Friday, October 31, 2014

तू चमकती चाँद तेरी रौशनी अच्छी लगी !
तू मेरा अपना हैं तेरी दिल्लगी अच्छी लगी !!
तुझ से पहले तो न था जिंदगी का कुछ पता !
तू मिली तो तुझसे मिलकर जिंदगी अच्छी लगी !!

Thursday, October 30, 2014

जीने के लिए जान जरुरी हैं !
हमारे लिए तो आप जरुरी हैं !!
मेरे चेहरे पे चाहे गम हो.....!
आपके चेहरे पे मुश्कान जरुरी हैं !!

दिल के सारे अरमान ले जाते हैं !
हम से हमारी पहचान ले जाते हैं !!
बेपनाह न चाहना किसी को एय दोस्त !
क्योकि जान कहने वाले ही जान ले जाते हैं !!

वफ़ा करते रहे हम इबादत की तरह !
फिर इबादत खुद एक गुनाह हो गई !!
कितना सुहाना था सफर जब साथ थी तुम !
फिर क्या हुवा की मंजिल जुदा हो गई !!

तेरे होने पर खुद को तनहा समझू !
मैं बेवफा हूँ या तुझको बेवफा समझू !!
ज़ख्म भी देते हो मलहम भी लगाते हो !
ये तेरी आदत हैं या इसे तेरी अदा समझू !!


मोहब्बत के सपने दिखाते बहुत हैं !
वो रातों में हमको जगाते बहुत हैं !!
मैं आँखों में काजल लगाऊ तो कैसे !
इन आँखों को लोग रुलाते बहुत हैं !!

कौन जाने कब मौत का पैगाम आ जाये !
जिंदगी की आखरी शाम आ जाये....!!
हम तो ढूंढते हैं वक्त ऐसा....!
जब हमारी जिंदगी आपके काम आ जाये !!

दिल में एक छोटासा आशियाना हैं !
वहाँ पे एक छोटासा नजराना हैं....!!
पर ये बात सब से छुपाना हैं...!
की वही पे तो दोस्त आपका ठिकाना हैं !!

दर्द में दर्द की तलाश कब तक !
जो नहीं आए उसका इंतज़ार कब तक !!
खुद के यकीन पर अब तो शक हो चला हैं !
एक झूठी आस पर ये ख्वाब कब तक...!!

तू मेरी चाहत पर एक एहसान कर !
अपने सारे गम तू मेरे नाम कर....!!
जो लम्हे रुलाते हैं तुझे याद बनकर !
वो आंसू मेरी नजरो के नाम कर...!!

Wednesday, October 29, 2014

तुझसे मिलने की बेताबी का वो अंजाम कैसे भुलादूँ !
तेरे लवो की हँसी और आँखों की जाम कैसे भुलादूँ !!
दिल तो हमारा भी तड़पता हैं तेरा साथ पाने को !
पर इस जहाँ के रश्मो - रिवाज कैसे भुलादूँ !!

चिराग खुशियों के कब से बुझाए बैठे हैं !
कब दीदार होगी उनसे हम आश लगाए बैठे हैं !!
हमें मौत आएगी उनकी ही बाहों में ......
हम मौत से ये सर्त लगाए बैठे हैं

आंसू से पलके भींगा लेता था !
याद तेरी आती थी तो रो लेता था !!
सोचा था की भुला दूँ तुझको मगर !
हर बार ये फैसला बदल लेता था !!

जिंदगी जब से उतरी तेरी गहराईयों में,
महफिल में भी रहे हम तनहाइयों में
इसे दीवानापन न कहे तो और क्या कहे
कि इंसान ढूंढते है हम परछाइयों में

आग दिल मे लगी जब वो खफा हुए
महसूस हुआ तब, जब वो जुदा हुए
कर के वफ़ा कुछ दे ना सके वो
पर बहुत कुछ दे गये जब वो बेवफा हुए

Tuesday, October 28, 2014

खुशी आपके लिये गम मेरे लिये 
जिन्दगी आपके लिये मौन मेरे लिये 
मुस्कुराना आपके लिये आंसू मेरे लिये
सब कुछ आपके लिए और आप सिर्फ मेरे लिये


प्यार का यह अहसास, कब कातिल बन जाए
प्यार के अहसास में, कब आँसू आ जाए
पल में फूल से हँसी, तो कभी उदासी छा जाए
मिले है ज़ख़्म प्यार में, इस दिल से कभी न जाए

तूने जो दी तन्हाई शोहरत बनी मेरी रुसवाई
आँसू न रुके तेरी यादमें बेबसी मौसम में छाई
दुश्मन तुम भी मोहब्बत के फूलो से तितलिया तुमने उड़ाई
हम प्यार मे पागल हुए इस कदर न भापी तेरी मोहब्बत की गहराई

