Wednesday, January 25, 2023

तुम ने रचे मुझ पर शब्द प्रिय
स्वयं से थे जो तुम्है अति प्रिय
जिन्हे पङकर गीत गुन-गुनाया कोई
रच दिया तुमने उन में संगीत प्रिय

वो तुम्हारे हृदय के शब्द थे या स्वयं तुम
उन में से कल-कल मधुर ध्वनि आ रही प्रिय
मुझे लगा मेरा ही मीत है
कोई बिराम नही चल रहे थे शब्द लेकर प्रिय

थोड़ा तो ठहरो में पङू वो शब्द प्रिय
छोङ दो यह पवन गति तुम शुभ रचित हो
मेरे जिवन के पुलक प्राण प्रिय
देखो तुम्हारे हर पग पर जिवन रेखा है प्रिय

तुमने कितना प्रेम स्नेह पिरोया है
अपने मन मन्दिरके उभरते गीत गितिका में
उन पर मेरी कलपनाऔ का रंग भरा है
इन हाथो की कोमल अंगुलियो ने प्रिय

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
शब्द जाल में उलझ ना पाऊँ,
उलझ जाऊं तेरे केश जाल में।
अधरों की लाली में लय होकर,
विलय होऊं संगीत ताल में।।

कुंज गलिन में क्यों फिरती हो?
बसा हुआ हूँ हिय तिहारे।
भावों के आगोश में देखो ,
लिए हुए हूँ भाव तिहारे।।

शब्दों के मैं अर्थ ना जानूँ,
भाव व्यंजना को पहचानूँ।
शब्द हुए निस्तब्ध सभी,
तुझको ही सर्वस्व मानूँ।।

सूनी सूनी आँखों में भी,
प्रेम को तेरी मैं पहचानूँ।
बसी हुई है छवि सलोनी ,
कैसे तुझको अलग में जानूँ।।

देह तो मेरी प्राणप्रिया तुम!
तुम ही जीवन का आधार।
तेरे बिन अधूरा राधे!
कृष्ण तत्व का यही है सार।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 23, 2023

कुछ शब्द है तुम्हारे पास तो हमे उधार दो ना...
इस हसीं मन्ज़र को मेरे लिये कागज पर उतार दो ना...
तुम्हारी आँखो को पढूँ और प्रेम की परिभाषा को समझुं...
तुम्हारी सांसो के सरगम में मेरे साथ जिंदगी गुजार दो ना... कैसे शब्दों मे बयां कर दूँ तुम्हे कितना चाहता हूँ...
तुम्हारे करीब आकर मैं मौन मे समाँ जाता हूँ.. 
साथ निभाना जानता तो हुँ पर नि:शब्द हो जाता हूँ...
कुछ शब्द है तुम्हारे पास तो हमे उधार दो ना.... 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुममें ही तिरोहित, तुम में ही समाहित
मन के कण कण में,जीवन के निज क्षण मे

अपनेपन के अहसास में सबकुछ निहित
बस तुम ही तुम हो जीवन की दिशा

पावन गंगा सी भाव भंगित
चल विचल की अनुभूति से परे

क्षण क्षण लहरों सी बहती
बस तुम ही तुम हो आंसुओं की निशा
अकल्पित, पर हृदय में गुंजित

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
मैंने तो शब्दों में अपने मन के भाव पिरोये सारे
तुम पर निर्भर, तुम जो चाहो वो ही इनका अर्थ निकालो

लिखता हूँ मैं शब्द हवा के झीलों में ठहरे पानी के
और पलों के जिनमें पाखी उड़ने को अपने पर तोले

तुम सोचो तो संभव वे पल होलें किसी प्रतीक्षा वाले
शब्द उच्छ्रुन्खल आवारा हैं इधर उधर भटका करते हैं

तुम पर निर्भर तुम चाहो तो गीत बना कर इनको गा लो
मेरे शब्द गुंथे माला में फूलों की लिख रहे कहानी

तुमको उनमें पीर चुभन की दिखी और हो जाती गहरी
शब्दों ने था लिखा झुका है मस्तक कोई देवद्वार पर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
बहुत चाहता पर कहूँ किस तरह।
लगे #शब्द छिछले लिखूं किस तरह।

बहुत प्यार करता नही कह सका,
#सरस् #भावना को रखूँ किस तरह।

समझ तुम न पाये मेरी #भावना,
तुम्हारे बिना पर रहूँ किस तरह।

नही चाह कुछ भी तुम्हारे सिवा,
मगर व्यक्त चाहत करूँ किस तरह

Saturday, January 21, 2023

"यह जीवन का रंगमंच है
कहानियाँ अनेक
किरदार सिर्फ एक
जो भागता हैं दर्द से
दौड़ता है सपनो के आगे
जो गिरता है
संभलता है
जलता है
पिघलता है
ये वही किरदार है
जो ना मरता है
ना बदलता हैं

सबका प्रिय 
बने रहने की कोशिश 
अच्छे-ख़ासे इंसान को 
औसत आदमी 
बनाकर छोड़ती है..!"

