Tuesday, August 31, 2021

 इक अधूरा सा जो

गजल मैं लिख रहा हूं ,


तुम्हें  जो  देखूं  मैं  तो 

हो जाए मुकम्मल यूं ही ।।


कभी  संग  छत पे

चलना चांदनी रात में ,


कभी गालों पे मेरे 

रख देना बोसा यूं ही ।।


लो एक ख्याल को

नज्म में बदल दिया ,


तुम आगोश में बिखरो

गजल लिख दूं  यूं  ही ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 28, 2021

 ..

आती हो तुम 

..पास मेरे

बनकर इक पल का

..अहसास


उड़ जाती हो दूजे पल

..ख्वाब बनकर तुम


..डर लगता है मुझे

ये जानती हो तुम

..तन्हाइयों से


..फिर भी..

येन केन प्रकारेण

तन्हा छोड़ जाती हो

..मुझे तुम..


#शांडिल्य

Friday, August 27, 2021

 जब ख्वाबों में तुम

..मुझसे मिलोगी

मैं मुलाकात समझूंगा


मेरे कांधे पे जब

..होगा तेरा सर

मै हमारे इश्क की

..शुरूआत समझूंगा


तेरी जुल्फें मेरे चेहरे

..पर जब लहराएगी

मैं रात समझूंगा


है ख्वाहिश तेरा बनने की

बनकर प्रीत मैं तेरा


ख़ुद को तुझे सम्पूर्ण

..अर्पित कर दूंगा


#शांडिल्य

Thursday, August 26, 2021

 अधूरी हर रात

अधूरी हर बात


अधूरा हूं मैं

अधूरी है तू


अधूरा है प्रेम

अधूरा है मिलन


इस अधूरेपन

में कितनी शिद्दत है


प्रेम को

पाने की इच्छा..

और खोने का दर्द..

दोनों है..


यही प्रेम है

समर्पण और अहसास


प्रेम है

बस और कुछ नहीं..!!


---- #शांडिल्य

Wednesday, August 25, 2021

 रुख से तेरे नकाब जो हटाऊँ मैं

देख कर मुझे मेरी चांद शर्मा जाए


जरा जी भर के करने दे दीदार मुझे

हो इजाजत गर,भर लूं तुम्हें बांहों में


सीने में लगी मेरी जाने कैसी अगन

बुझे जब तेरी सांसें टकराए सांसों से


दिल की बढ़ जाती है मेरी धड़कन

जो रख दे तू मेरे लबों पे लब अपने ।।


----#शांडिल्य

Monday, August 23, 2021

 अधरन मधुर माधुरी मुस्कान

बोली सरस जैसे वीणा की तान


झुमके बरेली के सजे दोनो कान

ग्रीवा है जैसे जल भरी गागरिया


छरहरा वदन और कृष कमरिया

ठुमक ठुमक पग धरे जो धरा पे


मधुर मधुर बजे छुमछुम पैजनिया

अदाएं ऐसी जैसे हर लेगी प्राण ।।


#शांडिल्य

Friday, August 20, 2021

 हुआ एहसास कि कितने खास है

किसी के लिये हम कितने पास है


जहाँ दूरी होकर भी दूरी नही

रूह को बस रूह की तलाश है


ढूँढती थी नजर जिस नजारे को

वो हमेशा अब आसपास है


सुकून की चाहत खींच लाई पनाह मे

क्या खूबसूरत एहसास है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 19, 2021

 नज़्में उलझी है सीने में ,

मिसरे अटके हुए लबों पे ।।


उड़ते फिरते तितलियों के तरह ,

लफ़्ज कागज़ पे बैठते ही नहीं ।।


कब से बैठा हुआ हूँ मैं ,ए हसीं ,

सादे कागज़ पे लिख के तेरा नाम ।।


बस तेरा नाम ही मुकम्मल है ,

इससे बेहतर कोई नज़्म क्या होगी ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 15, 2021

 कुछ गीत मेरे

यूँ तो ;

जमाने के लिए हैं.! 


ये छंद ये सुर

ताल ;

बस लुभाने के लिए हैं.! 


जो लोग मेरे

वतन ;

के लिए जान लुटा गए.. 


