Sunday, October 31, 2021

 कुछ तो तेरा चेहरा गजब था,

कुछ बारिश में तेरी

भीगी लटो ने

मुझको उलझा दिया,


कुछ मौसम का नशा हो रहा था मुझे 

कुछ तेरी नशीली निगाहों ने पिला दिया


मोहब्बत जब से की है तुमसे

इस मोहब्बत ने बहला दिया


कभी तेरी बातों ने किया मदहोश मुझे

कुछ तेरी खुशबू ने बहका दिया....!!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 30, 2021

 ख़ामोश लब हैं झुकी हैं पलकें,

दिलों में उल्फ़त नई-नई है ...


अभी तक़ल्लुफ़ है गुफ़्तगू में,

अभी मोहब्बत नई-नई है ...


अभी न आएँगी नींद न तुमको,

अभी न हमको सुकूँ मिलेगा ...


अभी तो धड़केगा दिल ज़्यादा,

अभी मुहब्बत नई नई है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 29, 2021

 तेरे होंठों की

कंपकंपाहट पर

मैं आ जाऊँगा


गले लगाने का तू

वादा तो कर

मैं आ जाऊँगा


तेरे काजल लगाने से

शिकायत है मुझे 


आंखों मे अपनी बसाने का

वादा तो कर

मैं आ जाऊँगा


यूँ तो ज़माने के लिए

 तनिक व्यस्त रहता हूं


 हाँ तू पायल बजा

के इशारा तो कर

मैं आ जाऊँगा.!~


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 28, 2021

 एक लौ मद्धम ही सही

पर जल रही है


हर शाम तेरी कमी

बहुत खल रही है


तेरे सपनो में खोने से

अब डर लगता है


लेकिन,

कोई कह गया

ये रात ढल रही है


पर दिल में वो इक एहसास

आज भी पल रही है


सब जज्बातों का खेल है

धीरे धीरे मेरी उम्मीदें भी ढल रही है


और मैं भी

राफ्ता राफ्ता ढल !!!!!!!!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 27, 2021

 बेरंग से अब सब नूर है

उजालों में अंधेरे खूब है

तुझ बिन कहा वो रंग है

तेरे संग से ही मुझमें नूर है


बोझल, ओझल ख़्वाब है

ख़्वाब में तेरा ही अक्स है

दूर मुझसे इतना तू क्यूँ है

करीब रूह के मेरे तू ही है


तुझ बिन उजड़ा आशिया है

गया छोड़ के जाने तू कहा है

तुझसे जुदा कहा मेरा जहा है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 26, 2021

 एकांत में नदी किनारे

नश्वर देह के साथ बैठा


हवाओं में झूमते पेड़ पौधे

ठंडी ठंडी पुरवाई

पत्तों की मधुर आवाज

शाम पहर


डायरी में यादों के

पन्ने पलट रहा

सहसा

सुखी गुलाब की पंखुड़ी

उन पन्नों से बिखरी


महकी मेरी यादें तत्क्षण

आंखों में एक अक्स उभरा


कुछ बूंदें

आंखों से ढलक गई


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 25, 2021

 जा पहुंचा मयखाने

दर्दे दिल का पता

ढूंढते ढूंढते.,मैं


तुझे भुलाने की दवा

मयकशी बतायी साकी ने


खुद को तबाह करने की

नायाब तरकीब बताई थी


ज्यूँ ज्यूँ जाम पीता गया

तेरा ही अक्स नजर आता गया


ये मेरी बेसुधी थी या

तेरी मोहब्बत का असर


जाम में भी तेरा ही

अक्स नजर उभरता गया ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 24, 2021

 बदल रहा मौसम भी रंग

बदल गए है साथी वो संग


रंगे जो साथ मेरे हर रंग

खामोशिया दे गए हमे संग


बोझल हुए जिन्दगी के रंग

अहसासों में नही जो तुम संग


हमदम थे तुम मेरे हर रंग

खोया जाने कहा अब वो संग


तन्हा हुए जिन्दगी के रंग

दर्द ही दर्द नही रहा हमदर्द संग


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 22, 2021

 उसकी गली में हम थे

फिर भी उससे कोसो दूर थे


वो भी मौजूद वही थे

पर फांसले समुंदर जैसे थे


कैसे कह दे दुश्मन थे

अजीज दिल के मेरे वही थे


अंधेरों में जो मेरे साथ थे

आज उजालों में भी पास न थे


जिसके हर कदम साथ थे

आज वो हमारे इक कदम साथ न थे


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 21, 2021

 रात रानी की फूल सी तुम हो महकती ,

होंठो पर आई मेरे मद्धम मद्धम मुस्कान ।


फ़िज़ाओं में है कशिश की ताज़ी उमंग ,

बारिश की बूंदों में है प्यार की मधुर तरंग ।


तुझे देख ज़ुबा पर ठहरा बस इक तेरा नाम ,

धड़कनों की ज़ुबा कहे चलूं संग मेरी सजनी ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 16, 2021

 दिल की ग़लती से निगाहों में नमी रहती है

बस इसी बात पे दोनों में ठनी रहती है


तुमको देखा तो ये जाकर के भरम दूर हुआ

मैं समझता था फ़लक़ पे ही परी रहती है


तुमने पलकों का मेरी जबसे लिया है बोसा

आँख सोती है मगर नींद उड़ी रहती है


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 15, 2021

 मै जब भी तुम्हे सोचता हूं.....

