स्कूल बैग वाले कंधों ने बोझा उठा लिया
कैसी मजबूरी जिसने बचपन छीन लिया
हंसने-खेलने की उम्र,जिम्मेदारीया लिया
देखो मजबूत कंधा कितना बालक लिया
सपने वो सारे जिम्मेदारियों में दबा दिया
कितना कठोर होगा, मन सब सह लिया
आँखे झुका दिल मे...दर्द को दबा लिया
बचपन को ही इसने जवानी बना लिया
---- सुनिल #शांडिल्य