Sunday, June 29, 2014
गर आँसू तेरी आँख का होता,
गिरता गाल को चुमते हुए,
फिर गिर के तेरे होठों पर,
फना हो जाता वहीं हॅसते हुए,
पर
जो तुम होती मेरी आँख का आसु,
भले गुजरती उम्र गम सह-सह कर,
तुझे खो ना दूं कही, इस डर से
मै ना रोता ज़िदगी भर|
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment