाली ,
सुध बुध खो, घायल कर, मन को हरने वाली l
नाज़ुक कलाई है, अब तब लचकने ही वाली ,
थाम लूँ बांह तेरी मैं, अब मन ललचाने वाली l
नख शिख भाव विभाव, मूरत सुंदरता वाली ,
दिखती ये तो वही कल्पना,मेरी कविता वाली l
कैसे काबू करें कवि, मन अब तो हरने वाली ,
मेरे मन की नायिका, अब मुझे मिलने वाली l

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 20, 2023

ओ रंग-बिरंगी तितलियों
मेरे सपनों को
अपने परों का रंग देकर
कहाँ खो गईं तुम?

काश! तुम दोबारा दिखती कहीं
यूँ ही किसी फूल को चूमती हुई
डाली-डाली झूलती हुई
फिर से आओ ना
मेरे मन-आँगन में

किसी क्षणिक खुशी का स्वरूप लेकर
पर अबकी जब मिलना
सिर्फ रंगत ही देना अपनी
मधुरता मत देना!

कि टूट जाता है
जरा सी बात पर
मेरे हृदय को अपने पंखों की
कोमलता मत देना !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 19, 2023

तुम ख़ुश्बू हो,जिस आँचल में बिखरोगे गन्ध लुटाओगे
मेरी पंखुरियों से बँध कर केवल मुझतक रह जाओगे 

इतिहास सँवारोगे या फिर आने वाला कल देखोगे
खुशियों की मांग भरोगे या ये बहता काजल देखोगे

तुम पर है,पा लोगे कोई सतरंगी सपना नैनों में
या फिर काजल के घेरे में बंदी गंगाजल देखोगे

मैं भूला-भटका रस्ता हूँ,क्या पाओगे मुझ तक आकर
उस पथ को पूजा जाएगा तुम जिस पर चरण बढ़ाओगे 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 18, 2023

लेखनी से नित नया संसार रचता हूँ
चाँद सागर के मिलन का ज्वार रचता हूँ

और लहरों का मचलना साँझ का ढलना
रंग गहरे आस के भर प्यार रचता हूँ

भोर का स्वागत सदा सत्कार रजनी का
रोज़ आशा का नया उजियार रचता हूँ

हीर रांझा की कथा,महिवाल के क़िस्से
नित नए विश्वास से अभिसार रचता हूँ

कामना सब की कभी होती कहाँ पूरी
हो सके सम्भव वही आधार रचता हूँ

कोसने से रात को होता नहीं कुछ हल
एक दीपक को जला उपचार रचता हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 17, 2023

बहुत खूबसूरत लगती हो मुझे,तुम जैसी भी हो।
अंधेरी रात में तुम चमकते माहताब सी लगती हो।

लिख दूं मैं, कि तुम एक गहरा सुकून हो मेरे लिए।
तुम मेरी ज़िन्दगी का आंखरी,जुनून हो मेरे लिए।

तुम पढ़ कर समझ सको तो बहुत कुछ लिख दूं मैं।
दिल को ज़िंदा रखा है जिसने वो खून हो मेरे लिए।

लिख दूं मैं, इश्क़,मोहब्बत,प्यार किसे कहते हैं।
मीठा सा लगता है जो वो इंतज़ार किसे कहते हैं।

यहां पास रहकर भी यकीं नहीं होता किसी पर।
क्या लिख दूं मैं यकीं और एतबार किसे कहते हैं।

लिख दूं मैं, कि तुम खिलते गुलाब सी लगती हो।
जो देखा मैंने, तुम उस हसीं ख्वाब सी लगती हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 16, 2023

कविता के बारे में सबके भिन्न विचार होते है 
तो मैंने भी कोशिश की,कविता क्या होती है

वो निकल पड़ी है पर्वत से,,कुछ चंचल सी कुछ निर्मल सी
सागर से मिलने की आस लिए,,वो सूखी धरा भिगोती है,,
शायद यही तो कविता होती है,,,,,,,

कभी वीररस का उन्माद लिए,कभी श्रृंगारों के सावन में
विरह गीत के बीहड़ में,वो तन्हाई में रोती है

बेचैनी के मरुस्थल में,रेतोंका तूफ़ान लिए
एक अनबुझी प्यास है,अश्कों से लबको भिगोती है

कभी दर्द भरे किसी नग्में में,कभी तन्हाई की गज़लोंमें
एक अनसुलझे से धागे में,प्रेम के मोती पिरोती है

कोसों दूर है निंदिया से,सुबह शाम का होश नहीं
वो मखमल के बिस्तर पर भी,आँखें खोले सोती है

कभी अंधेरों से घबराकर,आवाज दे बुलाती है
यादो की बाती में लिपटी,एक अमर प्रेम की ज्योती है

कोशिश तो मैंने भी की,कुछ प्रणय,बिखेरु कागज पर
रंग बिरंगे कागज़ थे,बस कलम पास नहीं होती है,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 13, 2023

ये हवायें महकी और निर्मल हो गई 
कल तुम्हारे पांव छू के रेत चंदन हो गई 

अंग_अंग पंक्तियों का भाव से परिपूर्ण
बूंद बूंद प्रेममय है तुम निरंतर बहती सविता
है शिखर तुम में समाहित घाटियां तुम में बसी

ये है मेरा विश्वास प्रियतमा तेरे सा कोई नही
तेरी सांसों को छू मेरी सांसें उपवन हो गई 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 12, 2023

एक यौवन चंचला प्रणय रस वत्सला
कलिका अंगड़ाइयाँ तन छुए भ्रामरा।

झूमती नव गगन ढूँढ़े अपना सजन
मेघों की क्रीड़ा में मस्त वासंती मन।

शाम कुछ मधुर शीत बन गई मन का मीत
पग बढ़े मय के घर लेकर जीवन संगीत।

रंग अनगिन लिये मन में जलते दिये
उर की धड़कन बढ़ी नव प्रणय तू प्रिये।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 11, 2023