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
तुम बिन ये एकाकी जीवन
मौत की एक इकाई है ।
जनम जनम का बंधन है ये
या जन्मों जन्मों की खाई है ।
धड़कन साँसे तुझको पुकारें
और हम तेरे नाम हुये ।
तुमको खोकर जले हैं ऐसे
तन मन सब शमशान हुये ।।
क्या रखी थी कामना तुमसे भला अतिरिक्त मैंने?
कब तुम्हे मैंने प्रणय के पाश में घेरा? बताओ!!
#गीत में कितने #पिरोए प्रेम मैंने #भावना के
किन्तु तुम अनभिज्ञ थे तो #दोष क्या मेरा? बताओ!!
थी मेरी भी कामना, उन प्रेम में डूबे युगल सा
मैं तेरे रक्तिम अधर के सोमरस का पान कर लूँ

Thursday, January 19, 2023

निकल कर आंखों से बाहर देखा
मैंने देह छोड के रुह के भीतर देखा

हाँ मैंने उसे आज नगे पैर चलते देखा
उसके रूप के रंग को आज
जिम्मेदारी की मे धुप पिघलते देखा

एक छोटी सी बिंदी माथे पे
सादी सी साड़ी में पैदल चलते देखा

थोड़ी सी आशा थोड़ी सी चिंता
मन ही मन में समुद्र मंथन करते देखा

उस अकेली को समस्त जग का चिंतन करते देखा 
हाँ मैंने पहली दफा सत्य की सुंदरता को उजागर 
होते देखा है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 17, 2023

गर तेरी जिन्दगी से,हम कुछ पल चुरा ले
ख्वाहिशो का हम,एक आशियाना बना ले

ना देखू मै फिर तब,ए जालिम जमाना
बस सूरत तेरी,अपनी आंखो मे बसा ले

है रुलाया बहोत,इस मेरी जिन्दगी ने
साथ बैठो तो हम,कुछ पल मुस्कुरा ले

माना कि हू मै अजनवी,इस सफर मे
गर चलो साथ तो हम,मंजिल को पा ले

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
बांह_थाम_ले मेरी सनम जताने से
क्या नहीं ये मुमकिन बहाने से।।

ये जग मिथ्या सब मुस्कुराने से
रिश्ते बड़े ही मगरुर रिझाने से।।

इश्क मजबुर है यारो सताने से
इश्क छुपता नहीं कभी छुपाने से।।

गमे जुदाई सही नहीं जाती भुलाने से
इश्क बदनाम है दिल लगाने से।।

हरे भरे पेड़ों पर चिड़िया चहकी,
तितली से क्यारी भर आई हैं।
फूल खिल रहे यहां चारों तरफ़, 
बहारों ने भी रंगत फैलाई हैं।
दुल्हन बन खिल_गई कली,
आज वो घूंघट में शरमाई हैं।।
पसरा था चहुंओर सन्नाटा
रात भी ठहर_सी_गई थी
तभी आसमां में छिटकी चांदनी
और चांद-सी एक परी मुस्काई
तारों के रथ पे होके सवार
मेरे आंगन उतर आई
जब तक हम संभलते
मदहोश-सी बावली
पी की बांहों में समाई
अब किसे होश था
जब हुई किस्तम की रहनुमाई
तंद्रा टूटी,जब निकला
बेरहम भोर का तारा

कली कल थीं कुसुम सी आज प्रेयसि खिल_गई_हो_तुम।
महक चन्दन की बनके हर हृदय में घुल_गई_हो_तुम ।।
महक से बावरा होता है हर घर का खुला आंगन।
मुझे क्यूँ रूप की हाला पिलाने तुल_गई_हो_तुम।। 

Monday, January 16, 2023

नारी तेरी कैसे बने जीवनी
ऐसा कोई कलम-कार नहीं 
ऐसी कोई नहीं लेखनी 
जिससे तुझ पर रचना हो 

ऐसा कोई न कागज है 
जिस पर तेरी गढ़नी हो 
कैसे तेरी बने जीवनी

जिसका कोई अंत नहीं है 
कोई आरंभ न मिला मुझे 
फिर भी कुछ कहता हूँ 
बड़ी शिद्दत से कुछ लिखता हूँ 

