Saturday, July 30, 2022

 सुनो_ना


जब तुम आती हो मेरी बगिया में

पूजा के फूल लेने

तो पूरी बगिया में लेने के देने हो जाते हैं


फूल तुम्हारे यौवन के आगे,

सुंदरता में बौने हो जाते हैं


जब तुम कदम रखती हो

तुम्हारी पायल की रुनझुन के विद्युत से

मेरे हृदय के तार स्वत: ही जुड़ जाते हैं


और मेरी आंखों के जुगनू 

जगमगा उठते हैं


मगर, मैं यह जगमगाहट 

तुम तक नहीं पहुंचने देता हूं

यह अशुद्ध है


मेरे अंदर बहुत कुछ ऐसा होता है

जो मेरी इच्छा के विरुद्ध है


मुझे तुम्हारी प्राप्ति की इच्छा नहीं है

तृप्ति की आकांक्षा भी नहीं है

बस तुम यूं ही बनी रहो पाकीजगी में सनी रहो


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 29, 2022

 सांसों में खुशबू है तेरी मेरे हमदम

होंठों पे चंदा की छाई है शबनम


गीतों में तेरे हैं, जीवन के डेरे

इस जीवन मरु के हो बादल घनेरे

कह दो प्रिय मेरे तुम मेरे हो मेरे,


ये इठलाती बलखाती सुबहा की लाली 

जो छाई है इतराती मुखड़े पर आली।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 28, 2022

 सुनो_ना


तुमसे बात करना

मेरी तलब नहीं, 

ना ही शौक़ है मेरा


ये जरूरत है मेरी

मेरे वजूद को बिखरने से

बचाये रखने के लिए


तुम्हारी आवाज़

मुझे तुम्हारे करीब होने का

एहसास कराती है,


अलग अलग जगह रहते हुए भी

मीलों की दूरियों के बावजूद भी,

हम एक दूसरे के बेहद करीब होते हैं, हमेशा!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 27, 2022

 सवाल कुछ भी हो 

जबाब तुम ही हो

रास्ता कोई भी हो

मंजिल तुम ही हो

दुःख कितना भी हो

खुशी तुम ही हो

अरमान कितना भी हो

आरजू तुम ही हो 

गुस्सा कितना भी हो

प्यार तुम ही हो

ख़्वाब कोइ भी हो

तकदीर तुम ही हो

तुम्हारे वगैर ये जिन्दगी कुछ भी नहीं

मेंरी हर जहाँ तुम ही हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 26, 2022

 जब अम्बर ढक जाए जलद से

पथिक तुम घबराना मत।


काले बादलों में भी मुस्कुराता है सूरज

पथिक कभी तुम भूलना मत।


आशातीत बन बढ़ कर्म पथ पर

पथिक तुम ठहरना मत।


हौसला बुलंद रख तिमिर को चीरकर

रोशनी फैलाओ तुम मिलेगी मंजिल तुम्हें

पथिक तुम घबराना मत।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 25, 2022

 अनछुयी बाला की मधुर

मुस्कान है मेरी गजल


दुनिया के दाव पेंच से

अनजान है मेरी गजल


जहाँ न गम की घटा हो

न कहर का खौफ छाया


उस कल्पना के लोक की

पहचान है मेरी गजल


जहां न प्यासा हो आंचल

न बहे नयनो का काजल


मानवता की विजय का

जयगान है मेरी गजल


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 24, 2022

 ऐ मेरी  कलम  धीरे_धीरे चल

करती चल बाला का श्रृंगार


देख खिल जाए  मुरझे  चेहरे

जो  निराशा  में  अभी  पड़े।


ऐ मेरी कलम मधुर-मधुर गा

गीत  रस भरे  सुनाती  जा


खिल जाए सखी मुख आभा

निहार सौंदर्य मुग्ध हो दिवाना।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 23, 2022

 चाँद तारों की बरात लेकर

आज अम्बर धरा पर है आया


यूं चमकती हुई चाँदनी में

जैसे सारा जहां है नहाया


सज रही है दुल्हन जाने चंचलसा मन

प्रीतकी रात है होगा प्रियसे मिलन


माथे बिंदिया सजी पांव पायल बजी

सरपे लाली चुनर सुर्ख होते अधर


देखकर रूप दर्पण लजाया

आज अम्बर धरा पर है आया


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 22, 2022

 उस नौका का मूल्य  क्या ?  जिसमें होती पतबार नहीं !

साथी बिना सखे जीवन का होता है आधार नहीं!!


देखो पेड़का सहारा पाकर बेल शिखर चढ़ जाती है

अमर बेल जो बिना मूल की बह भी जीवन पाती है


सूना सूना जीवन लगता मन की बात न कह पाते

जो निकटस्थ हुआ करते थे वह भी दूरी पर जाते !!


