Sunday, January 30, 2022

 मैं एक कविता हूं

जिसे तुम रचती हो


कभी प्रेम भरती हो

कभी दर्द भरती हो


जीवित होता हूं

तुम्हारे शब्दों से


फलित होता हूं

तुम्हारे शब्दों से


मुझे निखारा है

तुम्हारे शब्दों ने


पंक्तिओं में मेरे तुमने

जैसे कोई इत्र भरा हो


जिसे छिड़कती हो मुझ पर

और मैं महक जाता हूं उनसे


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 28, 2022

 मेरे शब्दों का कोई है मोल नही

मेरे लफ़्ज़ों की तू मोहताज नही ।


चाहे लिख दूं मैं तुझपे कितना भी

जो  तू कल थी,  है वो आज नहीं ।


करता हूं मैं अब इस कोरे कागज़ से प्यार

सारे दर्द बयां करता हूं अब यही मेरा संसार ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 27, 2022

दर्द को घोलता हूं
इश्क की चाशनी में

रचता हूं भाव से भरी
मैं कविताएं

मिलन की करता
हूं कोरी कल्पनाएं

रचता हूं मिलन की
मैं कविताएं

अश्कों को पोछ कर
मुस्कुराता हूं मैं

रचता हूं हर्ष से भरी
मैं कविताएं

दिन दुनिया से बेखबर
रहता हूं मैं

रचता हूं प्रेम से भरी
मैं कविताएं

---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 26, 2022

 सब देश वासियों को ७३ वा गणतंत्र दिवस की 

हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏🌹🌹🌹🌹

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देश का गौरव देश का मान

याद कर रहा हिन्दुस्तान 


भूले से भी भूल न जाना

मातृभूमि का स्वाभिमान 


कोई लाल सह न सकेगा

माता का कभी अपमान 


मातृभूमि की आन पर

न्यौछावर करता अपनी जान 


देश का वैभव बढ़ा रहा 

हर जवान हर किसान।


---- सुनिल #शांडिल्य

 काश! लग जाये हमे नज़र तुम्हारी

जब हूबहू देखे तुम्हे नजरें ये हमारी


दिल की नजरों से देखे नज़र हमारी

उतार कर नजर रख ले नज़र तुम्हारी


चुरा कर नज़रों से रखे नज़र तुम्हारी

दिल की नज़रों में बसी नज़र तुम्हारी


लुटा दिल को लफ़्ज़े नज़र ने तुम्हारी

न जाने कब होगी दीदार नजरें तुम्हारी 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 24, 2022

 मैं जले हृदय में

अग्नि दहन करता फिरता हूँ


सुख-दुख दोनो मे मग्‍न

रहने की भंगिमा करता फिरता हूं


मैं यौवन का उन्‍माद

कलम से लिखता फिरता हूँ


उन्‍मादों मे भी गहन

अवसाद लिए मैं फिरता हूँ


मैं लबों पे हंसी 

आंखों में अश्क लिए फिरता हूं


मैं,हां मैं ,

किसीकी याद लिए फिरता हूँ


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 23, 2022

 ख्याल से ख्याल न कीजे

अब कोई सवाल न कीजे


मसला है इश्क है तुमसे

हाल से मुझे बेहाल न कीजे


बस दिल लगाकर इश्क कीजे

बाकी कोई सवाल न कीजे


देखिए अभी इश्क फरमाने का है मन

और कोई मलाल न कीजे


क्या कहा ? व्यस्त हो अभी

छोड़िए काम फिलहाल न कीजे


आइए इधर हमसे इश्क कीजे ..


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 22, 2022

 भूल जायेगे जहा को तुझे पाकर 

हम दोनों रहेंगे साथ जहा भुलाकर


ताउम्र रखेगे तुझे हम अपना बनाकर

चले न जाना तुम मझधार में छोड़कर


मुकम्मल जो तेरा हर ख़्वाब पूरा कर

तभी कहेंगे हम तुझको हमे प्यार कर


भरोसे पर मेरे थोड़ा तू यकीन तो कर

वरना नही मिलेंगे वीरानियों में खो कर 


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 21, 2022

 लफ्ज़ जब रूह से निकलते है

समुंदर अहसासों के पिघलते है


ये जो दर्द फेसबुक पर बिखेरते है

रिवाजो के बंधन टूटने से डरते है


यू ही नही बदल कर नाम रखते है

नाम मे 'खास' की पहचान रखते है


रूह में रह कर भी अनजाने रहते है

ये वो रिश्ते है जो अहसासो में रहते है


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 19, 2022

 हर किसी को इक पहचान चाहिए

"कंगूरे" सा खुद का  निमार्ण चाहिए


नींव सा पत्थर अब किसे चाहिए?

सबको सुर्खियों में पहचान चाहिए


सबको सिर्फ दौर-ए-ख़्वाब चाहिए

मजबूत नींव भला  किसे चाहिए?