मेरी आत्मा त्याग कर मुझे ....

चली जाती है तुम्हारे संग.....

आँखें बन्द,चेतना शून्य, 

मैं प्रतीक्षारत 

कि कब चूम लो मेरी आत्मा 

और

मैं फिर चैतन्य हो जाऊं...

तुम्हे सोचने के लिए......................


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 14, 2021

 बिना झिझके उन्होंने

मुझसे निगाह मिलाया था


तो उनके गाल पर

रंग सुर्ख लाल आया था


मेरे चेहरे पर उनके

ज़ुल्फों का जाल आया था


इश्क के नशे की लत में

हमने खुद को तब डुबोया था


गुलाबी कुर्ता पीला दुपट्टा

लबों पे लाली,माथे को बिंदी से सजाया था


तब हुस्न उनपर क्या

कमाल आया था ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 12, 2021

 भला, दिन कहाँ ढलता है..

ये तो 

एक सफेद पन्ना है जीवन का.. 


जो पलट कर 

काला पड़ जाता है..


पर,

इस गहन अँधेरे में भी ..

मन के आकाश में..

मैं हजारों अंजुलि

टिमटिमाते उजाले फैला देता हूं..


और..उन्हें 

निहारता हुआ जीवन, 

हजारों बार मुस्कुरा देता है..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 11, 2021

 गोरा बदन,तेरा चेहरा हिजाबी

निगाह शराबी,रुखसार गुलाबी


बनाकर जुल्फें,करती इशारे

दिखाए कितने ख़्वाब ख़याली


मुमकिन कहाँ की हो नज़्म बयाँ

ग़ज़ल सी तू,या मुकम्मल शायरी


मौसम बेवफ़ा,और क़ातिल अदा

क्यो बहाती है मेरा ख़ून शहाबी


लिख दिया तुझे इन अ'सआर मे

हुआ शेर फिर अल्फ़ाज़ इंतिख़ाबी


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 10, 2021

 बेपनाह, बेहिसाब इश्क की

अधूरी मेरी सारी हसरतें रही


कीमत मेरे रूहे-अहसासों की

फिर नज़रो में तेरे कुछ न रही


कशिश वो मेरे रूहे-दिल की

दरमियां दफन हो रूह में रही


तुझसे गुफ्तगू-ए-इश्क की

मेरी हर खव्हिश अधूरी रही


तुम मेरे सबसे करीब होकर

भी मुझसे उतनी ही दूर रही


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 9, 2021

 शे'र सुनना तो फकत बहाना है

मुझे तो तुमसे बात करना है


शाम ढले मुंतजिर हूं मुलाक़ात हो

मुझे तो सूरज को चांद करना है


शांत हो दरिया तो सफ़र ही क्या

मुझे तो तूफ़ान का पार करना है..


जानता हूं सज़ा सरकलम है इश्क़

मुझे तो ये गुनाह बार बार करना है


बाद गजल इंतखाबी शेर सुन लो 

मुझे तो इश्क का इजहार करना है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 7, 2021

 जो नशा तेरी आंखों में है

वो बात कहां मयखाने में है


उड़ती पतंग,समुन्दर के

पानी सी मदहोश तु है 


मैं मदमस्त हूं,मदहोश हूं 

तेरी आशिकी में मस्त हूं


कैसे तूझे अपना बनाऊं मैं

ये सोचने में दिल मेरा व्यस्त है 


तुझे देखकर रोज जीता हूं मैं

आज तुझपे मरने का इरादा है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 2, 2021

 वो इश्क मेरा मुझमें ही रहता है

इर्द-गिर्द वो मेरे हरपल रहता है


अहसास बन रोम-रोम बसता है

ओझल नजरो से रूह में रहता है


मुस्कान बन मेरे होठो में रहता है

धड़कने बम मेरे  दिल मे रहता है


सांसो की मेरी, आहट में रहता है

अहसासों में महताब बन रहता है


जब में चलता हू..


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 1, 2021

 मिली थी कल मुझे वो ..

थी मुकम्मल गजल सी वो


कह बैठी ,

सुनो ...


मैं भी तुमसा 

लिखना चाहती हूं ,


दर्द को पीकर

कैसे लिखते हो ?


तुम प्रेम से भरी 

ये कविताएं ..


जरा मुझे सिखाओ ना ,

मैं भी लिखना चाहती हूं ..


दर्द को दफन कर

प्रेम से भरी कविताएं ।। 


---- सुनिल #शांडिल्य