मेरे शब्द-सुमन उन

फरिश्तों ;

पर चढ़ाने के लिए हैं.!


भारत माँ के

वीर सपूतों को

शत शत नमन :🙏🙏


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 14, 2021

 नज़र बहुत लगती

खुबसुरत चीजो पर


ज़रा सा काजल

आंखो पे लगाया करो


एक जमाना हो गया

बारिश में तर हुए


अपनी जुल्फें ज़रा झटक

हमे भी भीगाया करो


मदमस्त ये मौसम है

तलब उठी है मदीरा की


मयखाने हैं बंद पड़े

ज़रा आंखो से पिलाया करो


हमे देख बुदबुदाती क्या हो

कभी हमे भी सुनाया करो


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 13, 2021

 सुनो ~


तुम बिन जीवन..

जैसे श्रृंगार बिन होगी दुल्हन.!


जैसे धरती होगी बिना पवन.!

जैसे सूर्य बिन ये नील गगन.!


जैसे बिन बरखा, के सावन.!

पुष्प रहित हो कोई चमन.!


घर हो कोई बिन आंगन.!

निष्प्राण- सा कोई तन.!


मृत कोई मन.!

जैसे हृदय हो कोई बिन स्पन्दन.!! 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 12, 2021

 कल्पनाओं से

तुम को लिखता हूँ

शब्द शब्द अक्स

तेरा नजर आए


शब्द-पुष्पों को भावों

का नैवेद्य बना

अर्पित तुम को मैं करूँ.! 


उस शब्द-माला

के हर शब्द मे तेरी

मुस्कुराती

तस्वीर मुझे दिखाई दे


सुन ~

मेरी कविता की

धक धक

आत्मा है तू 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 11, 2021

 तू पूनम का चाँद

जिसे सागर भी प्यार करते हैं.!


निसार खुद को

तुझ पे बार बार करते हैं.!


भला तू क्यूँ

इंतजार करे सितारों का ??


सितारे खुद ही

तेरा इन्तज़ार करते हैं.! 


 ----सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 9, 2021

 मन मे ये भाव जागे संग अनुभाव जागे,

रग रग मे तो प्रेम का प्रसार हो गया,


"कमसिन-कामिनी" का "नेह-दृष्टि" पान हुआ

"मधु-रस" से भी बढ कर खुमार हो गया,


सृष्टि गई डोल डोल बदल गया भूगोल,

जित देख उत प्रेमका खुमार हो गया ...


मुझ से दो_बातें कर उधर से उसने जो एक बार देख लिया,

हाय इधर ये मेरा दिल तार तार हो गया .... 💕


---- सुनिल शांडिल्य

Sunday, August 8, 2021

 नेह का छोटा सा बसा एक गांव हो ।

भावना की घनेरी वहां छांव हो ।

हो हृदय का भवन प्यार की पवित्र-देहरी ।

जिस पे सुन्दर सुकोमल मेरी प्रिया  तुम्हारा पांव हो 


---- सुनिल शांडिल्य

Wednesday, August 4, 2021

 सुनो...

मुझे तेरे चेहरे पर ये उदासी खलती है

खिलखिलाती, इठलाती अच्छी लगती है


लफ्ज़-दर-लफ्ज़ मिलो या रूबरू तुम

अहसास-ए-रूह मिलकर अच्छी लगती है


रिश्ते हजारों जमाने मे मतलबी है

रूहे-अहसासों में मुस्कराती अच्छी लगती है


न रखा करो यू उदासी चेहरे पर तुम

इक तू ही मेरी रूह से रूहानी लगती है


---- सुनिल शांडिल्य

Tuesday, August 3, 2021

 ना मैं "जोगी"

ना मैं "बंजारा"

ना मैं "बादल"

कोई "आवारा" हूं   ¦¦


"भटकता" हूं

तेरी ही "धुन" मे

मैं "दीवाना"

मेरी जान तुम्हारा हूं  ¦¦


रहे तू "दूर"

कितनी भी, 

तुझे मुझ से ही "मिलना" है  ¦¦


"लहर" तू "प्रेम"

के "दरिया" की,

मैं तेरा ही तो "किनारा" हूं  ¦¦


---- सुनिल शांडिल्य