Saturday, December 31, 2022

तुमसे प्यारा होगा कौन ज़माने में
आँखों के हैं जाम तेरे मयखाने में

मिली एक तस्वीर डायरी में रक्खी
सौ सौ यतन किए थे तुम्हें भुलाने में

आग लगाई दिल में कुछ ऐसी तुमने 
सदियाँ बीती दिल की लगी बुझाने में

उम्मीदों पे जीता है ये दिल अब भी
शायद वो आ जाएँ मेरे ठिकाने में

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
अभी ख़ुद रौशनी को
रौशनी की चाह नहीं मिलती
कभी ग़ुमनामियों के रास्तों से
राह नहीं मिलती

ये मंज़र है अनूठा सा
समुन्दर ही है प्यासा सा
ये बेनूरी, ये बेज़ारी
है दिल में दर्द जागा सा
कभी ख़ुद ज़िन्दगी को
ज़िन्दगी की चाह नहीं मिलती

सुबह आती है-जाती है,
ये शाम आ कर रुलाती है
सुहानी याद भी आ कर,
हमें हर दिन बुझाती है
कभी ख़ुद बेबसी को,
बेबसी की चाह नहीं मिलती
कभी ग़ुमनामियों के रास्तों से,
राह नहीं मिलती

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 
अनन्त व्योम में रहीं मयंक रश्मियां बिखर।
धवल धवल सी यामिनी धरा उठी निखर निखर।

हिमाँशु रूप देख-देख मन चकोर का विभोर ।
ज्वार में मगन जलधि हिलोर पर उठे हिलोर ।

डाल-डाल पल्लवित हरीतिमा की शाल ओढ।
पादपों से लद कदी अवनि का न कोई जोङ।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य 

बाहर का अंधियारा.
जरूर मिटा सके तुम, रोशनियों के सहारे,
चमकती रही तुम्हारी सडकें .गलियाँ,तुम्हारा तन
और शाएद तुम्हारी हर छोटी बड़ी इमारतें भी, 
पर तुम्हारे कलुषित मन में,
कब होगा उजिआरा,
कब होगी रोशन तुम्हारी सोच भी,
प्रज्वलित दिया कब तक देगा तुम्हें
संकीर्ण तमस से मुक्ति
कब होगी तुम्हारे अंतर्मन की ,
सूर्य रश्मियों से भरी वो सुबह 
जिसका बड़ी बेसब्री से मुझे ,
भी है इंतजार ,
क्योंकि मुझे भी है बहुत प्यार,
तुमसे ,तुम्हारे मन से..................

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
इच्छाओं का विस्तृत संसार 
इच्छाएं ही है मन का द्वार 
मां की गोद से मृत्यु के आगोश तक 
जितनी सांसे चलती हैं,
उतनी ही इच्छाएं  पलती हैं

एक इच्छा पूर्ण हुई तो ,
दस इच्छाएं पनपती हैं 
इच्छाओं को पूरा होते होते,
समय पूरा हो जाता है,
सबकुछ समाप्त हो जाता है
फिर भी इच्छाए रहती है।

चक्रवृद्धि ब्याज की तरह
दिन और रात की तरह 
चढ़ती उतरती सांस की तरह 
इच्छाओ का विस्तृत विस्तार 
हर पल यह बेचैन करती है

चैन से जीने नहीं देती है 
जरा सी आंख लगी ही थी 
अभी तो प्यास बुझी ही थी 
फिर से कोई नई इच्छा ने
मन पर दस्तक दे दी हैं।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 30, 2022

तू ही तो मेरा मनमीत है,,,!
तुझ से ही मुझ को प्रीत है,,,!!

तू ही मेरे दिल की सरगम है.,!
तू ही मेरे मन का गीत है,,,!!

तू मेरे दिल की धड़कन है,,,!
तुझ से ही जीवन संगीत है,,,!!

प्यार किया तो निभाना साथी,,!
सच्चे प्यार की यही रीत है,,,!!

किसी को बनाना औ मिटाना,,,!
यह तो दुनिया की रीत है,,,!!

प्यार में हार क्या औ जीत क्या,,,!
प्यार में सब कुछ हारना ही जीत है!!

सच पर झूठ का बोलबाला है,,,!
सच पूछो यह तो कुरीत है,,!!

भूखे को खाना प्यासे को पानी दो,,!
इंसानियत की यही तो नीत है,!

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
अपनी प्यारी आँखों मे छुपालो मुझको!!
मोहब्बत तुम से हैं चुरालो मुझको!!

धूप हो या सेहरा तेरे साथ चलेंगे हम
यक़ीन ना हो तो आज़मा लो मुझ को

तेरे हर दुख को सह लेंगे हंस के हम
अपने वजूद की चादर बना लो मुझको

ज़िंदगी भी तेरे नाम कर दी है हमने
बस चंद लम्हे सीने से लगा लो मुझको

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 29, 2022

सुनो ना,

पुरानी सभ्यताओं सी तुम 
मेरे मृत हृदय की ख़ुदाई में यहाँ वहाँ मिल जाती हो
तुम तनु और सान्द्र रसायन के मध्य 
विफ़ल हुआ कोई प्रयोग हो

भौतिकी के सूत्र सी ख़ुद को 
सत्यापित करने की ज़द्दोज़हद में 
तुम हर दफ़ा असत्यापित 
रह जाती हो मेरे जीवन में

मनोवैज्ञानिक सी मेरी हर बात को 
परत दर परत टटोलती रहती तुम
अनन्त और शून्य के मध्य सारी गणनाओं में 
सर्वोच्च अंक ही लाती हो

जब मैं हिंदी में लिखता हूँ तो 
तुम्हें उर्दू की किताबें रास आती हैं
तुम्हारी पसंद जान मैं उर्दू में लिखूँ तो 
तुम अंग्रेजी की किताबों में आँखे गड़ा लेती हो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 27, 2022

मिले सभी को प्याले मधु के,
मधुप सा सब रसपान करें
आज जो आये हैं महफ़िल में,
स्वागत उनका कल भी है
महका गजरा खनका कंगना 
बहका अचरा बिखरा कजरा
स्वर  वीणा के सिहर उठे,
हर इक सरगम  घायल भी है
जीवन रस की बरसातों से 
हर डाली पर खिले सुमन
हर पपिहा कुछ व्याकुल भी है,
सुर में  हर कोयल भी है 
नग़मा भी है पायल भी है,
इक बहका_सा_चांद भी है 
नयनों में इक सपना भी है,
मन में कुछ हलचल  भी है 
सातों रंग लिये वे आये, 
बन कर इंद्र धनुष  दमके 
मुख पर स्वेद की बुंदियाँ भी हैं ,
झीना सा आँचल भी है 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 26, 2022

सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था
देखकर उसको
मेरा दिल मचल रहा था
आसमान में लालिमा छाई थी
प्रकृति तेरे रूप में आई थी
वो शाम बड़ी सुहानी थी
ठंडी पवन कर रही मनमानी थी
झील के किनारे बैठे थे हम
तेरे प्रेम में डूबकर इतरा रहे थे हम
लहरें गुनगुना रही थीं 
दिल में हलचल मचा रही थीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 24, 2022

बड़ा विचित्र है ना
मैं इबारतों के माफिक
अदब से रखना चाहता हूं तुम्हें

डायरी_में रखकर वहीं पर
लगा देना चाहता हूं एक मोरपंख

तुम्हारे नाम के शब्दों को
अदब से ढककर
सच में ! मैं लिखना चाहता हूं

सिर्फ तुम्हें ही
ख्वाबों की व्याकरण के साथ
मैं चाहता हूं

बिखरकर सिमट जाना
तुम्हारे आगोश के आवरण में 
चिट्ठियां बनाकर छुपाना चाहता हुं 
तुम्हारे अस्तित्व को हर छंद की व्याख्या में,

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 23, 2022

मन पर हावी हुआ विचार 
कहाँ है जीवन का आर-पार? 
सोचा फिर! 
जहाँ कहीं पर है जीवन 
होगा फिर उसका मरण 
जीवन है मृत्यु की छाया 
और मृत्यु का है जीवन! 

जीवन_मरण है जहाँ पर 
उसको जानो तुम संसार 
इसका न कोई आर-पार 
भटके जीव यहाँ बार-बार 
जहाँ से चला वहीं फिर पहुँचा 

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
जरा सोच लो दिल ,लगाने से पहले,
खोना पड़ेगा ,दिल आने से पहले।

वादे वो चाहत के ,अपनी निभाएंगे,
सोच लो जरा ,दिल गंवाने से पहले।

इंतजार इश्क में ,खड़े हो तुम तो ,
सोच लो जरा हक ,जताने से पहले।

माना इश्क की राह ,आसान नहीं,
ठहर जा जरा ,निभाने से पहले।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 22, 2022

मोल प्यार का तोहफो से क्यों
लोग तौलते हैं अक्सर
तोहफें सजते जिस्मों तक बस
इश्क है रौशन रूहों पर
समझ के अपनी माली हालत
करें सही समझौते पर
कितनी गुरबत आ भी जाए
रहेंगे खुश हर लम्हे पर
चान्दी-सोना-हीरे-गहने
दिला न पाया भले मगर
प्यार की गर्माई को छू लें
चाय की हर इक सिप पर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
ना मैं कोई शाहजहां
ना ही तू मुमताज मगर
उतना ही वार करारा करती
जालिम तेरी शोख़ नज़र
ना मैं दिला सकूं ताजमहल
ना कोहिनूर कर सकूं नजर,
प्यार से माथा चूमके तेरा
सजा दू बिंदिया माथे पर
ना ला सकता चांद तोड़कर
ना तारों तक पहुंच मगर
मेरे प्यार का वज़न तौलना
लाज से गिरती पलकों पर

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 21, 2022

मन_से_मन का बन्धन
दिल से दिल का रूहानी रिश्ता

देखते सुनते जाने कब और कैसे.
खुद की आत्मा से बँध जाता मन और मौन

मिल जाती हैं अंजानी राहों के सफ़र में दो रुहें
और बंध जाती साँसों से साँसों का रूहानी एहसास

और फिर प्रेम हो ज़ाता है बस हो ज़ाता है
एक दूसरे के मन_से_मन को

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 19, 2022

नज़र से नज़र मिल रही हर पहर
धड़कने लगा दिल मेरा बेख़बर

न जाओ कहीं छोड़ कर जानेजा
कि सुनी पड़ी ज़िंदगी की डगर

अदाओं से जब पास आये कभी
जुल्फ़े लहरायेंगे शाम-ओ-सहर

बिना बादलों के भी बरसात है
घटाओं का होगा कुछ ऐसा असर

नदियों का रुख मोड़ देंगे सुनो
अगर साथ मेरा तू दें हमसफ़र

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 18, 2022

सारे बादल कम पड़ जाए,गहरी प्यास जगाए
खुशबू भरे ख्यालों जैसी,कई-कई राज छुपाए 

उसे देखकर चटके कलियाँ, टहनी करवट लेती 
तितली की आँखों में झाँके, उर की आहट लेती

जाड़े की गुनगुनी धूप सी, सबके मन को भाये
दर्पण से संवाद करे वो, उल्टा सीधा गाए
दीवारों पर कुछ खरोंचकर, निज गुस्सा दिखलाए

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 16, 2022

अक्षर_अक्षर साथ सजाना सबके बस की बात नहीं,
ह्रदय तार झंकृत कर पाना सबके बस की बात नहीं।

भाव सभी को मिल जाते पर शब्द नहीं जुड़ते हैं,
वाणी से अमृत टपकाना सबके बस की बात नहीं

यूँ तो व्यस्त है सब अपनी अपनी जिंदगी मे
दो पल सुकून के निकलना सबके बस की बात नहीं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 15, 2022

पलक पर हमारी भी सपने सजा दो
हो पूरे सभी ख्वाब यह तुम दुआ दो

अधूरे से ज़ख्मों की इक दास्तां हूं
मुझे सिसकियों की ज़मीं से उठा दो

फ़लक पे हंसी चांद तारे बहुत हैं
हमें ज़िंदगी एक तारा बना दो

हवन हो रहीं चाहते बन नीर
नये इस जहां को भी मंदिर बना दो

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 13, 2022

पलकें भारी हो रही हैं, तुम जगे तो हो? 
जो छेड़े थे धुन राग के उसमें लगे  तो हो?

