आज कुछ इस तरह उन की याद आने लगी, दिल की गहराई से ये बात हमें सताने लगी मै समझता रहा उसे भुला रहा हूँ मै, आइना देखा तो तस्वीर उसकी नजर आने लगी
Tuesday, March 29, 2016
अंदाज़ अपना देखते हैं आईने में वो और यह भी देखते हैं, कोई देखता ना हो
-निजाम रामपुरी
आईने में हर अदा देख कर कहते हैं वो आज देखा चाहिए, किस किस है आयी हुयी.
-अमीर मीनाई
अक्ल खो दी थी, जो ऐ! 'नासिख' जुनून-ए-इश्क
में आईना समझा किये इक उम्र बेगानों को हम
-शेख इमाम बख्श 'नासिख'
हरचंद आईना हूँ, पर इतना हूँ
ना-क़ुबूल मुँह फेर ले वो, जिसके मुझे रू-बरू करे
-ख्वाजा मेरे 'दर्द'
दर्मियाँ खुद अपनी हस्ती हो, तो हम भी क्या
करें आईना देखें, कि अपने आप से पर्दा करें
-खलील आज़मी
तेरी बे-झिझक हँसी से न किसी का दिल हो मैला ये नगर है आईनों का यहाँ सांस ले संभल के
-एहसान दानिश
चेहरे पर मल रहा हूँ सियाही नसीब की आईना हाथ में है, सिकंदर नहीं हूँ मैं
-मुज़फ्फर वारसी
रहनुमा सभी खुद को पाक साफ़ कहते हैं आईना किसको यहाँ कैसे दिखाया जाए लोग छिप छिप के यहाँ रोज़ बिका करते हैं शर्त है, मोल चुपके से
बताया जाए
-नामवर
जब कभी किसी से गिला रखना सामने अपने आईना रखना घर की तामीर चाहे जैसी हो इसमें रोने की इक जगह रखना
-निदां फाजली
शाम की शमा में एक बात नज़र आती हे तभी इन होठो से एक आह निकल
जाती हे कब होगी आपसे जी भर कर मुलाकात ये सोच कर हर रात गुजर जाती हे
हमारे प्यार से जलने लगी हे दुनिया दुआ करो किसी दुश्मन की बद दुआ न लगे न जाने क्या हे उस की बेबाक आँखों में वो मुह छुपा के जाये भी तो बेवफा न लगे
आईना क्यूँ न दूँ तमाशा कहे जिसे ऐसा कहाँ से लाऊंकी तुझ सा कहे जिसे । गालिब ' बुरा न मानजो वाइज़ बुरा कहे ऐसा भी कोई हैकी सब अच्छा कहें जिसे ।
तेरी आँखों में जब से मैंने अपना अक्स देखा है मेरे चेहरे को कोई आईना अच्छा नहीं लगता |
न आया तुझे सलीका, रस्म-ए-मोहब्बत
निभाने का न आया हमें भी हुनर, तुझे भूल जाने का ।।
खींच लेती है हमें
तुम्हारी मोहब्बत वरना, आखिरी बार मिले हैं, कईं बार तुझसे
जब सूरज भी खो जाएगा, और चाँद कहीं सो
जाएगा तुम भी घर देर से आओगे, जब मुहब्बत तुम्हें हो जाएगा - सईद राही
भ्रमर कोई फूलों पर मचल बैठा तो
हंगामा हमारे दील में कोई खवाब पल बैठा तो हंगामा अभी तक डूब कर सुनते थे सब कीस्सा मोहब्बत का मै कीस्से को हकीक़त में बदल बैठा तो हंगामा
Monday, March 28, 2016
मुहब्बत एक अहसासों की पावन सी कहानी है कभी कबीरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है।
वो कि हर अहद-ए-मोहब्बत से मुकरता जाए दिल वो ज़ालिम कि उसी शख़्स पे मरता जाए
हम तो अभी मोहब्बत में जी भी ना पाए थे कि आप ने नफरतों में जीना सिखा दिया !
न दिल , न मोहब्बत , न अफसाना देखा जिस भी हाथ में देखा खाली पैमाना देखा कपड़े बदलने से दिल नहीं बदलते ए-दोस्त तेरे दामन में हमने वो ही दाग पुराना देखा
सपना कभी साकार नहीं होता मोहब्बत का कोई आकार नहीं होता सब कुछ होजाता है इस दुनिया में मगर दुबारा किसी से सच्चा प्यार नहीं होता …
लोगों ने कहा की मैं शराबी हूँ , मैंने कहा उन्हों ने आँखों से पिलाई है . लोगों ने कहा की मैं आशिक हूँ , मैंने कहा आशिकी उन्हों ने सिखाई है . लोगों ने कहा तू शायर दीवाना है , मैंने कहा उनकी मोहब्बत रंग लायी है .
Saturday, March 26, 2016
मुझे यकीन है मुहब्बत उसी को कहते हैं , कि ज़ख़्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये
मेरी मुहब्बत की बस इतनी सी कहानी है , टूटी हुई कश्ती , रुका हुआ पानी है ! एक गुलाब उनकी किताब में दम तोड़ चुका है , और उनको याद ही नहीं की ये किसकी निशानी है !
Friday, March 25, 2016
मुहब्बत के नाम पर हमसे खेला गया , अरमान भरे ख्वाब सजा कर , तोडा गया ! क्यूँ ना हँसे दुनिया सारी हम पर , जबकि दिल को मेरे खिलौने से बहलाया गया !
रोएंगी आँखेँ मुसकुराने
के बाद आएगी रात दिन ढल जाने के बाद, ए जाने वाले जरा मुड़ के देख... शायद जिँदगी ना रहे तेरे जाने के बाद....
मुहब्बत क्या है, तो लफ्जों में
तुम्हे बताती हूँ तेरा मजबूर कर देना, और मेरा मजबूर हो जाना
इस अहले मुहब्बत में, कुछ ऐसे वक्त भी
आये हैं खुद क़त्ल हुआ है मेरा, कातिल भी हमी कहलाये हैं
Thursday, March 24, 2016
कुछ मुहब्बत का नशा था पहले हम को फराज़; दिल जो टूटा नशे से मुहब्बत हो गयी.
कब मुझ को ऐतेराफ़-ए-मुहब्बत न था ’फ़राज़’ कब मैं ने ये कहा था सज़ायें मुझे न दो
और ’फ़राज़’ चाहीये कितनी मुहब्बतें तुझे के माओं ने तेरे नाम पर बच्चों के नाम रख दिया
मुब्बत की राह में दो हैं मंजिलें "फ़राज़" या दिल में उतर जाना या दिल से उतर
जाना.........
बहुत अज़ीब हैं ये बंदिशें मोहबबत की "फराज़" न उसने कैद में रखा, न हम फरार हुए....
Wednesday, March 23, 2016
कौन कहता है मुब्बत की जाती है,
मुहब्बत हो जाती
है, सूरत खुद ब खुद अच्छी लगती है ,
मुह्ब्बत जिस से की जाती है.
