Wednesday, September 29, 2021

 स्कूल बैग वाले कंधों ने बोझा उठा लिया

कैसी मजबूरी जिसने बचपन छीन लिया


हंसने-खेलने की उम्र,जिम्मेदारीया लिया

देखो मजबूत कंधा कितना बालक लिया


सपने वो सारे जिम्मेदारियों में दबा दिया

कितना कठोर होगा, मन सब सह लिया


आँखे झुका दिल मे...दर्द को दबा लिया

बचपन को ही इसने जवानी बना लिया 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 28, 2021

 बड़े फ़रेब है जनाब उनकी झील सी आँखों मे

डूब कर देखा है हमने भी दरिया-ए-महोब्बत में


बेशक ! गजब का नशा है झील सी आँखों मे

महज कोरी बाते उनकी अहसास-ए-महोब्बत में


में सोया न फिर, डूबा रहा उनके ही ख्यालों में

और वो बोले समझाना क्या चाहते हो बातो में


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 27, 2021

 ख्वाबों ख्यालों में तुम आ रही हो

राफ्ता राफ्ता दिल में समा रही हो,


देख कर तुझे,मुझे सुकून आता है

इस कदर तुम,मुझसे मुझे चुरा रही हो,


चांद भी आज मद्धम पड़ गया है

तुम  घुंघट  से  जो  झांक रही हो,


तेरी सांसों से महकने लगा हूं मैं अब

तुम मेरे आगोश में जो बिखर रही हो ।।


 ---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 26, 2021

 दबा कर रखो चिंगारी दिल की

सरेआम न कर यू आग दिल की


सुलगने दे आग छलनी दिल की

दबा कर रख तू हर बात दिल की


समझता कौन बाते जज्बातों की

आहट होने दे तू पहले तूफानों की


उठेगा तूफान होगी बात जुबां की

पूरी होगी फिर हर बात वो दिल की


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 25, 2021

 अहले दिल ने सुनाई रात एक ग़ज़ल हमको

चलो बैठो मेरे पास , मैं गुनगुनाऊं उसको


यादें तेरी ख़्वाब तेरे और तेरी ही बातें थीं

आंख जो झपकी मेरी तो मिल लिया तुमको


वो सुनहरी आंखें होठ भी नरम से थे

रात ने मदहोशी में क्या पिला दिया मुझको


बस इश्क़ हुआ मुझको .... ❣


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 23, 2021

 एक नज्म लिखता हूं मैं तेरे नाम की

जाती नही खुमारी तेरे अहसास की


दरिया में जैसे है सैलाब उमड़ता

वैसे ही सैलाब उमड़ती तेरी यादों की


सोलह श्रृंगार में तू जो आई पास मेरे

अंखियों से देख तुझे मैने इश्क बयां की


गूंजते हैं इक इक लफ्ज मेरे कानों में

जो कल रात मेरे आगोश में तूने बयां की


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 22, 2021

 दीवाने बस दीदार-ए-इश्क करते है

आशिक भी सिर्फ आवारगी करते है


तेरी तन्हाइयो में हल तन्हाई ढूंढते है

हम तो रूह में रूहानीयत को ढूंढते है


प्यार,इश्क, महोब्बत जिससे करते है

महबूब वो मेरे मेरी रूह में ही रहते है


हर लफ्ज़ में हम सिर्फ उनको ढूंढते है

मोहतरमा हर लफ्ज़ उन्ही को लिखते है 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 21, 2021

 अच्छा लगता है मुझे

तुम्हें महसूस करना


तुम्हारे मधुर स्पर्श को

हृदय के पास रखना


अच्छा लगता है मुझे

तेरा बोलना हँसना मुस्कुराना


बस एकटक तुम्हें देखते रहना

जैसे चकोर चांद को निहारता है


निष्ठा से हृदय में भाव

रखता हूं मैं तुम्हारे लिए


जैसे भक्त ईश्वर की

आरती उतारता हो


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 20, 2021

 तलब रूह की रूह से मिट जाए

गर तलबगार बन कर तू आ जाये


रूहे-बंधनो में यू हम जकड़ जाये

खबर खुद की भी हमे न हो पाए


न लब हिले न लफ्ज़ बोला जाए

खामोश हो जाते रूहे मिलन पाये


मिलना है रूहो को कौन रोक पाए

रूहे मिलन है मिलकर ही चेन पाये


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 19, 2021

 ये दुनिया एक फूल

और तुम हो एक क्यारी


बेनूर रंग हैं जमाने के

सिर्फ तुम हो प्यारी


हरपल तुम्हारा ही ध्यान चाहिए

हमें तो बस तुम्हारी मुस्कान चाहिए


तुम्हारे आगे यह चांद सितारे

लगते हैं फीके से हमको


ये दिल गाता है हर पल गीत तुम्हारे

जो तुमसे हमें जोड़े वो अरमान चाहिए ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 18, 2021

 तुम मंद हवा

का इक झोंका ,

जो मेरी रूह को छू जाती है


तुम वृक्ष की शाखा पर

बैठी एक कोयल ,

जिसकी कुंक मेरे अंग-अंग को

मिठास से भर देती


तुम आसमान से

गिरने वाली बूंद ,

जिसका मैं और यह धरा

दोनों ही चीर काल से मुंतजिर


इस उम्मीद पर कि तुम एक दिन आओगी

और हमारी प्यास बुझा दोगी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 17, 2021

 साँसो में उलझन

बातों में हिचकिचाहट


शब्द फंस रहे

दिल बेचैन सा


मन को फुरसत नही

ख्यालों से उनके


कानो में हवाएं

मधुर सरगम गा रही


बेवक़्त की बारिश

मुझे भिगों रही


लिखता नही मैं

अपने गीतों में उम्मीद


हर पंक्ति में अब

प्यास नज़र आ रही


अग़र है मुझे प्रेम तो

रब उन्हें भी अहसास कराए। 


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 14, 2021

 श्रृंगार रस मय तेरा बदन

सादगी का पहन ले दामन


गूथ गेसुओं में गजरा गहन

तरसे देखने को तुझे नयन


ह्रदय घर बसा तुलसी मन

शिवालय रूह के अंतरण


महके मोगरा यू तेरे बदन

खुशबू भाये रूहे अंतर्मन


छेड़ रागिनी कोयल कंठन

बिखरा काजल तेरा नयन


कपोलो पर आये थिरकन

मन हो जिसमे मस्त मगन 


---- सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 13, 2021

 सुनो....

