Friday, October 31, 2014
Tuesday, October 28, 2014
हम तो हर बार मोहब्बत से सदा देते हैं
आप सुनते हैं और सुनके भुला देते हैं
ऐसे चुभते हैं तेरी याद के खंजर मुझको
भूल जाऊं जो कभी याद दिला देते हैं
ज़ख्म खाते हैं तेरी शोख नीगाही से बोहोत
खूबसूरत से कई ख्वाब सजा लेते हैं
तोड़ देते हैं हर एक मोड़ पे दील मेरा
आप क्या खूब वफाओं का सिला देते हैं
दोस्ती को कोई उन्वान तो देना होगा
रंग कुछ इस पे मोहब्बत का चढा देते हैं
तल्खी ऐ रंज ऐ मोहब्बत से परीशां होकर
मेरे आंसू तुझे हंसने की दुआ देते हैं
हाथ आता नही कुछ भी तो अंधेरों के सीवा
क्यूँ सरे शाम यूँ ही दील को जला लेते हैं
हम तो हर बार मोहब्बत का गुमा करते हैं
वो हर एक बार मोहब्बत से दगा देते हैं
दम भर को ठहरना मेरी फितरत न समझना
हम जो चलते हैं तो तूफ़ान उठा देते हैं
आपको अपनी मोहब्बत भी नही रास आती
हम तो नफरत को भी आंखों से लगा लेते हैं.
आप सुनते हैं और सुनके भुला देते हैं
ऐसे चुभते हैं तेरी याद के खंजर मुझको
भूल जाऊं जो कभी याद दिला देते हैं
ज़ख्म खाते हैं तेरी शोख नीगाही से बोहोत
खूबसूरत से कई ख्वाब सजा लेते हैं
तोड़ देते हैं हर एक मोड़ पे दील मेरा
आप क्या खूब वफाओं का सिला देते हैं
दोस्ती को कोई उन्वान तो देना होगा
रंग कुछ इस पे मोहब्बत का चढा देते हैं
तल्खी ऐ रंज ऐ मोहब्बत से परीशां होकर
मेरे आंसू तुझे हंसने की दुआ देते हैं
हाथ आता नही कुछ भी तो अंधेरों के सीवा
क्यूँ सरे शाम यूँ ही दील को जला लेते हैं
हम तो हर बार मोहब्बत का गुमा करते हैं
वो हर एक बार मोहब्बत से दगा देते हैं
दम भर को ठहरना मेरी फितरत न समझना
हम जो चलते हैं तो तूफ़ान उठा देते हैं
आपको अपनी मोहब्बत भी नही रास आती
हम तो नफरत को भी आंखों से लगा लेते हैं.
Monday, October 27, 2014
आँख खुलते ही ओझल हो जाते हो तुम,
ख्वाब बन के ऐसे क्यों सताते हो तुम…
गमों को भुलाने का एक सहारा ही सही,
मेरे मुरझाए हुए दिल को बहलाते हो तुम…
दूर तक बह जाते है जज़्बात तन्हा दिल के,
हसरतों के क़दमों से लिपट जाते हो तुम…
शीश महल की तरह लगते हो मुझको तो,
खंडहर हुई खव्हाईशोँ को बसाते हो तुम…
यादों की तरह क़ैद रहना मेरी आँखों मे,
आँसू बन कर पलकों पे चले आते हो तुम…
तुम्हारी अधूरी सी आस मे दिल ज़िँदा तो है
साँस लेने की मुझको वजह दे जाते हो तुम…
ख्वाब बन के ऐसे क्यों सताते हो तुम…
गमों को भुलाने का एक सहारा ही सही,
मेरे मुरझाए हुए दिल को बहलाते हो तुम…
दूर तक बह जाते है जज़्बात तन्हा दिल के,
हसरतों के क़दमों से लिपट जाते हो तुम…
शीश महल की तरह लगते हो मुझको तो,
खंडहर हुई खव्हाईशोँ को बसाते हो तुम…
यादों की तरह क़ैद रहना मेरी आँखों मे,
आँसू बन कर पलकों पे चले आते हो तुम…
तुम्हारी अधूरी सी आस मे दिल ज़िँदा तो है
साँस लेने की मुझको वजह दे जाते हो तुम…
Sunday, October 26, 2014
बड़ा बेचैन होता जा रहा हूं,
न जाने क्यूं नहीं लिख पा रहा हूं
तुम्हे ये भी लिखूं वो भी बताऊं,
मगर अल्फ़ाज़ ढूंढे जा रहा हूं
मोहब्बत का यही आ़गाज़ होगा,
जिधर देखूं तुम्ही को पा रहा हूं
कभी सूखी ज़मीं हस्ती थी मेरी,
ज़रा देखो मैं बरसा जा रहा हूं
किसी दिन इत्तेफ़ाकन ही मिलेंगे,
पुराने ख्वाब हैं दोहरा रहा हूं
मुझे आगोश में ले लो हवाओं,
गुलों से बोतलों में जा रहा हूं
शरारत का नया अंदाज़ होगा,
मैं शायद बेवजह घबरा रहा हूं
किसे परवाह है अब मंज़िलों की,
मोहब्बत के सफ़र पर जा रहा हूं
दिलों की नाज़ुकी समझे हैं कब वो,
दिमागों को मगर समझा रहा हूं
शब-ए-फ़ुरकत की बेबस हिचकियों से,
तसल्ली है कि मैं याद आ रहा हूं
मोहब्बत थी कहां हिस्से में ,
गज़ल से यूं ही दिल बहला रहा हूं..