जन्मते हैं कुल के रिश्ते धरा पर आते ही ,
रक्त सम्बन्ध से विलग अपने सगे तो हो ।

अरमान कहूं दिल की या ईमान कहूं , 
सांसों में खुश्बू लिये मेंहदी में रंगे तो हो।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 12, 2022

बढ़ता ही जा रहा है, छोड़ गया बोझ कर्ज का
इलाज नज़र नही आया,मर्ज कम हो दिल का

जैसे चक्रवर्ती बढ़ता ही जाता ब्याज कर्ज का
ठीक उसी तरह गहराता जा रहा मर्ज दिल का

कर्ज की चिंता गहरी नींद उड़ा देती है रातो की
मर्ज-ए-दिल मे काम न करे दवा वेध,हकीम की

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 11, 2022

मैंने सावन लिखा, तुम पुष्प से खिल गए l
मैंने दामन लिखा, शरमा के तुम छिप गए l

मैंन काजल लिखा, तुम काली घटा हो गए l 
मैंने चाँद जो लिखा, खिल चांदनी हो गए l

मैंने सपना लिखा, पलक बंद कर सो गए l
भोर जो लिखा मैंने, तुम अरुणिमा हो गए l
मिलन जो लिखा, तो तुम क्षितिज हो गए l

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 10, 2022

संगमरमर सा बदन लेकर 
वो जब निकल जाते हैं शहरमें

लाखों आशिकों के अरमान 
तब मचल जाते हैं शहरमें

लहराती जुल्फों कि घटा 
जब वो झटकते हैं अदासे

पलक झपकते ही 
मौसम बदल जाते हैं शहरमें

मधुर मुस्कान से दिलों पर 
यूं गिराते हैं वो बिजलियां

अच्छे अच्छे पत्थर दिल भी 
पिघल जाते हैं शहरमें

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, December 9, 2022

तेरी इन प्यारी आंखोमें
है प्यार भरा इतना राधे
मेरी तस्वीर दिखाई दे
तेरी इन आंखोमें राधे
ये आंखे हैं मृगनयनी सी
तू प्यार का एक सागर राधे
आंखे सपनों में खोयी सी
तू प्रीतका एक गागर राधे
जो मुझसे ना कह पाती हो
आंखो से कह देती राधे
तुमबिन कान्हा ना रह पाए
कैसे तुम रह लेती राधे

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, December 7, 2022

ચાલ દોસ્ત ઘર આપણા, 
સાંજ પડી ને થઈ રાત
દિવસ આખો રમ્યા રમત , 
પણ ના થયું મન શાંત 

રમત રમાડી સમયે, 
બની ને મન ના મીત 
બધી બાજી હારી ગયા, 
ના મળી એક પણ જીત 

ચાલ દોસ્ત ઘર આપણા, 
પૂરો થઈ ગયો ખેલ
જીવન દીપક બુઝાઈ જશે , 
રહ્યું નથી હવે તેલ 

~~~ सुनिल #शांडिल्य
हे प्रकृतिवधू, हे महाशक्ति,हे कमल नयन, हे रूपवती।
डिगजाते तुमको देखदेख,साधू संन्यासी और यती।।

हे विधुबदनी, हे मृगनयनी,हो ममता का बारिध बिशाल।
काली-काली अलकें ऐसी,जैसे फुंकारें ब्याल-ब्याल।।

हे प्रेमपुष्प, हे सुरभिकोष,आनंदकोष हो हे प्रियवर।
यह जीवन न्योछावर करता,मैं सौ बार प्रिये तुम पर।।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, December 6, 2022

जब भी जुल्फें समेट लेती हो..
साथ में दिल लपेट लेती हो..

माथे पे बिंदिया जब तुम लगती हो..
गोल चक्कर में हमें घुमाती हो..

जब भी काजल तुम लगाती हो..
काला जादू कोई चलाती हो..

ये जो गालों में डिंपल पड़े जाते हैं..
हम तो इन्हीं गड्ढों में गिरे जाते हैं...

तेरे झुमके हथियार हों जैसे..
हम भी मरने को तैयार हो जैसे..

ये जो आंचल संभाल रखा है..
हाय! ये दिल निकाल रखा है..

तेरी चूड़ी जब खनकती है..
मेरी धड़कन भी संग धड़कती है..

कमर में चाबी का गुच्छा जो लटका है..
मेरा दिल बस वहीं पे अटका है..

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, December 5, 2022

चंचल

चंचल चितवन नयन मतवारे।
लज्जा भार से झुके यह प्यारे।।

अरूनाई के प्रेम में डूबे।
स्वप्न भार में पूरे डूबे।।

नयन स्वप्न में खोये ऐसे।
दीप तेल में डूबा जैसे।।

मदिरा छलके अधर यह थिरके।
मदभरे नयना छलके-छलके।।

भौंह कमान बाण जब साधे।
हृदय पक्षी बिध जाए आके।।

बना पतंगा हृदय अधीरा।
ठगा गया ज्यों बुद्धि छीना।।

नाक स्वर्ग की मानों हेतू।
हारा वीर मलंग निकेतू।‌।

मांग सिंदूरी चमके ऐसे।
जग-जग जरे दीप हो जैसे।।

त्रिकुटी बीच बिन्दु की शोभा।
देख लालिमा मन यह लोभा।।

बेदी माथ पर ऐसी लटकी।
मानों बेल वृक्ष पर अटकी।।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, December 4, 2022

बसंत

अम्बर सजा
इंद्रधनुषी रंग
बौराई दिशा

चाँद सितारे
ले उजली सी यादें
आये आँगन

कौन छेडता
मन वीणा के तार
धीरे धीरे से

दूधिया नभ
निहारिका शोभित
मन_चंचल

हवा बासंती
बहती धीरे धीरे
गूँजे संगीत

दरख्त मौन
बसेरा पंछियों का
सुबह तक

सूरज जला
पहाड़ थे पिघले
नदी उथली

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, December 3, 2022

पूर्णमासी

पूरनमासी चाँद सा चेहरा, 
बहकी_बहकी_चाल

आँखों से मैखाना छलके,
हैं नागिन जैसे बाल

परी हो या अप्सरा 
सभी तेरे पैरों की धूल

नाक तुम्हारी तोते जैसी, 
होंठ पंखुड़ी-फूल

सोना-चाँदी, गहने जेवर, 
तेरे_बिन बेकार

ये सारे श्रृंगार के साधन, 
तू खुद ही है श्रृंगार

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, December 1, 2022

किन्नर

नारी को कहे लक्ष्मी यहां
नर को कहते हैं शंकर

मैं हूं अर्धनारीनटेश्वर
हां मुझे कहते हैं किन्नर

पुरुषोंका छबीलापन है
स्त्री की मनमोहक अदा

दुख भरे हैं दिल में मेरे
फिर भी चाहती रहु सदा

हां हुं थोड़ी मुंहफट मुजोर
पैसे मांगती हूं जबरदस्ती

दूर भागते मुझे देखके तो
टूट जाती है मेरी हस्ती

मैं भी चाहती हूं मान सम्मान
ना अब हाथ फैला के जीना

मेहनत कर धन कमाऊ तो
चौड़ा हो जाए गर्व से सीना

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 30, 2022

मन गगन उपवन
चित चपल चंचल
सहयोग भी निस्वार्थ है
हां मित्रता विश्वास है ।

निज मित्र के उत्थान में
अपना भी गौरव गान है ।
हों तन भले ही दो
मन एक विद्यमान है ।
संबंध के अनुबंध में
संबंध यह कुछ खास है
हां मित्रता विश्वास है ।

निज मित्र के कल्याण को
श्री कृष्ण ने प्रण तोड़कर
बलिदान हो गया कर्ण भी
सर्वस्व अपना छोड़कर
इस प्रेममय संबंध का
बस त्याग ही विज्ञान है
हां मित्रता विश्वास है

हो हर तरफ आनंद या
फिर जिंदगी की धूप हो
दुःख की घिरी हो बदलियां
या कुछ और समय का रूप हो 
मित्रता एक आस है !

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 24, 2022

तुम्हारा रिश्ता 
रूद्राक्ष जैसा है मेरे जीवन में 
धारण हो गया है ह्रदय में 
जोग की तरह....l

ध्यान की दर्शना में 
दिए की लौ और धूप के धुएं जैसा 
एकसार हुआ दिखता है

तुम्हे जानने की उत्कंठा 
तुम्हारी गहराई को पाने की खवाइश 
इन सबने , 
मेरे अंदर के सफर को बढ़ा दिया है..

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 23, 2022

तुम सुबह की चाय की तलब से हुये
इलायची की खुशबू अदरक के जायके से हुये 

पानी और दूध एक हो जाता है जैसे 
इक दूजे में हम यूँ हीं घुले मिले से हुये

रंग गहरा हो जैसे पत्ती का
हम अपनी चाहत के रंग से गहरे हुये

यूँ आ गयी शक्कर की मिठास जिंदगी में
जैसे इश्क की चाशनी में हम डूबे हुये

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 21, 2022

याद है तुम्हें?
एक दिन पूछा था तुमने मुझे 
तुम मुझे कितना प्यार करते हो?
तब मैं चुप था और 
तुम्हारा गुस्सा फूट पड़ा था |

प्यार कौन किसीसे कितना करता है 
यह सवाल ही असमंजस में डाल देता है 
मगर जिद्द भी तो थी तुम्हारी.... 

सुनो, मैं तुमसे इतना प्यार करता हूँ कि-
माँ की गोद में जब बच्चा सोता है तब 
वो नहीं पूछता; 
'माँ, मुझे कितना प्यार करती हो?"

और 
माँ के मन में सवाल पैदा ही नहीं होता कि-
उनके बेटे को कितना प्यार है...?

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, November 20, 2022

है प्यार में यह मुस्कुराती जिन्दगी 
है साथ तेरे खिलखिलाती जिन्दगी ।

शामो सहर सोचा तुझे कर याद जो 
है ख़्वाब में भी झिलमिलाती जिन्दगी ।

रहमत रहे एहसास में तेरी खुदा 
कुर्बत रहे तो गुनगुनाती जिन्दगी ।

एहसान तेरा है मुझे हरपल घड़ी 
है बन्दगी की शाम अपनी जिन्दगी ।

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Saturday, November 19, 2022

रातें गमगीन हैं दिन बिना रौशनी
इल्तिजा आखिरी बस तेरा साथ हो! 

यूँ तो जीने को है जिंदगी भी बहुत
ख्वाहिशें कह रहीं हाथ में हाथ हो

बनके आसीर सा मैं पड़ा अन्ज पर
भर लो आगोश में साँस भी साथ हो

एक फरमान है दिल में अरमान है
मैं जहाँ भी रहूँ तू मेरे साथ हो

---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 18, 2022

चांदनी

चांदनी झिलमिलाती रही रात भर।
आपकी याद आती रही रात भर।।

एक तस्वीर दिल में संभाले रखी,
ख़्वाब में आती जाती रही रात भर।।

शब कटे अब नहीं बिन तुम्हारे सनम,
चांदनी ये सताती रही रात भर।।

रूबरू हो कभी आरज़ू थी मेरी,
ख़्वाब बन कर सताती रही रात भर।।

---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 17, 2022

श्वास श्वास तुमको अर्पण है 
तुम जीवन आधार  प्रिये
तुम्हे नयन की शोभा कर लूं 
तुमको यदि स्वीकार  प्रिये

अरुणोदय मे मुझे तुम्ही 
दृष्टित होती हो कलियों मे 
प्रेम गीत का मधुर राग तुम  
तुम मधुकर गुंजार  प्रिये

अवचेतन सा अन्तर्मन था
सोई थी अनुभूति हमारी
मन मे तेरे नूपुर छनके
हुई मृदुल झंकार  प्रिये

मेरा हर स्पन्दन क्षण-क्षण
सिर्फ  तुम्हारी  चाह  करे
मेरे मन  के प्रेम  पुंज  पर
प्रथम  तेरा अधिकार  प्रिये

प्रेम  यज्ञ  मे  अर्पित  कर  दूं
निज  को  आहुति  सम स्नेह
है अनुरक्ति  तुम्हारी  मन  मे
तुम प्रेम पुष्प  का  हार  प्रिये

~~~ सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 16, 2022

रास न आयी वफ़ा हमारी
क्या थी बोलो ख़ता हमारी

साथ मिला तो हमसफ़र बने
फ़िर क्यूं हूई रज़ा हमारी

यादें पिछ़ा न छ़ोड़ती है
तनहाई है कज़ा हमारी

चैन गया जिंदगी विरानी
जीना जैसे सज़ा हमारी

फेर लिया मुंह बहार ने भी
दर्दभरी दास्तां हमारी

सोच सुमा का दिल भर आया
बेजूबां सी जुबां हमारी

---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 15, 2022

प्रेम क्या है
महज एक रिश्ता
स्त्री और पुरूष का
या सिर्फ़ आकर्षण!!!

एक अभिव्यक्ति
जो एक स्त्री या पुरूष
करतें हैं एक दूसरे से
और थाम लेते हैं हाथ
एक दूसरे का ताउम्र के लिए!!!

नहीं,
प्रेम_समर्पण है
सच्चा प्रेम केवल
स्त्री के देह से प्रेम
नहीं करता!!!

स्त्री के प्रेम की तृप्ति
यूँही शांत नहीं होती
आसान नहीं होता स्त्री के
प्रेम स्वरूप को समझना!!!

स्त्री के प्रेम की
तृप्ति होती है
तुम्हारे दिये मान
और सम्मान से
तुम्हारे उस आलिंगन से 
जिसमें स्त्री स्वयं को
सुरक्षित महसूस करती है!!!

---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, November 12, 2022

मौन है स्त्री निः शब्द नहीं
आवाज़ है बस बोलती नहीं

जज्बात है मुँह खोलती नहीं
चाहत है पर किसी से उम्मीद नहीं

पहल ना करती पर किसी से डरती नहीं
जीत की चाह नहीं हार मानती नहीं

आईना है पर बिखरती नहीं
दर्द से भरी है पर जीना छोड़ती नहीं....

---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, November 11, 2022

बस इक लम्हा तेरी ख़ुशबू का गुज़ारा हमने
ज़िन्दगी भर उसे फिर दिल में संवारा हमने

जब भी यादों ने ख़्वाबों से जगाया है हमें 
ले के होंठों पे हँसी तुमको पुकारा हमने

कोई कहता हमें पागल तो दीवाना भी कोई
किया दुनिया का यूँ हँसना भी, गंवारा हमने

---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, November 9, 2022

आज भीगो दो तन मन मेरा
फिर कोपले उग आने दो,

प्रेम बिखर जाने दो ह्रदय में,
कमल पुष्प ये खिल जाने दो,

ये पतझड़ अब तो बीत गया,
नव अंकुर खिल जाने दो,

दे दो ना फिर शब्द मुझे तुम
तोडूं मैं ये मौन गजल बन जाओ 

रीत रहा है नेह तुम्हारा,
प्रेमसुधा अब बरसा जाओ,

---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 8, 2022

सुख दुख बादल जैसे हैं
आते हैं और जाते हैं
ढंग भी कैसे कैसे हैं
सुख दुख बादल जैसे हैं

बैठे बैठे रात कट गई
रोते सोते दिन बीता
दुख का पहरा है घर में
तो रस घट लगता है रीता

आँसू भरे नयन सागर के
रंग भी कैसे कैसे हैं
अपनों की पहचान हुई कि
संग भी कैसे कैसे हैं

करुण हृदय में दर्द भरा है
अश्रु नीर छल छल बहते
अनहोनी के साये में वे
मन की व्यथा कहाँ कहते

ग़म की कट जाती हैं रातें
सुख का सूरज भी आता
नए उजालों के सपनों में
सुख दुख बादल जैसे हैं

---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, November 7, 2022

ढ़ूंढते हॆं रेत में हम नदी के गीत
तोड़ कर पहाड़ जो धरा पे धार धार थे

धार धार थे समय के ऒर आर- पार थे 
आर ऒर पार की सर्जना के गीत

युग की प्यास के लिये जो नीर क्षीर थे हुये
व्यास कालिदास ऒर फिर कबीर थे हुये

रीतियों के बंधनों से मुक्त जिनकी रीत 
गीत फिर से राह एक प्यार की बनायेंगे

सृष्टि के हजार रंग एक रंग नहायेगे 
गीत वे कि सिद्धि- साध्य ज़िन्दगी के मीत 

---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, November 5, 2022

बाहों के घेरे में नेह को न बांधना
मीत मेरे प्यार को बंधन मत मानना

भावना के द्वारे से तुम को निहारा है
बिना किसी कामना के तुम को पुकारा है

निष्छल अभिलाषा से प्रीत जो संजोयी तो
मीत मेरे इस पल को एक नमन मानना

बहती बयारों संग फूल फूल बहके हैं
मधुरिम सुगंधें ये पल पल में महके हैं

---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, November 3, 2022

धरा तुम कितनी मनोहर
प्रकृति की अनुपम धरोहर
हृदय में अपने समेटे
हिमशिखर,मरूधर,सरोवर।

तुम कभी श्रंगार करतीं
इन्द्रधनुषी बन गगन में
फिर कभी मनुहार करतीं
तितली बन उड़ती गगन में।

वन कहीं,उपवन कहीं
है चंचला सा मन तेरा
ताप भी है,शीत भी है
उघरा कहीं है तन तेरा।

---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, November 1, 2022

ज़िंदगी के कैनवास पर
उकेरो सुनहरे,रुपहले पल

ज़िंदगी के कोरे पन्ने पर
लिखो स्नेह के मंत्र और आयतें

ज़िंदगी के साज़ से
ध्वनित कर लो अन्तर्मन

ज़िंदगी संगीत है
गुनगुना लो मधुर तानों को

और

जीवन घट भरलो अनमोल यादों से
यादें हाँ यादें साथी तन्हाई का
देती हैं हौसला जीवन जीने का

---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 31, 2022

लिख देता हूं 
कुछ बातों को बार बार
याद कर लेता हूं 
तुम्हें इसी बहाने हर बार
मेरा लिखना और सबका पढ़ना
वही बातें वही संदेश
और सबकी वाह वाहियां
जो आती रहती हैं लगातार
मन खुश हो जाता है,
तुम्हारे ख्याल तुमसे कहीं
ज्यादा नायाब हैं
मानो ऐसा लगता है 
प्रेम अभी भी वहीं स्थिर है

---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 30, 2022

संकोच शर्म झिझक का साया
क़रीब उसने जब दिलवर को पाया

सकुचाई सी सिमटने लगी खुद में
धीरे से जब उसका घूँघट उठाया

निगाहें झुक सी गयी
धड़कने रुक सी गयी

एक ख़ुश्बू टकरायी सासों से
पिघलने लगा जज़्बात एहसासों से

धीरेसे कंगन खनकाया
संकोच शर्म झिझक का साया
क़रीब उसने जब दिलवर को पाया

---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 29, 2022

शायरी

राहें उल्फत की गुजर के देखेंगे
चलिए हम भी इश्क कर के देखेंगे

देख पाएगा न कोई दूसरा
जब उन्हें अाखों में भर के देखेंगे

भूल जाते हैं सुना सब दर्दो गम 
देर कुछ हम भी ठहर के देखेंगे

डूब जायेंगे यकीनन इश्क में
गर वो इस दिल में उतर के देखेंगे

---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 28, 2022

संवारू कितना भी मैं हर पल बिखर ही  जाती हैं
ये उम्मीद तेरे आने की मुझे कितना सताती हैं

पथ जो भुला राही अब वो भटक रहा है राहों में
मैं निहारु हर पल राहे तू क्यो न आये पनाहों में

जिद तेरी ये ना है अच्छी कुछ तो तुम दो सहारा
डूब रही हैं सांसे मेरी भवसागर में मुझे उतारा

---- सुनिल #शांडिल्य

 चांद सितारे

सभी तुम्हारे है,

क्यूँ ना फिर मगरूर रहो?


तुम हर

महफ़िल की रौनक

हो, सब आंखों का नूर रहो 


तुम अपनी

मशहूरी पर जी

भर के इतरा लो  - लेकिन  :


ये हक़ किसने

दिया तुम्हें कि

तुम यूँ मुझसे भी दूर रहो 


 ----- सुनिल श्रीगौड

 मेरे गीत मंत्र हो जाएं

तुम यदि गाओ तो 


इन्हें याद कर कभी तुम

अकेले मे इतराओ तो  


मुझे पता है ये दुनिया

जीना मुश्किल कर देगी 


लेकिन इसकी कैसी चिंता?

प्रिये~❤️ तुम मिल जाओ तो  


------ सुनिल श्रीगौड़

तेरी प्रीत ने करम इतना कर दिया

मुझे हर गम से जुदा कर दिया

जिससे सारा जहाँ खुशनुमा दिखे

रंग आँखों की पुतलियों सुनहरा कर दिया

तेरे पहलू में कहीं गुम सा हो जाऊं मैं

बाहों का दायरा तुमने बड़ा कर दिया


----- सुनिल श्रीगौड

Thursday, October 27, 2022

 अपने मन को भा गया, कोयल का मधु गीत

घन गरजे आकाश मे, जगी ह्र्दय में प्रीत


बुलबुल का तन लूटने, घात लगाते बाज

गौरैया सहमी रही, मैना ढकती लाज


मेघों की आवाज  पे, नाच रहा मन मोर

सुन के आई चातकी, इस चातक का शोर


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 23, 2022

 कौन कहता है मुझे दर्द का एहसास नहीं।

वहम तो है कि मुझे इश्क का विश्वास नही।


आईना हूं नहीं कि जख्म दिखाऊं तुमको,

जिंदगी उदास है कि तुम मेरे पास नहीं।


बिछड़े हुए पल हैं, यादें हैं और गम भी हैं,

वक्त गुजर जाता है और कोई आस नहीं।


जैसे तुमने चाहा,मगर वैसा बन न सका,

जैसा मैं हूं तुम्हारे लिए कोई खास नहीं।


ये मोहब्बत है,तमाशा कोई नुमाइश नहीं,

भरम क्यों है के मुझको कोई प्यास नहीं।


कैद जज्बात हैं अब रूबरू कैसे कह दूं,

तुम्हारी परछाई भी मेरे आस-पास नहीं।


यादों की मौजें तो बहती चली जाती हैं,

दिल की बातों से तुम को कोई रास नहीं।


दर्द उबलता है तो अश्क निकल आते हैं,

विह्वल वो समझते हैं मुझे कोई फांस नहीं


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 22, 2022

 तुम बिन कितना सूना यह जग

तुम बिन सावन प्यासा


तुम बिन अर्थहीन यह जीवन

और जीवन की परिभाषा


तुम बिन पतझड़-सा वसंत है

तुम बिन सूखी हरियाली


तुम बिन इक क्षण युग लगता है

तुम बिन दुनिया खाली-खाली


तुम बिन रंगविहीन फूल है

तुम बिन फीकी फुलवारी


कोयल की धुन कर्कश लगती

भ्रमर की गुंजाहट सारी


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 18, 2022

 फूल खिलेगा उपवन मे तो ,

वह चमन_महक ही जाएगा ।


पीकर के मकरंद पुष्प का,

फिर भौरा होश गंवाएगा ।


उसे खुद की खबर कहां होगी,

जो प्रीति हृदय मे जगाएगा। 


अपनी चाहत की रूह मे फिर ,

वो पल पल घुलता  जाएगा ।


हो दूर देश तो क्या गम तब ,

जब ख्वाब से ही मुस्काएगा। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 16, 2022

 धीरे धीरे  चिलमनों को ,वो हटाने सी  लगी

बिजलियां मेरे जिगर पे, फिर गिराने सी लगी


रात भर हम  करबटें, यूं  ही बदलते  रह गये

याद जब हमको किसी की,कुछ सताने सी लगी


जब  निगाहों के लिये , वो तो चुराने सी लगी

तब हुआ महसूस यूं , दामन बचाने  सी लगी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 14, 2022

 सिगरेट से हुई है जिंदगी,

धुँआधुँआ हो रही जल कर


हसरते अरमान हो रहे पानी,

पल पल पिघल पिघल कर


होठो से लगा हर एक कश पर,

धीरे_धीरे ये खत्म हो रही है


अधूरे तो कुछ अनकहे, 

मर रहे अहसास मचल_मचल कर


इस जिंदगी की राह पर,

एक न एक दिन है लड़खड़ाना


शरीर एकदिन गिरना है,

चल जितना सम्भल सम्भल कर


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 13, 2022

 सांसे तेरे नाम किया

पलपल तुझको याद किया

ईद का चांद नहीं हूं मैं

पर तुझसे दूर नहीं हूं मैं


ढलती शाम के चौखट पर

तेरे आने का इंतजार किया

मैंने हरपल तुझसे प्यार किया


रातोंकी याद के मंजर पर 

तेरेदिल में पड़ी जमींके बंजर पर

तेरी यादों के लौ का दीप हूं मैं

पर तुझसे दूर नहीं हूं मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 12, 2022

 कुछ कहता हूँ तुम्हें,

कुछ कहते कहते रह जाता हूँ,


कुछ लिखता भी हूँ तुम्हें,

कुछ लिखते लिखते रह जाता हूँ।


कुछ करीब आता हूँ तुम्हारे,

कुछ करीब आते आते रह जाता हूँ,


कुछ दूर भी जाता हूँ तुमसे,

कुछ दूर जाते जाते रह जाता हूँ।


कुछ मिलता हूँ तुमसे,

कुछ मिलते मिलते रह जाता हूँ,


कुछ ना कहते हुए भी सब कह जाता हूँ 

मगर सम्पूर्ण हूँ तुमसे ही,संतृप्त भी हूँ तुमसे ही,         

तुमसे ही सदा प्रज्‍ज्वलित रह जाता हूँ।


कुछ कहता हूँ तुम्हें,

कुछ कहते कहते रह जाता हूँ,


कुछ लिखता भी हूँ तुम्हें,

कुछ लिखते लिखते रह जाता हूँ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, October 11, 2022

 विरह धार हम दो कूल मिल सकेंगे क्या  कभी।

मन की व्यथा तड़प बन प्राण हर लेगी अभी।।


मीन नयन सम ये अखियाँ नहीं झपकतीं पल पलक।

स्मृति पटल पर अंकित नहीं मिटती दिव्य झलक।।


चाँद आकाश में ढूँढ़ रहा है प्रेयसी चाँदनी।

उसके संतप्त उर में बज रही विकल रागिनी ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, October 10, 2022

 सुना है आज उसकी पूरी कलाएं होंगी।

सुहानी भीनी भीनी ठंठी‌ हवाएं होंगी।


धरा पे सारा का सारा दुलार बरसेगा।

सुना है आज आसमां से झरेगा अमृत।


भोग की खीर में आरोग्य भरेगा अमृत।

धवल सी‌ ज्योत्स्ना में सबका‌ हृदय हरषेगा


आज मधुबन में बांसुरी सुरीली बाजेगी।

हजारों श्याम होंगे संग में गोपी साजेगी।


गगन से राधा रानी का‌ श्रंगार बरसेगा।

सुना है आज चंद्रमा से प्यार बरसेगा।


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, October 9, 2022

 फ़लक पर पूरा चाँद,

जब मेरी खिड़की

के रास्ते..

चाँदनी बिखेरता है,


मेरे आँगन में..

मन करता है उस,

चाँदनी को कलम में

भर कर..

एक नज़्म तुम्हारे,

नाम लिखूं..


मुश्किल भी तुम_हो

हार भी तुम_हो

और बया करु

होती है जो मेरे सीने में

वो हलचल भी तुम_हो,


जो ऑखे झूकी तेरी

सारी कायनाथ तेरे

दामन में सिमट गयी !


सुनो ...

जलजले सी

मोहब्बत तेरी !!

दिल में कोहराम

मचा देती है !!


मगर...

जिंदगी सँवारने को तो

जिंदगी पड़ी है"

वो लम्हा सँवार लो

जहाँ जिंदगी खड़ी है,


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 8, 2022

 सुमन सुशोभित सुरभित सरसिज,

संग सरिता श्रृंगार लिए।

मंथर- मंथर मुदित मृदुलता, 

मादक मन मनुहार लिए।।


अंक. लिये निज निश्छल उर मे,

भावप्रवण बह रही सरिता।

कुसुमकली की कलियाँ कैसे,

कल-कल कल कह रही कविता।।


पुलकित प्रेम चुमि प्रियतम पदतल,

पंकज प्रीत संवार लिए।

मंथर- मंथर मुदित मृदुलता,

मादक मन मनुहार लिए।।


भावप्रबल उत्कट अभिलाषा,

वह लिये हृदय के द्वार खड़ी।

बह आये निर्झर से नयना,

अंंसुवन जल पग धार पड़ी।।


चंचल चित्त चपल चन्द्रिका,

निज चिंंतित चित्त विस्तार लिए।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, October 7, 2022

 चंचल मन मेरा कह रहा

जो मैं भंवरा बन जाऊं

गुन-गुन मधुर गीत गाऊं


झूमे मुस्काए कलियां

खेलें प्यारी अठखेलियां

जो मैं कुसुम बन जाऊं


उपवन की सुंदरता बढ़ाऊं

रंग बिरंगे पुष्पो से मिल

पंख पसार उड़ जाऊं


उन्मुक्त गगन में उड़ने का सुख

क्या है ? धरा को बताऊं।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, October 6, 2022

 खट्टे मीठे शब्द मधुर मैं

शब्द कोष से चुनकर लाया


लेकर रंग बिरंगी स्याही

डुबो डुबो कर उन्हें सजाया


बूंद बूंद अमृत छलकाता

शत प्रतिशत मधुरस का प्याला


रेशा रेशा रस से निर्मित

तुम मेरी अंगूरी रचना


मन से फूटा निर्झर झरना

कण कण पथ का तृप्त हुआ


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, October 5, 2022

 नही मिलना कभी मुमकिन

मगर तुम साथ हो मेरे,

जो मिलकर भी नही मिलते

वही एहसास हो मेरे।


तुम्हारी यादों का दरिया

मेरे दिल मे समाया है,

कभी आंखों में बन आसूँ

नज़र सागर सा आया है।


जगा था, रात भर मैं तो

चाँद भी मुस्कराया था,

कहाँ मिलते हैं रात और दिन

कहानी गुनगुनाया था।


गया था मैं, नदी के पास

कहने अपने दिल की बात,

 नहीं मिलते किनारे हैं

ये लहरों ने बताया था।

                

शिकायत किससे मैं करता

क़िस्मत की लकीरों की,

विरह की वेदना झेली

जहाँ पर खुद विधाता ने।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, October 1, 2022

 कितना आनंद देती हैं

एकांत के पलोँ मेँ

मेरी आत्मा में बसी तुम्हारी हँसी


जब समय की बूंदेँ 

धीरे-धीरे रिसती हैं

सुबह का मुख चूमकर

रात जाती है और चारों तरफ

तुम्हारी खुशबू बिखर जाती है


तब होता है एक ऐसा सबेरा

जब तुम 

थोड़ा बतियाती थोड़ा इठलाती

अपनी लटोँ को उड़ाती

अठखेलियां करती 

मेरे ख्यालों में आती हो


तब कुछ खामोश संवाद

कुछ साझा सपने

जो हमने देखे हैँ

उनके पूरा होने की उम्मीद बनती है


पर जानता हूँ 

ये एक कल्पना है लेकिन

यही मेरा सपना है...


