Saturday, November 29, 2014

इंसानों के कन्धों पे इंसान जा रहा हैं,
कफ़न में लिपटे कुछ अरमान जा रहा है।
जिन्हें नही मिली मोहब्बत इस दुनिया में,
मोहब्बत पाने वो कब्रिस्तान जा रहा है।

उनकी आंखों की गहराई के दीदार न कर पाए।
दिल ने कोशिश तो बहुत की पर बात न कर पाए।
क्या कशिश थी उनकी मासूमियत की मेरे दिल में,
उन्होंने दी इजाजत पर हम आंखें चार न कर पाए।

सूरज की चंचल किरणे जब धरती से मिलने आती है,
देख इस मधुर मिलन को चिड़िया गाने गाती है,
इन किरणों की चमक से ही खेत सुनहरे लगते है,
सुनकर आहट इन किरणों की सोते सपने जगते है,


आँखे जब बंद है तो सपनो की दुनिया दिखती है,
खुली जब आँखे तो अपनों की दुनिया मिलती है,
कितने अनजान रिश्ते है ये दिल सहम जाता है,
याद करू कुछ और,कोई और याद आता है,


पंछी उड़कर आसमान तक जाते तो है,
पर कुछ जमीन से उड़ ही नही पाते है,
कुछ के सपने सपने ही रह जाते है,
तो कुछ का सपना साकार हो जाता है,


Wednesday, November 26, 2014

अपने बारे में कहूंगा तो औरों का जिक्र हो जाएगा
मानते हो जिनको भला वो भी बुरा हो जाएगा
छोड़िये क्या छेड़नी बातें मेरे जहन की
मेरे बयां से मेरा कोई अपना खफा हो जाएगा

ज्यादा लिखा मैंने अगर, तो बनकर किताब रह जाऊंगा
आया नहीं हूं हाथ अब तक, फिर एक बार में आ जाऊंगा
रख देगा फिर गुलाब कोई सूखने को मुझमें
या बनके मैं संग्रह किसी का, अलमारी में रह जाऊंगा

कतरन ही रहने दो मुझे, बंटा-बंटा ही रहने दो
ऐसा न हो जुड़ने से मैं, कहीं पढ़ने में आ जाऊं
मत बिछाओ पलकों को तुम इंतजार में मेरी
ऐसा न हो मैं आंसू बनकर, आंखों में आ जाऊं

तारीफ कर रहे हैं सब, मेरी इस जहान में
क्या जानते नहीं हैं वो, अभी मैं नहीं मरा
निभा रहे हैं सब रिवाज जीते जी मेरे
जिंदा दफन करके क्या उनका, दिल नहीं भरा

पीठ करके बैठा रहा, मुझे निहारने वाला
उखड़ा हुआ बैठा रहा, मुझे जोड़ने वाला
खंगालता रहा मैं अपनी, यादों के पुलिंदे
फारिग वो बैठा रहा, मसरूफ करने वाला

कुछ इस कदर वो मुझे निहारता रहा
बोले बिना एक शब्द के पुकारता रहा
देता रहा दावत मुझे वो आंखों से अपनी
थी खता उसकी सजा मैं भोगता रहा

उठने लगा जब मेरे प्यार का जनाजा।
तब हुआ उन्हें मेरी मोहब्बत का अंदाजा।।
जब मेरी कब्र खोद रहे थे दुनिया वाले।
तब रो रही थी वो, करके बंद दरवाजा।।

उजड़ा ये चमन मेरा दोबारा बसाया ना जाएगा।
दिल चीर लूंगा पर जख्म दिखाया ना जाएगा।।
सीना सामने है कत्ल कर डाल जालिम।
मगर अफसोस खंजर तुझसे उठाया ना जाएगा।।

ऐ दिल मत हो उनके प्रेम में पागल
तुझे जमाने वाले मजनू कहकर चिढ़ाएंगे।।
अगर पा न सका उनको जीवन में।
तो बेवफा का नाम देकर तोहमत लगाएंगे।।

एक दीवाना प्यार तुझे बेशुमार करता है।
बिछड़ा यार मिल जाए खुदा से पुकार करता है।।
ये सोचकर चढ़ जाना छत पर कभी-कभार
कि एक पगला सड़कों पर खड़ा तेरा इंतजार करता है।।

जब से हमें उन पे प्यार आया।
उनकी जवानी में एक नया निखार आया।।
वो इस तरह समा गए मेरी बाहों में।
जैसे आज उन्हें मेरी वफा पे ऐतबार आया।।

Tuesday, November 25, 2014

इस पागल दिल को कोई समझाने वाला नहीं।।
अंधेरे में शमा कोई जलाने वाला नहीं।
क्यों दरवाजे पे टकटकी लगाए बैठा है नादान।
इस घर में अब कोई आने वाला नहीं।।

तेरी आँखों में मोहब्बत का नशा है ये।
मैंने जो निभाई आज तक वो वफा है ये।।
तपती धूप में भी छत पर खड़े रहना।
अगर प्यार नहीं तो और क्या है ये।

बस इतना ही है मेरी मोहब्बत का फसाना।
मैं रोता हूं हंसता है मुझ पर जमाना।।
दिल के टूटे हुए तार यही कहते हैं
मर जाना पर किसी से दिल ना लगाना।।

क्यों दिल के मरीज को दवा दे रही हो।
मोहब्बत वो भी तुम्हें क्या कह रही हो।।
पास आने से ये आग भड़क जाएगी।
क्यों आग को तुम हवा दे रही हो।।

वो जिन्दगी में ना आई तो उसे दिल में बसा लिया।
इस तरह रग-रग में समाकर वो मेरी खुदा बन गई।।
मैंने नजरें लड़ाई थी वर्षों पहले जिस हसीना से।
पहले वो आँखों का सपना फिर मन की पूजा बन गई।।

Monday, November 24, 2014

कोई दौलत, कोई तख्तोताज के दीवाने हैं।
कोई ताजमहल, कोई मुमताज के दीवाने हैं।।
शरमा कर मत छुपा चेहरे को पर्दे में।
हम चेहरे के नहीं तेरे दिल के दीवाने हैं।।

प्यार के पत्ते नफरत की आंधियों में घिर गए।
तुमने उजाड़ना चाहा और हम हंसते-हंसते उजड़ गए।
मुर्दे बदन पर कफन डालने का रिवाज था।
तुम मरहम लगाकर एक और जख्म कर गए।।

तूफान-ए-सागर के जज्बातों को गले लगा लो।
अपने प्यार की गंगा सागर में मिला दो।।
मैं कब तक रहूं प्यासा, मैं क्यों रहूं प्यासा।
मुझे सागर बना दो, सागर बना दो मुझे सागर बना दो।

उनके पीछे लगे रहेंगे जब तक ना वो इकरार करेंगे।
हर हाल में अपने ख्वाबों को हम साकार करेंगे।।
सात जन्मों तक तुमने ना मिलने की कसमें खाई हैं।
कोई बात नहीं हम आठवें जन्म का इन्तजार करेंगे।।

कल रात आखो में एक आँसू आया
में ने उसे पूछा तू बहार क्यों आया ?
तो उसने बोला की कोई मेरे मे इतना है समाया 
की में चाह कर भी अपनी जगह बना नही पाया 


Sunday, November 23, 2014

हो सकता हैं हमने अनजाने में कभी आपको रुला दिया !
आपने दुनियाँ के कहने पर हमको भुला दिया !!
हम तो वैसे भी अकेले थे !
क्या हुवा अगर आपने एहसास दिला दिया !!

हसीनो ने हसीन बन के गुनाह किया,
औरो को तो ठीक हमको भी तबाह किया,
पेश किया जब गजलों में उन की बेवफाई को,
औरो ने तो ठीक उन्होंने भी वाह वाह किया |

गम ने हसने न दिया, ज़माने ने रोने न दिया!
इस उलझन ने चैन से जीने न दिया!
थक के जब सितारों से पनाह ली!
नींद आई तो तेरी याद ने सोने न दिया!

खुद को खुद की खबर न लगे!
कोई अच्छा भी इस कदर न लगे!
आप को देखा है बस उस नज़र से!
जिस नज़र से आप को नज़र न लगे!

किसी के दिल में बसना कुछ बुरा तो नहीं !
किसी को दिल में बसाना कोई खता तो नहीं !
गुनाह हो यह ज़माने की नज़र में तो क्या !
ज़माने वाले कोई खुदा तो नहीं !

Saturday, November 22, 2014

याद आती है तो ज़रा खो जाते है!
आंसू आँखों में उतर आये तो ज़रा रो लेते है!
नींद तो नहीं आती आँखों में लेकिन!
वो ख्वाबों में आएंगे यही सोच कर सो लेते है!

भरी महफिल में तन्हा मुझे रहना सिखा दिया !
तेरे प्यार ने दुनिया को झूठा कहना सिखा दिया !
किसी दर्द या ख़ुशी का एहसास नहीं है अब तो !
सब कुछ ज़िन्दगी ने चुप -चाप सहना सिखा दिया !