प्रणय पुष्प ले साँवरी एक हवा
बावरी सी निड़र धीरे से जब छुआ।

एक कंपन हुआ तन बदन हिल गया
थोड़ी सिहरन हुई मन भी चंचल हुआ।

कोकिला कूक सी भीना संगीत रंग
अधरों की लालिमा और मलय सुवासित गंध।

एक विहरन का मन थे व्यथित दो नयन
तन की अंगड़ाइयाँ थी वासंती छुवन।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 9, 2023

पूजता हूं तुम्हें मन के मंदिर में मैं
मन की मंदिर की मूरत बना बैठा हूं।

काम जीवन में मेरे बहुत है मगर
प्रीत की तुझ से आदत लगा बैठा हूं।

नींद मेरी गई,याद करके तुझे
तू वहां चैन से ऐसे सोती रही।

न भी बोले मगर,मैं समझता हूं सब
बोलने की तुम्हें कुछ जरूरत नहीं।

तू है आंगन मेरी,मैं तेरे द्वार हूं 
भाव से अपना आंगन सजा बैठा हूं

तारे गिन के गुजर जाएगी रात भी
बस! तुम्हें चैन की,नींद आती रहे

प्रेम इजहार करने को बेताब सब
बस!मेरा प्रेम,तेरे लिए है सदा

है यह रिश्ता नहीं इस जन्म का प्रिय
सात जन्मों की वादा,निभा बैठा हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 3, 2023

कैसे कह दूं? 
कि तुम मेरे साथ नहीं हो मेरे आस पास नहीं हो
मेरे एहसास में, मेरी हर बात में, 
मेरे जज़्बात में, मेरी हर जिद्द में

रूठने में,मान जानें में, मेरी सुबह में, मेरी शाम में
मेरे दिन में,मेरी रात में, मेरी नींद में ,मेरे ख्वाब में

जगती-सोती हुई आंखों में
जोर-जोर से धड़कती हुई धड़कन में।
बताओ कहाँ नहीं हो तुम?

नसों में घुलते इश्क से महसूस होते हो
हर पल हर वक़्त तुम मेरे नज़दीक होते हो।

मेरी हर ग़ज़ल, मेरी हर नज्म में, लिखे गए हर शब्द में,
रोम रोम में,मेरी रूह में, मेरे मन में,मेरी आत्मा में,
बताओ कहाँ नहीं हो तुम? 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 2, 2023

कितने सुंदर सितारे हैं, तुम बिन जलाए सारे हैं
धड़का जाती है जिया, जब ठंडी हवा हमें पुकारे हैं

झुलसा रही है चाँदनी, पास नहीं तुम्हें पाते हैं
जाऊँ तन्हा कभी चमन में, भँवरा कली मुझे चिढ़ाते हैं

आसमां पर लिख तेरा नाम, बादल देखो हमें भरमाते हैं
पानी सभी अगन बुझाए, मुझको ही क्यों सुलगाते हैं

मैं तेरा पगलू ए अजनबी, तुम ही तो मेरे नजारे हो 
बाँहें पसारे खडा हूँ राह में, यह जीवन तुम्हारे हवाले हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 1, 2023

कलम आज मुझसे सवाल करती है
कमबख्त मेरे दिल का हाल लिखती है

कहता हूं इसे तू सिर्फ इश्क लिखा कर
पर ये हंसी के पीछे का दर्द लिखती है

कहता हूं छुपा लो एहसासों को तुम
पर रात जो अश्क बहे वो लिख देती है

जर्रा जर्रा आंखों का हाल लिखती है
मेरे रोते दिल का अफसाना लिखती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 29, 2023

बहुत खूबसूरत हो तुम,
मेरी रूह के रहनुमा रहगुजर
दिल की दौलत, सांसों के स्वर
भटके मुसाफिर की मुकम्मल डगर
मेरी धडकनो की जरूरत हो तुम

संगतराशो की फनकारी के फन से निकल कर
नक्काशी की जद-हद से बाहर निकलकर
करिश्मों के जलवे से आगे निकल कर
खुद से तराशी हुई अजंता की मूरत हो तुम। 

चाँदनी में नहाई बदन की रंगावट लिए
केसर की क्यारीयों सी सजावट लिए
किसी अप्सरा सी मचलती बनावट लिए
मेरे जिंदा सफर की मुहूर्त हो तुम

महकते गुलाबी बगीचों की खुशबू समेटे हुए
खिलखिलाती सुबह की लिखावट लपेटे हुए
सुरमई सांझ का मौसम सुहाना सहेजे हुए
कल्पनाओं के सागर की सूरत हो तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 26, 2023

मैं तो जनम जनम का जोगी
मेरा पंथ निहारो मत
जगती के इस बियाबान में
मुझको सखे पुकारो मत

टूट चुका हूं कितनी बारी
डूब चुका हूं होकर भारी
भागदौड़ के खेल खेलकर
ऊब चुका दुनियां से सारी
तुम इन नेह भरी बातों से
मुझको सखे दुलारो मत ।।

धड से जुड कर मूल हुआ हूं
ठूंठ में खिल कर फूल हुआ हूं
अपनी ही छाया को छूकर
खुद में ही मशगूल हुआ हूं
मेरी भूल,भूल रहने दो
उसको सखे सुधारो मत

सबके चेहरे जान चुका हूं
सबके कहने मान चुका हूं
सच्ची–झूठी,असली नकली
हर सूरत पहचान चुका हूं
मैं तो काला सही सखे
तुम मुझको उजियारो मानो मत।