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 29, 2022

 खामोशी के समुंदर में छिपे दिल के अल्फाज होते है

कभी कभी हम किनारे के इतने पास होते हैं


तभी लहरों से फिर टकरा जाती है कश्ती

फिर हौसलों की ले के पतवार साथ होते हैं


यूं तो अपनी अपनी कश्ती के मुसाफिर हैं सब

पर बिखरते हैं जब दिल के जज्बात

तो आंसुओं के बादल एक साथ होते हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 28, 2022

 बिछड़ कर भी हम मिलेंगे देखना

फूल चमन में फिर खिलेंगे देखना


तन्हा तन्हा हम रहते हैं तो क्या

ख्वाबों में जरूर मिलेंगे देखना


भिगोती हैं तेरी यादों की बौछार

बारिश में एक साथ भीगेंगे देखना


दर्द नहीं सहा जाता जुदाई का

आसमां पर प्यार लिखेंगे देखना


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 22, 2022

 ख्वाब सजाये नयन मे, झूले पे इतराय

गोरी को निज पिया की,यादें रही सताय


ऊँपर-नी़चे पैंग का अंग-अंग थिरकाय 

मानो रति को काम हित,रितु ये रही सजाय


करि सोलह सिंगार,सखी संग गोरी आई

अल्हडता हर अंग,उमंगित ली अगडाई


गावै गीत मल्हार ख्वाब के पंख लगाके

झूले पर इठलाय,मौज मस्ती सी छाई


---- सुनिल #शांडिल्य 

@everyone

Tuesday, September 20, 2022

 तेरा स्पर्श अभी भी रखा है

तुम मिलो तो छूकर बताऊँ तो

यह फूल और भी ख़िलते हैं


तेरी ख़ुश्बू अग़र छुपाऊँ तो

आते हैं तेरे ख़यालों के भंवरे


तेरी यादों को मेहकाऊं तो

रस में बस के सब तर हैं


मैं नीरस क़भी हो जाऊँ तो

तुम आना ले जाना अपना यह स्वास प्रिये

तेरा यह एहसास अग़र ना दे पाऊँ तो


---- सुनिल #शांडिल्य

@everyone

Sunday, September 18, 2022

 बिखरती जुल्फ की परछाईया मुझे दे दो,,

तुम अपनी शाम की तन्हाईया मुझे दे दो,,


खुमार-ए-हुस्न की अंगड़ाइयां मुझे दे दो,,

मैं तुमको याद करुं और तुम चली आओ,,


मोहब्बत की ये सच्चाइयां मुझे दे दो,,,

मैं डूब जाऊं तुम्हारी उदास आँखों मे,,

तुम अपने दर्द की गहराईयां मुझे दे दो....


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 17, 2022

 सपने कुछ बहके बहके से

देखे तो हैं अभी अभी


रात गुजर गई भोर में किरणें 

फूटी तो हैं अभी अभी


बड़े दिनोंके बाद मिले और 

इठला इठला कर बोले


कह भी डालो अब तो मुझसे 

दिल में जो है अभी अभी


दिल कहने सुनने को आतुर 

कुछ तो मन की बात कहो


कहां चल दिए कुछ देर को बैठो

आए तो हैं अभी अभी


---- सुनिल #शांडिल्य 

@everyone

Friday, September 16, 2022

 रूह को भिगो कर

इक ज़िस्म तराशा है,


चाँद को फ़लक से ज़मीं पे उतारा है,

तुममें ही डूब जाती हर शाम सुबह होने को,


इन सितारों से भी आगे जहान तुम्हारा है,

ख्वाबों सी लगती है तुम्हारी हर अदा, 


गीतों में ढालकर, किस ने तेरा रुप निखारा है,

महक तेरे बदन की, जैसे चंदन की दुशाला है,


ये प्यास तेरी कभी ना बुझे, 

तुझे इबादत की तरह जन्नत से पुकारा है,


तेरी मिसाल ना हो सके कोई,

किसी संगतराश ने जैसे अपने हाथों से तराशा है...                                    


रूह को भिगो कर.....इक ज़िस्म तराशा है...


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 14, 2022

 धुआं धुआं सा मौसम मेरा धुंध कही पे छाई है 

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है 


दिल में पतझड़ का है मौसम ग़म ने झड़ी लगाई है

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है


दिन में बसते ख्वाब तेरे रातो ने आग लगाई है

जाने कैसे तूने दिल में अपनी जगह बनाई है


बीत गए हैं मौसम कितने फिर भी तू ना आई है

तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है।।।


बरसो बीते चलते चलते राह अकेले पायी है 

राहों में है धुल जमी कैसी विरानी छाई है 


तुम बिन मेरा जीवन क्या है एक अदद तन्हाई है।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 13, 2022

 आसमा खुला रखो, चांद पे पहरा न हो

मैं ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ, तू हैरां न हो


जिसके दीदार से उड़ जाये चैंनो सुकून

कोई इतना खूबसूरत, चेहरा न हो


अगर डूबे तो निकलना मुश्किल हो जाये

आंखो का समुंदर इतना गहरा न हो


निकले तलाश में तो, मिल जाये मंजिल

शर्त ये हैं कि मुसाफ़िर ठहरा न हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 12, 2022

 भीगी भीगी फ़िज़ाओं में, 

बहकी बहकी हवाओं में, 


गुनगुनाती शामों में, 

बूंदों की बरसती लड़ियों में,

महकी फूलों की  कलियों में, 


धुले धुले  आसमान तले, 

हम_तुम मिले, 


गिले शिकवे सब बारिश में घुले, 

चाय के  प्याले  हाथ में लिए, 

ख्वाब नए जीवन के बुने.... 


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 11, 2022

 तुम सुनाओ, हम बेजुबान हो जाते हैं

हसी फिजाओं में कद्रदान हो जाते हैं,


महक रही हो तुम इन फूलों की तरह

बगीचा तुम, हम गुलफाम हो जाते हैं।


चांद सी चमक रही हो धूप में भी तुम

चांद तुम, हम आफताब हो जाते हैं।


तुम नयनों से शबद मोहब्बत कहना

हम रुह-ऐ इश्क अल्फाज़ समझ लेंगे।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 9, 2022

 ख़ता क्या है मेरी? बहारों से पूछो

जो गुलशन से मेरे ये रूठे हुए हैं।


वर्षों तक सींचा जिन्हें अपने खूं से

वो रिश्ते ही क्यों आज झूठे हुए हैं।


ना छेड़ो मुझे बिखर जाऊंगा वरना

मेरे दिल के तार ये टूटे हुए हैं।


घायल ना ज़िंदा रहेंगे जहां में

ख़ुदा आजकल हमसे रूठे हुए हैं


ना छेड़ो कोई की छलक जाएंगे हम...! 

यूँ भरे बैठे हैं हम गिलासों में पानी की तरह...!!


---- सुनिल #शांडिल्य 


@everyone

Thursday, September 8, 2022

 एक लम्हा ही सही

कभी सहलाओ तो सही


सूनी-सूनी रातों में 

कहीं मिलने आओ तो सही


वहीं.... जहां ओस की बूँदें

तुम्हारे कदम चूमती हों 


हवा मदहोश हो कर 

तुम्हारे ही आस-पास घूमती हो


हाँ वहीं 

पीपल की ठंडी छाँव में


मेरे मन के गाँव में 

जहाँ अक्सर तुम ख्वाबों में आती हो


---- सुनिल #शांडिल्य 

Wednesday, September 7, 2022

 पल पल कल की आस लिए, 

ये जीवन कटता है।

बढ़ती है बस उम्र,

मगर ये जीवन घटता है।।


पल पल की नदिया में,

सांसें बहती जाती हैं।

कल-कल खुशियों की चाहत में.

हर कल रहता है।।


कितने ही सपने से अपने,

अपने से सपने।

अपनेपन की आशा में,

हर स्वप्न फिसलता है।।


---- सुनिल #शांडिल्य


@everyone

Tuesday, September 6, 2022

 जब जब मौसम ले करवट

कहीं तुम भी करवट ना ले लेना


रंग बदलती है दुनियाँ

तुम भी ना यूँही खुद को बदल लेना


हर मौसम में बन कर सहारा

संग मेरे यूँही खड़े रहना


हर रोज़ दीप जलेंगे हर दिन होगी होली

साथ होंगे जब हम तुम हर रात होगी दीपावली


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 5, 2022

 काली ज़ुल्फ़ों से घिरा चेहरा

जैसे काले बादलों में पूर्णिमा का चाँद हो


होंठ सुर्ख थे कातिल की भूमिका में

नैनों ने साध रखे थे तीर और कमान


नाक में चमक रही थी ज़ालिम नथनी

दिल कर रहा था घायल उसका लश्कारा


चाल मोरनी सी, हिरनी लजा रही थी

मारे शर्म के दांतों तले तिनका दबा रही थी


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 4, 2022

 चाँद का ख़्वाब उजालों की नज़र लगता है!

तू जिधर हो के गुज़र जाए ख़बर लगता है!!


उस की यादों ने उगा रक्खे हैं सूरज इतने!

शाम का वक़्त भी आए तो सहर लगता है!!


एक मंज़र पे ठहरने नहीं देती ये फ़ितरत!

उम्र भर आँख की क़िस्मत में सफ़र लगता है!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 2, 2022

 शायद लकीरों की क़िस्मत तुम्हीं हो।

ख्वाब हो तुम इक हकीकत तुम्हीं हो।


मेरी हर सुबह,हर इक शाम तुम हो,

आदत हो मेरी,जरूरत तुम्हीं हो।


लगता हैं जैसे तुम,मेरे सब गुनाहों की,

रियायत हो कोई और नसीहत तुम्हीं हो।


शामिल हो तुम ही,मेरी गलतियों में,

सहमत भी हो तुम,बगावत तुम्हीं हो।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 1, 2022

 मादकता के पाशमें मौसम हवा दिगंन्त

बौराये सब बाग बट हुये सिरफिरे सन्त


वैवाहिक पंड़ाल सी साजी धरा बहुरंग

पुष्प नाचते गा रहे सोहर बन्ना भृंग


आलिंगन मे बद्ध हो विटप लता मदहोश

ऊपर से बेशर्म से झोंके भरते जोश


गुनगुन दोपहरें हुयीं रातें हुयी मदंग

सहरें गुलदस्ता हुयीं चारो पहर उमंग


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 31, 2022

 मैंने देखा बारिश की वो बूँद

शीशे पर ठहर कर

मुझे एक टक देखे जा रहीं थी

मैंने पूछा ऐसे क्या देख रही हो

वो धीरे से बोली बाहर तो आओ


मैंने जैसे टेरेस का दरबाजा खोला

मिली ठड़ी ताज़ी हवा की ताजगी

हल्की बारिश मे भीग मैं मुसकुराया

बारिश की वो बूँद भी मुस्कुरा रही थी


अब मैं उसका संदेश समझ पाया

प्रकृति के साथ ही जीवन सार्थक है

मुझे जीवन का यह संदेश दे 

बारिश की वो बूँद 

अपने गन्तव्य को चली गई 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 29, 2022

 सरस ह्रदय में व्याप्त उपवन

सुदर सघन विचारो सा  मन


भाव पावस पवित्र सा तन

नित्य दीप जले नूतन नूतन


ह्रदय में प्रेम सर्वत्र समाया

ह्रदय मे प्रवेश प्रेम से पाया


उदगार सुगंधित पुष्प से महके

उर बना स्वमेव एक देव मंदिर


स्वयं ह्रदय से निकले रसधारा

प्रेम ये कैसा अनुपम रूप तुम्हारा


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 28, 2022

 प्राण भी प्रतिकूल जाते हैं ।

एक पल कब भूल पाते हैं ।।


छवि तुम्हारी आँख में उतरी।

कल्पना पर झूल जाते हैं ।।


स्वप्न में बेसुध लिपट जाते ।

नींद में हम ऊल जाते हैं ।।


विदाई क्षण मन डराने को ।

पीर के त्रिशूल लाते हैं ।।


काग जब बोले मुंडेरों पर ।

आगमन के फूल आते हैं।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 26, 2022

 पर्वत से फूटता 

जल प्रपात 

मानो कोई साक़ी 


उड़ेल कर सुराही से मदिरा 

छलका रही हो 

झील का प्याला 


ये पहाड़ी रास्ता 

एक सफ़र मैख़ाने का

ये वादियाँ 

धरती की सबसे बड़ी 

मधुशाला 


इसे देखते हुए जीना 

मानो 

आँखों से घूँट घूँट 

सोमरस पीना 


 ---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 25, 2022

 पर्वत से रूठी नदिया

तुनक मिज़ाजी निकल पड़ी

पत्थर को ठोकर मारा

माटी को गले लगाया

अनगिनत बाधा को पार किया

पर कहा किसी का ना माना

 

कभी ठिठकी कभी सकुचाई

कुछ लजाई कुछ मुस्काई

मिल गया उसका गंतव्य

सागर को सौंपा सर्वस्व

वक्षस्थल से लग गई सरिता

बहने लगी अश्रु धारा


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 23, 2022

 कितना हसीन वो_पल 

होता है जब

तुम्हारी मुठ्ठी_भर_यादें, 

मेरी शायरी में

और 

तुम्हारे एहसास, 

मेरे अल्फ़ाजों में

सदा जीवित होते है

तुम्हारी खूबसूरती की तारीफ में 

इतना कुछ लिखता हूँ,,

फिर भी जब जब तुम्हे देखता हूँ

 हर बार 

नये खूबसूरत शब्दों की तलाश होती है....


