Monday, October 31, 2022
Sunday, October 30, 2022
Saturday, October 29, 2022
शायरी
Friday, October 28, 2022
Thursday, October 27, 2022
Sunday, October 23, 2022
कौन कहता है मुझे दर्द का एहसास नहीं।
वहम तो है कि मुझे इश्क का विश्वास नही।
आईना हूं नहीं कि जख्म दिखाऊं तुमको,
जिंदगी उदास है कि तुम मेरे पास नहीं।
बिछड़े हुए पल हैं, यादें हैं और गम भी हैं,
वक्त गुजर जाता है और कोई आस नहीं।
जैसे तुमने चाहा,मगर वैसा बन न सका,
जैसा मैं हूं तुम्हारे लिए कोई खास नहीं।
ये मोहब्बत है,तमाशा कोई नुमाइश नहीं,
भरम क्यों है के मुझको कोई प्यास नहीं।
कैद जज्बात हैं अब रूबरू कैसे कह दूं,
तुम्हारी परछाई भी मेरे आस-पास नहीं।
यादों की मौजें तो बहती चली जाती हैं,
दिल की बातों से तुम को कोई रास नहीं।
दर्द उबलता है तो अश्क निकल आते हैं,
विह्वल वो समझते हैं मुझे कोई फांस नहीं
---- सुनिल #शांडिल्य
Saturday, October 22, 2022
Tuesday, October 18, 2022
Sunday, October 16, 2022
Friday, October 14, 2022
Thursday, October 13, 2022
Wednesday, October 12, 2022
कुछ कहता हूँ तुम्हें,
कुछ कहते कहते रह जाता हूँ,
कुछ लिखता भी हूँ तुम्हें,
कुछ लिखते लिखते रह जाता हूँ।
कुछ करीब आता हूँ तुम्हारे,
कुछ करीब आते आते रह जाता हूँ,
कुछ दूर भी जाता हूँ तुमसे,
कुछ दूर जाते जाते रह जाता हूँ।
कुछ मिलता हूँ तुमसे,
कुछ मिलते मिलते रह जाता हूँ,
कुछ ना कहते हुए भी सब कह जाता हूँ
मगर सम्पूर्ण हूँ तुमसे ही,संतृप्त भी हूँ तुमसे ही,
तुमसे ही सदा प्रज्ज्वलित रह जाता हूँ।
कुछ कहता हूँ तुम्हें,
कुछ कहते कहते रह जाता हूँ,
कुछ लिखता भी हूँ तुम्हें,
कुछ लिखते लिखते रह जाता हूँ।
---- सुनिल #शांडिल्य
Tuesday, October 11, 2022
Monday, October 10, 2022
सुना है आज उसकी पूरी कलाएं होंगी।
सुहानी भीनी भीनी ठंठी हवाएं होंगी।
धरा पे सारा का सारा दुलार बरसेगा।
सुना है आज आसमां से झरेगा अमृत।
भोग की खीर में आरोग्य भरेगा अमृत।
धवल सी ज्योत्स्ना में सबका हृदय हरषेगा
आज मधुबन में बांसुरी सुरीली बाजेगी।
हजारों श्याम होंगे संग में गोपी साजेगी।
गगन से राधा रानी का श्रंगार बरसेगा।
सुना है आज चंद्रमा से प्यार बरसेगा।
---- सुनिल #शांडिल्य
Sunday, October 9, 2022
फ़लक पर पूरा चाँद,
जब मेरी खिड़की
के रास्ते..
चाँदनी बिखेरता है,
मेरे आँगन में..
मन करता है उस,
चाँदनी को कलम में
भर कर..
एक नज़्म तुम्हारे,
नाम लिखूं..
मुश्किल भी तुम_हो
हार भी तुम_हो
और बया करु
होती है जो मेरे सीने में
वो हलचल भी तुम_हो,
जो ऑखे झूकी तेरी
सारी कायनाथ तेरे
दामन में सिमट गयी !
सुनो ...
जलजले सी
मोहब्बत तेरी !!
दिल में कोहराम
मचा देती है !!
मगर...
जिंदगी सँवारने को तो
जिंदगी पड़ी है"
वो लम्हा सँवार लो
जहाँ जिंदगी खड़ी है,
---- सुनिल #शांडिल्य
Saturday, October 8, 2022
सुमन सुशोभित सुरभित सरसिज,
संग सरिता श्रृंगार लिए।
मंथर- मंथर मुदित मृदुलता,
मादक मन मनुहार लिए।।
अंक. लिये निज निश्छल उर मे,
भावप्रवण बह रही सरिता।
कुसुमकली की कलियाँ कैसे,
कल-कल कल कह रही कविता।।
पुलकित प्रेम चुमि प्रियतम पदतल,
पंकज प्रीत संवार लिए।
मंथर- मंथर मुदित मृदुलता,
मादक मन मनुहार लिए।।
भावप्रबल उत्कट अभिलाषा,
वह लिये हृदय के द्वार खड़ी।
बह आये निर्झर से नयना,
अंंसुवन जल पग धार पड़ी।।
चंचल चित्त चपल चन्द्रिका,
निज चिंंतित चित्त विस्तार लिए।
---- सुनिल #शांडिल्य
Friday, October 7, 2022
Thursday, October 6, 2022
Wednesday, October 5, 2022
नही मिलना कभी मुमकिन
मगर तुम साथ हो मेरे,
जो मिलकर भी नही मिलते
वही एहसास हो मेरे।
तुम्हारी यादों का दरिया
मेरे दिल मे समाया है,
कभी आंखों में बन आसूँ
नज़र सागर सा आया है।
जगा था, रात भर मैं तो
चाँद भी मुस्कराया था,
कहाँ मिलते हैं रात और दिन
कहानी गुनगुनाया था।
गया था मैं, नदी के पास
कहने अपने दिल की बात,
नहीं मिलते किनारे हैं
ये लहरों ने बताया था।
शिकायत किससे मैं करता
क़िस्मत की लकीरों की,
विरह की वेदना झेली
जहाँ पर खुद विधाता ने।
---- सुनिल #शांडिल्य
Saturday, October 1, 2022
कितना आनंद देती हैं
एकांत के पलोँ मेँ
मेरी आत्मा में बसी तुम्हारी हँसी
जब समय की बूंदेँ
धीरे-धीरे रिसती हैं
सुबह का मुख चूमकर
रात जाती है और चारों तरफ
तुम्हारी खुशबू बिखर जाती है
तब होता है एक ऐसा सबेरा
जब तुम
थोड़ा बतियाती थोड़ा इठलाती
अपनी लटोँ को उड़ाती
अठखेलियां करती
मेरे ख्यालों में आती हो
तब कुछ खामोश संवाद
कुछ साझा सपने
जो हमने देखे हैँ
उनके पूरा होने की उम्मीद बनती है
पर जानता हूँ
ये एक कल्पना है लेकिन
यही मेरा सपना है...
---- सुनिल #शांडिल्य