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 21, 2022

 भाल पर चन्द्र बिन्दु केशराशि मोती युक्त

रखड़ी में गोरी तेरे हीरों की जड़ाई है


पुष्प से गुलाबी ओष्ठ नथ रस चूस रही

कजरारे_नयनो मे खुमारी सी छाई है


कर्णफूल गाल चूमे माल कंचुकी के मध्य

रेशमकी ओढ़नी पे तारोंकी छपाई है


करघनी कमर की इठलाती बारबार

तेरी तरुणाई देख रति भी लजाई है


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 20, 2022

 नाम तेरा नहीं लिया मैंने,

वक्त खुद को नहीं दिया मैंने,


ज़िन्दगी बस गुजार दी यूँ ही,

जाम उलफत नहीं पिया मैंनेl


नैन बैचैन से रहे हरदम,

खास कुछ भी नहीं किया मैंने l


दर्द दिल में हुआ बहुत लेकिन 

दर्द हंस के छिपा लिया मैंने l


पास दिल के नहीं रखा उसने,

गैर फिर भी नहीं कहा मैंने l


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 19, 2022

 धूप_मे कितना जलना पड़ता है  ;

मंजिल का वो सुख पाने को..


दुख बहुत सहना पडता है  ;

गीत मनचाहा गाने को..


कितने पतझड सहने पड़ते हैं ;

तब हो सकीं बसंती मनुहारें..


उस पीड़ा की कोई खबर ;

कहाँ हो सकीं कभी जमाने को ..  


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 18, 2022

 जीता रहा अपनी धुन मे

दुनिया का कायदा नहीं

देखा.

रिश्ता निभाया हृदय से

कभी फायदा नहीं देखा !


एक किताब की तरह हूं ,

कितनी भी पुरानी हो जाये ,

उसके अल्फाज नहीं

बदलेंगे.


कभी याद आये तो, पन्नों

को पलट लेना.

मैं आज जैसा हूं 

ग़र रहा जिंदा

तो ऐसा कल भी रहूँगा ! ~


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 17, 2022

 अहले सुबह ..

अलसाई सी आंखों से

तेरी यादों की पुरवाई टकरा गई !


खोने लगा मैं तुममें ..ख्यालों में 

रात जो तेरे संग ख्वाब में कटी थी 


तकिया अब भी गिला था

सहलाया यूं जैसे तुम हो ..

महसूस किया आंखें बंद कर तुम्हें !


दो बूंद ढलक गए गालों पर 

और सुबह हो गई !


और तुम ?

खो गई ..!


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 16, 2022

 जब मन कि कोई भी बात हो

या दिल में भरा कोई जज्बात हो ।


जो पल-पल तुम्हें सताते हो

और आंखों को नम कर जाते हो ।


उन बेचैनी की बातों को

उन दर्द भरी मुलाकातो को ।


लिख दो लहू से दिल के पन्नों पर

एक कलम बना कर  यादों को ।


शायद कुछ सुकून मिले तुम्हें

भूल पाओ उन लम्हों को ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 15, 2022

 कुछ कहे, अनकहे, कुछ हृदय में रहे,

इस निशा के भंवर में समाते रहे।


चांद छिपने लगा, रात के पग थमे,

किन्तु अपने हृदय, गुनगुनाते रहे ।


प्रेम का ज्वार, यूंही घुमड़ता रहा,

सपन अनगिने, लहलहाते रहे।


दो तुम्हारे नयन, दो हमारे नयन,

चार दीपक सदा, जगमगाते रहे।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 14, 2022

 कभी कभी खुशी से

बांटना जज्बात जरुरी है

दिल में दबी हो वर्षों से

कहना बात जरूरी है!!


मन की बातों में

हजार राज छुपे होते हैं

निराशा के सन्नाटों में

मोहक आवाज छुपे होते हैं !!


मन की बातें कहने से

मन  हल्का होता है

बोझिल मन पर हावी 

नहीं कुछ कल का होता है !!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 13, 2022

 तेरी मीठी मीठी बात

तेरी अनचाही मुलाकात।

तेरी खिली खिली सौगात

तुम तो रब से भी प्यारी हो।


होठों पर तेरी मधुशाला, 

लवों पर तेरी मुस्कान। 

तेरी अमृत जैसी बोली, 

तेरी कोयल जैसी तान।


उड़े जुल्फें जब चले तू

हो बिन बादल बरसात।

तेरी मीठी मीठी बात। 

तुम तो रब से भी प्यारी हो।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 12, 2022

 काली~काली आँखें ...,

लाल सूर्ख होंठ ....


हल्के गुलाबी गाल .....

माथे पे चांदी सी चमक ....


गोरे रंग में ये बदन 

हल्की लालिमा लिये हुए ....!


क्या खूब है ...

सारे रंग एक ही केनवास पर उतार दिये !


शायद ....


खुदा ने तुम्हे बनाने से पहले ...

