Saturday, August 22, 2015
मेरी आंखो मे कोई सपना तो नहीं है
जो आज देखा ख्वाब अपना तो नहीं है
आंखे देखती हे खुशी जिनकी खातिर
आंखे देखती हे खुशी जिनकी खातिर
वो मेरी आंखो का झुकना तो नहीं है
लगता हे सिमट रही हे जिंदगी मेरी
लगता हे सिमट रही हे जिंदगी मेरी
वो मेरी साँसो का रुकना तो नहीं है
जुबां खामोश हुई जा रही है
जुबां खामोश हुई जा रही है
वो मेरी आत्मा का तड़पना तो नहीं है
जो दिखाई देते हे आँसू के मोती मुजकों
जो दिखाई देते हे आँसू के मोती मुजकों
कही वो मेरे अपनों के तो नहीं है
मेरी
आंखो मे कोई सपना तो नहीं है
जो आज देखा ख्वाब अपना तो नहीं है
Wednesday, August 12, 2015
कोई आँसू बहाता है, कोई खुशियाँ मनाता है
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नचाता है।
बहुत से ख़्वाब लेकर के, वो आया इस शहर में था
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
घड़ी संकट की हो या फिर कोई मुश्किल बला भी हो
ये मन भी खूब है, रह रह के, उम्मीदें बँधाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैसे आता है।
बहे कोई हवा पर उसने जो सीखा बुज़ुर्गों से
उन्हीं रस्मों रिवाजों, को अभी तक वो निभाता है।
किसी को ताज मिलता है, किसी को मौत मिलती है
ये देखें, प्यार में, मेरा मुकद्दर क्या दिखाता है।
ये सारा खेल उसका है, वही सब को नचाता है।
बहुत से ख़्वाब लेकर के, वो आया इस शहर में था
मगर दो जून की रोटी, बमुश्किल ही जुटाता है।
घड़ी संकट की हो या फिर कोई मुश्किल बला भी हो
ये मन भी खूब है, रह रह के, उम्मीदें बँधाता है।
मेरी दुनिया में है कुछ इस तरह से उसका आना भी
घटा सावन की या खुशबू का झोंका जैसे आता है।
बहे कोई हवा पर उसने जो सीखा बुज़ुर्गों से
उन्हीं रस्मों रिवाजों, को अभी तक वो निभाता है।
किसी को ताज मिलता है, किसी को मौत मिलती है
ये देखें, प्यार में, मेरा मुकद्दर क्या दिखाता है।
Sunday, August 9, 2015
" डर लगता है "
सपना पूरा होने से डर लगता है
सपना पूरा होने से डर लगता है
अब तो रोने से भी डर लगता है
जीवन का अर्थ ना समज आया मुजे
जीवन का अर्थ ना समज आया मुजे
अब तो खुद के होने से भी डर लगता है
झुंड से भी परेशान होता हूँ
झुंड से भी परेशान होता हूँ
अब तो एक छोटे से कोने से भी डर लगता
है
समंदर की लहेरो को देखता हु
समंदर की लहेरो को देखता हु
अब तो किनारे से भी डर लगता है
वक़्त भी बेचैन करता है
अब तो सोने से भी डर लगता है
सपना पूरा होने से डर लगता है
वक़्त भी बेचैन करता है
अब तो सोने से भी डर लगता है
सपना पूरा होने से डर लगता है
अब तों रोने से भी डर लगता है
अब हकीकत आ गयी है सामने,
जब खुली लोई सभी के सामने .
दाग बदनामी का फ़िर तोहफ़ा दिया,
हम से जुड़ कर इस तुम्हारे नाम ने .
क्यों खिलौना बीच रस्ते में रुका,
कम भरीं फ़िर चाभियाँ क्या राम ने .
क्यों मयूरा सबके सम्मुख रो रहा,
दिख चुके क्या पैर सबके सामने .
अपने कर्मों से कभी वह मर चुका,
बन खडा हैं प्रेत सबके सामने .
खोखले वादों का झोला फ़ट गया,
उफ़ ,फ़ज़ीहत कर दई इस झाम ने .
जब खुली लोई सभी के सामने .
दाग बदनामी का फ़िर तोहफ़ा दिया,
हम से जुड़ कर इस तुम्हारे नाम ने .
क्यों खिलौना बीच रस्ते में रुका,
कम भरीं फ़िर चाभियाँ क्या राम ने .
क्यों मयूरा सबके सम्मुख रो रहा,
दिख चुके क्या पैर सबके सामने .
अपने कर्मों से कभी वह मर चुका,
बन खडा हैं प्रेत सबके सामने .
खोखले वादों का झोला फ़ट गया,
उफ़ ,फ़ज़ीहत कर दई इस झाम ने .
Saturday, August 8, 2015
कभी अपनी धुन में खोया रहा
और कभी तुम्हारी यादों में
कभी तुम्हे बातों में खोया रहा
तो कभी अधूरे ख्वाबों में
शायद एक ही चीज मुझे आती है
.........खोना.......
पहले खुद को और फिर तुम्हे
और फिर शायद जीने की वजह भी
जानता हूँ अब कुछ भी नहीं है मेरे पास
...................................