हम तो हर बार मोहब्बत से सदा देते हैं
आप सुनते हैं और सुनके भुला देते हैं

ऐसे चुभते हैं तेरी याद के खंजर मुझको
भूल जाऊं जो कभी याद दिला देते हैं

ज़ख्म खाते हैं तेरी शोख नीगाही से बोहोत
खूबसूरत से कई ख्वाब सजा लेते हैं

तोड़ देते हैं हर एक मोड़ पे दील मेरा
आप क्या खूब वफाओं का सिला देते हैं

दोस्ती को कोई उन्वान तो देना होगा
रंग कुछ इस पे मोहब्बत का चढा देते हैं

तल्खी ऐ रंज ऐ मोहब्बत से परीशां होकर
मेरे आंसू तुझे हंसने की दुआ देते हैं

हाथ आता नही कुछ भी तो अंधेरों के सीवा
क्यूँ सरे शाम यूँ ही दील को जला लेते हैं

हम तो हर बार मोहब्बत का गुमा करते हैं
वो हर एक बार मोहब्बत से दगा देते हैं

दम भर को ठहरना मेरी फितरत न समझना
हम जो चलते हैं तो तूफ़ान उठा देते हैं

आपको अपनी मोहब्बत भी नही रास आती
हम तो नफरत को भी आंखों से लगा लेते हैं.

Monday, October 27, 2014

आँख खुलते ही ओझल हो जाते हो तुम,
ख्वाब बन के ऐसे क्यों सताते हो तुम

गमों को भुलाने का एक सहारा ही सही,
मेरे मुरझाए हुए दिल को बहलाते हो तुम

दूर तक बह जाते है जज़्बात तन्हा दिल के,
हसरतों के क़दमों से लिपट जाते हो तुम

शीश महल की तरह लगते हो मुझको तो,
खंडहर हुई खव्हाईशोँ को बसाते हो तुम

यादों की तरह क़ैद रहना मेरी आँखों मे,
आँसू बन कर पलकों पे चले आते हो तुम

तुम्हारी अधूरी सी आस मे दिल ज़िँदा तो है
साँस लेने की मुझको वजह दे जाते हो तुम

Sunday, October 26, 2014

बड़ा बेचैन होता जा रहा हूं,
न जाने क्यूं नहीं लिख पा रहा हूं

तुम्हे ये भी लिखूं वो भी बताऊं,
मगर अल्फ़ाज़ ढूंढे जा रहा हूं

मोहब्बत का यही आ़गाज़ होगा,
जिधर देखूं तुम्ही को पा रहा हूं

कभी सूखी ज़मीं हस्ती थी मेरी,
ज़रा देखो मैं बरसा जा रहा हूं

किसी दिन इत्तेफ़ाकन ही मिलेंगे,
पुराने ख्वाब हैं दोहरा रहा हूं

मुझे आगोश में ले लो हवाओं,
गुलों से बोतलों में जा रहा हूं

शरारत का नया अंदाज़ होगा,
मैं शायद बेवजह घबरा रहा हूं

किसे परवाह है अब मंज़िलों की,
मोहब्बत के सफ़र पर जा रहा हूं

दिलों की नाज़ुकी समझे हैं कब वो,
दिमागों को मगर समझा रहा हूं

शब-ए-फ़ुरकत की बेबस हिचकियों से,
तसल्ली है कि मैं याद आ रहा हूं

मोहब्बत थी कहां हिस्से में ,
गज़ल से यूं ही दिल बहला रहा हूं..

इन दियों को हवाओं में रखना
हमको अपनी दुआओं में रखना

वो जो वाली है दो जहानों का
उसको दिल की सदाओं में रखना

कोई तुम से वफ़ा करे न करे
नेक नीयत वफ़ाओं में रखना

हुस्न और इश्क़ उसकी नेमत हैं
तू हुनर इन अदाओं में रखना

हर तमन्ना गुलाब-सी महके
चाँद-तारों की छाओँ में रखना..

कुछ बातें हम से सुना करो,
कुछ बातें हम से किया करो,

मुझे दिल की बात बता दो तुम,
होंठ ना अपने सिया करो,

जो बात लबों तक ना आए,
वो आंखों से कह दिया करो,
कुछ बातें कहना मुश्किल है,
तुम चहरे से पढ़ लिया करो,

जब तनहा-तनहा होते हो,
आवाज मुझे तुम दिया करो,

हर धड़कन मेरे नाम करो,
हर सांस मुझको दिया करो,

जो खुशियां तेरी चाहत हैं,
मेरे दामन से चुन लिया करो।

अधूरापन ख़तम हो जाता है,....तुम्हे पाकर....
दिल का हर तार गुनगुनाता है,....तुम्हे पाकर...
गम जाने किधर जाता है,....तुम्हे पाकर....
सब शिकवे दूर हो जाते है,...तुम्हे पाकर....
जानता हू चंद पलो का खेल है ये..
अफ़सोस नही रहता बाकी,....तुम्हे पाकर..
राह तकती, ये लम्बी पगड़ंड़िया ..
थक कर भी चैन पाती है आंखे,....तुम्हें पाकर..
तमाम मायुसिया छुप जाती है..
जिंदा लाश मानो उठ जाती है,....तुम्हे पाकर..
'
तन्हा' मरना जीना सब भूल जाती है,
तुम्हारी बाहों में आकर..बस ....तुम्हें पाकर.......

इस अजनबी दुनिया में,अकेला एक ख्वाब हूँ,
सवालो से खफा,छोटा सा एक जवाब हूँ,
जो न समझ सके,उनके लिए '' कौन'',
जो समझ चुके,उनके लिए एक खुली किताब हूँ .

Saturday, October 25, 2014

खूबसूरत है वो लब जिन पर,
दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए,

खूबसूरत है वो मुस्कान जो,
दूसरों की खुशी देख कर खिल जाए,

खूबसूरत है वो दिल जो,
किसी के दुख मे शामिल हो जाए,

खूबसूरत है वो जज़बात जो,
दूसरो की भावनाओं को समज जाए,

खूबसूरत है वो एहसास जिस मे,
प्यार की मिठास हो जाए,

खूबसूरत है वो बातें जिनमे,
शामिल हों दोस्ती और प्यार की किस्से, कहानियाँ,
खूबसूरत है वो आँखे जिनमे,किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए,

खूबसूरत है वो हाथ जो किसी के,लिए मुश्किल के वक्त सहारा बन जाए,

खूबसूरत है वो सोच जिस मैं,किसी कि सारी ख़ुशी झुप जाए,

खूबसूरत है वो दामन जो,दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए,

खूबसूरत है वो किसी के,आँखों के आसूँ जो
किसी के ग़म मे बह जाए..

तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम हसी ना सही मुसकान बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम हकीकत ना सही खयाल बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम नज़र ना सही याद बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम दिल ना सही धड़कन बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम गज़ल ना सही सायरी बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम खुशिया ना सही गम बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम पास ना सही एहसस बनकर तो ज़िदगी मे आओ।
तुम कल ना सही आज बनकर तो ज़िदगी मे आओ
तुम ज़िदगी ना सही दोस्त बनकर तो ज़िदगी मे आओ...

आंख जब भी बंद किया करते हैं.
सामने आप हुआ करते हैं..
आप जैसा ही मुझे लगता है..
ख्वाब मे जिससे मिला करते हैं..
तू अगर छोडके जाता है तो क्या..
हादसे रोज़ हुआ करते हैं..
नाम उनका ना, कोई उनका पता..
लोग जो दिलमे रहा करते हैं..
हमने “राही” का चलन सीखा है..
हम अकेले ही चला करते हैं

..— सयीद राही..

Wednesday, October 22, 2014

मुस्कुराते पलको पे,सनम चले आते हैं,
आप क्या जानो,कहाँ से हमारे गम आते हैं,
आज भी उस मोड़ पर खड़े हैं,
जहाँ किसी ने कहा था,कि ठहरो हम अभी आते हैं...

जब कोई ख्याल दिल से टकराता है ॥
दिल ना चाह कर भी, खामोश रह जाता है ॥
कोई सब कुछ कहकर, प्यार जताता है॥
कोई कुछ ना कहकर भी, सब बोल जाता है ॥

ख्वाबों और ख़्यालों का चमन सारा जल गया,
ज़िंदगी का नशा मेरा धुआ बन कर उड़ गया...
जाने कैसे जी रहे है, क्या तलाश रहे है हम,
आँसू पलकों पर मेरी ख़ुशियों से उलझ गया...

सौ सदियों के जैसे लंबी लगती है ये ग़म की रात,
कतरा कतरा मेरी ज़िंदगी का इस से आकर जुड़ गया...
मौत दस्तक दे मुझे तू, अब अपनी पनाह दे दे,
ख़तम कर ये सिलसिला, अब दर्द हद से बढ़ गया..

ये आईने से अकेले में गुफ्तगू क्या है,
जो मैं नहीं तो फिर यह तेरे रूबरू क्या है,
इसी उम्मीद पे काटी है ज़िन्दगी मैंने,
वो काश पूछते मुझसे के आरज़ू क्या है.

Monday, October 20, 2014

लबो पे आज उनका नाम आ गया,
प्यासे के हाथ में जैसे जाम आ गया,
डोले कदम तो गिरा उनकी बाहों में जाकर,
आज हमारा पीना ही हमारे काम आ गया.