सागर गहरे, दरिया बहरे 
उन पर हैं लहरों के पहरे
कैसे जूझें जलधारों से
सखे हमारे बदन इकहरे 
मैं तो मांझी नहीं सखे 
गहरे में मुझे उतारो मत ।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 25, 2023

झलकता प्यार है कितना,तुम्हारी इन अदाओं में
कभी चलते हैं हम दोनों, समंदर के किनारों पे 

चली आओ कहाँ हो तुम,हर इक धड़कन बुलाती है
तुम्हारी याद की ख़ुशबू घुली है,इन फ़ज़ाओं में

कहीं पे नाम लिक्खा हो,कहीं हो दास्ताँ लिक्खी
निशानी प्यार की ढूँढें,कहीं हम इन शिलाओं में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 23, 2023

पांव  धरे क्या घर में तुमने,
भाग्य हमारे.संवर रहे हैं
ऐसा लगता है धरती पर,
चाँद सितारे उतर रहे हैं 
युगो_युगों से दीप जलाकर,
हमने तेरे पंथ_निहारे
जनम_जनम के मास-बरस क्या,
दिवस-दिवस बीते बंजारे
श्वासों के हर गीत-छन्द में,
सुरभित थे अनुराग तुम्हारे
जमाने में कोई भी तुम सा नहीं है
तुम्हारे सिवा मेरा कुछ भी नहीं है
तू जो है दिल में तो दुनिया हँसी है
तुम्हारे सिवा मेरा कुछ भी नहीं है

घड़ी दो घड़ी का नहीं साथ मेरा
युगों_युगों का है तेरा-मेरा फेरा
जब तक हैं ये चाँद तारे ज़हाँ में
हमारा-तुम्हारा रहेगा ये डेरा

Saturday, April 22, 2023

जग छुट जाये,
प्रीत न टूटे,
कैसे कहूं मेरी प्यास तु ही।
सपना टूटे तो टुट जाये,
मेरे मन की मुराद तु ही ।।

इक पल देखूं,
जनम_जनम तक,
साजन तुझको ही देखूं।
बांहों में भरकर मैं देखूं,
सपने तेरे देख सकूं।।

छतरी बन जा,
मेरे सिर की,
कोई न मुझको तू पाये।
कोई पास न आये मेरे,
गर आये तू ही आये।।

बन्धन तुझसे बांध लिया है,
जग छोड़ूं या
रव छोड़ूं।
तू कह दे तो तुझको पाकर,
मैं अपना जीवन छोड़ू।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुम्हारी यादों में मेरा जीवन शेष
यादें ही रह गई धरोहर रूप में
तेरी मेरी कहानी आज भी विशेष पर
जब तक जीवन शेष यादें रहेंगी विशेष
यादों के ढेर में दबी कुछ स्मृतियां
अनवरत ही दिखती हैं चित्र में
बस यही तो अब बचा है मेरे समक्ष शेष
जब तक जीवन शेष यादें रहेंगी विशेष

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 20, 2023

एक उदास सा 
तूफान खड़ा था उस तट पर 
एक कोमल सी लहर 
बिछी थी
सागर के हृदय पर,
चलो शून्य से 
शुरू करते हैं हम 
जो भूला उसको जाने दो 
याद रहा उसको भी
रहने दो,
ये दौर झंझावातों का है
मैं थाम लूंगा तुम्हारा हाथ 
हवाओं के वेग में,
तुम भी मत छोड़ना 
अंगुली मेरी 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
शून्य था मैं अब अंक हो गया,तुमसे मिलकर साजन
तुम क्या आए जीवन में हर एक दिन हो गया पावन।

अंक-शून्य जब मिलते हो,जैसे क्षितिज लगे है
पूर्ण चंद्रमा,चमक चांदनी गगन में यूं फैले है।

मन तरंग अब ढूंढे तुमको, जब से थामा दामन
जो मन कुंठित हो बैठा था,खिला वो मन का आंगन।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 19, 2023

सर्द जनवरी की सुबह बेठा हूँ....
एक कप चाय के साथ तुम्हारी स्मृतियों की शाल ओढे...

सेंक रहाँ हूँ अपने सर्द
अहसास तुम्हारे ख्यालों की अलाव में..

जला देना चाहता हूँ सारे गिले शिकवों की गठरी,
तुम्हारे आलिंगन से धधकती गर्म सासों की भट्ठी में..

डाल देना चाहता हूँ एक स्नेह कम्बल
तुम्हारे और अपने ठिठुरते रिश्तों की जिस्म पर 

जी लेना चाहता हूँ तुम्हारा प्रेम
फिर से एक बार तुम्हारे साथ तुम्हारा होकर 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
किसको खबर है देखता राह कब किस भेष में
चिर प्रतीक्षित कामनाएं द्वार बैठी तक रहीं।

दर्द की हैं गूंजती खामोशियां वीरानों में
ज़िंदा निशानी प्रेम की दीवार में हैं चिन रही।

थी विगत में खेलती अठखेलियां मकानों में
मृत कुमारी देह सी शमशान में है जल रही।

हौसलों की सीढ़ियां सपनों की कब्रगाह हैं
कतरा कतरा रूह भी बर्फ बन पिघल रही।

स्मृतियां गुमनाम सी लिपटी दरो दीवारों से
मुक्ति हो जिय त्राण से बैठी प्रतीक्षा कर रही।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 18, 2023

मेरे प्यार की
अधूरी कहानी में
अनकही सी बातों में
तनहा दिल की गहराईओं में
बस तुम ही तुम हो!
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें!

खुशनुमा मौसम की
रंगीन रवानियों में, ऊँचे ऊँचे पेड़ों से
टकराकर आती हवाओं में
 सुर्ख वादियों में
 बस तुम ही तुम हो!
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें!

