Monday, February 28, 2022

 जरूरी_सा_है_वो...

तभी इश्क रूहानी है वो


दरमियां रूहे जर्रे में वो

बागबां मेरे दिल का है वो


क्या हुआ दूर रहता है वो

करीब रूह के मेरे ही है वो


क्या हुआ ओझल मुझसे वो

ख्वाबों में मेरे ही आता है वो


क्या हुआ आज गैर हुआ वो

दिल से सिर्फ मेरे संग रहा वो


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, February 26, 2022

 .. इक ...

...अकेलापन है.!

जिस में बस

मैं हूं.!!

:

कुछ शब्द है

कुछ अहसास हैं

:

अधूरी कविताएं हैं

 अधूरी ख्वाहिशों की

...डायरी है.!

:

जिसमें मेरी

खामोश कविताएं है.!!

:

और तन्हा मैं ..

:

तन्हा हां बेहद तन्हा

झूठी मुस्कान के साथ

:

"मैं और मेरी तन्हाई"


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 24, 2022

 वो सागर वो पानी वो बहकी रवानी,

दुहराने लगा फिर वो किस्सा पुरानी, 


भूली -बिसरी सी कुछ यादें समेटी,

जला दी वो काग़ज़ वो सारी निशानी,


जला कर सभी राज़ दिल मे दफ़न की,

कुछ याद अब भी है आनी जानी,


सबने देखी थी सबने सुनी थी,

फिर भी अनसुनी की मेरी कहानी ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 22, 2022

 दिल की धड़कन लयबद्ध

हैं कदम मेरे ठिठके


नजरें जो गिरती तेरी

सीधा दिल पे मेरे


तेरी प्रख्यात मासूम मुस्कान

दिल मेरा है चुरा लेती


चिकने लहराते सुंदर बाल

धड़कन मेरी बढ़ा जाती


तेरी निगाहें राफ्ता राफ्ता

मुझे वश में है कर लेती


मैं आसक्त तुम्हारी ओर

खींचा चला जाता समर्पित


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, February 21, 2022

 एक खत लिख रहा हूं

पुरानी यादों के नाम

भूली बिसरी यादों के नाम


कैसी हो? कहां हो?

क्या तुम्हें मेरी याद आती नही


मैं अच्छा तो हूं पर

तुम्हारी याद जाती नही


जब भी कहीं तन्हाई

में गुम होता हूं


मैं मैं नही रहता

तुम हो जाता हूं


तेरी यादों में सो जाता हूं

तेरी आगोश में खो जाता हूं 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 17, 2022

 अधूरी चीजें बेहतरीन होती हैं

और अनदेखे चेहरे गजब की हसीन ।


जो स्वप्न सच हो जाए

वो फिर स्वप्न नही हकीकत हो जाती है ।


और स्वप्न हकीकत से

होता है ज्यादा हसीन ..


मैं अपने स्वप्नों की दुनिया से

वापस नहीं आना चाहता ..


हकीकत से हूं दूर भागता रहता

जीता रहता हूं सपनों में ।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 15, 2022

 कुछ पन्ने छुपाकर

रख दिये है,

रात के परत दर परत

नीचे मन के अंधेरों में कही


जिनपर शब्दो से

खुरच-खुरचकर कभी

चाँद उकेरा करता था

बहुत कुछ गढ़ा था

रंग भरा था


ये पन्ने अंतर्मन मे

अब सुलगते हैं

जल कर बुझ जाने को


तरसते हैं अधूरे से

कुछ पन्ने

छुप छुप कर बरसते है

ये कुछ पन्ने


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 11, 2022

 "वजूद" फिर कहा टीकता है

"इश्क" जब रूहे में उतरता है


आँखों से हो दिल मे उतरता है

दिल से "धडकनों" में समाता है


धड़कनों में काबिज जब होता है

सीधा दरमियां रूह में समा जाता है


बंधनो से मुक्त होकर "इश्क" होता है

मुक्त बंधनो से  कहा "वजूद" होता है


"वजूद" महज इंसानी बन्धन होता है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, February 10, 2022

 गम मेरे महंगे थे खरीदा किसी ने नही

टूटा मेरा दिल पर दिखा किसी को नही


मैं टूटता तारा हूं शबनम की रात का

अर्श पर गिरा पर चूमा किसी ने नहीं


मयखाने की जाम में घोल कर यादों को

पीता हूं सुबह शाम पर बहका कभी नही


रोज दिल मे मेरे मेहमान आते नए नए

तोड़ा सबने दिल मेरा चाहा किसी ने नही 


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, February 5, 2022

 ये गुलाब की

रक्तिम पंखुड़ियां


उफ्फ..


..मानो तेरे 

चटख लाल होठ


इनकी महक

जैसे तेरी सांसों की खुशबू


इनके रूमाली स्पर्श

जैसे तेरे मुलायम गाल


और इनके लचीले डंठल

जैसे तेरी लचकदार कमर


बाखुदा तेरे हुस्न मे

ऐसे मदहोश हुए बैठे है


की कमबख्त मयखाना

भी फीका अब लगने लगे है ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, February 4, 2022

 मेरे खामोश लब पे तुम

अपने ये दो चंचल लब रख


कहती हो कुछ बोलने को

निःशब्द हो जाता हूं


तेरे इन दो लबों को महसूस कर

कहना चाहता हूं बहुत कुछ


पर कह नही पाता कुछ

करता हूं महसूस तेरे वजूद को खुद में


शब्द नही अब तेरे मेरे दरम्यान

बस इक खामोशी और हम तुम


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, February 2, 2022

 मुक्ति को बंधनों की 

कामना भी भाएगी कैसे ? 


किसी की जुस्तजू में 

जिंदगी यह गाएगी कैसे ? 


कोई भी जीत दुनिया की

कभी अंतिम नही है,पर


जो खुद को जीत ले,

दुनिया उसे हराएगी कैसे ?? 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, February 1, 2022

 झलक जो देखी तेरी आँखों की

झलक थी उसमे बड़े गहरे दर्द की


झलक तेरे अहसास-ए-दर्द की

झलक कशिश बन गई मेरे दिल की


झलक तेरी वो पहली नज़र की

झलक ख़्वाब बन गई जिन्दगी की


झलक तेरी फिर से वह पाने की

झलक चाहती है नज़रे तेरे दीदार की


---- सुनिल #शांडिल्य