अब न करेगे तुमसे सवाल कोई

तुम भी न देना अब जवाब कोई


वरना समझेगा यू इश्क हर कोई

उंगली न उठे तुमपे बेवजह कोई


शक का नही है यहा इलाज कोई

न लिखे तेरे लफ्ज़ से लफ्ज़ कोई


किन गुनाहों की सजा दे रहा कोई

वो मेरा था, फिर मेरा हुआ न कोई


---- सुनिल #शांडिल्य

Sunday, September 12, 2021

 यू आसान नही निकलना जमाने से सजनी

तमन्नाएँ दिल की अब दिल मे ही रख सजनी


अधूरी ख्वाहिशें पूरी किसकी हुई यहा सजनी

दब गए ख़्वाब जिम्मेदारीयो में कहा है सजनी


जिन्दगी की उलझनों में उलझ गया हूँ सजनी

न खुद की खबर रहती,न तेरी खबर है सजनी


---- सुनिल #शांडिल्य

Friday, September 10, 2021

 है चित्रित तू

मैं हूं रेखाक्रम


..मधुर राग तू 

मैं स्वर संगम


..तू असीम मैं

सीमा का भ्रम


..काया छाया

में रहस्यमय


प्रेयसी प्रियतम का

अब अभिनय क्या ?


तेरे उर पे है जब

..नाम मेरा तो


चलो डूबे आकंठ

प्रेम की सरिता में


इक दूजे संग हम बंध जाए

जन्म - जन्म  के  बंधन  में ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Wednesday, September 8, 2021

 फूल गुलाब का हाथों में

और होंठो पे मुस्कान


चलो हमसफर चले संग

जिंदगी के बाद जिए हम


फ़िज़ाओं में हो कशिश

जुबां प्रेमगीत गुनगुनाए


बारिश की बूंदों में हो

प्यार की मधुर तरंग


वादा करो लेकर मेरा हाथ

मुड़कर नही देखेंगे गुज़री राह


चाहे हो कोई मौसम

चाहे हो दिन या रात ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Tuesday, September 7, 2021

 तुझे देख कर

अपनी कविता लिखूं

किस लिये?


स्वय को समंदर

तुझ को मैं सरिता लिखूं

किस लिये?


झुके नयन

और अधरों मे स्मित

किस लिये?


परिचित को

मैं अपरिचिता लिखूं

किस लिये??~


सुनिल #शांडिल्य

Monday, September 6, 2021

 तेरी याद बसी हैं मुझमें ऐसे

.. जैसे कोई पुराना खत


किताब की तह में रखी

.. जैसे सूखे गुलाब की खुशबू


भींगी सावन की बारिश से उठती

.. सोंधी मिट्टी की खुशबू


उन पुराने प्रेम पत्रों की

.. हर तह में हो तुम


तुमसे ये जो जुड़ा है मेरा रिश्ता

.. उसके हर अहसास में हो तुम ।।


#शांडिल्य

Sunday, September 5, 2021

 ये सांझ भी तेरी

ये लाली भी तेरी


चलती हवाओं में

ये महक भी तेरी


दूर रहकर भी, मेरे

दिल में धड़कने तेरी


शब्दों का यूं काफिला

तेरी धड़कनों से गुजरे


लिखे जो मेरी कलम 

तो तेरे संग शब्द भी मेरे झूमे ।।


---- सुनिल #शांडिल्य

Saturday, September 4, 2021

 तुम वो हो

जो मेरे अंतर्मन

को छू पाई हो


तुमने मुझे

उंगलियों के पोर

से नही


मुझे छुआ है

अपने शब्दों से


अपनी आंखों

के मौन से


अनकहे

एहसासों से


बसने लगी हो

तुम मुझमें

और मैं

तुझमें


चल रहे दोनो

कदम दर कदम

एक दूजे की

ओर


शायद मंजिल

हमारी एक दूजे की

पनाहोँ में है..


---- सुनिल #शांडिल्य

Thursday, September 2, 2021

 काश.,

तेरे इश्क़ के समंदर में गोते लगाता

तेरी बाहों में सो पाता


तेरी शबनमी आँखो में खो जाता

शब्द रूपी माला में तुम्हें गूंथता रहता


काश_तुम होती है मैं होता और वक़्त होता

इन ज़ुल्फ़ों की घनेरी रातों में सोता


तेरे गोद में सर रख के

ख़यालों में खोता काश....,


---- #शांडिल्य

Wednesday, September 1, 2021

 मैं रूकने को कहूँ और तू रुक जाए ,

रब ने इतना खुशनसीब नही बनाया मुझे ।।


तुझे हाथ पकड़ कर रोक भी लूं ,

पर ये भी तो  मेरी  तदबीर  नही ।।


गुज़रेंगे दिन कैसे तुमबिन 

मेरे पास तेरी कोई तस्वीर भी तो नहीं ।।


---- #शांडिल्य