मेरी ज़िन्दगी की 
बन्द किताब में 
उसके हर इक पन्ने में
उस पर लिखे हर इक शब्द के अर्थ में 
बस तुम ही तुम हो !
बोलो तुम
तुम्हे कैसे बतायें !

मीत मेरे 
सांसों की लय में
प्रीत_पले 
गीत में
मेरी नब्ज की आवाज में 
बस तुम ही तुम हो !
बोलो तुम 
तुम्हे कैसे बतायें!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 16, 2023

भर रही जो गीत में गुंजन मधुर मुस्कान तेरी
क्या पता कल किन अभागे आंसुओं में डूब जाये,
 
यह खिली चम्पाकली की गंध सी चितवन सजीली
यह भ्रमर के छंद सी उन्मुक्त स्वर-बन्सी सुरीली

यह पवन के साथ हिलमिल खेलती सी चपल चूनर
यह थिरकती चाल जिस पर हों निछावर नृत्य-झूमर

लाज के पट खोल हंसती ये निपट नटखट भ्रकुटियाँ
ये पुलकते शब्द जैसे झर रहे हों नेह-निर्झर,

प्रेरणाओं को निमंत्रण दे रहे ये नयन तेरे
क्या पता कल,स्वयं वह कितने सजल सावन बहाये,

कौन से ये मेघ जाने फ़िर गगन में छा रहे हैं
ये सुखद संयोग के क्षण बीतते ही जा रहे हैं,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 14, 2023

सद्य स्नाता नव युवती, चहके चारों ओर।
झर-झर झरता नीर जब, दिल में उठे हिलोर।।

चटक चंद्रिका चहकी, प्रियतम चाँद चकोर।
दिशाएँ चारों चमकतीं, चाहत का ना छोर।।

दिन में दमके दामिनी, दमक-दमक दमदार।
दहके-दहके जब जिया, दिल में जगे करार।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
ममता मोह माया मन मित मिलन
चंदन चितवन चकोर चाहत चाह
गुंजन गीत गुण गागर गेह गती गो
यावत यौवन याद योजन यकायक
दैनिक दैदिप्यमान दैवत दीदार देत
शब्द शहद शौकीन शीशुसम शेष शामल
रौनके रोजकी राज्ञीसम राह रेखांकित
बाबुल बलीदान बलीहारी बावलु बहु
तम तृष्णा तथागत तीलक तैतील तुरंत

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 13, 2023

तू अपने दिव्य वेग से, असँख्य पथ बना रही
ध्वनि है छंद युक्त तेरी, असँख्य रूप वाहिनी

तू शैलजा,पयस्विनी, तू जीव प्राणदायिनी
बना के तू प्रिये सखी, पवन को संग ला रही

तू सरयू है बनी कहीं, तू सूर्यजा सी बह रही
जहाँ हैं श्याम खेले गेंद, तू पूर्णता को प्राप्त कर
है सिन्धु में समा रही

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
हिम किरीट से निकल,
तू हिमतरंगिणी बनी।
सकल धरा को चूमकर,
तू है विहंगिणी बनी।

स्वतंत्र तंत्र से निकल,
अजंत पथ तू आ रही।
सुमन लिए कलम मेरी,
है प्रार्थ तेरी गा रही।

तुषार हार रूप में,
तू शुभ्रा है, तू निर्झरी।
दरस तेरा ही पाने को,
वह झुक गई है मंजरी।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 12, 2023

तुम्हारी झील सी आँखों में डूब 
मैं गीत लिखता हूँ,

तुम्हारी नीली आँखों में तैर
मैं प्रीत लिखता हूँ।

तुम्हारे कमनीय कलामय हाथ
सदा देते हैं मेरा साथ

तुम्हारे निर्झर से लहराते केश
भुला देते मुझको मेरा भेष

इन्हीं में खोकर मैं तकदीर से मिलता हूँ
तुम्हारी झील सी आँखों में डूब....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 10, 2023

मोम हैं हम मगर यूँ पिघलते नहीं
इस जमाने के साँचे में ढलते नही

जीवन कश्ती की परवा करें क्यूँ भला
मौजों के हम इशारों पे चलते नहीं

चाहो तुम परख लो कभी भी हमें
वक़्त कैसा भी हो हम बदलते नहीं

चढ़े देव में,अर्थी में,या गुँथे सेहरे में
गुल कभी अपनी ख़ुशबू बदलते नही

आन के ही लिए है समर्पित यह तन
हम जयचंदों के सायें में पलते नहीं

प्रेम करना है तो सबसे निःस्वार्थ कर
स्वार्थ के दीप ज्यादा दिन जलते नहीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 9, 2023

मेरी जान तुझसे न शिकवा करेंगे
कभी इश्क को हम न रुसवा करेंगे

सजायेंगे ख्वाबों के सुनहरे हिंडोले
पकड़ हाथ हम उसमें झूला करेंगे

धड़कनें मिल जाएंगी धड़कनों से 
मधुर गीत सांसों के सुना करेंगे

कश्मकश रहे कोई ना जिंदगी में 
ऊपरवाले से हम यह दुआ करेंगे

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 8, 2023

प्रेम ह्रदय की पुकार है व्यापार नहीं
दो दिलों का सरोकार है जीत हार नहीं

जीवन में मिल जाता है स्नेह कभी कभी
राह चलते मिल जाते हैं स्नेही जब कभी

प्रेम सागर सा गहरा है जिसका पारावार नहीं
लहरों पर यूँ ही बढ़ता बिन माँझी पतवार कहीं

बड़ी कोमल होती है डोर सँभाले रखना
टूट भी जाये जो लगे जोर गाँठ बचाये रखना।

होती  नहीं  मिठास  गन्ने  के जोड़ में
नरम हो जाते हैं धागे भी गठजोड़ मे।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 7, 2023