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 22, 2022

 आसान_कहां होता

बिखरते पलों को, समेटना 

और

नये लम्हों को सजाना

अनकही बातों को यूँ संभालना


ज़िंदगी के शोर में

‌ख्वाहिशों की चुप्पी को सुनना 


हर बार अपने आप से मिलना 

मिलकर भी अनदेखा करना


रिश्तों को निभाना और

अपनी खुशी को बयां करना 

हर बार जीना,और जीने के लिये मरना !!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 21, 2022

 सदा शीतल_हृदय में ही 

खुशी का साज बजता है,


नयन के नीर से ही मेघ 

निज संसार रचता है,


कि मोती बूँद बन झरता सलिल 

जब व्योम के घट से,


उमंगित हो धरा के तन 

हरित परिधान सजता है।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, August 18, 2022

 सुकून का पर्यायवाची शब्द हो तुम ..

आंखे बंद करूं तो महसूस होती मुझे तुम


बिल्लौरी सी आंखों से मुझे निहारती हो तुम

पास आकर सीने से लगा लेती हो तुम


हौले से मेरे सर को  चूमकर कहती हो तुम

सुनिल उठो मैं आ गई


मेरे सर को अपनी गोद में रखती हो तुम

और गालों पे गाल रखकर कहती हो तुम


सो जाओ ..मैं तुम्हारे साथ हूं हमेशा ..

जहां तक हो सकेगा कब तक ? वादा नही करती


क्यूंकि वादे तो टूटने के लिए होते हैं ना

सीने से लगाकर भरोसा देती हो तुम


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 16, 2022

 निभाना रिश्तों को भी

आसान_कहाँ होता है


क़भी दर्द को पीना पड़ता है

कभी ग़म में रोना पड़ता है


लाख़ हो नफ़रत दिल में

फ़िर भी लफ़्ज़ों को तो सीना पड़ता है


क़भी मुस्कान के पीछे का दर्द

तो कभी दर्द के पीछे मुस्कान


हर मर्ज़ को परखना पड़ता है

हर फ़र्ज़ को करना पड़ता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, August 14, 2022

 जीवन के सफर में

मैं_और_तुम

साथ चले

चलते गए

कई बार

उलझे और उलझते गए

कई बार गिरे और संभलते भी गए

अब एक

स्थिरता है

तेरे मेरे दरमियां

ना रूठना मनाना

ना झगड़ा सुलह

ना रीझाने का है कोई शौक

यंत्रवत

रोज सी जिंदगी

ना तुम शिकवे करते हो,ना कोई शिकायत

हम कब से

इंसान से मशीन बन चुके हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 13, 2022

 हो ख़ुशी मेरी ज़िन्दगी हो तुम!

इश्क़ जिससे मुझे वही हो तुम!


ख़ूबसूरत हो इक कली हो तुम!

सुब्ह की धूप सी खिली हो तुम!


हमने किस्सों में जो सुना था वही,

हूबहू ख़्वाब की परी हो तुम!


हिचकियां देर तक मुझे आईं,

क्या मुझे सोचती रही हो तुम!


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 12, 2022

 मेरी कविता गीत तुम्हारे

गली_गली भटके बंजारे


जन्म जन्म तुमको पाने को

सुनिल पूजे  साँझ सकारे


सुधियों के संदेशे भेजे

देहरी देहरी दीप जलाये


पनघट पनघट पीड़ा प्यासी

घन बैरी पर लौट ना आये


कैसी रैन विरह बिछुड़न की 

चकवा चकवी सोन्न विचारे 

मेरी कविता...


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, August 10, 2022

 दर्द की दर्द से मुलाकात होगी 

जब भी तेरी_मेरी_बात होगी 


कुछ ग़म तुम लबों से कहना 

कुछ तुम नैनों में रखना 


मैं अफ़साने सारे ख़त में लिखूंगा 

अधूरी बातें सारी नज़्म में सिलूँगा 


लंबी बहुत लंबी वो रात होगी 

जब दर्द की दर्द से मुलाकात होगी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, August 8, 2022

 वो ना आई अपने वादे के बाद

शाम_ढलने_लगी कुछ पल के बाद।


हम करते रहे उसका इंतजार

भरोसा अपना टूटने लगा कुछ पल के बाद।


चाँद दिख आई कुछ सपनो के साथ

हम करते रहे बीते लम्हों को याद।


आँख झपने लगी मीठे सपनो के साथ

उन सपनों में दिख गयी कुछ पल के बाद।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, August 6, 2022

 नदी की निरंतर यात्रा में 

किनारे का महत्व

बस इतना है


हर आने वाली नई लहरों को

चूम कर ये कहना

अभी तो दूर है मंज़िल


बढ़ जाओ बस आगे यूँ ही

सागर के आगोश में

समाने के लिए


जो प्रतीक्षारत है सदियों से

जो आतुर है बेकल है बेचैन है


प्यार की अथाह गहराई के साथ

अपनी नदी से मिलन के लिए


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, August 5, 2022

 क्या देखा उस गैर में हमने

क्यों उसको अपना बना लिया


नज़र पड़ी जो पहली उन पर

क्यों दिल में अपने बसा लिया


सारा खेल नज़र का था ये

क़सूर दिल का बता दिया


पता नही उस गैर ने मुझपे

कैसा जादू चला दिया


बातों_बातों_में उसने

मुझे कैसे अपना बना लिया


जीत ले गये दिल वो मेरा

कैसे अपने दिलको हरा लिया


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, August 2, 2022

 ज़मी से मिलन गगन का है देखो,

धरा आज खुश हँस रही चान्दनी भी ....


करम आपका मुस्कुराये सनम जो, 

मिटा दो ज़रा ये गजब तिश्नगी भी  .....


ख्यालो में आओ सताओ नहीं तुम,

खफ़ा आप से करते है आशिक़ी भी.... 


छुपा कर निगाहो में रक्खेगे तुम्हे, 

करेंगे हिफ़ाज़त सनम दिल्लगी भी ...


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 30, 2022

 सुनो_ना


जब तुम आती हो मेरी बगिया में

पूजा के फूल लेने

तो पूरी बगिया में लेने के देने हो जाते हैं


फूल तुम्हारे यौवन के आगे,

सुंदरता में बौने हो जाते हैं


जब तुम कदम रखती हो

तुम्हारी पायल की रुनझुन के विद्युत से

मेरे हृदय के तार स्वत: ही जुड़ जाते हैं


और मेरी आंखों के जुगनू 

जगमगा उठते हैं


मगर, मैं यह जगमगाहट 

तुम तक नहीं पहुंचने देता हूं

यह अशुद्ध है


मेरे अंदर बहुत कुछ ऐसा होता है

जो मेरी इच्छा के विरुद्ध है


मुझे तुम्हारी प्राप्ति की इच्छा नहीं है

तृप्ति की आकांक्षा भी नहीं है

बस तुम यूं ही बनी रहो पाकीजगी में सनी रहो


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 29, 2022

 सांसों में खुशबू है तेरी मेरे हमदम

होंठों पे चंदा की छाई है शबनम


गीतों में तेरे हैं, जीवन के डेरे

इस जीवन मरु के हो बादल घनेरे

कह दो प्रिय मेरे तुम मेरे हो मेरे,


ये इठलाती बलखाती सुबहा की लाली 

जो छाई है इतराती मुखड़े पर आली।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 28, 2022

 सुनो_ना


तुमसे बात करना

मेरी तलब नहीं, 

ना ही शौक़ है मेरा


ये जरूरत है मेरी

मेरे वजूद को बिखरने से

बचाये रखने के लिए


तुम्हारी आवाज़

मुझे तुम्हारे करीब होने का

एहसास कराती है,


अलग अलग जगह रहते हुए भी

मीलों की दूरियों के बावजूद भी,

हम एक दूसरे के बेहद करीब होते हैं, हमेशा!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 27, 2022

 सवाल कुछ भी हो 

जबाब तुम ही हो

रास्ता कोई भी हो

मंजिल तुम ही हो

दुःख कितना भी हो

खुशी तुम ही हो

अरमान कितना भी हो

आरजू तुम ही हो 

गुस्सा कितना भी हो

प्यार तुम ही हो

ख़्वाब कोइ भी हो

तकदीर तुम ही हो

तुम्हारे वगैर ये जिन्दगी कुछ भी नहीं

मेंरी हर जहाँ तुम ही हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 26, 2022

 जब अम्बर ढक जाए जलद से

पथिक तुम घबराना मत।


काले बादलों में भी मुस्कुराता है सूरज

पथिक कभी तुम भूलना मत।


आशातीत बन बढ़ कर्म पथ पर

पथिक तुम ठहरना मत।


हौसला बुलंद रख तिमिर को चीरकर

रोशनी फैलाओ तुम मिलेगी मंजिल तुम्हें

पथिक तुम घबराना मत।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 25, 2022

 अनछुयी बाला की मधुर

मुस्कान है मेरी गजल


दुनिया के दाव पेंच से

अनजान है मेरी गजल


जहाँ न गम की घटा हो

न कहर का खौफ छाया


उस कल्पना के लोक की

पहचान है मेरी गजल


जहां न प्यासा हो आंचल

न बहे नयनो का काजल


मानवता की विजय का

जयगान है मेरी गजल


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 24, 2022

 ऐ मेरी  कलम  धीरे_धीरे चल

करती चल बाला का श्रृंगार


देख खिल जाए  मुरझे  चेहरे

जो  निराशा  में  अभी  पड़े।


ऐ मेरी कलम मधुर-मधुर गा

गीत  रस भरे  सुनाती  जा


खिल जाए सखी मुख आभा

निहार सौंदर्य मुग्ध हो दिवाना।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 23, 2022

 चाँद तारों की बरात लेकर

आज अम्बर धरा पर है आया


यूं चमकती हुई चाँदनी में

जैसे सारा जहां है नहाया


सज रही है दुल्हन जाने चंचलसा मन

प्रीतकी रात है होगा प्रियसे मिलन


माथे बिंदिया सजी पांव पायल बजी

सरपे लाली चुनर सुर्ख होते अधर


देखकर रूप दर्पण लजाया

आज अम्बर धरा पर है आया


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 22, 2022

 उस नौका का मूल्य  क्या ?  जिसमें होती पतबार नहीं !

साथी बिना सखे जीवन का होता है आधार नहीं!!


देखो पेड़का सहारा पाकर बेल शिखर चढ़ जाती है

अमर बेल जो बिना मूल की बह भी जीवन पाती है


सूना सूना जीवन लगता मन की बात न कह पाते

जो निकटस्थ हुआ करते थे वह भी दूरी पर जाते !!


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 21, 2022

 भाल पर चन्द्र बिन्दु केशराशि मोती युक्त

रखड़ी में गोरी तेरे हीरों की जड़ाई है


पुष्प से गुलाबी ओष्ठ नथ रस चूस रही

कजरारे_नयनो मे खुमारी सी छाई है


कर्णफूल गाल चूमे माल कंचुकी के मध्य

रेशमकी ओढ़नी पे तारोंकी छपाई है


करघनी कमर की इठलाती बारबार

तेरी तरुणाई देख रति भी लजाई है


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 20, 2022

 नाम तेरा नहीं लिया मैंने,

वक्त खुद को नहीं दिया मैंने,


ज़िन्दगी बस गुजार दी यूँ ही,

जाम उलफत नहीं पिया मैंनेl


नैन बैचैन से रहे हरदम,

खास कुछ भी नहीं किया मैंने l


दर्द दिल में हुआ बहुत लेकिन 

दर्द हंस के छिपा लिया मैंने l


पास दिल के नहीं रखा उसने,

गैर फिर भी नहीं कहा मैंने l


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 19, 2022

 धूप_मे कितना जलना पड़ता है  ;

मंजिल का वो सुख पाने को..


दुख बहुत सहना पडता है  ;

गीत मनचाहा गाने को..


कितने पतझड सहने पड़ते हैं ;

तब हो सकीं बसंती मनुहारें..


उस पीड़ा की कोई खबर ;

कहाँ हो सकीं कभी जमाने को ..  


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 18, 2022

 जीता रहा अपनी धुन मे

दुनिया का कायदा नहीं

देखा.

रिश्ता निभाया हृदय से

कभी फायदा नहीं देखा !


एक किताब की तरह हूं ,

कितनी भी पुरानी हो जाये ,

उसके अल्फाज नहीं

बदलेंगे.


कभी याद आये तो, पन्नों

को पलट लेना.

मैं आज जैसा हूं 

ग़र रहा जिंदा

तो ऐसा कल भी रहूँगा ! ~


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 17, 2022

 अहले सुबह ..

अलसाई सी आंखों से

तेरी यादों की पुरवाई टकरा गई !


खोने लगा मैं तुममें ..ख्यालों में 

रात जो तेरे संग ख्वाब में कटी थी 


तकिया अब भी गिला था

सहलाया यूं जैसे तुम हो ..

महसूस किया आंखें बंद कर तुम्हें !


दो बूंद ढलक गए गालों पर 

और सुबह हो गई !


और तुम ?

खो गई ..!


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 16, 2022

 जब मन कि कोई भी बात हो

या दिल में भरा कोई जज्बात हो ।


जो पल-पल तुम्हें सताते हो

और आंखों को नम कर जाते हो ।


उन बेचैनी की बातों को

उन दर्द भरी मुलाकातो को ।


लिख दो लहू से दिल के पन्नों पर

एक कलम बना कर  यादों को ।


शायद कुछ सुकून मिले तुम्हें

भूल पाओ उन लम्हों को ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 15, 2022

 कुछ कहे, अनकहे, कुछ हृदय में रहे,

इस निशा के भंवर में समाते रहे।


चांद छिपने लगा, रात के पग थमे,

किन्तु अपने हृदय, गुनगुनाते रहे ।


प्रेम का ज्वार, यूंही घुमड़ता रहा,

सपन अनगिने, लहलहाते रहे।


दो तुम्हारे नयन, दो हमारे नयन,

चार दीपक सदा, जगमगाते रहे।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 14, 2022

 कभी कभी खुशी से

बांटना जज्बात जरुरी है

दिल में दबी हो वर्षों से

कहना बात जरूरी है!!


मन की बातों में

हजार राज छुपे होते हैं

निराशा के सन्नाटों में

मोहक आवाज छुपे होते हैं !!


मन की बातें कहने से

मन  हल्का होता है

बोझिल मन पर हावी 

नहीं कुछ कल का होता है !!


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 13, 2022

 तेरी मीठी मीठी बात

तेरी अनचाही मुलाकात।

तेरी खिली खिली सौगात

तुम तो रब से भी प्यारी हो।


होठों पर तेरी मधुशाला, 

लवों पर तेरी मुस्कान। 

तेरी अमृत जैसी बोली, 

तेरी कोयल जैसी तान।


उड़े जुल्फें जब चले तू

हो बिन बादल बरसात।

तेरी मीठी मीठी बात। 

तुम तो रब से भी प्यारी हो।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 12, 2022

 काली~काली आँखें ...,

लाल सूर्ख होंठ ....