झूठे ख्वाबो की सी तदबीर चाहिए

वास्ता-ए-हकीकत अब किसे चाहिए?


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 18, 2022

 मांगी है इन हवाओं से

तेरी सांसो की खुशबू मैने 


नर्म धूप सी तेरी आगोश

की गर्मी पाई है मैने


सुन रहा तेरी धड़कनों

की सुरीली सरगम मैं


सीने से लगा जो तेरे

रुह मेरी सिहर रही है


साकी नहीं मयखाना नहीं

फिर भी छाया है कैसा सुरूर


कसूर है तेरी नशीली आंखों का

जाम तो बस फिजूल है


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 17, 2022

 उसने मेरी आँखों

के श्वेताभ मे झांक

कर पूछा  - :  "मन चुरा

लेने की पीडा

जानते हो ना तुम"??


जानता हूं  :-  "पर

कामनाओं की निर्झरणी जो

बहती है ,, उस का

क्या करूँ" ??


सुनो ~


"क्या कुछ पल तुम्हें

दुलार नहीं सकता"?? 


"अपनी आकांक्षाओं के पँख

कुछ पल तुम्हारे मन के आसमान

पर विचरने देना चाहता हूं"


वो बोली  " तुम कोरी

कल्पना मे जीना चाहते हो :


नहीं ,,


"मैं  सदा तुम मे विद्यमान हूं

तुम्हारे मन के निर्मल मे श्वेताभ

शतदल बन ,, आंखों मे मोती बन

तुम मे ही..अनवरत.! ~


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, January 15, 2022

 'दिलकशी' ने उसकी दीवाना बनाया

"उन्स" बनकर दरमियां रूह में छाया


महोब्बत में उसकी फिर में यू गहराया

अक़ीदत-ए-इबादत में खुद को डुबोया


जुनून बनकर वो रूहे जर्रे-जर्रे में समाया

फिर जिन्दा हो भी कहा में जिन्दा कहलाया


हर घड़ी, हर पहर उसकी यादों को सजाया

वो होकर भी गैर हरपल मुझमें ही समाया 


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, January 13, 2022

 गुफ्तगू उनकी उन रातो की

यादे बन रह गई मेरे दिल की


मस्तानी चाय अल सुबह की

तदबीर बन गई मेरे ख्यालों की


वो रूहानियत उनके इश्क की

रवानीयत बन गई अहसासों की


बेरुखी दरमियां उनकी वफ़ा की

नीर बन गए मेरी जलती आँखों की


लिखू कहानी जो उनके अहसास की

जाने कहा से भर लाती पलके अश्क की 


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, January 12, 2022

 महफ़िल तो महज इक बहाना है

मुलाकात-ए-दौर शुरू करवाना है


डूब कर दर्द में हर कोई लिखता है

मुलाकातों की गुफ्तगू में भुलाना है


लफ्ज़ो में सब इंसानियत पिरोते है

हकीकत को जमाने को दिखाना है


"इकदूजे" को सुनना और सुनाना है

तुम अपनी कहना,हमे भी कहना है


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, January 11, 2022

 लफ्ज़ और शब्द 

क्या समझे खामोशी की भाषा


बिन कहे कह जाती

खामोशी अपने मन की भाषा


टूटा जो इश्क में

पूछो उसे खामोशी की भाषा


खामोशी क्या होती

समुंदर से गहरी जिसकी आशा


निराशाओं से निकल

सीखी है उसने खामोशी भाषा


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, January 10, 2022

 फ़लसफ़ा-ए-इश्क हर कोई कह गया

जिसने गुजर के देखा इश्क समझ गया


बेजुबाँ सा बिन "लफ्ज़" सब कह गया

टूट के इश्क में खामोशियों में खो गया


दिन के उजालों में अंधेरा वो देख गया

इश्क अँधेरी रातों में उजाला देख गया


आलम बेताबियों में सुकूँ वो देख गया

इंतजार के इक-इक लम्हे को पी गया 


 ---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, January 9, 2022

 चन्द लकीरों की गिरफ्त में है जिन्दगी

किसने देखा कल क्या हो यह जिन्दगी


दरमियां दो साँसों के झूल रही जिन्दगी

किसे पता कब आखरी हो सांस जिन्दगी


चन्द रिश्ते है खास समीप रूह के जिन्दगी

फ़लसफ़ा न करे भुला कर उनको जिन्दगी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, January 7, 2022

 इंसान पूर्ण कब, कौन हुआ है

इंसान पुतला खामियों का हुआ है


खोजने परमात्मा को कहा चला है

परमात्मा जो तेरा, कहा तुझसे जुदा है


आलिंगन सांसों का जिसने साधा है

अंतहीन,विसर्जन जीवन से मोक्ष पाया है


जीवन रूपी सफर सिर्फ जिस्म ने पाया है

अजय,अमर आत्मा ने सिर्फ चोला बदलवाया है 


---- सुनिल #शांडिल्य