तुम पावन गंगा की निर्मल धार बनो
मै प्रेम रज कण से स्वप्न तेरे सजाऊं।।

तुम मेरे ह्रदग्नि शिखा की लौ बनो
मै तेरे जीवन की बाती बन जाऊं।।

ये लावण्य रूप तेरा भाता है मुझे
अंश तेरे मन का बन इतराऊँ।।

सुनना है मेरी ह्रयय व्याकुलता
तो अपना मै प्रेम काव्य दुहराऊं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 6, 2023

काव्य निर्झरिणी तेरा ह्रदय है प्रिये
जिसमें संगीत धड़कन से आने लगी
गीत होंठों से जब तेरे निकला यहाँ
मेरे दिल की कली मुस्कराने लगी

होंठ मखमली गुलाबी कमल हैं प्रिये
जिनसे लफ्ज़ों में खुशबू सी आने लगी
तेरे सांसों से सरगम की धारा बही
धड़कनें मेरी कविता सुनाने लगी

आसमाँ में जो छायी है काली घटा
तेरी ज़ुल्फ़ों की है वो पुरानी अदा
ज़ुल्फ़ विखराने से शबनम मोती गिरे
आँखों में गिरके वो बन गयी मयकदा

तेरी पायल जो छम-छम बजी पांव में
वादियों में है सरगम बहार आ गयी
स्नेह अनुपम तुम्हारे ह्रदय का मिला
उसकी झंकार दिल के करीब आ गयी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 5, 2023

तुम गीत बनो मेरे सुर संग्रह की 
तो मै बांसुरी बन तेरे होठों पर आऊं ।।

तुम धड़कन बनो मेरे दिल की 
तो मैं बिठा पलक तुझे इतराऊं ।।

तुम राह बनो मेरे जीवन की 
तो मै मंजिल तेरी बन जाऊं ।।

तुम ह्रदय मिलन की सेज सजा लो
तो मै प्रेम यज्ञ की समिधा लाऊं।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 3, 2023

कैसे बताऊँ तुमको मैं
मेरी क्या क्या हो तुम
हो पूस की सर्द_रातें
जाड़े की धूप हो तुम

मद्धिम चाँदनी रातों का
मनभावन श्रृंगार हो तुम
फागुन की बसंती बयार
धड़कन की पुकार हो तुम

पूर्णिमा हो शरद की
जेठ की तपन हो तुम
जिंदगी के जतन हो
हो इश्क का खुमार 
जिंदगी का उपहार हो तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
कभी यूं भी हो
कहीं किसी मोड़ पर
मिले हम तुम
तन्हा राहें तन्हा तन्हा हम तुम
बाहों में बाहें डाले
चलते रहे
कहीं किसी नदी के किनारे
तुम्हारी गोद में सर अपना
पानी की कलकल आवाज
गुमसुम हम तुम
#ना_कुछ_कहो_तुम #ना_कुछ_कहें_हम 
बस देखता रहूं मैं तुम्हें
जैसे कोई
चौदहवीं का चांद हो

दिल के कुछ एहसास लिखते है।
आसान शब्दों में कुछ खास लिखते है।।

तुम हो
पता है मुझे.....!!

पर ऐसा भी
इशारा हो कोई.....!!

कोई आहट हो
कि हवा कहे
तुम देखते हो मुझे.....!!

एहसास जीने का एक तू ही है।
मैं तो कुछ नहीं मेरे अंदर तू ही तू है।।

Sunday, April 2, 2023

 ओ यामिनी सुन!
संग_तुम मेरे आज जगना,
मैं निहारूँ चाँद को जब,
तुम प्रणय रस घोल रखना।

चाँद हो जाए न ओझल,
नैन से मेरे सुनो !तुम,
संग_तुम झूमना मेरे
रागिनी गाकर सुनाना।

चाँद में छवि है प्रिये !की
देख लूँ मैं आज जी भर
तुम न अलसाना निशा री!
आज आना अद्य अँगना।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुम_कहो तो सब कुछ लिख दूं क्या?
रक्तिम अधरों का मृदु मिलन
स्वप्निल बाहों का आलिंगन
लक्ष्मण रेखा का परिलंघन
वे सारी बातें लिख दूं क्या
मदमाता था यौवन तेरा
स्वप्निल आंखों का था फेरा
तुम बाहों में मेरी खो गई थी
मैं भी तो तुम में खो गया था
तुम_कहो तो सब कुछ लिख दूं क्या ?

Saturday, April 1, 2023

सुनो,,
तुम वही हो,
जिसे मैं चाहूं अपने आस पास
सांझ ढले,,,,जब पंछी लौट आएं
अपने आशियानों में,
और मैं तुम्हारे खूबसूरत
अल्फाजों में ,,,,
ढूंढूं अपना वजूद कहीं
तुम्हारी कल्पनाओं में,,
ये जानते हुए भी कि
वास्तव में ये मैं नहीं हूं,,,
हो भी नहीं सकता ,
क्योंकि कल्पना जितनी
सुकून देती है,,वास्तविकता
ठीक उसके विपरीत डराती है,,
इसलिए मैं रहना चाहता हूं,,
तुम्हारी लेखनी में हमेशा

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 27, 2023

सोए हुए कुछ शब्दों को,झिंझोड़ कर
अपने बचे खुचे हृदय को,निचोड़ कर

शीत लहर ओढ़े,नदी किनारे बिसुरती हुई
मैंने इक कविता लिखी है,ठिठुरती हुई

रखना होगा तापमान को,शून्य से नीचे
कहीं पिघल ना जाएं,दर्द के बगीचे

तुम्हारी सुधि के अलाव,कहां तक जलाएं
विरह के सागर से उठती हैं,सर्द हवाएं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
बड़ी फुर्सत से आए तुम चलो इक चाय हो जाए
कहाॅं थे इतने दिन तुम गुम चलो इक चाय हो जाए