पर जाने क्यों लगता है मैं अभी भी....
शायद अभी भी.... कुछ... खो रहा हूँ......
और कभी तुम्हारी यादों में
कभी तुम्हे बातों में खोया रहा
तो कभी अधूरे ख्वाबों में
शायद एक ही चीज मुझे आती है
.........खोना.......
पहले खुद को और फिर तुम्हे
और फिर शायद जीने की वजह भी
जानता हूँ अब कुछ भी नहीं है मेरे पास
...................................
पर जाने क्यों लगता है मैं अभी भी....
शायद अभी भी.... कुछ... खो रहा हूँ......
Friday, August 7, 2015
जब थे जिंदा तो नहीं था हमारे लिए,
किसी के भी पास दो पल का वक़्त,
और आज ये जनाजे में भीड़ बढती जा रही है,
दो कदम भी कोई साथ ना चला,
और आज चार कांधे उठाये जा रहे हँ,
जिंदगी भर ढूंढ़ते रहे अपनों में अपनों को,
और आज ये इतने अनजाने भी अपने हँ,
हंसकर बात करने का वक़्त नहीं था इनके पास,
और आज याद में हमारी सब बेसुध हो रहे हँ,
ए मौत आज दिल से तुझको है हमारा सलाम,
हम तो उम्र भर रोते रहे इस जिंदगी के लिए,
जिंदगी से तो ये मौत ही भली लगती है आज,
जो अपने हँ बस हमारे ही पास बस पास.
किसी के भी पास दो पल का वक़्त,
और आज ये जनाजे में भीड़ बढती जा रही है,
दो कदम भी कोई साथ ना चला,
और आज चार कांधे उठाये जा रहे हँ,
जिंदगी भर ढूंढ़ते रहे अपनों में अपनों को,
और आज ये इतने अनजाने भी अपने हँ,
हंसकर बात करने का वक़्त नहीं था इनके पास,
और आज याद में हमारी सब बेसुध हो रहे हँ,
ए मौत आज दिल से तुझको है हमारा सलाम,
हम तो उम्र भर रोते रहे इस जिंदगी के लिए,
जिंदगी से तो ये मौत ही भली लगती है आज,
जो अपने हँ बस हमारे ही पास बस पास.
वो मेरा ही काम करेंगे जब मुझको बदनाम करेंगे
अपने ऐब छुपाने को वो मेरे क़िस्से आम करेंगे
क्यों अपने सर तोहमत लूं मैं वो होगा जो राम करेंगे
दीवारों पर खून छिड़क कर हाक़िम अपना नाम करेंगे
हैं जिनके किरदार अधूरे दूने अपने दाम करेंगे
अपनी नींदें पूरी करके मेरी नींद हराम करेंगे
जिस दिन मेरी प्यास मरेगी मेरे हवाले जाम करेंगे
कल कर लेंगे कल कर लेंगे यूँ हम उम्र तमाम करेंगे
सोच-सोच कर उम्र बिता दी कोई अच्छा काम करेंगे
कोई अच्छा काम करेंगे खुदको फिर बदनाम करेंगे !!
अपने ऐब छुपाने को वो मेरे क़िस्से आम करेंगे
क्यों अपने सर तोहमत लूं मैं वो होगा जो राम करेंगे
दीवारों पर खून छिड़क कर हाक़िम अपना नाम करेंगे
हैं जिनके किरदार अधूरे दूने अपने दाम करेंगे
अपनी नींदें पूरी करके मेरी नींद हराम करेंगे
जिस दिन मेरी प्यास मरेगी मेरे हवाले जाम करेंगे
कल कर लेंगे कल कर लेंगे यूँ हम उम्र तमाम करेंगे
सोच-सोच कर उम्र बिता दी कोई अच्छा काम करेंगे
कोई अच्छा काम करेंगे खुदको फिर बदनाम करेंगे !!
Thursday, August 6, 2015
दिल में दर्द दबाने की
आँखों में नमी छुपाने की
हर कोशिश कर के हार गए
हम तेरी याद भूलाने की
तेरी चाहत में हमने
हर दर्द को समझा थोड़ा था
उस रोज बिखर गए टूट के हम
जब तुमने भी भी मुंह मोडा था
रोते रहे थे रात भर
बाकी फिर भी समंदर था
जाने कितना दर्द अभी भी
इस सीने के अंदर था
फिर आदत हो गयी दिल को
वक़्त गम के साथ बिताने की
हर कोशिश कर के हार गए
हम तेरी याद भूलाने की
आँखों में नमी छुपाने की
हर कोशिश कर के हार गए
हम तेरी याद भूलाने की
तेरी चाहत में हमने
हर दर्द को समझा थोड़ा था
उस रोज बिखर गए टूट के हम
जब तुमने भी भी मुंह मोडा था
रोते रहे थे रात भर
बाकी फिर भी समंदर था
जाने कितना दर्द अभी भी
इस सीने के अंदर था
फिर आदत हो गयी दिल को
वक़्त गम के साथ बिताने की
हर कोशिश कर के हार गए
हम तेरी याद भूलाने की
Subscribe to:
Posts (Atom)