मोहब्बत की परस्तिश के
लिये एक रात ही काफी है 'फराज़' सुबह तक जो ज़िन्दा रह जाये वो परवाना नहीं होता ।
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही, जज़्बात में वो पहली सी शिद्दत नहीं रही. मोहब्बत की परस्तिश के लिये एक रात ही काफी है 'फराज़' सुबह तक जो ज़िन्दा रह जाये वो परवाना नहीं
होता ।
मुहब्बत देखी मैंने ज़माने भर के लोंगों की दोस्तो जहाँ कुछ कीमत जियादा हो वहाँ इंसान बिकते हैं
Tuesday, March 22, 2016
जहाँ रुका मैं, वही मंजिल-ए-मुहब्बत थी चला तो साथ चला , रास्ता मुहब्बत का
जहाँ अँधेरे नज़र आये नफरतों के मुझे जला दिया है वहीं पर दिया मुहब्बत का
हमारे सामने था एक काबा-ए-उल्फत सो हमने भी वहाँ सज़दा किया मुहब्बत का
वफ़ा का बदला वफ़ा ही है शाहिदा तसनीम है पुर-ख़ुलूस मुहब्बत, सिला मुहब्बत का
Monday, March 21, 2016
कभी देखा है अंधे को किसी का हाथ पकड़ कर चलते हुए मैंने भी मुहब्बत में तुझ पे कुछ, यूँ ही भरोसा किया था
दिल की पुरानी कब्रों को खोदते हुए वह हसरतों की लाशें तलाश करेगा थक जाएगा वह नफरतों से जब भी मुहब्बत के छुपे दर तलाश करेगा
जंग लग ना जाए कहीं इस मुहब्बत को रूठने मनाने के सिलसिले बनाए रखना
Saturday, March 19, 2016
न रुक सकेगा कभी सिलसिला मुहब्बत का खुदा का खल्क है राबता मुहब्बत का
अज़ीब रिश्ता रहा है कुछ इस तरह अपनों से न नफ़रत की वज़ह मिली, न मोहब्बत का सिला
फितरत ए आदम में जब मुहब्बत काम कर जाए फिर चाह के भी अपनों के लिए वक़्त नहीं मिलता
Thursday, March 17, 2016
बहा रही हूँ मैं अपनी आँखों से जो, अनमोल कितने हैं मेरे लिए ये आँसू याद है मुझको, वो कहा करता था सच्ची मुहब्बत के सबूत होते हैं आँसू
कितना बेबस है इन्सान किस्मत के आगे, हर सपना टूट जाता है हकीक़त के आगे, जिसने कभी झुकना नहीं सिखा दुनियाँ के आगे, वो इन्सान झुक जाता है मोहब्बत के आगे..!!!
मुहब्बत के बिना अहसास से
दिल तर नहीं होता अगर अहसास न हो तो सुख़न बेहतर नहीं होता मेरी पहचान है ये शायरी, ये गीत, ये ग़ज़लें किसी से प्यार न करता तो मैं शायर नहीं होता
मोहब्बत हार के जीना बोहत मुश्किल होता है दोस्त! उसे इतना बता देना भरम तोडा नहीं करते ...
तर्के मुहब्बत कर बैठे हम जब्ते मुहब्बत और भी है एक कयामत बीत चुकी है एक कयामत और भी है |
इश्क क्या चीज है यह
पूछिये परवाने से, जिन्दगी जिसको मयस्सर हुई मर जाने के बाद
Wednesday, March 16, 2016
आइना हो जाये मेरा इश्क
उसके हुस्न का, क्या मजा हो दर्द गर खुद ही दवा देने लगे।
जरा सी बात पे क्यूँ इस कदर खफ़ा होता अगर वो मेरी मुहब्बत से आशना होता |
येऔर बात है कि
इज़हार हो न सका हम से नहीं है तुमसे मुहब्बत ये कौन कहता है |
Tuesday, March 15, 2016
कहीं ये अपनी मुहब्बत की इंतिहा तो नहीं बहुत दिनों से तेरी याद भी नहीं आई |
हम समझते हैं मुहब्बत के तकाजे लेकिन कैसे उस दर पे कोई बन के सवाली जाये |
मुहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है उसे खोना भी मुश्किल है उसे पाना भी मुश्किल है उदासी तेरे चेहरे कि गंवारा भी नहीं करते तेरी खातिर सितारे तोडकर लाना भी मुश्किल है |
