Sunday, June 29, 2014

हमने मांगी थी अक्सर दुआए बहुत,
हसरतो को मगर,उम्र दे न सके !

तेरे दामन को भर देते फूलों से हम,
कांटो को पर अलग उनसे कर न सके!


बेखुदी में जिए तो क्या गम है,
कभी ख़ुद को जुदा तुमसे कर न सके!


दर्द की सीप में बंद मोती मिले,
कतरे उन अश्को के जो गिर न सके!!

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