महफ़िल बनी रही युही तुम्हारी
चाहे बिखर जाये ये ज़िन्दगी हमारी
दीवानगी इस क़दर बढ़ गयी है
के सह ना पाए एक पल जुदाई तुम्हारी
अपनी बेबसी पर आज रोना आया हैं !दूसरों को क्या मैंने खुद को आजमाया हैं !!हर एक की तनहाई दूर की हैं मैंने...!पर खुद को हर मोड पे तनहा पाया हैं !!
आंसुओं की लिखावट को तुम पढ़ ना सकोगे ,गीले कागज़ पे तुम कुछ लिख ना सकोगे !याद आएगी तुमको हमारी ये बातें ,जब खोकर तुम हमें पा ना सकोगे !!