Sunday, July 30, 2023

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

मुझे मंज़िल ए इश्क़ पे हो यकीं
तुझे धड़कनों में सुना करूं

कभी सजा लूं तुझको आंखो में
कभी तस्बीहों में पढ़ा करूं

कभी चूम लूं तेरे हाथों को
कभी तेरे दिल में बसा करूं

कभी यूं भी आ मेरे रूबरू
तुझे पास पा के मैं मुश्कुरा पड़ूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 29, 2023

खामोश होंठो को खामोश रहने दो
चन्द लम्हो के अल्फाज़ो को रहने दो

तन्हा लम्हो को मेरे तन्हा रहने दो
इक मुलाकात बाद तलब न रहने दो

दर्द भरी अमावस को स्याही रहने दो
तुझसे पूनम इक रात की कसक रहने दो

न हो तू खुद से परेशा, परेशा अपनी हमे दे दो
आज नही हमे देना ही है तो हर सफर साथ दे दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 26, 2023

अच्छा सुनो ना 
एक रूह 
हजार एहसास 
और एक तुम.....!! 

एक मैं 
हजार किस्से 
और एक तुम...!!

दो आँखें 
हजार सपने 
और एक तुम....!! 

एक चाँद 
हजार तारे 
और एक तुम....!! 

एक रात 
हजार करवटें 
और एक तुम....!!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 25, 2023

प्रेम के है कितनी भाषाएं क्या तुमने महसूस किया
तीजे पहरतक जागे हो क्या?क्या कभी तुमने प्रेम किया

कितनी रातें जागी तुमने,कितने तारे गिन डाले
उस मनोहरी शाममें तुमने,कितने स्वप्न सजा डालें

कितनी वादें किए है तुमने,कितने शर्त निभाएं है
कितनी उम्मीदें तोड़ी है,बची कितनी आशाएं हैं

चांद निहारा कितना तुमने,कितने पानी में झांका
प्रेममें सात सुरों को लिखकर,क्या कभी खुद को है आंका

कितनी नदियां झिलमिल करती,उठा लहर और शांत हुआ
कितनी बार है झांका उसको,तेरा मन नितांत हुआ

कल्पनाओं की स्याही तोड़ा,कितनी बार बता जाना
प्रेमके उस मधुरिम बेला में,न कभी फिर से घबराना

शुष्कधरा पर रोपें कितने,प्रेमपुष्प के पौंधे तुम
कितने ख्वाब संजोए तुमने,कितने ख्वाब हो रौंदे तुम

पुष्प वाटिका में जा-जाकर,कितने पुष्प चुराए हो
कितनी बाहें थामी तुमने औ कितनी बांह छुड़ाएं हो

प्रेममें कितनी गांठे खोली,कितनी गाठें मौन रखी
कितने मनके चित्र उकेरे,कितने अबतक गौण रखी

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 19, 2023

ऎसा मिलना भी क्या तुम तो दूर बैठे रहे
तुम जरा पास आते तो बात कुछ और थी

वादा कर देना भी क्या बड़ी बात है
अपना वादा निभाते तो बात कुछ और थी

हमने दिल क्या तुम्हें जिंदगी सौंप दी
भूलकर अपनी सारी खुशी और अपने सारे गम

हमसफर मान कर साथ तो चलते रहे
पर ना तुम निकले तुम और हम रहे ना हम

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 18, 2023

हम कहाँँ जा रहे हैं? क्यों जा रहे हैं?
वे यहाँ आ रहे हैं क्यों आ रहे हैं?
न वे समझ पा रहे हैं! न हम समझ पा रहे हैं!!

यहाँ कोई बहस नहीं है कोई तर्क नहीं है
जिसको जो भी कहना है कह रहा है
जिसको जो भी सहना है सह रहा है
मगर कोई भी रुक नहीं रहा है
बस चल रहा है चल रहा है

कौन हैं वो लोग? जो चले जा रहे हैं
कौन हैं वो लोग? जो चले आ रहे हैं?
स्वेद रक्त सिक्त मधुरतम और तिक्त
यह जीवन विधिवत जिए जा रहे हैं
जीवन का स्वाद वो लिए जा रहे हैं।