पुराने हो चुके रिश्तों में डालो तुम नई इक जाॅं
न बैठो यैसे तुम गुम सुम चलो इक चाय हो जाए

नई रंगत नई खुशबू फिज़ा भी सर्द थोड़ी है
मिलें मुद्दत में हम तुम चलो इक चाय हो जाए

हसी मौसम जवॉं है रूत बारिश हो रही मध्यम।
है चाहत का कलर कुमकुम चलो इक चाय हो जाए।।

किचन में फैली भीनी-भीनी सी उस चाय की खुशबू।
हिलाते दोस्त आए दुम चलो इक चाय हो जाए।।

नशे में झूमती है #शांडिल्य  देखो आज पुरवाई।
तेरे लब है या कोई ख़ुम चलो इक चाय हो जाए।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 23, 2023

मैं आग हूं न खेलो तुम यूं मुझसे ..
पास आते ही तुम जल जाओगी ..

जहर सी है देखो मुस्कुराहट मेरी ..
पीते ही तुम मुझे पिघल जाओगी ..

कैद कर लूं गर , तुम्हें रौशनी में मैं ..
फिर भी शाम में तुम ढल जाओगी ..

गर आँखों में बसा लूं ज़ाम की तरह ..
तो आँसू बनकर , तुम बह जाओगी ..

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 13, 2023

जीवन के मकरंद में, तुम हो खिला गुलाब
शर्माता मुखड़ा सनम,लगे ग़जब महताब

बाँकी चाल हिरनी सम,पायल की झंकार
चंचल चहके चहुँ ओर,वदन लगे रुखसार

अधर सरस रसमाधुरी,नैनन करती वार
गोरी तेरे रूप पर, मोहित हुए हजार

कत्ल करें अलकें सनम,नागिन-सी लहराय
रैन-दिवस को भूलकर, चीर कलेजा जाय

घुँघराली अलकें घनी,चूमें लाल कपोल
नाजुक-सा तेरा बदन,चंचल मीठे बोल

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 12, 2023

मैं बहता हूं दरिया सा
तू इश्क की नदी सी

मैं कल कल करता शोर सही
तू बहती प्रेम सरिता सी

मैं बरसता बादल सा
तू नाचती मोरनी सी

मैं राग छेड़ता सावन सा
तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी

आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का
गीत गजल नज्म जो भी हो वो

सरगम हो वो बस तेरे मेरे प्रेम का

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 10, 2023

रुक जाओ तो बहक जाऊं मैं
आज सरे बज्म महक जाऊं मैं

तेरे चांद से मुख का दीदार कर
आज संवर जाऊं मैं

मुंतजिर हूं तुझसे तन्हा मुलाकात को
चाहत की झुरमुट मे आज निखर जाऊं मैं

चाँद मेरी ना घूर मुझे
कहीं सर्दी में भी न पिघल जाऊं मै

आज रात आ मेरे आग़ोश में
तेरी रंगत में ढल जाऊं मैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 9, 2023

तुम्हें ग़ज़लों का गीत लिखता हूं 
तुम्हें शायर की शायरी लिखता हूं ।

लबों पे लब की प्यास लिखता हूं
मयखाने की पुरानी शराब लिखता हूं ।

शब्दो मे लिखूं तुम्हे वो शब्द ही नही
तुमपर मैं इक पूरी किताब लिखता हूं 

दर्द ए जिगर,दवा बेअसर,तुम्हें
मैं अपने दिल का इलाज लिखता हूं ।

~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, March 7, 2023

चेहरे का नूर है स्वर्ण से साधित।
चक्षु की चंचलता,विह्वल आह्लादित।

नासिका नकबेसर से पूर्ण सुशोभित
तेरे मुखमंडल पर तुम ही हो मोहित।

उभरे हुए गालों पर अल्कें हैं बिखरे।
उतरी हुई लट से ये और अति निखरे।

काले घने जुल्फों से रौशन है स्याही।
रेशम सी कोमल चमकती योगिता सी।

अधर,ओष्ठ कम्पित हर गीत विरहा सी।
थिरके अब प्रेम-राग ओठों पर हाँ सी।

ग्रीवा पर चंद्रहार चन्द्रमा लजाये।
उतरी हुई छाती तक ज्योति बिखराये।

सोने की आभा से गढ़ा हुआ देह।
रोम,रोम कूपों से छूता हुआ नेह।

उन्नत उरोज,बाँह सुगठित सुडौल।
कंधे पर हाथ रख के सुन्दरता खौल।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 5, 2023

याद मिलन की मन_से_मन की जीवन भर पीछा करती है
ऐसा क्यों होता है हम भी मन_ही_मन सोचा करते हैं ।
जब भी मन बेचैन हुआ है दिल ने उनको याद किया है
लेकिन कब किसकी यादों ने घर आंगन आबाद किया है ।
वो कैसे हैं उनके मिलने वालों से पूछा करते हैं।
लेकिन लगता है हाथों में कहीं लकीर नहीं है ऐसी
हाथ में उनके जैसी है मेरे हाथ में भी है वैसी
फिर भी ना जाने क्यों अपने हाथों को देखा करते हैं
जीवन का हर पल कहते हैं केवल रब की ही मरजी है
हम तो मात्र खिलौने भर हैं। अभिलाषा केवल अरजी है
इसीलिए हम बार बार अपने मन को रोका करते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 3, 2023

आ सनम दिल में तेरे प्यार के जज्बे भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

बिखरी बिखरी ये लटें कह रही अफसाने कई
उलझा उलझा सा मेरा दिल है तड़पता इनमे
आ संवारु इन्हें इस मांग में तारे भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

