Wednesday, April 22, 2015
बात क्या बताये हम इस दिल-ए-बेजार की
बिताये ना बितती है अब घडी इन्तेजार की
हसरते सीने में और तस्वीर वो निगाहों में
हाय!रह गयी है अब ये बाते सब बेकार की
गर एक खता है इश्क तो खतावार है हम
फिर कोई फरमाए सजा इस गुनाहगार की
करके दफन अरमा,जाये तो कहाँ जाये हम
बुझाये ना बुझती है शम्मा ये मजार की
जिंदगी बीती गम ना बाटा तेरा किसीने
अब भी आस है तुम्हे किसी गमगुसार की
बिताये ना बितती है अब घडी इन्तेजार की
हसरते सीने में और तस्वीर वो निगाहों में
हाय!रह गयी है अब ये बाते सब बेकार की
गर एक खता है इश्क तो खतावार है हम
फिर कोई फरमाए सजा इस गुनाहगार की
करके दफन अरमा,जाये तो कहाँ जाये हम
बुझाये ना बुझती है शम्मा ये मजार की
जिंदगी बीती गम ना बाटा तेरा किसीने
अब भी आस है तुम्हे किसी गमगुसार की
Saturday, April 11, 2015
गुलिस्ता है ये जहाँ,मगर कोई गुल मेरे नाम का नही
मुझसे है दुनिया को वास्ता,पर कोई मेरे काम का नही
लम्हा लम्हा मिलके बनती है जंजीर-ऐ-वक्त यहाँ
एक लम्हा भी अपनी जिंदगी में आराम का नही
चढ़ते आफताब को सलाम करना जाने ये जमाना
मगर मैं जानू इतना के कोई ढलती शाम का नही
नजर आया दूर से ही,कोई चराग-ऐ-नूर अफ़्शा वहाँ
पोहचे नजदीक तो जाना ये नूर मेरे मकाम का नही
मैखाने होकर आए फ़िर भी गमगीन ही रहे
क्या जाने अब वो पहलेसा असर किसी जाम का नही
मुझसे है दुनिया को वास्ता,पर कोई मेरे काम का नही
लम्हा लम्हा मिलके बनती है जंजीर-ऐ-वक्त यहाँ
एक लम्हा भी अपनी जिंदगी में आराम का नही
चढ़ते आफताब को सलाम करना जाने ये जमाना
मगर मैं जानू इतना के कोई ढलती शाम का नही
नजर आया दूर से ही,कोई चराग-ऐ-नूर अफ़्शा वहाँ
पोहचे नजदीक तो जाना ये नूर मेरे मकाम का नही
मैखाने होकर आए फ़िर भी गमगीन ही रहे
क्या जाने अब वो पहलेसा असर किसी जाम का नही
फूल तुझसा न होगा कोई,जन्नत के गुलजारो में भी
उधर झलकती होगी परेशानी,खुदा के इशारो में भी
सितारे शक करते है,ये चाँद फलक पे कौन सा है
कोई और चाँद नजर आता है,जमी के नजारों में भी
कुछ पल रुक के सीखी है,शोखी तेरी अंगडाईयो से
जाके तब आई है रवानी,नदी की उदास धारों में भी
पयाम पंहुचा रहा है भवरा,इस कली से उस कली
बस चर्चे है आजकल,तेरे नाम के बहारो में भी
क्यों न समझे खुशनसीब,आख़िर ख़ुद को
नाम अपना आया है अब तो,इश्क के मारो में भी
उधर झलकती होगी परेशानी,खुदा के इशारो में भी
सितारे शक करते है,ये चाँद फलक पे कौन सा है
कोई और चाँद नजर आता है,जमी के नजारों में भी
कुछ पल रुक के सीखी है,शोखी तेरी अंगडाईयो से
जाके तब आई है रवानी,नदी की उदास धारों में भी
पयाम पंहुचा रहा है भवरा,इस कली से उस कली
बस चर्चे है आजकल,तेरे नाम के बहारो में भी
क्यों न समझे खुशनसीब,आख़िर ख़ुद को
नाम अपना आया है अब तो,इश्क के मारो में भी
कम होता मुझे उनका इन्तेजार नजर नही आता
इस जिंदगी में कही मुझको करार नजर नही आता
खूब वाकिफ है ये जमाना मेरी तड़पती जिंदगानी से
उन्हें ही सिर्फ़ मेरा दिल-ऐ-बेकरार नजर नही आता
मर्ज कैसा ये लगा दिया खुदा इस खामोश जिंदगी को
मुझे अब मुझसे बढ़के कोई बीमार नजर नही आता
क्या मालूम कबूल हो पायेगी दुवा कभी इस दिल की
खुदा तेरी आँखों में रहम का आसार नजर नही आता
गम-ऐ-दिल को बनाके हमसफ़र कही चल दे ऐ
राह-ऐ-जिंदगी में और कोई दिलदार नजर नही आता