न शिकवा है न शिकायत है
न विरोध है न हिमायत है।
चलना ही कर्म है बढ़ना ही धर्म है
सहज स्वीकार है सब अंगीकार है
किए जा रहे हैं जीवन का अनुभव लिए जा रहे हैं। 

जिनको तर्क करना है करें....
डरना है डरें...... मरना है मरें......
आखिर चलने वाले क्यों इस फेर में पड़ें....!
वे तो बस.. चले जा रहे हैं.......।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 13, 2023

नरगिसी आंखो मे शबनमी आंसू
जीने देंगे नहीं मुझे कभी आंसू

हरहाल मे रोककर रखना इनको
छलक न जाए आंखोसे कहीं आंसू

मै तेरी दुनियासे दूर चला जाऊगा
देख लिए जो आंखो मे कही आंसू

खुशियां दामनमे समेटो इसकदर
कि हो जाए तुमसे अजनबी आंसू

हां निकल आए खुशीमे जो सागर
मुझको तो चाहिए बस वही आंसू

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 10, 2023

इस ज़मीं से उस फ़लक़ तक 
है कोई तारा नहीं
मेरे हमदम सा ज़माने में 
कोई प्यारा नहीँ।।

एक मूरत को बसाकर 
कर दिया मन्दिर इसे
दिल हमारा घर है तेरा 
अब ये बेचारा नहीं।।

ज़िन्दगी में हूँ मैं शामिल 
दिल मे थोड़ी दे जगह
थोड़ी सी चाहत मुझे बस 
चाहिए सारा नही।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 6, 2023

शुरू करूं कहां से, मैं अपनी बतिया।
क्या नाम दूं इसे, जो तेरे मेरे दरम्या।

सिलसिले ये शुरू हुए, अनजाने सफर से,
नजरें मिली फिर, शुरू हुई बदमाशियां।

पास होती चाहतें तेरी, फिर ये कैसी दूरियां,
सपने बन कर तंग करती एहसासों की अठखेलियां।

सुन मीत मेरे प्रीत मेरे, खुशी तेरे गम सारे मेरे।
तू हीं मेरी धारती मैं हीं तेरा आसमां।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 5, 2023

लो आसमान सी फैल उठीं वो नीली आँखें
लो उमड़ पड़ीं सागर सी वो भीगी आँखें

मेघश्याम सी घनी-घनी वो कारी आँखें
मधुशाला सी भरी-भरी वो भारी आँखें

एक भरे पैमाने सी जब छलकी आँखें
दिल मानो थम सा गया लेकिन धड़कीं आँखें
ओस में डूबी झील सरीखी वो नम सी आँखें

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 3, 2023

चुप मैं रहूँ कभी कभी तुम को बताऊँ 
झगड़ लूं तुम्हीं से तुम्हें फिर मनाऊं

ये बातें हमारी ये किस्से जो हिस्से 
मैं रख कर सिरहाने इन्हें तकते जाऊं 

वो आँखों की बातें वो भीनी सी खुशबू 
भीगी सी जुल्फों में रेशम सा जादू 

दुनिया मेरी तुम तुम्हें क्यूँ बताऊँ
झगड़ लूं तुम्हीं से तुम्हें फिर मनाऊं

अनकहा सा जाना पहचाना ये इश्क़
तुम ही से निभाऊं तुम ही संग निभाऊं

तुम्हारी ही राहों में खिलता रहूँ मैं
तुम्हें हर नज़र आकर मिलता रहूँ मैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 1, 2023

मन का कोमल भाव है प्रेम
सृष्टि का श्रृंगार है प्रेम
जीवन के इस कंटीले वन में
छायादार तरु का एहसास है प्रेम

प्रेम नहीं स्वार्थ की कल्पना,
बस देने का ही नाम है प्रेम,
मीरा की भक्ति, प्रतीक्षा राधा की,
कृष्ण का सबका हो जाना है प्रेम

प्रेम नहीं परिभाषा से बंधा,
उन्मुक्त उड़ान, उदार है प्रेम,
बहती हुई पीयूष की धारा,
तृष्णा की प्यास मिटाता है प्रेम।

प्रेम में मन जिसका भी डूबा,
भवसागर से पार कराता है प्रेम,
निश्छल, मधुर, पावन, उज्ज्वल,
हर भाव से निराला भाव है प्रेम।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य