नैन बेचैन तेरे शर्म से खुलती न पलक
बंद कलियों में निकलने को तरसती ज्यों महक
आ इन्हें प्यार करुं प्यारे वो सपने भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

मैं सुनूं लबसे तेरे फिर वही प्यारी सी नजम
देख लूं शर्म से गुलाबी तेरे गालोंको सनम
आ बहकते हुए अरमानों को मंजिल दे दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 28, 2023

प्यार प्राण है, प्यार इबादत, 
प्यार मधुर हाला है

प्यार का नशा सबसे बढ़ कर,
प्यार मदिर प्याला है

प्यार बिना निष्प्रभ जीवन है,
जग लगता मरुथल सा,

डूब डूब कर पियो प्यार की मदिरा, 
प्यार मधुशाला है ...!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
खुदा किसी के नसीब में,इंतजार ना लिखें
इस आलम में,किसी को सुख चैन ना दिखे

जिसको मिल जाए,यह इंतजार का तोहफा
उसे फिर हर,अनमोल तोहफा बेकार दिखे

हर पल आंखों में,रहता है कुछ नशा सा
हर पल दिल रहता है,कुछ खोया सा

लगता है कि अब आया है,कोई यहां से‌
अगले ही पल नहीं,दिखता कोई कही से

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, February 27, 2023

लो आसमान सी फैल उठीं
वो नीली आँखें...
लो उमड़ पड़ीं सागर सी 
वो भीगी आँखें...
मेघश्याम सी घनी-घनी
वो कारी आँखें...
मधुशाला सी भरी-भरी 
वो भारी आँखें...
एक भरे पैमाने सी जब 
छलकी आँखें...
दिल मानो थम सा गया 
लेकिन धड़कीं आँखें...
ओस में डूबी झील सरीखी
वो नम सी आँखें...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 26, 2023

सौंदर्य,सुगंधित,अप्रतिम तुम
लावण्य,रूप का,संगम तुम

कुंतल,केश,चपल नयना तुम
साँवली,सलोनी,सबला तुम

रूप,माधुर्य का,मेल हो तुम
तीखे,नयनों का,जाल हो तुम

भीगे होठों के,जाम हो तुम
सरल,सरस,स्निग्धा,हो तुम

प्रेम,त्याग की मूरत हो तुम
लय और ताल की सरगम हो तुम

हे नारी!तुम सबसे,अनुपम हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 24, 2023