हल्के गुलाबी गाल .....

माथे पे चांदी सी चमक ....


गोरे रंग में ये बदन 

हल्की लालिमा लिये हुए ....!


क्या खूब है ...

सारे रंग एक ही केनवास पर उतार दिये !


शायद ....


खुदा ने तुम्हे बनाने से पहले ...

रंगोली बनाई होगी ....!!


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 11, 2022

 सांस-साँस तेरी गीत बनी है 

हर धड़कन है सरगम। 


बंद पलक है निशा घनेरी,

खुले नयन प्रभात हैं हरदम। 


नेह निमंत्रण देती लगती अक्सर 

तेरी चितवन मुझको,


अपनी प्रीत रूप में सौंपी है तूने 

भेंट ये अद्भुत अनुपम। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 9, 2022

 ह्रदय से तुम्हारे  मिलन  कर  रहा  हूँ

तेरी धड़कनों पर गज़ल लिख रहा हूँ


पहाड़ों से आती ये चंचल हवायें

बदन से  तुम्हारे  आँचल  उड़ायें

छूकर बदन को मेरे  पास  आयें

आकर मुझे भी  दीवाना  बनायें


हवाओं को दिल से नमन कर रहा हूँ

तेरी धड़कनों पर गज़ल लिख रहा हूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, July 7, 2022

 बेइंतेहा दर्द है छुपाना चाहता

पर मुझे छुपाना भी नही आता


बहुत कुछ है लिखने को

पर थोड़ा बहुत ही लिख पाता


आंखें डबडबाई हुई रहती

चेहरा मुस्कुराता हुआ रहता


उंगलियां दिल के अहसास

कलम से पन्नों पे बिखेर जाता


पोंछ लेता हूं मैं नम आंखें ..

पर कागज़ पे दर्द छलक जाता ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, July 6, 2022

 महसूस होती हो

तुम मुझे मेरे आसपास

जब भी मैं खोता हूं

ख्यालों में तुम्हारे


इस अहसास को

क्या नाम दूं?

क्या यही प्रेम है?


आह,

मुझे तुमसे प्रेम है

सुन रही हो ना


"अगाध प्रेम"


अब तुम अपने 

दिल पे हाथ रखो

देखो तुम्हारी धड़कन भी

मेरा नाम गुनगुनाती है ?


मेरी धड़कन ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, July 5, 2022

 कितनी नज़्में

लिखी होंगी मैने


कितनी कविताएं

लिखी होंगी मैने


कभी प्रेम में

कभी दर्द में


जो दर्शाती है

मेरे दिल का हाल


"प्रेम"

मेरे लिए एक

छलावा ही रहा


हर किसी ने खेला

मेरे जज्बात से


फ़िर भी किसी से

कोई गिला नहीं मुझे


खुद को ही कसूरवार ठहराया

कुछ तो कमी होगी मुझमे ही ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, July 4, 2022

 बेबसी में तड़पकर रह जाता हूँ

अक्सर ख्वाब दिल में सजाता हूँ 


चाहे कोई समझे ना समझे मुझे

तुम मुझे समझो ये आस लगाता हूँ


जख्म देती हो जब जब तुम मुझे

अपने जख्म खुद ही सहलाता हूँ


करती हो मुझे तोड़ने की कोशिश

टूट कर फिर भी मैं मुस्कुराता हूं


बस तुम्हारी खुशी की दुआ करता हूं ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, July 3, 2022

 मैं कोई रिश्ता नहीं हूँ

जो तुम निभाओगी मुझे ..


मैं तो बस अदना सा इश्क़ हूँ

तुम इश्क़ से ही पाओगी मुझे ..


है मेरी इक आखिरी ख्वाहिश

तुम पूरी करोगी क्या ?.


जब जनाजा मेरा निकलेगा

क्या कफ़न में अपना दुपट्टा ओढ़ाओगी मुझे ?.


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, July 2, 2022

 ख्वाबों ख्यालों में तुम आ रही हो

राफ्ता राफ्ता दिल में समा रही हो,


दीदार कर तेरा ,मुझे सुकून आता है

इस कदर तुम,मुझसे मुझे चुरा रही हो,


चांद भी आज मद्धम पड़ गया है

तुम घुंघट से जो झांक रही हो,


तेरी सांसों से महकने लगा हूं मैं अब

तुम मेरे आगोश में जो बिखर रही हो ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, July 1, 2022

 जिंदगी और मेरे बीच गजब की जंग है ;

रोज इससे खेलता हूं पीछा छुड़ाना चाहता हूं; 


जाने क्या क्या कर जाता हूं..

जिंदगी के अंतिम छोर पे जाकर लौट आता हूं..

तरह तरह के एडवेंचर करता हूं.. 


कभी कभी लगता है की 

अब जिंदगी से पीछा छूटने ही वाला है, 

की ये कमबख्त फिर मुझे दबोच लेती है ..


अपनी जिंदगी को कहता हूं,

बोल कितने पल का मेहमान हूं ?, 

फिर आंखें खोल देता हूं,


जिंदा हूं मैं अब भी 

सहसा येअहसास हो जाता है,

ओह फिर से जीत गई.."जिंदगी"


ना किसी से कोई गिला ना शिकवा ..

जिसने जो दिया मेरे हिस्से का था 

वो प्रेम भी, नफरत भी, धोखा भी,


खैर .. 

यात्रा जारी है ...  

अनवरत ..

जिंदगी तू कभी तो हारेगी ही ..

कभी तो मैं जीतूंगा ही ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 30, 2022

 पन्नों पर

लिखकर पूरा ना हो

इक अधूरा

किताब हूँ मैं


मुकम्मल नही

अधूरा ख्वाब हूं मैं


कभी चरागों की

जरूरत नहीं रखता

वो रात का स्याह

अंधेरा हूं मैं


ऊंचाइयों को डुबो दूँ

वो सैलाब हूँ मैं

तन्हा राहों का

तन्हा मुसाफिर हूं मैं


दिल से

बेनकाब हूँ

इसलिए शायद

बहुत बुरा हूं मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 29, 2022

 मुश्किल थी हिज़्र की वो रात

हम कह ना पाए दिल की बात


काश वो वक़्त ही ना आया होता

वो मुद्दा मसला सुलझाया होता


काश मैं यकीन करता तुम पर

या तुमने यकीन दिलाया होता


एक उम्र साथ गुजारने की चाह थी

काश रिश्ता बे वक़्त ना मुरझाया होता


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 28, 2022

 ये शराब भी है क्या शराब कोई

तेरी आँखों में बसता मयखाना कोई


तेरी निगाहे पैमाने में न रखती नशा 

तेरे चेहरे पर नूर जैसे महताब कोई 


समुंदर यूँ ही बदनाम अपने तेवरों से

तेरी निगाहों में उफ़नता सैलाब कोई


जो भी डूबा उसे होश न अरसे तक आया

तुझसे नजरे चुराकर करे मुलाकात कोई


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 27, 2022

 जीवन है तब तक

सांसें चलती है जब तक


क्या सांसों का चलना

ही जीवन है कहलाता


हां,तकता हूं मैं राह मौत की

ये जीवन अब मुझे डराता


तेरे इल्जामों का बोझ अब

मुझसे सहा नहीं जाता


तन्हाई में तकता हूं दीवारे

काली रातें मुझको निगलती


तू क्या जाने तेरे बिन मैं

घुट घुट मरता हूं रोज


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 25, 2022

 कभी मैं घुल जाता हूं

आंसुओं के जाम में


कभी मैं जी जाता हूं

अश्कों के दीदार में


कभी मैं डूब जाता हूं

तेरी यादो के अंबार में


कभी मैं खो जाता हूं

तेरे लबों की पुकार में


कभी मैं मर जाता हूं

तेरे इश्क की बौछार में


कभी मैं लिख लेता हूं

तेरी धड़कनों की आवाज़ में


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 24, 2022

 बीती यादें भूल जाएं ये मुमकिन नही

बीते लम्हें भूल जाएं ये मुमकिन नही


हमारी तमन्ना होती है सब भूल जाएं

पर कोई तमन्ना ही न हो मुमकिन नही


मौत आखरी मुकाम है इस जिंदगी का

जिंदगी हर किसी को मिले मुमकिन नही


इश्क किसी को किसी से हो सकता है

पर हर इश्क वफा करे ये मुमकिन नही !


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 23, 2022

 मुस्कुराता हुआ ही चेहरा मेरा रहता है

इस मुस्कान से दिल का कहां वास्ता है


इस दिल का हाल चेहरे से अलहदा है

गुफ्तगू ये सिर्फ अब मुझसे ही करता है


हाल ए दिल ये किसी से नही कहता है

कभी कभी आंखों से अश्कों में बहता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 21, 2022

 किसी भी अक्स के दो पहलू होते है

दान वही करता है जो जमके लुटता है


ईमान को लेकर कहां जाओगे #शांडिल्य 

ये बेकार है इसकी कोई कीमत नहीं है


वैसे तो ज़माने के बहुत ठोकर खाये हैं

पर कभी फूल ने भी हमें ठोकर मारी है


मेरे इस दिल की है फितरत बच्चो सी

जिसे खो दिया,चाहत उसकी ही करता है


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 20, 2022

 प्रेम संगम है, मिलन और बिरह का 

कभी मन फूल,कभी पतझड़ बन जाते है

खिलती है होंठों पे मृदु मुस्कान कभी 

आंखों में कभी सजल बिंदु भर जाते है।


----सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 19, 2022

 बातो बातो में जो ढली होगी

वो रात कितनी मनचली होगी


मेरे सिरहाने रखी याद तेरी

रात भर शमा भी जली होगी


सबने तारीफ तेरी की होगी

मै चुप रहा तो मेरी कमी होगी


तेरी आंखो मे झांकने के बाद

मेरी आंखों में ओस सी होगी


है तेरा ज़िक्र तो यकीं है मुझे

मेरे बारे में भी बात हुई होगी ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, June 17, 2022

 शाम इश्कियाना है ..


ढल रहा सूरज

तेरी यादों का पता ढूंढती है

ठंडी पुरवाई तेरा पता पूछती है

कानों में हवाएं गुनगुनाती है

ये फिजाएं बातें तेरी करती है

तन बदन महक उठा है

हंसता रहता हूं

इश्क का रंग चढ़ने लगा है

दीवाना कर दी हो मुझे

ऐसा पहली बार हुआ है


शाम इश्कियाना है ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 16, 2022

 कलम आज मुझसे सवाल करती है

कमबख्त मेरे दिल का हाल लिखती है


कहता हूं इसे तू सिर्फ इश्क लिखा कर

पर ये हंसी के पीछे का दर्द लिखती है


कहता हूं छुपा लो एहसासों को तुम

पर रात जो अश्क बहे वो लिख देती है


जर्रा जर्रा आंखों का हाल लिखती है

मेरे रोते दिल का अफसाना लिखती है


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 14, 2022

 तुम्हारी मुस्कान,इतनी चंचल

जैसे रेत में पड़ा कहीं जल


विरले ही होंगे जगत में ऐसा हुस्न

समक्ष जिनके चंद्र ने डाला हो शस्त्र


तुम्हारी सुंदरता का क्या बखान करूं

मन करे की विस्तृत व्याख्यान करूं


पर मन दगा कर जाता उंगलियां हैं थम जाती

और आंखें मेरी रही एकटक निहारती तुझे


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 13, 2022

 सुनो मैं तुमसे बेहद प्यार करता हूं

किस हद तक बता नहीं सकता हूं


इक पल भी तुम'बीन न गुजरती मेरी

हर पल तुम्हारे ख्यालों में ही रहता हूं


मेरी धड़कन तेरे नाम से धड़कती है

हर पल मैं तुम्हारा मुंतजिर रहता हूं


कैसे कहूं तुम्हें कितना चाहता हूं मैं

इस अहसास को शब्द नही दे पाता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, June 12, 2022

 तुम सुंदर हो

मगरूर हो गई


तुम नशा हो

मदहोश मुझे कर गई


तुम सावन हो

बारिश बनकर बरस गई


तुम चांद हो

ठुमक कर चांदनी बिखेर गई


तुम लौंगकली

दांतों तले होठ दबाती हुई मचल गई


तुम गजगामिनी 

हिचकोले खिलाने कमर को लग गई


तुम जालिम हो

तरसाने मुझे लग गई


और मैं मासूम ........😌😑


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 9, 2022

 माहौल नशीला

मंच सजीला

बुन रहा कोई ख्वाब


चुपके-चुपके

दबे पांव आयी बलखाती

पास आकर

कानो में कुछ गुनगुनाई


चांद की किरणों सी

जगमगाती वो पल हर पल


आहिस्ते-आहिस्ते

नाजों से बुनती कोई ख्वाब 


राफ्ता राफ्ता सिहरता गया

उसके पहलू मे सिमटता गया


जैसे चांद जमी पे उतरा

और आगोश मे मुझे ले रहा 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 8, 2022

 मेरे सारे राज आज बेपर्दा करता हूं

तुम जो भी कहोगी वो मैं करता हूं


तुम्हारे सारे नखरे मेरे सर माथे पे

तेरे कदमों तले मैं हथेलियां बिछाता हूं


तुम्हारी  हर  जिद  मेरी  और इसे

पूरा करना अपना फर्ज समझता हूं


तुम्हारे हर ख्याल का मैं ख्याल रखूंगा

सीने से लगा कर तुझसे वादा करता हूं ।। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, June 7, 2022

 ढलता दिन

बेताब करती


मिलने की तमाम

कोशिशें नाकाम करती


मद्धम मद्धम हवाएं

शाम को तेरा हाल सुनाती


चाय की चुस्की संग

लिखने जो मैं बैठुं

चाय ठंडी पड़ जाती

कलम अल्फ़ाज़ भूल जाती


दिल आशिकाना

कहाँ धड़कनो का ठिकाना

उछलती-कूदती ख्वाइशें

रूह मे गूंजते तराने


बस तेरा ठिकाना

मेरी नजर खोजती 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, June 6, 2022

 तेरे हुस्न पर आज मैं

इक कविता लिखता हूँ


पर्वत से गिरती नदिया सी

तेरा यौवन मैं लिखता हूँ


तेरे दो नयनन को मैं

सूरज चँदा लिखता हूं


तेरे दो होंठो को मैं

कमल दल लिखता हूं


तेरी खनकती आवाज को मैं

जीवन का संगीत लिखता हूं


हृदय से निकले इस गीत में

तुझको मैं मृगनयनी लिखता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, June 4, 2022

 तेरी ये पलकें भार लिए 

लज्जा से,झुकती जाती हैं


नयनों की कोरों की झीलें 

चाहत की नाव डुबाती हैं


कुछकुछ खुद से रूठीरूठी

कुछ कुछ उससे मनुहार करें


सारी दुनिया पर जुल्म करें

अपनी दुनिया से प्यार करें


जब भी देखूँ तो यही लगे

तेरी आंखें कुछ कहती हैं !