तुम सांसों की धड़कन सी हो
तुम ख्वाबों की खामोशी 
तुम लगती चाँद-सितारों सी 
तुम जीवन की मर्यादा 
तुम सिसकी-सिमटी सी

तुम परिवारों की इज़्ज़त हो 
तुम सहन शक्ति की सीमा हो 
तुम सबके मन को हरने वाली 
तुम रंगमंच की गुड़िया हो 
तुम अति सुलझी अति उलझी हो 
तुम नारी हो, तुम नारी हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 15, 2023

ये सिंदूरी_शाम
गहरे जज्बात
फूलों से भी
खूबसूरत
मेरे अनछुए
एहसास
सुरमई कथई
रंग में रंगे
स्नेह से धागे
रूहानियत की
खनक लिए
सांसो में
बसे चाहत
के साज
रुह रूह
बसी असीम
नेह की पुकार
आँखो में बसे
काजल से भी
गहरा आसमानी
रात की कालिमा लिए
चाँदनी सा पवित्र
प्यार...दुलार
प्रेम की पवित्र
अग्नि से 
रोम रोम में 
प्रज्वलित.....
ऐसा हैं...
खुदा की
खुदाई सा....
तेरा मेरा...
पाकीजा प्यार...

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
सुर्ख गुलाबी होंठ रसीले, देह लता कचनार !
गुलमोहर सी चटक सिंदूरी, लगे हूर सी नार !!

लगे हूर सी नार, सुमन की महक लिये !
किये सौलह श्रृंगार, अनल की दहक हिये !!

चले हंसिनी चाल, चूम रहे कैश कटि !
चंचल चपल से नैन, शरासन सी भृकुटी !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 14, 2023

छूप कर बैठा है रुठ कर कोई
नज़रो से चुरा रहा नजरे कोई

पसंद हमे तेरा यहीं अंदाज हैं
माना कि रिश्ता नहीं तुमसे कोई

खामोशी से करता बातें कई
शब्दों से उलझते रिश्ते कई

दिल से बंधी एक डोर हैं
टूटते नहीं दिल के अरमान कई

जनम जनम की प्यास कोई
बुझती नहीं अब आस कोई

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 12, 2023

गोरी दबाकर मुख से साड़ी का एक छोर
शायद चितवन देख रही प्रीतम की ओर

सावनकी घटासे बाल बिखरे चारोओर
तेरी सुंदरता का नहीं नज़र आ रहा तोर

मोती जैसे दांतो से पकड़ रखा था छोर
तेरा सौम्य सौंदर्य दिल को रहा झकजोर

जंजीर,कानों में कुण्डल झूला झूले चारोओर
साजन की खातिर वो न देख रही काउओर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 11, 2023

ऐ!मेरे दिल की सौदागर। 
बस वक्त न यूंही जाया कर। 

ख्वाबों के नर्म खयालों में।
कुछ शौख अदा फरमाया कर। 

तकती है पलकें कातर सी।
परदा नशींन!सरमाया न कर। 

चिलमन से झांक रहीं अलकें। 
जूल्फें ना यूं लहराया कर। 

गालों को छू जब इठलाती। 
शरमा के ना यूं बहलाया कर। 

सागर से भी गहरी आँखें। 
साकी दो घूँट पिलाया कर। 

मयखानों से इन होंठों को। 
दाँतों से यूं न दबाया कर। 

ऐ हुस्न परी!ओ जलवां-नशि।
आँचल में यूं न छुपाया कर।

मिसरी सी सांसो में घुलती। 
दिलकशी'रागिनी'गाया कर।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 10, 2023

चंचल मन के कोने में
मधुर एहसास ने ली जब अंगड़ाई
रेशमी जज्बात का आँचल फैला 
देखो फलक-फलक
खामोशी के बिखरे ढेरों पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से कुछ
लम्हें जाएँ छलक-छलक
अरमानो के साये से उलझे
नाज़ों से इतराते ख्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक-पलक

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
ऐ चाँद! है तुमसे व्याकुल_मन की सदा़।
मुझे बताओ न चाँद, मेरा चाँद है कहाँ ?
 
रात है भी रंगीन है और है दिलकश समां।
ऐसे मैं ऐ चाँद,मेरा चाँद है खोया कहाँ?