Monday, March 14, 2016
अभी से सोच ले मुहब्बत फना कर देती है अगर अंजाम से डर लगता है तो आगाज़ मत कर |
दो जुमलों में सिमटी है दास्ताँ मुहब्बत की उसे टूट के चाहा और चाह के टूट गए हम |
तुमने तो कह दिया के मुहब्बत नहीं मिली हमको तो यह भी कहने की मोहलत नहीं मिली |
Saturday, March 12, 2016
उन्हें खत में लिखा के दिल मुज़्तरिब है
जवाब उनका आया मुहब्बत न करते तुम्हे दिल लगाने को किसने कहा था
बहल जायेगा
दिल बहलते बहलते |
तुम्हे दिल्लगी भूल जानी पडेगी
मुहब्बत की राहों में आकर तो देखो तड़पने पे मेरे न फिर तुम हंसोगे
कभी दिल किसी
से लगाकर तो देखो |
मेरे दिल में उतर सको तो शायद ये जान लो कितनी खामोश मुहब्बत करता है तुमसे कोई |
Thursday, March 10, 2016
कितना अजीब है लोगों का अंदाज़ -ए-मोहब्बत 'फराज' रोज एक नया जख्म देकर कहते हैं " अपना
ख्याल रखना " ।
मोहब्बत मे नहीं है फर्क , जीने और मरने का इसी को देखकर जीतें हैं , जिस काफिर पे दम निकले । ग़ालिब
मोहब्बत के अंदाज़ जुदा जुदा हैं 'फ़राज़'... किसी ने टूट कर चाह और कोई चाह कर टूट गया..
मोहब्बत के बाद मोहब्बत मुमकिन है फ़राज़.....!!!! मगर टूट के चाहना सिर्फ एक बार होता है....
मुहब्बत के सफर में कोई भी रस्ता नहीं देता जमीं वाकिफ नहीं होती ,फलक साया नहीं देता |
समझ में कुछ नहीं आता मुहब्बत किसको कहते हैं मगर इतना समझती हूँ के दिल में दर्द होता है |
होता है राज
ऐ मुहब्बत इन्ही के पास ,
आँखें जुबान
नहीं है ,
मगर , बेजुबान भी नहीं है
Tuesday, March 8, 2016
मोहब्बत तो वो पहली ही मोहब्बत थी फराज़ इसके बाद तो हर शक्स में ढूँढा उस को
--अहमद फराज़
काफिर हुए थे जिसकी मोहब्बत में हम फराज़ कल वही शख्स किसी और के लिए मुसलमान हो गया
--अहमद फराज़
कौन कहता है मोहब्बत की जुबाँ होती है, ये हक़ीक़त तो निगाहों से बयाँ होती है.
- साहिर होशियारपुरी
इस अहद में इलाही मोहब्बत को क्या हुआ, छोड़ा वफ़ा को उनने मुरव्वत को क्या हुआ.
- मीर तक़ी मीर
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के, वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़र के.
- फैज़ अहमद फैज़
ऐ मोहब्बत तेरे अन्जाम पे रोना आया, जाने क्यों आज तेरे नाम पे रोना आया.
- शकील बदायुनी
वो आते हैं तो दिल मैं इक कसक महसूस होती है.. मैं डरता हूँ कहीं इसको मोहब्बत तो नहीं
कहते...
मुहब्बत के लिए कुछ खाश दिल मकशूस होते हैँ.........
ये वो नगमा है जो हर साज पर गाया नहीँ जाता..........
मुहब्बत को समझना हे तो खुद मुहब्बत कर.....
किनारे से कभी अंदाजा ए तूफाँ नहिँ होता....
Monday, March 7, 2016
जी में आता है कि एक रोज़ शमा से पूछूँ मज़ा किसमे है, जलने में या जलाने में
यह मेरी किताब-ए-हयात है इसे दिल की आँख से पढ़ ज़रा मैं वर्क वर्क तेरे सामने, तेरे रू-बरू, तेरे पास हूँ
वो जो दावेदार हैं शहर
में कि सभी का नब्ज़-शनास हूँ कभी आके मुझसे तो पूछता कि मैं किसके गम में उदास हूँ
Saturday, March 5, 2016
न मिला दिल का कदरदान इस ज़माने में यह शीशा था, टूट गया देखने और दिखाने में