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, June 2, 2022

 मैं बहता वरुणा का पानी 

तू काशी की गंगा ।

मिलन तुम्हारा कर देता है 

मेरे मन को चंगा ।।


तुझमें ही अस्तित्व ढूँढता

खुद अपने को खोकर ।

हाथ पकड़कर चलना चाहूँ 

मैल मैं सारे धोकर ।


तू तो भरी है धान कटोरा 

मैं हूँ भूखा  नंगा ।

मिलन तुम्हारा कर देता है 

मेरे मन को चंगा ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, June 1, 2022

 तुम भोर की पहली किरण

तुम ही सन्ध्या की गोधूली


तुम गगन में चमकता चांद

तुम ही सुबह की लाली


तुम हवा,तुम बादल,तुम ही खुश्बू

तुम से ही शिकायत,तुम से ही प्यार


तुम दिन तुम रात,तुम ही जज़्बात

तुम से ही जुड़ी मेरी हर एक बात


तुम ही सपना,तुम कल्पना,तुम यथार्थ

फिर क्या सवाल ?


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 30, 2022

 कहीं फ़ीरोज़ी,कहीं-कहीं पीले

लाल,गुलाबी,काले,नीले


किस्म किस्म की तस्वीरों में

रंग भरे हैं सूखे-गीले


सबके चेहरे अलग-अलग हैं

मोह का घूँघट एक है


सब जायेंगे आगे-पीछे

हाथ पसारे,आँखें मींचे


स्वर्ग-नरक,सब झूठी बातें

ना कोई ऊपर,ना कोई नीचे


सबकी वही एक डगरिया

मौत की करवट एक है!


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, May 29, 2022

 टूटा हुआ इक साज हूं मैं

खुद से ही नाराज हूं मैं 🎵

...

आंखें बंद करता हूं मैं

तुझको पलको पे पाता हूं मैं


कितना याद आती हो

कैसे तुझको बतलाऊँ मैं


कहां गुम हो गई हो

कहां तुझको खोजूँ मैं


अपने गम भुलाने को

लिखता हूं प्रेम के गीत मैं


आ भी जाओ अब की

तेरे बिना हूं कितना तन्हा मैं ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 28, 2022

 मेरे पास से जो तुम गुजरती

कलम मेरी है मचलने लगती


लचक कर  जो तुम  चलती

स्याही में कलम डूबने लगती


उंगलियां बदन के पोर पोर पे

आहिस्ता  आहिस्ता सरकती


कलम मेरी राफ्ता राफ्ता सरकती

मिलन की कविताएं उकेरती जाती


पन्नों पे मेरी कविताएं नृत्य करती

प्रेम से होकर सराबोर गीत रचती


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, May 27, 2022

 क्यूं मेरे नजदीक इतनी आ रही हो

क्यूं लबों को लबों से टकरा रही हो


महक रही है उफ्फ तेरी गरम सांसें

मेरी  रूह  को  क्यूं  महका रही हो


होंठो से मेरे होंठों पे गुनगुना रही हो

धडकनों की रफ्तार को बढ़ा रही हो


जाल जुल्फों  का  बिखेर  रही हो

गिरफ्त ए इश्क में मुझे ले रही हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 25, 2022

 वो बरसात

वो मुलाकात

छत से टपकती बूंदें

उन बूंदों के पीछे

खिड़की की चौखट से

झांकती दो जोड़ी आंखे..


जो निहारती रहती यदा कदा मुझे

कभी नजरें चुराती

कभी पलकें झुकाती

जो नजरें मिलती

हया से ..

गाल हो जाते गुलाबी

उफ्फ वो बरसात शराबी..


होता मैं मदहोश,

उन नजरों का जाम चख कर..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 23, 2022

 आंखों की भाषा क्या कहती है

आंखों में झांक समझ आया है


देखके तुमको मेरी से धड़कन

लय मे गीत गाने लगती है


वो मनमीत मुझे तुम लगती हो

बड़े भाग्य से जो मिलता है


मुस्काते अधरों पर अमृत की

बूँदों को देख समझ आया है


चल चले मिलन की ओर हमतुम

की आज मिलन की रुत आई है ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, May 21, 2022

 सिसकती रात सी

मुझमें काला दाग क्यूं है


दिखता सर्द हूँ पर

दिल में आग ही आग क्यूं है


मैं रात से बोला

ओ काली रात तू है निराली


तू हसीन तू मनचली

तेरे दिल में खलबली क्यूं है


छोड़ दे सारे गिले शिकवे

मत तोड़ इश्क के सिलसिले


लगी मुझे किसकी बददुआ

अब वो मेरे साथ नही क्यूं है


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, May 19, 2022

 कुछ अच्छा है

कुछ सच्चा है

कुछ प्यारा भी है

थोड़ा अल्हड़ भी है


पर जो भी है बड़ा

कमबख्त है ये इश्क


सिसकता है 

दर्द देता है

कभी खुशी भी देता है


पर जो भी है

अजीब है ..

ये अहसास ..

क्या नाम दूं इस अहसास को ?


कुछ समझ न आता 

आखिर ये चाहता क्या है ..


कमबख्त इश्क ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 18, 2022

 आज तुझपे मैं इक गजल लिखता हूं

तेरे साथ बिता हुआ मैं वक्त लिखता हूं

 

हमारे इश्क का फसाना लिखता हूं

तेरा मुझको गले लगाना लिखता हूं 


खुद को तेरा आशिक मैं लिखता हूं

तेरा बनाया झूठा बहाना लिखता हूं


तेरा मुझको छोड़ जाना लिखता हूं

अंत में मैं खुद को बेवफा लिखता हूं !


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 17, 2022

 तेरी इक छुअन की

तमन्ना कबसे पाल रखी


पास आओ की

जज्बात मेरी मचली है


अब मुझको दूर से

यूं न तड़पाओ तुम


रात है शमां है

बहके बहके अरमान हैं


चली पुरवाई 

हुआ बदन सर्द


सीने से लगकर

सांसो से सुलगा दो तुम


शर्म लाज की घुंघट

का परदा हटा अब


की आखिरी सांस तक

तू मुझे जरूरी है !


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, May 16, 2022

 करूं मैं तुझसे इश्क बेइंतेहा

करूं मैं इबादत तेरी


तेरी खुशबू बसी जहन मे मेरी

मेरी धड़कन में रवानगी तेरी


आई मिलन की अद्भुत बेला

बांहों में हो तुम और शमा अलबेला


लबों की लबों से हो रही है गुस्ताखियां

उंगलियो के पोर बदन पे थिरक रहे


आगोश मे बिखर रहे

हौले हौले से सुलग रहे


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, May 15, 2022

 तेरे सुर्ख गुलाबी

होठों की अब

परिभाषा क्या

कहती है


मनोनीत मन-मानस

की मेरी अब आशा

क्या कहती है


तुम अधजल गगरी

छलको ना यूं

तुम हो बसन्त

की शाख प्रिये


हो शब्द रहित

तुम चिर अनन्त

तुम हो यौवन की

मधुमास प्रिये

देख तुम्हारी

कंचन-काया


तुमको अदभुत

मेरी जिज्ञासा

ये कहती है!


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 10, 2022

 जो तेरी पायल की मैं

खनकती रून झुन सुन लूं


कसम से मैं संगीत को

सुनना ही छोड़ दूं


जो तेरा चांद सा चेहरा 

मेरे  हाथों में आ  जाए


कसम से मैं आसमां के

चांद को देखना ही छोड़ दूं


मेरी मोहब्बत की सारी

आरजू पूरी हो जाए


जो तेरे सीने पे मैं सर 

रखकर धड़कन सुन लूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, May 4, 2022

 मैं लिखूं  जब भी कोई नज़्म

तुम उन  नज्मों में बस जाना


मैं लिखूं जब भी कोई कविता

तुम उनमें अहसास बन जाना


नजरों  में  इतना  नेह रखना

पलकों  पे  महसूस  तुम होना


राह  मेरी  तेरी ओर  ही जाए

ऐसी डोर  में  तुम बांध  लेना


रहना भले ही तुम दूर मुझसे

जब सोचूं तो पास चली आना !


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, May 3, 2022

 कुछ शब्द मैं मेरी

यादों से चुराता हूं


उस हसीं मन्ज़र को

कागज पर उतारता हूं


तेरी आँखो को पढता हूं

प्रेम की परिभाषा लिखता हूं


अल्फाज़ो मे बयां कर दूं

मैं तुझे कितना चाहता हूँ


पास जब आती हो तुम

शब्द मेरे नि:शब्द हो जाते हैं


चाहता हूं अपनी सारी

कविताएं तेरे नाम कर दूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, May 1, 2022

 ओढ़ जो लेती हो

तुम मुझे ..


बिखर जाता हूं मैं

तेरी आगोश में ..


सांसों की हरारत 

पिघलाती मुझे


उंगलियों की शरारत 

से सिहर उठता हूं


कानों में मिश्री घोलती

तेरी फुसफुसाहट ..


जाने किस लोक में

सैर को निकल जाता हूं


तुम बन जाती हो चांद

और मैं तुम्हें निहारता रहता हूं !


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 30, 2022

 तुम आई !

जैसे पतझड़ के बाद बसंत

और संग

लाई बहार


मैं कोई माटी का टुकड़ा

और तुम जैसे कोई कुम्हार


हौले हौले थपक थपक कर

तुमने मुझे तराशा चाक पे


प्रेम से 

तकरार से 

मनुहार से


तुमने मुझे समझा इतना

जितना मैं भी खुद को नही समझ सका


लग जाओ सीने से

सुनो इस दिल की धड़कन

पुकारती नाम तेरा 


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 29, 2022

 उस तपिश में पिघलते है

दो मन दो तन ..

बीजारोपण होता है

मिलन का ..

अंकुरित होती है

फलती है ..

प्रेम का वटवृक्ष ..


प्रेम के वटवृक्ष के छांव में,

सुकूँ पाती हैं

वह प्रेमी और प्रेमिकाएं नही,

होती हैं दो रूहें


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 28, 2022

 अधर बाबरे जिव्हा पागल

कहने को कुछ भी कह जाएं


किस मुंह से मैं कह दूं बोलो

तुमसे मुझको प्यार नहीं है।


एक नहीं है अनगिन बातें

जबकि तुम्हारा प्यार दिखा है


मान मनव्बल पाया तुमसे

मनचाहा मनुहार दिखा है


रुठा हुआ मनाया तुमने

अपने हृदय लगाया तुमने


किस मुंह से मैं कह दूं बोलो

तुमसे मुझको प्यार नही है। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 27, 2022

 खुशी सबमें लुटाकर के बड़ी अपनी खुशी कर लें

भला जिसमें सभी का हो चलो बातें वही कर लें


सुखों ने दूरियां हमसे हमेशा ही बनाई हैं।

रहे दुख पास में अपने उन्हीं से दोस्ती कर लें।


गुजारी हैं कई रातें निपट गहरे अंधेरे में ।

तुम्हारी याद से रोशन चलो कुछ जिन्दगी कर लें।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 25, 2022

 अति व्याकुल मन

तरस रहा पर्तिक्षण

वेदना के तप्त अग्नि में

जलता मन

ऋतू पावस की घनघोर घटा

बन

कब बरसोगे मेरे मिर्दुल तन.?

अल्ल्हड़ सरिता -सी

वेगवती जलधारा

पुलकित प्रवाहमान

चूमती चली थी किनारा

पथिक प्यासा

अतृप्त कंठ याचना भरी आशा

अमृतमय रसपान

आतुर-सी भाषा

बाबरी-सी बन


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 24, 2022

 हर ह्रदय के

अनंत विस्तार में हर घड़ी 

चलायमान रहता है

एक कुरुक्षेत्र 

जहां सदैव से ही विद्यमान है 

असंख्य दैवी व असुरी शक्तियाँ 

जो युद्ध के शंखनाद 

और भीषण रणभेरी के 

अभेद्य उद्घोष के बीच

हमारे मन पर

अपनी अपनी सत्ता

अपने आधिपत्य की स्थापना हेतु 

हैं निरंतर संघर्षरत


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 22, 2022

 नर-नारी की तुलना 

बेमतलब बेहिसाब है ।


जीवन रथ में दोनों 

एक दूजे का साथ है।


एक श्रद्धा विश्वास तो

दूजा तप पुरुषार्थ है।


नारी ममता की मूरत

तो नर पालन हार है।


इक आँचल की छाया

दूजा लुटाए प्यार है ।


जीवन के कुरु समर में

एक कृष्ण है देखो 

दूजा आर्य महान है।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 21, 2022

 मैं इश्क करता ही रहूंगा

तेरी यादों में खोता रहूंगा


मिलती है दिल को राहत

तेरे ख्वाब मैं बुनता रहूंगा


पलकों को अपने बंद करकर

तेरा अक्स उसपे मैं सजाऊंगा


आधे अधूरे एहसासों संग

यूं ही मैं तुम्हें चाहता रहूंगा


तेरे बिन मेरा है वजूद शून्य

चाहते हुए तुम्हें मैं मर जाऊंगा ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 15, 2022

 बेवजह  मुस्कुराना  सीख लिया है ,

ग़म-ए-दिल छुपाना सीख लिया है ।


ऐ  चाँद  तू भी दे  अब तपिस मुझे ,

आग पर चल जाना सीख लिया है ।


राहों  मे  फ़क़त  कांटे  हैं  तो  क्या ,

ज़ख्मी पांव चलाना  सीख लिया है ।


किसी का भी नही असली चेहरा यहां ,

"शांडिल्य"नक़ाब लगाना सीख लिया है ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 14, 2022

 है सारा बदन छलनी और दिल जख्मी है ;

थी कैसी मसीहा तू,क्या शिफ़ा तूने बख्शी है ।।


कुरेद कुरेद कर यादों का अलाव जगाता हूं ;