झिलमिल तारे हैं चाँदनी से रोशन आसमाँ।
मैं ढ़ूँढ़ रहा हूँ मेरे चाँद को जाने कहाँ-कहाँ?
~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
तुमसे मिलन की आस में बैठा हूं
राधे प्रेम की प्यास में बैठा हूं
कब आओगी पूछता है बावरा
मैं प्रीत के आभास में बैठा हूं
न जानें तुम्हें कहां कहां ढूंढ़ता हूं
ब्रज की हर गली गली घूमता हूं
क्यों अपने कृष्ण पर रूठती हो
आंसूओं से सरोवर भर देती हो
लागे प्रीत के अभ्यास में बैठा हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 9, 2023

कब_आओगे आखिर
जब आंँखों से दिखना बंद हो जायेगा
होगे मेरे सामने,लेकिन तुम्हें देख नहीं पाऊंँगा
जब तुम बोलोगे और मैं सुन भी न पाऊंँगा
या तब
जब तुम्हारे आने की महक को पहचान भी नहीं पाऊंँगा
जब बातें करना चाहूंँगा पर बोल नहीं पाऊंँगा
जब तुम्हारे हाथ का स्पर्श भी महसूस न कर पाऊंँगा
यदि तब आ भी जाओगे
तो क्या पाओगे
यदि,चाहते हो अब भी कुछ पाना
तो वक़्त रहते,वक़्त पर ही आना
यदि हैं,तुम्हारे पास,अब भी कुछ अवशेष
तो बहुत कुछ बचा है,मेरे पास भी शेष
उसे सौंपकर तुम्हें,हो जाऊंँ मैं अशेष
क्योंकि दे रहे हैं मुझे,ये बहुत क्लेश
वैसे भी,अब वक़्त बचा ही कहाँ है विशेष

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 7, 2023

हम बेखुदी में थे और यार मिल गया
इत्तेफ़ाकन ही कहे जो प्यार हमे मिल गया

फिर वही हुआ जो नसीब को मंजूर था
एक बदनसीब से एक बदनसीब मिल गया

कहानी किरदार की या किरदार से कहानी है
बड़ा मुश्किल है कहना किसको कौन मिल गया

एक दूजे से दोनों से किस तरह मुकम्मल है
ना पूछे हमसे क्या रिश्ते को नाम मिल गया

तमाम हो रहे है दोनों पर आरजू है एक
ढल रही रात को फिर ढलता चाँद मिल गया

मेरी अधजगी नीदो और उनकी ख्वाहिशो को
एक मासूम सोया हुआ सा ख्वाब मिल गया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 6, 2023

बस एक दिन ज़िन्दगी का
तुम मेरे साथ जी लेना

उस दिन सुबह से शाम तक
तुम मेरे साथ रह लेना
जैसे बहता पानी नदियों संग
तुम मेरे साथ बह लेना

जो भी हों ख़्वाब
जो भी हों शिकायतें तुमको
उस दिन अपने दिल की
मुझसे हर बात कह लेना

बस एक दिन ज़िन्दगी का
तुम मेरे साथ जी लेना

उस दिन एक ही कप में 
चाय मेरे साथ पी लेना।
सब भूलकर उस दिन 
ज़िन्दगी मेरे साथ जी लेना।

ख़्वाब जो भी टूटे हों कभी,
ज़िन्दगी में तुम्हारी।
मोहब्बत के धागे से, 
एक बार फिर से सी लेना।

बस एक दिन ज़िन्दगी का, 
तुम मेरे साथ जी लेना ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 4, 2023

ज़िंदगी का खेल भी अजीब है
हर कोई दूर हर कोई करीब है
बड़े बड़े सपने जगाती है
बिलावजह उसके पीछे भगाती है
थोड़ी खूशी ज़्यादा गम देती है
चेहरों पीछे का सच दिखाती है
एक पल मे नशतरें चुभाती है
ज़िंदगी का खेल भी अजीब है
हर कोई दूर हर कोई करीब है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
सुनो_जिंदगी,,,
हाथों में मेरे तेरा हाथ काफी है।
दूर हो या हो पास कोई बात नही है,
तुम साथ हो यह एहसास काफी है।

लड़ते भी रहते हैं,हँसते भी रहते है,
पर हम हैं साथ- साथ यही काफी हैं।
मेरे दर्द का तेरे दिल में ,अहसास तो है,
जिंदा रहने को तेरा ऐतबार काफी है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

गुमनाम पगडंडियां भी
हाई-वे से मिल बैठती है
छंटते हैं फिर अंधेरे
जगमगाती राह दिखती है
शर्त बस है इतना
न थकना, न रुकना
आवारा सड़कों पर
बस बढ़ते रहना, चलते रहना