इस जिंदगी में कही मुझको करार नजर नही आता
खूब वाकिफ है ये जमाना मेरी तड़पती जिंदगानी से
उन्हें ही सिर्फ़ मेरा दिल-ऐ-बेकरार नजर नही आता
मर्ज कैसा ये लगा दिया खुदा इस खामोश जिंदगी को
मुझे अब मुझसे बढ़के कोई बीमार नजर नही आता
क्या मालूम कबूल हो पायेगी दुवा कभी इस दिल की
खुदा तेरी आँखों में रहम का आसार नजर नही आता
गम-ऐ-दिल को बनाके हमसफ़र कही चल दे ऐ
राह-ऐ-जिंदगी में और कोई दिलदार नजर नही आता
Thursday, April 9, 2015
वो तबस्सुम वो हया,इन अदाओ ने मारा मुझको
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आचल ने लाये सामने,कई राज उस हुस्न के
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सजते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ जो खुली तो रुक गई,गर्दिश जमी आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ नादान इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
छुपके से उनको देखा,इन गुनाहों ने मारा मुझको
लहराते आचल ने लाये सामने,कई राज उस हुस्न के
करके शरारत जो बह गई,उन हवाओ ने मारा मुझको
देख के ख़ुद को आईने में,वो सजते रहे सवरते रहे
दिल थामके जो भरी शीशे ने,उन आहो ने मारा मुझको
जुल्फ जो खुली तो रुक गई,गर्दिश जमी आसमानों की
खाके रश्क जो चली गई,उन घटाओ ने मारा मुझको
शरमाके के करते है वो परदा,और देखते है चुपके से भी
सम्हाल दिल ऐ नादान इन शोख वफाओ ने मारा मुझको
ये शक ये शुबा ये बदगुमानी किस लिए
तेरे चेहरे पे ऐ यार ये परेशानी किस लिए
कर दिये है जो तुने दर्द सारे मेरे नाम पर
फ़िर पसीने से तर ये पेशानी किस लिए
और भी कुछ हो सकती है बाते दिल्लगी की
जुबा पे तेरे शिकवो की कहानी किस लिए
जाते है जो रूठ के,लौट आना होता ही है उनको
है इल्म इस बात का,तो ये नादानी किस लिए
तुम को मनाके थक चुके है अब इतना
तेरे बगैर समझेंगे के ये जिंदगानी किस लिए
तेरे चेहरे पे ऐ यार ये परेशानी किस लिए
कर दिये है जो तुने दर्द सारे मेरे नाम पर
फ़िर पसीने से तर ये पेशानी किस लिए
और भी कुछ हो सकती है बाते दिल्लगी की
जुबा पे तेरे शिकवो की कहानी किस लिए
जाते है जो रूठ के,लौट आना होता ही है उनको
है इल्म इस बात का,तो ये नादानी किस लिए
तुम को मनाके थक चुके है अब इतना
तेरे बगैर समझेंगे के ये जिंदगानी किस लिए
Wednesday, April 8, 2015
न हटाइयें चिल्मन,दिल पे इख्तियार
नही है
अब और कोई आपसा,यहाँ पे सरकार नही है
कबसे जलाये बैठे हो शम्मा,तुम सनमखाने की
कहोगे कैसे तुम्हे भी किसीका,इंतजार नही है
लिपटी है जुल्फ से कलिया,गर्म रुखसारो की
उन्हें भी शायद मुझपे,इतना ऐतबार नही है
शोर क्यों उठ रहा है यहाँ,तुम्हारी धडकनों का
अब न कहना के दिल तुम्हारा बेकरार नही है
हर अदा को तुम्हारी देख चुके है यहाँ
परदा तो आख़िर परदा है,कोई दीवार नही है
अब और कोई आपसा,यहाँ पे सरकार नही है
कबसे जलाये बैठे हो शम्मा,तुम सनमखाने की
कहोगे कैसे तुम्हे भी किसीका,इंतजार नही है
लिपटी है जुल्फ से कलिया,गर्म रुखसारो की
उन्हें भी शायद मुझपे,इतना ऐतबार नही है
शोर क्यों उठ रहा है यहाँ,तुम्हारी धडकनों का
अब न कहना के दिल तुम्हारा बेकरार नही है
हर अदा को तुम्हारी देख चुके है यहाँ
परदा तो आख़िर परदा है,कोई दीवार नही है
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