ऊपर से ठंडी हुई है, अंदर आग सुलगती है ।।


बहुत रोका है अश्कों को फिरभी छलक जाता

जैसे पत्थर का सीना चीरकर दरिया बहता है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, April 13, 2022

 नैनों के जलज

अश्रु सरोवर मध्य खिलेंगे


रो ले तू जी भर सुकून से लग मेरे गले

फिर न जाने कब कहां मिलूं मैं


बातो बातो में तुम यूं

नैनो के रास्ते दिल में उतरे


लहू की रवानी में तुम

हृदय की धड़कन में तुम


सीने से लग मेरे तु कुछ यूं गले

जब तक रहे जीवन अहसास रहे कायम ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, April 11, 2022

 आंगन में लगी बेला की

खुशबू से महके हवाएं


जहां के पर्दों से सूरज बेशक

छना हुआ और किश्तों में आए


पर हर शाम जिंदगी से भरी हो

मुरझाया सा ना बुझे कोई शाम


जहां की खिड़की से चांद की

चांदनी छन छन कर रिसे


तुम्हारा गोद और मेरा सिरहाना

दो जहानों की इतनी सी परिभाषा . 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 9, 2022

 सम्हालो आंचल जरा तुम

की बूंदें आज जरा मदहोश है


भींगा यौवन इठलाता बदन तेरा

की बहके बहके से कदम हैं 


भींगी बरसात फिज़ा खुशगवार

की पायल करे तेरी शोर है 


गिरती बूंदें आज बेहोश है

की चूमा इसने तेरे रुखसार को है


बहक जानें दो रात काली घटाटोप है

की मदहोश आज हम हैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 8, 2022

 शरमाई तेरी नजरें जज्बात छलक गये

लफ्ज बेलफ्ज हुए जुबां बेजुबां हो गये


आग था मैं नजरे तुझसे मिलने से पहले

देखो आज़ हम अब धुंआ-धुआं हो गये


फ़ासले हमारे दरम्यान वक्त ने यूं बढ़ाया

हम धरती हुए,और तुम आसमां हो गये


उम्र नही थी इश्क करने की अभी हमारी

बस नजरें मिली ,और हम जवां हो गये। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, April 7, 2022

 गोरा बदन,तेरा चेहरा हिजाबी

निगाह शराबी,रुखसार गुलाबी


बना कर झुलफें,करती इशारे

दिखाए कितने ख़्वाब ख़याली


मुमकिन कहाँ की हो नज़्म बयाँ

ग़ज़ल सी तू,या मुकम्मल शायरी


मौसम बेवफ़ा,और क़ातिल अदा

क्यों बहाती है मेरा ख़ून शहाबी


लिख दिया तुझे इन अ'सआर में

हुआ शेर फिर"अल्फ़ाज़"इंतिख़ाबी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, April 5, 2022

 मैं आग हूं न खेलो तुम यूं मुझसे ..

पास आते ही तुम जल जाओगी ..


जहर सी है देखो मुस्कुराहट मेरी ..

पीते ही तुम मुझे पिघल जाओगी ..


कैद कर लूं गर , तुम्हें रौशनी में मैं ..

फिर भी शाम में तुम ढल जाओगी ..


गर आँखों में बसा लूं ज़ाम की तरह ..

तो आँसू बनकर , तुम बह जाओगी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, April 3, 2022

 मुझको तेरा अक्स दिखे

बादलों के झुरमुट में


परिजात के पुष्प हो बिखरे

कोमलांगी पग जहां तेरे पड़े


तेरे आने से मेरी प्रेयसी

लगे धरा पे नवांकुर फूटे


मनभावन प्रेम से ओतप्रोत

मधुर चांद के आगोश में


मन मेरा हो कामातुर

जो तोसे मोरा नैन भिड़े


मधुरमिलन की हो व्युहरचना

जो अंग से अंग लड़े। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, April 2, 2022

 मैं बहता हूं दरिया सा

तू इश्क की नदी सी


मैं कल कल करता शोर सही

तू बहती प्रेम सरिता सी


मैं बरसता बादल सा

तू नाचती मोरनी सी


मैं राग छेड़ता सावन सा

तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी


आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का

गीत गजल नज्म जो भी हो वो


सरगम हो वो बस

तेरे मेरे ❤️प्रेम का


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, April 1, 2022

 चकित हिरनी सी चली 

बनकर बांवरी मेरी सजनी


हिय हिलोर बाँक चितवन

पिया मिलन को प्रफुल्लित तन


मन में ढेरों उठे तरंग

चंचल नैना सकुचाते पग


घूँघट ओट निहारे मुझको

लाज का गहना ओढ़े सजनी


जानकर हाल सजनी का

बढ़ाया हाथ थामी कलाई


सकुचाई मुस्काई आई आगोश मे

अनावृत हुए लाज के पर्दे


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 31, 2022

 पंखुरी से अधर-द्वय

तनिक चूम लूं


रंग भर दूं

गोधूली आकाश सा


अधर के दाहिने तरफ

सजा दूं इक तिल


फिर प्रवाहित करूं

चुंबनों की नीर


करूं विद्रोह में

मन की सीमाओं से


तोड़कर चांद गगन से

बाँध दूं आँचल के छोर से


फिर मांग भर दूं

तुम्हारी सितारों से मैं


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 28, 2022

 फुरसत के लम्हे हवा हो गए।

महबूब हमारे खफा हो गए।


भागमभाग मे खो गई  जिंदगी,

प्यार के चंद पल जुदा हो गए।


फुरसत के चंद लम्हे उधार दे दो।

दो बाँहों का यार हमें हार दे दो।


सनम घायल हुआ मैं गुलाबों से,

बहुत तरसा प्यार का संसार दे दो।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, March 26, 2022

 क्या कहूं कैसा हूं मैं


ख़ुद में क़ैद

ख़ुद में मुक़म्मल हूं

खुद से जीतता हूं

खुद से हारता हूं


जज्बातों में उलझा

सुलझा रहा हूं खुदको


बोझिल आंखो में सिमटे हैं

इश्क के सारे किस्से


जुनून सा है बस

तुझे पाने का 


हर लम्हा मैं

तुम हूं


बस चंद सांसें बची

जो है तेरे हिस्से की


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 24, 2022

 तुम्हें ग़ज़लों का गीत लिखता हूं 

तुम्हें शायर की शायरी लिखता हूं ।


लबों पे लब की प्यास लिखता हूं

मयखाने की पुरानी शराब लिखता हूं ।


शब्दो मे लिखूं तुम्हे वो शब्द ही नही

तुमपर मैं इक पूरी किताब लिखता हूं 


दर्द ए जिगर,दवा बेअसर,तुम्हें

मैं अपने दिल का इलाज लिखता हूं ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, March 22, 2022

 मैं अक़्सर वीराने में ..

उजाले भरते रोशनदानों से


पेड़ों की शाखों से

मंदिरों के चिरागों से


उनमें बजती घंटियों से ..

सीने में कैद अरमानों से


अलमारी से ताकती क़िताबों से

खुद से ..खामोशी से ..

तुम्हारी बातें किया करता हूँ


और उन बातों को लोग

कविता समझ बैठते हैं ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 21, 2022

 बीते हुए लम्हों को सम्हाल कर रखना

हम मुरझाए फूल हैं सम्हाल कर रखना


मैं तेरे इश्क की खुशबू से महकूंगा

तू अपने इश्क का गुल खिलाए रखना


जाने कितनी यादे जुड़ी हुई है तेरी मुझसे

इस अहसास को सीने मे है दफन रखना


हां अगर इश्क करना तुझे मेरा गुनाह है 

#शांडिल्य तू खुदको सजा के लिए तैयार रखना 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, March 19, 2022

 कुछ प्यारा सा आज मुझे लिखना है

दिल के कोरे कागज पे तुझे लिखना है


दावे इश्क के मुझे नही आते सनम

बस मुझे खुद को तेरे नाम लिखना है


तरसते हैं मेरे होंठ इक मुस्कान को

तुझसे ही मेरी खुशी है,ये लिखना है


बड़ी शिद्दत से मैं तुझे इश्क करता हूं

तुम्हें अपनी आखरी ख्वाहिश लिखना है


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 18, 2022

 जीवन है इक बुलबुला 

न जाने कब फुट जायेगा


आज है साथ सांसों का

न जाने कब छूट जायेगा


न बांध गांठ तू किसी से

न जाने कब साथ छूट जायेगा


ढाई लफ़्ज़ है जो प्रेम के

बाद तेरे वही यहा रह जायेगा


अनमोल रिश्ते अहसासों के

फिर तू कहा किस से पायेगा


आज है साथ जी ले साथ

किसे पता कौन कल रह पायेगा 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, March 16, 2022

 दिल देने का एहसास ही कराना,

छीन लेने का एहसास ना कराना ।।


तुम्हारे इश्क का अगर भ्रम है तो,

मुझे इसी भ्रम का अहसास कराना ।।


तेरा इश्क गर सवेरा है तो इसे रहने दो,

सच्चाई के अंधेरे का अहसास ना कराना ।।


तुम इस मन की और सांस की आदत हो,

इसे छीनकर मौत का अहसास ना कराना ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 14, 2022

 जाने किस नजर से देखा उसने

जैसे मुझे देखा ही नहीं हो उसने ।


मुझे देख कर जाने कहां खोई खोई है

मुझसे पर कुछ कहना चाहा नही उसने ।


कैसे तार छेडूं मैं अपने दिल का

मेरे प्रेम का गीत सुना नही उसने ।


फूल सुख कर बगिया में मुरझा रहे हैं

आंचल मेरे चेहरे पे लहराया नही उसने ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 11, 2022

 वो इश्क इश्क ही क्या ?

जो यार को खुश भी न देख सके

यार की सलामती भी न मना सके


हम थे अकेले अकेले ही रह जाएंगे

यकीन रखना,तुम्हें कभी न भूल पाएंगे


आज फिर इन आंखों में नमी है

अरे यार ये आंसू नहीं बस पानी है


क्या करूं मैं दिल से सोचता हूं

नादान हूं नादान ही रहना चाहता हूं


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 10, 2022

 लिखो एक खत तुम

दिल से दिल के पते पर


शिकायत लिखो

मनमीत लिखो

दर्द लिखो

गीत लिखो

प्रीत लिखो


दिल की हर

एक हसरत लिखो

मन्नत लिखो

जन्नत लिखो

दिल की हरएक

चाहत लिखो


कुछ रंग तेरा

कुछ रंग मेरा

कुछ सवाल तेरे

कुछ जवाब मेरे


अमृत लिखो

मयकश लिखो

अल्फ़ाज़ लिखो


लिखो एक ख़त

तुम दिल से ... 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, March 9, 2022

 कलम मेरी तेरी आंखें हो

कलम मेरी तेरे हुस्न का दर्शन हो


पलकें उठाऊं दीदार तेरा हो

लब खोलें तो बात तेरी हो


कलम मेरी, स्याही तेरी हो

जज़्बात मेरे, सोच तेरी हो


मैं लिखूं ऐसे,जैसे तू साथ खड़ी हो 

मैं गिरूं ऐसे,जैसे तू इश्क़ की चादर हो 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 7, 2022

 मेरी धमनियों में बहता है प्रेम तुम्हारा

लहू का हर कतरा चाहता है प्रेम तुम्हारा!


मेरे मस्तिष्क में चहुं ओर शनेःशने: पनप रहा है

जैसे कोई अमरबेल का बीज हो प्रेम तुम्हारा!


तुम्हारा नाम तुम्हारा अहसास हर पल होता है मेरे साथ

मेरे हृदय की धड़कन में धड़कता है प्रेम तुम्हारा!


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 6, 2022

 जिस दिन मेरी समस्त अश्रुएं

काली स्याही बन जाएगी ..


उस दिन मैं उन्हें कलम में भरकर

तुमपे कविताएं लिखूंगा ..


तुम मेरे पास आओ या ना आओ

मेरी कलम तुम्हें कलमबद्ध करेगी


मैं मौन रहूंगा ..

मेरी खामोशी बोलेगी ..


मैं यूं ही प्रेम तुमसे करूंगा 

अनवरत अनंत काल तक


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, March 5, 2022

 मैं राजा नहीं पर वो है रानी मेरी ,

 लिखता हूं मैं कहानी मेरी ..


एक ऐसा है एहसास बताना ,

कैसा होता है श्रृंगार बताना ..


साड़ी पहन जब वो आयेगी ,

काजल मैं ही उसे लगाऊंगा ..


बात मोहब्बत की ऐसी होगी ,

की झुककर पायल पहनाऊंगा ..


चूड़ी,कंगन,पायल,बिछिया ,

सब पहन कर सज जाएगी ..


हाथों में हाथ मेरा लिए वो ,

साथ मेरे महफ़िल आयेगी ..


फिर इश्क़ की ऐसी दावत होगी ,

वो होगी और मेरी चाहत होगी ..


फिर होगी एक शाम सुहानी ,

मैं राजा नहीं पर वो है रानी मेरी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 3, 2022

 अशांति कर शांति चाहते है

ख़ौफ़ दिलो में और प्यार चाहते है


तोड़ कर कमर इंसानों की

भला कैसी वो इंसानियत चाहते है


त्रासदी ही पनपती युद्ध से

भला बहाली कैसी सत्ता चाहते है


सहमा हुआ सा विश्व है सारा

चिंगारियों से वो शांति-अमन चाहते है


इंसानियत चाहे दो लफ्ज़ मीठे


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, February 28, 2022

 जरूरी_सा_है_वो...

तभी इश्क रूहानी है वो


दरमियां रूहे जर्रे में वो

बागबां मेरे दिल का है वो


क्या हुआ दूर रहता है वो

करीब रूह के मेरे ही है वो


क्या हुआ ओझल मुझसे वो

ख्वाबों में मेरे ही आता है वो


क्या हुआ आज गैर हुआ वो

दिल से सिर्फ मेरे संग रहा वो


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, February 26, 2022

 .. इक ...

...अकेलापन है.!

जिस में बस

मैं हूं.!!

:

कुछ शब्द है

कुछ अहसास हैं

:

अधूरी कविताएं हैं

 अधूरी ख्वाहिशों की

...डायरी है.!

:

जिसमें मेरी

खामोश कविताएं है.!!

:

और तन्हा मैं ..

:

तन्हा हां बेहद तन्हा

झूठी मुस्कान के साथ

:

"मैं और मेरी तन्हाई"


---- सुनिल #शांडिल्य