रंगोली बनाई होगी ....!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 11, 2022

 सांस-साँस तेरी गीत बनी है 

हर धड़कन है सरगम। 


बंद पलक है निशा घनेरी,

खुले नयन प्रभात हैं हरदम। 


नेह निमंत्रण देती लगती अक्सर 

तेरी चितवन मुझको,


अपनी प्रीत रूप में सौंपी है तूने 

भेंट ये अद्भुत अनुपम। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 9, 2022

 ह्रदय से तुम्हारे  मिलन  कर  रहा  हूँ

तेरी धड़कनों पर गज़ल लिख रहा हूँ


पहाड़ों से आती ये चंचल हवायें

बदन से  तुम्हारे  आँचल  उड़ायें

छूकर बदन को मेरे  पास  आयें

आकर मुझे भी  दीवाना  बनायें


हवाओं को दिल से नमन कर रहा हूँ

तेरी धड़कनों पर गज़ल लिख रहा हूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 7, 2022

 बेइंतेहा दर्द है छुपाना चाहता

पर मुझे छुपाना भी नही आता


बहुत कुछ है लिखने को

पर थोड़ा बहुत ही लिख पाता


आंखें डबडबाई हुई रहती

चेहरा मुस्कुराता हुआ रहता


उंगलियां दिल के अहसास

कलम से पन्नों पे बिखेर जाता


पोंछ लेता हूं मैं नम आंखें ..

पर कागज़ पे दर्द छलक जाता ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 6, 2022

 महसूस होती हो

तुम मुझे मेरे आसपास

जब भी मैं खोता हूं

ख्यालों में तुम्हारे


इस अहसास को

क्या नाम दूं?

क्या यही प्रेम है?


आह,

मुझे तुमसे प्रेम है

सुन रही हो ना


"अगाध प्रेम"


अब तुम अपने 

दिल पे हाथ रखो

देखो तुम्हारी धड़कन भी

मेरा नाम गुनगुनाती है ?


मेरी धड़कन ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 5, 2022

 कितनी नज़्में

लिखी होंगी मैने


कितनी कविताएं

लिखी होंगी मैने


कभी प्रेम में

कभी दर्द में


जो दर्शाती है

मेरे दिल का हाल


"प्रेम"

मेरे लिए एक

छलावा ही रहा


हर किसी ने खेला

मेरे जज्बात से


फ़िर भी किसी से

कोई गिला नहीं मुझे


खुद को ही कसूरवार ठहराया

कुछ तो कमी होगी मुझमे ही ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 4, 2022

 बेबसी में तड़पकर रह जाता हूँ

अक्सर ख्वाब दिल में सजाता हूँ 


चाहे कोई समझे ना समझे मुझे

तुम मुझे समझो ये आस लगाता हूँ


जख्म देती हो जब जब तुम मुझे

अपने जख्म खुद ही सहलाता हूँ


करती हो मुझे तोड़ने की कोशिश

टूट कर फिर भी मैं मुस्कुराता हूं


बस तुम्हारी खुशी की दुआ करता हूं ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 3, 2022

 मैं कोई रिश्ता नहीं हूँ

जो तुम निभाओगी मुझे ..


मैं तो बस अदना सा इश्क़ हूँ

तुम इश्क़ से ही पाओगी मुझे ..


है मेरी इक आखिरी ख्वाहिश

तुम पूरी करोगी क्या ?.


जब जनाजा मेरा निकलेगा

क्या कफ़न में अपना दुपट्टा ओढ़ाओगी मुझे ?.


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 2, 2022

 ख्वाबों ख्यालों में तुम आ रही हो

राफ्ता राफ्ता दिल में समा रही हो,


दीदार कर तेरा ,मुझे सुकून आता है

इस कदर तुम,मुझसे मुझे चुरा रही हो,


चांद भी आज मद्धम पड़ गया है

तुम घुंघट से जो झांक रही हो,


तेरी सांसों से महकने लगा हूं मैं अब

तुम मेरे आगोश में जो बिखर रही हो ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 1, 2022

 जिंदगी और मेरे बीच गजब की जंग है ;

रोज इससे खेलता हूं पीछा छुड़ाना चाहता हूं; 


जाने क्या क्या कर जाता हूं..

जिंदगी के अंतिम छोर पे जाकर लौट आता हूं..

तरह तरह के एडवेंचर करता हूं.. 


कभी कभी लगता है की 

अब जिंदगी से पीछा छूटने ही वाला है, 

की ये कमबख्त फिर मुझे दबोच लेती है ..


अपनी जिंदगी को कहता हूं,

बोल कितने पल का मेहमान हूं ?, 

फिर आंखें खोल देता हूं,


जिंदा हूं मैं अब भी 

सहसा येअहसास हो जाता है,

ओह फिर से जीत गई.."जिंदगी"


ना किसी से कोई गिला ना शिकवा ..

जिसने जो दिया मेरे हिस्से का था 

वो प्रेम भी, नफरत भी, धोखा भी,


खैर .. 

यात्रा जारी है ...  

अनवरत ..

जिंदगी तू कभी तो हारेगी ही ..

कभी तो मैं जीतूंगा ही ..


---- सुनिल #शांडिल्य