न जाने क्यूं नहीं लिख पा रहा हूं
तुम्हे ये भी लिखूं वो भी बताऊं,
मगर अल्फ़ाज़ ढूंढे जा रहा हूं
मोहब्बत का यही आ़गाज़ होगा,
जिधर देखूं तुम्ही को पा रहा हूं
कभी सूखी ज़मीं हस्ती थी मेरी,
ज़रा देखो मैं बरसा जा रहा हूं
किसी दिन इत्तेफ़ाकन ही मिलेंगे,
पुराने ख्वाब हैं दोहरा रहा हूं
मुझे आगोश में ले लो हवाओं,
गुलों से बोतलों में जा रहा हूं
शरारत का नया अंदाज़ होगा,
मैं शायद बेवजह घबरा रहा हूं
किसे परवाह है अब मंज़िलों की,
मोहब्बत के सफ़र पर जा रहा हूं
दिलों की नाज़ुकी समझे हैं कब वो,
दिमागों को मगर समझा रहा हूं
शब-ए-फ़ुरकत की बेबस हिचकियों से,
तसल्ली है कि मैं याद आ रहा हूं
मोहब्बत थी कहां हिस्से में ,
गज़ल से यूं ही दिल बहला रहा हूं..
कुछ बातें हम से सुना करो,
कुछ बातें हम से किया करो,
मुझे दिल की बात बता दो तुम,
होंठ ना अपने सिया करो,
जो बात लबों तक ना आए,
वो आंखों से कह दिया करो,
कुछ बातें हम से किया करो,
मुझे दिल की बात बता दो तुम,
होंठ ना अपने सिया करो,
जो बात लबों तक ना आए,
वो आंखों से कह दिया करो,
कुछ बातें कहना
मुश्किल है,
तुम चहरे से पढ़ लिया करो,
जब तनहा-तनहा होते हो,
आवाज मुझे तुम दिया करो,
हर धड़कन मेरे नाम करो,
हर सांस मुझको दिया करो,
जो खुशियां तेरी चाहत हैं,
मेरे दामन से चुन लिया करो।
तुम चहरे से पढ़ लिया करो,
जब तनहा-तनहा होते हो,
आवाज मुझे तुम दिया करो,
हर धड़कन मेरे नाम करो,
हर सांस मुझको दिया करो,
जो खुशियां तेरी चाहत हैं,
मेरे दामन से चुन लिया करो।
अधूरापन ख़तम हो जाता है,....तुम्हे पाकर....
दिल का हर तार गुनगुनाता है,....तुम्हे पाकर...
गम जाने किधर जाता है,....तुम्हे पाकर....
सब शिकवे दूर हो जाते है,...तुम्हे पाकर....
जानता हू चंद पलो का खेल है ये..
अफ़सोस नही रहता बाकी,....तुम्हे पाकर..
राह तकती, ये लम्बी पगड़ंड़िया ..
थक कर भी चैन पाती है आंखे,....तुम्हें पाकर..
तमाम मायुसिया छुप जाती है..
जिंदा लाश मानो उठ जाती है,....तुम्हे पाकर..
'तन्हा' मरना जीना सब भूल जाती है,
तुम्हारी बाहों में आकर..बस ....तुम्हें पाकर.......
दिल का हर तार गुनगुनाता है,....तुम्हे पाकर...
गम जाने किधर जाता है,....तुम्हे पाकर....
सब शिकवे दूर हो जाते है,...तुम्हे पाकर....