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
आवारा सड़क सी #जिंदगी
बस चलती हीं जा रही है
चौक-चौराहे पर थमती
गली-कूचे को चीरती जा रही है
स्पीड-ब्रेकर के हिचकोले
अब डिगा नहीं पाते
गड्ढों की बारम्बारता
अभ्यस्त बना चुकी है
शपथ है हाई-वे पर दनदनाना
क्षत-विक्षत पथ कठोर बना रही है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
साग़र की लहरें, रहती हैं बेताब,सुकून पाने को
छू कर किनारे लौट आती हैं साग़र में मिल #जाने को
लहरों के हवाले, कर देता है जो वजूद अपना
उसे भी ले आती हैं, संग साग़र से मिलाने को
जब तक है जीवन, डूबने नहीं देती लहरें सागर की
बेजान होने पर समा लेती हैं फ़िर अपना बनाने को

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

Tuesday, January 3, 2023

सागर एक ऐसा प्रेमी है, 
जो सबसे ज्यादा क्षमा से भरा हुआ है, 

वह हर पल खुद से दूर जाने वाली 
लहरों को क्षमा करता है,

और वापस आने पर 
अपने मे समाहित कर लेता है, 

जाने देना भी "प्रेम" है और 
लौटे हुए को शामिल करना भी "प्रेम" है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
खुश्बू तेरे प्यार की मुझे महका जाती है
तेरी हर प्यारी बात मुझे बहका जाती है l

साँस तो बहुत वक़्त लेती है आने_जाने में
साँस से पहले याद दिल को धड़का जाती है ll

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
आभास नही,एहसास नहीं,यह गहन स्नेह का बंधन है
सर्वस्व समर्पण और सानिध्य का मूर्तरूप आलिंगन है
दो पृथक हृदय जब एक राह चुनते हैं मन की,मनभावन
तब सघन प्रेम आधार का यह सबसे सशक्त आलम्बन है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
बेबस हो जाती है धड़कन
जब तुम ख्यालों में मुस्कुराते हो

कलम एहसास लिखती हैं और
सनम तुम काग़ज़ में उतर जाते हो .....

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
समझदार आंखें देख 
समझ जाते हैं बात दिल की
बगीचा में फूल की मुरझने की सबब 
बागबान को हो जाता है,
रास्ते में आनेवाली तूफान की भनक 
निगहबान को हो जाता है।
पढ़ने वाले निगाहों से पढ़ लेते हैं की 
कब अपनों पे क्या बीती
वैसे दिल के दर्द का सैलाब निगाहों से 
कद्रदान को हो जाता है।
जमी है गुबार जिनके चेहरे पे 
जिंदगी भर मिली नाकामियों की
उनकी चेहरे की पहचान फौरन 
पाखी इंसान को हो जाता है।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
कभी बाहर तो कभी भीतर रेंगता रहा
मेरा सच कमर टूटे श्वान सा
शाम तक 
देखता रहा औचक गुज़रते विमान
हिना से लाल व रेशमी परदों वाले
हाँ शायद वो दिन
अमावस का ही रहा होगा 
तभी तो
ग्रहण काल में दिखी थी
उस दिन 
सुबह की ललाई
तभी तो अल सवेरे उगा था चाँद
थोड़ा सा
सहमा सा
क़तरा भर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 1, 2023

यह एक संयोग मात्र ही तो है
जो केवल अनुभूतियों में ही है
शब्दों में तो प्रकट कर पाना
बिल्कुल ऐसा है 
जैसे सूर्य के समीप जाकर
सूर्य से उसकी किरणें चुराना

मैं भी कुछ इसी स्थिति में हूं
कहां हूं, कैसा हूं 
ज्ञात नहीं
बस जीवित हूं
पर मौन भी...
जिसका कारण भी 
मुझे पता नहीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
खामोशी की कोई जुबां कहां होती है
एक अनंत मौन को धारण किए
बस मस्तिष्क शायद कहीं
किसी सुदूर स्थान पर
विचरण कर रहा होता है

एक ऐसा स्थान जहां शायद
खुद को खोज पाना मुश्किल होता है
वो कहते हैं ना
जब हम स्वयं को जान लेते हैं
तो हमें हमारी
आभासी दुनिया का स्मरण रहता है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
चाहतों के  सपने बुनने लगा दिल, 
मेरी हिदायतों से मुकरने लगा दिल! 

खुद से ही बात करता है आज कल, 
मोहब्बत कर आहें  भरने लगा दिल!

चंचल सी आंखें और शोख़ अदाएं, 
तुम्हारी यादों से  सजने लगा दिल! 

छोड़ जाना नहीं बीच  राहों में राही, 
बिछडने से तुम्हारे डरने लगा दिल!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य