सुनो_ना
जब तुम आती हो मेरी बगिया में
पूजा के फूल लेने
तो पूरी बगिया में लेने के देने हो जाते हैं
फूल तुम्हारे यौवन के आगे,
सुंदरता में बौने हो जाते हैं
जब तुम कदम रखती हो
तुम्हारी पायल की रुनझुन के विद्युत से
मेरे हृदय के तार स्वत: ही जुड़ जाते हैं
और मेरी आंखों के जुगनू
जगमगा उठते हैं
मगर, मैं यह जगमगाहट
तुम तक नहीं पहुंचने देता हूं
यह अशुद्ध है
मेरे अंदर बहुत कुछ ऐसा होता है
जो मेरी इच्छा के विरुद्ध है
मुझे तुम्हारी प्राप्ति की इच्छा नहीं है
तृप्ति की आकांक्षा भी नहीं है
बस तुम यूं ही बनी रहो पाकीजगी में सनी रहो
---- सुनिल #शांडिल्य