हमको बताया था उन्होंने एक बार,
की उनको सिर्फ़ उजाले ही भाते हैं,
कहीं वो डर न जायें अंधेरे में,
इस लिए रौशनी के लिए हम दिल जलाते हैं,

सच्चे शब्दों में सच के अहसास लिखेंगे ..
वक्त पढे जिसको कुछ इतना खास लिखेंगे,गीत गजल हम पर लिखेंगे लिखने वाले,हमने कलम उठाई तो इतिहास लिखेंगे.

जिक्र यह आज पीरों में है, कुछ तो लिखा लकीरों है 
यूँ ही नही है दिल घायल हुआ, बात तो कुछ नज़र क तीरों में है
राह'ऐ सुकून अब खोजे कहाँ, येही फिक्र अब फ़कीरों में है
तेरा हर लफ्ज़ है मुकमल ग़ज़ल, तुझ सी बात न कई मीरों में है
उन के मुस्कुराने की सी अदा, यकीनन न सौ हीरों में है
माह अब खुशी से मर जाऊंगा मैं, मेरा नाम उनके तक्सीरों में है

Sunday, October 19, 2014

बनो सहारा बे-सहारों के लिए,
बनो किनारा बे-किनारों के लिए,
जो जीये अपने लिए तोः क्या जीये,
जी सको तोः जियो हजारो के लिए.

आँखों में आसूँ आ जाते हैं !
फिर भी लबो पे हँसी रखनी पडती हैं !!
ये मोहब्बत भी क्या चीज हैं यारो !
जिससे करते हैं उसी से छुपानी पडती हैं !!

दोस्तों ने दोस्ती में रुला दिया,क्या हुआ जो किसी और के लिए हमे भुला दिया.
हम तो वैसे भी अकेले थे,क्या हुआ जो तुमने ये एहसास दिला दिया.

नन्हे से इस दिल में अरमान कोई रखना,दुनिया की इस भीड़ में अपनी कोई पहचान रखना.
अच्छे नहीं लगते जब रहते हो उदास,इन होठों पे सदा मुस्कान वही रखना.

किसी दिन लेना हमारी खबर,क्या बीत रही हे आपके बगैर,चलते हुए राहों में रखना नज़र,कहीं आपके कदमो में न हो हमारी कबर

Saturday, October 18, 2014

कौनसा ज़ख्म था जो ताज़ा ना था
इतना गम मिलेगा अंदाज़ा ना था
आपकी झील सी आँखों का क्या कसूर
डूबने वाले को ही गहराई का अंदाज़ा ना था 

हम अपने प्यार को समझाते भी तो कैसे समझाते ,
हम अपने इस जज्बात को समझाते भी तो कैसे समझाते …..
ठहर जातीं हैं मेरी जुबान उनके दीदार के साथ ही ,
अब ये बात हम उन्हें समझाते भी तो कैसे समझाते !!

कोई झोंका हवा का, खुशबु या कोई आहट,
क्यों दिलाता है एहसास तेरे आने का,
क्यों मेरा जिस्म सुलगता है तेरी यादों से,
क्यों ये तन्हाइया पल-पल मुझे सताती है,
क्यों मेरे दिल की दहलीज से सांसे नहीं जाती,
इन सासों का आना-जाना बुरा-बुरा सा लगे l
ना होकर भी तू मुझको यहाँ-वहां लगे,

सुबह से कोशिश रहती है मेरी तुझे भूल जाने की,
मन से हटाने की, दिल से तेरी यादे मिटने की,
शाम आते-आते क्यों मेरा अक्श तेरा आशियाना लगे,
ना हो कर भी तू मुझको मेरा साया लगे l

रेत की जरूरत रेगिस्तान को होती है,
सितारों की जरूरत आसमान को होती है,
आप हमें भूल न जाना, क्योंकी
दोस्त की जरूरत हर इंसान को होती है.......

Friday, October 17, 2014

सांसो का पिंजरा किसी दिन टूट जायेगा
फिर मुसाफिर किसी राह में छूट जायेगा
अभी साथ है तो बात कर लिया करो
क्या पता कब साथ छूट जायेगा........

भूल कर तो देखो एक बार हमें !
जिंदगी की हर अदा तुमसे रूठ जाएगी !!
जब भी सोचोगे अपनों के बारे में !
तुम्हे हमारी याद जरुर आएगी !!

दोस्ती तो एक झोका हैं हवा का !
दोस्ती तो एक नाम हैं वफ़ा का...!!
औरो के लिए चाहे कुछ भी हो !
हमारे लिए तो दोस्ती हसीन तोफा हैं खुदा का !!

अपने जज्बात को,नाहक ही सजा देता हूँ...
होते ही शाम,चरागों को बुझा देता हूँ...
जब राहत का,मिलता ना बहाना कोई...
लिखता हूँ हथेली पे नाम तेरा,लिख के मिटा देता हूँ...........