प्यार किया था तो प्यार का अंजाम कहाँ मालूम था!
वफ़ा के बदले मिलेगी बेवफाई कहाँ मालूम था!
सोचा था तैर के पार कर लेंगे प्यार के दरिया को!
पर बीच दरिया मिल जायेगा भंवर कहाँ मालूम था!

क्यों किसी से इतना प्यार हो जाता है!
एक पल का इंतज़ार भी दुश्वार हो जाता है!
लगने लगते है अपने भी पराये!
और एक अजनबी पर ऐतबार हो जाता है!

Friday, November 21, 2014

अपनी यादों में हम तुम्हें बसाना चाहते है!
अपने पास तुम्हें हम बुलाना चाहते है!
थक गए हम तुम्हें याद करते करते!
अब हम तुम्हें याद आना चाहते है!

हर रिश्ते को अजमाया है हमने!
कुछ पाया पर बहुत गवाया है हमने!
हर उस शख्स ने रुलाया है!
जिसे भी हमने इस दिल में बसाया है !

जाने क्या मुझसे ज़माना चाहता है!
मेरा दिल तोड़कर मुझे ही हसाना चाहता है!
जाने क्या बात झलकती है मेरे इस चेहरे से!
हर शख्स मुझे आज़माना चाहता है!

समझा दो अपनी यादों को!
वो बिना बुलाये पास आया करती है!
आप तो दूर रहकर सताते हो मगर!
वो पास आकर रुलाया करती है!

न जाने क्यों हमें आँसू बहाना नहीं आता!
न जाने क्यों हाल-ऐ-दिल बताना नहीं आता!
क्यों सब दोस्त बिछड़ गए हमसे!
शायद हमें ही साथ निभाना नहीं आता!

Thursday, November 20, 2014

तिनका तिनका तूफान में बिखरते चले गये
तनहायी की गहराइयों में उतरते चले गये
उड़ते थे जिनके सहारे आसमां में हम
एक एक करके सब बिछड़ते चले गये

सारी उम्र आँखों में एक सपना याद रहा!
सदियाँ बीत गयी पर वो लम्हा याद रहा!
न जाने क्या बात थी उन मे और हम मे!
सारी महफिल भूल गए बस वही एक चेहरा याद रहा!

बड़ी कोशिश के बाद उन्हें भूला दिया!
उनकी यादों को दिल से मिटा दिया!
एक दिन फिर उनका पैगाम आया लिखा था मुझे भूल जाओ!
और मुझे भूला हुआ हर लम्हा याद दिला दिया!

हर हंसीं पल में मेरे तू शामिल है ,
मेरे दिल का भी बस तू ही कातिल है ,
तू ही मेरे सीने में दिल बन के धड़कता है,
इन मौजे - लहरों का तू ही साहिल है.

परिंदों को नहीं दी जाती तालीम उड़ने की .
वो खुद ही तय करते है मंजिल असमानों की .
रखता है जो हौसला असमान को छूने का .
उसको नही होती परवाह गिर जाने की .................

Wednesday, November 19, 2014

किसीके "मरने पर किसी को ज़यादा "फर्क ना "पड़ेगा
**
ऐ दोस्त**
बस एक "तन्हाई "रोएगी की मेरा "हम_सफ़र " "चला गया......

कदम थक गए है दूर निकलना छोड़ दिया,
पर ऐसा नहीं की मैंने चलना छोड़ दिया.......
फासले अक्सर मोहब्बत बढ़ा देते है,
पर ऐसा नहीं की मैंने मिलना छोड़ दिया.........
मैंने चिरागों से रोशन की है अक्सर अपनी शाम,
पर ऐसा नहीं की मैंने दिल को जलाना छोड़ दिया .......
मैं आज भी अकेला हूँ दुनिया की भीड़ में,
पर ऐसा नहीं है की मैंने ज़माना छोड़ दिया......!!!

दिल -ए -गुमराह को काश ये मालूम हो जाता ,कि मोहब्बत उस वक़्त तक दिलचस्प होती है जब तक नहीं होती है .!!

जिंदगी ने कई सवालात बदल दिये........
वक़्त ने मेरे हालत बदल दिये....
इतने बुरे भी तो नहीं थे हम.....
न जाने क्यों लोगो ने अपने खयालात बदल दिये....

कभी उसको हमारी यादों ने सताया होगा......
नाम उसका लिखा आँखों में, आंसुओ ने मिटाया होगा.......
गम ये नही की वो भूल गए होगे हमको ......
गम ये है की बहुत रो रो के भुलाया होगा ...