जानता हू चंद पलो का खेल है ये..
अफ़सोस नही रहता बाकी,....तुम्हे पाकर..
राह तकती, ये लम्बी पगड़ंड़िया ..
थक कर भी चैन पाती है आंखे,....तुम्हें पाकर..
तमाम मायुसिया छुप जाती है..
जिंदा लाश मानो उठ जाती है,....तुम्हे पाकर..
'तन्हा' मरना जीना सब भूल जाती है,
तुम्हारी बाहों में आकर..बस ....तुम्हें पाकर.......
Saturday, October 25, 2014
खूबसूरत है वो लब जिन पर,
दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान जो,
दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल जो,
किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात जो,
दूसरो की भावनाओं को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे,
प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे,
शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए,
खूबसूरत है वो मुस्कान जो,
दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,
खूबसूरत है वो दिल जो,
किसी के दुख मे शामिल हो जाए,
खूबसूरत है वो जज़बात जो,
दूसरो की भावनाओं को समज जाए,
खूबसूरत है वो एहसास जिस मे,
प्यार की मिठास हो जाए,
खूबसूरत है वो बातें जिनमे,
शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे
जिनमे,किसी के खूबसूरत
ख्वाब समा जाए,
खूबसूरत है वो हाथ
जो किसी के,लिए मुश्किल के
वक्त सहारा बन जाए,
खूबसूरत है वो सोच
जिस मैं,किसी कि सारी ख़ुशी
झुप जाए,
खूबसूरत है वो दामन
जो,दुनिया से किसी के
गमो को छुपा जाए,
खूबसूरत है वो किसी
के,आँखों के आसूँ जो
किसी के ग़म मे बह जाए..
किसी के ग़म मे बह जाए..
तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो
ज़िदगी मे आओ
तुम हसी ना सही मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम हकीकत ना सही खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम नज़र ना सही याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम दिल ना सही धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम गज़ल ना सही सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम खुशिया ना सही गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम पास ना सही एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम कल ना सही आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...
तुम हसी ना सही मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम हकीकत ना सही खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम नज़र ना सही याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम दिल ना सही धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम गज़ल ना सही सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम खुशिया ना सही गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम पास ना सही एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम कल ना सही आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...
Wednesday, October 22, 2014
ख्वाबों और ख़्यालों का चमन सारा जल गया,
ज़िंदगी का नशा मेरा धुआ बन कर उड़ गया...
जाने कैसे जी रहे है, क्या तलाश रहे है हम,
आँसू पलकों पर मेरी ख़ुशियों से उलझ गया...
सौ सदियों के जैसे लंबी लगती है ये ग़म की रात,
कतरा कतरा मेरी ज़िंदगी का इस से आकर जुड़ गया...
मौत दस्तक दे मुझे तू, अब अपनी पनाह दे दे,
ख़तम कर ये सिलसिला, अब दर्द हद से बढ़ गया..
ज़िंदगी का नशा मेरा धुआ बन कर उड़ गया...
जाने कैसे जी रहे है, क्या तलाश रहे है हम,
आँसू पलकों पर मेरी ख़ुशियों से उलझ गया...
सौ सदियों के जैसे लंबी लगती है ये ग़म की रात,
कतरा कतरा मेरी ज़िंदगी का इस से आकर जुड़ गया...
मौत दस्तक दे मुझे तू, अब अपनी पनाह दे दे,
ख़तम कर ये सिलसिला, अब दर्द हद से बढ़ गया..
Monday, October 20, 2014
जिक्र यह आज पीरों में है, कुछ तो लिखा लकीरों
है
यूँ ही नही है दिल
घायल हुआ, बात तो कुछ नज़र क
तीरों में है
राह'ऐ सुकून अब खोजे कहाँ, येही फिक्र अब फ़कीरों में है
तेरा हर लफ्ज़ है मुकमल ग़ज़ल, तुझ सी बात न कई मीरों में है
उन के मुस्कुराने की सी अदा, यकीनन न सौ हीरों में है
माह अब खुशी से मर जाऊंगा मैं, मेरा नाम उनके तक्सीरों में है
राह'ऐ सुकून अब खोजे कहाँ, येही फिक्र अब फ़कीरों में है
तेरा हर लफ्ज़ है मुकमल ग़ज़ल, तुझ सी बात न कई मीरों में है
उन के मुस्कुराने की सी अदा, यकीनन न सौ हीरों में है
माह अब खुशी से मर जाऊंगा मैं, मेरा नाम उनके तक्सीरों में है
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