Tuesday, May 30, 2023

तुम्हारे साथ चलना उम्र भर मुमकिन नहीं लेकिन
अगर मेरी जरुरत हो मुझे आवाज दे बुला लेना।

मैं चल कर आऊंगा तुम तक ये मेरा तुमसे वादा है
इशारों से बुला लेना सहारा फिर बना लेना।

अभी आबाद है तेरा जहाँ रुसवा न करूँगा
मुझे बर्बाद भी कर दो अगर शिकवा ना करूँगा।

अँधेरा जब कभी हो जाये राहे ज़िन्दगानी में
ये दिल कदमों में हाजिर है जहाँ चाहे जला लेना।

जो लहराता रहा अक्सर जिसे मैं प्यार करता था
मेरी इस आखिरी ख्वाहिश का मैं इज़हार करता था।

अगर कोई दाग लग जाये तेरे बेदाग आँचल पर
मेरे अश्कों से धो लेना दोबारा फिर सजा लेना।

सुना है दूर जाने पर किनारे छूट जाते हैं
सभी अपने पराये और सहारे टूट जाते हैं।

ये दुनियां डूबने पर कल तुम्हें मजबूर कर दे तो
मुझे कश्ती समझना या किनारा फिर बना लेना।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 29, 2023

भोर की सुन्दर सुनहरी
खिलखिलाती धूप फैली
शाम ढलते ही ये अलसाये नयन
हम क्या करें
दिवस के हलचल भरे
नित ख्वाब आंखों में लिये
न थके,न कभी हारे
बस अनवरत चलते रहे
अनगिनत सपने हमारे
पूर्ण करने की अथक,चाहत लिये
बन पथिक चलते रहे
साँझ ढलते ही थकन से
अंग ये बोझिल हुए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 27, 2023

पैर थक कर चूर हो गए कहने लगे 
अब विश्राम करना चाहिए
आँखों ने सुना तो तुरंत बोली हम तो नहीं थके 
बस पानी के कुछ छींटे डाल दो 
पर चलना बंद मत करो

जूतों ने सुना तो बोले 
अभी से थकने की बात ही क्यों करी ?
मैं तो बिना थके जितना अब तक चले 
उससे भी अधिक चल सकता हूँ!

कान बोले जैसा सब कहे 
वैसा ही कर लो मुझे सब मंज़ूर है
गला बीच में बोल उठा 
प्यास लग रही है थोड़ा सा पानी पिला दो 
थोड़ा विश्राम कर लो फिर चलना प्रारम्भ कर दो

ह्रदय बोला रुकेंगे नहीं 
मुझे प्रियतम से मिलने की ज़ल्दी है
सब की बात सुन कर मन बोला,
सब्र रखो हम सब एक परिवार के सदस्य हैं

ध्यान से सोचो थके मांदे ह्रदय को देख 
प्रियतम खुश नहीं होगी
आँखें गंतव्य पर पहुँच कर थकान से 
नींद की गोद में पहुँच जायेंगी

रही जूतों की बात उन्हें तो 
अधिक चलने की आदत है
तो किसी का भी भला नहीं होगा
गले की प्यास बुझा कर 
थोड़ा विश्राम कर लेते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 26, 2023

हम बहुत दूर निकल आये हैं चलते_चलते
आओ ठहर जायें कहीं शाम के ढलते_ढलते

दूर वादी है तो थोड़ा सुकूँ भी ले लें
चांद पूनो का चलो देखेंगे हंसते_हंसते

मखमली घास के बिस्तर पे झुका थोड़ा फ़लक
चांदनी हौले से सहला गयी डरते_डरते

गुजरते वख़्त के संग कहकशाँ ने दी ये दुआ
हवा के झोंके भी जो आयें तो झुकते_झुकते

शफ़क़ की लाली ने दस्तक की है कुछ सोच समझकर
लबों पे आयी जो शबनम वहभी रुकते_रुकते

इन उजालों में दिखी है हमें वादी की झलक
मीत नग़मों की तरह पहुंचें वहाँ गाते सुनते

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 25, 2023

मैं और मेरी कलम... हम दोनों हमजोली हैं
ये ही मेरी सच्ची दोस्त... ये ही मेरी सहेली है
 
मेरी हर खुशी में...ये मेरा साथ निभाती है
ज़ज्बातो में ढल कर.. नयी रचना कर जाती है

गर मन होता उदास तो.. ये भी गमगीन हो जाती है 
अश्कों में भीगी.... कोई कविता गढ़ जाती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
दरख्तो में बैठ कर हम तुम्हे निहारते रह गए
अपनी खव्वाबगाह में तुम्हे तलाशते रह गए

गुजर गई है कई राते हमारी तुम्हारे बिन
तुम्हारी याद में हम शमा जलाते रह गए

अपने ख्वाबो मे तुम्हे तलाशते रह गए
न जाने क्यों हम तुमसे दिल लगाते रह गए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 24, 2023

हर पल मेघ नयन के बरसे।
तुम्हें देखने को जी तरसे।।

तेरी तलब लिए नजरों में।
रोज निकलते हैं हम घर से।।

छूट गया हमसे जीना तक।
इक तुमको खोने के डर से।।

कभी तो हमको मना लिया कर।
हम रूठे रूठे हैं कब से।।

लिखते हैं तन्हाई में तुमको।
छोड़ गईं तुम हमको जब से।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 23, 2023

झिलमिलाते दो नयन ये खींच लाए हैं कहां,
क्या है सच और क्या भरम कुछ सोच ना पाएं जहां,

कौन है जो व्यथित मन की ऐसी पीड़ा को हरे,
इक तुम्हारी चाहना है सागर हम कैसे धरे,,,

अधखुले नयनों से बोलो अश्रु हम कब तक बहाएं,
इस ह्रदय में जल रही अग्नि को हम कैसे बुझाएं,

डोर जब से बांध ली हमने सहज अनुराग वाली
सोम को पाकर गरल में किस तरह जीवन बिताएं,

टूटकर पतझड़ में जैसे पात रह रह के झरे,
इक तुम्हारी चाहना है सागर हम कैसे धरे,,,

मंदिरों में सिर झुकाया तब तुम्हें हमने था पाया,
भाग्य था कितना प्रबल लेकर तुम्हारे द्वार आया

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 22, 2023

हम दो अजनबी यूं ही अचानक
कहीं आमने सामने जब हो गए थे ।
नजरों से नजरें मिली तब हमारे
चारों तरफ सब नजारे बदल गए थे।।

आपके वह भोली सी मुस्कान मेरे
दिल तड़पा के धड़कने बढ़ा दीये थे।
पहली मुलाकात का वह जज्बात 
इजहार-ए-मोहब्बत बयां करदिए थे।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, May 21, 2023

देखा तुम्हे,नज़र फिर कहाँ हटने वाली
वही नज़ाकत,वही अदा,इठलाने वाली
बिन तारों के छेड़ती है,ग़ज़ल मतवाली
अपलक सौंदर्य की मेनका,स्वर्ग वाली
मुखड़ा छुपाती,लट बलखाती घुंघराली
उमड़ती घुमड़ती बदली हो, काली काली
कहती तेरे गालो की ये,सुर्ख सी लाली
बस अब नई सुबह है,जैसे होने ही वाली
कपकपाते अधर, होले से कुछ कहने वाली ,
हे कली अब कमल की, कोई खिलने वाली l
ठुमकी चाल,बलखाती आँचल लहराने वाली ,
यूँ लगे, लदी फूलों की हो कोई नाज़ुक डाली l
नयन कटीले कमान, तीखे तीखे बाणों वाली ,
सुध बुध खो, घायल कर, मन को हरने वाली l
नाज़ुक कलाई है, अब तब लचकने ही वाली ,
थाम लूँ बांह तेरी मैं, अब मन ललचाने वाली l
नख शिख भाव विभाव, मूरत सुंदरता वाली ,
दिखती ये तो वही कल्पना,मेरी कविता वाली l
कैसे काबू करें कवि, मन अब तो हरने वाली ,
मेरे मन की नायिका, अब मुझे मिलने वाली l

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 20, 2023

ओ रंग-बिरंगी तितलियों
मेरे सपनों को
अपने परों का रंग देकर
कहाँ खो गईं तुम?

काश! तुम दोबारा दिखती कहीं
यूँ ही किसी फूल को चूमती हुई
डाली-डाली झूलती हुई
फिर से आओ ना
मेरे मन-आँगन में

किसी क्षणिक खुशी का स्वरूप लेकर
पर अबकी जब मिलना
सिर्फ रंगत ही देना अपनी
मधुरता मत देना!

