Monday, March 27, 2023

सोए हुए कुछ शब्दों को,झिंझोड़ कर
अपने बचे खुचे हृदय को,निचोड़ कर

शीत लहर ओढ़े,नदी किनारे बिसुरती हुई
मैंने इक कविता लिखी है,ठिठुरती हुई

रखना होगा तापमान को,शून्य से नीचे
कहीं पिघल ना जाएं,दर्द के बगीचे

तुम्हारी सुधि के अलाव,कहां तक जलाएं
विरह के सागर से उठती हैं,सर्द हवाएं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य
बड़ी फुर्सत से आए तुम चलो इक चाय हो जाए
कहाॅं थे इतने दिन तुम गुम चलो इक चाय हो जाए

पुराने हो चुके रिश्तों में डालो तुम नई इक जाॅं
न बैठो यैसे तुम गुम सुम चलो इक चाय हो जाए

नई रंगत नई खुशबू फिज़ा भी सर्द थोड़ी है
मिलें मुद्दत में हम तुम चलो इक चाय हो जाए

हसी मौसम जवॉं है रूत बारिश हो रही मध्यम।
है चाहत का कलर कुमकुम चलो इक चाय हो जाए।।

किचन में फैली भीनी-भीनी सी उस चाय की खुशबू।
हिलाते दोस्त आए दुम चलो इक चाय हो जाए।।

नशे में झूमती है #शांडिल्य  देखो आज पुरवाई।
तेरे लब है या कोई ख़ुम चलो इक चाय हो जाए।।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 23, 2023

मैं आग हूं न खेलो तुम यूं मुझसे ..
पास आते ही तुम जल जाओगी ..

जहर सी है देखो मुस्कुराहट मेरी ..
पीते ही तुम मुझे पिघल जाओगी ..

कैद कर लूं गर , तुम्हें रौशनी में मैं ..
फिर भी शाम में तुम ढल जाओगी ..

गर आँखों में बसा लूं ज़ाम की तरह ..
तो आँसू बनकर , तुम बह जाओगी ..

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Monday, March 13, 2023

जीवन के मकरंद में, तुम हो खिला गुलाब
शर्माता मुखड़ा सनम,लगे ग़जब महताब

बाँकी चाल हिरनी सम,पायल की झंकार
चंचल चहके चहुँ ओर,वदन लगे रुखसार

अधर सरस रसमाधुरी,नैनन करती वार
गोरी तेरे रूप पर, मोहित हुए हजार

कत्ल करें अलकें सनम,नागिन-सी लहराय
रैन-दिवस को भूलकर, चीर कलेजा जाय

घुँघराली अलकें घनी,चूमें लाल कपोल
नाजुक-सा तेरा बदन,चंचल मीठे बोल

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 12, 2023

मैं बहता हूं दरिया सा
तू इश्क की नदी सी

मैं कल कल करता शोर सही
तू बहती प्रेम सरिता सी

मैं बरसता बादल सा
तू नाचती मोरनी सी

मैं राग छेड़ता सावन सा
तू मस्तमगन कुन्हु करती कोयल सी

आ छेड़ दे कोई तराना प्रेम का
गीत गजल नज्म जो भी हो वो

सरगम हो वो बस तेरे मेरे प्रेम का

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 10, 2023

रुक जाओ तो बहक जाऊं मैं
आज सरे बज्म महक जाऊं मैं

तेरे चांद से मुख का दीदार कर
आज संवर जाऊं मैं

मुंतजिर हूं तुझसे तन्हा मुलाकात को
चाहत की झुरमुट मे आज निखर जाऊं मैं

चाँद मेरी ना घूर मुझे
कहीं सर्दी में भी न पिघल जाऊं मै

आज रात आ मेरे आग़ोश में
तेरी रंगत में ढल जाऊं मैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Thursday, March 9, 2023

तुम्हें ग़ज़लों का गीत लिखता हूं 
तुम्हें शायर की शायरी लिखता हूं ।

लबों पे लब की प्यास लिखता हूं
मयखाने की पुरानी शराब लिखता हूं ।

शब्दो मे लिखूं तुम्हे वो शब्द ही नही
तुमपर मैं इक पूरी किताब लिखता हूं 

दर्द ए जिगर,दवा बेअसर,तुम्हें
मैं अपने दिल का इलाज लिखता हूं ।

~~ सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, March 7, 2023

चेहरे का नूर है स्वर्ण से साधित।
चक्षु की चंचलता,विह्वल आह्लादित।

नासिका नकबेसर से पूर्ण सुशोभित
तेरे मुखमंडल पर तुम ही हो मोहित।

उभरे हुए गालों पर अल्कें हैं बिखरे।
उतरी हुई लट से ये और अति निखरे।

काले घने जुल्फों से रौशन है स्याही।
रेशम सी कोमल चमकती योगिता सी।

अधर,ओष्ठ कम्पित हर गीत विरहा सी।
थिरके अब प्रेम-राग ओठों पर हाँ सी।

ग्रीवा पर चंद्रहार चन्द्रमा लजाये।
उतरी हुई छाती तक ज्योति बिखराये।

सोने की आभा से गढ़ा हुआ देह।
रोम,रोम कूपों से छूता हुआ नेह।

उन्नत उरोज,बाँह सुगठित सुडौल।
कंधे पर हाथ रख के सुन्दरता खौल।

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Sunday, March 5, 2023

याद मिलन की मन_से_मन की जीवन भर पीछा करती है
ऐसा क्यों होता है हम भी मन_ही_मन सोचा करते हैं ।
जब भी मन बेचैन हुआ है दिल ने उनको याद किया है
लेकिन कब किसकी यादों ने घर आंगन आबाद किया है ।
वो कैसे हैं उनके मिलने वालों से पूछा करते हैं।
लेकिन लगता है हाथों में कहीं लकीर नहीं है ऐसी
हाथ में उनके जैसी है मेरे हाथ में भी है वैसी
फिर भी ना जाने क्यों अपने हाथों को देखा करते हैं
जीवन का हर पल कहते हैं केवल रब की ही मरजी है
हम तो मात्र खिलौने भर हैं। अभिलाषा केवल अरजी है
इसीलिए हम बार बार अपने मन को रोका करते हैं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य

Friday, March 3, 2023

आ सनम दिल में तेरे प्यार के जज्बे भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

बिखरी बिखरी ये लटें कह रही अफसाने कई
उलझा उलझा सा मेरा दिल है तड़पता इनमे
आ संवारु इन्हें इस मांग में तारे भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

नैन बेचैन तेरे शर्म से खुलती न पलक
बंद कलियों में निकलने को तरसती ज्यों महक
आ इन्हें प्यार करुं प्यारे वो सपने भर दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

मैं सुनूं लबसे तेरे फिर वही प्यारी सी नजम
देख लूं शर्म से गुलाबी तेरे गालोंको सनम
आ बहकते हुए अरमानों को मंजिल दे दूं
कांपते अधरों पर प्यारी सी इबारत लिख दूं

~~~~ सुनिल #शांडिल्य