मैं एक कविता हूं
जिसे तुम रचती हो
कभी प्रेम भरती हो
कभी दर्द भरती हो
जीवित होता हूं
तुम्हारे शब्दों से
फलित होता हूं
तुम्हारे शब्दों से
मुझे निखारा है
तुम्हारे शब्दों ने
पंक्तिओं में मेरे तुमने
जैसे कोई इत्र भरा हो
जिसे छिड़कती हो मुझ पर
और मैं महक जाता हूं उनसे
---- सुनिल #शांडिल्य