कि टूट जाता है
जरा सी बात पर
मेरे हृदय को अपने पंखों की
कोमलता मत देना !!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 19, 2023

तुम ख़ुश्बू हो,जिस आँचल में बिखरोगे गन्ध लुटाओगे
मेरी पंखुरियों से बँध कर केवल मुझतक रह जाओगे 

इतिहास सँवारोगे या फिर आने वाला कल देखोगे
खुशियों की मांग भरोगे या ये बहता काजल देखोगे

तुम पर है,पा लोगे कोई सतरंगी सपना नैनों में
या फिर काजल के घेरे में बंदी गंगाजल देखोगे

मैं भूला-भटका रस्ता हूँ,क्या पाओगे मुझ तक आकर
उस पथ को पूजा जाएगा तुम जिस पर चरण बढ़ाओगे 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 18, 2023

लेखनी से नित नया संसार रचता हूँ
चाँद सागर के मिलन का ज्वार रचता हूँ

और लहरों का मचलना साँझ का ढलना
रंग गहरे आस के भर प्यार रचता हूँ

भोर का स्वागत सदा सत्कार रजनी का
रोज़ आशा का नया उजियार रचता हूँ

हीर रांझा की कथा,महिवाल के क़िस्से
नित नए विश्वास से अभिसार रचता हूँ

कामना सब की कभी होती कहाँ पूरी
हो सके सम्भव वही आधार रचता हूँ

कोसने से रात को होता नहीं कुछ हल
एक दीपक को जला उपचार रचता हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 17, 2023

बहुत खूबसूरत लगती हो मुझे,तुम जैसी भी हो।
अंधेरी रात में तुम चमकते माहताब सी लगती हो।

लिख दूं मैं, कि तुम एक गहरा सुकून हो मेरे लिए।
तुम मेरी ज़िन्दगी का आंखरी,जुनून हो मेरे लिए।

तुम पढ़ कर समझ सको तो बहुत कुछ लिख दूं मैं।
दिल को ज़िंदा रखा है जिसने वो खून हो मेरे लिए।

लिख दूं मैं, इश्क़,मोहब्बत,प्यार किसे कहते हैं।
मीठा सा लगता है जो वो इंतज़ार किसे कहते हैं।

यहां पास रहकर भी यकीं नहीं होता किसी पर।
क्या लिख दूं मैं यकीं और एतबार किसे कहते हैं।

लिख दूं मैं, कि तुम खिलते गुलाब सी लगती हो।
जो देखा मैंने, तुम उस हसीं ख्वाब सी लगती हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 16, 2023

कविता के बारे में सबके भिन्न विचार होते है 
तो मैंने भी कोशिश की,कविता क्या होती है

वो निकल पड़ी है पर्वत से,,कुछ चंचल सी कुछ निर्मल सी
सागर से मिलने की आस लिए,,वो सूखी धरा भिगोती है,,
शायद यही तो कविता होती है,,,,,,,

कभी वीररस का उन्माद लिए,कभी श्रृंगारों के सावन में
विरह गीत के बीहड़ में,वो तन्हाई में रोती है

बेचैनी के मरुस्थल में,रेतोंका तूफ़ान लिए
एक अनबुझी प्यास है,अश्कों से लबको भिगोती है

कभी दर्द भरे किसी नग्में में,कभी तन्हाई की गज़लोंमें
एक अनसुलझे से धागे में,प्रेम के मोती पिरोती है

कोसों दूर है निंदिया से,सुबह शाम का होश नहीं
वो मखमल के बिस्तर पर भी,आँखें खोले सोती है

कभी अंधेरों से घबराकर,आवाज दे बुलाती है
यादो की बाती में लिपटी,एक अमर प्रेम की ज्योती है

कोशिश तो मैंने भी की,कुछ प्रणय,बिखेरु कागज पर
रंग बिरंगे कागज़ थे,बस कलम पास नहीं होती है,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 13, 2023

ये हवायें महकी और निर्मल हो गई 
कल तुम्हारे पांव छू के रेत चंदन हो गई 

अंग_अंग पंक्तियों का भाव से परिपूर्ण
बूंद बूंद प्रेममय है तुम निरंतर बहती सविता
है शिखर तुम में समाहित घाटियां तुम में बसी