ज़र्द पत्ते झड़ गए है,
आ गए पत्ते नए..
शरद के जाते ही मौसम,
ने है बदली रंग है..
मौसमें गुलज़ार है अब,
फिज़ा में फैली बहार है..
कोयल की कहीं कुक गूंजे,
कहीं गूंजे चिडियों की कलरव..
प्रकृति देखो हुई जवां है,
धरती ओढ़ी पीली चादर..
फागुन ने मदहोश किया,
सब पर चढ़ गया जवानी का रंग..

~~~~ सुनिल शांडिल्य

Thursday, February 23, 2023

गहरे भावों से पुरित हो,
मित्रता निभाने आयें हैं ।
अब जाकर एहसास जगा है,
तब फूल गुलाब के लायें हैं ।
अरमानों से सजे हुए,
हम चाहत भरकर लाएं हैं ।
कर लेना स्वीकार,
प्रकृति ने प्रेम- पुष्प बरसायें हैं ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
लहरों के उद्दाम
वेग सी
चातुर्मास के बरसते
मेघ सी ......तुम !

एक अँजुरी नदी की
धार सी
सत मोतिकाओं के
अनुपम हार सी ....तुम !

मनभावन प्रिय
मनमीत सी
रात में गाये हुए
गीत सी ....तुम !

कवि के गन्ध रचती
छंद सी
सम्बोधनहींन
अनुबन्ध_सी.....तुम !
सिर्फ तुम!!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 21, 2023

अंजाम जो भी हो अब अंजाम से डरना कैसा
इश्क़ तो इबादत है इबादत से मुकरना कैसा

मोहब्बत में दो रूहों का होता है मिलन
जिस्म गर बिछड़ भी जाएं तो बिछड़ना कैसा

देखा पहली बार तुम्हें जब 
यह सचमुच आभास नहीं था
बनजाओगे दिलकी धड़कन
किंचित भी अहसास नहीं था
सिर्फ कनखियों से चुपचुप मैं
अक्सर तुमको देखा करता
लाख बचाया करता नज़रे
देखे बिना न जियरा रहता
शायद विधिविधान के चलते
एकदिवस टकराई अँखियाँ
सूनेसूने मन आँगन में 
शेष तुम्हारी केवल सुधियाँ

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
जो नज़्म बरबस हाथों में मचलती है
तुम लिखो, बस वही नज़्म लिखो!
तुम्हारे दिल से लिखे लफ़्ज़
किसी का दिल ही पढ़ता है
हमदिली का यह लम्बा सफ़र
एहसास पल में तय करता है
जज़्बातों की स्याही डाल
सच की नोंक से कुरेद रफ़ू करो
रूह पर पड़ा पुराना चाक कोई
या फिर नादान ज़ेहन से हटा दो
किसी फरेब का नक़ाब कोई!
जेहनी लोगों की सयानी बातों ने
घोलें हैं हवा में ज़हर कई
तुम अपनी दिवानगी के लफ़्ज़ों से
बख़्श दो ,घुटती साँसों को
साफ़ हवा का झोंका कोई
लिखो तो कुछ ऐसा लिखो
पढकर जिसे कुछ टूटे ख़्वाबों को
साझे आसमान में नयी परवाज़ मिले

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
मत सोचो क्या लिखना है
और क्या किसने पढ़ना है
लिखो जो तुम्हारा दिल कहे
मत सोचो कि कब लिखना है
लिखो जब दिल थमा के क़लम
हाथों से तुम्हारे जिद कर कहे
लिखो! बस अभी लिखना है!
लिखो मत जो तुमने पढ़ा किताबों में
लिखो वो जो ज़िंदगी ने पढ़ाया तुम्हें
ख़ुद को और अपनों को पढ़कर कर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, February 19, 2023

देशभक्त कौन_है ???

वो भी तो हैं जो
भारत दर्शन को जाते है
पुरानी ऐतिहासिक इमारतों को
खराब नही करते 
कुछ योगदान उनका भी है

वो भी तो हैं जो
सरकारी दफ्तरों में जाते हैं
अपना काम कराने को
टेबल के नीचे से कुछ नही देते
कुछ योगदान उनका भी है

वो भी तो हैं जो
रेलगाड़ी में सफर करते है
"सरकारी संपत्ति आपकी अपनी है"
कहकर चीजे बर्बाद नही करते
कुछ योगदान उनका भी है

वो भी तो हैं जो
अपनी गाड़ी में ही
एक कचरे का डब्बा रखते हैं
यहां वहां ना उछाल कर
अपना कचरा उसमे ही फेकते हैं
कुछ योगदान उनका भी है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
पहाड़ों की सर्द हवाओं के बीच मै और तुम
गुनगुनी धूप में कड़क चाय के साथ मैं और तुम

कभी निहारते ऊंची चोटियों को या एक दूसरे को
यादों को साझा करते हए ख़ामोशी को लपेटे हुए

सुकून ढूंढते. बादलों को निहारते हुए मैं और तुम
आँचल में,हाथों में हाथ डाले चल पड़े मैं और तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
कैसे बताऊं मैं तुम्हे
मेरे लिए तुम कौन हो
कैसे बताऊं मैं तुम्हे
तुम धड़कनों का गीत हो
जीवन का तुम संगीत हो
तुम ज़िन्दगी तुम बन्दगी
तुम रौशनी तुम ताज़गी
तुम हर खुशी तुम प्यार हो
हर_पल में तुम हर चिर में तुम
मेरे लिए सागर भी तुम
मेरे लिए साहिल भी तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
एक खूबसूरत, एहसास हो तुम
दूर हो, मगर पास हो तुम

देखता रहूं, हर पल तुम्हें
बुझे नहीं, वो प्यास हो तुम

मिलती है यूं तो, सूरतें हजारों
तुम सा नहीं, खास हो तुम

रहते हो, मेरे दिल में तुम
तुम ही धड़कन, श्वास हो तुम

हर रात, रहते ख्वाबों में तुम
मेरी सुबह की, आस हो तुम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 17, 2023

आह से, कराह से, सिसकी से,रोदन से,
आंसुओं से भीग रहे नेह भरे आंचल से,
मेघों के गर्जन और तड़ित संग वर्षा से,

भीगे जो तन मन ये अंधियारी रातों में,
फिर भी न ज्वाल बुझे तन मन जलाए जो,

टूट गया मन की जो वीणा का एक तार,
स्वर की संगीत की गायन की वादन की,

तृषा है समुंदर सी,जल की न बूंद किंतु
अटक गए प्राण ज्यों,कंठ में हैं कंटक से

अब तो न बाकी है,धैर्य मेरा किंचित भी
सदियों से तेरे बिना जो कि कभी संचित था

आस भी है टूट चली,अब तो प्रतीक्षा की
प्यासी है हर सांस प्यासा यह जीवन है

अब है अधीर मन विह्वल है तेरे बिन
आ जाओ एक दिन

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, February 15, 2023

हे प्रिय, मैं नहीं जानता कि,
यह ढाई अक्षर प्रेम का क्या है?
क्या तुम्हारे अप्रतिम लावण्यमय,
ऋतुराज में पुष्पित पल्लवित महकते उपवन से,
पलागमों से लदी सुगन्धित वृन्तियों से,
इंद्रधनुषी रंगों की छटाओं को,
पराभूत करते हुए, योवन भार से लदे,
रूप सौंदर्य को,
अपलक निहारते रहना
या,
तुम्हारे कमनीय,रमणीय,रससिक्त,स्नेहिल,
अंगों की कोमलता का स्पर्श अथवा,
तुम्हें अंकपाश में लेकर,
निज स्कंध पर तुम्हारी सुगंधित केशराशि को,
बिखराने की आकांँक्षा,
सांसो में सांसों का घुलना,
मात्र इतना नहीं है मेरा प्रेमाख्यान अपितु,
इससे कहीं आगे बहुत आगे
सारे बंधनों की सीमाओं से परे,
और ही कुछ है जो मुझे कहना है,
तुम्हारे समक्ष अपनी कविता के शब्दों में।
नश्वरता से शाश्वतता की ओर,
दो आत्माओं के परस्पर मिलनोपरान्त,
देशकाल की सीमाओं और बंधनों से परे,
एक अनावेशी स्तंभ पर,जाकर ठहर जाना,
और एकाकार होकर,
अनंत काल तक रहना है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, February 6, 2023

हृदय से आज तो मैं आपका आभार करता हूं 
प्रणय के सारथी तुमसे युगों से प्यार करता हूं। 

हिलोरें ले रही नौका, मुझे मझधार में ले चल, 
तुम्हारी हर‌ भंवर से नेह का व्यापार करता हूं। 
प्रणय के सारथी तुमसे युगों से प्यार करता हूं। 

प्रलय की गर्जना भी आज हमको न रोक पायेगी,
कहां साहस है मेरी मौत भी अब लौट जायेगी।

तुम्हारे ही लिए मधुमास का संभार करता हूं। 
तेरी कलुषित घृणा का प्रेम से प्रतिकार करता हूं।
प्रणय के सारथी तुमसे युगों से प्यार करता हूं। 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य