अगर मेरी जरुरत हो मुझे आवाज दे बुला लेना।
मैं चल कर आऊंगा तुम तक ये मेरा तुमसे वादा है
इशारों से बुला लेना सहारा फिर बना लेना।
अभी आबाद है तेरा जहाँ रुसवा न करूँगा
मुझे बर्बाद भी कर दो अगर शिकवा ना करूँगा।
अँधेरा जब कभी हो जाये राहे ज़िन्दगानी में
ये दिल कदमों में हाजिर है जहाँ चाहे जला लेना।
जो लहराता रहा अक्सर जिसे मैं प्यार करता था
मेरी इस आखिरी ख्वाहिश का मैं इज़हार करता था।
अगर कोई दाग लग जाये तेरे बेदाग आँचल पर
मेरे अश्कों से धो लेना दोबारा फिर सजा लेना।
सुना है दूर जाने पर किनारे छूट जाते हैं
सभी अपने पराये और सहारे टूट जाते हैं।
ये दुनियां डूबने पर कल तुम्हें मजबूर कर दे तो
मुझे कश्ती समझना या किनारा फिर बना लेना।
~~~~ सुनिल #शांडिल्य