ये है मेरा विश्वास प्रियतमा तेरे सा कोई नही
तेरी सांसों को छू मेरी सांसें उपवन हो गई 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 12, 2023

एक यौवन चंचला प्रणय रस वत्सला
कलिका अंगड़ाइयाँ तन छुए भ्रामरा।

झूमती नव गगन ढूँढ़े अपना सजन
मेघों की क्रीड़ा में मस्त वासंती मन।

शाम कुछ मधुर शीत बन गई मन का मीत
पग बढ़े मय के घर लेकर जीवन संगीत।

रंग अनगिन लिये मन में जलते दिये
उर की धड़कन बढ़ी नव प्रणय तू प्रिये।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 11, 2023

प्रणय पुष्प ले साँवरी एक हवा
बावरी सी निड़र धीरे से जब छुआ।

एक कंपन हुआ तन बदन हिल गया
थोड़ी सिहरन हुई मन भी चंचल हुआ।

कोकिला कूक सी भीना संगीत रंग
अधरों की लालिमा और मलय सुवासित गंध।

एक विहरन का मन थे व्यथित दो नयन
तन की अंगड़ाइयाँ थी वासंती छुवन।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 9, 2023

पूजता हूं तुम्हें मन के मंदिर में मैं
मन की मंदिर की मूरत बना बैठा हूं।

काम जीवन में मेरे बहुत है मगर
प्रीत की तुझ से आदत लगा बैठा हूं।

नींद मेरी गई,याद करके तुझे
तू वहां चैन से ऐसे सोती रही।

न भी बोले मगर,मैं समझता हूं सब
बोलने की तुम्हें कुछ जरूरत नहीं।

तू है आंगन मेरी,मैं तेरे द्वार हूं 
भाव से अपना आंगन सजा बैठा हूं

तारे गिन के गुजर जाएगी रात भी
बस! तुम्हें चैन की,नींद आती रहे

प्रेम इजहार करने को बेताब सब
बस!मेरा प्रेम,तेरे लिए है सदा

है यह रिश्ता नहीं इस जन्म का प्रिय
सात जन्मों की वादा,निभा बैठा हूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 3, 2023

कैसे कह दूं? 
कि तुम मेरे साथ नहीं हो मेरे आस पास नहीं हो
मेरे एहसास में, मेरी हर बात में, 
मेरे जज़्बात में, मेरी हर जिद्द में

रूठने में,मान जानें में, मेरी सुबह में, मेरी शाम में
मेरे दिन में,मेरी रात में, मेरी नींद में ,मेरे ख्वाब में

जगती-सोती हुई आंखों में
जोर-जोर से धड़कती हुई धड़कन में।
बताओ कहाँ नहीं हो तुम?

नसों में घुलते इश्क से महसूस होते हो
हर पल हर वक़्त तुम मेरे नज़दीक होते हो।

मेरी हर ग़ज़ल, मेरी हर नज्म में, लिखे गए हर शब्द में,
रोम रोम में,मेरी रूह में, मेरे मन में,मेरी आत्मा में,
बताओ कहाँ नहीं हो तुम? 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 2, 2023

कितने सुंदर सितारे हैं, तुम बिन जलाए सारे हैं
धड़का जाती है जिया, जब ठंडी हवा हमें पुकारे हैं

झुलसा रही है चाँदनी, पास नहीं तुम्हें पाते हैं
जाऊँ तन्हा कभी चमन में, भँवरा कली मुझे चिढ़ाते हैं

आसमां पर लिख तेरा नाम, बादल देखो हमें भरमाते हैं
पानी सभी अगन बुझाए, मुझको ही क्यों सुलगाते हैं

मैं तेरा पगलू ए अजनबी, तुम ही तो मेरे नजारे हो 
बाँहें पसारे खडा हूँ राह में, यह जीवन तुम्हारे हवाले हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 1, 2023

कलम आज मुझसे सवाल करती है
कमबख्त मेरे दिल का हाल लिखती है

कहता हूं इसे तू सिर्फ इश्क लिखा कर
पर ये हंसी के पीछे का दर्द लिखती है

कहता हूं छुपा लो एहसासों को तुम
पर रात जो अश्क बहे वो लिख देती है

जर्रा जर्रा आंखों का हाल लिखती है
मेरे रोते दिल का अफसाना लिखती है

~~~~ सुनिल #शांडिल्य