Sunday, July 10, 2016
धुंधला न कहीं कर दे कुछ घर की परेशानी
,
आईना-ए-रुख अपना चमकाए हुए रखना.
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अंजुम इरफानी
तमाम उम्र तेरा इन्तज़ार कर लेंगे
,
मगर ये रंज रहेगा कि ज़िंदगी कम है.
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शहीद सिद्दीकी
कुछ दिन ये भी रंग रहा इन्तज़ार में
,
आँख उठ गई जिधर बस उधर देखते रहे.
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असर लखनवी
गज़ब किया तेरे वादे पे ऐतबार किया
,
तमाम रात क़यामत का इन्तज़ार किया
|
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दाग देहलवी
गर डूबना ही अपना मुक़द्दर है तो सुनो
,
डूबेंगे हम ज़रूर मगर नाख़ुदा के साथ
|
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कैफ़ी आज़मी
तुम्हीं तो हो जिसे कहती है नाख़ुदा दुनिया
,
बचा सको तो बचा लो कि डूबता हूँ मैं
|
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मजाज़
कहिये तो आसमाँ को ज़मीं पर उतार लाएँ
,
मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिये
|
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शहरयार
कभी तो आसमाँ से चांद उतरे जाम हो जाये
तुम्हारे नाम की इक ख़ूबसूरत शाम हो जाये
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बशीर बद्र
मुझे मालूम है उस का ठिकाना फिर कहाँ होगा
परिंदा आसमाँ छूने में जब नाक़ाम हो जाये
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बशीर बद्र
सर-ए-शाम ठहरी हुई ज़मीं आसमाँ है झुका हुआ
,
उसी मोड़ पर मेरे वास्ते वो चराग़ लेके खड़ा न हों
|
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बशीर बद्र
कहीं मर न जाये सितम सहने वाले
,
तगाफुल में थोड़ी-सी तख्फीफ फर्मायें।
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अब्दुल हमीद
'
अदम
'
तगाफुल - उपेक्षा
,
बेतवज्जुही
तख्फीफ - कमी
ऐ सितमगर मेरे इस हौसले की दाद दे
,
सामने तेरे अगर फरियाद कर लेता हूँ मैं।
-
अर्श मल्सियानी
Thursday, July 7, 2016
अब तो उठ सकता नहीं आँखों से बार-ए
–
इन्तज़ार
,
किस तरह काटे कोई लैल-ओ-नहार-ए-इन्तज़ार
|
अगर ऐ नाखुदा तूफान से लड़ने का दमखम है
,
इधर कश्ती को मत लाना
,
इधर पानी बहुत कम है।
नतीजा बेसबब महफिल से उठवाने का क्या होगा
,
न होंगे हम तो साकी तेरे मैखाने का क्या होगा।
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